Teachers guide students to use Class 6 SST NCERT Solutions and Class 6 Social Science Chapter 12 Question Answer in Hindi Medium आधारभूत लोकतंत्र भाग 3 नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार for quick learning.
Class 6th SST Chapter 12 Question Answer in Hindi Medium
Social Science Class 6 Chapter 12 Question Answer in Hindi
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 12 के प्रश्न उत्तर in Hindi आधारभूत लोकतंत्र भाग 3 नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (पृष्ठ 173)
प्रश्न 1.
नगरीय स्थानीय निकाय क्या है और इनके क्या कार्य हैं?
उत्तर:
नगरीय स्थानीय निकाय वे स्वायत्त संस्थाएँ हैं, जो नगरों और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय शासन और प्रशासन का कार्य करती हैं। ये भारतीय संविधान के तहत स्थापित होती हैं और शहरी क्षेत्रों की स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार होती हैं। नगरीय स्थानीय निकायों में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत जैसी संस्थाएँ शामिल हैं।
नगरीय स्थानीय निकायों के प्रकार
- नगर निगम (Municipal Corporation) : यह बड़े शहरों और महानगरों में कार्य करता हैं, जहाँ अधिक जनसंख्या और विकास होता है।
- नगर परिषद (Municipal Council): यह छोटे और मझोले शहरों में काम करता है।
- नगर पंचायत ( Nagar Panchayat): यह छोटे कस्बों और शहरों के लिए होती है, जो नगर निगम या नगर परिषद से छोटे होते हैं।
नगरीय स्थानीय निकायों के कार्य
- स्वच्छता और जल आपूर्ति: शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखना, कचरा निपटान, पेयजल आपूर्ति, और नालियों की सफाई सुनिश्चित करना।
- सड़क निर्माण और रख-रखाव: शहरी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण, उनकी मरम्मत,और सड़क यातायात का प्रबंधन।
- शहरी योजनाएँ: नगरीय विकास और आवास योजनाओं का निर्माण, भू-उपयोग की योजना और निर्माण कार्यों की निगरानी ।
- स्वास्थ्य और शिक्षाः अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की सेवाएँ प्रदान करना और स्कूलों के संचालन में सहायता करना।
- स्थानीय कर और राजस्वः शहरी क्षेत्रों में कर संग्रहण (जैसे नगर निगम कर), संपत्ति कर, व्यापारिक कर और अन्य स्थानीय राजस्व स्त्रोतों से धन एकत्रित करना ।
- सामाजिक कल्याण योजनाएँ: गरीबों और कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ लागू करना, जैसे कि सामूहिक विवाह योजनाएँ, वृद्धावस्था पेंशन आदि ।
- सार्वजनिक परिवहन और पार्किंग: शहरी परिवहन व्यवस्था, बसों, मेट्रो या अन्य सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की निगरानी और विकास।
इन कार्यों के माध्यम से नगरीय स्थानीय निकाय शहरी जीवन को बेहतर बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, और इनकी भूमिका स्थानीय नागरिकों की जरूरतों और कल्याण को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की होती है।
प्रश्न 2.
ये सरकार और लोकतंत्र में क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
नगरीय स्थानीय निकायों का सरकार और लोकतंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि ये नागरिकों के जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं और प्रशासन की नींव के रूप में काम करते हैं। इसके कई कारण हैं जिनसे ये महत्वपूर्ण हैं-
1. स्थानीय स्व- शासन और लोकतंत्र का सशक्तिकरणः नगरीय स्थानीय निकाय नागरिकों को अपने नगर या शहर के प्रशासन में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान करते हैं। इससे स्थानीय लोकतंत्र मजबूत होता है क्योंकि नागरिक अपनी समस्याओं और जरूरतों को सीधे स्थानीय निकायों के माध्यम से उठाते हैं और समाधान प्राप्त करते हैं।
2. संसाधनों का प्रभावी वितरण: स्थानीय निकायों को अपनी सीमित क्षेत्राधिकार में प्राथमिकताएँ निर्धारित करने और उनके अनुसार संसाधन वितरित करने का अधिकार होता है। यह सुनिश्चित करता है कि शहरी क्षेत्रों में पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाएँ, सड़कें, शिक्षा, आदि की आवश्यकताएँ स्थानीय स्तर पर ही पूरी हों ।
3. स्थानीय जरूरतों को पूरा करना: नगरीय स्थानीय निकायों को स्थानीय समस्याओं और जरूरतों का ज्ञान होता है, जिससे वे अधिक प्रभावी रूप से समाधान प्रदान कर सकते हैं। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी शहर में जलसंकट या ट्रैफिक की समस्या है, तो ये निकाय सरकार के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर कार्य योजना बना सकते हैं।
4. जनता से जुड़ाव और जवाबदेहीः ये निकाय स्थानीय नेताओं को जनता से सीधे जुड़े रहने और उनके लिए काम करने का मौका देते हैं। स्थानीय प्रतिनिधि जनता के अधिक निकट होते हैं, जिससे वे अपनी समस्याओं और आवश्यकताओं को सीधे सामने ला सकते हैं। इससे सरकार और प्रशासन के प्रति जवाबदेही बढ़ती है।
5. नवाचार और विकास में सहायक: स्थानीय निकाय शहरी क्षेत्रों में नवीन परियोजनाओं को लागू करने के लिए अधिक लचीलापन और स्वतंत्रता रखते हैं। ये क्षेत्रीय विकास के लिए योजनाएँ तैयार कर सकते हैं जो समग्र राष्ट्रीय योजनाओं के तहत स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप होती हैं। उदाहरण के लिए, स्मार्ट सिटी परियोजना या प्रदूषण नियंत्रण की योजनाएँ स्थानीय निकायों द्वारा लागू की जाती हैं।
6. संविधानिक संरचना का हिस्सा: भारतीय संविधान के तहत स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने के प्रयास किए गए हैं। 73वीं और 74वीं संविधान संशोधन के बाद, इन निकायों को अधिक अधिकार और जिम्मेदारियाँ दी गई हैं, जिससे ये लोकतंत्र की जमीन पर कार्य करने वाली संस्थाएँ बन गई हैं।
7. सामाजिक न्याय और कल्याण: स्थानीय निकाय कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ लागू करते हैं, जैसे सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा, आदि। यह सुनिश्चित करता है कि विकास केवल उच्च वर्ग तक सीमित न रहे, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुँचे।
इन कारणों से नगरीय स्थानीय निकाय लोकतंत्र में न केवल प्रशासन के कार्यों को अधिक प्रभावी बनाते हैं, बल्कि नागरिकों की भागीदारी और समावेशिता को भी बढ़ावा देते हैं, जिससे लोकतंत्र और शासन की प्रक्रिया अधिक मजबूत होती है।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 174)
प्रश्न 1.
एक गाँव या कस्बे की तुलना में कोलकाता, चेन्नई या मुंबई जैसे नगर क्यों अधिक जटिल और विविध हैं?
उत्तर:
गाँव, कस्बे और बड़े शहरों की तुलना में, जैसे – कोलकाता, चेन्नई और मुंबई, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत विविध होते हैं। गाँवों में आमतौर पर जीवन धीमा और सरल होता है, जबकि बड़े शहरों में विविधता, तेज गति, जटिलता और प्रतिस्पर्धा अधिक होती है–
मुंबई, उदाहरण के लिए, अधिक जटिल क्यों है, इसके कुछ कारण हैं-
1. आर्थिक अवसर: मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी मानी जाती है, जहाँ दुनिया भर से लोग रोजगार और अवसर की तलाश में आते हैं। यह व्यापार, फिल्म इंडस्ट्री (बॉलीवुड), वित्तीय संस्थानों और कई अन्य उद्योगों का केंद्र है, जिससे यहाँ की सामाजिक संरचना बहुत विविध हो जाती हैं।
2. जनसंख्या घनत्व: मुंबई की जनसंख्या बहुत अधिक है, और यह शहर अत्यधिक घनी बस्तियों और मलिन बस्तियों के लिए जाना जाता है। यहाँ विभिन्न वर्गों, जातियों, धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं, जो सामाजिक जटिलताओं को बढ़ाते हैं।
3. संस्कृतियों का मिश्रण: मुंबई में विभिन्न सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक समूहों का मिला-जुला होता है, जिससे यहाँ की जीवनशैली और सामाजिक संरचना काफी विविध और जटिल बन जाती है।
4. प्रौद्योगिकी और आधारभूत संरचना ( इन्फ्रास्ट्रक्चर ) : बड़े शहरों में अत्यधिक विकसित प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचा होता है, जिससे यहाँ की कार्यप्रणाली और दैनिक जीवन जटिल हो जाते हैं। मुंबई में उत्कृष्ट परिवहन व्यवस्था, शहरी विकास और उच्चतम शिक्षा के केंद्र हैं।
5. आवागमन और यातायातः मुंबई में यातायात की समस्या और भीड़-भाड़ की स्थिति शहर को और जटिल बनाती है। यहाँ की लोकल ट्रेनों से लेकर वाहनों तक की भीड़-भाड़
कई बार शहर के कामकाजी लोगों के लिए तनावपूर्ण हो सकती है। इस प्रकार, मुंबई और अन्य बड़े शहरों में रहने की जटिलता उनके आकार, विविधता, और उनके विकास के कारण होती है, जो एक छोटे गाँव या कस्बे से बिल्कुल अलग होती है।
प्रश्न 2.
सहपाठियों के साथ मिलकर अपने किसी परिचित नगर में रह रहे विविध समुदायों की एक सूची तैयार कीजिए। आपमें से कितने यह सूची बना पाए ? आपने इस सूची में और क्या पाया?
उत्तर:
सहपाठियों के साथ मिलकर अपने परिचित नगर में रह रहे विविध समुदायों की सूची तैयार करते समय, हम निम्नलिखित विभिन्न समुदायों को शामिल कर सकते हैं–
1. भाषाई समुदायः
- हिंदी भाषी
- तमिल भाषी
- उर्दू भाषी
- बंगाली भाषी
- मराठी भाषी
2. धार्मिक समुदायः
- हिंदू
- मुस्लिम
- ईसाई
- बौद्ध
- सिख
3. जातीय और सांस्कृतिक समुदायः
- पंजाबी
- गुजराती
- बिहारी
- दक्षिण भारतीय ( तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयाली)
- उत्तर भारतीय ( राजस्थानी, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश )
4. आर्थिक स्थिति के आधार पर समुदायः
- उच्च वर्ग ( अधिकारियों, पेशेवरों, उद्योगपतियों के परिवार )
- मध्य वर्ग ( कर्मचारी, व्यापारी)
- निम्न वर्ग ( मजदूर, दिहाड़ी श्रमिक, मलिन बस्ती निवासी)
5. प्रवासी समुदायः
- नेपाल से आए लोग
- बांगलादेश से आए लोग
अन्य देशों से आई प्रवासी जनसंख्या (जैसे- श्रीलंका, म्यांमार आदि ) |
सूची में क्या पाया?
उत्तर:
जब इस सूची को देखा, तो यह स्पष्ट होता है कि एक बड़े शहर में रहने वाले लोग विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई और सामाजिक बैकग्राउंड से आते हैं। इससे यह भी सिद्ध होता है कि-
1. विविधता: विभिन्न समुदायों के होने से शहर में सांस्कृतिक, भाषाई, धार्मिक विविधता का समागम होता है, जो शहर की सामाजिक संरचना को बहुत अधिक समृद्ध और रंगीन बनाता है।
2. सामाजिक संबंध और सहयोगः विभिन्न समुदायों का एक साथ रहना, एक-दूसरे से सीखने और सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से शहरों में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियाँ भी होती हैं, जो शहर की पहचान का हिस्सा बन जाती हैं।
3. संघर्ष और सहयोगः विविधता से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियाँ कभी-कभी सांस्कृतिक संघर्ष भी उत्पन्न कर सकती हैं, लेकिन साथ ही यह समुदायों के बीच समझ और सहिष्णुता को बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करती है। यह सूची हमें यह समझने में मदद करती है कि बड़े शहरों में समुदायों की विविधता सिर्फ एक सांस्कृतिक पहलू नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 175)
प्रश्न 1.
ऊपर दिए गए चित्र 12.2 ( पाठ्यपुस्तक ) में आप पंचायती राज व्यवस्था और शहरी स्थानीय सरकार के बीच क्या समानताएँ एवं विभिन्नताएँ पाते हैं?
उत्तर:
पंचायती राज व्यवस्था और शहरी स्थानीय सरकार ( Municipal Governance) दोनों भारत में स्थानीय स्वशासन की व्यवस्थाएँ हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ समानताएँ और विभिन्नताएँ निम्न प्रकार हैं-
समानताएँ:
- लोकतांत्रिक ढाँचा : दोनों व्यवस्थाएँ लोकतांत्रिक होती हैं, जिसमें प्रतिनिधियों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। पंचायती राज में ग्राम, तहसील या जिला स्तर पर चुनाव होते हैं, जबकि शहरी स्थानीय सरकार में नगर निगम या नगरपालिका के चुनाव होते हैं।
- सशक्त स्थानीय स्वशासनः दोनों प्रणालियाँ स्थानीय स्तर पर प्रशासन और विकास की जिम्मेदारी निभाती हैं। ये सरकार के निचले स्तर पर प्रशासन की बुनियादी इकाई होती हैं और स्थानीय नागरिकों की समस्याओं का समाधान करती हैं।
- स्थानीय निर्णय लेना: पंचायती राज और शहरी स्थानीय सरकार दोनों में स्थानीय मुद्दों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया होती है, जैसे- सड़कों का निर्माण, जल आपूर्ति, सफाई, शिक्षा आदि।
- राज्य और केंद्र सरकार से संबंध: दोनों के कार्य और वित्तीय सहायता राज्य और केंद्र सरकार से मिलती है।
विभिन्नताएँ:
1. वास्तविक भौगोलिक क्षेत्र:
- पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होती है, जैसे- ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद ।
- शहरी स्थानीय सरकार व्यवस्था शहरी क्षेत्रों में लागू होती है, जैसे- नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत ।
2. संरचना:
- पंचायती राज में तीन स्तर होते हैं: ग्राम, पंचायत समिति और जिला परिषद । ये आमतौर पर ग्रामीण और उपनगरों में कार्य करते हैं।
- शहरी स्थानीय सरकार में नगर निगम या नगरपालिका होती है, जो शहरी क्षेत्रों के प्रशासन का काम करती है।
3. वित्तीय स्त्रोत:
- पंचायती राज प्रणाली में वित्तीय सहायता मुख्य रूप से राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मिलती है, जबकि स्थानीय | करों (जैसे संपत्ति कर) का योगदान कम होता है।
- शहरी स्थानीय सरकार में अधिकतर राजस्व शहरी करों जैसे संपत्ति कर, पानी, बिजली शुल्क और अन्य स्थानीय करों से प्राप्त होता है।
4. कार्य और दायित्व:
- पंचायती राज का मुख्य कार्य ग्रामीण विकास, कृषि, जल प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण आदि पर केंद्रित होता है।
- शहरी स्थानीय सरकार का कार्य शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर, जल आपूर्ति, सीवेज, यातायात और शहरी विकास पर केंद्रित होता है।
5. संवैधानिक स्थितिः
- पंचायती राज व्यवस्था 73वें संविधान संशोधन द्वारा 1992 में संवैधानिक रूप से स्थापित की गई थी।
- शहरी स्थानीय सरकार का प्रबंधन 74वें संविधान संशोधन द्वारा 1992 में किया गया था।
इस प्रकार, जबकि दोनों व्यवस्थाएँ स्थानीय प्रशासन और स्वशासन का हिस्सा हैं, इनकी कार्यप्रणाली, क्षेत्र और दायित्वों में महत्वपूर्ण अंतर हैं।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 177)
प्रश्न 1.
क्या आप ऐसे और चार-पाँच कार्य सोच सकते हैं जिनसे कर्तव्यनिष्ठ नागरिक नगर के अपने-अपने क्षेत्र की देखभाल करने में सहायता कर सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक अपने नगर के अपने-अपने क्षेत्र की देखभाल में कई महत्वपूर्ण कार्यों के माध्यम से योगदान कर सकता है। नीचे कुछ ऐसे कार्य दिए गए हैं जो नागरिक अपने इलाके की देखभाल में मदद कर सकते हैं-
1. स्वच्छता बनाए रखनाः नागरिक अपने आस-पास के क्षेत्र को साफ – सुथरा रखने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। वे कचरा इधर-उधर न फेंकने का ध्यान रख सकते हैं, गली-मोहल्ले की सफाई में भाग ले सकते हैं और स्थानीय सफाई कर्मचारियों का सहयोग कर सकते हैं।
2. पानी की बचत और जल संचयन: जल संकट को ध्यान में रखते हुए नागरिक पानी की बचत करने की दिशा में कदम उठा । सकते हैं। वे वर्षा जल संचयन प्रणालियों की स्थापना कर सकते हैं और घरों, बगीचों और सार्वजनिक स्थानों पर पानी की बर्बादी को कम कर सकते हैं।
3. ऊर्जा की बचत: नागरिक ऊर्जा बचाने के लिए विभिन्न उपायों का पालन कर सकते हैं, जैसे कि ऊर्जा – efficient उपकरणों का उपयोग, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद रखना जब उनका उपयोग न हो. और सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ावा देना।
4. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: कर्तव्यनिष्ठ नागरिक अपने क्षेत्र में वृक्षारोपण कर सकते हैं, पेड़ों की देखभाल कर सकते हैं और प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण मित्र उपायों को अपनाने का प्रयास कर सकते हैं।
5. समुदाय के साथ सहयोग और सहभागिता: नागरिक अपने समुदाय के अन्य लोगों के साथ मिलकर सामाजिक कार्यों में भाग ले सकते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और सार्वजनिक सुरक्षा के मुद्दों पर सामूहिक चर्चा करना, और जरूरतमंदों की मदद करना। इसके अलावा वे स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग कर सकते हैं।
इन कार्यों से नागरिक न केवल अपने क्षेत्र की देखभाल करते हैं, बल्कि पूरे नगर और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद करते हैं।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 179)
प्रश्न 1.
अपने और पड़ोसी राज्यों के कुछ नगरों का चयन कीजिए। इनमें वह नगर लिए जा सकते हैं जिसमें आप रहते हैं या जो आपके कस्बे या गाँव के निकट हैं। आप कैसे पता करेंगे कि इनमें कहाँ-कहाँ नगर पंचायत, नगरपालिका अथवा नगर निगम हैं? उन नगरों के नाम और उनके नगरीय निकाय के प्रकार की एक सूची तैयार कीजिए ।
उत्तर:
नगर पंचायत, नगरपालिका, और नगर निगम का निर्धारण नगर के आकार जनसंख्या और विकास के स्तर के आधार पर किया जाता है। यह जानकारी प्राप्त करने के लिए हम निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं-
1. स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करें: राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग या संबंधित नगर निगम/नगरपालिका कार्यालय से नगर के प्रकार ( नगर पंचायत, नगरपालिका या नगर निगम) की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
2. ऑनलाइन सरकारी पोर्टल्सः राज्यों के शहरी विकास विभाग की वेबसाइटों पर अक्सर नगरों और उनके नगरीय निकायों की जानकारी उपलब्ध होती है।
3. साक्षात्कार और सर्वेक्षणः स्थानीय नागरिकों से या स्थानीय अधिकारियों से पूछताछ करके भी यह जानकारी हासिल की जा सकती है।
आगे एक उदाहरण दिया गया है, जिसमें कुछ नगरों के नाम और उनके नगरीय निकाय के प्रकार की सूची दी गई है (यह सूची मेरे पास मौजूद सामान्य जानकारी पर आधारित है ) –
यह सूची उदाहरणस्वरूप है और अधिक जानकारी के लिए संबंधित राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग या स्थानीय नगर निकाय से संपर्क किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
नगरीय स्थानीय निकाय अपनी गतिविधियों के लिए संसाधन कैसे जुटाते हैं? ( संकेत – पृष्ठ 178 के चित्र 12.4 ( पाठ्यपुस्तक) में इंदौर नगर निगम द्वारा किए जाने वाले कार्यों के चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए । ) क्या इनमें कुछ सेवाएँ भुगतान आधारित हैं?
उत्तर:
इंदौर नगर निगम के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो नागरिकों की सुविधा के लिए प्रदान की जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सेवाएँ निम्नलिखित हैं-
- संपत्ति कर – नागरिकों से संपत्ति कर वसूली
- जल शुल्क – जल आपूर्ति सेवाओं के लिए शुल्क |
- सूखा कूड़ा प्रबंधन – कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था ।
- व्यवसाय, विज्ञापन, व्यापार लाइसेंस – व्यापार और विज्ञापन के लिए लाइसेंस जारी करना ।
- सी. आर. एम. – विवाह प्रमाणपत्र – विवाह प्रमाणपत्र की सेवा।
- सी. आर. एम. – अग्निशमन सेवाएँ आग बुझाने की सेवाएँ।
- सी. आर. एम. – विभिन्न लाइसेंस – अन्य प्रकार के लाइसेंस की सेवाएँ।
- शिकायत प्रपत्र – शिकायत दर्ज करने का फॉर्म।
- सी. आर. एम. – जल टैंकर, मलबा हटाना जल टैंकर और मलबा हटाने की सेवाएँ ।
- पेड़ की कटाई और ढुलाई – पेड़ काटने और स्थानांतरित करने की सेवाएँ ।
- सी. आर. एम. शिकायतें – नागरिकों द्वारा की जाने वाली शिकायतें ।
- सी. आर. एम. सेवा के लिए अनुरोध – विभिन्न सेवाओं के लिए अनुरोध करना।
- जल टैंकर पानी की आपूर्ति के लिए टैंकर सेवाएँ।
- सेप्टिक टैंकर ( मैला ) – सेप्टिक टैंक की सफाई और निकालने की सेवाएँ ।
- सभागार – सार्वजनिक सभाओं और कार्यक्रमों के लिए सभागार की बुकिंग ।
- अंत्येष्टि क्रिया संबंधी वाहन- अंतिम संस्कार के लिए वाहन की उपलब्धता |
- चल शौचालय – चलने योग्य शौचालय की सुविधा |
- एंबुलेंस – आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए एंबुलेंस |
ये सभी सेवाएँ नागरिकों की सुविधा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं।
एन.सी.ई.आर.टी. प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएँ (पृष्ठ 181-182)
प्रश्न 1.
विद्यालय आते हुए आप और आपके मित्र पाते हैं कि जल के एक पाइप में रिसाव हो रहा है। इस रिसाव से बहुत सारा जल व्यर्थ हो रहा है। इस स्थिति में आप और आपके मित्र क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि हम विद्यालय आते हुए पाइप में रिसाव पाते हैं, तो हमें सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि जल का रिसाव और नुकसान रोका जाए। हम निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं-
तुरंत किसी अधिकृत व्यक्ति को सूचित करें: सबसे पहले, हमें विद्यालय के प्रशासन को सूचित करना चाहिए ताकि वे संबंधित निकाय से संपर्क कर पाइप की मरम्मत करवा सकें।
जल का रिसाव रोकने की कोशिश करें: अगर जल का रिसाव बहुत अधिक है और यह तत्काल मरम्मत का काम शुरू नहीं हो सकता, तो हम आपातकालीन रूप से नजदीकी वाल्व को बंद कर सकते हैं, ताकि पानी का रिसाव रुक जाए।
जल बचाने की जागरूकता फैलाए: हम और हमारे मित्र इस स्थिति को देखकर अन्य छात्रों और लोगों में जल बचाने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाएँगे ताकि इस प्रकार के नुकसान से बचा जा सके।
प्रश्न 2.
आप अपने निकट रहने वाले नगरीय स्थानीय निकाय के किसी सदस्य को अपनी कक्षा में आमंत्रित कीजिए। उनके साथ उनकी भूमिका और उत्तरदायित्वों पर विचार-विमर्श कीजिए। उनसे पूछने के लिए प्रश्नों की एक सूची तैयार कीजिए ताकि यह परिचर्चा उपयोगी हो ।
उत्तर:
सवालों की सूची:
1. आपका कार्यक्षेत्र क्या है?
यह सवाल पूछकर हम जान सकते हैं कि सदस्य का कार्यक्षेत्र और उनकी जिम्मेदारियाँ क्या हैं।
2. आपके कार्य में कौन-कौन सी प्रमुख सेवाएँ शामिल हैं?
इससे हम समझ सकते हैं कि स्थानीय निकाय के सदस्य किन-किन सेवाओं का प्रबंधन करते हैं (जैसे- जल आपूर्ति, सफाई, सड़कों की मरम्मत, आदि) ।
3. आपके कार्य में नागरिकों की भागीदारी का क्या महत्व है?
यह सवाल यह जानने के लिए है कि कैसे आम लोग अपनी आवाज उठा सकते हैं और स्थानीय निकाय की कार्यवाही में सहयोग कर सकते हैं।
4. क्या स्थानीय निकाय के पास समस्याओं का समाधान जल्दी करने की कोई प्रक्रिया है?
इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि जब नागरिकों को कोई समस्या होती है, तो समाधान प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या होती है।
5. क्या आपके कार्य में पर्यावरण संरक्षण का कोई पहलू शामिल है?
इस सवाल से हम जान सकते हैं कि पर्यावरण बचाने और जलवायु परिवर्तन के प्रति क्या कदम उठाए जाते हैं।
6. आपके द्वारा किए गए प्रमुख विकास कार्य कौन से हैं?
इस सवाल के माध्यम से हम जान सकते हैं कि सदस्य ने अपने कार्यकाल में कौन-से महत्वपूर्ण बदलाव या विकास कार्य किए हैं।
7. क्या आप इस क्षेत्र में और सुधार की योजना बना रहे हैं?
यह सवाल भविष्य में किए जाने वाले सुधारों और योजनाओं को जानने के लिए है।
8. आप नागरिकों से कैसे संपर्क करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं?
यह सवाल यह जानने के लिए है कि वे नागरिकों से संवाद कैसे करते हैं और समस्याओं का समाधान कैसे सुनिश्चित करते हैं।
इन सवालों की सूची हमारी परिचर्चा को और अधिक प्रभावी और उपयोगी बना सकती हैं, जिससे हमें नगरीय निकाय के कार्यों और उत्तरदायित्वों के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी |
प्रश्न 3.
अपने परिवार एवं पड़ोस के वयस्क लोगों के साथ चर्चा कीजिए और नगरीय स्थानीय निकायों से उनकी अपेक्षाओं की एक सूची बनाइए ।
उत्तर:
नगरीय स्थानीय निकायों से वयस्क लोगों की कुछ प्रमुख अपेक्षाएँ निम्नलिखित हो सकती हैं-
- साफ-सफाई और कूड़ा प्रबंधन: स्वच्छता की व्यवस्था, नियमित कूड़ा उठाना और कूड़ा प्रबंधन प्रणाली की माँग ।
- जल आपूर्ति: नियमित और साफ पानी की आपूर्ति, विशेषकर गर्मी के मौसम में।
- सड़कें और परिवहनः अच्छी सड़कों की मरम्मत, यातायात व्यवस्था में सुधार, और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा ।
- स्वास्थ्य सेवाएँ: स्थानीय अस्पतालों और चिकित्सा सेवाओं की सुलभता और गुणवत्ता ।
- पार्क और मनोरंजन स्थलः नागरिकों के लिए पार्क, खेल मैदान, और मनोरंजन की अन्य सुविधाओं की उपलब्धता ।
- आधुनिक सुविधाएँ: स्मार्ट सिटी सेवाएँ, जैसे डिजिटल सेवाएँ, सुलभ इंटरनेट और अन्य तकनीकी सुविधाएँ।
- सुरक्षा: पुलिस और सुरक्षा सेवाओं का मजबूत नेटवर्क और कानून-व्यवस्था में सुधार।
- शिक्षा: सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा और शिक्षा के लिए बेहतर सुविधाएँ |
- अधिकार और पारदर्शिताः स्थानीय निकायों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान |
- निगरानी और प्रतिक्रिया तंत्र: नागरिकों द्वारा की गई शिकायतों और समस्याओं का त्वरित समाधान |
प्रश्न 4.
एक अच्छे नगरीय स्थानीय निकाय की विशेषताओं की सूची बनाइए ।
उत्तर:
- पारदर्शिता और जवाबदेही निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता, और नागरिकों से नियमित संपर्क एवं संवाद ।
- सामाजिक न्याय और समावेशिता: सभी समुदायों और वर्गों को समान अवसर और अधिकार मिलना, और सभी की समस्याओं का समाधान।
- प्रभावी सफाई व्यवस्थाः नियमित कूड़ा संग्रहण, कूड़ा प्रबंधन और पर्यावरणीय स्वच्छता के लिए बेहतर नीतियाँ ।
- सतत जल आपूर्ति और जल संरक्षण: जल स्त्रोतों का संरक्षण, साफ पानी की नियमित आपूर्ति और जल बचाने के उपाय |
- सड़कें और यातायात व्यवस्था: अच्छी सड़कों और यातायात व्यवस्था का होना, ताकि लोगों को आसानी से आवागमन की सुविधा मिल सके।
- आधुनिक शहरी सुविधाएँ: स्मार्ट शहर की योजनाएँ, जैसे- डिजिटल सेवाएँ, इंटरनेट, सार्वजनिक वाई-फाई, आदि ।
- स्वास्थ्य सेवाएँ: सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता और सुलभता, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की उपलब्धता ।
- प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयारियाँ: बाढ़, भूकंप या अन्य आपदाओं के लिए आपातकालीन योजनाओं का होना।
- सुरक्षा : पुलिस का प्रभावी नेटवर्क, सीसीटीवी कैमरा और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा |
- स्थानीय नेतृत्व की भागीदारी: स्थानीय प्रशासन और नेताओं का सक्रिय रूप से जनता से संवाद और उनकी समस्याओं का समाधान।
प्रश्न 5.
ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था और नगरीय स्थानीय निकायों के बीच क्या समानताएँ एवं क्या विभिन्नताएँ हैं?
उत्तर:
समानताएँ:
1. सार्वजनिक सेवा वितरणः दोनों प्रणालियाँ अपने क्षेत्र के नागरिकों के लिए सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करने का कार्य करती हैं, जैसे जल आपूर्ति, सफाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ ।
2. निर्णय प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी: दोनों व्यवस्थाओं में नागरिकों की भागीदारी होती है, जैसे पंचायत चुनाव या नगर निगम चुनाव में मतदान ।
3. स्थानीय मुद्दों पर निर्णय लेना: दोनों ही स्थानीय स्तर पर जनता के मुद्दों को हल करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जैसे सड़कें बनवाना, जल आपूर्ति सुनिश्चित करना,
विभिन्नताएँ:
1. संरचना:
- पंचायती राज व्यवस्था: यह मुख्य रूप
- नगरीय स्थानीय निकायः यह शहरी क्षेत्रों के लिए होती है और नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत जैसी संरचनाओं में विभाजित होती हैं।
2. कार्य और जिम्मेदारियाँ:
- पंचायती राज व्यवस्था: इसका मुख्य कार्य ग्रामीण विकास, कृषि, ग्रामीण रोजगार और सामाजिक कल्याण से संबंधित होता है।
- नगरीय स्थानीय निकायः यह शहरी विकास, नगर योजना, सड़कों की मरम्मत, जल आपूर्ति, और स्वच्छता से संबंधित कार्यों को संभालता है।
3. वित्तीय स्त्रोत:
- पंचायती राज व्यवस्था: यह अक्सर राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त करती है और कम आय वाले क्षेत्रों में रहती है।
- नगरीय स्थानीय निकाय: शहरी क्षेत्रों में यह अधिक आय प्राप्त करते हैं. जैसे – संपत्ति कर, जल शुल्क आदि के माध्यम से।
4. प्रशासनिक अधिकार:
- पंचायती राज व्यवस्थाः इसे अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रीय विकास के लिए कार्य करने के अधिकार होते हैं।
- नगरीय स्थानीय निकाय: शहरी व्यवस्थाओं के विकास और प्रशासन के लिए इसे अधिक अधिकार होते हैं।
इन समानताओं और विभिन्नताओं से यह स्पष्ट होता से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होती है और है कि दोनों प्रणालियाँ अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पंचायतों में ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत | भूमिका निभाती हैं, लेकिन उनके कार्य, संरचना और और जिला पंचायत जैसी तीन स्तरीय प्रशासन में भिन्नताएँ हैं ।