In this post, we have given Class 11 Hindi Antral Chapter 3 Summary – Awara Masiha Summary Vyakhya. This Hindi Antral Class 11 Summary is necessary for all those students who are in are studying class 11 Hindi subject.
आवारा मसीहा Summary – Class 11 Hindi Antral Chapter 3 Summary
आवारा मसीहा – विष्णु प्रभाकर – कवि परिचय
लेखक-परिचय :
प्रश्न :
विष्णु प्रभाकर के जीवन और साहित्य का परिचय देकर उनकी रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जीवन-परिचय-कथाकार विष्णु प्रभाकर पहले-पहले ‘प्रेमबंधु’ और ‘विष्णु’ नाम से लेखन करते थे। बाद में ‘प्रभाकर’ भी जुड़ गया। इनका जन्म सन 1912 में उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फरनगगर जिले के एक गाँव में हुआ था, लेकिन बाल्यकाल हरियाणा में गुज़ा, वहीं पढ़ाई हुई। उसके बाद नाटक कंपनी में अभिनय से लेकर मंत्री तक का काम किया। मौलिक लेखन के अतिरिक्त, विष्णु प्रभाकर साठ से अधिक पुस्तकों का संपादन भी कर चुके हैं।
रचनाएँं-विष्णु प्रभाकर ने कहानी, उपन्यास, जीवनी, रिपोर्ताज, नाटक आदि विधाओं में रचना की। आवारा मसीहा (शरत्चंद्र की जीवनी); प्रकाश और परछाइयाँ, बारह एकांकी, अशोक (एकांकी-संग्रह); नव प्रभात, डॉक्टर (नाटक); ढलती रात, स्वप्नमयी (उपन्यास); जाने-अनजाने (संस्मरण) आदि इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। विष्णु प्रभाकर की रचनाओं में स्वदेश-प्रेम, राष्ट्रीय चेतना और समाज-सुधार का स्वर प्रमुख रहा, जो कि सरकारी नौकरी छोड़ने का कारण बना। ‘आवारा मसीहा’ के लिए इन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से नवाज़ा गया। ये वर्तमान में दिल्ली में रहकर स्वतंत्र रूप से लेखन-कार्य में रत हैं।
पाठ का सार :
यह पाठ ‘विष्णु प्रभाकर’ द्वारा रचित ‘आवारा मसीहा’ के प्रथम पर्व ‘दिशाहारा’ का एक अंश है। विधा की दृष्टि से यह एक जीवनी है, जिसमें महान कथा-शिल्पी शरत्चंद्र के जीवन के विभिन्न रंगों को बहुत सूक्ष्मता से उकेरा गया है। इस पाठ में शरत्चंद्र के बचपन से किशोरवय तक की यात्रा के विविध पहलुओं को इस प्रकार वर्णित किया गया है, जिससे शरत्चंद्र के जीवन के समस्त अनुभवों की गहराई और विस्तार को एक नया कैनवस प्राप्त हुआ। बचपन की शरारतों में भी एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं। इनके रचना-संसार के समस्त पात्र वस्तुतः इनके वास्तविक जीवन के ही पात्र हैं। फिर चाहे वह ‘देवदास’ की पारो, ‘बड़ी दीदी’ की माधवी, ‘काशीनाथ’ का काशीनाथ या ‘श्रीकांत’ की राजलक्ष्मी ही हो, सभी पात्र रचनाओं में काल्पनिक प्रतीत होते हुए भी जीवंत हैं। पाठ में उन सभी परिस्थितियों को भी उजागर किया गया है, जो उनके रचनाकार बनने की आधार-भूमि और प्रेरणा-स्रोत बने। संघर्घशील और अभावग्रस्त जीवन की हर चोट का सामना करते हुए उन्होंने एक जुझारू व्यक्तित्व का भी परिचय दिया है।
‘आवारा मसीहा’ तीन पर्वों में विभाजित है। प्रथम पर्व ‘दिशाहारा’ में शरत् बाबू के बचपन से लेकर युवावस्था के आरंभ तक की कहानी कही गई है। शरत् का जन्म बंगाल के एक साधारण गाँव देवानंदुर में 15 सितंबर, 1876 ई० को हुआ था। उनके पिता मोतीलाल चट्टोपाध्याय यायावर प्रकृति के स्वप्नदर्शी व्यक्ति थे।
जीविका का कोई भी धंधा उन्हें बाँध कर नहीं रख सकता था, लेकिन गृहस्थी के लिए कोई-न-कोई कामकाज अनिवार्य रूप में करना पड़ता है। यही कारण था कि चारों ओर से लांछित होकर भी उन्हें बार-बार नौकरी की तलाश करनी पड़ती थी। नौकरी मिल भी जाती थी, परंतु अपने शिल्पी मन और दासता के बंधन में कोई समझौता न हो पाने के कारण वे शीच्र नौकरी से त्याग-पत्र देकर साहित्य-साधना में जुट जाते थे। कितु उनकी सारी कला-साधना व्यर्थ रही और परिवार का भरण-पोषण करना भी उनके लिए असंभव हो गया। यह सब देखकर उनकी पत्नी भुवनमोहिनी ने पहले तो बहुत कहा-सुनी की, किंतु जब उस कहा-सुनी का उन पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखाई दिया, तो वह उन्हें तथा बच्चों को लेकर अपने पिता केदारनाथ के यहाँ भागलपुर चली गई। भागलपुर में घर-जँवाई बनकर रहने के कारण मोतीलाल को जो मानसिक पीड़ा उठानी पड़ी थी, शरत्चंद्र ने अपने सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘काशीनाथ’ में उसका यथावत रूप में चित्रण किया है। इस प्रकार साहित्यिक बनने के सारे संस्कार तो शरत् बाबू को पैतृक-दाय के रूप में मिले ही, साथ-साथ पिता की यायावरी वृत्ति भी पैतृक-संपत्ति के रूप में मिली।
भागलपुर में नाना के घर में, दुर्गाचरण एम॰ई० स्कूल में छात्रवृत्ति-परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत अंग्रेज़ी स्कूल के कठोर अनुशासन में रहने के कारण शरत् में विभिन्न संस्कार-विरोधी प्रवृत्तियों का विकास हुआ, जिन्होंने किसी सीमा तक उन्हें ‘आवारा’ बना दिया। पशु-पक्षी पालना, तितली पालना, उपवन लगाना, नदी या तालाब में से मछलियाँ पकड़ना, नाव लेकर नदी में सैर करना तथा बाग से फल चुराना इत्यादि शौक उनके जीवन के अभिन्न अंग हो गए। शरत् के सभी प्रमुख पात्रों में ये प्रवृत्तियाँ देखी जा सकती हैं। जीवन के प्रथम पर्व में, भागलपुर में रहते हुए शरत् का परिचय नाना के पड़ोसी मजूमदार परिवार के राजू से हुआ, जो साहसिकता में रोबिनहुड को भी मात कर सकता था। राजू के निर्भीक तथा दुस्साहसी व्यक्तित्व ने शरत् को बहुत प्रभावित किया। आगे चलकर वही राजू उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘श्रीकांत’ का एक प्रमुख पात्र इंद्रनाथ बना। भागलपुर में रहते हुए घुमक्कड़ी, दुस्साहसिकता, परोपकार की भावना इत्यादि प्रवृत्तियों ने इतना विकास पाया कि वे आजीवन उनसे जुड़ी रहीं।
पाँच वर्ष की आयु में ही शरत् को उनके गाँव देवानंदपुर में प्यारी पंडित की पाठशाला में दाखिल कराया गया, जहाँ उनकी दोस्ती उनके एक मित्र की बहिन से हो गई, जिसका नाम धीरू था। धीरू, शरत् की प्रत्येक शरारत में सहभागिनी रहती थी। बहुत दिन बाद् शैशव की इस संगिनी को आधार बनाकर शरत् ने अपने कई उपन्यासों की नायिकाओं का सृजन किया। इसी जीवन-पर्व में बाल-विधवा निरुपमा के प्रति उनके प्रेम का उदय हुआ, जिसकी अभिव्यक्ति भिन्न-भिन्न रूपों में उनके उपन्यास-साहित्य में स्पष्ट रूप में देखी जा सकती है।
इसी जीवन-काल में शरत् की घनिष्ठता मसूरगंज में रहने वाली कालीदासी नामक वेश्या से हुई, जिसके परिणामस्वरूप एक आवारा और चरित्रहीन के रूप में वे इतना कुख्यात हो गए कि अपने नाना के घर के अंदर भी उन्हें खाँसकर घुसना पड़ता था, जिससे कि उसकी वयस्क बहिनें घर के अंदर चली जाएँ। अंतत: एक दिन उसके लिए नाना के घर के दरवाज़े सदा के लिए बंद हो गए। कालीदासी के अतिरिक्त मुज़फ़्फ़रनगर में रहते हुए पुंटी तथा राजबाला नामक वेश्याओं से भी शरत् का घनिष्ठ संपर्क रहा और उन्होंने नारी-जीवन का मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया। फलतः नारियों के प्रति शरत् में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण का उदय हुआ।
शब्दार्थ :
पृष्ठ 37-नवासा-बेटी का बेटा, धेवता, नाती (a daughter’s son, grandson)। निस्तब्धता-गतिहीनता, शांत वातावरण (calm environment)। सूत्र-ज़रिया, माध्यम (source, medium)। स्तूप-मिट्टी या पत्थर का ऊँचा टीला (a Budhist monument, top)। झाऊ-छोटी झाड़ (small bushes)।
पृष्ठ 38-महाविपद-बहुत बड़ा संकट (great trouble)। अलंकार-आभूषण (ornament, jewellery)। तगड़ी-कमर पर पहनने का एक आभूषण (gold or silver chain wound round the waist)। यायावर प्रकृति-घुमक्कड़ी स्वभाव (wandering nature)। स्वप्नदर्शी-कल्पनालोक में विचरण करने वाला (dreamer)। जीविका-जीने के साधन (livelihood, means of living)। बाँधकर न रखना-स्थायी रूप से न करना (not to do permanently)। लांछित-आरोपित, अपमानित (charged, guilty)। सामंजस्य-तालमेल (adaptation)।
पृष्ठ 39-मानचित्र-नक्शा (map)। अंकन-चिह्न लगाना, मूल्य लगाना (to mark)। घर-जँववाई-ससुर के घर रहने वाला दामाद (one who lives in his father-in-law’s home)। निस्संकोच-बिना संकोच के (without hesitation)। मौसी-माँ की बहिन (aunty)। सहपाठी-साथ पढ़ने वाला (classmate)। सहोदर-सगे भाई, एक ही माँ से उत्पन्न (own brother)।
पृष्ठ 40-अग्रणी-आगे (forward)। समवेत-संचित या मिलाया हुआ (collective)।
पृष्ठ 41-पलायन-भागना (flight)। अस्तबल-घोड़ों के बाँधने का स्थान (stable)। अक्षम्य-क्षमा न करने योग्य (unpardonable)। संधि-विच्छेद-संधिगत शब्दों को पृथक-पृथक करना (disjunction)।
पृष्ठ 42-अभिभावक-संरक्षक (guardian)। निमिष-मात्र–क्षण भर (a moment)। अभिनय करना-नाटक करना (to act)। निदेशक-सूत्रधार, डाइरेक्टर (director)। मुख-भंगी-मुख-मुद्रा (stance of mouth)। दलपति-दल का मुखिया (head of the grouper party)। नेतृत्व-संचालन (leadership)। अनायास-सहसा, अचानक (suddenly)। कृतार्थ-संतुष्ट (satisfy)।
पृष्ठ 43 -तलैया-छोटा तालाब (a pond)। अनुशासन-नियमों का पालन (discipline)। प्रतिभा-योग्यता (ability)। वर्जित-निषिद्ध, मनाही (prohibited)। निष्पात-पारंगत, कुशल (expert)।
पृष्ठ 44-कलमुँहे-एक प्यारी-सी गाली (unfortunate)। प्रचुर मात्रा-अत्यधिक (excessive)। सौंदर्य-बोध-सुंदरता की परख (sense of beauty)। अपरिग्रही-किसी से कुछ ग्रहण न करने वाला (one who accepts nothing from others)। भार-मुक्ति-उत्तरदायित्व से छुटकारा (freedom from responsibility)। स्वल्पाहारी-कम मात्रा में भोजन करने वाला (a person who eats in less quantity)।
पृष्ठ 45-लोभ संवरण करना-मन को रोकना (to control greed)। अकारण-बिना कारण के (without any reason)। हुंकार-उग्रता के साथ जोर से आवाज़ लगाना (roar)। ताल-तालाब (pond)। दुर्गति-बुरी दशा (misery)।
पृष्ठ 46-परामर्श-सलाह (consultation)। विपद्-विपत्ति (adversity)। आतुर-बेचैन (restless)। जनमेजय का नागयज्ञ-महाभारत के एक राजा की कथा, जिसने नागों का विनाश किया था (story of a king of Mahabharat who destroyed snakes)। विषाक्त-ज़हर से भरा हुआ (full of poison)। गोखरू साँप-एक भयंकर विषैला साँप (a dangerous poisonous snake)। भयातुर-भय से व्याकुल (fear striken)। सनातन रीति-परंपरागत प्रणाली (traditional custom)। संहार करना-मारना (to annihilate)।
पृष्ठ 47-मृत्युंजय-मृत्यु को जीतने वाला (a person who has overcome death)। कथाशिल्पी-कथाकार, कहानी-लेखक (story-writer)। गैरहाज़िर-अनुपस्थित (absent)। अनुनय-विनय-निवेदन (request)। साक्षी-गवाह (witness)।
पृष्ठ 48-आच्छन्न-छिपा हुआ (hidden)। उज्ज्वल-स्वच्छ, श्वेत (fair, white)। स्निग्ध हरित प्रकाश-ऐसा हरा प्रकाश, जिसमें चमक और शीतलता हो (green light with coolness and shining)। आँखें जुड़ाने लरीं-आँखों में तृप्ति का भाव (satisfaction in eyes)। गद्गद होना-प्रसन्न होना (to be happy)। खरस्रोता-तीव्र धार वाली (sharp-edged)। मृदु-कोमल (soft)। पुलक-प्रसन्नता, रोमांच (excitement)। दिमाग-बुद्धि (brain)। तपोवन-तप करने का एकांत स्थान (a place to meditate)। उपासना-पूजा-अर्चना (worship)।
पृष्ठ 49-एक वर्ष लाँघकर-एक साल छोड़कर (after one year)। युगसंधि-दो युगों का मिलन समय (joining to age of two eras)। वय-उम्र, जवानी (age, youthful)। विदीर्ण-भेदना (to pierce)।
पृष्ठ 50-मनस्तत्व-विद्या संबंधी (education-related)। घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध-व्यक्ति की महत्ता अपने गाँव या आसपास में न होकर बाहर होती है (one who does not have importance in locality)। संदेशवाहक-संदेश लाने वाला (messenger)। अपार व्यथा-अत्यधिक दुख (extreme sorrow)। पारितोषिक-पुरस्कार (prize)। जुगाड़ करना-व्यवस्था करना (to arrange)।
पृष्ठ 51-परनिंदा-दूसरों की बुराई (to say unpleasant words for others)। बारी-नंबर, अवसर (chance)। मर्मस्पर्शी-हृदय को छूने वाला (heart-touching)। निस्पंद-कंपन रहित (shiverless)। उपार्जन-पैदा करना, सीखना (to learn)। युगांतकारी रचना-क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली प्रसिद्ध कृति या रचना (writing that brings revolutionary change)। अनुभूति-अनुभव (experience)। आतंकित-भयभीत (afraid)। शैशव-बचपन (childhood)। यौवन-जवानी (youth)। व्यवधान-बाधा (obstacle)। अपराजेय-जिसे हराया न जा सके (a person who cannot be defeated)।
पृष्ठ 52-स्वपदर्शी-कल्पना में विचरण करने वाला (visionary)। मरुस्थल-रेगिस्तान (desert)। शाद्वल-नई हरी घास से युक्त (covered with newly grown grass)। अपरिसीम–जिसकी कोई सीमा न हो (limitless, which has no limit)। उपरांत-बाद में (after)। महसूस करना-अनुभूत होना (to feel)। कड़ाहा-लोहे का वृत्ताकार बड़ा एवं छिछला बर्तन (cauldron, a large boiling vessel)। देह-शरीर (body)।
पृष्ठ 53-व्ययसाध्य-खर्चीला (extravagant)। पित्हीन-जिसका पिता मर चुका हो (one whose father has been died)। आजानबाहू-घुटनों तक बाँहें हों जिसकी (a person whose hands are long enough to reach knee)। पुरातनपंथी-प्राचीन परंपराओं पर विश्वास करने वाला (traditionist)।
पृष्ठ 54-स्वाधीनचेता-स्वतंत्र विचार रखने की प्रवृत्ति (open-minded)। सरंजाम जुटाना-साधन एकत्रित करना (to collect equipments)। माँझा-पतंग की डोरी (string that is applied a kind of paste and is used in flying kite)। अपूर्व-अनोखी, असाधारण (unique)। प्रत्युत्पन्नमति – तुरंतबुद्धि, हाज़िरज़वाबी (presence of mind)।
पृष्ठ 55-सराहना-प्रशंसा (praise)। संभ्रांत-धनी (rich)। प्रबल-बलशाली (powerful)। अनर्थ-बहुत बुरा (misfortune)।
पृष्ठ 56-हतप्रभ-विमूढ़-हैरान, क्या करें यह समझ में न आना (confounded)। घोर दारिद्रय-भयंकर गरीबी (extreme poverty)। परिश्रमशील-मेहनती (hardworking)। मुक्त होकर वरण करना-खुले हाथ स्वागत करना (a warm welcome)। कुलीन-अच्छे परिवार में जन्मा हुआ (a well-born)। चचिया ससुर-पत्नी के चाचा (wife’s uncle)। स्पष्टवादी-साफ़-साफ़ कहने वाला (one who relates traight forwardly)। घनिष्ठता-अत्यंत निकटता (intimacy)।
पृष्ठ 57-दक्षिणद्वारी-जिसका मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की ओर हो (main gate in south direction)। वैदूर्य-लहसुनिया नामक रत्न (baryl)। अंतर-हृदय (heart)। रूपसी-सुंदर, रूपवती (beautiful)। यायावर-घुमक्कड़ (wanderer)। बंगाब्द -बंगाली संवत् (Bengali year)। आश्विन-क्वार का महीना (Hindu month name Kwar as September)। कृष्णा द्वादशी-कृष्ण पक्ष की बारहवीं तिथि (twelth date of no-moon night)। शकाब्द-शक संवत् (Saka year)। कैशोर्य काल-किशोरावस्था, बचपन और यौवन के मध्य का समय (adolescence)।
पृष्ठ 58-पोशाक-पहनने के कपड़े (dress)। आत्मोत्सर्ग-आत्मबलिदान (self-sacrifice)। सीधी-सादी प्रकृति-सरल स्वभाव (simple nature)। द्रवित-पिघलना, प्रभावित होना (melting)। अकर्मणयता-काम न करने की भावना (laziness, idleness)। बाकायदा-विधिवत (according to the rule)। शब्दश:-ज्यों-का-त्यों, पूर्णतः (completely)।
पृष्ठ 59-चीत्कार-चीखना-चिल्लाना (shout)। कपाल-खोपड़ी, सिर (skull)। मति-बुद्धि (wisdom)।
पृष्ठ 60-सुभीते-सुविधा (facility)। माल्यार्पण-माला गले में डालना (offering a garland)। गुड्डी-पतंग (kite)।
पृष्ठ 61-मूड़ी-मुरमुरे, चावल का भुना रूप (parched rice)। प्रगाढ़ – गहरी (deep, serious)। सृजन-निर्माण, रचना (creation)।
पृष्ठ 62-विराट-बड़ा (huge)। निरुद्वेग-शांत, उद्वेग रहित (calm)। यथेष्ट-पर्याप्त, काफ़ी (enough)। शागिर्द-शिष्य (pupil)। अँगोछा-पतले कपड़े का तौलिया (a serviette)। डोंगी-छोटी नाव (a small boat)।
पृष्ठ 63-खिरनियाँ-एक वृक्ष जिस पर छोटे-छोटे पीले फल आते हैं (the tree mimusops kauli and its fruits)। अल्पकालिक-थोड़े समय का (of small duration)। नगण्य-न गिनने योग्य (uncountable)। पाट-नदी की चौड़ाई (breadth of river)। सिवार-एक जलीय पौधा, शैवाल (an aquatic plant, moss)। अदा करना-भुगतान करना (to pay)।
पृष्ठ 64-पोखर-ग्रामीण तालाब जो वर्षा के पानी से स्वतः बन जाते हैं (a puddle)। हतप्रभ-हैरान (amazed)। कमचियाँ-बाँस आदि की पतली टहनी (strip of bamboo)। आफ़त-आपदा, दुख, कष्ट (disaster)।
पृष्ठ 65-सोटा-डंडा (stick)। अनाश्रित-जो किसी पर आश्रित न हो (one who not depending on others)। पृष्ठ 66-व्याघात-अवरोध, बाधा (hindrances, obstruction)। विद्रोह-बगावत (revolt)। वर्णश्यामता-साँवला रंग (tawny, brownish)।
पृष्ठ 67-तीक्ष्ण-तेज़ (keen)। पथश्रष्टता-सही मार्ग पर न चलना (to not follow the right path)। जुगाड़ करना-व्यवस्था करना (to manage)। मकान गिरवी रखना-पैसा लेकर मकान दूसरे के अधिकार में देना (to mortgage house)।
पृष्ठ 68-निविड़-घना, घोर (dense, thick)। पूर्व निर्दिष्ट-पहले से निश्चित (already decided)। उत्पात-शरारत (violence)। निषेध-मनाही (prohibited)। स्फुरण-काँपना, हिलना, फड़कना (to shiver)।
पृष्ठ 69-जनश्रुति-समाज में प्रसिद्धि (famous in society)। जनहीन-सुनसान (lonely place)। एकाकी-अकेला (lonely)। नि:शब्द-चुपचाप (silent)। गुरुभाई-अपने गुरु का शिष्य (a fellow student)। पर्यवेक्षण-देखना (supervision)। अभिज्ञता-जानकारी (knowledge)। धर्मशीला-वह स्त्री जो धर्म के अनुसार आचरण करे (a religious woman)।
पृष्ठ 70-गप्प-छोटी कहानी (a small story)। पल्लवित-फलना-फूलना (to flourish)। पारंगत-निपुण (expert)।
पृष्ठ 71-परदुख कातर-दूसरे के दुख से भयभीत (afraid from others’ sorrow)। पदस्खलन-अपने मार्ग से भटकना, पतन होना (downfall)। हृदयहीन-कठोर (hard hearted, heartless)। मरणासन्न-जिसकी मृत्यु निकट दिखाई देती हो (on the verge of death)। पैशाचिक-राक्षसी (infernal))
पृष्ठ 72 -प्रायश्चित-पछतावा (expiation)। अक्षय-कभी नष्ट न होने वाले (eternal)।
पृष्ठ 73-संवेदन-अनुभूति (sensation)। अपाठ्य पुस्तकें-न पढ़ने योग्य पुस्तकें (illegible books)। अभिज्ञता-जानकारी (knowledge)।
पृष्ठ 74-आश्रय-शरण (shelter)। एका-एकता (unity)।
पृष्ठ 75-विकृत-बेडौल, कुरूप (ugly, deformed)। अतिक्रमण-उल्लंघन (violation)।
पृष्ठ 76-यातना-पीड़ा (torture)। बीजारोपण-बीज बोने की क्रिया (to sow seeds)।