Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 8 निर्माण उद्योग will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 8 in Hindi Question Answer निर्माण उद्योग
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
कच्चे माल और निर्मित उत्पादों की प्रकृति पर कौनसा कारक सर्वाधिक निर्भरता रखता है?
(क) परिवहन मूल्य
(ग) पूँजी
(ख) बाजार
(घ) श्रम।
उत्तर:
(क) परिवहन मूल्य
प्रश्न 2.
भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी ने अपना पहला कारखाना कहाँ स्थापित किया था?
(क) हीरापुर
(ख) कुल्टी
(ग) बर्नपुर
(घ) दुर्गापुर।
उत्तर:
(क) हीरापुर
प्रश्न 3.
‘स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया’ (SAIL) की स्थापना कब हुई थी?.
(क) 1956 में
(ख) 1964 में
(ग) 1973 में
(घ) 1982 में।
उत्तर:
(ग) 1973 में
प्रश्न 4.
‘हिन्दुस्तान शिपयार्ड’ कहाँ स्थित है?
(क) महाराष्ट्र
(ख) कर्नाटक
(ग) केरल
(घ) विशाखापट्टनम्।
उत्तर:
(घ) विशाखापट्टनम्।
प्रश्न 5.
भारत का पहला पत्तन आधारित संयन्त्र कौनसा है ?
(क) सेलम इस्पात संयन्त्र
(ख) विजाग इस्पात संयन्त्र
(ग) बोकारो इस्पात संयन्त्र
(घ) टाटा लौह-इस्पात कम्पनी।
उत्तर:
(ख) विजाग इस्पात संयन्त्र
प्रश्न 6.
सर्वाधिक सूती वस्त्र मिलें कहाँ स्थित हैं ?
(क) तमिलनाडु
(ग) गुजरात
(ख) महाराष्ट्र
(घ) पश्चिम बंगाल।
उत्तर:
(क) तमिलनाडु
प्रश्न 7.
सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी (CIPET) का प्रमुख कार्य है –
(क) पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रशिक्षण देना।
(ख) कृत्रिम रेशा निर्माण में प्रशिक्षित करना।
(ग) भारी विद्युत मशीनरी उद्योग में प्रशिक्षण देना।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रशिक्षण देना।
प्रश्न 8.
जूट उद्योग का मुख्य केन्द्रीकरण निम्न में से कहाँ है?
(क) हावड़ा और भटपारा
(ख) त्रिवेणी और हुगली
(ग) श्यामनगर और रिशरा
(घ) हावड़ा और रिशरा।
उत्तर:
(क) हावड़ा और भटपारा
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कृषि आधारित मौसमी उद्योग कौनसा है ?
उत्तर:
चीनी उद्योग’ कृषि आधारित मौसमी उद्योग है।
प्रश्न 2.
मुम्बई- पुणे औद्योगिक प्रदेश के विकास के लिए उत्तरदायी कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
- कपास के पृष्ठ प्रदेश में स्थित होना तथा नम जलवायु होना।
- 1869 में स्वेज नहर का खुलना।
प्रश्न 3.
कृषि पर आधारित दो उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
- सूती वस्त्र उद्योग तथा
- चीनी उद्योग।
प्रश्न 4.
भारत में एक निजी तथा एक सार्वजनिक क्षेत्र के लौहा – इस्पात संयंत्र का नाम बताइये।
उत्तर:
- निजी क्षेत्र टाटा लौह इस्पात कंपनी।
- सार्वजनिक क्षेत्र – राउरकेला इस्पात संयंत्र।
प्रश्न 5.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना काल में स्थापित इस्पात संयन्त्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
राउरकेला इस्पात संयंत्र (उड़ीसा), भिलाई इस्पात संयंत्र (छत्तीसगढ़) और दुर्गापुर इस्पात संयंत्र (पश्चिम बंगाल)।
प्रश्न 6.
भारत में सबसे पहले जूट उद्योग की स्थापना कब और कहाँ की गई थी ?
उत्तर:
कोलकाता के निकट रिशरा में 1855 में।
प्रश्न 7.
1991 में घोषित नवीन औद्योगिक नीति के प्रमुख लक्ष्य क्या थे?
उत्तर:
उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।
प्रश्न 8.
भारत का कौनसा शहर ‘सूती कपड़ों की ‘राजधानी’ कहलाता है ?
उत्तर:
महाराष्ट्र का मुम्बई शहर।
प्रश्न 9.
‘भारत का मानचेस्टर’ एवं ‘उत्तरी भारत का मानचेस्टर’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
- भारत का मानचेस्टर – गुजरात का अहमदाबाद शहर।
- उत्तरी भारत का मानचेस्टर – उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर।
प्रश्न 10.
उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
सामान्यतया मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का रूप बदलकर उनको उपयोग में लेने योग्य बनाने की क्रिया उद्योग कहलाती है।
प्रश्न 11.
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
उद्योगों को स्वामित्व के आधार पर मुख्यतः तीन वर्गों –
- सार्वजनिक क्षेत्र
- निजी क्षेत्र और
- सहकारी (मिश्रित) क्षेत्र में बाँटा गया है।
प्रश्न 12.
सार्वजनिक उद्योगों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यह उद्योग सरकार द्वारा नियन्त्रित कम्पनियाँ या निगम हैं, जो सरकार द्वारा पूँजी प्रदत्त होते हैं। इसमें मुख्यतः सामरिक और राष्ट्रीय महत्त्व के उद्योग आते हैं।
प्रश्न 13.
उत्पादों के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
उत्पादों के आधार पर उद्योगों के चार प्रकार हैं –
- मूल पदार्थ उद्योग
- पूँजीगत पदार्थ उद्योग
- मध्यवर्ती पदार्थ उद्योग और
- उपभोक्ता पदार्थ उद्योग ।
प्रश्न 14.
उद्योगों की अवस्थिति किन कारकों से प्रभावित होती है ?
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति कई कारकों, जैसे- कच्चे माल की उपलब्धता, ऊर्जा, बाजार, पूँजी, परिवहन, श्रम आदि कारकों द्वारा प्रभावित होती है।
प्रश्न 15.
भारत में लौह-1 ह-इस्पात उद्योग मुख्यतः कोयला अथवा लौह-अयस्क क्षेत्रों के समीप ही क्यों स्थापित किये गये हैं?
उत्तर:
क्योंकि लोहा-इस्पात उद्योग में लोहा और कोयला, दोनों ही भार ह्रास वाले कच्चे माल हैं।
प्रश्न 16.
देश में लौह अयस्क स्रोत के निकट स्थित किन्हीं तीन लौह-इस्पात संयन्त्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
देश में मुख्यत: विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स, राउरकेला इस्पात संयन्त्र और भिलाई इस्पात संयन्त्र लौह-अयस्क क्षेत्रों के निकट अवस्थित हैं 1
प्रश्न 17.
ऊर्जा स्रोतों के निकट स्थित किन्हीं दो उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
एल्युमिनियम और कृत्रिम नाइट्रोजन निर्माण उद्योगों की स्थापना विशेषत: शक्ति (ऊर्जा) स्रोतों के निकट की जाती है।
प्रश्न 18.
बाजार अभिमुख उद्योग कौनसे होते हैं?
उत्तर:
वस्तुतः जिन उद्योगों की स्थापना उच्च माँग क्षेत्रों के समीप की जाती है, वे बाजार अभिमुख उद्योग कहलाते हैं, जैसे—भारी मशीन, सूती वस्त्र उद्योग ।
प्रश्न 19.
पेट्रोलियम परिशोधनशालाओं की स्थापना विशेषत: बाजारों के समीप क्यों की जाती है ?
उत्तर:
क्योंकि अपरिष्कृत तेल का परिवहन आसान होता है और इनसे प्राप्त कई उत्पादों का अन्य कई उद्योगों में कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 20.
भिलाई और राउरकेला में लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:
देश के पिछड़े जनजातीय क्षेत्रों के विकास को ध्यान रखकर ही भिलाई और राउरकेला में लौह-इस्पात संयन्त्रों की स्थापना की गई थी।
प्रश्न 21.
लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग के लिए लौह अयस्क, कोककारी कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज और अग्निसहमृत्तिका आदि कच्चे माल की जरूरत होती है।
प्रश्न 22.
इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (IISCO) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले संयन्त्र कौनसे हैं ?
उत्तर:
हीरापुर, कुल्टी और बर्नपुर स्थित लौह-इस्पात संयन्त्र इण्डियन आयरन स्टील कम्पनी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
प्रश्न 23.
दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र की स्थापना किसके सहयोग से हुई थी ?
उत्तर:
दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र की स्थापना यूनाइटेड किंगडम की सरकार के सहयोग से पश्चिम बंगाल में की गई थी।
प्रश्न 24.
रूस के सहयोग से स्थापित संयन्त्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
- भिलाई इस्पात संयंत्र – दुर्ग (छत्तीसगढ़ में )।
- बोकारो इस्पात संयंत्र – बोकारो (झारखंड में)।
प्रश्न 25.
देश में दामोदर घाटी कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित किन्हीं तीन लौह इस्पात संयन्त्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
देश में हीरापुर, कुल्टी और बर्नपुर लौह-इस्पात संयन्त्र दामोदर घाटी कोयला क्षेत्रों के निकट अवस्थित हैं।
प्रश्न 26.
भारत में पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना कहाँ की गई थी?
उत्तर:
भारत में पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना 1854 में मुम्बई में की गई थी।
प्रश्न 27.
तमिलनाडु में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का क्या कारण है?
उत्तर:
तमिलनाडु में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण मिलों के लिए प्रचुर मात्रा में जल विद्युत शक्ति की उपलब्धता है।
प्रश्न 28.
देश के किन क्षेत्रों में सस्ते श्रम के आधार पर सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना की गई ?
उत्तर;
देश में उज्जैन, भरूच, आगरा, हाथरस, कोयंबटूर, तिरुनेलवेली आदि क्षेत्रों में सस्ते श्रम के कारण सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना की गई।
प्रश्न 29.
सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
भारत में वर्तमान में अहमदाबाद, भिवांडी, शोलापुर, कोल्हापुर, नागपुर, इंदौर और उज्जैन सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं।
प्रश्न 30.
गंगा-यमुना दोआब में स्थित उत्तर प्रदेश के प्रमुख चीनी उत्पादक जिलों के नाम बताइये।
उत्तर;
गंगा-यमुना दोआब में मुख्यतः सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और बुलंदशहर मुख्य चीनी उत्पादक जिले हैं।
प्रश्न 31.
उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग किन क्षेत्रों में विकसित हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग विशेषतः दो पेटियों-गंगा, यमुना, दोआब और तराई प्रदेश में केन्द्रित हैं।
प्रश्न 32.
पेट्रो रसायन उद्योग के प्रमुख उप-वर्गों के नाम बताइये।
उत्तर:
पेट्रो रसायन उद्योग वर्ग को मुख्यतः चार उप- वर्गों में विभाजित किया जाता है। वे हैं- पॉलीमर, कृत्रिम रेशे, इलेस्टोमर्स और पृष्ठ संक्रियक।
प्रश्न 33.
भारत में पटाखा उद्योग केन्द्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
औरैया (उ. प्र.), गांधीनगर, हजीरा, जामनगर (गुजरात), हल्दिया (प. बंगाल), थाने, रत्नागिरी (महाराष्ट्र ) और विशाखापट्टनम।
प्रश्न 34.
नेफ्था पर आधारित मुम्बई का पहला रासायनिक उद्योग कौनसा था ?
उत्तर:
सार्वजनिक सेक्टर में 1961 में स्थापित ‘द नेशनल आर्गेनिक केमिकल्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ (NOCIL), नेफ्था पर आधारित मुम्बई का पहला रासायनिक उद्योग था।
प्रश्न 35.
संश्लिष्ट तन्तु (सिंथेटिक फाइबर) का मुख्य उपयोग क्या है?
उत्तर:
संश्लिष्ट तन्तु को अपने मजबूती, टिकाऊपन, प्रक्षालनता, धोने पर न सिकुड़ना आदि गुणों के कारण कपड़ा बनाने में प्रयोग में लिया जाता है।
प्रश्न 36.
नायलॉन तथा पॉलिस्टर धागा बनाने के संयन्त्र कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर:
भारत में नायलॉन तथा पॉलिस्टर धागा बनाने के संयन्त्र मुख्यतः कोटा, पिंपरी, मुम्बई, मोदीनगर, पुणे, उज्जैन, नागपुर एवं उधना में लगाये गए हैं।
प्रश्न 37.
मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
मुम्बई के पृष्ठ प्रदेश कपास उत्पादक क्षेत्र होने एवं मुम्बई की नम जलवायु के कारण ही मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ।
प्रश्न 38.
मुम्बई- पुणे औद्योगिक प्रदेश के विकास का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर:
मुम्बई- पुणे औद्योगिक प्रदेश का विकास मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ प्रारम्भ हुआ था।
प्रश्न 39.
हुगली औद्योगिक प्रदेश का किस कारण से अधिक विकास नहीं हो पाया है?
उत्तर;
जूट उद्योग, जो इस प्रदेश का मुख्य उद्योग है, में अवनति के कारण इस औद्योगिक प्रदेश का विकास अपेक्षाकृत कम हुआ है।
प्रश्न 40.
बंगलौर – चेन्नई औद्योगिक प्रदेश के औद्योगिक स्तम्भ किन्हें कहा गया है?
उत्तर;
वायुयान (एच. ए. एल. ) मशीन उपकरण, टेलीफोन और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को इस प्रदेश के औद्योगिक स्तम्भ कहा गया है।
प्रश्न 41.
गुजरात औद्योगिक प्रदेश में पेट्रो- रासायनिक उद्योगों की स्थापना किन क्षेत्रों में हुई है?
उत्तर:
गुजरात औद्योगिक प्रदेश में तेल क्षेत्रों की खोज के कारण पेट्रो- रासायनिक उद्योगों की स्थापना अंकलेश्वर, बड़ोदरा और जामनगर के चारों ओर हुई है।
प्रश्न 42.
छोटा नागपुर प्रदेश में भारी उद्योगों की स्थापना का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
दामोदर घाटी में कोयला और झारखण्ड एवं उत्तरी ओडिशा में धात्विक और अधात्विक खनिजों की निकटता ।
प्रश्न 43.
छोटा नागपुर प्रदेश के महत्त्वपूर्ण उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
भारी इंजीनियरिंग, मशीन औजार, उर्वरक, सीमेंट, कागज, रेल इंजन और भारी विद्युत उद्योग इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं।
प्रश्न 44.
छोटा नागपुर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र कौनसे हैं ?
उत्तर:
रांची, धनबाद, चैबासा, सिंदरी, हजारीबाग, जमशेदपुर, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर, आसनसोल और डालमियानगर, इस प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर:
उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योग निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-
- मूल पदार्थ उद्योग
- पूँजीगत पदार्थ उद्योग
- मध्यवर्ती पदार्थ उद्योग
- उपभोक्ता पदार्थ उद्योग।
प्रश्न 2.
गुरुग्राम- दिल्ली-मेरठ प्रदेश में छोटे और बाजार अभिमुखी उद्योगों की स्थापना का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
गुड़गांव-दिल्ली-मेरठ प्रदेश खनिज और विद्युत शक्ति संसाधनों से बहुत दूर स्थित है। इस कारण इस प्रदेश में बड़े तथा आधारभूत उद्योगों की स्थापना में कठिनाइयाँ हैं। अतः इस औद्योगिक प्रदेश में मुख्यत: इलेक्ट्रॉनिक, हल्के इंजीनियरिंग और विद्युत उपकरण जैसे छोटे और बाजार अभिमुखी उद्योगों की स्थापना की गई है।
प्रश्न 3.
विनिर्माण उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः मानव द्वारा प्राकृतिक रूप से प्राप्त कच्चे माल का रूप बदलकर इनसे अधिक उपयोगी तैयार माल प्राप्त करने की क्रिया को विनिर्माण उद्योग कहा जाता है। अतः किसी भी वस्तु का उत्पादन विनिर्माण कहलाता है। विनिर्माण उद्योग मानव का एक सहायक अथवा द्वितीयक व्यवसाय है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों से अधिक उपयोगी वस्तु का निर्माण किया जाता है, जैसे- लकड़ी से लुग्दी एवं कागज का निर्माण, कपास से सूत और सूत से कपड़े का निर्माण करना आदि।
प्रश्न 4.
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण संक्षेप में लिखिये।
उत्तर:
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण निम्न प्रकार है –
- कच्चे माल की उपलब्धता
- शक्ति के साधन
- बाजार की निकटता
- परिवहन के साधन
- सस्ता श्रम
- ऐतिहासिक कारक
- औद्योगिक नीति
- पूँजी की सुलभ प्राप्ति।
प्रश्न 5.
निर्माण उद्योग को किस प्रकार के स्थान पर स्थापित करना चाहिए?
उत्तर:
उद्योगों की स्थिति में कच्चे माल की उपलब्धता, शक्ति, बाजार, पूँजी, यातायात और श्रम इत्यादि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। निर्माण उद्योगों में इन कारकों का महत्त्व और बढ़ जाता है। अतः आर्थिक दृष्टि से, निर्माण उद्योग को उस स्थान पर स्थापित करना चाहिए जहाँ उत्पादन मूल्य और निर्मित वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक वितरण करने का मूल्य न्यूनतम हो। परिवहन मूल्य एक बड़ी सीमा तक कच्चे माल और निर्मित उत्पादों की प्रकृति पर निर्भर करता है।
प्रश्न 6.
औद्योगिक नीति किस प्रकार उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करती है?
उत्तर;
किसी देश की औद्योगिक नीति भी उद्योगों की अवस्थिति को बहुत प्रभावित करती है। जैसे– एक प्रजातांत्रिक देश होने के कारण भारत की औद्योगिक नीति का उद्देश्य संतुलित प्रादेशिक विकास के साथ आर्थिक संवृद्धि लाना है। भिलाई और राउरकेला में लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना देश के पिछड़े जनजातीय क्षेत्रों के विकास के निर्णय पर आधारित थी। वर्तमान समय में भारत सरकार पिछड़े क्षेत्रों
में स्थापित उद्योग-धंधों को अनेक प्रकार के प्रोत्साहन देती है।
प्रश्न 7.
भारत में चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में ही क्यों अवस्थित हैं?
उत्तर;
गन्ना मुख्यतः एक भार ह्रास वाली फसल है। गन्ने को खेतों में काटकर एकत्रित करने से लेकर ढुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा सूखती रहती है। गन्ने को खेत से काटने के 24 घण्टे के अन्दर ही पेरा जाये तब इससे अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। इसी कारण देश में अधिकांश चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में ही अवस्थित हैं।
प्रश्न 8.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के निम्न कारण हैं –
- भारत एक उष्णकटिबन्धीय जलवायु वाला देश है एवं सूती कपड़ा गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए एक आरामदायक वस्तु है । है।
- भारत में कपास का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता था, जो कि सूती वस्त्र उद्योग का सर्वप्रमुख कच्चा माल होता है।
- इस उद्योग के लिए देश में आवश्यक कुशल श्रमिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे।
प्रश्न 9.
उद्योगों को निर्मित उत्पादों की प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
निर्मित उत्पादों की प्रकृति के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित आठ वर्गों में रखा जाता है –
- धातुकर्मी उद्योग
- यांत्रिक इंजीनियरी उद्योग
- रासायनिक और सम्बद्ध उद्योग
- वस्त्र उद्योग
- खाद्य संसाधन उद्योग
- विद्युत उत्पादन उद्योग
- इलेक्ट्रॉनिक उद्योग
- संचार उद्योग।
प्रश्न 10.
पेट्रो रसायन उद्योग से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पेट्रो रसायन उद्योग – अपरिष्कृत पेट्रोल से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ तैयार की जाती हैं, जो अन्य दूसरे उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती हैं, इन्हें ही सम्मिलित रूप से पेट्रो रसायन उद्योग कहा जाता है। आधुनिक युग में पेट्रो रसायन सबसे महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। इन रसायनों के प्रयोग से विस्फोटक पदार्थ, जैसे-गोला-बारूद, दवाइयाँ, उर्वरक, कृत्रिम रेशे, रबड़ आदि तैयार किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त पेट्रो रसायनों का उपयोग रंग-रोगन, श्रृंगार साधन आदि तैयार करने में भी किया जाता है।
प्रश्न 11.
भारत में घोषित नवीन औद्योगिक नीति, 1991 के उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
1991 की नई औद्योगिक नीति के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं –
- अब तक प्राप्त किए गए लाभ को बढ़ाना।
- औद्योगिक विकास में आई विकृति अथवा कमियों को दूर करना।
- उद्योगों में उच्च उत्पादकता को प्राप्त करना।
- लाभकारी रोजगार में स्वपोषित वृद्धि को बनाए रखना, एवं
- अन्तर्राष्ट्रीय बाजार ‘स्थान प्राप्त करना।
प्रश्न 12.
1991 की औद्योगिक नीति में अपनाए गये प्रमुख उपाय कौनसे हैं ?
उत्तर:
भारत में 1991 में घोषित नवीन औद्योगिक नीति के अन्तर्गत निम्नलिखित उपाय किये गये-
- औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था समाप्त कर दी गई।
- विदेशी तकनीकी की निःशुल्क प्रवेश की व्यवस्था की गई। गया।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को अपनाना।
- पूँजी बाजार में अभिगम्यता।
- घरेलू बाजार को सभी के लिए खोल दिया
- प्रावस्थबद्ध निर्माण कार्यक्रम का उन्मूलन।
- औद्योगिक अवस्थिति कार्यक्रम का उदारीकरण।
प्रश्न 13.
स्वतंत्र उद्योग क्या होते हैं?
उत्तर:
स्वतंत्र उद्योग – ऐसे उद्योग, जो अपनी अवस्थिति का चुनाव करने में अपेक्षाकृत स्वतंत्र होते हैं, स्वतंत्र या स्वच्छन्द उद्योग कहलाते हैं। ये उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों पर अवस्थित होते हैं। ये किसी प्रकार के कच्चे माल पर निर्भर नहीं होते। ये मुख्यतः संघटक पुरजों पर निर्भर रहते हैं, जिन्हें कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। जैसे- इलेक्ट्रॉनिक उद्योग। इन उद्योगों की स्थापना में सड़क परिवहन अभिगम्यता का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
प्रश्न 14.
टाटा लौह-इस्पात कंपनी (TISCO) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
टाटा लौह-इस्पात कंपनी (TISCO ) – यह इस्पात संयंत्र मुंबई – कोलकाता रेलवे मार्ग के बहुत निकट स्थित है। यहाँ के इस्पात के निर्यात के लिए सबसे नजदीक (लगभग 240 किमी. दूर) पत्तन कोलकाता है। इस संयंत्र को जल सुवर्ण रेखा एवं खारकोई नदियों से प्राप्त होता है। लोहा नोआमंडी और बादाम पहाड़ से, और कोयला जोड़ा खानों (ओडिशा) से तथा कोककारी कोयला झरिया और पश्चिमी बोकारो कोयला क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
प्रश्न 15.
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखिये।
उत्तर;
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश निम्न प्रकार है –
- मुंबई-पुणे प्रदेश
- हुगली प्रदेश
- बंगलौर – तमिलनाडु प्रदेश
- गुजरात प्रदेश
- छोटा नागपुर प्रदेश
- विशाखापट्नम – गुंटूर प्रदेश
- गुरुग्राम- दिल्ली-मेरठ प्रदेश
- कोलम – तिरुवनन्तपुरम प्रदेश।
प्रश्न 16.
कंच्चा माल उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करता है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति में कच्चे माल की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भार- ह्रास वाले कच्चे माल का उपयोग करने वाले उद्योग उन प्रदेशों में स्थापित किए जाते हैं जहाँ ये उपलब्ध होते हैं। इसीलिए भारत में चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में स्थापित हैं। इसी तरह, लुग्दी उद्योग, ताँबा प्रगलन और पिग आयरन उद्योग अपने कच्चे माल प्राप्ति के स्थानों के निकट ही स्थापित किए जाते हैं।
लोहा-3 – इस्पात उद्योग में लोहा और कोयला दोनों ही भार- ह्रास वाले कच्चे माल है इसीलिए लोहा इस्पात उद्योग की स्थिति के लिए अनुकूलतम स्थान कच्चा माल स्रोतों के निकट होना चाहिए। यही कारण है कि अधिकांश लोहा- इस्पात उद्योग या तो कोयला क्षेत्रों (बोकारो, दुर्गापुर आदि ) के निकट स्थित हैं अथवा लौह अयस्क के स्रोतों (भद्रावती, भिलाई और राउरकेला) के निकट स्थित हैं।
प्रश्न 17.
बाजार से उद्योगों की अवस्थिति किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
किन्हीं भी उद्योगों के लिए बाजार का होना अत्यन्त आवश्यक है जहाँ बाजारों से कच्चा माल प्राप्त होता है, वहीं बाजार, निर्मित उत्पादों के लिए उपभोक्ता उपलब्ध कराते हैं। भारी मशीन, मशीन के औजार, भारी रसायनों की स्थापना उच्च माँग वाले क्षेत्रों के निकट की जाती है क्योंकि ये बाजार अभिमुख होते हैं। सूती वस्त्र उद्योग में शुद्ध (जिसमें भार- ह्रास नहीं होता) कच्चे माल का उपयोग होता है और ये प्राय: बड़े नगरीय केंद्रों में स्थापित किए जाते हैं, उदाहरणार्थ- मुंबई, अहमदाबाद, सूरत आदि।
पेट्रोलियम परिशोधनशालाओं की स्थापना भी बाजारों के निकट की जाती है क्योंकि अपरिष्कृत तेल का परिवहन आसान होता है और उनसे प्राप्त कई उत्पादों का उपयोग दूसरे उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। कोयली, मथुरा और बरौनी इसके विशिष्ट उदाहरण हैं। परिशोधनशालाओं की स्थापना में बाजार तक पहुँच वाले पत्तन भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 18.
जोग प्रपात जल विद्युत परियोजना से विद्युत प्राप्त करने वाले इस्पात संयन्त्र की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जोग प्रपात जल विद्युत परियोजना से मुख्यतः ‘विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स इस्पात संयन्त्र’ को विद्युत प्राप्त होती है। इस संयन्त्र की स्थापना 1912 में अमेरिकी कम्पनी की सहायता से कर्नाटक के शिमोगा जिले में भद्रावती नामक स्थान पर की गई थी। यह संयन्त्र मूलतः बाबाबूदन की पहाड़ियों के केमान गुंडी के लौह अयस्क क्षेत्रों के निकट स्थित है।
इसका पूर्व नाम ‘मैसूर लोहा और इस्पात वर्क्स’ था। वर्तमान में यह SAIL के अधीन है। इस संयंत्र को चूना पत्थर और मैंगनीज आसपास के क्षेत्रों से प्राप्त होता है। कोयले के अभाव में प्रारम्भ में जंगलों से प्राप्त लकड़ी को जलाकर बनाए गए चारकोल को 1951 तक ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता था। वर्तमान में जोग प्रपात जल विद्युत परियोजना से प्राप्त जल विद्युत का उपयोग किया जा रहा है। इस संयन्त्र को जल भद्रावती नदी से प्राप्त होता है। यह संयन्त्र विशिष्ट इस्पात एवं एलॉय के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 19.
‘इस्को (IISSO) संयन्त्र’ को प्राप्त सुविधाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस्को से तात्पर्य ‘इंडियन आयरन एंड स्टील कम्पनी’ (IISCO) से है। इस कम्पनी ने अपना पहला कारखाना हीरापुर, दूसरा कुल्टी और तीसरा बर्नपुर में खोला था। अतः यह कम्पनी हीरापुर, कुल्टी और बर्नपुर के कारखानों का प्रबन्ध करती है। वर्तमान में यह कम्पनी सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के अन्तर्गत आती है। ये तीनों संयन्त्र दामोदर घाटी कोयला क्षेत्रों (रानीगंज, झरिया और रामगढ़) के निकट कोलकाता आसनसोल रेल मार्ग पर स्थित हैं। इन संयन्त्रों को लौह अयस्क झारखण्ड के सिंहभूमि खान से और जल दामोदर नदी की सहायक बराकार नदी से प्राप्त होता है। ये संयन्त्र रेल और सड़क मार्गों द्वारा कोलकाता बंदरगाह से जुड़े हुए हैं।
प्रश्न 20.
परिवहन लागत न्यूनीकरण सिद्धान्त पर निर्मित इस्पात संयन्त्र की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
परिवहन लागत न्यूनीकरण सिद्धान्त पर बोकारो इस्पात संयन्त्र की स्थापना की गई थी। इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना 1964 में रूस के सहयोग से झारखण्ड राज्य के बोकारो जिले में की गई थी। इस सिद्धान्त के अनुसार बोकारो और राउरकेला इस्पात संयन्त्र संयुक्त रूप से राउरकेला प्रदेश से लौह अयस्क प्राप्त करते हैं और वापसी में मालगाड़ी के डिब्बे राउरकेला के लिए कोयला ले जाते हैं। अन्य कच्चे माल बोकारो को लगभग 350 किमी. की परिधि के अंदर प्राप्त हो जाते हैं। इस संयन्त्र को जल और जल विद्युत शक्ति की आपूर्ति दामोदर घाटी कार्पोरेशन द्वारा की जाती है।
प्रश्न 21.
मुम्बई को सूती वस्त्र निर्माण केन्द्र बनाने के प्रमुख लाभ क्या थे?
उत्तर:
भारत में पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना 1854 में मुम्बई में की गई थी। इस शहर को सूती वस्त्र निर्माण केन्द्र बनाने के निम्न लाभ थे—
- यह गुजरात और महाराष्ट्र के कपास उत्पादक क्षेत्रों के बहुत निकट स्थित था।
- कच्ची कपास का निर्यात इंग्लैण्ड को मुम्बई पत्तन द्वारा ही किया जाता था । इसलिए कपास स्वयं मुंबई नगर में उपलब्ध थी।
- उस समय मुम्बई एक प्रमुख वित्तीय केन्द्र था, अतः उद्योग प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक पूँजी भी पर्याप्त उपलब्ध थी।
- रोजगार के अवसर प्रदान करने वाला बड़ा नगर होने के कारण, यहाँ सस्ते श्रमिकों की भी प्रचुर मात्रा में उपलब्धता थी।
- सूती वस्त्र मिलों के लिए आवश्यक मशीनों का आयात इंग्लैण्ड से किया जा सकता था।
प्रश्न 22.
पेट्रो- रासायनिक सेक्टर के अन्तर्गत कौन- कौनसी संस्थाएँ कार्यरत हैं? नाम बताइये ।
उत्तर:
रासायनिक और पेट्रो- रासायनिक विभाग के प्रशासनिक नियन्त्रण में पेट्रो रसायन सेक्टर के अन्तर्गत तीन संस्थाएँ कार्य कर रही हैं, जो हैं –
- भारतीय पेट्रो- रासायनिक कार्पोरेशन लिमिटेड (IPCL) यह कम्पनी सार्वजनिक सेक्टर के अन्तर्गत आती है। यह विभिन्न प्रकार के पेट्रो रसायनों, जैसे पॉलीमर, रेशों और रेशों से बने संक्रियक का निर्माण और वितरण करता है।
- पेट्रोफिल्स कोऑपरेटिवं लिमिटेड- यह भारत सरकार एवं बुनकरों की सहकारी संस्थाओं का संयुक्त उद्यम है। यह पॉलिस्टर तंतु, सूत और नाइलोन चिप्स का उत्पादन गुजरात स्थित बड़ोदरा एवं नलघाटी संयन्त्रों में करता है।
- सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) – यह इंस्टिट्यूट पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
प्रश्न 23.
व्यक्तिगत और सार्वजनिक क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब किसी उद्योग की सारी पूँजी, लाभ, हानि आदि एक ही व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के समूह की होती है, तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र कहा जाता है। भारत में कई पूँजीपतियों द्वारा चलाए गए संगठन या उद्योग व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते हैं, जैसे-जमशेदपुर में स्थापित टाटा लौह-इस्पात संयन्त्र। परन्तु जब कोई उद्योग या उद्यम की पूँजी और अन्य अधिकार सरकार के नियन्त्रण में होते हैं, तो वह सार्वजनिक क्षेत्र कहलाता है। इन उद्योगों का संचालन सरकार स्वयं करती है। इसके अन्तर्गत मुख्यतः भारी उद्योग एवं आधारभूत उद्योग आते हैं, जैसे- भिलाई इस्पात केन्द्र, रेलवे, परमाणु शक्ति से सम्बन्धित उद्योग आदि।
प्रश्न 24.
सूती वस्त्र उद्योग के विकेन्द्रीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आरम्भ में सूती वस्त्र उद्योग मुम्बई नगर में ही केन्द्रित था, परन्तु बाद में अन्य कारकों के आधार पर भी सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। विशाल घरेलू बाजार, जल विद्युत के विकास, कपास उत्पादक स्रोत, कोयला क्षेत्रों की निकटता तथा कुशल श्रमिकों के कारण यह उद्योग सारे देश में फैल गया। यही सूती वस्त्र उद्योग का विकेन्द्रीकरण कहलाता है। मुम्बई के बाद सबसे पहले यह उद्योग गुजरात राज्य में अच्छी कपास प्राप्त होने के कारण अहमदाबाद में स्थापित हुआ।
तमिलनाडु में जल विद्युत शक्ति की उपलब्धता के कारण चेन्नई, कोयम्बटूर उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन गये। कोलकाता में विशाल बाजार, कोयला क्षेत्र और पत्तन की उपलब्धता के कारण सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ। इसी प्रकार उज्जैन, भरूच, आगरा, हाथरस, कोयंबटूर और तिरुनेलवेली आदि केन्द्रों में सस्ते श्रमिक के कारण कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर होते हुए भी उद्योगों की स्थापना की गई। इस प्रकार | देश के लगभग प्रत्येक राज्य में, जहाँ एक या एक से अधिक अनुकूल अवस्थितिक कारक उपलब्ध थे, सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना की गई।
प्रश्न 25.
भारत के सन्दर्भ में वैश्वीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है। इसके अन्तर्गत सामान और पूँजी सहित सेवाएँ, श्रम और संसाधन एक देश से दूसरे देश में स्वतन्त्रतापूर्वक पहुँचाए जा सकते हैं। भारत के सन्दर्भ में इसके निम्न अर्थ हैं –
- भारत में आर्थिक क्रियाओं के विभिन्न क्षेत्रों में, विदेशी कम्पनियों को पूँजी निवेश की सुविधा उपलब्ध कराकर, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए अर्थव्यवस्था को खोलना।
- भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रवेश पर लगे प्रतिबन्धों और बाधाओं को खत्म करना।
- विदेशी कम्पनियों के सहयोग से देश में एवं विदेश में भारतीय कम्पनियों को साझा उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- आयात शुल्क में कमी करना।
- निर्यात प्रोत्साहन को बढ़ाने के लिए विनिमय दर व्यवस्था को चुनना।
प्रश्न 26.
लौह-इस्पात उद्योग पर एक लेख लिखिये।
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग-लौह-इस्पात उद्योग के लिए लौह अयस्क और कोककारी कोयला के अतिरिक्त चूनापत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज और अग्निसहमृत्तिका आदि कच्चे माल की भी आवश्यकता होती है। ये सभी कच्चे माल भार ह्रास वाले होते हैं। इसलिए लोहा-इस्पात उद्योग की सबसे अच्छी अवस्थिति कच्चे माल स्रोतों के निकट होती है।
भारत में छत्तीसगढ़, उत्तरी ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के भागों को समाविष्ट करते हुए एक अर्धचंद्राकार प्रदेश है जो कि उच्च कोटि के लौह अयस्क, अच्छे गुणवत्ता वाले कोककारी कोयला और अन्य आवश्यक कच्चे सामान से समृद्ध है। जिसके परिणामस्वरूप इस प्रदेश में लौह- इस्पात उद्योग प्रारंभ में ही स्थापित कर दिया गया था। भारतीय लौह-इस्पात उद्योग के अंतर्गत बड़े एकीकृत इस्पात कारखाने और छोटी इस्पात मिलें भी सम्मिलित हैं। इसके अंतर्गत द्वितीयक उत्पादक, ढलाई मिलें और आनुषंगिक उद्योग भी आते हैं।
प्रश्न 27.
उदारीकरण एवं वैश्वीकरण ने भारत के क्षेत्रीय विकास को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
उदारीकरण एवं वैश्वीकरण ने भारत के क्षेत्रीय विकास में असमानताएँ उत्पन्न की हैं। इसके फलस्वरूप विकसित और विकासशील राज्यों के बीच अंतर बहुत बढ़ . गया है। घरेलू निवेश और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, दोनों का बड़ा भाग पहले ही विकसित राज्यों में जा चुका है। विगत वर्षों में औद्योगिक निवेशकों द्वारा किए गए निवेश मुख्य रूप से औद्योगिक रूप से विकसित राज्यों में ही किया गया है। जबकि पिछड़े राज्यों में निवेश बहुत कम किया गया है जिससे उद्योगों की दृष्टि से क्षेत्रीय विषमता काफी बढ़ी है। इसका कारण यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर राज्य खुले बाजार में औद्योगिक निवेश प्रस्तावों को आकर्षित करने में विकसित राज्यों से आगे नहीं निकल सकते और इसलिए उन्हें इन प्रक्रियाओं में हानि उठानी पड़ती है।
प्रश्न 28.
उद्योगों के समूहन को पहचानने वाले सूचकांक कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर:
देश में उद्योगों का वितरण एक समान नहीं है। उद्योग कुछ अनुकूल अवस्थितिक कारकों के कारण कुछ निश्चित स्थानों पर केन्द्रित हो जाते हैं। उद्योगों के समूहन को पहचानने के लिए मुख्यतया सूचकांकों का उपयोग किया जाता है, जिनमें प्रमुख सूचकांक निम्न प्रकार से हैं –
- औद्योगिक इकाइयों की संख्या।
- औद्योगिक कर्मियों की संख्य।
- औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली प्रयुक्त शक्ति की मात्रा।
- कुल औद्योगिक निर्गत अर्थात् उत्पादित पदार्थ (output)।
- उत्पादन प्रक्रिया में लगा मूल्य, आदि।
प्रश्न 29.
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकास में सहायक कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हुगली नदी के किनारे पर बसा यह औद्योगिक प्रदेश उत्तर में बांसबेरिया से दक्षिण में बिड़लानगर तक लगभग 100 किलोमीटर में विस्तृत है। इस प्रदेश के विकास में सहायक कारक निम्न प्रकार से हैं-
- हुगली नदी पर कोलकाता पत्तन के निकट स्थित होने के कारण यह क्षेत्र देश का अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र बना।
- यह प्रदेश देश के भीतरी भागों से रेल मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
- असम और पश्चिम बंगाल की उत्तरी पहाड़ियों में चाय बागानों के विकास ने इस प्रदेश के विकास में भी योगदान दिया।
- दामोदर घाटी कोयला क्षेत्रों और छोटा नागपुर पठार के लौह-अयस्क निक्षेपों ने भी इस प्रदेश के विकास में सहयोग दिया।
- बिहार के घने बसे भागों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और ओडिशा से सस्ते श्रम की उपलब्धता भी सहायक रही।
- ब्रिटिश भारत की राजधानी (1773-1911) होने के कारण ब्रिटिश पूँजी को भी आकर्षित किया।
प्रश्न 30.
गुजरात औद्योगिक प्रदेश के विकास में सहायक कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
इस प्रदेश का केन्द्र अहमदाबाद और बड़ोदरा के बीच, दक्षिणी विस्तार बलसाद और सूरत तक तथा पश्चिमी विस्तार जामनगर तक है। इस प्रदेश के विकास में सहायक कारक निम्नलिखित हैं-
- 1860 में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के बाद यह प्रदेश एक महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग क्षेत्र बन गया।
- कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस प्रदेश को कच्चे माल और बाजार दोनों की सुविधा मिली।
- इस प्रदेश में तेल क्षेत्रों की खोज से पेट्रो- रासायनिक उद्योगों की स्थापना अंकलेश्वर, बड़ोदरा और जामनगर के चारों ओर हुई।
- कांडला पत्तन के निर्माण ने भी इस प्रदेश के विकास में सहयोग दिया।
- जामनगर एवं कोयली पेट्रोलियम परिशोधनशाला ने अनेक पेट्रो- रासायनिक उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया, जिन्होंने इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रश्न 31.
कोलम – तिरुवनंतपुरम् औद्योगिक प्रदेश की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
यह औद्योगिक प्रदेश कोलम, तिरुवनन्तपुरम्, अलवाय, अरनाकुलम और अल्लापुझा जिलों में फैला हुआ है। बागान कृषि और जल विद्युत शक्ति इस प्रदेश को औद्योगिक आधार प्रदान करते हैं। देश की खनिज पेटी से बहुत दूर स्थित होने के कारण कृषि उत्पाद प्रक्रमण और बाजार अभिविन्यासित हल्के उद्योग, जैसे- सूती वस्त्र उद्योग, चीनी, रबड़, माचिस, शीशा, रासायनिक उर्वरक, मछली उद्योग आदि के साथ कागज उद्योग, नारियल रेशा उत्पादक, एल्यूमिनियम और सीमेंट उद्योग इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं। कोच्ची पेट्रोलियम परिशोधनशाला की स्थापना ने इस प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। कोलम, थिरूवनंतपुरम्, अलुवा, कोच्चि, अलापुझा और पुनालूर महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं।
प्रश्न 32.
दक्षिण भारत में स्थापित देश के नवीनतम इस्पात संयंत्रों के विषय में लिखिए।
उत्तर:
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना अवधि में दक्षिणी भारत में इस्पात के तीन नए संयंत्र, कच्चे माल स्रोतों से दूर स्थापित किए गए, जो हैं-
- विजाग इस्पात संयंत्र – यह विशाखापट्टनम (आंध्रप्रदेश) में स्थापित है। यह देश का पहला पत्तन आधारित संयंत्र है, जिसमें उत्पादन कार्य 1992 में प्रारंभ हुआ।
- विजयनगर इस्पात संयंत्र इसे हॉस्पेट (कर्नाटक) में विकसित किया गया। इसमें स्वदेशी तकनीकी का उपयोग किया जाता है। यह संयंत्र आसपास के क्षेत्रों से प्राप्त लौह- अयस्क और चूना पत्थर का उपयोग करता है।
- सेलम इस्पात संयंत्र – यह सेलम (तमिलनाडु) में स्थित है। इसे 1982 में चालू किया गया था।
प्रश्न 33.
भारत के लघु औद्योगिक प्रदेशों तथा औद्योगिक जिलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के लघु औद्योगिक प्रदेश
- अंबाला-अमृतसर
- सहारनपुर-मुजफ्फरनगर- बिजनौर
- इंदौर- देवास-उज्जैन
- जयपुर-अजमेर
- कोल्हापुर – दक्षिणी कन्नड़
- उत्तरी मालाबार
- मध्य मालाबार
- अदीलाबाद- निजामाबाद
- इलाहाबाद – वाराणसी – मिर्जापुर
- भोजपुर – मुंगेर
- दुर्ग – रायपुर
- बिलासपुर- कोरबा
- ब्रह्मपुत्र घाटी।
औद्योगिक जिले
- कानपुर
- हैदराबाद
- आगरा
- नागपुर
- ग्वालियर
- भोपाल
- लखनऊ
- जलपाईगुड़ी
- कटक
- गोरखपुर
- अलीगढ़
- कोटा
- पूर्णिया
- जबलपुर
- बरेली।
प्रश्न 34.
राउरकेला इस्पात संयन्त्र और भिलाई इस्पात संयन्त्र की तुलना निम्नांकित आधारों पर कीजिए:
(i) स्थिति
(ii) कच्चा माल प्राप्ति के स्रोत
(iii) जल और ऊर्जा आपूर्तिs।
उत्तर:
राउरकेला इस्पात संयन्त्र और भिलाई इस्पात संयन्त्र की तुलना –
आधार | राउरकेला इस्पात संयन्त्र | भिलाई इस्पात संयन्त्र |
स्थिति | यह उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले में स्थापित है। | यह छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थापित है। |
कच्वा माल प्राप्ति के स्रोत | इसे कोयला निकटस्थ झरिया (झारखंड) से और लौह अयस्क सुंदरगढ़ और केंदुझर से प्राप्त होता है। | यह कोयला कोरबा और करगाली कोयला खानों से और लौह-अयस्क डल्ली-राजहरा खानों से प्राप्त करता है। |
जल और ऊर्जा आपूर्ति | इस संयन्त्र को विद्युत शक्ति हीराकुंड परियोजना से तथा जल कोइल और शंख नदियों से प्राप्त होता है। | इस संयन्त्र को विद्युत शक्ति कोरबा ताप शक्ति गृह से और जल तंदुला बांध से प्रास होता है। |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उद्योगों के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का रूप बदलकर उनको उपयोग योग्य बनाने की क्रिया, उद्योग कहलाती है। उद्योगों का वर्गीकरण कई प्रकार से किया गया है, जो अग्र हैं-
(1) आकार, पूँजी निवेश और श्रम शक्ति के आधार पर इस आधार पर उद्योगों को चार प्रकारों में विभक्त किया गया है –
- वृहत् उद्योग
- मध्यम उद्योग
- लघु उद्योग
- कुटीर उद्योग।
(2) स्वामित्व के आधार पर स्वामित्व के आधार पर भारत में तीन प्रकार के उद्योगों को मान्यता प्राप्त है –
सार्वजनिक क्षेत्र- इस क्षेत्र के उद्योग सरकार द्वारा नियन्त्रित कम्पनियाँ या निगम हैं, जो सरकार द्वारा पूँजी प्राप्त करते हैं। इस सेक्टर में सामान्यतः सामरिक और राष्ट्रीय महत्त्व के उद्योग-धन्धे आते हैं
व्यक्तिगत सेक्टर- ऐसे उद्योग किसी एक व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्ति के अधीन होते हैं, जैसे- जमशेदपुर स्थित टाटा लौह-इस्पात संयन्त्र।
सहकारी सेक्टर- यह मिश्रित क्षेत्र है, जिसमें उद्योग एवं संस्थाओं का संचालन सरकार एवं जनता के सम्मिलित अधिकार के द्वारा होता है।
(3) उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों को उनके उत्पादों के उपयोग के आधार पर चार प्रकारों में विभक्त किया जाता है –
- मूल पदार्थ उद्योग
- पूँजीगत पदार्थ उद्योग
- मध्यवर्ती पदार्थ उद्योग
- उपभोक्ता पदार्थ उद्योग।
(4) कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को इनके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले कच्चे माल के आधार पर भी चार प्रकारों में विभक्त किया गया है, जो हैं-
- कृषि आधारित उद्योग
- वन आधारित उद्योग
- खनिजों पर आधारित उद्योग
- उद्योगों द्वारा निर्मित कच्चे माल पर आधारित उद्योग।
(5) निर्मित उत्पादों की प्रकृति के आधार पर – उद्योगों को निर्मित उत्पादों की प्रकृति के आधार पर निम्न प्रकारों में विभक्त किया है –
- धातुकर्म उद्योग
- यान्त्रिक इंजीनियरी उद्योग
- रासायनिक और रबड़ उद्योग
- वस्त्र उद्योग
- खाद्य संसाधन उद्योग
- विद्युत उत्पादन उद्योग
- इलेक्ट्रॉनिक उद्योग एवं
- संचार उद्योग।
प्रश्न 2.
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों को समझाइए।
अथवा
उद्योगों का स्थानीयकरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारक निम्न प्रकार से हैं –
(1) कच्चा माल – कच्चे माल और उद्योग की स्थापना में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। सामान्यतः उद्योग कच्चे माल के प्राप्ति स्रोत के निकट ही स्थापित किये जाते हैं। इसी कारण भार ह्रास वाले कच्चे माल का उपयोग करने वाले उद्योग उन प्रदेशों में ही स्थापित किये जाते हैं, जहाँ ये उपलब्ध होते हैं। ऐसे उद्योगों में चीनी मिलें, लौह-इस्पात उद्योग, लुग्दी उद्योग, ताँबा प्रगलन तथा पिग आयरन उद्योग सर्वप्रमुख हैं।
(2) शक्ति के साधन – कोयला, पेट्रोलियम तथा जल विद्युत शक्ति के प्रमुख साधन हैं। शक्ति (ऊर्जा) मशीनों के लिए गतिदायी बल प्रदान करती है, अतः शक्ति की उद्योग की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शक्ति की अधिक आवश्यकता के कारण ही खाद व रासायनिक उद्योग, एल्यूमिनियम उद्योग, कागज उद्योग, कृत्रिम नाइट्रोजन निर्माण उद्योग आदि उद्योगों की स्थापना शक्ति स्रोत के निकट ही की जाती है।
(3) बाजार – बाजार उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पादों के लिए निर्गम उपलब्ध कराते हैं। यही कारण है कि उद्योग माँग क्षेत्रों के निकट स्थापित किये जाते हैं, जिससे कम लागत पर ही सामान बाजार में पहुँच जाता है। सामान्यतः भारी मशीन उद्योग, मशीन के औजार, भारी रसायन उद्योग, शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के उद्योग, जैसे डेयरी उद्योग, खाद्य उद्योग आदि की स्थापना उच्च माँग वाले क्षेत्रों के निकट की जाती है, क्योंकि ये बाजार अभिमुख होते हैं।
(4) परिवहन – विशेषतः उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहाँ सस्ते, उत्तम, कुशल और शीघ्रगामी यातायात के साधन उपलब्ध होते हैं। आर्थिक दृष्टि से उद्योग सामान्यतः उन्हीं स्थानों पर स्थापित किये जाते हैं जहाँ परिवहन मूल्य की लागत न्यूनतम होती है। इसलिए ही अधिक उद्योग कोलकाता, चेन्नई, मुम्बई जैसे बन्दरगाहों के समीप स्थित हैं, जिन्हें जल मार्ग के साथ रेल मार्ग व सड़क मार्ग की पर्याप्त सुविधा प्राप्त है।
(5) श्रम उद्योगों में श्रमिक बल की आवश्यकता होती है। इसी कारण श्रम प्रधान उद्योग कुशल तथा सस्ते श्रम क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं।
(6) ऐतिहासिक कारक उपनिवेशवाद के प्रारंभिक व उत्तरकालीन औद्योगिक चरणों में ब्रिटिश सरकार द्वारा मुर्शिदाबाद, भदोई, सूरत, बड़ोदरा, कोझीकोड, कोयम्बटूर, मैसूर, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई नामक स्थानों पर उद्योगों की स्थापना की गई।
(7) औद्योगिक नीति देश की औद्योगिक नीति भी उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करती है। भारत का उद्देश्य संतुलित प्रादेशिक विकास के साथ आर्थिक संवृद्धि लाना है। वर्तमान समय में भारत सरकार पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित उद्योग-धंधों को अनेक प्रकार के प्रोत्साहन देती है। उपर्युक्त के अतिरिक्त पूँजी की सुविधा, सस्ती और समतल भूमि आदि कारक भी उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में स्थित प्रमुख एकीकृत इस्पात संयन्त्रों के नाम लिखिए तथा द्वितीय पंचवर्षीय योजना में स्थापित संयन्त्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में स्थापित एकीकृत इस्पात संयंत्र – ये संयन्त्र निम्न प्रकार से हैं –
- टाटा लौह-इस्पात कंपनी (टिस्को)
- भारतीय लोहा और इस्पात कंपनी (IISCO)
- विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स (VISW)
- राउरकेला इस्पात संयन्त्र
- भिलाई इस्पात संयन्त्र
- दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र
- बोकारो इस्पात संयन्त्र
- विजाग इस्पात संयन्त्र
- विजयनगर इस्पात संयन्त्र
- सेलम इस्पात संयन्त्र।
स्वतंत्रता के बाद, द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956- 57) में विदेशी सहयोग से तीन एकीकृत इस्पात संयन्त्रों की स्थापना की गई थी। ये संयन्त्र हैं –
(i) राउरकेला इस्पात संयन्त्र- यह संयन्त्र जर्मनी के सहयोग से 1959 में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में स्थापित किया गया था। संयन्त्र को कच्चे माल की निकटता के आधार पर स्थापित किया गया था। इस प्रकार भार-हास वाले कच्चे माल का परिवहन मूल्य कम हो जाता है। इसे निकटस्थ झरिया (झारखण्ड) से कोयला और सुंदरगढ़ एवं केंदुझर से लौह अयस्क प्राप्त होता है। विद्युत शक्ति हीराकुंड परियोजना से तथा जल कोइल और शंख नदियों से प्राप्त होता है।
(ii) भिलाई इस्पात संयन्त्र – इस संयन्त्र की स्थापना रूस के सहयोग से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में की गई एवं 1959 में इसमें उत्पादन प्रारंभ हो गया। इसे लौह अयस्क डल्ली राजहरा खानों से तथा कोयला कोरबा और करगाली कोयला खानों से प्राप्त होता है। जल तंदुला बाँध से और विद्युत शक्ति कोरबा ताप शक्ति गृह से प्राप्त होती है। यह संयन्त्र कोलकाता मुंबई रेलमार्ग पर स्थित है । उत्पादित इस्पात का अधिकांश भाग विशाखापट्टनम स्थित हिन्दुस्तान शिपयार्ड में चला जाता है।
(iii) दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र – यह संयन्त्र यूनाइटेड किंगडम की सरकार के सहयोग से पश्चिम बंगाल में स्थापित किया गया था और 1962 में उसमें उत्पादन प्रारंभ हो गया। यह संयन्त्र रानीगंज और झरिया कोयला पेटी में स्थित है और लौह अयस्क नोआमंडी से प्राप्त होता है। दुर्गापुर कोलकाता-दिल्ली रेलवे मार्ग पर स्थित है। इसे जल विद्युत शक्ति और जल दामोदर घाटी कारपोरेशन से प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 4.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत का एक परम्परागत उद्योग है। भारत में इस उद्योग का विकास कई कारणों से हुआ है; जैसे –
भारत एक उष्णकटिबन्धीय देश है एवं सूती कपड़ा गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए एक आरामदायक वस्त्र है।
भारत में कपास का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता था।
देश में इस उद्योग के लिए आवश्यक कुशल श्रमिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे।
प्रारम्भ में, अंग्रेजों ने स्वदेशी सूती वस्त्र उद्योग के विकास को प्रोत्साहित नहीं किया। वे कच्चे कपास को मानचेस्टर और लिवरपूल स्थित अपनी मिलों के लिए निर्यात कर देते थे और वहाँ तैयार माल को बेचने के लिए भारत ले आते थे। भारत में पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना 1854 में मुंबई में की गई थी। 1947 तक भारत में मिलों की संख्या 423 तक पहुंच गई। भारत में सूती वस्त्र उद्योग को दो सेक्टर्स में बाँटा जाता है – संगठित सेक्टर और विकेन्द्रित (असंगठित) सेक्टर विकेन्द्रित सेक्टर के अन्तर्गत हथकरघों और विद्युत करषों में उत्पादित कपड़ा आता है।
देश में उत्पादित सूती वस्त्र हथकरघा सेन्टर की तुलना में विकेन्द्रित सेक्टर में विद्युत करघों द्वारा अधिक उत्पादित किया जाता है। देश में सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक विकास गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु राज्यों में हुआ है। मुंबई एवं अहमदाबाद भारत में सूती वस्त्र उद्योग के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।
वर्तमान में देश के प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्यों के निम्नलिखित केन्द्रों पर सूती वस्त्र उद्योग कार्यरत हैं –
- महाराष्ट्र – मुंबई, वर्धा, पुणे, शोलापुर, कोल्हापुर, संतारा, औरंगाबाद, थाणे, जलगाँव आदि।
- गुजरात – अहमदाबाद, बड़ोदरा, सूरत, भावनगर, राजकोट आदि।
- तमिलनाडु कोयम्बटूर, चेन्नई, मदुरई, तूतीकोरिन, रामनाथपुरम, सेलम आदि।
- उत्तरप्रदेश वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, अलीगढ़, आगरा, मुरादाबाद तथा सहारनपुर आदि।
- कर्नाटक – हुब्बल, मैसूर, बंगलौर, देवनागरी, बेल्लारी आदि।
- तेलंगाना – हैदराबाद, गुंटूर, सिकंदराबाद और वारंगल।
- पश्चिम बंगाल – हावड़ा, मुर्शिदाबाद, हुगली तथा कोलकाता।
- मध्यप्रदेश – इन्दौर, उज्जैन, देवास, ग्वालियर तथा बुरहानपुर। स्वतन्त्रता के पश्चात् सूती वस्त्र उत्पादन में लगभग 5 गुनी वृद्धि हुई है।.
प्रश्न 5.
भारत में चीनी उद्योग के प्रमुख केन्द्रों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
देश में चीनी उद्योग के प्रमुख केन्द्र निम्न प्रकार से है –
(1) महाराष्ट्र – यह देश में अग्रणी चीनी उत्पादक राज्य है। यहाँ देश में कुल चीनी उत्पादन के एक-तिहाई से अधिक भाग का उत्पादन होता है। इस राज्य में चीनी निर्माण की 119 मिलें हैं जो एक संकरी पट्टी के रूप में. उत्तर में मनमाड़ से लेकर दक्षिण में कोल्हापुर तक विस्तृत हैं। इनमें से 87 मिलें सहकारी सेक्टर में हैं।
(2) उत्तर प्रदेश – इस राज्य का चीनी उत्पादन में द्वितीय स्थान है। चीनी उद्योग दो पेटियों गंगा-यमुना दोआब और तराई प्रदेश में केन्द्रित है। गंगा-यमुना दोआब में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत और बुलंदशहर मुख्य चीनी उत्पादक जिले हैं, जबकि तराई प्रदेश के मुख्य चीनी उत्पादक जिले लखीमपुर खीरी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, बहराइच हैं। भारत का 50 प्रतिशत गन्ना उत्तर प्रदेश में ही उत्पन्न होता है।
(3) तमिलनाडु – इस राज्य में चीनी मिलें कोयम्बटूर, वेलौर, तिरुवनमलाई, विल्लुपुरम और तिरुचिरापल्ली जिलों में स्थित हैं।
(4) कर्नाटक – इस राज्य में बेलगावि, बेल्लारी, माण्डया, शिवमोगा, विजयपुर और चित्रदुर्ग मुख्य चीनी उत्पादक जिले हैं।
(5) अन्य केन्द्र-
- बिहार में सारन, चंपारन, मुजफ्फरपुर, सीवान, दरभंगा, गया।
- पंजाब में गुरुदासपुर, जालंधर, पटियाला, अमृतसर और संगरूर जिले।
- हरियाणा में यमुनानगर, रोहतक, हिसार और फरीदाबाद में चीनी मिलें स्थित हैं।
- गुजरात में चीनी उद्योग तुलनात्मक रूप से नया है। यहाँ चीनी मिलें सूरत, जूनागढ़, राजकोट, अमरेली, वालसद और भावनगर जिलों के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में स्थित हैं।
प्रश्न 6.
भारत में चीनी उद्योग की अवस्थिति, उत्पादक राज्य एवं समस्याओं का विश्लेषण कीजिये।
उत्तर:
चीनी उद्योग चीनी उद्योग भारत का दूसरा सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है। भारत विश्व में गन्ना और चीनी दोनों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और यहाँ विश्व के कुल चीनी उत्पादन का लगभग 8 प्रतिशत उत्पादन होता है। 2010-11 में चीनी मिलों की संख्या बढ़कर 662 हो गई।
अवस्थिति – गन्ना मुख्यतः एक भार- ह्रास वाली फसल है। गन्ने को खेतों में काटकर एकत्रित करने से लेकर दुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा सूखती रहती है। गन्ने को खेत से काटने के 24 घण्टे के अन्दर ही पेरा जाये तब इससे अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। इसी कारण देश में अधिकांश चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में ही अवस्थित हैं।
उत्पादक राज्य – भारत में चीनी उत्पादक प्रमुख राज्य निम्न प्रकार हैं –
- महाराष्ट्र
- उत्तरप्रदेश
- तमिलनाडु
- कर्नाटक
- बिहार
- पंजाब
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- गुजरात।
इनमें महाराष्ट्र देश में कुल चीनी के एक-तिहाई से अधिक भाग का उत्पादन करता है। उत्तरप्रदेश का चीनी उत्पादन में दूसरा स्थान है।
समस्याएँ –
- इसका कच्चा माल मौसमी होने के कारण यह एक मौसमी उद्योग है।
- प्रति हैक्टेयर गन्ने का उत्पादन कम है तथा भारतीय गन्ने में शक्कर की मात्रा भी कम होती है।
- चीनी का उत्पादन व्यय बहुत अधिक है।
- उत्तर भारत की अधिकांश मिलें रुग्ण अथवा बन्द अवस्था में हैं। अनेक मिलें अनार्थिक स्थिति में हैं।
- मिलों में उप-उत्पादन (कागज, गत्ता, उर्वरक, ऐल्कोहॉल) की इकाइयों की कमी है।
प्रश्न 7.
देश के पेट्रो रसायन उद्योग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पेट्रो रसायन उद्योग भारत में तेजी से विकसित हो रहा है। उद्योगों की इस श्रेणी के अन्तर्गत विविध प्रकार के उत्पाद शामिल किए जाते हैं। वस्तुतः अपरिष्कृत अर्थात् कच्चे पेट्रोल से कई प्रकार की वस्तुएँ प्राप्त होती हैं, जो. अनेक अन्य नए उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती हैं, इन्हें ही सामूहिक रूप से पेट्रो- रसायन उद्योग के नाम से जाना जाता है। उद्योगों के इस वर्ग को चार उप-वर्गों में विभाजित किया गया है- पॉलीमर, कृत्रिम रेशे, इलेस्टोमर्स और पृष्ठ संक्रियक। मुम्बई पेट्रो रसायन उद्योगों का मुख्य केन्द्र है।
रासायनिक और पेट्रो-रासायनिक विभाग के प्रशासनिक नियन्त्रण में पेट्रो रसायन क्षेत्र के तीन संगठन / संस्थाएँ कार्य कर रही हैं, जो हैं –
(1) भारतीय पेट्रो- रासायनिक कार्पोरेशन लिमिटेड (IPCL) – यह सार्वजनिक सेक्टर का प्रतिष्ठान है। यह विभिन्न प्रकार के पेट्रो रसायनों, जैसे-पॉलीमर, रेशों और रेशों से बने संक्रियक का निर्माण और वितरण करता है।
(2) पेट्रोफिल्स कोआपरेटिव लिमिटेड यह भारत सरकार एवं बुनकरों की सहकारी संस्थाओं का संयुक्त प्रयास है। यह पॉलिस्टर तन्तु सूत और नाइलोन चिप्स का उत्पादन गुजरात स्थित बड़ोदरा एवं नलधारी संयन्त्रों में करता है।
(3) सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) – यह इंस्टिट्यूट पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
भारत में नेफ्था पर आधारित पहला रासायनिक उद्योग सार्वजनिक सेक्टर में 1961 में मुम्बई में स्थापित किया गया था। इसका नाम ‘द नेशनल आर्गेनिक केमिकल्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ (NOCIL) था। इसके बाद अन्य कई कम्पनियाँ स्थापित की जा चुकी हैं। यह उद्योग पुनः चक्रित प्लास्टिक का भी प्रयोग करता है, जो पूरे उत्पादन का लगभग 30 प्रतिशत है। देश के अनेक क्षेत्रों में पेट्रो- रसायन उद्योग विकसित हो रहे हैं, जैसे –
- पटाखा उद्योग उत्तर प्रदेश के औरैया, गुजरात के , जामनगर, गाँधीनगर और हजीरा, पश्चिम बंगाल के हल्दिया, महाराष्ट्र के थाने, रत्नागिरि में और आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में स्थित हैं।
- प्लास्टिक की वस्तुओं का मुख्य उत्पादन मुम्बई, बरौनी, मेटूर, पिंपरी, रिशरा आदि में होता है।
नायलान तथा पॉलिस्टर धागा बनाने के संयन्त्र कोटा, पिंपरी, मुम्बई, मोदीनगर, पुणे, उज्जैन, नागपुर एवं उधना में लगाए गए हैं। - कोटा और बड़ोदरा में ऐक्रिलिक कपड़े बनाए जाते हैं।
- उपर्युक्त के अतिरिक्त अन्य कई स्थानों पर भी पेट्रो- रसायन उद्योगों की स्थापना की गई है। इस प्रकार भारत में पेट्रो-: – रसायन उद्योग का विस्तार तीव्र गति से हो रहा है।
प्रश्न 8.
ज्ञान आधारित उद्योग पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
ज्ञान आधारित उद्योग में सूचना प्रौद्योगिकी को प्रमुख रूप से सम्मिलित किया जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी की उन्नति ने भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति ने आर्थिक और सामाजिक रूपान्तरण के लिए नई सम्भावनाएँ उत्पन्न कर दी हैं। भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग यहाँ की अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक तेजी से विकसित हुए सेक्टरों में से एक है। सूचना प्रौद्योगिकी ने अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोगों की जीवन शैली पर भी बहुत अधिक प्रभाव डाला है। प्रतिवर्ष इस उद्योग से प्राप्त मूल्य के प्रतिशत में वृद्धि हो रही है।
सूचना प्रौद्योगिकी सॉफ्टवेयर और सेवा उद्योग की भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी बढ़ती जा रही है। देश के सॉफ्टवेयर उद्योग को उत्तम उत्पाद उपलब्ध कराने में वर्तमान असाधारण प्रतिष्ठा प्राप्त हो चुकी है। बड़ी संख्या में भारतीय सॉफ्टवेयर कम्पनियों ने अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त कर लिया है। वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत अधिकांश बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सॉफ्टवेयर विकास केन्द्र और अनुसन्धान विकास केन्द्र भारत में स्थापित किये गये हैं। इस विकास का मुख्य प्रभाव रोजगार अवसर के सृजन पर पड़ा है, जो प्रतिवर्ष लगभग दुगुना हो रहा है।
प्रश्न 9.
भारत के मुख्य औद्योगिक प्रदेश कौनसे हैं? किसी एक का वर्णन कीजिये।
अथवा
भारत को प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों में विभक्त कीजिए तथा मुम्बई – पुणे औद्योगिक प्रदेश तथा हुगली औद्योगिक प्रदेश का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत को निम्नलिखित आठ औद्योगिक प्रदेशों में विभक्त किया जाता है –
- मुम्बई – पुणे औद्योगिक प्रदेश
- हुगली औद्योगिक प्रदेश,
- बंगलौर – चेन्नई औद्योगिक प्रदेश
- गुजरात औद्योगिक प्रदेश
- छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश
- विशाखापट्टनम-गुंटूर औद्योगिक प्रदेश
- गुरुग्राम – दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश
- कोलम – तिरुवनन्तपुरम औद्योगिक प्रदेश।
(1) मुम्बई – पुणे औद्योगिक प्रदेश – यह मुम्बई – थाणे से पुणे तथा नासिक और शोलापुर जिलों के संस्पर्शी क्षेत्रों तक विस्तृत है। इसके अतिरिक्त रायगढ़, अहमदनगर, सतारा, सांगली और जलगांव जिलों में भी औद्योगिक विकास तेजी से हुआ है। इस प्रदेश का विकास मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। सूती वस्त्र उद्योग के विकास के साथ रासायनिक उद्योग भी विकसित हुए। मुंबई हाई पेट्रोलियम क्षेत्र और नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्र की स्थापना ने इस प्रदेश को अतिरिक्त बल प्रदान किया।
इसके अलावा अभियांत्रिकी वस्तुएँ, पेट्रोलियम परिशोधन, चमड़ा, संश्लिष्ट और प्लास्टिक वस्तुएँ, दवाएँ, उर्वरक, जलयान निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिवहन उपकरण और खाद्य उद्योगों का भी विकास हुआ। प्रमुख औद्योगिक केन्द्र मुंबई, कोलाबा, थाणे, कल्याण- ट्रॉम्बे, पुणे, नासिक, मनमाड, शोलापुर, सतारा, अहमदनगर, सांगली और कोल्हापुर हैं।
(2) हुगली औद्योगिक प्रदेश- हुगली नदी के किनारे बसा यह प्रदेश उत्तर में बांसबेरिया से दक्षिण में बिड़लानगर तक लगभग 100 किलोमीटर में फैला है। इस प्रदेश का विकास हुगली नदी पर कोलकाता पत्तन के बनने के बाद प्रारम्भ हुआ। स्थानीय रूप से उपलब्ध जूट संसाधनों ने छोटा नागपुर पठार के लौह अयस्क निक्षेपों तथा दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों के साथ मिलकर इस प्रदेश के विकास में सहयोग प्रदान किया।
इसके साथ ही प्रदेश को बिहार के घने बसे भागों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और ओडिशा से सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता भी प्राप्त है। अंग्रेजी ब्रिटिश भारत की राजधानी होने के कारण कोलकाता को ब्रिटिश पूँजी की सुविधा भी प्राप्त थी। 1855 में रिशरा में जूट मिल की स्थापना से इस प्रदेश का आधुनिकीकरण प्रारम्भ हुआ।
जूट उद्योग का मुख्य केन्द्रीकरण हावड़ा और भटपारा . में है। जूट उद्योग के अतिरिक्त सूती वस्त्र उद्योग, कागज, इंजीनियरिंग उद्योग, विद्युत, मशीन, रासायनिक औषधीय, उर्वरक और पेट्रो- रासायनिक उद्योगों का भी विकास हुआ है। इस प्रदेश में कोननगर में ‘हिन्दुस्तान मोटर्स लिमिटेड’ का कारखाना और चितरंजन में डीजल इंजन का कारखाना भी स्थित है। इस प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र कोलकाता, हावड़ा, हल्दिया, सीरमपुर, रिशरा, शिवपुर, नैहाटी, काकीनारा, श्यामनगर, टीटागढ़, बजबज, बिड़लानगर, बांसबेरिया, हुगली, बेलूर आदि हैं।
प्रश्न 10.
बंगलौर – चेन्नई औद्योगिक प्रदेश, गुजरात औद्योगिक प्रदेश तथा छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) बंगलौर – चेन्नई औद्योगिक प्रदेश- स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस प्रदेश का तीव्र गति से विकास हुआ है। कोयला क्षेत्रों से दूर होने के कारण इस प्रदेश का विकास 1932 में निर्मित ‘पायकारा जल विद्युत संयन्त्र’ पर निर्भर करता है। कपास उत्पादक क्षेत्र होने के कारण यहाँ सूती वस्त्र उद्योग सबसे पहले विकसित हुआ।
वर्तमान में अनेक भारी अभियान्त्रिकी उद्योग, जैसे- वायुयान (एच. ए. एल. ), मशीन उपकरण, टेलीफोन और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के अतिरिक्त टेक्सटाइल, रेल के डिब्बे, डीजल इंजन, रेडियो, हल्की अभियान्त्रिकी वस्तुएँ, रबर का सामान, दवाएँ एल्यूमिनियम, शक्कर, सीमेंट, ग्लास, कागज, माचिस आदि महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं। चेन्नई में पेट्रोलियम परिशोधनशाला, सेलम में लोहा-इस्पात संयन्त्र और उर्वरक संयन्त्र इस प्रदेश के विकास के साक्षी हैं। इस प्रदेश में तमिलनाडु के विल्लुपुरम को छोड़कर लगभग सभी जिलों में उद्योग स्थापित हो चुके हैं।
(2) गुजरात औद्योगिक प्रदेश- इस प्रदेश का केन्द्र अहमदाबाद और बड़ोदरा के बीच, दक्षिणी विस्तार वलसाद और सूरत तक तथा पश्चिमी विस्तार जामनगर तक है। इस प्रदेश का विकास 1860 में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना से माना जाता है। कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस प्रदेश को कच्चे माल और बाजार की सुविधा प्राप्त थी। इस प्रदेश में तेल क्षेत्रों की खोज से पेट्रो- रासायनिक उद्योगों की स्थापना अंकलेश्वर, बड़ोदरा और जामनगर के चारों तरफ हुई है।
कोइली एवं जामनगर में पेट्रोलियम परिशोधनशाला की स्थापना ने अनेक पेट्रो- रासायनिक उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया। कांडला बंदरगाह ने इस प्रदेश के विकास में काफी सहयोग दिया। वर्तमान में सूती वस्त्र, सिल्क और कृत्रिम कपड़े तथा पेट्रो- रासायनिक उद्योगों के अतिरिक्त रासायनिक उद्योग, मोटर, डीजल इंजन, इंजीनियरिंग, औषधि, रंग- रोगन, कीटनाशक, चीनी, दुग्ध उत्पाद और खाद्य प्रक्रमण उद्योग आदि भी विकसित हुए हैं। इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र अहमदाबाद, बड़ोदरा, भरूच, कोयली, खेरा, सुरेन्द्रनगर, राजकोट, सूरत, वलसाद और आनन्द, जामनगर हैं।
(3) छोटा नागपुर प्रदेश – यह औद्योगिक प्रदेश झारखण्ड, उत्तरी ओडिशा और पश्चिमी पश्चिम बंगाल में फैला है और भारी धातु उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रदेश का विकास दामोदर घाटी कोयला क्षेत्रों और झारखण्ड, तथा उत्तरी ओडिशा में धात्विक और अधात्विक खनिजों पर निर्भर करता है। कोयला, लौह-अयस्क और अन्य उपयोगी खनिजों की निकटता के कारण ही देश के छ: बड़े एकीकृत लौह-इस्पात संयन्त्र – जमशेदपुर, बर्नपुर, कुल्टी, दुर्गापुर, बोकारो और राउरकेला में स्थापित किए गये हैं।
इस प्रदेश को जल और जल विद्युत शक्ति की आपूर्ति दामोदर घाटी कार्पोरेशन से एवं आसपास के क्षेत्रों से सस्ते श्रमिकों की सुविधा प्राप्त है। इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण उद्योग भारी इंजीनियरिंग, मशीन औजार, उर्वरक, सीमेंट, कागज, रेल इंजन और भारी विद्युत उद्योग आदि हैं। रांची, धनबाद, चैबासा, सिंदरी, हजारीबाग, जमशेदपुर, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर, आसनसोल और डालमियानगर महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र हैं।
प्रश्न 11.
विशाखापट्टनम-गुंटूर औद्योगिक प्रदेश, गुड़गांव- दिल्ली-मेरठ प्रदेश तथा कोलम-तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) विशाखापट्टनम् – गुंटूर प्रदेश – यह औद्योगिक प्रदेश विशाखापट्टनम जिले से लेकर दक्षिण में कुरनूल और प्रकासम जिलों तक फैला है। इस प्रदेश का औद्योगिक विकास विशाखापट्टनम और मछलीपटनम् बन्दरगाह, इसके भीतरी भागों में विकसित कृषि, खनिज के संचित भण्डार पर निर्भर करता है। इस प्रदेश में विशाखापट्टनम् में जलयान निर्माण उद्योग का प्रारम्भ 1941 में हुआ था। गुंटूर जिले में एक सीसा जिंक प्रगालक और विशाखापट्टनम में लौह इस्पात संयन्त्र भी स्थित है।
इसे गोदावरी बेसिन के कोयला क्षेत्र से ऊर्जा और बेलादिला खान से लौह-अयस्क की प्राप्ति होती है। इस प्रदेश में शक्कर, वस्त्र, जूट, कागज, उर्वरक, सीमेंट, एल्यूमिनियम, हल्के इंजीनियरिंग उद्योग और तप्तीपाका व विशाखापट्टनम् स्थित पेट्रोलियम परिशोधनशाला के कारण उत्पन्न कई पेट्रो रसायनिक उद्योग इस प्रदेश के प्रमुख उद्योग हैं। इस प्रदेश के महत्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, विजयनगर, गुंटूर, राजमुंदरी, एलूरू और कुरनूल हैं।
(2) गुरुग्राम – दिल्ली-मेरठ प्रदेश- खनिजों और विद्युत शक्ति संसाधनों से बहुत दूर स्थित होने के कारण इस प्रदेश में उद्योग छोटे और बाजार अभिमुखी हैं। साफ्टवेयर उद्योग इस प्रदेश का प्रमुख उद्योग है। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक, हल्के इंजीनियरिंग, विद्युत उपकरण, सूती, ऊनी, कृत्रिम रेशा वस्त्र, होजरी, शक्कर, सीमेन्ट, मशीन उपकरण, कृषि उपकरण, रासायनिक पदार्थ, वनस्पति घी उद्योग आदि उद्योग भी वृहद् स्तर पर पाए जाते हैं।
मथुरा पेट्रोलियम परिशोधनशाला के कारण पेट्रो रसायन उद्योग भी विकसित हो रहा है। इस प्रदेश के आगरा-मथुरा क्षेत्र में शीशे और चमड़े का सामान मुख्य रूप से बनता है। इस प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों में दिल्ली, गुरुग्राम, शाहदरा, मेरठ, मोदीनगर, गाजियाबाद, अंबाला, आगरा और मथुरा मुख्य हैं।
(3) कोलम – तिरुवनंतपुरम प्रदेश देश की खनिज पेटी से दूर स्थित होने के कारण कृषि उत्पाद प्रक्रमण और बाजार अभिविन्यस्त हल्के उद्योगों की इस प्रदेश में अधिकता है। इनमें सूती वस्त्र उद्योग, चीनी, रबड़, माचिस, शीशा, रासायनिक उर्वरक, मछली आधारित उद्योग, खाद्य प्रक्रमण, कागज, नारियल रेशा उत्पादन, एल्यूमिनियम और सीमेंट उद्योग महत्वपूर्ण हैं। बागान कृषि, जल विद्युत और कोच्ची स्थित पेट्रोलियम परिशोधनशाला ने इस प्रदेश के विकास को नया आधार प्रदान किया है। कोलम, तिरुवनंतपुरम्, अलुवा, कोच्चि, अलवाय, अरनाकुलम्, अलापुझा और पुनालूर महत्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र हैं।