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Class 6th SST Chapter 8 Question Answer in Hindi Medium
Social Science Class 6 Chapter 8 Question Answer in Hindi
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 8 के प्रश्न उत्तर in Hindi विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 126 )
प्रश्न 1.
कक्षा की एक गतिविधि के रूप में (1) कम से कम 5 सहपाठियों और उनके माता-पिता के जन्म स्थानों तथा (2) उनकी मातृभाषाओं और उन्हें ज्ञात अन्य भाषाओं की सूचियाँ बनाइए । विविधता के परिप्रेक्ष्य में इस गतिविधि के परिणामों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सहपाठी का नाम | माता-पिता का जन्म स्थान | उनकी मातृभाषाएँ |
रिया | कोलकाता | राजस्थानी |
रिनचेन | चेन्नई | नेपाली |
राज | बेंगलुरु | बंगाली |
अमित | उड़ीसा | तमिल |
सुमित कोलिता | हरियाणा | असमिया |
आइए पता लगाएँ ( पृष्ठ 128)
प्रश्न 1.
कक्षा की एक गतिविधि के रूप में अपने घर में उपयोग की जाने वाली भोजन सामग्रियों ( अनाज, मसालों आदि ) की सूची बनाइए ।
उत्तर:
हमारे घरों में, हम आमतौर पर विभिन्न प्रकार के अनाज, दालों और मसालों का उपयोग करते हैं जो भारत की समृद्ध पाक परंपराओं को दर्शाते हैं। चावल, गेहूँ, जौ, बाजरा (मोती बाजरा), ज्वार ( ज्वार ), और रागी ( उंगली बाजरा) जैसे अनाज कई भोजन का आधार बनते हैं। मूँग दाल, चना दाल, तूर दाल, उड़द दाल, मसूर दाल और राजमा जैसी दालें आवश्यक प्रोटीन प्रदान करती हैं। हमारी मसाला अलमारियाँ हल्दी, जीरा,धनिया, इलायची, लौंग, काली मिर्च, सरसों के बीज और मेथी के बीज से भरी हुई हैं, जो हमारे व्यंजनों मेंस्वाद और स्वास्थ्य लाभ जोड़ते हैं। इसके अतिरिक्त,चावल का आटा, गेहूँ का आटा, बेसन, घी, सरसों का तेल, नारियल तेल, गुड़ और इमली जैसी सामग्रियाँ हमारी रसोई में मौजूद होती हैं।
प्रश्न 2.
किसी भी एक हरी सब्जी को लीजिए एवं विचार कीजिए कि उससे आप कितने प्रकार के व्यंजन बना सकते हैं?
उत्तर:
आलू एक बहुमुखी सब्जी है जिसका उपयोग भारतीय घरों में कई व्यंजनों में किया जाता है। आलू पराठा एक लोकप्रिय नाश्ता है जो फ्लैटब्रेड में मसालेदार आलू भरकर बनाया जाता है। आलू गोभी में आलू और फूलगोभी को मिलाकर सूखी सब्जी बनाई जाती है, जबकि आलू मटर में टमाटर आधारित ग्रेवी में मटर के साथ आलू मिलाया जाता है। आलू टिक्की मसालेदार आलू की पैटीज़ हैं, जिन्हें अक्सर चटनी के साथ परोसा जाता है। जीरा आलू में जीरा और मसालों के साथ भुने हुए आलू शामिल हैं। मसले हुए आलू और फ्रेंच फ्राइज़ सार्वभौमिक पसंदीदा है। आलू सलाद में उबले हुए आलू को मेयो और मसालों के साथ मिलाया जाता है। दम आलू में दही की भरपूर ग्रेवी में छोटे आलू होते हैं, और आलू पकौड़ा बेसन के घोल में गहरे तले हुए आलू के टुकड़े होते हैं।
आइए पता लगाएँ ( पृष्ठ 129 )
प्रश्न 1.
साड़ी का उदाहरण एकता और विविधता को कैसे प्रतिबिंबित करता है? व्याख्या कीजिए । (100-150 शब्दों में )।
उत्तर:
साड़ी भारतीय संस्कृति की एक प्रमुख और विविध परिधान है, जो एकता और विविधता दोनों को प्रतिबिंबित करती है। साड़ी का रूप पहनने का तरीका और डिजाइन विभिन्न क्षेत्रों, समुदायों और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार बदलते हैं, जो भारत की विविधता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, कांचीपुरम साड़ी दक्षिण भारत की एक विशेषता है, जबकि बनारसी साड़ी उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। इसी प्रकार, गुजरात की पटोला साड़ी और राजस्थान की लहंगा चोली में भी भिन्नता पाई जाती है। हालाँकि, इन सभी साड़ियों में भारतीय परंपरा की झलक दिखाई देती है, जो एकता को दर्शाती है । इस प्रकार, साड़ी विविधता में एकता का प्रतीक है, जो भारतीय समाज की सांस्कृतिक समृद्धि और एकता को उजागर करती है।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 130-31)
प्रश्न 1.
साड़ी का उपयोग कितने प्रकार से किया गया है ?
उत्तर:
साड़ी के उपयोग के कई प्रकार हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रीय और सांस्कृतिक परंपराओं में विभिन्न तरीकों से पहने जाते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में साड़ी को आमतौर पर ” निवाड़ी” तरीके से पहना जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे ” कांचीपुरी” या नाड़ी” तरीके से पहना जाता है। इसके अलावा, साड़ी को विभिन्न रंगों, कढ़ाई और कपड़ों में अलग-अलग अवसरों के लिए पहना जाता है, जैसे शादी, त्योहार या अन्य सांस्कृतिक अवसरों पर इन्हें पहनने के तरीके में भी भिन्नताएँ होती हैं जैसे “लहंगा साड़ी”, “पटोला साड़ी” या ” द्रविड़ शैली ” ।
प्रश्न 2.
क्या आप साड़ी के अन्य उपयोगों से परिचित हैं अथवा क्या आप उसके अन्य उपयोगों की कल्पना कर सकते हैं?
उत्तर:
साड़ी के अन्य उपयोगों में इसे घरेलू वस्त्र के रूप में भी पहना जाता हैं, जैसे- रसोई में काम करते समय इसे ढंग से बाँधना। इसके अलावा, साड़ी का उपयोग सजावट के रूप में भी किया जा सकता है, जैसे- शादी या त्योहारों में घर को सजाने के लिए। कुछ स्थानों पर, साड़ी को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नृत्य में भी उपयोग किया जाता है। कुछ लोग साड़ी के कपड़े को रिटायरमेंट या कार्यस्थल के लिए भी पहनते हैं। इन सभी विभिन्न उपयोगों से साड़ी के विविधता और बहुपरोपकारी उपयोग की कल्पना की जा सकती हैं।
प्रश्न 3.
जिस प्रकार आपने साड़ी के विभिन्न रूपों और उपयोगों को देखा, उसी प्रकार एक अन्य परिधान धोती के कपड़े ( फैब्रिक ) तथा उपयोगों को ध्यान में रखते हुए उसके विभिन्न रूपों की एक सूची तैयार कीजिए। इस गतिविधि से आपको क्या समझ में आया?
उत्तर:
धोती के विभिन्न रूपों और उपयोगों की सूची:
1. कुर्ता धोती (Traditional Style) : यह पारंपरिक धोती पहनने का सबसे सामान्य तरीका है, जिसे आमतौर पर पुरुषों द्वारा त्योहारों, शादियों या धार्मिक आयोजनों में पहना जाता है। इसमें धोती को कमर के चारों ओर लपेटकर ऊपर से कुर्ता पहना जाता है ।
2. साधारण धोती (Lungi): यह एक प्रकार की
धोती है जिसे खासकर दक्षिण भारत में पहना जाता है। इसे कमर के चारों ओर लपेटा जाता है और यह अधिक आरामदायक होता है, खासकर गर्मियों में।
3. वेशधारी धोती (Dhoti with Jacket ) : इसे विशेष अवसरों पर पहनने के लिए डिज़ाइन किया जाता है, जिसमें धोती के साथ एक जैकेट या नेहरू जैकेट पहना जाता है। यह शाही और औपचारिक अवसरों पर पहना जाता है।
4. पारंपरिक धोती ( Mundu ) : यह दक्षिण भारत
में बहुत प्रचलित है, खासकर केरल और कर्नाटका में। इसे एक लंबे कपड़े की तरह लपेटा जाता है और इसे साधारणतया से पहना जाता है।
5. राजस्थानी धोती: यह धोती राजस्थान के
पारंपरिक पहनावे का हिस्सा है। इसमें धोती को बहुत ही विशिष्ट तरीके से बाँधा जाता है और इसे रचनात्मक रूप से सजाया जाता है।
6. धोती – चादर ( Dhotis with Draped Sari Style) : कुछ समुदायों में धोती को चादर के साथ पहनने की एक शैली होती हैं, जिसे अक्सर महिलाओं द्वारा पारंपरिक अवसरों पर पहना जाता है।
इस गतिविधि से समझ में आया: धोती एक अत्यंत विविध और बहुपरोपकारी परिधान है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों और सांस्कृतिक परंपराओं में अलग-अलग तरीकों से पहना जाता है। इसका उपयोग मुख्यत: आरामदायक पहनावे के रूप में होता है, लेकिन यह आधिकारिक और धार्मिक आयोजनों के लिए भी उपयुक्त होता है। इस प्रकार, धोती केवल एक कपड़ा नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की विविधता, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 133)
प्रश्न 1.
आपका सबसे प्रिय त्योहार कौन-सा है एवं यह आपके क्षेत्र में किस प्रकार मनाया जाता है? क्या आप जानते हैं कि यह भारत के किसी अन्य भाग में भी वस्तुतः किसी अन्य नाम से मनाया जाता है?
उत्तर:
मेरा प्रिय त्योहार और उसका क्षेत्रीय उत्सवः मेरा प्रिय त्योहार दीवाली है। यह त्योहार भारत के अधिकांश हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मेरे क्षेत्र में (उत्तर भारत), दीवाली दीपों, रंगोली, लक्ष्मी पूजा और विशेष रूप से मिठाइयाँ खाने के साथ मनाई जाती है। लोग अपने घरों को सजाते हैं, घर-घर दीप जलाए जाते हैं, और एक-दूसरे को उपहार देने की परंपरा है। इसके अलावा, आकाश में पटाखे छोड़े जाते हैं और यह एक पारिवारिक और सामाजिक उत्सव होता है, जिसमें सभी लोग मिलकर खुशी मनाते हैं।
प्रश्न 2.
अक्तूबर-नवंबर माह में भारत में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख त्योहारों एवं देश के विभिन्न भागों में उन्हें जिन नामों से पुकारा जाता है, उनकी सूची बनाइएँ ।
उत्तर:
भारत में प्रमुख त्योहारों और उनके नामों की सूची: यह सूची दर्शाती है कि भारत में एक ही त्योहार विभिन्न नामों और विविध तरीकों से मनाया जाता है, जो क्षेत्रीय संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है-
त्योहार | भारत के विभिन्न हिस्सों में नाम |
दीवाली | दीपावली (उत्तर भारत), ताम्बुली ( कर्नाटका), काली पूजा ( पश्चिम बंगाल ) |
दशहरा | विजयादशमी (उत्तर भारत), दशेरा (महाराष्ट्र, कर्नाटका), विजया दशमी (पश्चिम बंगाल) |
नवरात्रि | नवरात्रि (उत्तर भारत), गरबा (गुजरात), दुर्गा पूजा ( पश्चिम बंगाल) |
पोंगल | पोंगल (तमिलनाडु), उटू (केरल) |
भाईइज | भओ बीज (महाराष्ट्र), भाई फोंटा ( पश्चिम बंगाल ) |
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 134)
प्रश्न 1.
पृष्ठ 134 पर चित्र 8.6 ( पाठ्यपुस्तक ) में दर्शाए गए प्रसंग की पहचान कीजिए एवं उससे संबंधित घटनाओं पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
रावण सीता हरण का प्रसंग: रामायण का एक प्रमुख और घटनापूर्ण हिस्सा है। जब रावण, लंका का राक्षस राजा, सीता को देखकर मोहित हुआ, तो उसने उन्हें अपने महल में ले जाने की योजना बनाई । एक दिन जब राम और लक्ष्मण जंगल में शिकार पर गए, तब रावण ने छल-कपट से सीता को रथ में बैठा लिया। वह सीता को लंका ले जाने के लिए उन्हें अपहृत कर लिया। सीता बचाव के लिए चिल्लाई, लेकिन रावण उन्हें डराकर अपने रथ में बिठाकर ले गया। इस घटना को जानकर राम बहुत दुखी हुए और वे सीता की खोज में जंगलों में भटकते रहे। रावण का यह कृत्य न केवल उसके अहंकार को दर्शाता है, बल्कि राम और सीता के रिश्ते की शुद्धता और बलिदान को भी उजागर करता है। इस घटना के बाद राम ने हनुमान और वानर सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई की और रावण को हराकर सीता को मुक्त किया।
एन.सी.ई.आर.टी. प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएँ ( पृष्ठ 136 )
प्रश्न 1.
पाठ के आरंभ में दिए गए दो उद्धरणों पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
• ” हे ईश्वर ! मेरी यह प्रार्थना स्वीकार करें कि मैं अनेकता में एकता के स्पर्श का आनंद कभी न गवाँ सकूँ। ” – रवींद्रनाथ टैगोर
रवींद्रनाथ टैगोर का यह उद्धरण भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों में से एक “ अनेकता में एकता को व्यक्त करता है। वे चाहते हैं कि हम विविधता में निहित एकता के गहरे अनुभव को कभी न खोएँ। भारत एक विविध राष्ट्र है, जहाँ विभिन्न धर्म, जातियाँ, भाषाएँ और संस्कृतियाँ मिलकर एक सशक्त समाज का निर्माण करती
| टैगोर की प्रार्थना है कि हम इस विविधता का सम्मान करें और इसे एकता की शक्ति के रूप में अनुभव करें। उनका मानना था कि एकता का असली अर्थ विविधता को अपनाने और उसे साकार रूप में देखने में है। जब हम विभिन्नताओं को समझते हुए एकजुट होते हैं, तो हम सच्चे शांति और संतोष का अनुभव कर सकते हैं। इस उद्धरण में टैगोर यह चाहते हैं कि हम कभी भी इस अद्भुत विविधता को न खोएँ, क्योंकि यही हमें जीवन का असली आनंद और उद्देश्य प्रदान करती है।
• ” विविधता में एकता का सिद्धांत सदैव से भारत के लिए स्वाभाविक रहा है और यह उसकी प्रकृति एवं अस्तित्व के लिए आवश्यक है। एक में अनेक का यह भाव भारत को उसके स्वभाव व स्वधर्म की सुनिश्चित नींव पर स्थापित करेगा।” – श्री अरविंद
श्री अरविंद का यह उद्धरण भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक नींव को स्पष्ट करता है। वे कहते हैं कि ” विविधता में एकता” का सिद्धांत भारत के लिए स्वाभाविक है, क्योंकि भारतीय समाज में विभिन्न जातियाँ, धर्म, भाषाएँ और परंपराएँ एक साथ अस्तित्व में हैं। भारत की शक्ति और विशेषता उसकी विविधता में निहित है. और यही विविधता उसकी एकता को मजबूत बनाती है।
” एक में अनेक” का यह भाव भारत के मूल सिद्धांतों में से एक है, जो यह दर्शाता है कि समाज में विभिन्नता को सम्मान दिया जाता है, फिर भी सबका उद्देश्य और ध्येय एक ही होता है – सामूहिक समृद्धि और शांति । श्री अरविंद के अनुसार, भारत का अस्तित्व और विकास विविधताओं को स्वीकार करके ही संभव है, और यह उसकी पहचान और स्वधर्म की नींव को प्रगाढ़ बनाता है। इस प्रकार, विविधता में एकता भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
प्रश्न 2.
राष्ट्रगान को पढ़िए। इसमें आप विविधता एवं एकता को कहाँ कहाँ देखते हैं? इस पर दो अथवा तीन अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रगान “जन गण मन” में विविधता और एकता का दर्शन: रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान “जन गण मन” में विविधता और एकता दोनों का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है। राष्ट्रगान में भारत के विभिन्न हिस्सों और संस्कृति का उल्लेख किया गया है, जैसे ” पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा” और ” द्रविड़ उत्कल बंग” । यहाँ पर भारत के भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं का सम्मान किया गया है, जो दर्शाता है कि देश में विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों का योगदान हैं, फिर भी वे सभी एकता में बँधे हुए हैं। राष्ट्रगान में ये भिन्नताएँ भारत की विविधता को उजागर करती हैं, लेकिन साथ ही यह सभी को एक साथ जोड़ने वाली एक शक्ति की भावना भी प्रदान करती हैं।
राष्ट्रगान का अंतिम भाग भारत भाग्य विधाता’ यह संकेत करता है कि देश का भाग्य और भविष्य केवल एकता और समानता में ही समृद्ध हो सकता है। यहाँ पर यह स्पष्ट किया गया है कि देश की एकता ही उसकी शक्ति है, और यह एकता सभी विविधताओं को साथ लेकर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती है। राष्ट्रगान न केवल विभिन्नता को स्वीकार करता है, बल्कि उसे एकत्रित करके भारत के समग्र समृद्धि की दिशा में अग्रसर होने का आह्वान करता है। इस प्रकार, ‘जन गण मन” में विविधता और एकता की भावना को अभिव्यक्त किया गया है, जो भारतीय संस्कृति और समाज की वास्तविकता है।
प्रश्न 3.
पंचतंत्र की कुछ कहानियाँ चुनिए और चर्चा कीजिए कि उनके संदेश किस प्रकार आज भी प्रासंगिक हैं। क्या आप अपने क्षेत्र से संबंधित कोई अन्य कहानियाँ भी जानते हैं?
उत्तर:
पंचतंत्र की कहानियाँ और उनके संदेशः
1. ‘लोमड़ी और अंगूर ‘
यह कहानी एक लोमड़ी की है जो अंगूर की बेल को देखती है और उन्हें खाने की कोशिश करती है, लेकिन अंगूर तक पहुँचने में असफल रहती है। बाद में वह यह कहकर भाग जाती है कि अंगूर खट्टे हैं। इस कहानी का संदेश है कि जब हम किसी चीज को प्राप्त नहीं कर पाते. तो उसे तुच्छ या निरर्थक बताना आसान होता है। यह संदेश आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि अक्सर लोग असफलता के बाद अपनी असफलता को छुपाने के लिए उस वस्तु या लक्ष्य को नकारते हैं।
2. ‘दो मेंढक ‘
यह कहानी दो मेंढकों की है, जिनमें से एक मेंढक दूध में कूदकर डूब जाता है, जबकि दूसरा लगातार दूध में तैरता रहता है और अंतत: दूध को मक्खन में बदलता है जिससे वह तैरकर बाहर निकलने में सफल हो जाता है। इस कहानी का संदेश है कि संघर्ष और दृढ़ता से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं। यह संदेश आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है, खासकर जब हम कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं।
3. ‘सियार और वेश्यालय’
इस कहानी में एक सियार ने अपने आपको शेर के रूप में सजाया, लेकिन वह किसी को डरा नहीं सका और जल्द ही उसकी पोल खुल गई। इसका संदेश है कि जो व्यक्ति अपनी असली पहचान को छुपाकर दूसरों को धोखा देने की कोशिश करता है, उसकी सच्चाई सामने आ ही जाती है। यह कहानी आज भी समाज में होने वाले धोखाधड़ी और दिखावे के मामलों में प्रासंगिक है।
अपने क्षेत्र से संबंधित कहानीः मेरे क्षेत्र में एक प्रसिद्ध लोककथा है “साँच को आंच नहीं “। इस कहानी में एक छोटे से गाँव में एक व्यक्ति अपनी ईमानदारी के कारण कठिन परिस्थितियों में भी सत्य बोलता है। इस व्यक्ति की ईमानदारी उसकी सबसे बड़ी ताकत बन जाती है। यह कहानी आज भी हमें ईमानदारी और सत्य बोलने का महत्व सिखाती है, जो हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में अत्यंत प्रासंगिक है।
इन कहानियों से यह स्पष्ट होता है कि पंचतंत्र की शिक्षाएँ और संदेश न केवल प्राचीन काल में, बल्कि आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 4.
अपने क्षेत्र से कुछ लोककथाएँ एकत्रित कीजिए एवं उनके संदेशों पर चर्चा कीजिए। उत्तर- हमारे क्षेत्र से कुछ लोककथाएँ:
(क) नकली बाबा: यह कहानी एक गाँव के नकली बाबा की है, जो दूसरों को अपने चमत्कारों से मूर्ख बनाता है। एक दिन एक बुद्धिमान व्यक्ति ने बाबा के चमत्कारी करतब को उजागर कर दिया। यह कहानी यह दर्शाती है कि जो लोग दिखावा करते हैं, उनकी असलियत अंतत: सामने आ ही जाती है।
संदेश: इस कहानी से यह संदेश मिलता हैं कि धोखाधड़ी और दिखावा कुछ समय के लिए हो सकता है, लेकिन सच और ईमानदारी की जीत हमेशा होती है।
(ख) खुशियाँ बाँटने वाला व्यक्तिः यह कहानी एक छोटे से गाँव के व्यक्ति की है. जो हमेशा दूसरों की मदद करता है। उस पर कभी भी समस्या नहीं आती, क्योंकि जो उसने दूसरों के लिए मदद किया था, वह उसे खुद भी वापस मिलता है।
संदेश : यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम दूसरों के लिए अच्छे कर्म करते हैं, तो वह कर्म हमें भी कभी-न-कभी वापस मिलते हैं। दूसरों के साथ खुशी बाँटना हमेशा फायदेमंद होता है।
(ग) दूसरों की मदद से खुद की मदद: यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो अपनी मेहनत से दूसरों की मदद करता है, और जब उसे कोई मुसीबत आती है, तो वही लोग उसकी मदद के लिए सामने आते हैं। संदेश: इस कहानी का संदेश है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि एक दिन वही लोग हमारी मदद करेंगे। यह परस्पर सहायता और समाजवाद का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
प्रश्न 5.
क्या आपने किसी प्राचीन कहानी को कला के माध्यम से दर्शाते या चित्रित होते देखा है? यह एक मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य प्रस्तुति या कोई चलचित्र भी हो सकता है। अपने सहपाठियों के साथ कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जी हाँ, हमने प्राचीन भारतीय कथाओं को विभिन्न कला रूपों के माध्यम से चित्रित होते हुए देखा है। इनमें से एक प्रमुख उदाहरण है रामायण और महाभारत की कहानियों का चित्रण भारतीय चित्रकला में।
1. चित्रकला : भारतीय चित्रकला में रामायण और महाभारत के प्रमुख घटनाओं का चित्रण प्राचीन काल से किया जाता रहा है। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान के मिनिएचर पेंटिंग्स में रावण का सीता हरण, अर्जुन का गांडीव चढ़ाना और कृष्ण का अर्जुन को गीता उपदेश देना, इन घटनाओं को जीवंत रूप से दर्शाया गया है। ये चित्रकला भारतीय संस्कृति में न केवल कला के रूप में, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती हैं।
2. मूर्तिकला: भारत के प्रसिद्ध मंदिरों, जैसे कि कांची के शंकराचार्य मंदिर, महाबलीपुरम और खजुराहो के मंदिरों में महाभारत और रामायण की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं। इन मूर्तियों में रावण के साथ युद्ध, भगवान राम और सीता के विवाह, कृष्ण और अर्जुन का संवाद आदि प्रमुख घटनाओं का सुंदर रूप में चित्रण किया गया है।
3. नृत्य प्रस्तुतिः भारत के विभिन्न नृत्य रूपों में भी प्राचीन कथाएँ नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, भरतनाट्यम, कथकली और कुथियाटम में रामायण और महाभारत की घटनाओं को नृत्य के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। इस प्रकार के प्रदर्शन न केवल कलाकारों के शारीरिक कौशल को दिखाते | हैं, बल्कि कथा के संदेश को भी दर्शकों तक पहुँचाते हैं।
4. चलचित्र : प्राचीन कथाओं का चलचित्र रूप में भी रूपांतरण किया गया है। रामायण और महाभारत पर आधारित कई फिल्में और टीवी धारावाहिक भारतीय टेलीविजन पर प्रसारित हो चुके हैं, जो इन कथाओं को नए ढंग से प्रस्तुत करते हैं और इनकी महानता को जीवित रखते हैं।
इन उदाहरणों से यह साफ है कि भारतीय कला विभिन्न रूपों में प्राचीन कथाओं को जीवंत करती हैं और संस्कृति को सहेजने का कार्य करती हैं।
प्रश्न 6.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्वतंत्रता से पहले भारत के कई भागों की यात्रा के उपरांत कही गई निम्न पंक्तियों पर कक्षा में चर्चा कीजिए-
हर जगह मुझे एक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि मिली, जिसने उनके जीवन पर प्रभावशाली असर डाला। भारत के महाकाव्य, रामायण एवं महाभारत और अन्य प्राचीन पुस्तकें, लोकप्रिय अनुवादों और व्याख्याओं में जनता के बीच व्यापक रूप से जानी जाती थीं। उनमें उपस्थित प्रत्येक लोकप्रिय घटना, कहानी और नैतिकता की बातें जनमानस के अंतर्मन पर अंकित थीं जो कि उसे सार्थक एवं समृद्ध बनाती थीं । निरक्षर ग्रामीणों को भी सैकड़ों श्लोक कंठस्थ थे एवं उनकी आपसी बातचीत में इन महाकाव्यों अथवा कुछ पुरानी कालजयी कहानियों के संदर्भों की प्रचुरता होती थी जो नैतिकता को प्रतिस्थापित करती थीं।
उत्तर:
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा कही गई यह पंक्तियाँ भारतीय समाज की गहरी सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर को उजागर करती हैं। नेहरू जी ने भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा के दौरान महसूस किया कि भारतीय जनता, चाहे वह शिक्षित हो या निरक्षर महाकाव्यों और प्राचीन ग्रंथों से गहरे रूप से जुड़ी हुई थी ।
उनके अनुसार, रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक ग्रंथ थे, बल्कि ये जनता के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके थे । ये ग्रंथ न केवल धार्मिक शिक्षा का स्रोत थे, बल्कि इनकी घटनाएँ, पात्र और नैतिकताएँ भारतीय समाज की मानसिकता को आकार देती थीं। निरक्षर ग्रामीणों के पास भी इन ग्रंथों के श्लोक कंठस्थ थे और वे अपने दैनिक जीवन में इनका उपयोग करते थे।
यहाँ पर नेहरू जी यह संकेत दे रहे थे कि भारतीय समाज में लोक साहित्य और कहानियाँ केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं थीं, बल्कि ये समाज की नैतिक शिक्षा का प्रमुख हिस्सा थीं। महाकाव्यों की कथाएँ, जैसे कि पांडवों का आदर्श, राम का धर्म, या कृष्ण की नीतियाँ, ग्रामीणों की बातचीत में प्रचलित थीं और उनके जीवन को मार्गदर्शन प्रदान करती थीं।
इन पंक्तियों से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में विविधता में एकता की भावना महाकाव्यों और प्राचीन ग्रंथों से आती थी। विभिन्न भाषा-भाषी और क्षेत्रीय समुदायों के बीच यह साहित्य एक सामान्य सांस्कृतिक धारा की तरह था, जो सभी को एक सूत्र में बाँधता था । अत: पंडित नेहरू के इस वक्तव्य से हम यह समझ सकते हैं कि भारतीय समाज में साहित्य और संस्कृति की गहरी जड़ें थीं, जो उसके नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक ढाँचे को सशक्त बनाती थीं।
पाठ के आरंभ में दिए गए महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘भारतीय परिदृश्य में विविधता में एकता’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘भारतीय परिदृश्य में विविधता में एकता’ का अर्थ: यह कथन भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई और जातीय विविधताओं के बावजूद देश में एकता और अखंडता की भावना को व्यक्त करता है। भारत में अनेकता होने के बावजूद यहाँ के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और साझा लक्ष्यों की ओर काम करते हैं। यह विचार भारत की सहनशीलता और सामूहिक संस्कृति को दर्शाता है, जहाँ विविधताएँ न केवल सह्य हैं, बल्कि सम्मानित भी की जाती हैं।
प्रश्न 2.
भारत की विविधता के कौन-से पक्ष सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं?
उत्तर:
भारत की विविधता के उल्लेखनीय पक्षः भारत की विविधता के कई पहलू हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं:
1. सांस्कृतिक विविधता: भारत में विभिन्न प्रकार की पारंपरिक कला, नृत्य, संगीत, त्योहार और रीति-रिवाज हैं।
2. भाषाई विविधता: भारत में 22 प्रमुख भाषाएँ और सैकड़ों उपभाषाएँ बोली जाती हैं।
3. धार्मिक विविधता: यहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मों के अनुयायी रहते हैं।
4. भौगोलिक विविधता: भारत में विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय और भौगोलिक क्षेत्र जैसे- पहाड़, रेगिस्तान, तटीय क्षेत्र और उपजाऊ मैदान हैं।
5. जातीय और सामाजिक विविधता: विभिन्न जातियों, समुदायों और सामाजिक समूहों के लोग एक साथ रहते हैं।
6. पारंपरिक वस्त्र:
• विविध पोशाकः पारंपरिक कपड़े विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। उदाहरणों में दक्षिण में साड़ी और धोती, उत्तर में सलवार-कमीज़ और पश्चिम में लहंगा शामिल हैं।
7. रीति-रिवाज
• विवाह अनुष्ठानः विस्तृत हिंदू समारोहों से लेकर इस्लाम में पवित्र निकाह और सिख धर्म में आनंद कारज तक, विभिन्न समुदायों में शादी के रीति-रिवाज काफी भिन्न होते हैं।
• स्थानीय परंपराएँ: प्रत्येक क्षेत्र के अपने रीति-रिवाज़ होते हैं, जैसे बंगाल में दुर्गा पूजा, केरल में ओणम और पंजाब में लोहड़ी की प्रथा ।
8. पाककला विविधता
• क्षेत्रीय व्यंजनः भारतीय व्यंजन क्षेत्र के अनुसार बहुत भिन्न होते हैं। उत्तर भारतीय भोजन में अक्सर गेहूँ आधारित ब्रेड और समृद्ध ग्रेवी शामिल होती हैं, जबकि दक्षिण भारतीय व्यंजन चावल के व्यंजन और नारियल आधारित तैयारियों के लिए जाना जाता है।
• सामग्री और मसाले: सामग्री और मसालों में विविधता, जैसे कि कश्मीर में केसर, केरल में नारियल और बंगाल में सरसों स्वाद और खाना पकाने की तकनीकों की एक विस्तृत श्रृंखला बनाती हैं।
प्रश्न 3.
हम विविधता में निहित एकता का कैसे पता लगाते हैं?
उत्तर:
भारत में विविधता के बावजूद एकता का पता हमें कई क्षेत्रों में मिलता है-
राष्ट्रीय त्योहार और आयोजनः जैसे 15 अगस्त ( स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस), जो पूरे देश में विभिन्न समुदायों द्वारा एकजुट होकर मनाए जाते हैं।
साझी सांस्कृतिक धरोहरः भारतीय कला, साहित्य, संगीत और फिल्में सभी को एक साथ जोड़ने का कार्य करती हैं।
संविधान और कानूनी ढाँचा: भारत का संविधान देश में विविधताओं के बावजूद समान अधिकार और समानता की गारंटी देता है, जो राष्ट्रीय एकता को सुनिश्चित करता है।
सामाजिक समरसताः विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और आपसी समझ से यह दिखता है कि कैसे भारतीय समाज अपने विभिन्नताओं के बावजूद आपसी एकता बनाए रखता है।