Teachers guide students to use Class 6 SST NCERT Solutions and Class 6 Social Science Chapter 11 Question Answer in Hindi Medium आधारभूत लोकतंत्र भाग 2 ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय सरकार for quick learning.
Class 6th SST Chapter 11 Question Answer in Hindi Medium
Social Science Class 6 Chapter 11 Question Answer in Hindi
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 11 के प्रश्न उत्तर in Hindi आधारभूत लोकतंत्र भाग 2 ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय सरकार
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (पृष्ठ 163)
प्रश्न 1.
पंचायती राज संस्थाएँ क्या हैं?
उत्तर:
पंचायती राज संस्थाएँ भारतीय संविधान के तहत एक महत्वपूर्ण स्व- शासन व्यवस्था है, जो स्थानीय स्तर पर शासन संचालन और विकास कार्यों को सुनिश्चित करती है। यह व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन को लोकतांत्रिक तरीके से चलाने का एक माध्यम है। पंचायती राज संस्थाएँ 73वें संविधान संशोधन (1992) के द्वारा कानूनी रूप से स्थापित की गईं।
पंचायती राज संस्थाएँ तीन स्तरों पर कार्य करती हैं-
1. ग्राम पंचायत: यह सबसे निचला स्तर है और एक ग्राम या छोटे से समूह के लिए जिम्मेदार होती है। ग्राम पंचायत ग्राम के विकास, स्वच्छता, शिक्षा, जल आपूर्ति,
सड़क निर्माण आदि जैसे कार्यों का प्रबंधन करती है।
2. पंचायत समिति ( ब्लॉक पंचायत ) : यह स्तर एक ब्लॉक ( या तालुका) के स्तर पर कार्य करता है। पंचायत समिति विकास कार्यों का समन्वय करती है और विभिन्न ग्राम पंचायतों के बीच संसाधन और योजना वितरण का कार्य करती है।
3. जिला पंचायत: यह सबसे ऊँचा स्तर होता है और पूरे जिले के विकास और प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करती है। जिला पंचायत विभिन्न पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के बीच नीति निर्धारण और संसाधन आवंटन का कार्य करती है।
पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं, जैसे कि ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, और जिला पंचायत सदस्य | इनके द्वारा जनसंवेदना के आधार पर स्थानीय मुद्दों को सुलझाने का कार्य किया जाता है। पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य शासन को विकेंद्रीकरण करना और लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान में सीधे भागीदार बनाना है।
प्रश्न 2.
पंचायती राज संस्थाओं के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न स्तरों पर कई महत्त्वपूर्ण कार्य होते हैं, जो ग्रामीण विकास और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाने के लिए होते हैं। इनके कार्यों का विवरण इस प्रकार हैं-
1. ग्राम पंचायत के कार्य:
उत्तर:
स्वच्छता और सफाई: ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र में सफाई व्यवस्था और स्वच्छता को बनाए रखती हैं।
जल आपूर्तिः ग्राम पंचायत पानी की आपूर्ति के लिए जल स्त्रोतों का प्रबंधन करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
सड़क निर्माण: ग्राम पंचायत सड़कें, गलियाँ और रास्ते बनवाने का कार्य करती है. जिससे परिवहन में सुविधा हो ।
शिक्षा और स्वास्थ्य: शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालयों की व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंधन करती है। कृषि और पशुपालनः कृषि के विकास के लिए योजनाओं का निर्माण और किसानों को सहायता प्रदान करती है।
ग्रामीण विकासः रोजगार और कौशल विकास कार्यक्रमों के संचालन के साथ-साथ अन्य बुनियादी ढाँचे का विकास करती है।
2. पंचायत समिति (ब्लॉक पंचायत) के कार्य:
उत्तर:
विकास योजनाओं का क्रियान्वयनः
पंचायत समिति विभिन्न सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार होती है, जैसे कि सड़क निर्माण, ग्रामीण सड़क नेटवर्क, जल आपूर्ति, बिजली आदि ।
संसाधन वितरणः विभिन्न ग्राम पंचायतों के बीच संसाधनों और वित्तीय सहायता का वितरण करती है।
स्वास्थ्य और शिक्षा : पंचायत समिति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों का संचालन और देख-रेख करती है।
कृषि और जलवायु परिवर्तनः कृषि से संबंधित योजनाओं का कार्यान्वयन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के उपायों का प्रबंधन करती है।
स्वास्थ्य और कल्याण योजनाएँ: ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य, महिला कल्याण, बाल कल्याण आदि योजनाओं का संचालन करती है।
3. जिला पंचायत के कार्य:
उत्तर:
राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का कार्यान्वयनः जिला पंचायत राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करती है, जो जिले के विकास से संबंधित होती हैं।
विकास की निगरानी: जिला पंचायत समग्र जिले के विकास की निगरानी करती है और विभिन्न पंचायत समितियों की गतिविधियों का मूल्यांकन करती है।
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन: जिले में जल, वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग और संरक्षण सुनिश्चित करती है।
शहरी और ग्रामीण विकास: जिला पंचायत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विकास योजनाओं को समन्वित करती है।
सामाजिक कल्याण योजनाओं का कार्यान्वयनः समाज के कमजोर वर्गों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करती है, जैसे कि वृद्धावस्था पेंशन, विकलांगता सहायता, महिला सशक्तिकरण आदि ।
कुल मिलाकर, पंचायती राज संस्थाएँ स्थानीय स्तर पर प्रशासन, विकास कार्यों और सामाजिक सेवाओं का समन्वय करती हैं, जिससे लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर प्राप्त हो सकें
प्रश्न 3.
शासन और लोकतंत्र में ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
पंचायती राज संस्थाएँ शासन और लोकतंत्र में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि ये स्थानीय स्तर पर शासन की प्रक्रिया को सशक्त और समावेशी बनाती हैं। निम्नलिखित बिंदुओं में समझाया गया है कि ये क्यों महत्वपूर्ण हैं-
1. लोकतंत्र का विकेंद्रीकरणः पंचायती राज संस्थाएँ लोकतंत्र को विकेंद्रीकृत करती हैं, जिससे स्थानीय लोग अपने ही विकास और प्रशासनिक फैसलों में भागीदार बन सकते हैं। यह प्रक्रिया केंद्रीय और राज्य सरकारों से निर्णय लेने की शक्ति को नीचे तक पहुँचाती है, जिससे निर्णय अधिक पारदर्शी और प्रभावी होते हैं।
2. स्थानीय प्रशासन में सहभागिता: पंचायती राज व्यवस्था में, लोग सीधे अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं जो उनके स्थानीय मुद्दों को समझते हैं। इससे शासन में नागरिकों की भागीदारी बढ़ती है और वे सीधे तौर पर अपने क्षेत्र के विकास में योगदान दे सकते हैं।
3. स्वच्छता और बुनियादी सेवाओं में ग्राम पंचायतों के माध्यम से स्वच्छता, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का वितरण और प्रबंधन किया जाता है। इससे इन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर बढ़ता है।
4. समाज के हर वर्ग की भागीदारी: पंचायती राज में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व का अवसर मिलता है, विशेष रूप से महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजातियों को। 73वें संविधान संशोधन के तहत महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान है, जो उन्हें राजनीति में सशक्त बनाता है और उनकी आवाज़ को शासन तक पहुँचाता है। यह समावेशी लोकतंत्र की अवधारणा को साकार करता है।
5. स्थानीय समस्याओं का प्रभावी समाधान: पंचायती राज संस्थाएँ स्थानीय स्तर पर प्रशासन को लागू करने के कारण, उन्हें स्थानीय समस्याओं का समाधान बेहतर तरीके से करने की क्षमता होती है। यह प्रशासन की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है, जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य संकटों या अन्य तात्कालिक मुद्दों
पर।
6. न्याय और पारदर्शिता में सुधार: चूँकि पंचायती राज संस्थाएँ जनता के पास होती हैं, यह शासन को अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनाती हैं। स्थानीय नेता अपनी जनता के सामने उत्तरदायी होते हैं, जिससे भ्रष्टाचार और अन्य प्रशासनिक कुप्रथाओं को कम करने में मदद मिलती है।
7. लोकल स्वराज और सशक्तिकरणः पंचायती राज संस्थाएँ लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करती हैं और उन्हें स्व- शासन का अधिकार देती हैं। इससे गाँवों और छोटे शहरों के लोग खुद के विकास के लिए योजनाएँ बना सकते हैं और उन्हें लागू कर सकते हैं, जो भारतीय लोकतंत्र में एक अहम तत्व है।
8. दीन-हीन और हाशिए पर पड़े समुदायों की सेवा: पंचायती राज व्यवस्था के जरिए, सरकार के साथ जुड़ाव बनाने के लिए हाशिए पर पड़े समुदायों तक पहुँचने के लिए अधिक अवसर मिलते हैं। यह उन लोगों तक सरकारी योजनाओं और सहायता को पहुँचाने में मदद करता है, जिन्हें मुख्यधारा से बाहर रखा गया है।
निष्कर्ष: पंचायती राज संस्थाएँ शासन और लोकतंत्र में महत्वपूर्ण इसलिए हैं, क्योंकि ये न केवल स्थानीय प्रशासन को प्रभावी और सशक्त बनाती हैं. बल्कि लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करती हैं। इसके माध्यम से लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप, जो कि लोगों की भागीदारी और उनके हितों की रक्षा है, साकार होता है।
आइए विचार करें (पृष्ठ 167)
प्रश्न 1.
क्या आप सोचते हैं कि ये पुराने मानचित्र हमारे किसी काम आ सकते हैं? क्या यह अतीत और वर्तमान के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, पुराने मानचित्र हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकते हैं। ये मानचित्र अतीत के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं, जैसे कि किसी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, भूमि उपयोग, नदी और जलस्रोतों का वितरण, और अतीत में उस क्षेत्र में कौन-से परिवर्तन हुए हैं।
ये मानचित्र यह समझने में मदद करते हैं कि समय के साथ वातावरण और मानव गतिविधियों ने उस क्षेत्र को कैसे प्रभावित किया है।
इसके अलावा, पुराने मानचित्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भों को समझने के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, भूमि के सीमांकन, पुराने गाँवों की स्थिति, और परिवहन मार्गों के बारे में जानकारी हमें उस समय के जीवन और अर्थव्यवस्था के बारे में समझने में मदद करती है ।
इसलिए, ये मानचित्र न केवल ऐतिहासिक जानकारी प्रदान करते हैं, बल्कि वर्तमान समस्याओं को समझने और समाधान ढूँढ़ने में भी सहायक हो सकते हैं।
आइए विचार करें (पृष्ठ 169)
प्रश्न 1.
आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि सरकार को समाज के वंचित वर्गों की आवश्यकताओं और समस्याओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है?
उत्तर-:
समाज के वंचित वर्गों की आवश्यकताओं और समस्याओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह वर्ग सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अक्सर उपेक्षित और बहिष्कृत रहता है। वंचित वर्गों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग, महिलाएँ और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय शामिल हैं, जो अक्सर अपनी पहचान, अधिकारों और अवसरों के लिए संघर्ष करते हैं। उनके पास संसाधनों की कमी, शिक्षा की कमी, और अवसरों की सीमितता होती है, जिसके कारण वे समाज की मुख्यधारा से पीछे रह जाते हैं।
यदि सरकार इन वर्गों की समस्याओं और आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं देती, तो सामाजिक असमानता बढ़ सकती है और विकास का लाभ कुछ ही वर्गों तक सीमित रह सकता है। इसके अलावा, वंचित वर्गों के लिए विशेष योजनाएँ और उपाय सुनिश्चित करना, जैसे- आरक्षण, विशेष कल्याण योजनाएँ और जागरूकता अभियान, उन्हें समान अवसर और अधिकार प्रदान करने में मदद करते हैं। इससे न केवल उनकी जीवन- स्थिति में सुधार होता है, बल्कि यह समाज में समानता, सामाजिक न्याय और समावेशन की भावना को भी बढ़ावा देता है।
इसलिए, सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह वंचित वर्गों को प्रोत्साहित करे, उनकी समस्याओं को सुने और उन्हें उचित संसाधन, शिक्षा, रोजगार और अधिकार प्रदान करके उनका सशक्तिकरण करे। ऐसा करने से समाज में शांति, स्थिरता और समग्र विकास संभव हो सकेगा।
आइए पता लगाएँ (पृष्ठ 169)
प्रश्न 1.
कक्षा की गतिविधि के रूप में चार अथवा पाँच विद्यार्थी मिलकर एक बाल पंचायत का गठन करें और कक्षा के शेष विद्यार्थी स्वयं को ग्रामवासी मान लें। यह ग्राम सभा किन विषयों पर विचार-विमर्श करेगी? कौन-सी चुनौतियों का सामना करेगी? यह कौन-से समाधान प्रस्तावित करेगी?
उत्तर:
बाल पंचायत की गतिविधि:
विषय पर विचार-विमर्श: बाल पंचायत कक्षा में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकती है, जिनमें बच्चों के हित जुड़े होते हैं। कक्षा के शेष विद्यार्थी ग्रामवासी के रूप में बाल पंचायत के प्रस्तावों पर चर्चा करेंगे। निम्नलिखित विषयों पर विचार किया जा सकता है-
- शिक्षा की स्थिति: बच्चों की पढ़ाई में कौन-सी समस्याएँ आ रही हैं, जैसे- पाठ्यक्रम में कठिनाई, समय की कमी या विद्यालय में पर्याप्त सुविधाओं का अभाव।
- स्वच्छता और स्वास्थ्य: विद्यालय में स्वच्छता की स्थिति मिड-डे मील की गुणवत्ता, जल और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति।
- बाल सुरक्षा : विद्यालय के परिसर में बच्चों की सुरक्षा, खेल के मैदानों की स्थिति, और किसी प्रकार के बाल शोषण या हिंसा के मामलों पर चर्चा |
- पारिवारिक समस्याएँ: बच्चों के लिए बाल-श्रम, बाल-विवाह और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास।
- प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण: विद्यालय के आस-पास के पर्यावरण की सुरक्षा और बच्चों को पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूक करने के उपाय।
चुनौतियाँ: बाल पंचायत को कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे-
- संसाधनों की कमी : विद्यालय में स्वच्छता और अन्य सुविधाओं के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी हो सकती है।
- समाजिक सोच: कुछ पारंपरिक सोच वाले ग्रामवासी बाल-विवाह, बाल-श्रम आदि जैसे मुद्दों पर सशक्त रूप से प्रतिक्रिया नहीं दे सकते।
- बच्चों की सक्रिय भागीदारी: बच्चों को अपनी समस्याएँ व्यक्त करने और समाधान प्रस्तावित करने में संकोच हो सकता है।
- प्रशासनिक सहायता की कमी: ग्राम पंचायत के सुधारों को लागू करने के लिए प्रशासनिक सहायता और समर्थन की कमी हो सकती है।
समाधान: बाल पंचायत द्वारा प्रस्तावित समाधानं निम्नलिखित हो सकते हैं-
- शिक्षा में सुधार: पाठ्यक्रम को आसान बनाने के लिए अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करना, बच्चों को ट्यूटर की सहायता देना |
- स्वच्छता और स्वास्थ्य पर ध्यान देना: विद्यालय में स्वच्छता अभियान चलाना, मिड-डे मील की गुणवत्ता में सुधार करना।
- बाल सुरक्षा पर कदम उठानाः विद्यालय के अंदर और बाहर बच्चों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड्स की व्यवस्था करना ।
- सामाजिक जागरूकता: बाल-श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाना, अभिभावकों को इसके बारे में समझाना।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: बच्चों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करने के लिए वृक्षारोपण अभियान शुरू करना और जल संरक्षण के उपायों पर कार्य करना ।
- इस गतिविधि के माध्यम से बच्चों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होगा और वे सामाजिक समस्याओं को हल करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित होंगे।
आइए पता लगाएँ ( पृष्ठ 170)
प्रश्न 1.
आप केंद्र स्तर और पंचायत स्तर पर शासन प्रणाली के बीच क्या विभिन्नताएँ और समानताएँ पाते हैं ? ( संकेत- यदि आवश्यक हो, तो अध्याय 10 देखें)
उत्तर:
केंद्र स्तर और पंचायत स्तर पर शासन प्रणाली की समानताएँ और भिन्नताएँ निम्न प्रकार हैं-
समानताएँ:
1. लोकतांत्रिक प्रक्रियाः दोनों स्तरों पर शासन लोकतांत्रिक तरीके से होता है। केंद्र सरकार और पंचायतों में जनप्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं और वे जनता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कार्य करते हैं।
2. निर्णय लेने की प्रक्रियाः दोनों स्तरों पर निर्णय लेने का कार्य प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार और पंचायतें अपने-अपने क्षेत्रों के विकास के लिए योजनाएँ बनाती हैं और उन्हें लागू करती हैं।
3. विकासात्मक कार्यः दोनों स्तरों पर विकासात्मक कार्य किए जाते हैं, जैसे कि सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, जल आपूर्ति और बुनियादी ढाँचे का विकास।
4. सामाजिक कल्याणः दोनों स्तरों पर सामाजिक कल्याण की योजनाओं का क्रियान्वयन होता है। केंद्र और पंचायत दोनों ही अपने-अपने स्तर पर समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करते हैं।
भिन्नताएँ:
1. केंद्रीय और स्थानीय अधिकार क्षेत्र: केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र व्यापक होता है और यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों से संबंधित कार्य करती है, जैसे- रक्षा, विदेश नीति, और राष्ट्रीय कानून। इसके विपरीत, पंचायत स्तर पर काम मुख्य रूप से स्थानीय विकास, ग्रामों की समस्याएँ और क्षेत्रीय मुद्दों तक सीमित रहता है।
2. संसाधनों का वितरण : केंद्र सरकार के पास अधिक वित्तीय संसाधन होते हैं और यह बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय योजनाओं और परियोजनाओं के लिए धन आवंटित करती है। पंचायतें छोटे स्तर पर स्थानीय संसाधनों का प्रबंधन करती हैं और ये राज्य सरकार या केंद्र से प्राप्त निधियों पर निर्भर होती हैं।
3. निर्वाचन प्रक्रिया: केंद्र सरकार में प्रतिनिधियों का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है, जैसे- लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य । पंचायत में प्रतिनिधियों का चुनाव स्थानीय स्तर पर होता है, जैसे-ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद ।
4. कार्यक्षेत्र की सीमा: केंद्र सरकार का कार्यक्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर होता है, जबकि पंचायतों का कार्यक्षेत्र केवल स्थानीय ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों तक सीमित होता है।
5. विकास की योजनाएँ: केंद्र सरकार राष्ट्रीय योजनाओं को लागू करती है, जो समग्र देश के विकास से संबंधित होती हैं, जैसे- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जबकि पंचायतें केवल स्थानीय विकास ।
प्रश्न 2.
यदि आपको पंचायत के कुछ सदस्यों से मिलने का अवसर मिलता है, तो आप उनसे क्या प्रश्न पूछेंगे ? छोटे समूहों में चर्चा कीजिए और एक प्रश्नावली तैयार कीजिए। कुछ ग्राम पंचायत सदस्यों से भेंट कीजिए या उन्हें अपने विद्यालय में आमंत्रित कीजिए। अपनी प्रश्नावली में से उनसे प्रश्न पूछिए और एक संक्षिप्त रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
यदि हमें पंचायत के कुछ सदस्यों से मिलने का अवसर मिलता है, तो हम उनके कार्यों, उनके अनुभवों और पंचायत की गतिविधियों के बारे में सवाल पूछते । हमारी प्रश्नावली में शामिल कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न निम्नलिखित हो सकते हैं-
प्रश्नावली
- आपके पंचायत क्षेत्र में किस प्रकार के विकास कार्य हो रहे हैं?
उदाहरण: सड़क निर्माण, जल आपूर्ति, शिक्षा सुविधाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि । - ग्राम पंचायत में महिलाओं की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाती है? क्या पंचायत में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का प्रभावी उपयोग हो रहा है?
- पंचायत को गाँव की समस्याओं के समाधान के लिए कौन-से प्रमुख कदम उठाने होते हैं? आप इन समस्याओं को कैसे प्राथमिकता देते हैं?
- पंचायत स्तर पर ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए कौन-से उपाय अपनाए जाते हैं? क्या ग्राम सभा में सभी वर्गों की आवाज सुनाई देती है ?
- आपके पंचायत क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर को सुधारने के लिए कौन-सी योजनाएँ या प्रयास किए जा रहे हैं?
- क्या पंचायत स्तर पर स्थानीय मुद्दों पर शासन की भूमिका को लेकर कोई चुनौतियाँ आती हैं? अगर हाँ, तो आप उनका समाधान कैसे करते हैं?
- आपके क्षेत्र में बच्चों, विशेष रूप से बालिकाओं के शिक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
- क्या आपको लगता है कि ग्रामीण विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का पंचायत स्तर पर ठीक से क्रियान्वयन हो रहा है? अगर नहीं, तो इसके लिए क्या सुधार किए जाने चाहिए?
- क्या पंचायत ने बाल हितैषी पहल शुरू की हैं? जैसे- बाल पंचायत या बाल-श्रम और बाल विवाह से संबंधित जागरूकता अभियान।
- पंचायत में सबसे बड़ी चुनौतियाँ क्या हैं और आप उनके समाधान के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
रिपोर्ट तैयार करना:
1. सदस्य से मुलाकातः पंचायत के सदस्य से मिलने के बाद, हमने उनसे ग्राम पंचायत के कार्यों योजनाओं और ग्रामीणों की भागीदारी के बारे में सवाल किए। उन्होंने बताया कि उनकी पंचायत में प्राथमिकताओं के आधार पर विकास कार्य किए जाते हैं, जैसे- सड़क निर्माण, जल आपूर्ति और शिक्षा सुविधाएँ।
2. महिलाओं की भागीदारी: उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित हैं, और महिला सरपंचों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। हालाँकि, अभी भी कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को लेकर सामाजिक चुनौतियाँ हैं ।
3. समस्याएँ और समाधान: पंचायत के सदस्य ने बताया कि प्रमुख समस्याएँ शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क का अभाव है। उन्होंने बताया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए ग्रामसभा आयोजित की जाती हैं और स्थानीय समुदाय की मदद ली जाती है।
4. सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयनः
पंचायत सदस्य ने यह भी साझा किया कि वे केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं, जैसे ग्राम सभा में सरकारी अधिकारियों से मुलाकात और योजनाओं की समीक्षा करना ।
5. सामाजिक जागरूकता और सुधारः उन्होंने बाल हितैषी पहल पर चर्चा की. जैसे बाल पंचायतें और बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता अभियान। ये प्रयास बच्चों के अधिकारों और उनकी भलाई को सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष: ग्राम पंचायत के सदस्य ने बताया कि उनके क्षेत्र में विकास कार्य लगातार जारी हैं, लेकिन कुछ समस्याएँ अभी भी जटिल हैं। ग्रामवासियों की भागीदारी और सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन समस्याओं के समाधान में मदद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत में महिलाओं, बच्चों और वंचित वर्गों के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाती हैं और उनके लिए विशेष पहल की जाती है।
एन. सी. ई. आर. टी. प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएँ (पृष्ठ 177)
प्रश्न 1.
स्वयं को जाँचिए – ऊपर दिए गए पाठ को देखे बिना क्या आप पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर बता सकते हैं? तीनों स्तरों में प्रत्येक के मुख्य क्या हैं?
उत्तर:
पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर निम्नलिखित हैं-
1. ग्राम स्तर ( ग्रामीण पंचायत ) मुख्य कार्यः यह सबसे निचला स्तर होता है, जहाँ ग्रामीण क्षेत्र के विकास कार्य होते हैं। इसमें ग्राम पंचायत होती है, जिसमें सरपंच और ग्राम सभा के सदस्य होते हैं। इसके मुख्य कार्यों में जल आपूर्ति, सड़क निर्माण, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंध और अन्य स्थानीय विकास कार्य शामिल हैं।
2. खंड स्तर ( पंचायत समिति ) मुख्य कार्यः यह ग्राम पंचायतों के बीच का स्तर है। पंचायत समिति खंड (तालुका) स्तर पर कार्य करती है और यह ग्राम पंचायतों के द्वारा बनाई गई विकास योजनाओं को एकत्र करती है और जिला स्तर पर भेजती है। इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायतों के कार्यों का समन्वय करना और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद करना है।
3. जिला स्तर ( जिला परिषद) मुख्य कार्यः
यह सबसे ऊँचा स्तर होता है और यह पूरे जिले के विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। जिला परिषद, जिला स्तर पर योजनाओं को लागू करती है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे का विकास। यह राज्य सरकार के साथ समन्वय करके जिले के विकास की दिशा तय करती है।
प्रश्न 2.
गाँव की सड़क के किनारे पड़ी प्लास्टिक थैलियों से संबंधित विषय पर सरपंच को पत्र लिखिए।
उत्तर:
दिनांक : 31 दिसंबर 2025
प्रिय प्रधान जी,
सादर प्रणाम,
मैं आपके गाँव के एक छोटे से निवासी के रूप में आपको यह पत्र लिख रहा हूँ ताकि हम सभी की समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा उठाया जा सके हमारे गाँव की मुख्य सड़क के किनारे, विशेष रूप से बाजार और बस अड्डे के पास, प्लास्टिक की थैलियों का ढेर लगा रहता है। यह दृश्य न केवल हमारे गाँव की सुंदरता को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक है।
प्लास्टिक कचरा नष्ट नहीं होता और यह मिट्टी और पानी को प्रदूषित करता है। इसके कारण जल निकासी की व्यवस्था भी प्रभावित होती है, जिससे बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। साथ ही, यह गाँव के जानवरों के लिए भी खतरा पैदा करता है, क्योंकि वे प्लास्टिक खाने के कारण बीमार हो सकते हैं या मौत का शिकार हो सकते हैं।
मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएँ। जैसे-
1. गाँव में प्लास्टिक कचरे को एकत्र करने के लिए विशेष डस्टबिन लगाए जाएँ ।
2. गाँव के हर व्यक्ति को प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए जागरूक किया जाए।
3. सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जाए और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से कागज या कपड़े की थैलियाँ प्रोत्साहित की जाए ।
4. ग्राम पंचायत के कर्मचारियों के माध्यम से नियमित रूप से कचरा उठाने की व्यवस्था की जाए।
मुझे विश्वास है कि आपकी तत्परता से हम इस समस्या का समाधान अवश्य निकाल सकेंगे और हमारे गाँव को एक स्वच्छ और हरित स्थान बना सकेंगे।
आपका सदैव आभारी,
[ आपका नाम ]
गाँव निवासी
[ गाँव का नाम ]
प्रश्न 3.
आपके विचार से किस प्रकार का व्यक्ति ग्राम पंचायत का सदस्य हो सकता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति में कुछ विशेष गुण और योग्यताएँ होनी चाहिए। इस प्रकार का व्यक्ति निम्नलिखित विशेषताओं वाला हो सकता है-
1. समाज के प्रति उत्तरदायित्व और प्रतिबद्धताः ग्राम पंचायत का सदस्य वह व्यक्ति होना चाहिए, जो समाज और गाँव के विकास के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो। उसे गाँव की समस्याओं को समझने और उन्हें सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
2. नैतिकता और ईमानदारी: पंचायत सदस्य को ईमानदार और निष्पक्ष होना चाहिए, ताकि वह समाज की सेवा करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन कर
सके।
3. लोकप्रियता और विश्वास: एक अच्छा पंचायत सदस्य वह होता है जिसे गाँव के समाधानों के लोग जानते और विश्वास करते हों। इसके अलावा, उसे गाँव के हर वर्ग के लोगों के विचारों और समस्याओं को समझने की विद्यार्थी इसमें क्या कर सकते हैं? क्षमता होनी चाहिए।
4. समाज में समावेशी दृष्टिकोण: ग्राम पंचायत का सदस्य हर वर्ग, जाति, और समुदाय के लोगों के साथ समान व्यवहार करता है और उनके मुद्दों पर ध्यान देता है। विशेषकर महिलाओं, बच्चों और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
5. संचार और नेतृत्व कौशलः ग्राम पंचायत का सदस्य एक अच्छा संवादकर्ता और नेता होना चाहिए। उसे अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने, ग्रामवासियों को प्रेरित करने और समुदाय के बीच समझौता स्थापित करने की क्षमता होनी चाहिए।
6. स्थानीय समस्याओं का ज्ञान: पंचायत का सदस्य होने के नाते उसे गाँव की समस्याओं. संसाधनों, और विकास की जरूरतों के बारे में अच्छा ज्ञान होना चाहिए, ताकि वह समाज की जरूरतों के अनुसार योजनाएँ बना सके।
7. विकासात्मक दृष्टिकोण: एक अच्छा पंचायत सदस्य गाँव के समग्र विकास के लिए नई योजनाओं और पहलुओं की सिफारिश करता है. चाहे वह शिक्षा. स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, स्वच्छता या सड़क निर्माण से संबंधित हो ।
इस प्रकार, ग्राम पंचायत का सदस्य वह व्यक्ति हो सकता है जो अपने समाज के प्रति प्रतिबद्ध, ईमानदार और विकासशील दृष्टिकोण वाला हो ।
प्रश्न 4.
मान लीजिए, आप एक गाँव के स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल राजमार्ग पर है तथा विद्यार्थियों को स्कूल आते-जाते समय सड़क पार करने में कठिनाई होती है। इस समस्या के विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं? इसमें पंचायती राज की कौन-सी संस्थाएँ आपकी मदद कर सकती हैं?
उत्तर:
इस समस्या का समाधान करने के लिए कुछ संभावित विकल्प निम्नलिखित हो सकते हैं-
1. सड़क पर पैदल यात्री क्रॉसिंग बनवाना: सड़क पर पैदल यात्री क्रॉसिंग का निर्माण करवाया जा सकता है, ताकि विद्यार्थियों को सुरक्षित रूप से सड़क पार करने का स्थान मिल सके यह क्रॉसिंग संकेतों और सिग्नल के साथ हो सकता है. जिससे वाहन चालकों को भी चेतावनी मिले।
2. सिग्नल और यातायात नियंत्रण: स्कूल के पास एक ट्रैफिक सिग्नल या एक पुलिसकर्मी की तैनाती की जा सकती है, ताकि विद्यार्थियों के स्कूल आते-जाते समय ट्रैफिक का नियंत्रण किया जा सके और सड़क पार करना सुरक्षित हो ।
3. सड़क के किनारे सुरक्षा रेलिंग का निर्माण: सड़क पर रेलिंग या बाड़ लगाई जा सकती है ताकि विद्यार्थी बिना सड़क पार किए सुरक्षा से विद्यालय तक पहुँच सके।
4. स्कूल के पास फुटपाथ का निर्माण: यदि सड़क पर फुटपाथ नहीं है, तो उसे बनवाने से विद्यार्थियों को सड़क पर चलने में सुविधा होगी और सड़क पार करने की आवश्यकता नहीं होगी।
5. सड़क की स्थिति सुधारना: सड़क की सतह को मजबूत और समतल बनवाना ताकि वाहन धीमी गति से चलें और विद्यार्थियों को सड़क पार करने में दिक्कत न हो।
पंचायती राज संस्थाएँ इस समस्या में मदद कर सकती हैं-
1. ग्राम पंचायत: ग्राम पंचायत सड़क के किनारे सुरक्षा सुविधाओं के निर्माण में मदद कर सकती है। इसके अलावा, ग्राम पंचायत सड़क निर्माण और सड़क सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रशासनिक कदम उठा सकती हैं।
2. खंड स्तर ( पंचायत समिति ): पंचायत समिति ट्रैफिक नियंत्रण और सिग्नल लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर योजनाएँ बना सकती है। यह सुझाव राज्य या जिला स्तर पर लागू करने के लिए प्रस्तुत कर सकती है।
3. जिला परिषद : जिला परिषद सड़क सुरक्षा के उपायों की निगरानी कर सकती हैं और वित्तीय सहायता उपलब्ध करा सकती है ताकि आवश्यक सुविधाओं का निर्माण किया जा सके।
विद्यार्थी क्या कर सकते हैं?
1. जागरूकता अभियान चलानाः विद्यार्थी सड़क सुरक्षा के महत्त्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए स्कूल में या आस-पास के समुदाय में अभियान चला सकते हैं। वे स्कूल में और आस-पास के इलाकों में सुरक्षित सड़क पार करने के नियमों को प्रचारित कर सकते हैं।
2. सहयोग करना और स्कूल प्रशासन से मिलकर समस्याएँ उठाना: विद्यार्थी स्कूल प्रशासन और ग्राम पंचायत के साथ मिलकर इस समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठा सकते हैं। वे विद्यार्थियों के प्रतिनिधि के रूप में पंचायत समिति और जिला परिषद के साथ बैठक कर सकते हैं और समस्या के समाधान के लिए सुझाव दे सकते हैं।
3. स्कूल में सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना: विद्यार्थी स्कूल में सड़क सुरक्षा के लिए कार्यशालाएँ और कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं, ताकि सड़क पार करते समय सुरक्षित तरीकों का पालन किया जाए।
इस प्रकार विद्यार्थी, पंचायतों और स्कूल प्रशासन की सामूहिक कोशिशों से इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।