NCERT Class 6 Hindi Chapter 4 Extra Question Answer हार की जीत
हार की जीत Class 6 Hindi Chapter 4 Extra Questions अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था ?
उत्तर :
बाबा भारती के घोडे का नाम सुलतान था।
प्रश्न 2.
बाबा भारती ने खड्गसिंह को घोड़ा कहाँ दिखाया ?
उत्तर :
बाबा भारती ने खड्गसिंह को घोड़ा अस्तबल में दिखाया।
प्रश्न 3.
बाबा भारती कहाँ रहते थे?
उत्तर :
बाबा भारती गाँव के बाहर एक मंदिर में रहते थे।
प्रश्न 4.
बाबा भारती को अपाहिज कब औरकहाँ मिला?
उत्तर :
बाबा जब अपने घोड़े पर बैठकर घूमने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक अपाहिज मिला।
हार की जीत Class 6 Hindi Chapter 4 Extra Question Answer लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बाबा भारती को चैन कब मिलता था?
उत्तर :
बाबा भारती जब अपने घोड़े पर बैठकर एक चक्कर लगा लेते थे, तब उन्हें चैन मिलता था।
प्रश्न 2.
खड्गसिंह बाबा भारती के पास क्या अभिलाषा लेकर उपस्थित हुआ?
उत्तर :
खड्गसिंह बाबा भारती के घोड़े को देखने की अभिलाषा लेकर उपस्थित हुआ।
प्रश्न 3.
अपाहिज ने बाबा भारती से क्या कहा ?
उत्तर :
अपाहिज ने बाबा भारती से तीन मील दूर रामावाला गाँव के वैद्य दुर्गादत्त के पास जाने की बात कही।
प्रश्न 4.
खड्गसिंह का स्वभाव कैसा था?
उत्तर :
खड्गसिंह बहुत क्रूर स्वभाव का व्यक्ति था, किंतु बाबा भारती का वह सम्मान करता था।
हार की जीत Class 6 Hindi Chapter 4 Extra Questions दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बाबा भारती की घोड़े से प्रेम की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर :
जितना प्रेम कोई माँ अपने बेटे से करती है या जितना प्रेम कोई किसान अपनी लहलहाती फसल से करता है। बाबा भारती भी उतना ही प्रेम अपने घोड़े से करते थे। माँ अपने बेटे से निष्काम प्रेम करती है। उसका पालन पोषण करके उसे जीवन में सफ़ल होते देखना चाहती है। लहलहाती फ़सल किसान की मेहनत का परिणाम होता है। ठीक इसी प्रकार बाबा भारती अपने घोड़े से प्यार करते थे क्योंकि अब उन्होंने अपना साथी उसे ही मान लिया था ।
प्रश्न 2.
खड्गसिंह ने अधीरता से यह क्यों कहा कि बाबाजी इसकी चाल न देखी तो क्या?
उत्तर :
खड्गसिंह ने जब बाबा भारती का घोड़ा देखा तो उसकी सुंदरता पर वह मोहित हो गया। वह डाकू था। उसने सैंकड़ों घोड़े देखे थे, किंतु सुलतान जैसा घोड़ा उसने कभी नहीं देखा था। उसे लगा कि ये घोड़ा तो उसके पास होना चाहिए । एक साधु के पास इस घोड़े का क्या काम ? मंत्रमुग्ध होकर वह उसे देख रहा था। वह घोड़े की चाल देखने के अपने लोभ का संवरण नहीं कर पाया इसलिए बोल उठा, बाबा जी इसकी चाल न देखी तो क्या देखी ।
प्रश्न 3.
खड्गसिंह ने बाबा भारती का घोड़ा देखकर उनसे कहा था कि यह घोड़ा तो मैं आपके पास न रहने दूँगा? इसके आधार पर खड्गसिंह का चरित्र चित्रण कीजिए । खड्गसिंह एक डाकू था। डाकुओं का स्वभाव होता है कि जिस वस्तु पर उनका मन आ जाता है, उस पर वह
उत्तर :
अपना अधिकार समझते हैं और उसे प्राप्त करके ही चैन लेते हैं। वे बेरहम और शक्तिशाली होते हैं। मनचाही वस्तु छीनना उनकी आदत में शामिल हो जाता है। वे लोगों का धन और सामान लूटते हैं और उसी में उन्हें आनंद आता है । कहावत है न कि जैसा खाए अन्न वैसा हो मन ।
हार की जीत Class 6 Hindi Chapter 4 Extra Question Answer बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित वाक्यों में आए रिक्त स्थानों के लिए उपयुक्त शब्दों चयन कीजिए।
(क) उस घोड़े के ____________ का घोड़ा सारे इलाके में नहीं था।
(i) जैसा
(ii) जोड़
(iii) सुंदर
(iv) बलवान
उत्तर :
(ii) जोड़
(ख) “मैं सुलतान के बिना नहीं रह सकूँगा । ” यह भ्रांति किसको हो गई श्री ?
(i) खड्गसिंह
(ii) रक्षक
(iii) बाबा भारती
(iv) पुजारी
उत्तर :
(iii) बाबा भारती
(ग) ____________ का नाम सुनकर लोग डर से काँपते थे ।
(i) बाबा भारती
(ii) सुलतान
(iii) खड्गसिंह
(iv) पुजारी
उत्तर :
(iii) खड्गसिंह
(घ) ____________ जानवर है देखोगे तो प्रसन्न हो जाओगे ।
(i) विचित्र
(ii) प्यारा
(iii) छोटा सा
(iv) सफ़ेद
उत्तर :
(i) विचित्र
(ङ) जो वस्तु खड्गसिंह को पसंद आ जाती थी उस पर वह अपना समझता था।
(i) प्यार
(ii) अधिकार
(iii) व्यापार
(iv) मित्र
उत्तर :
(ii) अधिकार
हार की जीत Class 6 Hindi Chapter 4 Extra Questions अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नांकित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए या लिखिए-
प्रश्न 1.
माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे इलाके में न था। बाबा भारती उसे सुलतान कह कर पुकारते, अपने हाथ से खरहरा करते, खुद दाना खिलाते और देख-देखकर प्रसन्न होते थे। उन्होंने रुपया, माल, असबाब, ज़मीन आदि अपना सब कुछ छोड़ दिया था, यहाँ तक कि उन्हें नगर के जीवन से भी घृणा थी। अब गाँव से बाहर एक छोटे-से मंदिर में रहते और भगवान का भजन करते थे । “मैं सुलतान के बिना नहीं रह सकूँगा”, उन्हें ऐसी भ्रांति – सी हो गई थी। वे उसकी चाल पर लट्टू थे। कहते, “ऐसे चलता है जैसे मोर घटा को देखकर नाच रहा हो। ” जब तक संध्या समय सुलतान पर चढ़कर आठ-दस मील का चक्कर न लगा लेते, उन्हें चैन न आता।
(क) बाबा भारती अपने घोड़े को प्यार करते थे-
(i) परिवार के समान
(ii) माँ का अपने बेटे के प्यार के समान
(iii) अपने पड़ोसी के समान
(iv) अपने पालतू जानवर के समान
उत्तर :
(ii) माँ का अपने बेटे के प्यार के समान
(ख) बाबा भारती ने कहाँ रहना प्रारंभ कर दिया था ?
(i) गाँव के बाहर एक मंदिर में
(ii) नगर के बाहर एक मंदिर में
(iii) एक कुटिया में
(iv) एक महल में
उत्तर :
(i) गाँव के बाहर एक मंदिर में
(ग) संध्या समय बाबा का क्या नियम था ?
(i) वे व्यायाम करते थे।
(ii) मित्रों के साथ बातचीत करते थे।
(iii) सुलतान पर सवार होकर आठ-दस मील का चक्कर लगाते थे।
(iv) मित्रों के साथ घूमने जाते थे।
उत्तर :
(iii) सुलतान पर सवार होकर आठ-दस मील का चक्कर लगाते थे।
(घ) बाबा भारती को क्या भ्रांति हो गई थी ?
(i) उनका गाँव में रहना उचित नहीं है ।
(ii) उन्हें अब शहर चले जाना चाहिए।
(iii) सुलतान के बिना नहीं रह सकते।
(iv) कोई उनका सुलतान ले जाएगा ।
उत्तर :
(iii) सुलतान के बिना नहीं रह सकते।
प्रश्न 2.
बाबा भारती और खड्गसिंह दोनों अस्तबल में पहुँचे। बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से | उसने सैकड़ों घोड़े देखे थे, परंतु ऐसा बाँका घोड़ा उसकी आँखों से कभी न गुजरा था। सोचने लगा, ‘भाग्य की बात है । ऐसा घोड़ा खड्गसिंह के पास होना चाहिए था । इस साधु को ऐसी चीज़ों से क्या लाभ?’ कुछ देर तक आश्चर्य से चुपचाप खड़ा रहा। इसके पश्चात उसके हृदय में हलचल होने लगी । बालकों की-सी अधीरता से बोला, ” परंतु बाबाजी, इसकी चाल न देखी तो क्या?”
(क) अस्तबल में कौन पहुँचा ?
(i) बाबा भारती
(ii) खड्गसिंह
(iii) गाँववाले
(iv) बाबा भारती और खड्गसिंह दोनों
उत्तर :
(iv) बाबा भारती और खड्गसिंह दोनों
(ख) बाबा भारती के घोड़े की क्या विशेषता थी?
(i) वह काले रंग का था
(ii) वह छोटा था
(iii) वह बाँका था
(iv) वह सुस्त था
उत्तर :
(iii) वह बाँका था
(ग) ‘ऐसा घोड़ा खड्गसिंह के पास होना चाहिए था । यह कौन सोच रहा था ?
(i) बाबा भारती
(iii) गाँव वाले
(ii) मंदिर का पुजारी
(iv) खड्गसिंह
उत्तर :
(iv) खड्गसिंह
(घ) ‘इस साधु को ऐसी चीज़ों से क्या लाभ?’ इस पंक्ति में साधु किसे कहा गया है?
(i) खड्गसिंह को
(ii) खड्गसिंह ने मित्र को
(iii) बाबा भारती को
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) बाबा भारती को
प्रश्न 3.
बाबा भारती भी मनुष्य ही थे। अपनी चीज़ की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय भी अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर लाए और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगे। एकाएक उचककर सवार हो गए, घोड़ा हवा से बातें करने लगा। उसकी चाल को देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर वह अपना अधिकार समझता था। उसके पास बाहुबल था, आदमी थे और बेरहमी थी । जाते-जाते उसने कहा, “बाबाजी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूँगा ।
(क) पाठ एवं उसके लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :
इस पाठ का नाम ‘हार की जीत’ और लेखक का नाम सुदर्शन है।
(ख) ‘बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर :
मनुष्य का स्वाभाविक गुण है कि वह अपनी किसी भी वस्तु या गुण की प्रशंसा सुन कर प्रसन्न हो उठता है। बाबा भारती भी अपने प्रिय घोड़े की प्रशंसा सुनकर प्रसन्न हो गए।
(ग) खड्गसिंह के हृदय पर साँप क्यों लोट गया?
उत्तर :
बाबा भारती के घोड़े की सुंदरता एवं उसकी चाल देखकर खड्गसिंह को ईर्ष्या होने लगी कि ऐसा सुंदर घोड़ा उसके पास होना चाहिए ।
(घ) डाकू के किस स्वभाव की यहाँ चर्चा की गई है?
उत्तर :
डाकू बेरहम और शक्तिशाली होते हैं। इसी कारण जो वस्तु उन्हें पसंद आ जाए, उस पर वे अपना अधिकार समझते हैं।
प्रश्न 4.
संध्या का समय था। बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे। इस समय उनकी आँखों में चमक थी, मुख पर प्रसन्नता । कभी घोड़े के शरीर को देखते, कभी उसके रंग को और मन में फूले न समाते थे।
सहसा एक ओर से आवाज़ आई, “ओ बाबा, इस कंगले की सुनते जाना । “
आवाज़ में करुणा थी। बाबा ने घोड़े को रोक लिया। देखा, एक अपाहिज वृक्ष की छाया में पड़ा कराह रहा है। बोले,
“क्यों तुम्हें क्या कष्ट है?”
अपाहिज ने हाथ जोड़कर कहा, “बाबा, मैं दुखियारा हूँ । मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो, परमात्मा भला करेगा । “
” वहाँ तुम्हारा कौन है?”
“ दुर्गादत्त वैद्य का नाम आपने सुना होगा। मैं उनका सौतेला भाई हूँ।”
बाबा भारती ने घोड़े से उतरकर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे-धीरे चलने लगे।
(क) सुलतान की पीठ पर सवार होकर कौन जा रहा था? वह कहाँ जा रहा था ?
उत्तर :
सुलतान की पीठ पर सवार होकर बाबा भारती संध्या समय घूमने जा रहे थे।
(ख) अपाहिज की आवाज़ में करुणा क्यों थी?
उत्तर :
अपाहिज चल नहीं सकता था। उसे घोड़े पर सवार होकर वैद्य के पास जाना था। उसे बाबा की सहायता चाहिए थी । याचना करते समय आवाज़ में करुणा ही होती है।
(ग) अपाहिज को कहाँ जाना था ?
उत्तर :
अपाहिज व्यक्ति को वहाँ से तीन मील दूर रामावाला गाँव के वैद्य दुर्गादत्त जी के पास जाना था।
(घ) बाबा भारती ने उसकी सहायता किस प्रकार की ?
उत्तर :
बाबा ने उस अपाहिज को घोड़े पर बिठा लिया और स्वयं घोड़े की लगाम पकड़कर धीरे-धीरे चलने लगे।
प्रश्न 5.
बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापस करने के लिए न कहूँगा। परंतु खड्गसिंह, केवल एक प्रार्थना करता हूँ, इसे अस्वीकार न करना; नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा । ” “बाबाजी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल यह घोड़ा न दूँगा । ” ‘अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुमसे इस विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना । “
(क) “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है” यह किसने कहा?
(i) बाबा भारती ने
(ii) मंदिर के रखवाले ने
(iii) खड्गसिंह के साथी ने
(iv) खड्गसिंह ने
उत्तर :
(i) बाबा भारती ने
(ख) ‘ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है।’ इस वाक्य में बकरा कौन है?
(i) घोड़ा
(ii) सुलतान
(iii) बाबा भारती
(iv) घोड़े का सेवक
उत्तर :
(iii) बाबा भारती
(ग) बाबा भारती ने खड्गसिंह से क्या प्रार्थना की ?
(i) घोड़ा वापिस करने की
(ii) उन्हें मंदिर तक छोड़ने की
(iii) घोड़ा छीनने की घटना किसी को न बताने की
(iv) घोड़े की देखभाल करने की
उत्तर :
(iii) घोड़ा छीनने की घटना किसी को न बताने की
प्रश्न 6.
खड्गसिंह का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। उसे लगा था कि उसे घोड़े को लेकर यहाँ से भागना पड़ेगा, परंतु बाबा भारती ने स्वयं उसे कहा कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना। इससे क्या प्रयोजन सिद्ध हो सकता है ? खड्गसिंह ने बहुत सोचा, बहुत सिर मारा, परंतु कुछ समझ न सका। हारकर उसने अपनी आँखें बाबा भारती के मुख पर गड़ा दीं और पूछा, “बाबाजी, इसमें आपको क्या डर है?” सुनकर बाबा भारती ने उत्तर दिया, “लोगों को यदि इस घटना का पता चला तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे। दुनिया से विश्वास उठ जाएगा ।” यह कहते-कहते उन्होंने सुलतान की ओर से इस तरह मुँह मोड़ लिया जैसे उनका उससे कभी कोई संबंध ही न रहा हो ।
(क) बाबा भारती ने खड्गसिंह से क्या विनती की ?
उत्तर :
बाबा भारती ने खड्गसिंह से विनती करते हुए कहा कि वह उनके साथ हुए इस धोखे की बात किसी को न बताए ।
(ख) बाबा भारती ने खड्गसिंह से वह घटना किसी को भी बताने से क्यों मना किया?
उत्तर :
बाबा नहीं चाहते थे कि उस घटना को सुनकर लोग दुखियों की सहायता करना बंद कर दें।
(ग) बाबा ने घोड़े की तरफ़ से मुँह क्यों मोड़ लिया?
उत्तर :
बाबा साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें अपने घोड़े से बेहद लगाव था, किंतु अपना घोड़ा वह खड्गसिंह को दे चुके थे। जो चीज दान कर दी हो, वह उस पर अपना अधिकार नहीं समझते थे।
(घ) ‘मुँह मोड़ना ‘ मुहावरे का वाक्य प्रयोग कीजिए ।
उत्तर :
दुख के समय कई बार अपने भी मुँह मोड़ लेते हैं।
प्रश्न 7.
रात्रि का तीसरा पहर बीत चुका था। चौथा पहर आरंभ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल ठंडे जल से स्नान किया। उसके पश्चात, इस प्रकार जैसे कोई स्वप्न में चल रहा हो, उनके पाँव अस्तबल की ओर बढ़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई। साथ ही घोर निराशा ने पाँव को मन- मन- भर का भारी बना दिया। वे वहीं रुक गए। घोड़े ने अपने स्वामी के पाँवों की चाप को पहचान लिया और जोर से हिनहिनाया। अब बाबा भारती आश्चर्य और प्रसन्नता से दौड़ते हुए अंदर घुसे और अपने घोड़े के गले से लिपटकर इस प्रकार रोने लगे मानो कोई पिता बहुत दिन से बिछड़े पुत्र से मिल रहा हो। बार-बार उसकी पीठ पर हाथ फेरते, बार-बार उसके मुँह पर थपकियाँ देते। और कहते थे, “ अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह न मोड़ेगा । “
थोड़ी देर के बाद जब वह अस्तबल से बाहर निकले तो उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे। ये आँसू उसी भूमि पर ठीक उसी जगह गिर रहे थे, जहाँ बाहर निकलने के बाद खड्गसिंह खड़ा होकर रोया था। दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।
(क) रात्रि का कौन-सा पहर चल रहा था ?
उत्तर :
रात्रि का तीसरा पहर चल रहा था।
(ख) घोड़ा क्यों हिनहिनाया?
उत्तर :
घोड़े ने अपने स्वामी की पदचाप पहचान ली थी, इसलिए अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए वह हिनहिनाया।
(ग) “जैसे कोई स्वप्न में चल रहा हो”, से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
जब हम प्रतिदिन कोई काम करते हैं तो हमें उस काम को करने की आदत पड़ जाती है और हम उसी गति और उसी क्रम से काम करते जाते हैं। इसीलिए घोड़ा छीने जाने के बाद भी बाबा भारती के पाँव स्वयं ही अस्तबल की ओर बढ़ चले।
(घ) बाबा भारती ने अपने घोड़े की आवाज़ सुनकर क्या किया?
उत्तर :
बाबा भारती दौड़ते हुए अस्तबल में गए और घोड़े से लिपटकर रोने लगे।