Understanding the question and answering patterns through Geography Practical Book Class 12 Solutions in Hindi Chapter 6 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Practical Chapter 6 Question Answer in Hindi स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए –
(i) स्थानिक आँकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं-
(क) अवस्थितिक
(ग) क्षेत्रीय
(ख) रैखिक
(घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में
उत्तर:
(क) अवस्थितिक
(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौनसा एक प्रचालन आवश्यक है ?
(क) आँकड़ा संग्रहण
(ख) आँकड़ा प्रदर्शन
(ग) आँकड़ा निष्कर्षण
(घ) बफरिंग
उत्तर:
(क) आँकड़ा संग्रहण
(iii) चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) आँकड़ा फॉर्मेट का एक अवगुण क्या है?
(क) सरल आँकड़ा संरचना
(ख) सहज एवं कुशल उपरिशायी
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिम्ब के लिए सक्षम
(घ) कठिन परिपथ जाल विश्लेषण
उत्तर:
(घ) कठिन परिपथ जाल विश्लेषण
(iv) सदिश ( वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट का एक गुण क्या है?
(क) समिश्र आँकड़ा संरचना
ख) कठिन उपरिशायी प्रचालन
(ग) सुदूर संवेदन आँकड़ों के साथ अधिक सुसंगतता
(घ) साँकड़ा संरचना
उत्तर:
(क) समिश्र आँकड़ा संरचना
(v) भौगोलिक सूचना तन्त्र कोट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान कुशलतापूर्वक की जाती है-
(क) उपरिशायी प्रचालन
(ख) सामीप्य विश्लेषण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) बफरिंग
उत्तर:
(घ) बफरिंग
प्रश्न 2.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए –
प्रश्न (1) चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) एवं सदिश ( वेक्टर) आँकड़ा मॉडल के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
चित्ररेखापुंज एवं सदिश आँकड़ा मॉडल में अन्तर –
चित्रेखाखापुंज (रैस्टर) मॉडल | सदिश (वेक्टर) आँकड़ा मॉडल |
इसमें आँकड़ा संरचना सरल होती है। | इसमें आँकड़ा संरचना जटिल एवं संहत होती है। |
इसमें आँकड़ों का अधिचित्रण सरल और दक्ष होता है। | इसमें आँकड़ों का अधिचित्रण कठिन होता है। |
सुदूर संवेदन प्रतिबिम्बों के प्रदर्शन में सहायक होते हैं। | सुदूर संवेदन प्रतिबिम्बों के प्रदर्शन में यह असंगत होते हैं। |
इनके द्वारा परिपथ जाल के विश्लेषण में कठिनता आती है। | यह परिपथ जाल के विश्लेषण के लिए दक्ष होते हैं। |
इसके द्वारा मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण संभव नहीं है। | मानचित्र के प्रत्येक लक्षण के विश्लेषण में सहायक होते हैं। |
प्रश्न (ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
उपरिशायी विश्लेषण भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रमाण चिह्न है। उपरिशायी प्रचालन का प्रयोग करके मानचित्रों के बहुगुणी स्तरों का समन्वय एक महत्त्वपूर्ण विश्लेषण क्रिया है। अन्य शब्दों में भौगोलिक सूचना तंत्र उसी क्षेत्र के मानचित्रों के दो अथवा अधिक विषयक स्तरों का उपरिशायी (अधिचित्रण) करके नया मानचित्र स्तर प्राप्त करने को सम्भव बनाता है। मानचित्र उपरिशायी ( अधिचित्रण) के अनेक अनुप्रयोग हैं। इनका प्रयोग समय के दो भिन्न कालों में भूमि उपयोग में परिवर्तन के अध्ययन और भूमि के रूपान्तरण का विश्लेषण करना है।
प्रश्न (iii) भौगोलिक सूचना तंत्र में हस्तचालित विधि की तुलना में क्या गुण हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र के गुण-हस्तेन विधियों की तुलना में भौगोलिक सूचना तंत्र के अग्रलिखित गुण उल्लेखनीय हैं-
- प्रयोक्ता प्रदर्शित किए जाने वाले स्थानिक लक्षणों के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं और संबंधित गुण-न्यास को प्रदर्शन और विश्लेषण के लिए निकाल सकते हैं।
- गुण न्यास की जाँच करके अथवा विश्लेषण करके मानचित्र आलेखित किए जा सकते हैं।
- स्थानिक प्रचालकों का समन्वित सूचनाधार पर अनुप्रयोग करके सूचनाओं के नए समुच्चय उत्पन्न किए जा सकते हैं।
- विशेष आँकड़ों के विभिन्न आइटम एक-दूसरे के साथ अंश अवस्थिति कोड की सहायता से जोड़े जा सकते हैं।
प्रश्न (iv) भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्वपूर्ण घटक क्या है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र के घटक –
- हार्डवेयर – इसमें प्रक्रमण भंडार प्रदर्शन और निवेश तथा बहिर्वेश उपतंत्र समाविष्ट होते हैं।
- सॉफ्टवेयर – आँकड़ों की प्रविष्टि, संपादन, अनुरक्षण, विश्लेषण, रूपान्तरण, हेर-फेर आँकड़ा प्रदर्शन और बहिर्वेश के लिए सॉफ्टवेयर मॉड्यूल की आवश्यकता होती है।
- आँकड़े – स्थानिक आँकड़े और सम्बन्धित तालिका रूपी आँकड़े भौगोलिक सूचना तंत्र की रीढ़ होते हैं।
- लोग – भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रयोक्ताओं द्वारा भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रयोग निर्णय पोषित प्रणाली को विकसित करने और वास्तविक काल पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान हेतु करते हैं।
- प्रक्रिया- इसमें आँकड़ों का प्रत्यानयन, तंत्र में निवेश, संचय, प्रबंध, रूपान्तरण, विश्लेषण और अंत में तंत्र में बहिर्वेश सम्मिलित है।
प्रश्न (v) भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक सूचना / आँकड़ों को अनेक विधियों से बनाया जा सकता है। जैसे –
- आँकड़ा आपूर्तिकर्ता से आँकड़े आंकिक रूप में प्राप्त करके।
- विद्यमान अनुरूप आँकड़ों का अंकीकरण करके।
- भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।
प्रश्न (vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी अधिकांश आँकड़े, जिनका प्रयोग आज प्रयोक्ता द्वारा किया जाता है, वे स्थानिक घटक अर्थात् अवस्थिति घटक होते हैं; जैसे किसी नगरपालिका का पता, कृषि जोत की सीमाएँ इत्यादि। इस प्रकार स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी का सम्बन्ध सूचना के संग्रहण, भंडारण, पुनर्प्राप्ति, प्रदर्शन, हेरफेर, प्रबन्धन और विश्लेषण में प्रौद्योगिक निवेश के प्रयोग से होता है। साधारणतया स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी सुदूर संवेदन तंत्र, वैश्विक स्थिति निर्धारण तंत्र (जीपीएस), भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस), आंकिक मानचित्र कला और सूचनाधार प्रबन्ध प्रणालियों का एक सम्मिश्रण होता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए –
प्रश्न (i) चित्ररेखापुंज (रैस्टर) एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
1. चित्ररेखापुंज (रैस्टर) आँकड़ा फॉर्मेट- रैस्टर आँकड़े वर्गों के जाल के प्रारूप में आँकड़ों का ग्राफी प्रदर्शन करते हैं। उदाहरणस्वरूप एक कागज पर एक तिरछी रेखा खींचते हैं। चित्ररेखापुंज द्वारा इस प्रतिविम्ब का प्रदर्शन कागज को उपविभाजित करके छोटी आयतों के समूह जिन्हें सेल कहा जाता है, के रूप में किया जाएगा। एक ग्राफ पेपर की शीट की तरह आँकड़ा फाइल में भी प्रत्येक सेल को एक निश्चित स्थान प्रदान किया जाता है और उस स्थान के गुण के आधार पर एक मूल्य दिया जाता है।
इसकी पंक्तियों और स्तम्भों के निर्देशांक किसी भी व्यक्तिगत पिक्सेल की पहचान कर सकते हैं। आँकड़ों का यह प्रदर्शन प्रयोक्ता को प्रतिबिम्ब के पुनर्गठन अथवा दृश्यांकन में सहायता करता है। सेलों के आकार और उनकी संख्या के बीच सम्बन्ध को चित्ररेखापुंज के विभेदन के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
अग्र चित्रों में चित्ररेखापुंज फॉर्मेट में आँकड़ों पर आकार के प्रभाव को स्पष्ट किया गया है –
चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) फाइल फॉर्मेट का अधिकतर प्रयोग प्राय: निम्नांकित क्रियाओं के लिए किया जाता है –
- जब लागत को कम करना जरूरी हो।
- जब बैकड्रॉप मानचित्रों की आवश्यकता हो।
- जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्षित नहीं हो।
- वायव फोटोग्राफों, उपग्रहीय प्रतिबिम्बों, क्रमवीक्षित कागजी मानचित्रों के आंकिक प्रदर्शन और अत्यधिक ब्यौरेवार प्रतिबिम्बों वाले अन्य अनुप्रयोग के लिए।
2. सदिश ( वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट – सदिश (वेक्टर) आँकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिन्दुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं। उदाहरणस्वरूप एक कागज पर एक तिरछी रेखा खींचते हैं। इस तिरछी रेखा का सदिश प्रदर्शन केवल निर्देशांकों के आरम्भिक और अन्तिम बिन्दुओं को दर्ज कर रेखा की स्थिति को दर्ज करके किया जाता है। इसमें प्रत्येक बिन्दु की अभिव्यक्ति प्रदर्शन के द्विआयामी अथवा त्रिआयामी होने पर क्रमशः दो अथवा तीन संख्याओं के रूप में होती है।
इन्हें प्राय: x, y अथवा x, y, z निर्देशांकों के द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। इसमें पहली संख्या बिन्दु और कागज की बायीं सीमा के बीच की दूरी होती है। y बिन्दु और कागज की निचली सीमा के बीच की दूरी तथा कागज के ऊपर अथवा नीचे से बिन्दु की उच्चता है। इन मापे गए बिन्दुओं को मिलाने से सदिश ( वेक्टर) का निर्माण हो जाता है।
जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया है –
विशेषतः एक सदिश आँकड़ा मॉडल अपने यथार्थ (पृथ्वी) निर्देशांकों द्वारा भंडारित बिन्दुओं का प्रयोग करता है। इसमें रेखाओं और क्षेत्रों का निर्माण बिन्दुओं के अनुक्रम द्वारा होता है। रेखाओं की दिशा बिन्दुओं के क्रम के अनुरूप- होती है। सदिश संस्थिति के बारे में सूचनाओं का भंडारण कर सकता है। सदिश आँकड़ों के निवेश के लिए हस्तेन अंकीकरण सर्वोत्तम विधि होती है।
सदिश फाइलों का प्रयोग अधिकतर निम्नलिखित के लिए किया जाता है –
- उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग।
- जब फाइलों के आकार महत्वपूर्ण हों।
- जब मानचित्र के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो।
- जब वर्णनात्मक सूचना का भंडारण करना आवश्यक हो।
प्रश्न (ii) भौगोलिक सूचना तंत्र से सम्बन्धित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में किस प्रकार किया जाता है? एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र की क्रियाओं का अनुक्रम भौगोलिक सूचना तंत्र से सम्बन्धित काम में क्रियाओं का निम्नलिखित अनुक्रम सम्मिलित किया जाता है –
1. स्थानिक आँकड़ा निवेश- भौगोलिक सूचना तंत्र में स्थानिक सूचनाधार की रचना निम्नलिखित वर्गों के आधार पर की जाती है –
(i) आँकड़ा आपूर्तिकर्ता से आंकिक आँकड़ा समुच्चय का प्रगहण – वर्तमान में आँकड़ा आपूर्तिदाता आंकिक आँकड़ों को तैयार रूप में उपलब्ध कराते हैं, जो लघु- मापनी मानचित्रों से लेकर वृहत् मापनी तक होते हैं। अनेक स्थानीय सरकारों और निजी कम्पनियों के लिए ऐसे आँकड़े प्रारम्भिक स्रोत की रचना करते हैं।
क्रियात्मक स्तर पर यह सुनिश्चित करने के लिए कि आँकड़े अपने अनुप्रयोग के साथ संगत हैं, प्रयोक्ता को उनकी निम्न विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए –
(क) आँकड़ों की मापनी।
(ख) प्रयोग में लाई गई भौगोलिक संदर्भ प्रणाली।
(ग) प्रयोग में लाई गई आँकड़ा संग्रहण की तकनीकें और निदर्शन सामरिकी।
(घ) एकत्रित आँकड़ों की गुणवत्ता।
(ङ) आँकड़ों का वर्गीकरण और प्रयोग में लाई गई अंतर्वेशन की विधियाँ।
(च) व्यक्तिगत मानचित्रण इकाइयों का आकार और आकृति।
(छ) रिकॉर्ड की लम्बाई।
(ii) हस्तेन निवेश द्वारा आंकिक आँकड़ा समुच्चयों की रचना – भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ों के हस्तेन निवेश की चार प्रमुख अवस्थाएँ होती हैं-
(क) स्थानिक आँकड़ों की प्रविष्टि,
(ख) गुण न्यास की प्रविष्टि,
(ग) स्थानिक और गुण न्यास का सत्यापन और संपादन,
(घ) जहाँ आवश्यक हो स्थानिक आँकड़ों का गुण न्यास से योजन करना।
आँकड़ा निवेश की हस्तेन विधियाँ मुख्यतः सूचनाधार की संस्थिति सदिश ( वेक्टर) और चित्ररेखापुंज पर निर्भर करती हैं। वस्तुतः भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ों के निवेश की सर्वाधिक साधारण विधियों का उपयोग अंकरूपक, क्रमवीक्षक और स्टीरियो प्लॉटर के माध्यम से किया जाता है।
2. गुण न्यास की प्रविष्टि – भौगोलिक सूचना तंत्र के स्थानिक भाग में आँकड़े अपनी विशेषताओं के आधार पर एक विशेष रंग अथवा चिह्न में अवस्थित होते हैं। वस्तुतः तथ्यों से सम्बन्धित गुणात्मक मूल्यों का सम्बन्धपरक सूचनाओं की दशा में भौगोलिक सूचना तंत्र की एक स्थानिक सूचना के रूप में अथवा पदार्थपरक सूचनाओं की दशा में स्थानिक विवरण सहित निवेश के रूप में अलग-अलग भंडारण किया जा सकता है। प्रकाशित रिकॉर्ड, सरकारी जनगणनाओं, प्राथमिक सर्वेक्षणों अथवा स्प्रेड शीट जैसे स्रोतों से प्राप्त गुण न्यास आँकड़ों को जी.आई.एस. सूचनाधार में हस्तेन अथवा मानक स्थानान्तरण फॉर्मेट का प्रयोग करते हुए आँकड़ों का आयात करके निवेश किया जाता है।
3. आँकड़ों का सत्यापन और संपादन – आँकड़ों की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए त्रुटियों की पहचान और संशोधन हेतु भौगोलिक सूचना तंत्र में प्रग्रहित आँकड़ों को सत्यापन की आवश्यकता होती है। स्थानिक आँकड़ों में त्रुटियों की जाँच कम्प्यूटर द्वारा आलेख बनाकर अथवा मूल जैसी मापनी पर पारभासी कागज को अधिमान देते हुए आँकड़ों का मुद्रण करके की जा सकती है। दोनों प्रकार से प्राप्त मानचित्रों को प्रकाशीय मेज पर एक-दूसरे के ऊपर रखकर मानचित्रों को दाएँ तथा ऊपर से नीचे क्रमबद्ध तरीके से काम करते हुए आरेखों से देखकर उनकी तुलना की जाती है।
4. स्थानिक और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता – भौगोलिक सूचना तंत्र में स्थानिक आँकड़े और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। एक भौगोलिक सूचना तंत्र विशिष्ट रूप से विभिन्न आँकड़ा समुच्चयों को जोड़ता है, अतः गुण न्यास आँकड़ों को असम्बद्ध स्थानिक आँकड़ों से सहलग्न करने पर विश्लेषण में अस्त-व्यस्तता उत्पन्न हो जाएगी। इसी कारण आँकड़ों का एक स्तर से दूसरे स्तर में सुमेलन आवश्यक है।
5. स्थानिक विश्लेषण – भौगोलिक सूचना तंत्र की प्रबलता उसकी विश्लेषणात्मक सामर्थ्य में ही निहित होती है। स्थानिक विश्लेषण की क्रियाएँ ही भौगोलिक सूचना तंत्र को अन्य सूचना तंत्रों से पृथक् करती हैं। वस्तुत: विश्लेषण क्रियाएँ यथार्थ विश्व से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सूचनाधार में स्थानिक और गैर-स्थानिक गुणों का प्रयोग करती हैं।
इस प्रकार भौगोलिक विश्लेषण का उद्देश्य आँकड़ों को उपयोगी सूचनाओं में बदलकर नीति- निर्माताओं की आवश्यकताओं को पूर्ण करना होता है। भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रयोग करते हुए स्थानिक विश्लेषण के लिए मुख्यतः अधिचित्रण, बफर विश्लेषण, परिपथ जाल विश्लेषण और अंकिक भूभाग मॉडल प्रचालनों को काम में लिया जाता है। इस प्रकार उपर्युक्त चरणों के माध्यम से भौगोलिक सूचना तंत्र से सम्बन्धित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में आसानी से किया जा सकता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्त्वपूर्ण घटक हैं –
(क) हार्डवेयर
(ग) आँकड़े
(ख) सॉफ्टवेयर
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 2.
सदिश ( वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट का महत्त्वपूर्ण गुण कौनसा है –
(क) आँकड़ा संरचना का जटिल होना
(ख) परिपथ जाल विश्लेषण में दक्ष होना
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिम्बों के साथ असंगत होना
(घ) अधिचित्रण के कठिन प्रचालन
उत्तर:
(ख) परिपथ जाल विश्लेषण में दक्ष होना
प्रश्न 3.
समरूप आँकड़ों को आंकिक जाल आधारित प्रतिबिम्बों में परिवर्तित किया जाता है –
(क) क्रमवीक्षक
(ख) अंकरूपक
(ग) स्टीरियो प्लॉटर
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) क्रमवीक्षक
प्रश्न 4.
भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रमाण चिह्न प्रचालन है –
(क) बफर विश्लेषण
(ख) अधिचित्रण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) अंकिक भूभाग मॉडल
उत्तर:
(ख) अधिचित्रण
प्रश्न 5.
स्थानिक विश्लेषण का कौनसा प्रचालन चालनी मानचित्रण से समरूपता रखता है-.
(क) परिपथ जाल विश्लेषण
(ख) बफर विश्लेषण
(ग) अंकिक भूभाग मॉडल
(घ) अधिचित्रण
उत्तर:
(घ) अधिचित्रण
प्रश्न 6.
सुविधाओं से लाभान्वित अथवा वंचित क्षेत्रों की स्थिति निर्धारण में कौनसा प्रचालन सर्वाधिक उपयोगी है?
(क) बफर प्रचालन
(ख) अधिचित्रण प्रचालन
(ग) अंकिक भूभाग प्रचालन
(घ) परिपथ जाल प्रचालन
उत्तर:
(क) बफर प्रचालन
प्रश्न 7.
निम्नांकित में से सामीप्य विश्लेषण कौनसा है ?
(क) अंकिक भूभाग विश्लेषण
(ख) परिपथ जाल विश्लेषण
(ग) बफर विश्लेषण
(घ) अधिचित्रण विश्लेषण
उत्तर:
(ग) बफर विश्लेषण
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भौगोलिक सूचना तंत्र में प्रयुक्त आँकड़ों की संरचना मुख्यत: कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ा संरचना मुख्यतः दो प्रकार की होती है सदिश ( वेक्टर) और चित्ररेखापुंज |
प्रश्न 2.
चित्ररेखापुंज के विभेदन के रूप में किस सम्बन्ध को अभिव्यक्त किया जाता है?
उत्तर:
सेलों के आकार और उनकी संख्या के बीच के सम्बन्ध को ही चित्र रेखापुंज के विभेदन के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 3.
सेल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर;
एक चित्ररेखापुंज फाइल में किसी भी प्रतिबिम्ब का प्रदर्शन कागज को उपविभाजित करके छोटी-छोटी आयतों के रूप में किया जाता है। यह आयत ही सेल कहलाती है।
प्रश्न 4.
सदिश (वेक्टर) आँकड़ों द्वारा वस्तु का प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
सदिश ( वेक्टर) आँकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिन्दुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं।
प्रश्न 5.
भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ों का निवेश किसके माध्यम से किया जाता है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ों का निवेश मुख्यत: अंकरूपक, क्रमवीक्षक और स्टीरियो प्लॉटर साधनों के माध्यम से किया जाता है 1
प्रश्न 6.
क्रमवीक्षक कितने प्रकार के होते हैं? लिखिए।
उत्तर:
(1) वह क्रमवीक्षक जो आँकड़ों को क्रम से दर्ज करते हैं।
(2) वे जो एक ही प्रचालन में सम्पूर्ण दस्तावेज का क्रमवीक्षण कर सकते हैं।
प्रश्न 7.
भौगोलिक विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
भौगोलिक विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य आँकड़ों को उपयोगी सूचनाओं में बदलकर नीति-निर्माताओं की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करना है।
प्रश्न 8.
कम्प्यूटर सहायक मानचित्र कला से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कम्प्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग के संयोजन से चित्र बनाने की कला, कम्प्यूटर सहायक मानचित्र कला कहलाती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भौगोलिक सूचना तंत्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र ( जी.आई.एस.) – जी.आई.एस. यथार्थ विश्व से सम्बन्धित स्थानिक आँकड़ों के संग्रहण, भंडारण, रूपान्तरण, इच्छानुसार पुनः
प्राप्ति तथा प्रदर्शन करने की एक सशक्त युक्तियों का समूह है। इसमें स्थानिक दृष्टि से संदर्भित कम्प्यूटर सूचनाधार और उपयुक्त अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर सम्मिलित समझे जाते हैं। यह कम्प्यूटर सहायक मानचित्र कला और सूचना आधारित प्रबंधन तंत्र का सम्मिश्रण है, जो स्थानिक और समवर्गी विज्ञानों, जैसे- कम्प्यूटर विज्ञान, सांख्यिकी, मानचित्र कला, सुदूर संवेदन सूचनाधार प्रौद्योगिकी, भूगोल और रीति- विधान सम्बन्धी बल प्राप्त करता है। इसकी सहायता से संचित भौगोलिक आँकड़ों, मानचित्र एवं चयनित आँकड़ा आधार प्राप्त करने की सुविधा मिल जाती है।
प्रश्न 2.
चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) फाइल फॉर्मेट का प्रयोग किन क्रियाओं में किया जाता है?
उत्तर;
चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) फाइल फॉर्मेट का प्रयोग इसका अधिकतर प्रयोग प्रायः निम्नलिखित क्रियाओं के लिए किया जाता है-
- जब लागत को कम करना जरूरी हो।
- जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्षित नहीं हो।
- जब ‘बैकड्रॉप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो।
- वायव फोटोग्राफी, उपग्रहीय प्रतिबिम्बों, क्रमवीक्षित कागजी मानचित्रों के आंकिक प्रदर्शन और अत्यधिक ब्यौरेवार प्रतिबिम्बों वाले अन्य अनुप्रयोग के लिए।
प्रश्न 3.
किन परिस्थितियों में वेक्टर (सदिश) आँकड़ा फाइल का प्रयोग अधिक उपयोगी रहता है?
उत्तर:
वेक्टर फाइल फॉर्मेट का प्रयोग- एक सदिश आँकड़ा मॉडल अपने यथार्थ निर्देशांकों द्वारा भण्डारित बिन्दुओं का प्रयोग करता है। इसमें रेखाओं और क्षेत्रों का निर्माण बिन्दुओं के अनुक्रम द्वारा होता है। सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फाइलों का अधिकतर प्रयोग प्रायः निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है-
- उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग के समय।
- जब फाइलों का आकार महत्त्वपूर्ण हो।
- जब मानचित्र के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो।
- जब वर्णनात्मक सूचना का भंडारण करना आवश्यक हो।
प्रश्न 4.
भौगोलिक सूचना तंत्र में आँकड़ों की संगतता सुनिश्चित करने के लिए प्रयोक्ता द्वारा अपनाई जाने वाली विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र में क्रियात्मक स्तर पर यह सुनिश्चित करने के लिए कि आँकड़े अपने अनुप्रयोग के साथ संगत हैं, प्रयोक्ता को उनकी निम्नांकित विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए-
- आँकड़ों की मापनी
- एकत्रित आँकड़ों की गुणवत्ता
- प्रयोग में लाई गई भौगोलिक संदर्भ प्रणाली
- प्रयोग में लाई गई आँकड़ा संग्रहण की तकनीकें और निदर्शन सामरिकी
- आँकड़ों का वर्गीकरण और प्रयोग में लाई गई अंतर्वेशन की विधियाँ
- व्यक्तिगत मानचित्रण इकाइयों का आकार और आकृति
- रिकार्ड की लम्बाई।
प्रश्न 5.
भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक आँकड़े बनाने की विधियाँ लिखिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक आँकड़े बनाने की निम्न विधियाँ हैं-
- आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक रूप में आँकड़े प्राप्त करना।
- विद्यमान अनुरूप आँकड़ों का अंकीकरण।
- भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।
प्रश्न 6.
भौगोलिक सूचना तंत्र के सॉफ्टवेयर घटकों को लिखिए।
उत्तर:
सॉफ्टवेयर घटक- सॉफ्टवेयर एक लिखित क्रमादेश है जो स्मृति में संग्रहित होता है। प्रयोक्ता द्वारा किए गए निर्देशानुसार यह विशिष्ट क्रियाएँ सम्पन्न करता है। एक अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर के साथ निम्नलिखित संक्रियात्मक मॉड्यूल्स भौगोलिक सूचना तंत्र की महत्त्वपूर्ण पूर्व- आवश्यकता है –
- आँकड़ों की प्रविष्टि, संपादन और अनुरक्षण से सम्बन्धित सॉफ्टवेयर।
- विश्लेषण, रूपान्तरण और हेरफेर से सम्बन्धित सॉफ्टवेयर।
- आँकड़ों के प्रदर्शन और बर्हिवेश से सम्बन्धित सॉफ्टवेयर।
प्रश्न 7.
जी.आई.एस. में क्रमवीक्षक के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्रमवीक्षक का प्रयोग- भौगोलिक सूचना तंत्र के क्रोड में स्थानिक आँकड़ों की सूचना क्रमवीक्षक का प्रयोग करके आसानी से की जा सकती है। वस्तुतः क्रमवीक्षक वह साधन होते हैं, जो समरूप आंकड़ों को आंकिक जाल आधारित प्रतिबिम्बों में परिवर्तित करते हैं। इनका प्रयोग एक रेखा मानचित्र को उच्च विभेदन चित्ररेखापुंज (रैस्टर) प्रतिबिम्बों में परिवर्तित करने के लिए स्थानिक आँकड़ों के परिग्रहण में किया जाता है। इन्हीं रैस्टर प्रतिबिम्बों का प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से अथवा संसाधित करके सदिश (वेक्टर) संस्थिति प्राप्त करने में किया जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बफ़र प्रचालन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बफ़र प्रचालन – बफ़र प्रचालन भौगोलिक सूचना तंत्र में एक महत्वपूर्ण स्थानिक विश्लेषण क्रिया होती है। किसी भी बिन्दु, रेखा अथवा क्षेत्र लक्षण के साथ किसी निश्चित दूरी पर बफ़र की रचना की जा सकती है। यह अस्पताल, दवा स्टोर, पक्की सड़कें, क्षेत्रीय पार्क इत्यादि सेवाओं और सुविधाओं से लाभान्वित अथवा वंचित क्षेत्रों या जनसंख्या की स्थिति निर्धारण में उपयोगी होता है। इसी प्रकार बफ़र प्रचालन वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण के बिन्दुक स्रोतों के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव तथा इस प्रकार प्रभावित जनसंख्या के आकार के अध्ययन में भी उपयोगी है।
इस कारण यह सामीप्य विश्लेषण भी कहलाता है। बफ़र प्रचालन भौगोलिक लक्षणों का विचार किए बिना बहुभुज लक्षणों को उत्पन्न करता है और स्थानिक सामीप्य निरूपित करता है। उदाहरणस्वरूप किसी रसायन औद्योगिक इकाई के 1 किमी. के बफ़र के अंतर्गत अनेक परिवार औद्योगिक इकाई द्वारा विसर्जित औद्योगिक अपशिष्ट से प्रभावित होते हैं। आर्क व्यू आर्क जी.आइ.एस., जियोमीडिया और भौगोलिक सूचना तंत्र के अन्य सॉफ्टवेयर बिन्दु, रेखा और क्षेत्र लक्षण के साथ बफ़र विश्लेषण के माड्यूल्स प्रस्तुत करते हैं। साधारणत: एक बिन्दु, रेखा और बहुभुज के चारों ओर बफ़र को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता हैं।
प्रश्न 2.
स्थानिक आँकड़ों के प्रदर्शन की दृष्टि से चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) मॉडल और सदिश ( वेक्टर) मॉडल के लाभ और हानियाँ लिखिए।
उत्तर:
चित्ररेखापुंज ( रैस्टर) आँकड़ा मॉडल- चित्रारेखापुंज आँकड़े वर्गों के जाल के प्रारूप में आँकड़ों का ग्राफी प्रदर्शन करते हैं।
चित्ररेखापुंज मॉडल के लाभ –
- आँकड़ा संरचना सरल होती है।
- अधिचित्रण सरल एवं दक्ष।
- सुदूर संवेदन प्रतिबिम्बों के साथ संगत।
- स्वयं की प्रोग्रामिंग हेतु सरल।
- उच्च स्थानिक विचरणशीलता का दक्ष प्रतिनिधित्व।
- अनेक गुणों के लिए वही ग्रिड सेल।
चित्ररेखापुंज मॉडल से हानियाँ –
- परिपथ जाल का विश्लेषण कठिन होता है।
- प्रक्षेपण का रूपान्तरण अदक्ष होता है।
- कम परिशुद्ध मानचित्र।
- वृहद् सेलों का प्रयोग करते समय सूचना का ह्रास।
- कम्प्यूटर भण्डारण का अदक्ष प्रयोग।
- परिमाप और आकृति में त्रुटियाँ।
सदिश मॉडल – सदिश (वेक्टर) आँकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिन्दुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं।
सदिश मॉडल के लाभ –
- आँकड़ा संरचना संहत होती है।
- परिपथ जाल विश्लेषण के लिए दक्ष।
- प्रक्षेपण रूपान्तरण में दक्ष।
- परिशुद्ध मानचित्र बहिर्वेश।
सदिश मॉडल से हानियाँ –
- आँकड़ा संरचना जटिल।
- अधिचित्रण के कठिन प्रचालन।
- उच्च स्थानिक विचरणशीलता का अदक्ष प्रयोग।
- सुदूर संवेदन प्रतिबिम्बों के साथ असंगत।