Understanding the question and answering patterns through Geography Practical Book Class 12 Solutions in Hindi Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Practical Chapter 5 Question Answer in Hindi क्षेत्रीय सर्वेक्षण
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से एक सही उत्तर का चुनाव कीजिए-
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण की योजना के लिए नीचे दी गई विधियों में से कौनसी सहायक है?
(क) व्यक्तिगत साक्षात्कार
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ
(ग) मापन
(घ) प्रयोग
उत्तर:
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ
(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के निष्कर्ष के लिए क्या किया जाना चाहिए?
(क) आँकड़ा प्रवेश एवं सारणीयन
(ख) प्रतिवेदन लेखन
(ग) सूचकांकों का अभिकलन
(घ) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(ख) प्रतिवेदन लेखन
(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के प्रारम्भिक स्तर पर अत्यन्त महत्वपूर्ण क्या है?
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना
(ख) द्वितीयक आँकड़ों का संग्रहण
(ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं को परिभाषित करना
(घ) निदर्शन अभिकल्पना
उत्तर:
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना
(iv) क्षेत्र सर्वेक्षण के समय किस स्तर की सूचनाओं को प्राप्त करना चाहिए?
(क) बृहत् स्तर की सूचनाएँ
(ख) मध्यम स्तर की सूचनाएँ
(ग) लघु स्तर की सूचनाएँ
(घ) उपर्युक्त सभी स्तर की सूचनाएँ
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी स्तर की सूचनाएँ
प्रश्न 2.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए-
प्रश्न (i) क्षेत्र सर्वेक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
क्षेत्रीय सर्वेक्षण की आवश्यकता अन्य विज्ञानों की तरह भूगोल भी एक क्षेत्र वर्णनी विज्ञान है। इसलिए यह आवश्यक होता है कि सुनियोजित क्षेत्रीय सर्वेक्षण भौगोलिक अन्वेषण को सम्पूरकता प्रदान करे। ये सर्वेक्षण स्थानीय स्तर पर स्थानिक वितरण के प्रारूपों, उनके साहचर्य और सम्बन्धों के बारे में व्यक्ति की समझ को बढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय सर्वेक्षण द्वितीयक स्रोतों द्वारा अनुपलब्ध स्थानीय स्तर की सूचनाओं के एकत्रण में भी सहायक होते हैं। इस प्रकार क्षेत्रीय सर्वेक्षणों का आयोजन वांछित सूचनाओं के एकत्रण के लिए किया जाता है ताकि अन्वेषण के अंतर्गत समस्या का पूर्व निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप गहन अध्ययन किया जा सके।
प्रश्न (ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियां- किसी भी चयनित समस्या के विषय में सूचनाएं प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले क्षेत्रीय सर्वेक्षण के लिए निम्नलिखित उपकरण एवं विधियों की आवश्यकता होती. है –
(1) अभिलिखित एवं प्रकाशित आंकड़े
(2) क्षेत्रीय पर्यवेक्षण
(3) लक्ष्य अथवा घटनाओं के निर्धारण हेतु मापन
(4) साक्षात्कार
(5) मानचित्र
(6) प्रश्नावली / अनुसूची।
प्रश्न (iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के चुनाव के पहले किस प्रकार के व्याप्ति क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है ?
उत्तर:
व्याप्ति क्षेत्र की आवश्यकता किसी भी क्षेत्र का सर्वेक्षण हेतु चुनाव करने से पहले अन्वेषक को यह निर्णय करना होता है कि सर्वेक्षण सम्पूर्ण क्षेत्र अथवा जनसंख्या के लिए किया जाना है अथवा चयनित प्रतिदर्श के आधार पर किया जाएगा। यदि अध्ययन के अंतर्गत सम्मिलित क्षेत्र बहुत बड़ा नहीं है, परन्तु विविध घटकों से निर्मित है तो समग्र क्षेत्र अथवा सभी घटकों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। परन्तु सम्मिलित क्षेत्र का आकार बृहत् होने पर जनसंख्या के घटकों का प्रतिनिधित्व करने वाले चयनित प्रतिदर्शो का ही अध्ययन किया जा सकता है।
प्रश्न (iv) सर्वेक्षण अभिकल्पना को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर:
सर्वेक्षण अभिकल्पना वस्तुतः किसी भी क्षेत्र में सर्वेक्षण का आयोजन उस क्षेत्र विशेष से सम्बन्धित वांछित एवं आवश्यक सूचनाओं के एकत्रण के लिए किया जाता है। इससे अन्वेषण के समय उस क्षेत्र की समस्याओं का गहन अध्ययन करने में मदद मिलती है। साधारणतः यह पर्यवेक्षण के माध्यम से संभव हैं, जो सूचनाओं के एकत्रण और उनसे निष्कर्ष प्राप्त करने की एक उपयोगी विधि है।
प्रश्न (v) क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना की आवश्यकता होती हैं; क्योंकि प्रश्नों के माध्यम से ही उद्देश्यों की पूर्ति से सम्बन्धित सूचनाएं एकत्र करने में सहायता मिलती है। जिस क्षेत्र विशेष में सर्वेक्षण किया जाना है, उस क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति के अपने परिवेश से सम्बन्धित अनुभव व ज्ञान तथा सूचनाएं प्रश्नावली के माध्यम से ही प्राप्त हो पाती हैं उस क्षेत्र विशेष की समस्याओं व विशेषताओं का ज्ञान आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए किसी भी क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
निम्नांकित समस्याओं में से किसी एक के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण अभिकल्पना का निर्माण कीजिए –
(i) पर्यावरण प्रदूषण
(ii) मृदा अपरदन
(iii) बाढ़
(iv) आपदा विषयक
(v) भूमि उपयोग परिवर्तन की पहचान।
उत्तर:
भूमि उपयोग परिवर्तन की पहचान से सम्बन्धित सर्वेक्षण भारत एक कृषि प्रधान देश है। इस कारण यहां के किसी भी क्षेत्र में कृषि की विशेषताएं, प्रकार तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी भी एक गाँव को इकाई मान कर भूमि उपयोग परिवर्तन से सम्बन्धित सर्वेक्षण किया जा सकता हैं। प्रत्येक प्रकार का क्षेत्रीय सर्वेक्षण एक निश्चित प्रक्रिया के द्वारा आरम्भ किया जाता है।
साधारणतया सर्वेक्षण निम्नांकित चरणों में पूरा होता है –
1. उद्देश्य – भूमि उपयोग परिवर्तन का मूल्यांकन करने के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण निम्नांकित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए संपादित किया जा सकता है –
(i) कृषि क्षेत्र में भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त करना।
(ii) भूमि उपयोग को मानचित्र पर दर्शाना।
(iii) बोई जाने वाली फसलों की जानकारी प्राप्त करना।
(iv) क्षेत्र में मिट्टी की किस्में और उत्पादकता का पता लगाना।
(v) सिंचित क्षेत्र की जानकारी प्राप्त करना।
(vi) कृषि से सम्बन्धित समस्याओं से निपटने के लिए सुझाव देना।
2. व्याप्ति – सर्वेक्षण के क्षेत्रीय, कालिक तथा विषयक (थिमैटिक) व्याप्ति से सम्बन्धित पहलुओं को स्पष्टतः समझना।
(i) क्षेत्रीय पहलू – पूर्ववर्णित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्षेत्र विशेष का क्षेत्रीय सर्वेक्षण किया जाता है। इसमें प्रत्येक किसान के खेतों का आकार, उनका उपयोग एवं फसलों की जानकारी प्राप्त की जाती है। इस जानकारी को प्रश्नमाला में लिख लिया जाता है।
(ii) कालिक पहलू उस क्षेत्र विशेष में बोई जाने वाली फसलों की संख्या प्राप्त की जाती है। इसके अतिरिक्त परिवर्तनशील उत्पादकता, सामान्य व कम तथा अधिक वर्षां के समय के कृषि उत्पादन के आंकड़ों को प्राप्त कर तुलना की जा सकती है। निकटवर्ती क्षेत्र के भूमि उपयोग से भी इस आधर पर तुलना कर सकते हैं।
(iii) विषयक पहलू विषयक रूप से अध्ययन में पारिवारिक अथवा व्यक्तिगत इकाई को आधार बनाया जा सकता है। इसमें परिवार विशेष के आधार पर कृषि उत्पादन तथा भूमि उपयोग के विभिन्न कार्यों का मूल्यांकन स्थायी तथा उपभोग्य भूमि, आय तथा व्यय आदि कारकों के आधार पर भूमि उपयोग के परिभाव, निर्धारक कारकों व निहितार्थ | को समझना चाहिए।
3. उपकरण व तकनीकें – क्षेत्र विशेष में भूमि उपयोग में परिवर्तन की पहचान करने के लिए विभिन्न सूचनाओं की आवश्यकता होती है। इसके लिए निम्नांकित विधियों का उपयोग कर क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया जा सकता है –
(i) अभिलिखित एवं प्रकाशित आंकड़े अर्थात् द्वितीयक सूचनाएं द्वितीयक सूचनाओं से प्राप्त आंकड़े किसी भी क्षेत्र विशेष के बारे में आधारभूत सूचना प्रदान करते हैं। यह आंकड़े विभिन्न सरकारी अभिकरणों, संगठनों एवं अन्य अभिकरणों द्वारा एकत्रित तथा प्रकाशित किए जाते हैं। अत: सबसे पहले ग्राम पंचायत अथवा पटवारी से उस क्षेत्र विशेष का भू- कर मानचित्र प्राप्त कर लेते हैं। इस मानचित्र से प्रत्येक खेत की सीमा तथा खसरा नम्बर लिखा रहता है। भूमि उपयोग का प्रारूप तैयार करने के लिए इन सभी सूचनाओं की आवश्यकता होती है।
(ii) पर्यवेक्षण – यह क्षेत्रीय सर्वेक्षण का मूल उद्देश्य होता है क्योंकि इसकी सहायता से किसी भी क्षेत्र में भौगोलिक घटनाओं और सम्बन्धों को आसानी से समझा जा सकता है। पर्यवेक्षण की परिपूर्णता के लिए उस क्षेत्र में किए गए पर्यवेक्षण के सभी बिन्दुओं को नोट कर लेना चाहिए। इस प्रकार विभिन्न विचारधाराओं के प्रमाणीकरण व निष्कर्ष निकालने के लिए फोटोग्राफी, रूपरेखा चित्रण, दृश्य-श्रव्य आलेख, साधारण आलेख आदि विधियों की सहायता से किया गया पर्यवेक्षण गैर सांख्यिकीय सूचनाओं के मूल्यवान स्रोत होते हैं।
(iii) मापन – इसके पश्चात् ग्राम पंचायत या पटवारी से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर उस क्षेत्र विशेष में भूमि उपयोग परिवर्तन अर्थात् भूमि के विभिन्न प्रकारों, जैसे- क्षेत्र की कुल भूमि, कृषिगत भूमि, कृषि के लिए प्राप्त न होने वाली भूमि, कुल सिंचित भूमि, कुल असिंचित भूमि, खेतों का औसत आकार आदि का उपयुक्त उपकरणों के माध्यम से मापन कर लिया जाता है।
(iv) साक्षात्कार भूमि उपयोग परिवर्तन के अधिकांश माप परिवारों की सामूहिक परिस्थितियों पर आधारित होते हैं। अतः साक्षात्कार द्वारा आंकड़ों का संग्रह सामूहिक स्तर के साथ-साथ पारिवारिक स्तर पर भी होना चाहिए। प्रश्नावली में प्रश्नों के मुख्य पक्ष वर्षा की प्राप्ति, वर्षा वाले दिनों की संख्या, बुवाई, फसलों की प्रकृति, पशु एवं चारा आदि से सम्बन्धित होने चाहिए।
4. संकलन एवं परिकलन- अर्थपूर्ण विवेचन एवं विश्लेषण द्वारा सर्वेक्षण के विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्षेत्रीय कार्य के दौरान प्राथमिक व द्वितीयक स्त्रोतों से संग्रहित आंकड़ों को क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित करते हैं। चिह्न विधि जैसी विभिन्न विधियों के उपयोग से आंकड़ों का वर्गीकरण एवं सांख्यिकीय गणनाएँ कर ली जाती हैं।
5. मानचित्र – आंकड़ों की सहायता से भूमि उपयोग परिवर्तन दिखाने के लिए मानचित्र बनाए जाते हैं। मानचित्र में भूमि उपयोग के परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं को अलग-अलग रंगों तथा आभाओं द्वारा दर्शाया जाता है। मानचित्र में विभिन्न फसलों को दिखाने के लिए चिह्नों तथा अक्षरों का प्रयोग किया जाता है।
6. प्रतिवेदन का प्रस्तुतीकरण क्षेत्रीय सर्वेक्षण की अवधि में एकत्रित सूचनाओं का अभिलेखन विस्तृत प्रतिवेदन के रूप में किया जाता है, जिसमें भूमि उपयोग परिवर्तन के कारण तथा परिमाण अर्थव्यवस्था व लोगों के जीवन पर पड़ने वाले उनके प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है।
इस प्रकार उपर्युक्त रूपरेखा के आधार पर हम भूमि उपयोग परिवर्तन के सम्बन्ध में किसी भी क्षेत्र का सर्वेक्षण सहजता से कर सकते हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. निम्नांकित में से क्षेत्र सर्वेक्षण का प्रारंभिक चरण कौनसा है-
(क) आंकड़ों को संग्रहित करना संजीव पास बुक्स
(ख) अन्वेषण की समय सारणी बनाना
(ग) समस्या को परिभाषित करना
(घ) सर्वेक्षण के लिए विधियों का चुनाव करना
उत्तर:
(ग) समस्या को परिभाषित करना
2. क्षेत्रीय सर्वेक्षण का मूल उद्देश्य क्या है?
(क) पर्यवेक्षण
(ख) प्रकाशित आंकड़ों का संग्रह
(ग) लक्ष्य का मापन
(घ) साक्षात्कार
उत्तर:
(क) पर्यवेक्षण
3. गरीबी के क्षेत्रीय सर्वेक्षण हेतु चयनित क्षेत्र का विस्तार कम से कम कितना होना चाहिए?
(क) 50 हेक्टेयर
(ग) 200 हेक्टेयर
(ख) 125 हेक्टेयर
(घ) 400 हेक्टेयर
उत्तर:
(ग) 200 हेक्टेयर
4. गरीबों के सर्वेक्षण हेतु चयनित क्षेत्र में परिवारों की
संख्या कम से कम कितनी होनी चाहिए?
(क) 75 परिवार
(ग) 200 परिवार
(ख) 100 परिवार
(घ) 315 परिवार
उत्तर:
(ख) 100 परिवार
5. गैर सांख्यिकीय सूचनाओं के मूल्यवान स्रोत हैं –
(क) फोटोग्राफी
(ख) रूपरेखा चित्रण
(ग) दृश्य-श्रव्य आलेख
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्षेत्र सर्वेक्षण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब व्यक्ति स्वयं किसी क्षेत्र में जाकर अध्ययन करता है, तो उसे क्षेत्र सर्वेक्षण कहते हैं।
प्रश्न 2.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या है?
उत्तर:
वह मानचित्र जो किसी क्षेत्र के धरातल, अपवाह तथा मानवीय लक्षणों को दिखाते हैं, स्थलाकृतिक मानचित्र कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
प्रश्नावलियों के मुख्य प्रकार कौनसे हैं ?
उत्तर:
प्रश्नावलियों के प्रकार –
- सरल प्रश्न
- बहुविकल्पी प्रश्न
- क्रममापक प्रश्न
- मुक्तान्त प्रश्न (open ended questions)।
प्रश्न 4.
भूमि उपयोग मानचित्र में फसलों को किस प्रकार दिखाया जाता है?
उत्तर:
भूमि उपयोग मानचित्र में फसलों को विभिन्न रंगों तथा आभाओं द्वारा दर्शाया जाता है।
प्रश्न 5.
प्राकृतिक आपदा के कोई दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
बाढ़ एवं सूखा।
प्रश्न 6.
क्षेत्र सर्वेक्षण से सम्बन्धित किन्हीं तीन उपकरणों के नाम बताइए।
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण से सम्बन्धित उपकरण-
- ट्रफ कम्पास
- एलीडेड
- ट्राईपोड
प्रश्न 7.
अभिलिखित आंकड़ों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अभिलिखित या प्रकाशित आंकड़े सर्वेक्षण के लिए चयनित क्षेत्र की समस्या के विषय में आधारभूत सूचना प्रदान करते हैं।
प्रश्न 8.
सर्वेक्षण हेतु किसी क्षेत्र का चयन किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी भी क्षेत्र में सर्वेक्षण के लिए विषय का चयन उस क्षेत्र की प्रकृति व विशेषताओं पर निर्भर करता है।
प्रश्न 9.
कृषि भूमि उपयोग का सर्वेक्षण करने का क्या लाभ है?
उत्तर:
कृषि भूमि उपयोग के सर्वेक्षण से भूमि उपयोग सम्बन्धी समस्याओं का पता चलता है, जिससे उन समस्याओं को सुलझाने में सहायता मिलती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
व्यक्तिगत प्रेक्षण का क्या महत्व है?
उत्तर:
व्यक्तिगत प्रेक्षण का महत्व – क्षेत्रीय सर्वेक्षण में व्यक्तिगत प्रेक्षण का बहुत अधिक महत्व होता है। साधारणत: प्रेक्षण का अर्थ चारों ओर देखना, लोगों से वार्तालाप करना तथा अवलोकित या सुनी हुई सूचना को एकत्रित करना होता है। अतः व्यक्तिगत प्रेक्षण के माध्यम से यह काम आसानी से किया जा सकता है क्योंकि एक सतर्क व विवेकी प्रेक्षक सूचनाओं को सुनने तथा देखने को हमेशा तत्पर रहता है। किसी क्षेत्र में जाकर वहाँ के बारे में जानकारी प्राप्त करना व्यक्तिगत प्रेक्षण की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। इस प्रकार क्षेत्रीय सर्वेक्षण की दृष्टि से व्यक्तिगत प्रेक्षण का बहुत अधिक महत्त्व है।
प्रश्न 2.
प्रश्नावली तैयार करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
सर्वेक्षण हेतु प्रश्नावली तैयार करने के लिए अन्वेषक को निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
- प्रश्न सरल, संक्षिप्त तथा क्रमबद्ध होने चाहिए।
- प्रश्न सर्वेक्षण से ही सम्बन्धित होने चाहिए।
- प्रश्न व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले नहीं होने चाहिए।
- सर्वेक्षण का स्वयं निरीक्षण करके ही प्रश्नावली तैयार करनी चाहिए।
- सर्वेक्षण का उद्देश्य ध्यान में रखकर ही प्रश्न पूछे जाने चाहिए।
प्रश्न 3.
सेम्पल सर्वेक्षण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सेम्पल सर्वेक्षण – जब सर्वेक्षण के लिए चयनित क्षेत्र बड़ा होता है और पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करना कठिन होता है, तब पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करने की अपेक्षा उसके कुछ चुने हुए भागों का ही सर्वेक्षण किया जाता है। सर्वेक्षण की यह विधि ही सेम्पल सर्वेक्षण कहलाती है, जैसे – यदि किसी व्यक्ति को एक गाँव का सर्वेक्षण करना है, जिसमें 1000 खेत हैं। इस स्थिति में वह व्यक्ति सर्वेक्षण के लिए गाँव के विभिन्न भागों से 100 खेतों का चुनाव करके सर्वेक्षण का काम कर सकता है। इस प्रकार का सर्वेक्षण ही सेम्पल सर्वेक्षण कहलाता है। इसमें चयनित क्षेत्र के कुछ भाग का अध्ययन करके सम्पूर्ण क्षेत्र का आकलन किया जा सकता है।
प्रश्न 4.
भूगोल में क्षेत्रीय सर्वेक्षण का क्या महत्व है?
उत्तर:
1-भूगोल में क्षेत्रीय सर्वेक्षण का महत्व – भूगोल एक क्षेत्रीय विज्ञान है। इसमें भौगोलिक लक्षणों, जैसे- उच्चावच, जलवायु, मृदा, वनस्पति आदि का अध्ययन किया जाता है। स्थान विशेष के आधार पर इन लक्षणों में विभिन्नताएं पाई जाती हैं। क्षेत्रीय अध्ययन में इन सभी पहलुओं से सम्बन्धित सूचनाओं एवं जानकारियों को एकत्र करके उनका विश्लेषण किया जाता है। क्षेत्रीय अध्ययन द्वारा ही क्षेत्रीय समस्याओं के मूल तक पहुँचा जा सकता है तथा उनका समुचित समाधान किया जा सकता है। इस प्रकार भौगोलिक अध्ययन के लिए तथा सूचनाओं को एकत्रित करने के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण आवश्यक माना जाता है।
प्रश्न 5.
सर्वेक्षण की योजना बनाने से पहले सर्वेक्षक. को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
सर्वेक्षण योजना से पहले ध्यान रखने योग्य तथ्य सर्वेक्षण करने से पूर्व सर्वेक्षणकर्ता को सर्वेक्षण की पूर्ण योजना बना लेनी चाहिए। इसके लिए सर्वेक्षक को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- सर्वप्रथम सर्वेक्षण हेतु एक क्षेत्र निश्चित कर लेना चाहिए।
- चयनित क्षेत्र का मानचित्र तथा अन्य आवश्यक सूचनाएं एकत्र कर लेनी चाहिए।
- सर्वेक्षण से सम्बन्धित सूची तथा प्रश्नावली तैयार कर लेनी चाहिए।
- चयनित क्षेत्र में भूमि उपयोग, उच्चावच मानव बस्तियाँ, परिवर्तन के साधन आदि का अच्छी तरह अध्ययन कर लेना चाहिए।
- क्षेत्र से सम्बन्धित विशिष्ट समस्याओं की पहचान कर लेनी चाहिए।
प्रश्न 6.
सर्वेक्षण से सम्बन्धित प्रश्न पूछते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अथवा
क्षेत्रीय सर्वेक्षण के लिए विद्यार्थियों को कौन-कौन से निर्देश देने चाहिए?
उत्तर:
विद्यार्थियों को अपने कक्षाध्यापक की सहायता से क्षेत्रीय सर्वेक्षण के निमित्त ब्लू-प्रिन्ट तैयार करना चाहिए। इसमें सर्वेक्षण किए जाने वाले क्षेत्र का मानचित्र, सर्वेक्षण के उद्देश्यों का विशिष्ट अवबोध तथा प्रश्नावली शामिल होनी चाहिए। अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को निम्नलिखित निर्देश देने चाहिए –
सर्वेक्षण से सम्बन्धित प्रश्न पूछते समय सर्वेक्षक को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- लोगों से प्रश्न सरल एवं बोधगम्य ही पूछने चाहिए।
- क्षेत्रीय सर्वेक्षण के लिए चुने गए क्षेत्र के लोगों के साथ कुशल एवं शिष्ट व्यवहार करना चाहिए।
- प्रश्न वहाँ के निवासियों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले नहीं होने चाहिए।
- जिन लोगों से भी मिलें, उनसे मित्रवत अभिवृत्ति स्थापित करनी चाहिए।
- चयनित क्षेत्र के निवासियों से किसी भी प्रकार का वादा नहीं करना चाहिए।
- साक्षात्कार के समय उत्तरकर्ता द्वारा दिये गये विवरण का अभिलेखन अवश्य करें।
प्रश्न 7.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण में मापन के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
मापन- कुछ क्षेत्रीय सर्वेक्षणों में उसी स्थान पर लक्ष्यों अथवा घटनाओं के मापन की आवश्यकता होती है। यह उस स्थिति में अधिक आवश्यक हो जाता है, जब अन्वेषक परिशुद्ध विश्लेषण प्रस्तुत करना चाहता है। इस कार्य में उपयुक्त उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो अन्वेषक को लक्ष्यों की विशेषताओं के परिशुद्ध मापन में सहायक होते हैं। अतः सर्वेक्षण करते समय कुछ उपकरण अपने साथ अवश्य ले जाने चाहिए, जैसे फीता, मृदा के भार मापन के लिए तौलने की मशीन, अम्लीयता या क्षारीयता के मापन के लिए pH मीटर का कागज पट्टी, तापमानमापी यंत्र आदि।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय सर्वेक्षण के विभिन्न चरण क्षेत्रीय सर्वेक्षण का आयोजन वांछित सूचनाओं के एकत्रण के लिए किया जाता है। इसे सुपरिभाषित कार्यविधि द्वारा आरम्भ किया जाता है। यह कार्य कार्यात्मक दृष्टि से अन्तर्सम्बन्धित निम्नलिखित चरणों में पूरा होता है –
1. समस्या को परिभाषित करना सर्वप्रथम चयनित क्षेत्र में अध्ययन की जाने वाली समस्या को भली-भाँति समझ लेना चाहिए और उस क्षेत्र की समस्या की झलक सर्वेक्षण के विषय के शीर्षक और उप शीर्षक में भी होनी चाहिए।
2. उद्देश्य – यह सर्वेक्षण की रूपरेखा तैयार करते हैं, अतः इनको प्रारंभ में ही सूचीबद्ध कर लेना चाहिए। इसके पश्चात् इनके अनुरूप ही आँकड़ों को प्राप्त करने और उनका विश्लेषण करने हेतु उपयुक्त विधियों का चुनाव करना चाहिए।
3. प्रयोजन – उद्देश्यों को परिभाषित करने की तरह ही सम्बन्धित भौगोलिक क्षेत्र अन्वेषण की समय सारणी और संदर्भित अध्ययन के प्रसंगों के रूप में सर्वेक्षण के प्रयोजन को सीमांकित करने की आवश्यकता होती है।
4. विधियां एवं तकनीकें चयनित समस्या के विषय में सूचनाएँ प्राप्त करने के लिए आधारभूत रूप से क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है, जिसके लिए विभिन्न प्रकार की विधियों की आवश्यकता होती है। इनमें मानचित्रों एवं अन्य आँकड़ों सहित द्वितीयक सूचनाएँ क्षेत्रीय पर्यवेक्षण, लोगों के साक्षात्कार हेतु प्रश्नावलियों से आँकड़ा उत्पाद सम्मिलित की जाती हैं।
5. संकलन एवं परिकलन सर्वेक्षण के विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्षेत्रीय कार्य के दौरान एकत्रित विभिन्न सूचनाओं को सुव्यवस्थित करके तालिकाओं के रूप में संकलित कर लेना चाहिए।
6. मानचित्रकारी अनुप्रयोग प्राप्त आँकड़ों को विभिन्न आरेख व आलेखों द्वारा प्रकट किया जाता है। इसके उपरान्त इनकी सहायता से घटनाओं की भिन्नताओं को दर्शाने वाले विभिन्न मानचित्र तैयार कर लिए जाते हैं।
7. प्रस्तुतीकरण – चयनित क्षेत्र का सर्वेक्षण पूरा होने पर उस क्षेत्र का पूरा विवरण लिखा जाता है। उसके आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं और उद्देश्यों की पूर्ति सम्बन्धी विवरण दिया जाता है।
इस प्रकार उपर्युक्त चरणों के आधार पर एक समस्या या विषय का चयन करके किसी भी क्षेत्र का क्षेत्रीय सर्वेक्षण किया जा सकता है।