Understanding the question and answering patterns through Geography Practical Book Class 12 Solutions in Hindi Chapter 3 आंकड़ों का आलेखी निरूपण will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Practical Chapter 3 Question Answer in Hindi आंकड़ों का आलेखी निरूपण
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-
(i) जनसंख्या वितरण दर्शाया जाता है-
(क) वर्णमात्री मानचित्रों द्वारा
(ख) सममान रेखा मानचित्रों द्वारा
(ग) बिन्दुकित मानचित्रों द्वारा
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(ग) बिन्दुकित मानचित्रों द्वारा
(ii) जनसंख्या की दशकीय वृद्धि को सबसे अच्छा प्रदर्शित करने का तरीका है-
(क) रेखा ग्राफ
(ख) दण्ड आरेख
(ग) वृत्त आरेख
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(क) रेखा ग्राफ
(iii) बहुरेखाचित्र की रचना प्रदर्शित करती है-
(क) केवल एक बार
(ख) दो चरों से अधिक
(ग) केवल दो चर
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं
उत्तर:
(ख) दो चरों से अधिक
(iv) कौनसा मानचित्र ‘गतिदर्शी मानचित्र’ जाना जाता है-
(क) बिन्दुकित मानचित्र
(ख) सममान रेखा मानचित्र
(ग) वर्णमात्री मानचित्र
(घ) प्रवाह संचित्र
उत्तर:
(घ) प्रवाह संचित्र
प्रश्न 2.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए-
प्रश्न (i) थिमैटिक मानचित्र क्या है?
उत्तर:
थिमैटिक मानचित्र-वह मानचित्र जिनके द्वारा किसी भी एक भौगोलिक तत्त्व की स्थानिक विभिन्नताओं को दर्शाया जाता है, थिमैटिक या विषयक मानचित्र कहलाते हैं। विषयक/थिमैटिक मानचित्र एक निश्चित विषय पर आधारित होते हैं, जैसे-किसी क्षेत्र के जनसंख्या मानचित्र, भौतिक मानचित्र, आर्थिक मानचित्र आदि।
प्रश्न (ii) आँकड़े के प्रस्तुतीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण-विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किए गए आँकड़े विशेषतः उन सभी तथ्यों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, जो इनके द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं । साधारणतः आँकड़े तालिकाबद्ध, आलेखीय और आरेखीय रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं। अतः दृश्य विधियों, जैसे-आलेख, आरेख, मानचित्र और चार्ट द्वारा आँकड़ों का रूपान्तरण ही आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण कहलाता है।
प्रश्न (iii) बहुदण्ड आरेख और यौगिक दण्ड आरेख में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुदण्ड आरेख और यौगिक दण्ड आरेख में अन्तर-
बहुदण्ड आरेख | यौगिक दण्ड आरेख |
बहुदण्ड आरेख इसके द्वारा दो तथ्यों के आँकड़ों की आपस में तुलना की जाती है। जै से – र्त्री-पु रु ष साक्षरता, ग्रामीणनगरीय जनसंख्या आदि। | यौगिक दण्ड आरेख इस आरेख के द्वारा एक ही स्थान या समय के विभिन्न गुणों के योग तथा उनके गुणों की मात्रा को दर्शाया जाता है। जैसे-देश का क्षेत्रफल, उत्पादन आदि। |
इस आरेख में एक अवधि या एक स्थान से सम्बन्धित दोनों तथ्यों को परस्पर मिलाकर बनाते हैं। | इस आरेख में एक ही दण्ड को विभाजित करके तथ्यों के अनेक गुणों तथा उनके योग को प्रदर्शित किया जाता है। |
प्रश्न (iv) एक बिन्दुकित मानचित्र की रचना के लिए क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर:
बिन्दुकित मानचित्र निर्माण के लिए आवश्यकताएँ निम्न प्रकार से हैं –
(1) दिए गए क्षेत्र का प्रशासनिक मानचित्र होना चाहिए जिसमें राज्य/जिला/खण्ड की सीमाएँ दिखाई गई हों।
(2) चुनी हुई प्रशासनिक इकाई के लिए चुने हुए विषय; जैसे-कुल जनसंख्या, पशु आदि के सांख्यिकीय आँकड़ों की उपलब्धता।
(3) एक बिन्दु के माप को निश्चित करने के लिए उपयुक्त मापनी का चुनाव।
(4) दिए गए प्रदेश के भू-आकृतिक मानचित्र विशेषकर उच्चावच और जल अपवाह मानचित्र की उपलब्धता।
प्रश्न (v) सममान रेखा मानचित्र क्या है? एक क्षेपक को किस प्रकार कार्यान्वित किया जाता है?
उत्तर:
(1) सममान रेखा मानचित्र-वह मानचित्र जिसमें एक काल्पनिक रेखा द्वारा किसी वस्तु या तत्व के समान मूल्य या घनत्व वाले स्थानों को मिलाते हैं, सममान रेखा मानचित्र कहलाते हैं । अतः सममान रेखाएँ एक प्रकार की काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो समान मान के स्थानों को जोड़ती हैं। इन रेखाओं की सहायता से विभिन्न भौगोलिक तथ्यों; जैसे-ढाल की डिग्री में विविधता, तापमान, वर्षा प्राप्ति आदि को मानचित्र पर प्रदर्शित करने पर वह मानचित्र सममान रेखा मानचित्र कहलाता है।
(2) क्षेपक की क्रियाविधि-सामान्यतः समान मानों के स्थानों को जोड़ने वाली सममान रेखाओं का चित्रण क्षेपक कहलाता है। इसका उपयोग दो स्थानों की प्रेक्षित मानों के बीच मध्यमान को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसको कार्यानिंत करने के लिए निम्नलिखित बातों का पालन करते हैं-
(i) सर्वप्रथम मानचित्र पर दिए गए न्यूनतम और अधिकतम मान को निश्चित करते हैं।
(ii) इसके बाद मान की परास की गणना करते हैं।
(परास = अधिकतम मान – न्यूनतम मान द्वारा)
(iii) तत्पश्चात् श्रेणी के आधार पर एक पूर्ण संख्या जैसे- $5,10,15$ आदि में अंतराल निश्चित करते हैं।
प्रश्न (vi) एक वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए अनुसरण करने वाले महत्त्वपूर्ण चरणों की व्यख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए अनुसरण करने वाले महत्त्वपूर्ण चरण निम्न प्रकार से हैं-
(1) सर्वप्रथम दिए गए आँकड़ों को आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना।
(2) इसके बाद अति उच्च, उच्च, मध्यम, निम्न और अति निम्न केन्द्रीकरण को दर्शाने के लिए आँकड़ों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं।
(3) श्रेणियों के मध्य के अन्तराल को निम्नांकित सूत्र के द्वारा ज्ञात किया जाता है-
\(\frac{\text { परास }}{5}\) और परास = अधिकतम मान – न्यूनतम मान
(4) प्रतिरूपों, छायाओं और रंगों का उपयोग चुनी हुई श्रेणियों को आरोही और अवरोही क्रम में दर्शाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न (vii) आँकड़े को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए महत्त्वपूर्ण चरणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आँकड़ों को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए महत्त्वपूर्ण चरण निम्नलिखित हैं-
(1) दिए गए आँकड़ों को सर्वप्रथम बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करते हैं।
(2) इसके पश्चात् आँकड़ों के लिए कोण की गणना करते हैं। इस हेतु आँकड़ों को \(\frac{360^{\circ}}{100}\) से गुणा किया जाता है।
(3) इसके बाद खींचे जाने वाले वृत्त के लिए उपयुक्त त्रिज्या का चुनाव करते हैं।
(4) चुनी हुई त्रिज्या से एक वृत्त का निर्माण करते हैं, जो कि दिए हुए आँकड़ों के कुल योग को प्रदर्शित करता है।
(5) इसके पश्चात् वृत्त को इसके संघटक अवयवों की मात्रा के अनुपात में विभाजित कर लिया जाता है।
(6) आँकड़ों को बढ़ते हुए क्रम में दक्षिणावर्त छोटे कोण से शुरू करते हैं।
(7) अन्त में शीर्षक, उपशीर्षक और सूचिका द्वारा आरेख को पूर्ण कर लिया जाता है।
क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
निम्न आँकड़ों को अनुकूल/उपयुक्त आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए –
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़े को उपयुक्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित कीजिए –
भारत : प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में साक्षरता और नामांकन अनुपात
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्नलिखित आँकड़े को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित कीजिए-
उत्तर:
प्रश्न 4.
आगे दी गई तालिका का अध्ययन कीजिए और दिए गए आरेखों/मानचित्रों को खींचिए-
(क) प्रत्येक राज्य में चावल के क्षेत्र को दिखाने के लिए एक दण्ड आरेख की रचना कीजिए।
(ख) प्रत्येक राज्य में चावल के अन्तर्गत क्षेत्र के प्रतिशत को दिखाने के लिए एक वृत्त आरेख की रचना कीजिए।
(ग) प्रत्येक राज्य में चावल के उत्पादन को दिखाने के लिए एक बिन्दुकित मानचित्र की रचना कीजिए।
(घ) राज्यों में चावल उत्पादन के प्रतिशत को दिखाने के लिए एक वर्णमात्री मानचित्र की रचना कीजिए।
उत्तर:
(क) दंड आरेख –
(ख) वृत्त आरेख
(ग) प्रत्येक राज्य में चावल के उत्पादन को प्रदर्शित करने वाला बिन्दुकित मानचित्र-
(घ) जावल उत्पादन के प्रतिशत को दिखाने वाला वर्णमात्री मानचित्र-
प्रश्न 5.
कोलकाता के ताप्मान और वर्षा के निम्नलिखित आँकड़े को एक उपयुक्त आरेख द्वारा दर्शाइए-
उत्तर:
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. वर्षा और उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन को दर्शाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विधि कौनसी है?
(क) सममान रेखा मानचित्र
(ख) बिन्दुकित मानचित्र
(ग) दण्ड आरेख
(घ) वृत्त आरेख
उत्तर:
(ग) दण्ड आरेख
2. एक घटक के विभिन्न चरों को निम्नांकित में से किसके द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है?
(क) सममान रेखा मानचित्र
(ख) वृत्त आरेख
(ग) मिश्रित दण्ड आरेख
(घ) रेखा ग्राफ
उत्तर:
(ग) मिश्रित दण्ड आरेख
3. निम्नांकित में से आलेख और मानचित्र का मिश्रण कौनसा है?
(क) थिमैटिक मानचित्र
(ख) वर्णमात्री मानचित्र
(ग) सममान रेखा मानचित्र
(घ) प्रवाह संचित्र.
उत्तर:
(घ) प्रवाह संचित्र.
4. प्रवाह संचित्र का सबसे अच्छा उदाहरण है-
(क) यातायात मानचित्र
(ख) जनसंख्या वितरण मानचित्र
(ग) साक्षरता दर वितरण मानचित्र
(घ) लिंगानुपात मानचित्र
उत्तर:
(क) यातायात मानचित्र
5. वर्णमात्री मानचित्र द्वारा साधारणतया दर्शाया जाता है-
(क) जनसंख्या घनत्व को
(ख) साक्षरता वृद्धि दर को
(ग) लिंगानुपात को
(घ) उपर्युक्त सभी को
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी को
6. आइसोहेल क्या है?
(क) समान सूर्य प्रकाश दर्शाने वाली रेखा
(ख) समान वर्षा दर्शाने वाली रेखा
(ग) सम ऊँचाई रेखा
(घ) समान लवणीयता दर्शाने वाली रेखा
उत्तर:
(क) समान सूर्य प्रकाश दर्शाने वाली रेखा
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मापनी का प्रमुख उपयोग क्या है?
उत्तर:
मापनी का उपयोग मुख्यतः आरेख तथा मानचित्रों पर आँकड़ों के माप को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 2.
अभिकल्पना से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अभिकल्पना एक मानचित्र कला सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसमें विशेषतः शीर्षक, निर्देशिका और दिशा जैसे घटकों को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 3.
एक विमीय आरेख को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जब आरेख को बनाने के लिए केवल एक ही विस्तार ऊँचाई का प्रयोग होता है, तो उसे एक विमीय आरेख कहा जाता है; जैसे-रेखा ग्राफ, दण्ड आरेख।
प्रश्न 4.
रेखा ग्राफ किन तथ्यों को प्रदर्शित करने हेतु उपयोगी होता है?
उत्तर:
तापमान, वर्षा, जनसंख्या वृद्धि, जन्म दर, मृत्यु दर आदि से सम्बन्धित समय क्रम के आँकड़ों को ग्राफ पर प्रदर्शित करना रेखाग्राफ कहलाता है।
प्रश्न 5.
स्तम्भ आरेख से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्तम्भ आरेख अर्थात् दण्ड आरेख द्वारा भौगोलिक आँकड़ों को ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज स्तम्भों (कॉलम) के द्वारा दर्शाया जाता है।
प्रश्न 6.
रैखिक आरेख किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन आरेखों में आँकड़ों का प्रदर्शन रेखा की प्रवृत्ति के माध्यम से किया जाता है, उन्हें रैखिक आरेख कहते हैं।
प्रश्न 7.
वृत्त आरेख किसे कहते हैं?
उत्तर:
इसमें एक वृत्त द्वारा किसी आँकड़े के विभिन्न प्रतिशतों को प्रदर्शित किया जाता है। इस कारण इसे चक्र आरेख, पाई आरेख और विभाजित वृत्त आरेख भी कहा जाता है।
प्रश्न 8.
क्षेपक का उपयोग लिखिए।
उत्तर:
इसका उपयोग दो स्थानों के प्रेक्षित मानों के बीच मध्यमान को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 9.
आरेख क्या है?
उत्तर:
सांख्यिकीय आँकड़ों का सूक्ष्म से सूक्ष्म प्रदर्शन आरेख कहलाता है। यह सरल एवं सामान्यीकृत होता है। जैसे-दण्ड आरेख आदि।
प्रश्न 10.
क्षेपक किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः समान मानों के स्थानों को जोड़ने वाली सममान रेखाओं का चित्रण क्षेपक कहलाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आँकड़ों को प्रदर्शित करने वाले आरेखों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर
आरेख आँकड़ों का चित्रवत् और सांख्यिकीय रूप में निरूपण है। आँकड़े मापने योग्य विशेषताओं; जैसे- लम्बाई, चौड़ाई तथा मात्रा से युक्त होते हैं। इस आधार पर आँकड़ों को प्रदर्शित करने वाले आरेखों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है।
(1) एक विमीय आरेख ; जैसे- रेखाग्राफ, बहुरेखाचित्र, दण्ड आरेख, आयत चित्र, आयु लिंग पिरामिड आदि।
(2) द्विविमीय आरेख, जैसे- वृत्त आरेख और आयताकार आरेख।
(3) त्रिविमीय आरेख, जैसे-घन आरेख और गोलाकार आरेख।
प्रश्न 2.
रेखाग्राफ की रचना विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रेखाग्राफ की रचना विधि-रेखा ग्राफ द्वारा सामान्यतः वर्षा, तापमान, जनसंख्या वृद्धि, जन्मदर और मृत्युदर से सम्बन्धित समान क्रम के आँकड़ों को प्रदर्शित किया जाता है। रेखाग्राफ की रचना साधारणतया निम्नलिखित प्रकार से की जाती है –
(1) सर्वप्रथम दिए गए आँकड़ों को पूर्णांक में बदलकर इन्हें सरल बना लेते हैं।
(2) तत्पश्चात् X और Y अक्ष खींचते हैं। X- अक्ष पर समय क्रम चरों (महीना / वर्ष) को तथा Y-अक्ष पर आँकड़ों की मात्रा / मूल्य को अंकित करते हैं।
(3) अब एक उपयुक्त मापनी का चुनाव कर उसे Y अक्ष पर अंकित कर देते हैं।
(4) Y-अक्ष पर चुनी हुई मापनी के अनुसार वर्ष, माह अथवा वार दर्शाने के लिए आँकड़े अंकित करते हैं और बिन्दु द्वारा अंकित मूल्यों की स्थिति चिह्नित करके इन बिन्दुओं को एक सरल रेखा खींचकर आपस में मिला देते हैं।
प्रश्न 3.
रचना विधि के आधार पर थिमैटिक मानचित्रों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
रचना विधि के आधार पर थिमैटिक मानचित्रों का वर्गीकरण- थिमैटिक मानचित्रों के द्वारा किसी भी एक भौगोलिक तत्व की स्थानिक विभिन्नताओं को दर्शाया जाता है। इस कारण यह विषयक मानचित्र भी कहलाते हैं। रचना विधि के आधार पर थिमैटिक / विषयक मानचित्रों को मात्रात्मक और अमात्रात्मक मानचित्रों में वर्गीकृत किया जाता है।
(1) मात्रात्मक मानचित्र – इनको आँकड़ों में विविधता दर्शाने के लिए खींचा जाता है। चूँकि इनके निर्माण में संख्याओं का उपयोग किया जाता है, इस कारण यह मानचित्र सांख्यिकीय मानचित्र भी कहलाते हैं।
(2) अमात्रात्मक मानचित्र – यह मानचित्र दी हुई सूचना के वितरण में अपरिमेय विशेषताओं को दर्शाते हैं; जैसे उच्च और निम्न वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों को दिखाने वाला मानचित्र । इस कारण इन्हें विश्लेषणात्मक मानचित्र भी कहा जाता है।
प्रश्न 4.
बिन्दुकित मानचित्र निर्माण के समय अपनाई जाने वाली सावधानियाँ बताइए।
उत्तर:
सावधानियाँ –
(1) विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को सीमांकित करने वाली रेखाएँ अत्यधिक घनी एवं मोटी नहीं होनी चाहिए।
(2) प्रत्येक बिन्दु का आकार समान होना चाहिए।
(3) मानचित्र के 15 – 20 प्रतिशत से अधिक भाग पर बिन्दुओं का वितरण नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 5.
दण्ड आरेख बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
दण्ड आरेख बराबर चौड़ाई के कॉलम द्वारा खींचा जाता है। इसे स्तम्भ आरेख भी कहते हैं। इसकी रचना करते समय निम्न नियमों को ध्यान में रखना चाहिए –
(i) सभी दण्डों / स्तम्भों की चौड़ाई बराबर होनी चाहिए।
(ii) सभी दण्ड बराबर अन्तराल / दूरी पर स्थापित होने चाहिए।
(iii) दण्डों को एक-दूसरे से विभिन्न और आकर्षक बनाने के लिए रंगों तथा प्रतिरूपों से छायांकित किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
वृत्त आरेख को बनाते समय अपनाई जाने वाली सावधानियाँ लिखिए।
उत्तर:
वृत्त आरेख बनाते समय अपनाई जाने वाली सावधानियाँ-
(i) वृत्त को न तो अत्यधिक बड़ा होना चाहिए और न ही बहुत छोटा।
(ii) वृत्त आरेख में छोटे कोण पहले एवं बड़े कोण बाद में बनाने चाहिए।
(iii) प्रदेश या क्षेत्र का नाम वृत्त खण्ड के बाहर लिखना चाहिए।
(iv) छायांकन ऐसा करना चाहिए ताकि प्रत्येक वृत्त खण्ड स्पष्ट दिखाई दे।
प्रश्न 7.
थिमैटिक मानचित्र निर्माण के लिए आवश्यकताएँ और बनाने के नियम लिखिए।
उत्तर:
(1) थिमैटिक मानचित्र निर्माण के लिए आवश्यकताएँ –
(i) चुने हुए विषय से सम्बन्धित राज्य/जिला स्तर के आँकड़े उपलब्ध होने चाहिए।
(ii) अध्ययन क्षेत्र का प्रशासनिक सीमाओं सहित रूपरेखा मानचित्र |
(iii) प्रदेश का भौतिक मानचित्र; उदाहरण के लिए जनसंख्या वितरण को प्रदर्शित करने के लिए भूआकृतिक मानचित्र एवं परिवहन मानचित्र निर्माण के लिए उच्चावच एवं अपवाह मानचित्र उपलब्ध होना चाहिए।
(2) थिमैटिक मानचित्रों को बनाने के लिए नियम-
(i) थिमैटिक मानचित्रों की रचना बहुत ही सावधानीपूर्वक करनी चाहिए। अन्तिम मानचित्र में निम्नलिखित घटक प्रदर्शित होने चाहिए—
(क) क्षेत्र का नाम
(ख) विषय का शीर्षक
(ग) आँकड़े का साधन और वर्ष
(घ) मापनी
(ङ) संकेत चिह्न, रंगों, छायाओं आदि के सूचक।
(ii) थिमैटिक मानचित्र बनाने के लिए उपयुक्त विधि का चुनाव करना।
प्रश्न 8.
सममान रेखा किसे कहते हैं? किन्हीं चार सममान रेखाओं के विषय में लिखिए।
उत्तर:
सममान रेखाएँ- विशेषतः सममान रेखा एक काल्पनिक रेखा होती है, जो समान मानों को जोड़ती है। कुछ मुख्य सममान रेखाएँ निम्न प्रकार से हैं –
(1) समताप रेखा – समान तापमान को दर्शाने वाली रेखा।
(2) समोच्च रेखा – समान ऊँचाई को दर्शाने वाली रेखा।
(3) आइसोहेल – समान सूर्य प्रकाश को दर्शाने वाली रेखा।
(4) समवर्षा रेखा – समान वर्षा को दर्शाने वाली रेखा।
प्रश्न 9.
आँकड़ों के प्रदर्शन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आँकड़ों का प्रदर्शन-आँकड़ों द्वारा उन तथ्यों की विशेषताओं का वर्णन किया करते हैं, जो वे प्रदर्शित करते हैं। यह विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किए जाते हैं। वर्तमान में भूगोलवेत्ता, अर्थशास्त्री, संसाधन वैज्ञानिक और निर्णयकर्ता बहुतायत में आँकड़ों का प्रयोग करते हैं। तालिकाबद्ध रूप के अतिरिक्त आँकड़े आलेखीय या आरेखीय रूप में भी प्रदर्शित किए जाते हैं। आलेख, आरेख, मानचित्र और चार्ट द्वारा आँकड़ों के रूपान्तरण को आँकड़ों का प्रदर्शन कहते हैं। आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण का यह स्वरूप किसी भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत जनसंख्या वृद्धि, वितरण, लिंगानुपात, जनसंख्या घनत्व आदि के प्रतिरूप को आसान बनाता है।
प्रश्न 10.
वर्णमात्री मानचित्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र- इन मानचित्रों को, आँकड़े की विशेषताओं, जो कि प्रशासनिक इकाइयों से सम्बन्धित हैं, को दर्शाने के लिए खींचा जाता है। ये मानचित्र जनसंख्या घनत्व, साक्षरता वृद्धि दर, लिंग अनुपात आदि को प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
वर्णमात्री मानचित्र की रचना के लिए आवश्यकताएँ –
(i) विभिन्न प्रशासकीय इकाइयों को दर्शाने वाले क्षेत्रों का एक मानचित्र।
(ii) प्रशासकीय इकाइयों के अनुसार अनुकूल सांख्यिकीय आँकड़ा उपलब्ध होने चाहिए।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आलेख, आरेख और मानचित्र निर्माण के सामान्य नियमों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आलेख, आरेख और मानचित्र का निर्माण करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
1. उपयुक्त विधि का चयन आँकड़े विभिन्न प्रकार की विषय-वस्तु, जैसे-तापमान, वर्षा, जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण, विभिन्न उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और व्यापार आदि को प्रदर्शित करते हैं। इस कारण आँकड़ों की इन विशेषताओं को उपयुक्त विधि के द्वारा सही ढंग से प्रदर्शित करने की आवश्यकता होती है जैसे- वर्षा और उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन को दर्शाने के लिए दण्ड आरेख, जनसंख्या वितरण को दर्शाने के लिए बिन्दु मानचित्र तथा जनसंख्या घनत्व को दर्शाने के लिए वर्णमात्री मानचित्र अधिक उपयुक्त होते हैं।
2. उपयुक्त मापनी का चयन मापनी का उपयोग आरेख और मानचित्रों पर आँकड़ों की माप को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इसलिए दिए गए आँकड़ों के समूह के लिए उपयुक्त मापनी का चुनाव सावधानीपूर्वक करना चाहिए। मापनी न तो बहुत बड़ी होनी चाहिए और न ही बहुत छोटी होनी चाहिए।
3. अभिकल्पना यह मानचित्र कला सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण कार्य होता है। इसके अन्तर्गत सामान्यतः शीर्षक, निर्देशिका और दिशा जैसे घटक शामिल किए जाते हैं। इसलिए इनको मानचित्र और आरेख पर सावधानीपूर्वक प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
- शीर्षक साधारणत: क्षेत्र का नाम, प्रयुक्त आँकड़ों का सन्दर्भ वर्ष आरेख और मानचित्र के शीर्षक को दर्शाते हैं। इनको विभिन्न आकार और मोटाई के अक्षरों और संख्याओं द्वारा मानचित्र और आरेख में सबसे ऊपर और बीच में दर्शाया जाता है।
- निर्देशिका यह मानचित्र और आरेख में उपयोग किए गए रंगों, छाया, प्रतीकों और चिह्नों की व्याख्या करती है। यह मानचित्र और आरेख की विषयवस्तु के अनुरूप होनी चाहिए। सामान्यतः निर्देशिका अथवा सूचिका मानचित्र और आरेख पर नीचे बायीं ओर या दायीं ओर दर्शायी जाती है।
- दिशा- पृथ्वी की धरातल के भाग का प्रदर्शन होने के कारण मानचित्र पर मुख्य दिशाओं के निर्धारण की भी आवश्यकता होती है। इसलिए दिशा प्रतीक (उत्तर दिशा) को मानचित्र पर निर्दिष्ट स्थान पर अंकित करना चाहिए।
प्रश्न 2.
तालिका में दिए गए आँकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए एक रेखा ग्राफ की रचना कीजिए-
उत्तर:
रेखा ग्राफ की रचना इसके लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं-
(1) सर्वप्रथम आँकड़ों को पूर्णांक में बदलकर इन्हें सरल बनाते हैं।
(2) X और Y अक्ष खींचकर X- अक्ष पर वर्ष / महीना तथा Y-अक्ष पर जनसंख्या वृद्धि दर ( प्रतिशत में) को अंकित करते हैं।
(3) अब एक उपयुक्त मापनी को चुनकर Y अक्ष पर अंकित करते हैं और इसके अनुसार ही X- अक्ष पर अंकित वर्ष को दर्शाने के लिए आँकड़े अंकित करते हैं ।
(4) अन्त में बिन्दु द्वारा अंकित वृद्धि दर की स्थिति चिह्नित करके इन बिन्दुओं को एक सरल रेखा खींचकर मिला देते हैं।
प्रश्न 3.
बहुरेखाचित्र आरेख से क्या अभिप्राय है? निम्नलिखित तालिका में दिए गए विभिन्न राज्यों में लिंग अनुपात की वृद्धि की तुलना के लिए एक बहुरेखाचित्र की रचना कीजिए-
उत्तर:
बहुरेखाचित्र आरेख यह एक रेखाग्राफ ही है, जिसमें दो या दो से अधिक चरों को तत्काल तुलना के लिए, रेखाओं को बराबर संख्या द्वारा दर्शाया जाता है, जैसे विभिन्न फसलों चावल, गेहूँ, दालों का वृद्धि दर अथवा विभिन्न राज्यों अथवा देशों की जन्म दर और मृत्यु दर, लिंग अनुपात आदि। इनको एक अलग रेखा प्रतिरूप जैसे सीधी रेखा (-), टूटी रेखा (—), बिन्दु रेखा (…) अथवा विभिन्न रंगों की एक रेखा का प्रयोग विभिन्न चरों के मानों को प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है।
बहुरैखिक आरेख की रचना इसकी रचना निम्नलिखित चरणों के आधार पर की जाती है –
(1) सर्वप्रथम आँकड़ों को पूर्णांक में बदलकर इन्हें सरल बना लेते हैं।
(2) इसके बाद X- अक्ष पर वर्ष और Y अक्ष पर चुने हुए राज्यों के लिंगानुपात को प्रदर्शित करते हैं।
(3) इसके बाद एक उपयुक्त मापनी का चुनाव कर Y अक्ष पर अंकित करते हैं। इस मापनी के आधार पर Y – अक्ष पर वर्ष अनुसार लिंगानुपात दर्शाते हैं और अन्त में बिन्दु द्वारा अंकित लिंगानुपात की स्थिति चिह्नित करते हैं तथा भिन्न- भिन्न राज्यों के लिंगानुपात दर्शाने वाली बिन्दुओं को हाथ से रेखा खींचकर मिला देते हैं।
प्रश्न 4.
तालिका में दिए गए तिरुवनन्तपुरम की वर्षा के आँकड़े को प्रदर्शित करने के लिए एक सामान्य दण्ड आरेख की रचना कीजिए-
उत्तर:
साधारण दण्ड आरेख –
साधारण दण्ड आरेख की रचना विधि – साधारण दण्ड आरेख की रचना तत्काल सूचना प्राप्त करने के लिए की जाती है। इसकी रचना निम्नलिखित क्रम के आधार पर की गई है –
- सर्वप्रथम ग्राफ पेपर पर X और Y अक्ष खींचते हैं।
- इसके बाद Y अक्ष पर 5 से.मी. का अन्तराल रखकर वर्षा के आँकड़े प्रदर्शित करते हैं।
- इसके बाद X- अक्ष पर 12 महीनों को दर्शाने के लिए 12 बराबर भागों में बाँटा गया है।
- तत्पश्चात् प्रत्येक महीने के लिए दिए गए वर्षा माप को मापनी के अनुसार दर्शाते हैं और दण्ड आरेख बनाकर प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 5.
तालिका में दिए गए आँकड़ों को चिह्नित करने के लिए एक मिश्रित दण्ड आरेख की रचना कीजिए-
उत्तर:
मिश्रित दण्ड आरेख की रचना – मिश्रित दण्ड आरेख में एक घटक के विभिन्न चरों को साथ-साथ रखा जाता है। सामान्यतया इसकी रचना निम्न प्रकार से करते
(1) सबसे पहले चरों के कुल योग के बराबर स्तम्भ बनाते हैं।
(2) इसके बाद इस स्तम्भ/ दण्ड को चरों के अनुपात विभाजित हैं। इस प्रकार इसमें एक ही दण्ड में अनेक गुणों तथा उनके योग को प्रदर्शित करते हैं।
(3) सभी दण्डों में गुणों के प्रदर्शन का क्रम समान होता है तथा इन्हें विभिन्न छाया अथवा चिह्नों से अंकित करते हैं।
इस प्रकार तालिका के आधार पर निर्मित मिश्रित दण्ड आरेख में एक अकेला दण्ड/ स्तम्भ दिए हुए वर्ष में कुल उत्पादित बिजली को चित्रित करेगा और ऊष्मीय जलीय और नाभिकीय विद्युत को दण्ड की कुल लम्बाई द्वारा विभाजित करके दर्शाया गया है –
प्रश्न 6.
तालिका में दिए गए दिल्ली की औसत मासिक वर्षा और तापमान को दर्शाने के लिए एक रेखा ग्राफ और दण्ड आरेख की रचना कीजिए –
दिल्ली में औसत मासिक तापमान और वर्षा –
उत्तर:
रेखा ग्राफ और दण्ड आरेख की रचना विधि –
(1) सर्वप्रथम उपयुक्त लम्बाई के X और Y अक्ष खींचते हैं और X- अक्ष पर वर्ष के 12 महीनों को 12 बराबर भागों में बाँटते हैं।
(2) Y-अक्ष पर तापमान के आँकड़ों को दर्शाने के लिए 5°C के बराबर अन्तराल की एक उपयुक्त मापनी का चुनाव करते हैं एवं इसको दायीं ओर अंकित कर देते हैं।
(3) इसी प्रकार 5 से.मी. की मापनी का चुनाव कर Y- अक्ष पर बायीं ओर बराबर अन्तराल पर वर्षा के आँकड़े दर्शाते हैं।
संजीव पास बुक्स
(4) तापमान के आँकड़ों को रेखा ग्राफ द्वारा और वर्षा के आँकड़ों को दण्ड आरेख द्वारा प्रदर्शित करते हैं, जैसा कि निम्नांकित चित्र में दर्शाया गया है –
प्रश्न 7.
तालिका में दी गई 1951-2011 के मध्य भारत में दशकीय साक्षरता दर को दर्शाने के लिए एक उपयुक्त दण्ड आरेख की रचना कीजिए –
उत्तर:
तालिका में दिए गए साक्षरता दर को बहुदण्ड आरेख द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। इस आरेख में दो या दो से अधिक चरों को तुलना के उद्देश्य से प्रदर्शित किया जाता है।
प्रश्न 8.
प्रवाह संचित्र किसे कहते हैं? इसको तैयार करने के लिए आवश्यकताओं को बताते हुए इसकी रचना विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर;
प्रवाह संचित्र-प्रवाह संचित्र आलेख और मानचित्र का मिश्रण होता है। इसे विशेषतः उत्पत्ति और उद्देश्य के स्थानों के बीच वस्तुओं अथवा लोगों के प्रवाह को दिखाने के लिए बनाया जाता है। इस कारण इसे ‘गतिक मानचित्र’ भी कहते हैं। यह संचित्र समानुपाती चौड़ाई की रेखाओं द्वारा बनाए जाते हैं। प्रवाह संचित्र साधारणतया दो प्रकार के आँकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए बनाए जाते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं –
(1) वाहनों की गति के दिशानुसार वाहनों की संख्या और आवृत्ति दर्शाने के लिए।
(2) यात्रियों की संख्या अथवा परिवहन किए गए सामान की मात्रा बताने हेतु।
प्रवाह संचित्र को तैयार करने के लिए आवश्यकताएँ –
(1) स्टेशनों को जोड़ते हुए वांछित यातायात मार्गों को दिखाने वाला एक मार्ग मानचित्र।
(2) वस्तुओं, सेवाओं, वाहनों की संख्याओं को उनके उत्पत्ति बिन्दु और गतियों की दिशा सहित प्रवाह से सम्बन्धित आँकड़े।
(3) एक मापनी का चुनाव, जिसके द्वारा यात्रियों और वस्तुओं की मात्रा अथवा वाहनों की संख्या से सम्बन्धित आँकड़े को प्रस्तुत करना हैं।
प्रवाह संचित्र की रचना विधि –
(1) प्रवाह मानचित्र के लिए सबसे पहले एक रेखा मानचित्र लेते हैं, जिसमें उससे जुड़े हुए क्षेत्र रेलवे लाइन और केन्द्र स्टेशन दिखाए गए हों।
(2) इसके बाद यातायात के साधन की संख्या को दर्शाने के लिए एक मापनी का चुनाव करते हैं।
(3) अब दिए हुए मार्ग के बीच मार्ग की प्रत्येक पट्टी की मोटाई को अंकित करते हैं।
(4) इसके बाद एक सीढ़ीनुमा मापनी को एक सूचिका की तरह खींचते हैं और पट्टी पर केन्द्र बिन्दु स्टेशन को दर्शाने के लिए अलग-अलग चिह्न अथवा संकेत चुनते हैं।
प्रश्न 9.
तालिका में दिए गए भारत में साक्षरता को प्रदर्शित करने के लिए वर्णमात्री मानचित्र की रचना कीजिए।
उत्तर:
वर्णमात्री मानचित्र की रचना विधि –
(1) तालिका में दिए गए आँकड़ों (साक्षरता दर ) को सर्वप्रथम बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करते हैं।
(2) इसके बाद आँकड़ों को उचित वर्ग अन्तराल में बाँटते हैं और जिस वर्ग अन्तराल में जो राज्य सम्मिलित हैं, उनके नाम उसके वर्ग के आगे
लिख देते हैं। वर्ग अन्तराल और उसमें सम्मिलित राज्य निम्न प्रकार से हैं –
वर्ग अन्तरालवर्ग अन्तराल से सम्बन्धित श्रेणी
47-56 अति निम्न साक्षरता दर (बिहार, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर)
56-65 निम्न साक्षरता दर (उत्तरप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, मेघालय, उड़ीसा, असम, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़)
65-74 मध्यम साक्षरता दर (नागालैण्ड, कर्नाटक, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, गुजरात, पंजाब, मणिपुर, उत्तरांचल, त्रिपुरा, तमिलनाडु)
74-83 उच्च साक्षरता दर (हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र दिल्ली, गोवा)
83-92अति उच्च साक्षरता दर (मिजोरम, केरल)
(3) इसके बाद निम्न में से अति उच्च श्रेणी के लिए रंग / प्रतिरूप / संकेत को निश्चित करते हैं।
(4) अन्त में जिस वर्ग अन्तराल में जो राज्य आ रहे हैं, उनको संकेत में निर्धारित रंग / प्रतिरूप का अंकन कर मानचित्र का निर्माण कर लेते हैं।
(5) इसके बाद मानचित्र में सभी आवश्यक सूचनाओं की पूर्ति कर ली जाती है।
इस प्रकार से मानचित्र अग्र प्रकार से प्राप्त होगा –
प्रश्न 10.
सममान रेखा मानचित्र को परिभाषित करते हुए इसके निर्माण की आवश्यकताओं एवं सावधानियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सममान रेखा मानचित्र प्राकृतिक सीमाएँ जैसे ढाल की डिग्री में विविधता, तापमान, वर्षा आदि आँकड़ों के समान मानों को दिखाने के मानचित्र को सममान मानचित्र कहते हैं। सममान रेखा मानचित्र को समान मानों की रेखाओं को खींचकर प्रदर्शित किया जाता है। साधारणतः सममान रेखा एक काल्पनिक रेखा होती है, जो मानचित्र पर समान मानों के स्थानों को जोड़ती है। इस प्रकार सममान रेखा मानचित्र समताप रेखा, सम वायुदाब रेखा, समवर्षा रेखा, समोच्च रेखा, समलवणता रेखा आदि को प्रदर्शित करते हैं।
सावधानियाँ- सममान रेखा मानचित्र निर्माण के समय निम्नांकित सावधानियाँ रखी जाती हैं –
(1) बराबर मानों को दिखाने वाली सममान रेखाएँ एक- दूसरे को नहीं काटनी चाहिए।
(2) मानों के बराबर अन्तराल को चुनना चाहिए।
(3) साधारणतः 5, 10 अथवा 20 के आदर्श अन्तराल का चुनाव करना चाहिए।
(4) सममान रेखाओं का मान रेखा के दूसरी ओर अथवा रेखा को तोड़कर बीच में लिखना चाहिए।
(5) सबसे कम मान की सममान रेखा को सबसे पहले खींचना चाहिए।
आवश्यकताएँ – एक सममान रेखा मानचित्र बनाने के लिए निम्न आवश्यकताएँ होती हैं-
(क) विभिन्न स्थानों की स्थिति को दर्शाने वाला आधार रेखा मानचित्र।
(ख) निश्चित समय के अनुरूप तापमान, वायुदाब, वर्षा आदि के अनुकूल आँकड़े।
(ग) चित्र उपकरण विशेषकर फ्रेंच कर्व आदि।