Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography NCERT Solutions in Hindi Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ will prepare you exam-ready.
NCERT Class 12 Geography Chapter 5 Solutions in Hindi प्राथमिक क्रियाएँ
पृष्ठ संख्या 31
प्रश्न 1.
मछली पकड़ने एवं कृषि करने का कार्य क्रमशः तटीय एवं मैदानी भागों के निवासी ही क्यों करते हैं? वे कौनसे भौतिक एवं सामाजिक कारक हैं जो कि विभिन्न प्रदेशों में प्राथमिक क्रियाओं के प्रकार को निर्धारित करते हैं?
उत्तर:
तटीय क्षेत्र के निवासी मछली पकड़ने के कार्य में संलग्न होते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों के समीपवर्ती सागरीय भागों में मछलियाँ बहुलता में उपलब्ध रहती हैं, जिस कारण यहाँ के निवासी मुख्यतः मछली पकड़ने के कार्य में ही संलग्न रहते हैं, जबकि मैदानी भागों में पर्याप्त कृषि योग्य समतल भूमि उपलब्ध होती है, जिस कारण यहाँ के निवासी जीवन-यापन हेतु कृषि कार्यों में संलग्न रहते हैं।
प्राथमिक क्रियाओं को निर्धारित करने वाले भौतिक कारक-जल, भूमि, वनस्पति, जन्तु, जलवायु, भवन निर्माण सामग्री, भूगर्भ में खनिजों की उपलब्धता आदि ऐसे भौतिक कारक हैं, जो प्राथमिक क्रियाओं का निर्धारण करते हैं। प्राथमिक क्रियाओं को निर्धारित करने वाले सामाजिक कारक-साक्षरता, सामाजिक रीति-रिवाज एवं परम्पराएँ, तकनीकी विकास का स्तर, जातीय संरचना आदि प्राथमिंक क्रियाओं को निर्धारित करने वाले प्रमुख सामाजिक कारक हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-
(i) निम्न में से कौनसी रोपण फसल नहीं है-
(अ) कॉफी
(ब) गन्ना
(स) गेहूँ
(द) रबड़।
उत्तर:
(स) गेहूँ
(ii) निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
(अ) रूस
(ब) डेनमार्क
(स) भारत
(द) नीदरलैण्ड।
उत्तर:
(ब) डेनमार्क
(iii) फूलों की कृषि कहलाती है-
(अ) ट्रक फार्मिंग
(ब) कारखाना कृषि
(स) मिश्रित कृषि
(द) पुष्पोत्पादन।
उत्तर:
(द) पुष्पोत्पादन।
(iv) निम्न में से कौनसी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
(अ) कोलखोज
(ब) अंगूरोत्पादन
(स) मिश्रित कृषि
(द) रोपण कृषि।
उत्तर:
(द) रोपण कृषि।
(v) निम्नलिखित प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती है?
(अ) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(ब) अर्जेटाइना के पंपास क्षेत्र
(स) यूरोपीय स्टैपीज क्षेत्र
(द) अमेजन बेसिन।
उत्तर:
(द) अमेजन बेसिन।
(vi) निम्न में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि की जाती है?
(अ) बाजारीय सब्जी कृषि
(ब) भूमध्यसागरीय कृषि
(स) रोपण कृषि
(द) सहकारी कृषि।
उत्तर:
(ब) भूमध्यसागरीय कृषि
(vii) निम्न कृषि के प्रकारों में से कौनसा प्रकार कर्तनदहन कृषि का प्रकार है?
(अ) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(ब) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(स) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(द) मिश्रित कृषि।
उत्तर:
(ब) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(viii) निम्न में से कौनसी एकल कृषि नहीं है ?
(अ) डेयरी कृषि
(ब) मिश्रित कृषि
(स) रोपण कृषि
(द) वाणिज्य अनाज कृषि।
उत्तर:
(ब) मिश्रित कृषि
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) स्थानान्तरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है क्योंकि जिन देशों में इस प्रकार की कृषि की जाती है वर्तमान समय में उन देशों का कृषि प्रारूप परिवर्तित होता जा रहा है। इन देशों में वनों के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र भी कम होता जा रहा है। इसी कारण स्थानान्तरी कृषि का भविष्य अन्धकारमय है।
(ii) बाजारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?
उत्तर:
बाजारीय सब्जी कृषि में मुख्यतः सब्जियाँ फल तथा पुष्प उगाये जाते हैं। इनकी मुख्य खपत समीपवर्ती नगरीय क्षेत्रों में होती है। इन्हें कम समय में उपभोवता तक पहुँचाना भी आवश्यक होता है। अत: बाजारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही की जाती है।
(iii) विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों के विकास के बाद् ही क्यों सम्भव हो सका है?
उत्तर:
डेयरी कृषि के अन्तर्गत उत्पादित किए जाने वाले पदार्थ यदि उपभोक्ताओं तक शीघ्रता से न पहुँ चाये जायें तो वे शीघ्र खराब हो जाते हैं। वर्तमान समय में विकसित यातायात के साधनों तथा प्रशीतकों के उपयोग से डेयरी उत्पादों को अधिक समय तक संरक्षित तथा पास्तरीकरण कर लम्बी दूरियों तक भेजा जा सकता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दीजिए।
(i) चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अन्तर –
चलवासी पशुचारण – | वाणिज्य पशुधन पालन |
1. चलवासी पशुचारण पुरानी दुनिया के देशों तक ही सीमित है। | वाणिज़्य पशुधन पालन मुख्य रूप से नई दुनिया के देशों में प्रर्चलित है । |
2. चलवासी पशुचारण के अन्तर्गत पशुचारक चारे तथा जल की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते हैं। | वापिज्य पशुधन पालन एक निश्चित स्थान पर बाड़ों में किया जाता है और उनके चारे की व्यवस्था स्थानीय रूप से की जाती है। |
3. चलवासी पशुचारण की पद्धति में पशु प्राकृतिक रूप से जन्म लेते हैं तथा बड़े होते हैं तथा उनकी विशेष देखभाल नहीं की जाती है। | वाणिज्य पशुधन में पशुओं को वैज़ानिक पर्द्धति के अनुसार पाला जाता है तथा उनकी विशेष देखभाल की जाती है। |
4. चलवासी पशुचारक एक ही समय पर विभिन्न प्रकार के पशु रखते हैं। | व्यापारिक अर्थात् वाणिज्यिक पशुपालक उसी विशेष पशु को पालता है जिसके लिए क्षेत्र अत्यन्त अनुकूल होता है। |
5. चलवासी पशुचारण एक जीवन निर्वाह पद्धति है जिसमें स्थानीय आवश्य-कताओं को पूरा करने के लिए भोजन, वस्त्र, आवास तथा जीवन की अन्य सुविधाएँ, जुटाई जाती हैं। | वाणिज्य पशुधन पालन में दूध, मांस, ऊन, व खालों आदि का उत्पादन होता है जिनका अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापार किया जाता है। |
6. चलवासी पशुचारण पद्धति में चारे की फसल नहीं उगाई जाती तथा पशुओं को पूरी तरह प्राकृतिक रूप से उगने वाली घास पर ही निर्भर रहना पड़ता है। | वाणिज्य पशुधन पालन में प्राकृतिक घास की कमी होने की अवस्था में चारे की फसलें उगाकर पूर्ति की जाती है। |
7. चलवासी पशुचारण एक प्राचीन जीवन निर्वाह व्यवसाय है, जो मुख्यतः मानवीय श्रम प्रधान होता है। | वाणिज्य पशुधन पालन वैज्ञानिक ढंग से किया जाने वाला एक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान व्यवसाय है। |
8. चलवासी पशुचारण के विश्व में तीन प्रमुख क्षेत्र हैं, यथा-इसका प्रमुख क्षेत्र उत्तरी अफ्रीका के एटलाष्टिक तट से अरब प्रायद्वीप होता हुआ मंगोलिया एवं मध्य चीन तक फैला है। दूसरा क्षेत्र यूरोप तथा एशिया के टुप्ड्रा प्रदेश में है जबकि तीसरा क्षेत्र दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिपी-पश्चिमी अफ्रीका एवं मेडागास्कर द्वीप पर है। | वाणिज्य पशुधन पालन विश्व में न्यूजीलैण्ड, अर्जेन्टाइना, यूरूमे, आस्ट्रेलिया एवं संयुक्त राज़्य अमेरिका में किया जाता है। |
(ii) रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बतलाइये एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बतलाइये।
उत्तर:
रोपण कृषि यह विशेष प्रकार की व्यापारिक कृषि है। यूरोपीय लोगों ने विश्व के अनेक भागों का औपनिवेशीकरण करके कृषि के कुछ अन्य रूपों यथा रोपण कृषि की शुरुआत की। यूरोपीय उपनिवेशों ने अपने अधीन उष्ण-कटिबन्धीय क्षेत्रों में रोपण कृषि का विकास किया।
रोपण कृषि की प्रमुख विशेषताएँ-रोपण कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- रोपण कृषि बड़े-बड़े आकार के फार्मों पर की जाती है।
- इस कृषि प्रणाली में अधिक पूँजी निवेश, उच्च प्रबन्ध, तकनीकी आधार एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
- यह एक फसली कृषि होती है, जिसमें एक फसल के उत्पादन पर ही संकेन्द्रण किया जाता है।
- रोपण कृषि के अन्तर्गत बागानों में बड़ी संख्या में कुशल श्रमिक कार्य करते हैं। ये श्रमिक स्थानीय होते हैं। कुछ प्रदेशों में दास श्रमिक या नीग्रो लोग भी काम करते हैं। श्रीलंका के चाय की बागान तथा मलेशिया में रबड़ के वागानों में भारत के तमिल लोग कार्य करते हैं।
- रोप्रण कृषि वाले क्षेत्रों में यातायात सुविधाएँ विकसित अवस्था में मिलती हैं, जिसके द्वारा बागान तथा बाजार सुचारु रूप से जुड़े रहते हैं।
- यह कृषि उष्ण कटिबंधीय वर्षा वाले क्षेत्रों में प्रमुखता से की जाती है।
- यह वृहद् स्तरीय लाभोन्मुख उत्पादन कृषि प्रणाली है।
विभिन्न देशों में उत्पादित की जाने वाली प्रमुख रोपण फसलें-विश्व के विभिन्न देशों में निम्नलिखित रोपण फसलें प्रमुख रूप से उत्पादित की जाती हैं-
- रबड़-इसकी कृषि मलेशिया एवं इण्डोनेशिया में की जाती है।
- कोको-इसकी कृषि पश्चिमी अप्रीका में की जाती है।
- कहवा-इसकी कृषि ब्राजील में की जाती है।
- चाय-इसकी कृषि भारत तथा श्रीलंका में की जाती है।
- गन्ना-इसकी कृषि क्यूबा तथा जावा में की जाती है।
- नारियल-इसकी कृषि फिलीपाइन्स द्वीप-समूह में की जाती है।
- केला-इसकी कृषि पशिचमी द्वीप-समूह में की जाती है।