Understanding the question and answering patterns through NCERT Solutions Class 12 Geography in Hindi Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ will prepare you exam-ready.
NCERT Class 12 Geography Chapter 12 Solutions in Hindi भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ
पृष्ठ 138
प्रश्न 1.
हम क्या फेंकते हैं, और क्यों?
उत्तर;
हम विभिन्न प्रकार के पुराने एवं प्रयुक्त सामग्रियाँ, जैसे-जंग लगी पिनें, कांच का टूटा सामान, प्लास्टिक के डिब्बे, थैलियाँ, रद्दी कागज, राख, आदि कूड़ा-करकट एवं कबाड़ को घर से बाहर फेंकते हैं क्योंकि यह सामग्री भविष्य में पुनः काम में लेने योग्य नहीं होती है एवं हम अपने घर को साफ रखना चाहते हैं।
प्रश्न 2. हमारा कचरा ( अपशिष्ट) कहाँ जाकर समाप्त होता है?
उत्तर:
हमारा अपशिष्ट अर्थात् घरेलू कचरा सार्वजनिक भूमि या निजी ठकेदारों के स्थलों पर डाला जाता है, जबकि व्यावसायिक इकाइयों से प्राप्त कचरा नगरपालिकाओं द्वारा निर्धारित निचली सतह की सार्वजनिक भूमि या ग़््ढों पर समाप्त किया जाता है।
प्रश्न 3. रद्दी बीनने वाले बच्चे कचरे को क्यों खंगालते हैं? क्या इसका कुछ मूल्य होता है?
उत्तर:
रद्दी बीनने वाले बच्चे कचरे में से कुछ पुन: उपयोग में आने वाली वस्तुएँ, जैसे-पुराने वस्त्र, लोहा, प्लास्टिक, पोलीथीन आदि को खंगालते हैं। लोहा तथा प्लास्टिक जैसी वस्तुएँ पुनः निर्माण योग्य वस्तुएँ होती हैं। इस कारण इन वस्तुओं को अन्य साधनों में उपयोग में लेने हेतु कारखानों में भेज दिया जाता है। इस प्रकार यह अपशिष्ट वस्तु भी कुछ मात्रा में उपयोगी होती है।
प्रश्न 4.
क्या हमारा नगरीय अपशिष्ट उपयोगी है?
उत्तर:
हाँ, हमारा नगरीय अपशिष्ट उपयोगी होता है, क्योंकि इन अपशिश्टों को संसाधन के रूप में उपचारित कर इनका ऊर्जा पैदा करने व खाद बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-
प्रश्न (i) निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?
(क) ब्रह्मपुत्र
(ख) सतलुज
(ग) यमुना
(घ) गोदावरी
उत्तर:
(ग) यमुना
प्रश्न (ii) निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल जन्य है?
(क) नेत्रश्लेष्मला शोथ
(ख) अतिसार
(ग) श्वसन संक्रमण
(घ) श्वासनली शोथ
उत्तर:
(ख) अतिसार
प्रश्न (iii) निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
(क) जल प्रदूषण
(ख) भूमि प्रदूषण
(ग) शोर प्रदूषण
(घ) वायु प्रदषणण
उत्तर:
(घ) वायु प्रदषणण
प्रश्न (iv) प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी हैं-
(क) प्रवास के लिए
(ख) भू-निम्नीकरण के लिए
(ग) गंदी बस्तियाँ
(घ) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(क) प्रवास के लिए
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-.
प्रश्न (i) प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है?
उत्तर:
भूमि, वायु और जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में ऐसा अनचाहा परिवर्तन जो मानव तथा अन्य जीवों पर दुष्प्रभाव डालता है, प्रदूषण कहलाता है। जबकि प्रदूषक वे पदार्थ होते हैं जिनके कारण पारितंत्र में उपस्थित प्राकृतिक संतुलन में ह्रास होता है।
प्रश्न (ii) वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साधारणतः जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पैट्रोल एवं डीजल का दहन, खनन, औद्योगिक प्रक्रम, ठोस कचरा निपटान, वाहित मल निपटान, धूल आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
प्रश्न (iii) भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
देश के अधिकांश शहरों में अपशिष्ट का 30 से 50 प्रतिशत कचरा बिना एकत्र किये गलियों में, घरों के पीछे खुली जगहों पर तथा परती भूमि पर इकट्टा हो जाता है जिससे स्वास्थ्य सम्बन्धी गम्भीर जोखिम पैदा हो जाते हैं।
प्रश्न (iv) मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण मानव को श्वसन तंत्रीय, तंत्रिका तंत्रीय तथा रक्त संचार तंत्र संबंधी विभिन्न बीमारियां हो जाती हैं।
3. निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-
प्रश्न (i) भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण-जब भौतिक, रासायनिक तथा जैविक तत्त्वों द्वारा जलाशयों के जल में ऐसे अनैच्छिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे जीव-जन्तुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण केवल नदियों, तालाबों तथा झीलों के धरातलीय जल तक ही सीमित नहीं रहता, अपितु यह समुद्री जल तथा भूमिगत जल में भी पाया जाता है। भारत में जल प्रदूषण अपरदन, भूस्खलन जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त प्रदूषकों के साथ-साथ उद्योगों, कृषि एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण भी होता है।
सामान्यतः उद्योगों से अनेक अवांछित उत्पाद, जैसे-औद्योगिक कचरा, जहरीली गैसें, रासायनिक अवशेष, अनेक भारी धातुएँ, धूल, धुआँ आदि प्राप्त होते हैं। अधिकांश औद्योगिक कचरे को बहते जल या झीलों में विसर्जित कर दिया जाता है। जिस कारण विषाक्त रासायनिक तत्त्व जल स्रोतों में पहुँच कर इनमें रहने वाली जैव प्रणाली को नष्ट कर देते हैं। सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योग मुख्यतः चमड़ा, लुगदी व कागज, वस्त्र तथा रसायन हैं। इस्मी प्रकार आधुनिक कृषि में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ, जैसे-अकार्बनिक उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक आदि नदियों, झीलों तथा तालाबों में पहुँच कर जल को प्रदूषित कर देते हैं।
इन रसायन व उर्वरकों के जमीन में स्रावित होते रहने से धरातलीय जल में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त देश में तीर्थ यात्राएँ, धार्मिक मेले व पर्यटन आदि जैसी सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी जल प्रदूषण का कारण हैं। संदूषित जल के उपयोग के कारण प्राय: दस्त (डायरिया), आंतों के कृमि, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां हो जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग एक-चौथाई संचारी रोग जल-जनित होते हैं।
प्रश्न (ii) भारत में गंदी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गंदी बस्तियों की समस्यायें-नगरों में जनसंख्या अधिक और स्थान कम होने के कारण आवासीय समस्या होती है। प्रायः जब निर्धन लोग रोजगार की तलाश में अपने गांवों को छोड़कर नगरों में आकर बसने लगते हैं तो नगरों में आवास बहुत महंगा तथा कम होने के कारण यह नगर के बाहर झुग्गी-झोंपड़ियाँ बनाकर रहना आरंभ कर देते हैं, जिससे वहां गंदी बस्तियों का विकास होने लगता है।
गंदी बस्तियों में सामान्यतः निम्नलिखित समस्याएँ देखने को मिलती हैं –
- उच्च जनसंख्या घनत्व वाली यह गंदी बस्तियाँ मूलतः न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं, जहाँ जीर्णशीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा तथा प्रकाश जैसी आधारभूत आवश्यक चीजों का अभाव पाया जाता है।
- यह क्षेत्र वस्तुतः बहुत ही भीड़-भाड़, पतली संकरी गलियों वाले क्षेत्र होते हैं, जिस कारण यहाँ के अल्प पोषित लोग विभिन्न रोगों एवं बीमारियों से ग्रस्त होते रहते हैं।
- कम वेतन प्राप्त होने के कारण इन गंदी बस्तियों में निवास करने वाले लोग अपने बच्चों को उचित शिक्षा दिलाने में भी सक्षम नहीं हो पाते हैं।
- अति निम्न स्तरीय सफाई व्यवस्था तथा स्थानस्थान पर फैला कूड़ा-करकट एवं गंदे पानी के गड्ढों के कारण यहां पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या पायी जाती है।
- गरीबी के कारण उत्पत्न विभिन्न सामाजिक बुराइयाँ जैसे-नशीली दवाओं व शराब का सेवन, जुआ, गुंडागर्दी, वेश्यावृत्ति तथा अपराध आदि यहाँ प्रमुखता से देखने को मिलती हैं।
प्रश्न (iii) भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइये।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण को कम करने के उपायभू-निम्नीकरण सिंचाई और कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों से उत्पन्न हुई समस्याओं में से एक गंभीर समस्या है।
भूनिम्नीकरण को अग्रलिखित उपाय अपनाकर कम किया जा सकता है-
(i) सिंचाई का उचित प्रयोग-अत्यधिक सिंचाई मृदा की संरचना को परिवर्तित कर उसे लवणीय और क्षारीय बना देती है। अत: सिंचाई साधनों का प्रयोग उचित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
(ii) कीटनाशक रसायनों का सीमित मात्रा में प्रयोग-कीटनाशक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा में जहरीले तत्त्वों का सांद्रण अधिक हो जाता है। जिस कारण कृषि योग्य भूमि बेकार हो जाती है। अतः इनका उपयोग कृषि में सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
(iii) दलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाकर-सिंचित क्षेत्रों में फसल प्रतिरूप में दलहन फसलें पूर्णतः विस्थापित हो गई हैं। इसके अतिरिक्त बहुफसलीकरण में बढ़ोतरी से परती भूमि में काफी मात्रा में कमी आई है। परिणामस्वरूप भूमि में पुनः उर्वरकता प्राप्त करने की प्राकृतिक प्रक्रिया अवरुद्ध हो गई है, जिस कारण कृषि योग्य भूमि बंजर होती जा रही है। अतः कृषि भूमि में बहुफसलीकरण को कम करके एवं दलहनी फसलों की कृषि करके सुधार किया जा सकता है।
(iv) जल संभरण प्रबंधन कार्यक्रम-जल संभरण प्रबंधन के द्वारा भी भू-निम्नीकरण को कम किया जा सकता है। जल संभरण प्रबंधन कार्यक्रम भूमि, जल तथा वनस्पतियों के बीच संबद्धता को पहचानता है, जिससे भूनिम्नीकरण को रोकने के प्रयास किए जा सकते हैं।
(v) भू-निम्नीकरण को रोकने के लिए अपरदन को रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए।
(vi) पहाड़ी ढलानों पर वनारोपण करके अति चराई को कम किया जाना चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि वृक्षारोपण, वनारोपण, सिंचाई एवं कीटनाशकों का सीमित उपयोग, भूमि अप्रबंधन में सुधार, स्थानांतरित कृषि की रोकथाम, मृदा अपरदन की रोकथाम आदि उपायों को अपनाकर भू-निम्नीकरण को रोका जा सकता है।