Well-organized Geography Class 12 Notes in Hindi and Class 12 Geography Chapter 2 Notes in Hindi प्रकार, कारण और परिणाम can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 12 Chapter 2 Notes in Hindi प्रकार, कारण और परिणाम
→ प्रवास – मानव का वह क्रियाकलाप, जिसके द्वारा वह अपने निवास स्थान से अन्यत्र किसी स्थान पर एक निश्चित अवधि के लिए कुछ विशेष उद्देश्यों के साथ जाता है, प्रवास कहलाता है।
वर्ष 1881 की प्रथम क्रमवार जनगणना से ही देश में प्रवास सम्बन्धित सूचनाओं को दर्ज करना आरम्भ कर दिया गया था।
→ प्रवास की धाराएँ:
प्रवास मुख्यतः दो प्रकार का होता है – आन्तरिक प्रवास और अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास
1. आंतरिक प्रवास:
जब किसी देश के एक भाग से दूसरे भाग में (अंतः राज्यीय और अन्तर्राज्यीय ) लोग रोज़गार की तलाश में या अन्य किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु जाकर बस जाते हैं, तो यह प्रवास, आन्तरिक प्रवास कहलाता है। आन्तरिक प्रवास मुख्यतः चार प्रकार का होता है-
(क) गाँवों से गाँवों की ओर प्रवास।
(ख) गाँवों से नगरों की ओर प्रवास।
(ग) नगरों से गाँवों की ओर प्रवास
(घ) नगरों से नगरों की ओर प्रवास।
2. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास:
व्यक्तियों द्वारा अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में किया गया प्रवास, अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास कहलाता है। इस प्रकार का प्रवास दो प्रकार का होता है –
(क) अन्तर्महाद्वीपीय प्रवास एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप के देशों में होने वाला प्रवास।
(ख) अन्तः महाद्वीपीय प्रवास एक ही महाद्वीप के देशों के मध्य होने वाला प्रवास।
→ प्रवास में स्थानिक विभिन्नता:
कार्यों की अनुपलब्धता, निर्धनता, उच्च आकांक्षाओं की पूर्ति आदि कारणों के कारण उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों से प्रतिवर्ष हजारों व्यक्ति औद्योगिक रूप से विकसित नगरीय क्षेत्रों महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली आदि की ओर प्रवास कर जाते हैं।
→ प्रवास के कारण:
प्रवास को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिन्हें मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा गया है– (क) अपकर्ष कारक – यह विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को आकर्षित करते हैं यह कई प्रकार के हो सकते हैं,
- रोजगार के बेहतर अवसर
- उच्च शिक्षा प्राप्ति के अवसर
- नियमित काम का मिलना
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ
- मनोरंजन के स्रोत आदि।
(ख) प्रतिकर्ष कारक:
यह कारक व्यक्ति को उद्गम स्थल या निवास क्षेत्र को छुड़वाने के कारण बनते हैं। यह मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं-
- गरीबी, निम्न जीवन स्तर का होना
- सुरक्षा की कम सुविधाएँ
- कृषि भूमि पर जनसंख्या का अधिक दबाव
- बाढ़, सूखा, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव आदि।
→ प्रवास के परिणाम:
मानव में स्वभावतः कम अवसर व असुरक्षित स्थान से अधिक अवसर व सुरक्षित स्थान की ओर जाने की प्रवृत्ति पायी जाती है अतः प्रवास मुख्यत: किसी क्षेत्र विशेष में अवसरों के असमान वितरण के कारण होता है।
किसी भी प्रदेश में प्रवास के कारण निम्नलिखित प्रकार परिणाम दृष्टिगत होते हैं –
- आर्थिक परिणाम – अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा उद्गम प्रदेश में भेजी गयी विदेशी मुद्राएँ विदेशी विनिमय का प्रमुख स्रोत होती हैं, जिससे यह उस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- जनांकिकीय परिणाम- देश के भीतर जनसंख्या का पुनर्वितरण प्रवास के माध्यम से होता है। ग्रामीण-नगरीय प्रवास के कारण ही नगरों की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है।
- सामाजिक परिणाम- प्रवास से विभिन्न व विविध संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। नवीन प्रौद्योगिकी, परिवार कल्याण कार्यक्रम, बालिका शिक्षा की योजनायें आदि नवीन विचारों का नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विसरण सुगमता से हो जाता है।
- पर्यावरणीय परिणाम- ग्रामीण-नगरीय प्रवास की अधिकता के कारण नगरों में जनसंख्या का अधिक संकेन्द्रण हो गया है, जिससे वायु प्रदूषण, गंदी बस्तियाँ, भौम जल स्तर में कमी आदि समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- प्रवासी – एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश को जाने वाला व्यक्ति।
- आप्रवास – किसी प्रदेश में अन्य प्रदेश या राष्ट्रों से होने वाला प्रवास।
- उत्प्रवास – किसी राष्ट्र या क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों की ओर होने वाला प्रवास।