Understanding the question and answering patterns through Geography Practical Book Class 11 Solutions Chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय will prepare you exam-ready.
Class 11 Geography NCERT Solutions Chapter 7 in Hindi सुदूर संवेदन का परिचय
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चुनाव करें-
(i) धरातलीय लक्ष्यों का सुदूर संवेदन विभिन्न साधनों के माध्यम से किया जाता है, जैसे-
(क) सुदूर संवेदक
(ख) मानवीय नेत्र
(ग) फोटोग्राफिक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) मानवीय नेत्र
निम्न में कौन-सा विकल्प उनके विकास का सही क्रम है :
(क) ABC
(ख) BCA
(ग) CAB
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) CAB
(ii) निम्नलिखित में से कौनसे विद्युत् चुम्बकीय विकिरण क्षेत्र का प्रयोग उपग्रह सुदूर संवेदन में नहीं होता है?
(क) सूक्ष्म तरंग क्षेत्र
(ग) एक्स-रे क्षेत्र
(ख) अवरक्त क्षेत्र
(घ) दृश्य क्षेत्र
उत्तर:
(ग) एक्स-रे क्षेत्र
(iii) चाक्षुष व्याख्या तकनीक में निम्न में किस विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है–
(क) धरातलीय लक्ष्यों की स्थानीय व्यवस्था
(ख) प्रतिबिम्ब के रंग परिवर्तन की आवृत्ति
(ग) लक्ष्यों का अन्य लक्ष्यों के सन्दर्भ में
(घ) आंकिक बिम्ब प्रक्रमण
उत्तर:
(घ) आंकिक बिम्ब प्रक्रमण
प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) सुदूर संवेदन अन्य पारम्परिक विधियों से बेहतर तकनीक क्यों है?
उत्तर:
सुदूर संवेदन अन्य पारम्परिक विधियों से बेहतर तकनीक निम्न कारणों से है-
- सुदूर संवेदन से प्राप्त प्रतिबिम्ब पृथ्वी के बहुत बड़े भाग का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करने में समर्थ होते हैं।
- इनसे प्राप्त अभिलेख एवं सूचनाएँ स्थायी होती हैं।
- सुदूर संवेदन अगम्य क्षेत्रों के बारे में सूचनाएँ प्रदान करता है।
- सुदूर संवेदन से प्राप्त प्रतिबिम्बों का उपयोग बहुशासनीय होता है।
- समय की बचत होती है। बड़े क्षेत्रों की जानकारी अल्प समय में प्रदान करता है
(ii) आई.आर.एस. व इन्सेट क्रम के उपग्रहों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
इन दोनों के मध्य निम्न आधार पर भी अन्तर स्पष्ट किया जा सकता है
कक्षा-सम्बन्धी विशेषताएँ | आई. आर. एस. (सूर्य तुल्यकालिक) | इनसैट (भू-स्थैतिक ) |
ऊँचाई | 700 से 900 किमी. | लगभग 36,000 किमी. |
व्याप्ति क्षेत्र | 81° उत्तरी अक्षांश से 81° दक्षिणी अक्षांश | ग्लोब का एक-तिहाई भाग |
कक्षीय अवधि | हर दिन 14 कक्षीय चक्कर | 24 घण्टे |
विभेदन | स्पष्ट (182 मी. से 1 मी.) | अस्पष्ट (1 कि.मी. x 1 कि.मी.) |
लाभ | पृथ्वी साधन अनुप्रयोग | दूरसंचार एवं मौसम मानीटरन |
प्रश्न (iii)
पुशब्रूम क्रमवीक्षक की कार्यप्रणाली का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
पुशबूम क्रमवीक्षक : पुशबूम क्रमवीक्षक बहुत सारे संसूचकों पर आधारित होता है जिनकी संख्या विद के कार्यक्षेत्र को क्षेत्रीय विभेदन से विभाजित करने से प्राप्त संख्या के समान होती है (चित्र)। उदाहरण के लिए फ्रांस के सुदूर संवेदन उपग्रह स्पॉट ( SPOT) में लगे उच्च विभेदन दृश्य विकिरणमापी संवेदक का कार्यक्षेत्र 60 किलोमीटर है तथा उसका क्षेत्रीय विभेदन 20 मीटर है। अगर हम 60 किलोमीटर अथवा 60,000 मीटर को 20 मीटर से विभाजित करें तो हमें 3000 का आँकड़ा प्राप्त होगा, अर्थात् SPOT में लगे HRV- I संवेदक में 3000 संसूचक लगाए गए हैं। पुशब्रूम स्कैनर में सभी डिटेक्टर पंक्ति में क्रमबद्ध होते हैं और प्रत्येक डिटेक्टर पृथ्वी के ऊपर अधोबिन्दु दृश्य पर 20 मीटर के आयाम वाली परावर्तित ऊर्जा का संग्रहण करते हैं।
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें-
(i) विस्क – ब्रूम क्रमवीक्षक की कार्यविधि का चित्र की सहायता से वर्णन करें तथा यह भी बताएँ कि यह पुशबूम क्रमवीक्षक से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
विस्कब्रूम क्रमवीक्षक :
विस्कब्रूम क्रमवीक्षक में एक घूमने वाला दर्पण व एकमात्र संसूचक लगा होता है। दर्पण इस प्रकार से विन्यासित होता है कि जब यह एक चक्कर पूरा करता है, तो संसूचक स्पेक्ट्रम के दृश्य एवं अवरक्त क्षेत्रों में बहुत सारे संकरे स्पेक्ट्रमी बैण्डों में प्रतिबिम्ब प्राप्त करते हुए दृश्य क्षेत्र (Swath) में 90° से 120° के मध्य प्रसर्पी होता है। संवेदक का वह पूरा क्षेत्र, जहाँ तक पहुँच सकता है, उसे स्कैनर का कुल दृष्टि क्षेत्र (Total Field of View) कहा जाता है। पूरे क्षेत्र का क्रमवीक्षण के लिए संवेदक का प्रकाशीय सिरा एक निश्चित आयाम का होता है, जिसे तात्क्षणिक दृष्टि क्षेत्र (Instantaneous Field of View) कहा जाता है। क्रमवीक्षण दर = 2 × 102 से. प्रति क्रमवीक्षण रेखा
पुशबूम क्रमवीक्षण से भिन्नता : विस्कब्रूम क्रमवीक्षण पुशब्रूम क्रमवीक्षक से निम्न प्रकार भिन्नता रखता है:
- विस्कब्रूम क्रमवीक्षक अपने धरातलीय उड़ान भाग के आर-पार लम्बवत् दिशा में स्थित अत्यन्त महीन, परस्पर समान्तर एवं एक-दूसरे को करीब-करीब स्पर्श करने वाली असंख्य क्रमवीक्षण रेखाओं का अलग-अलग क्रमवीक्षण करता हुआ सम्बन्धित धरातलीय भाग को कवर करता है, जबकि पुशब्रूम क्रमवीक्षक इन पहियों के ऊपर अपनी उड़ान की दिशा में सीधा आगे बढ़ता है।
- विस्कब्रूम क्रमवीक्षक में एक घूमने वाले दर्पण का प्रयोग होता है, जबकि पुशब्रूम क्रमवीक्षक में दर्पण के स्थान पर लेंस का प्रयोग होता है।
- पुशब्रूम क्रमवीक्षक से प्राप्त प्रतिबिम्ब विस्कब्रूम क्रमवीक्षक की अपेक्षा स्पेक्ट्रमी विभेदन एवं स्थानिक विभेदन की दृष्टि से उच्च कोटि के होते हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. सर्वप्रथम सुदूर संवेदन शब्द का प्रयोग किया गया
(अ) 1960 के दशक में
(ब) 1970 के दशक में
(स) 1950 के दशक में
(द) 1980 के दशक में
उत्तर:
(अ) 1960 के दशक में
2. भूस्थैतिक उपग्रह स्थापित किए जाते हैं-
(अ) पृथ्वी तल से 700-900 किमी. की ऊँचाई पर
(ब) पृथ्वी तल से 100 किमी. की ऊँचाई पर
(स) पृथ्वी तल से 36,000 किमी. की ऊँचाई पर
(द) पृथ्वी तल से 16,000 किमी. की ऊँचाई पर
उत्तर:
(स) पृथ्वी तल से 36,000 किमी. की ऊँचाई पर
3. फोटोग्राफिक बिम्ब प्राप्त किये जाते हैं—
(अ) 3 से 9 um परास पर
(स) 9 से 12um परास पर
(ब) 12 से 15 pm परास पर
(द) .0 से 2um परास पर
उत्तर:
(अ) 3 से 9 um परास पर
4. सुदूर संवेदन में उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिम्ब से शस्य भूमि दिखाई जायेगी-
(अ) काले रंग से
(ब) चमकीले लाल रंग से
(स) पीले रंग से
(द) हरे रंग से
उत्तर:
(ब) चमकीले लाल रंग से
5. भारत का भू-स्थैतिक उपग्रह है-
(अ) INSAT
(ब) SPOT
(स) IRS
(द) METEOSAT
उत्तर:
(अ) INSAT
6. सुदूर संवेदन उपग्रहों को लगाया जाता है-
(अ) लगभग 36000 कि.मी.
(ब) 700 से 900 कि.मी. पर
(स) 1200 से 1400 कि.मी.
(द) 16000 कि.मी. की ऊँचाई पर
उत्तर:
(ब) 700 से 900 कि.मी. पर
7. भू-स्थैतिक उपग्रहों की कक्षीय अवधि कितनी होती है?
(अ) 12 घण्टे
(ब) 24 घण्टे
(स) 48 घण्टे
(द) 72 घण्टे
उत्तर:
(ब) 24 घण्टे
8. प्रतिबिम्ब निर्वचन का तत्त्व है-
(अ) आभा या रंग
(ब) गठन
(स) आकार
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
स्वाथ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब कोई उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करता है तो संवेदक द्वारा पृथ्वी के धरातल का कुछ भाग तय कर लिया जाता है। इस तय की गई पट्टिका को स्वाथ कहते हैं।
प्रश्न 2.
सूर्य तुल्यकालिक उपग्रह पृथ्वी तल से कितनी ऊँचाई पर स्थापित किए जाते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी तल से 700-900 किमी. की ऊँचाई पर।
प्रश्न 3.
बहुवर्णक्रमीय चित्र किस सिद्धान्त के आधार पर प्राप्त किये जाते हैं?
उत्तर:
प्रकाश के प्रकीर्णन के सिद्धान्त पर।
प्रश्न 4.
डिजिटल नम्बर (DN) क्या होते हैं?
उत्तर:
संवेदक धरातल से विकरित ऊर्जा को संख्या के रूप में व्यक्त करता है, इन्हें डिजिटल नम्बर (DN) कहते हैं।
प्रश्न 5.
पिक्सल किसे कहते हैं?
उत्तर:
उपग्रह से प्राप्त डिजिटल इमेज या प्रतिबिम्ब के छोटे-से-छोटे तत्त्व को पिक्सल कहते हैं। प्रत्येक पिक्सल का मान अंकों में होता है।
प्रश्न 6.
स्थानिक विभेदन क्या होता है?
उत्तर:
किसी फोटोचिक अथवा प्रतिबिम्ब के स्थानिक विभेदन का अर्थ है कि धरातल पर पास-पास स्थित किन्हीं दो वस्तुओं के बीच वह न्यूनतम दूरी, जिस पर उन वस्तुओं के प्रतिबिम्बों को स्पष्ट एवं एक-दूसरे से पृथक् देखा जा सके।
प्रश्न 7.
विद्युत् चुम्बकीय विकिरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूर्य से ऊर्जा तरंगों के रूप में विस्तारित होकर प्रकाश की गति से ( 3,00,000 किमी./प्रति सेकण्ड की दर से) पृथ्वी के धरातल तक पहुँचती है। इस ऊर्जा संचरण को विद्युत चुम्बकीय विकिरण कहते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
सुदूर संवेदन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो भूपृष्ठीय वस्तुओं एवं घटनाओं की सूचनाओं का संवेदक युक्तियों के द्वारा बिना वस्तु के सम्पर्क में आए मापन व अभिलेखन करती है। सुदूर संवेदन की उपर्युक्त परिभाषा में मुख्यतः धरातलीय पदार्थ, अभिलेखन युक्तियों तथा ऊर्जा तरंगों के माध्यम से सूचनाओं की प्राप्ति को सम्मिलित किया गया है।
प्रश्न 2.
संवेदक क्या है?
उत्तर:
संवेदक, वह युक्ति या उपकरण है, जो विद्युत् चुम्बकीय विकिरण ऊर्जा को एकत्रित करते हैं, उन्हें संकेतकों में बदलते हैं तथा उपयुक्त आकारों में प्रस्तुत करते हैं, जो कि अन्वेषण लक्ष्यों के विषय में सूचना प्राप्त करते हैं। आँकड़ा उत्पाद के आधार पर संवेदकों को 2 वर्गों में विभाजित किया गया है –
- फोटोग्राफी (चित्रीय) तथा
- फोटोग्राफ रहित आंकिक संवेदक।
फोटोग्राफी संवेदक ( कैमरा) किसी भी लक्ष्य बिन्दुओं को एक क्षण विशेष में उद्भासित कर अभिलेखन कर लेता है। दूसरी ओर फोटोग्राफ रहित संवेदक किसी लक्ष्य के प्रतिबिम्ब को पंक्ति दर पंक्ति रूप में प्राप्त करते हैं। ये संवेदक स्कैनर के नाम से जाने जाते हैं।
प्रश्न 3.
भू-स्थैतिक उपग्रहों की विशेषताएँ बताइए। इन्हें भू-स्थैतिक क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भू-स्थैतिक उपग्रह (Geostationary Satellite ):
भू-स्थैतिक उपग्रहों को पृथ्वी से 36,000 किमी. की ऊँचाई पर स्थापित किया जाता है तथा इनकी गति पृथ्वी की गति के समान होती है। पृथ्वी के घूर्णन काल से मेल खाने वाले वेग से गतिमान उपग्रह को भू-स्थैतिक (Geostationary ) उपग्रह कहते हैं। इनका कोणीय वेग पृथ्वी के समान होता है। इनकी कक्षा वृत्ताकार होती है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर गति करते हुए 24 घण्टे में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेते हैं (चित्र)। समय की इतनी ही अवधि में पृथ्वी अपने ध्रुवीय अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती हुई एक चक्कर पूरा कर लेती है। इस प्रकार पृथ्वी के घूर्णन (Rotation) पथ व उपग्रह के परिक्रमण (Revolution) की दिशा तथा समय अन्तराल समान होने के कारण ये पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर प्रतीत होते हैं। यही कारण है कि इन्हें भू-स्थैतिक (Geostationary ) भू-उपग्रह कहा जाता है । स्थैतिक ( Stationary)होने के कारण ये सम्पूर्ण गोलार्द्धाय डिस्क को देख सकते हैं। इनका व्याप्ति क्षेत्र ग्लोब का एक-तिहाई भाग होता है। समस्त पृथ्वी को तय करने के लिए तीन भू-स्थैतिक उपग्रहों की आवश्यकता होती है।
ज्योस्टेशनरी भू-उपग्रह दूर संचार सेवाओं एवं मौसम विज्ञान से सम्बन्धित जानकारियों के लिए उपयोग किये जाते हैं। वर्तमान समय में भूमध्य रेखा के ऊपर 36,000 किमी. से अधिक दूरी पर अनेक भूस्थैतिक उपग्रह स्थित हैं । प्रमुख भू-स्थैतिक (Geostationary)
उपग्रह:
- GOES-E तथा
- GOES – W (संयुक्त राज्य अमेरिका ),
- METEOSAT (यूरोपीय अन्तरिक्ष संस्था),
- GOMS (रूस),
- GMS (जापान) तथा
- INSAT (भारत) है।
प्रश्न 4.
सूर्य – तुल्यकालिक उपग्रह के बारे में बताइए।
उत्तर:
सूर्य – तुल्यकालिक उपग्रह (Sun- synchronous Satellite):
सूर्य तुल्यकालिक उपग्रहों को ध्रुवीय कक्ष वाले भू-उपग्रह भी कहते हैं। इनका मार्ग कक्ष ध्रुव से होकर गुजरता है (चित्र)। इनकी ऊँचाई इतनी होती है कि उपग्रह पृथ्वी के सम्पूर्ण भाग को तय कर सकता है तथा प्रत्येक अक्षांश रेखा को स्थानीय समय के अनुसार दो बार पार करता है। पोलर कक्षा में ये उपग्रह ऐसे गति करते हैं कि वे प्रत्येक बार भूमध्य रेखा को एक ही स्थानीय समय पर पार कर सकते हैं। चूँकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर को घूर्णन करती है अत: उपग्रह की कक्षा का धरातलीय मार्ग सूर्य की दिशा में अर्थात् पूर्व से पश्चिम की ओर को निरन्तर आगे बढ़ता जाता है। इस प्रकार इन भू-उपग्रहों की सहायता से निरन्तर सम्पूर्ण पृथ्वी का अवलोकन किया जा सकता है तथा ये सामयिक आधार (Periodic Basis) पर पुनरावृत्तिक ( Repitative) कवरेज देते रहते हैं।
उपग्रह धरातल से 900 किमी. की ऊँचाई पर वृत्ताकार ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाता है। उपग्रह का कक्षा पथ भूमध्य रेखा पर 98.22° का कोण बनाता है (चित्र)। यह 103 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा कर लेता है। इस प्रकार 24 घण्टे में सूर्य तुल्यकालिक उपग्रह पृथ्वी के 14 बार परिक्रमा करते हैं तथा भूमध्य रेखा को प्रत्येक बार एक ही स्थानीय समय अर्थात् प्रातः 9.42 बजे पार करता है।
प्रश्न 5.
विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को चित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
वर्णक्रमीय स्पेक्ट्रम एवं रेडियोमीट्रिक विभेदन क्या है?
उत्तर:
(क) वर्णक्रमीय स्पेक्ट्रम विभेदन:
यह विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न ऊर्जा क्षेत्रों (बैंड) में संवेदक के अभिलेखन की क्षमता से सम्बन्धित है। मल्टीस्पेक्ट्रल चित्रों की प्राप्ति के लिए ऐसे उपकरण प्रयोग में लाए जाते हैं, जो संवेदक द्वारा प्राप्त ऊर्जा का प्रकीर्णन करते हैं और इस पृथक् ऊर्जा का निश्चित स्पेक्ट्रल रेंज ( परिसर) में अभिलेखन करते हैं। जैसे- प्रकाश तरंगों के प्रकीर्णन से इन्द्रधनुष बनता है या हम प्रयोगशाला में प्रिज्म का प्रयोग करते हैं, उसी सिद्धान्त के विस्तृत इस्तेमाल से हम इन मल्टीस्पेक्ट्रल प्रतिबिम्बों को प्राप्त करते हैं।
(ख) रेडियोमीट्रिक विभेदन:
यह संवेदक को दो भिन्न लक्ष्यों की भिन्नता को पहचानने की क्षमता है। जितना रेडियोमीट्रिक विभेदन अधिक होगा, विकिरण अन्तर उतना ही कम होगा, जिससे दो लक्ष्य क्षेत्रों के मध्य अन्तर को जाना जा सकता है।
प्रश्न 7.
सुदूर संवेदन से प्राप्त चित्रों में भूपृष्ठ की विभिन्न स्थलाकृतियाँ किन-किन रंगों में प्रतीत होती हैं? विवरण दीजिए।
उत्तर:
भूपृष्ठ लक्षण | रंग ( मानक एफ.सी.सी. में ) |
स्वस्थ वनस्पति एवं कृष्ट क्षेत्र
सदाबहार पर्णपाती कुंज शस्य भूमि परती भूमि |
लाल से मैजेंटा
भूरे से लाल लाल धब्बों सहित हल्का भूरा चमकीला लाल हल्के नीले से सफेद |
जलाशय
स्वच्छ जल आविल जलाशय |
गहरे नीले से कालाहल्का नीला |
निर्मित क्षेत्र
उच्च घनत्व निम्न घनत्व |
गहरे नीले से नीला हराहल्का नीला |
व्यर्थ भूमि/शैल दूश्यांश
शैल दृश्यांश रेतीला मरुस्थल/नदी रेत/नमक प्रभावित गहरे खड्ड उथले खड्ड जलाक्रांत/नम भूमि |
हल्का भूरा
हल्के नीले से सफेद गहरा हरा हल्का हरा चितकबरा काला |
प्रश्न 8.
प्रतिबिम्ब एवं वायुफोटो चित्र क्या है? प्रतिबिम्ब एवं फोटोचित्रों में अन्तर बताइए।
उत्तर:
(1) वायु फोटोग्राफी (Aerial Photography):
फोटोग्राफी चित्र प्राप्त करने के लिए वायुयानों में उत्तम श्रेणी के कैमरे लगे रहते हैं, जो उड़ान की दिशा के साथ-साथ धरातल के फोटो चित्रों को खींचते हैं। इसकी प्रक्रिया एक सामान्य कैमरे जैसी होती है ( जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है)। इसमें एक पारदर्शी फिल्म होती है। जब किसी कैमरे से फोटो खींची जाती है तो विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा इस पर चढ़ती है जिससे प्रकाश की भिन्न- भिन्न मात्रा में संवेदनशील पदार्थ पर अलग-अलग रासायनिक क्रिया होती है। इससे दृश्य क्षेत्र का निगेटिव बनता है जिससे बाद में पोजिटिव फोटो चित्र तैयार होते हैं।
(2) उपग्रहीय प्रतिबिम्ब :
इसे इलेक्ट्रान प्रतिबिम्ब भी कहते हैं। इस प्रतिबिम्ब को प्राप्त करने की विधि में सुग्राही फिल्म की बजाय किसी संवेदक को प्रयोग में लाते हैं। इस इलेक्ट्रॉनिक संवेदक को तापीय संवेदक भी कहते हैं। ये संवेदन दृश्य क्षेत्र से परावर्तित विद्युत चुम्बकीय आवेगों को तद्नुरूपी विद्युत् संकेत के रूप में अपने भीतर लगे एक चुम्बकीय टेप स्थानान्तरित कर देता है। जब इस टेप को VCR या VCP में प्ले करते हैं, तो ये संकेत चित्र के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
अन्तर:
प्रतिबिम्ब कहलाने के लिए किसी चित्रीय उत्पाद के संवेदन एवं अभिलेखन माध्यम अलग-अलग होने चाहिए। जैसे—इलेक्ट्रॉनिक विधि से प्राप्त उपग्रहीय प्रतिबिम्ब में मौलिक संवेदन के लिए इलेक्ट्रिक संवेदकों का प्रयोग किया जाता है, जबकि अभिलेखन हेतु सुग्राही फिल्म का उपयोग होता है। इसी वजह से उपग्रहीय चित्रों को इमेज कहा जाता है, जबकि वायुफोटो चित्रों को इमेज नहीं; क्योंकि इन माध्यम एक ही होता है। यही वायुफोटो चित्र एवं प्रतिबिम्ब में मुख्य अन्तर है।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
आँकड़ा उत्पाद किसे कहते हैं? आँकड़ा उत्पाद कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तरिक्ष आधारित संवेदकों द्वारा जो अंकीय आँकड़े अर्जित किये जाते हैं, उनसे कम्प्यूटर की सहायता से प्रतिबिम्ब तैयार किए जाते हैं, उन्हें आँकड़ा उत्पाद कहा जाता है। ये उत्पाद किसी भी दृश्यक्षेत्र के सभी विवरणों प्रस्तुत करते हैं। संसूचन व अभिलेखन की प्रक्रिया के आधार पर, सुदूर संवेदन आँकड़ा उत्पादों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
- फोटोग्राफिक प्रतिबिम्ब
- अंकीय प्रतिबिम्ब।
(1) फोटोग्राफिक प्रतिबिम्ब :
फोटोग्राफ विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य – क्षेत्र में अर्थात् 03 से 0.9 माइक्रोमीटर (p) में ही प्राप्त किए जाते हैं। चार भिन्न प्रकार के इमल्शन वाली फिल्म फोटोग्राफ में प्रयोग की जाती है-यह श्याम-श्वेत, रंगीन श्याम – श्वेत अवरक्त तथा रंगीन अवरक्त होती है। प्रायः हवाई फोटोग्राफी के अन्तर्गत श्वेत तथा श्याम फिल्मों का उपयोग किया जाता है। बिना सूचना अंश तथा विपर्यास खोए हुए फोटोचित्रों को बृहत् भी किया जा सकता है।
(2) अंकीय प्रतिबिम्ब :
अंकीय प्रतिबिम्ब वे होते हैं, जो अलग-अलग पिक्चर तत्त्वों के मेल से बनते हैं। इन्हें पिक्सल (Pixels)कहा जाता है। इमेज में हर पिक्सल का एक अंकीय मान होता है, जो धरातल के द्विविमीय बिम्ब को इंगित करता है। अंकीय मानों को अंकीय नम्बर (DN) कहा जाता है। एक डिजिटल नम्बर (DN) एक पिक्सल के विकिरण मान का औसत होता है। यह मान संवेदक द्वारा प्राप्त विद्युत् चुम्बकीय ऊर्जा पर आधारित है। इसकी गहनता का स्तर इसके परास (Range) को व्यक्त करता है। किसी भी डिजिटल इमेज में वस्तुओं से सम्बन्धित विवरण पिक्सलों के आकार से प्रभावित होते हैं। छोटे आकार के पिक्सल दृश्य के विवरण को प्रभावशाली ढंग से संजोते हैं। डिजिटल बिम्ब के एक सीमा से अधिक विवर्धन से सूचनाओं का ह्रास होता है और केवल पिक्सल ही दिखाई देते हैं। अंकीय बिम्ब प्रक्रमण एलगोरिथ्म के उपयोग से डिजिटल नम्बर जिन ऊर्जा की तीव्रता मानों को निरूपित करते हैं, उन्हें दर्शाया जाता है।