Students can access the CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions and marking scheme Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Set 3 with Solutions
समय : 3 घण्टे
पूरांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 15 हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, सभी प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
रवण्ड ‘अ’ :
वस्तुपरक प्रश्न
अपठित बोध- अंक (15)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए – 10 × 1 = 10
स्वस्थ मन का निवास स्वस्थ शरीर में होता है। शरीर अस्वस्थ होने पर हम बौंद्धिक कार्य भी नहीं कर पाते हैं। सामने सुस्वादु व्यंजन देखकर कौन उनका सेवन नहीं करना चाहता है? घर में समस्त सुविधाएँ होने पर जिन्हें अति परहेज़ का भोजन करना पड़ता है, वे ही जानते हैं कि-
“सकल पदारथ हैं जग माह्हीं।
कर्महीन नर पावत नाहीं।।”
श्रमहीन शरीर की दशा जंग लगी हुई चाबी की तरह अथवा अन्य किसी उपयोगी वस्तु की तरह निष्क्रिय हो जाती है। शारीरिक श्रम वस्तुतः जीवन का आधार है, जीवंतता की पहचान है। योगाभ्यास में तो पहली शिक्षा होती है, आसन आदि के रूप में शरीर को श्रमशीलता का अभ्यस्त बनाना। महात्मा गाँधी अपना काम अपने हाथ से करने पर बल देते थे। वह प्रत्येक आभ्रमवासी से आशा करते थे कि वह अपने शरीर से संबंधित प्रत्येक कार्य, सफ़ाई तक स्वयं करेगा। उनका कहना था कि जो श्रम नहीं करता है, वह पाप करता है और पाप का अन्न खाता है। ऋषि-मुनियों ने कहा है-बिना श्रम किए जो भोजन करता है, वह वस्तुतः चोर है। महात्मा गाँधी का समस्त जीवन दर्शन श्रम सापेक्ष था। उनका समस्त अर्थशास्त्र यह़ी बताता था कि प्रत्येक उपभोकता को उत्पाद्नकर्ता होना चाहिए। उनकी नीतियों की उपेक्षा करने के दुष्परिणाम हम आज भी भोग रहे हैं। न गरीबी कम होने में आती है, न बेरोज़गारी पर नियंत्रण हो पा रहा है और न अपराधों की वृद्धि रोकना हृमारे वश की बात रही है। दक्षिण कोरियावासियों ने श्रमदान करके ऐसे श्रेष्ठ भवनों का निर्माण किया है, जिनसे किसी को भी ईर्ष्या हो सकती है।
श्रम की अवज्ञा के परिणाम का सबसे ज्वलन्त उदाहरण है-हमारे देश में व्याप्त शिक्षित वर्ग की बेकारी। हमारा युवा वर्ग शारीरिक श्रमपरक कार्य करने से परहेज करता है। वह वह नहीं सोचता है कि शारीरिक श्रम का परिणाम कितना सुखदायी होता है। पसीने से सिंचित वृक्ष में लगने वाला फल कितना मधुर होता है। ‘दिन अस्त और मज़दूर मस्त’ इसका भेद जानने वाले महात्मा ईसा मसीह ने अपने अनुयायियों को यह परामर्श दिया था कि तुम केवल पसीने की कमाई खाओंगे। पसीना टपकाने के बाद मन को संतोष और तन को सुख मिलता है, भूख लगती है और चैन की नींद भी आती है।
हमारे समाज में शारीरिक श्रम न करना सामान्यतः उच्च सामाजिक स्तर की पहचान माना जाता है। यही कारण है कि ज्यों-ज्यों आर्थिक स्थिति में सुधार होता जाता है, त्यो-त्यों बीमारों व बीमारियों की संख्या में वृद्धि होती जाती है। इतना ही नहीं, बीमारियों की नई-नई किस्में भी सामने आती जाती हैं। जिस समाज में शारीरिक श्रम के प्रति हैय दृष्टि नहीं होती है, वह समाज अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ एवं सुखी दिखाई देता है। विकसित देशों के निवासी शारीरिक श्रम को जीवन का आवश्यक अंग समझते हैं। ऐसे उदाहरण भारत में ही मिल सकते हैं कि शत्रु दरवाज़ा तोड़ रहे है और नवाब साहुब इंतज़ार कर रहे हैं जूते पहनाने वाली बाँदी का। श्रमशील व्यक्ति स्वावलम्बी एवं स्वाभिमानी होता है। वह पूरे आत्मविश्वास के साथ कह सकता है-
“करिं बहियाँ बल आपनी छाँड़ि बिरानी आस।
जाके आँगन हैं नदी, सो कत मरत प्यास।।”
1. गद्यांश के अनुसार अस्वस्थ होने पर आदमी क्या नहीं कर सकता ?
(क) सामाजिक कार्य
(ख) बौद्धिक कार्य
(ग) धार्मिक कार्य
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपरोक्त सभी
व्याख्या-गद्यांश के अनुसार अस्वस्थ होने पर आदमी सामाजिक कार्य, बौद्विक कार्य, धार्मिक कार्य इत्यादि नहीं कर सकता है।
2. अस्वस्थ व्यक्ति किस का सेवन नहीं करना चाहता?
(क) सुस्वादु व्यंजन
(ख) नमकीन
(ग) पकवान
(घ) खाना
उत्तर :
(क) सुस्वादु व्यंजन
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (i): मेहनती शरीर जंग लगी चाबी की तरह निष्क्रिय हो जाता है।
कथन (ii): बीमार शरीर जंग लगी चाबी की तरह निष्क्रिय हो जाता है।
कथन (iii): स्वस्थ शरीर जंग लगी चाबी की तरह निष्क्रिय हो जाता है।
कथन (iv): श्रमहीन शरीर जंग लगी चाबी की तरह निष्क्रिय हो जाता है।
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही हैं?
(क) केवल कथन (i) सही है।
(ख) केवल कथन (ii) सही है।
(ग) केवल कथन (iii) सही है।
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
उत्तर :
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
4. जीवंतता की पहचान क्या है?
(क) शारीरिक श्रम
(ख) योग
(ग) आलस
(घ) नीति
उत्तर :
(क) शारीरिक श्रम
5. श्रमशीलता का अभ्यस्त बनाने के लिए पहली शिक्षा क्या है?
(क) योगाभ्यास
(ख) साधना
(ग) पढ़ाई
(घ) ज्ञान
उत्तर :
(क) योगाभ्यास
व्यख्या-योगाभ्यास में आसन आदि के रूप में शरीर को श्रमशीलता का अभ्यस्त बनाना ही प्रथम शिक्षा मानी गई है।
6. किस का कथन है- कि बिना श्रम किए जो भोजन करता है, वह वस्तुतः चोर है।
(क) ऋषि-मुनियों
(ख) अब्राहम लिंकन
(ग) श्रीकृष्ण
(घ) हिटलर
उत्तर :
(क) ऋषि-मुनियों
7. आश्रमवासियों से श्रम करने की आशा कौन करता था?
(क) लाला जी
(ख) ऋषि-मुनि
(ग) नेहरू जी
(घ) महात्मा गाँधी
उत्तर :
(घ) महात्मा गाँधी
8. श्रमदान करके किस देश के लोगों ने ऐसे श्रेष्ठ भवनों का निर्माण किया जिनसे किसी को भी इंष्यां हो ?
(क) दक्षिण कोरियावासियों ने
(ख) जापानियों ने
(ग) अंग्रेज़ों ने
(घ) भारतीयों ने
उत्तर :
(क) दक्षिण कोरियावासियों ने
9. योगाभ्यास में उपसर्ग बताइए-
(क) योगा
(ख) योग
(ग) भ्यास
(घ) यो
उत्तर :
(ख) योग
10. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(क) श्रम का महत्त्व
(ख) पढ़ाई का महत्त्व
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) श्रम का महत्त्व
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 5 × 1 = 5
तू हिमालय नहीं, तू नहीं गंगा-यमुना
तू त्रिवेणी नहीं, तू न रामेश्वरम्
तू महाशील की है अमर कल्पना
देश! मेरे लिए तू परम बंदना।
मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरण,
लहलहाते सहस्रों यहाँ ख्वेत वन।
नर्मदा-साप्ती, सिंधु, गोदावरी,
है कराती युगों से तुझे आचमन।
तू पुरातन बहुत, तू नए से नया
तू महाशील की है अमर कल्पना।
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना।
शक्ति बल का समर्थक रहा सर्वदा,
तू परम तत्त्व का नित विचारक रहा।
शांति संदेश देता रहा विश्व को।
प्रेम सद्धाव का नित प्रचारक रहा।
सत्य और प्रेम की है परम प्रेरणा।
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना।
1. कवि के अनुसार देश किस का समर्थक रहा है?
(क) इच्छा
(ख) शक्ति-बल
(ग) संघर्ष
(घ) संवेदना
उत्तर :
(ख) शक्ति-बल
2. भारत ने विश्व को सर्वंदा कौन-सा संदेश दिया है?
(क) शांति का
(ख) हिंसा का
(ग) धमे का
(घ) मरण का
उत्तर :
(क) शांति का
3. कवि देश को महाशील की अमर कल्पना क्यों कह रहा है ?
(क) करुणा
(ख) प्रेम
(ग) द्या
(घ) सभी
उत्तर :
(घ) सभी
व्याख्या-भारत में करूणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण का समावेश तथा उज्ज्वल चरित्र के कारण इसे महाशील की अमर कल्पना कहा गया है।
4. कवि ने आचमन कराने के लिए किन नदियों के जल का वर्णन किया है? निम्नलिखित कथनों पर विच्चार कीजिए-
कथन (i): कवि ने आचमन कराने के लिए गंगा नदी के जल का वर्णन किया है।
कथन (ii): कवि ने आचमन कराने के लिए नर्मदा ताप्ती, सिन्धु, गोदावरी नामक नदियों के जल का वर्णन किया है।
कथन (iii): कवि ने आचमन कराने के लिए केवल नर्मदा नदी के जल का वर्णन किया है।
कथन (iv): कवि ने आचमन कराने हे लिए केवल सिन्धु नदी के जल का वर्णन किया है।
निम्नलिखित विकल्यों पर विचार कीजिए तथा सही विकल्प चुनकर लिखिए।
(क) केवल कथन (i) सही है।
(ख) केवल कथन (ii) सही है।
(ग) केवल कथन (iii) सही है।
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
उत्तर :
(ख) केवल कथन (ii) सही है।
व्याख्या-कवि ने आचमन कराने के लिए नर्मदा-ताप्ती, सिन्धु, गोदावरी नामक नदियों के जल का वर्णन किया है।
5. कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. मेरे लिए तू महा अर्चना | (i) देश |
2. नित विचारक रहा | (ii) परम तत्त्व का |
3. तू नहीं गंगा – यमुना | (iii) तू हिमालय नहीं |
(क) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
(ख) 1 – (iii), 2 – (ii), 3 – (i)
(ग) 1 – (iii), 2 – (i), 3 – (ii)
(घ) 1 – (i), 2 – (iii), 3- (ii)
उत्तर :
(क) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
अभिव्यक्ति और माध्यम-
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 5 × 1 = 5
1. खबर व घटना को सम्बन्धित चित्रों के बिना संवाददाता द्वारा सूचना देना क्या कहलाता है ?
(क) फोटो इन
(ख) फ़ोन इन
(ग) ड्राई एंकर
(घ) कार्टून कोना
उत्तर :
(ग) ड्राई एंकर
व्याख्या-ख़बर के दृश्य न आने तक एंकर, दर्शकों को रिपोर्टरों से मिली जानकारियों के आधार पर सूचनाएँ पहुँचाता है।
2. दृश्यों के आधार पर घटना की जानकारी देने वाला एंकर क्या कहलाता है ?
(क) ड्राई एंकर
(ख) एंकर विजुअल
(ग) बीट एंकर
(घ) फ्लैश एंकर
उत्तर :
(ख) एंकर विजुअल
3. भारत में पहला छापाखाना कहाँ शुरू हुआ ?
(क) बनारस
(ख) दिल्ली
(ग) गोवा
(घ) मुम्बई
उत्तर :
(ग) गोवा
4. कागज़ व मुद्रण के आविष्कार के मेल से हुई क्रांति को क्या कहते हैं ?
(क) श्वेत क्रांति
(ख) सूचना क्रांति
(ग) संयुक्त क्रांति
(घ) पेपर क्रांति
उत्तर :
(ग) संयुक्त क्रांति
5. रेडियो किस प्रकार का संचार है ?
(क) श्रव्य
(ख) दृश्य
(ग) श्रव्य व दृश्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) श्रव्य
व्याख्या-रेडियो श्रव्य संचार माध्यम है। इसमें ध्वनि तथा तरंगों के माध्यम से ही संदेश भेजे जाते हैं।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 1 अंक 10.
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 5 × 1 = 5
मैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा है
ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,
कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ता
बड़ी दूर है वह कलकत्ता
कैसे उसे संदेसा दोगी
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
चंपा पढ़ लेना अच्छा है!
1. इस कविता का क्या नाम है?
(क) काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती
(ख) गज़ल
(ग) ईश्वर
(घ) सबसे खतरनाक
उत्तर :
(क) काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए पद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए।
(क) चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए माता कहती हैं।
(ख) चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए पिता कहते है।
(ग) चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए कवि कहता है।
(घ) चंपा को पढ़ने -लिखने के लिए भाई कहता है।
उत्तर :
(ग) चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए कवि कहता है।
व्याख्या-कवि कहता है – चंपा ! पढ-लिख लेना अच्छी बात है।
3. चंपा का पति कहाँ काम करता है?
(क) मुम्बई
(ख) कलकत्ता
(ग) दिल्ली
(घ) आगरा
उत्तर :
(ख) कलकत्ता
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए –
कथन (A) : ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी।
कारण (R): ब्याह का अर्थ विवाह और शादी है।
(क) कथन (A) सही है, कारण गलत है।
(ख) कथन (A) सही नहीं है, कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
(घ) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर :
(ग) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
5. ‘संग साथ’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा
(ख) अनुप्रास
(ग) रूपक
(घ) अतिश्योक्ति
उत्तर :
(ख) अनुप्रास
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गधांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 5 × 1 = 5
पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मीजी पर अखंड विश्वास था। वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या, स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज्य है। उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती है। लेटे ही लेटे गर्व से बोले-चलो, हम आते हैं। यह कहकर पंडितजी ने बड़ी निश्चितता से पान के बीड़े लगाकर खाए। फिर लिहाफ़ ओढ़े हुए दारोगा के पास आकर बोले-बाबूजी, आशीर्वाद ! कहिए, हमसे ऐसा कौन-सा अपराध हुआ कि गाड़ियाँ रोक दी गईं। हम ब्राह्मणों पर तो आपकी कृपा-दृष्टि रहनी चाहिए।
वंशीधर रुखाई से बोले-सरकारी हक्म!
1. पंडित अलोपीदीन किसके पुजारी थे?
(क) विष्णु
(ख) शिव
(ग) लक्ष्मी
(घ) सभी
उत्तर :
(ग) लक्ष्मी
व्याख्या- पंडित अलोपीदीन सही अर्थों में लक्ष्मी के पुजारी थे।
2. अलोपीदीन ने रिश्वत के बल पर किसको बिकते देखा ?
(क) न्यायविदों
(ख) निर्णायकों
(ग) नीतिवानों
(घ) सभी
उत्तर :
(घ) सभी
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए।
(क) दरोगा का नाम आलोपीदीन था।
(ख) दरोगा का नाम वंशीधर घा।
(ग) दरोगा का नाम रवि था।
(घ) दरोगा का नाम मोहन था।
उत्तर :
(ख) दरोगा का नाम वंशीधर घा।
4. कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. अखण्ड विश्वास था | (i) लक्ष्मी जी पर |
2. लक्ष्मी का ही राज्य है | (ii) स्वर्ग में भी |
3. लक्ष्मी के ही खिलौने हैं | (iii) न्याय और नीति |
(क) 1 – (ii), 2 – (iii), 3 – (i)
(ख) 1 – (i), 2 – (iii), 3 – (ii)
(ग) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
(घ) 1 – (iii), 2 – (ii), 3 – (i)
उत्तर :
(ग) 1 – (i), 2 – (ii), 3 – (iii)
5. पंडितजी ने बड़ी निश्चितता से किसके बीड़े लगाकर खाए?
(क) रोटी के
(ख) पान के
(ग) सब्जी के
(घ) फल के
उत्तर :
(ख) पान के
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 1
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए अचित उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- 10 × 1 = 10
1. कुंई के पानी को साफ़ रखने के लिए उसे किस धातु के बने ढक्कन से ढका जाता है?
(क) पत्थर
(ख) लोहा
(ग) लकड़ी
(घ) मिट्टी
उत्तर :
(ग) लकड़ी
व्याख्या-कुंई के पानी को साफ़ रखने हेतु उस पर लकड़ी से बने ढक्कन को रखा जाता है।
2. गहरी कुंई से पानी खींचने की सुविधा के लिए ऊपर लगी चकरी को क्या कहते हैं?
(क) चरंखी
(ख) गरेड़ी
(ग) फरेड़ी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
3. जैसलमेर जिले के एक गाँव खड़ेरों की ढाणी को लोग किस नाम से जानते थे?
(क) तीन-बीसी
(ख) छ:-बीसी
(ग) पाँच-बीसी
(घ) सात-बीसी
उत्तर :
(ख) छ:-बीसी
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A): लेखक के अनुसार लताजी ने कुछ गानों के साथ न्याय नहीं किया है।
कारण (R): लता जी ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नही किया है।
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत हैं।
(घ) कथन (A) गलत है, कारण (R) सही हैं।
उत्तर :
(क) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
व्याख्या-लेखक ने अनुसार लता जी ने करूण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
कथन (i): लता जी लोक संगीत की अनभिषिक्त सामग्री हैं।
कथन (ii): लता जी पाश्चात्य संगीत की अनभिषिक्त सामग्री हैं।
कथन (iii): लता जी चित्रपट संगीत की अनभिषिक्त सामग्री हैं।
कथन (iv): लता जी लोक कला की अनभिषिक्त सामग्री हैं।
सही कथन/कथनों वाले विकल्प को चयनित कर लिखिए।
(क) केवल कथन (i) सही है।
(ख) केवल कथन (ii) सही है।
(ग) केवल कथन (iii) सही है।
(घ) केवल कथन (iv) सही है।
उत्तर :
(ग) केवल कथन (iii) सही है।
6. लेखक के अनुसार गाने की सारी मिठास किसके कारण आती है?
(क) सही धुन
(ख) रंजकता
(ग) सही उच्चारण
(घ) सही शब्दावली
उत्तर :
(ख) रंजकता
7. बेबी हालदार की तुलना किससे की गई है?
(क) आशापूर्णा देवी
(ख) तातुश
(ग) जेठू
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(क) आशापूर्णा देवी
8. कला के लिए अब तक प्राप्त सबसे महत्त्वपूर्ण शास्त्र कौन-सा है?
(क) सामदेव
(ख) नैतिकशास्त्र
(ग) लोकशास्त्र
(घ) नाट्यशास्त्र
उत्तर :
(घ) नाट्यशास्त्र
व्याख्या-कला के लिए अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण शास्त्र भरतमुनि का नाट्यशास्त्र है।
9. कलाओं का स्वर्णयुग किस युग को कहा जाता है?
(क) गुप्त युग
(ख) मुगल युग
(ग) मौर्य युग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) गुप्त युग
10. अस्थायी कलाएँ कौन-सी हैं?
(क) ऐपण
(ग) रंगोली
(ख) अल्पना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-ऐपण, अल्पना तथा रंगोली आदि अस्थायी कलाएँ हैं।
खण्ड ‘ब’ :
वर्णनात्मक प्रश्न
सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन अंक (17)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए तीन अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन 5 × 1 = 5
(i) देश में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भूर हत्या : एक जघन्य अपराध-आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं-जैसे; दहेज प्रथा, बाल विवाह, जनसंख्या वृद्धि, कन्या भ्रूण हत्या आदि। जिनमें कन्या भ्रूण हत्या एक भयंकर समस्या है। यह ऐसा जघन्य अपराध है, जो देश की महानता और गौरव-गरिमा को धूमिल कर रहा है। वैज्ञानिक उन्नति ने इस अपराध को बढ़ावा देने का काम किया है। जिन आधुनिक मशीनों का प्रयोग जनकल्याणकारी कामों के लिए किया जाना चाहिए, आज मेडीकल क्षेत्र के कुछ स्वार्थी लोग अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु उनका गलत कामों में उपयोग कर रहें हैं। वे जन्म से पूर्व ही माता-पिता को अल्ट्रासाउण्ड मशीन के ज़रिए यह बता देते हैं कि गर्भ में पल रहा भ्रूण बेटा है या बेटी। हालांकि ऐसा करना हमारे देश में कानूनी अपराध है किन्तु फिर भी कुछ लालची लोग ऐसा कर रहे हैं, जिससे माता-पिता एक बेटे की चाह में, उस कन्या को जन्म से पूर्व ही गर्भ में मरवा देते हैं। इसका दुष्परिणाम यह है कि देश में लड़कियों की संख्या दिन-प्रतिदिन घट रही है। कन्या भ्रूण हत्या रोकने हेतु सरकार को कठोर कानून बनाने और सख़ती से उसका पालन करते रहना चाहिए। ताकि कोई कन्या भ्रूण हत्या जैसा अपराध न कर सके।
(ii) ‘अपना घर’ विषय पर एक रचनात्मक लेख लिखिए।
उत्तर :
अपना घर-कहा जाता है कि घरों में घर अपना घर। सच ही अपना घर अपना ही होता है। चाहे अपने घर में सभी सुख-सुविधाएँ न हों तब भी वह अच्छा लगता है। जो आज़ादी हमें अपने घर में होती है, वह किसी भी आलीशान घर में प्राप्त नहीं होती है। अपने घर में व्यक्ति अपनी मन मर्जी का मालिक होता है। दूसरे के घर में, उस घर के स्वामी की इच्छानुसार या उस घर के नियमों के तहत रहना पड़ता है।
अपने घर में आप जो चाहें करें, खाएँ, जहाँ चाहें बैठे, उठे, लेटें पर दूसरे के घर में ऐसा मुनासिब नहीं होता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि-‘जो सुख छज्जू दे चौबारे वह न बलख, न बुखारे।’ शायद यही वजह है कि मीलों दूर नौकरी करने जाने वाले भी रात को अपने घर वापस आ जाते हैं।
मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी अपने घर के महत्त्व को समझते हैं। सारा दिन जंगल में चरने वाली भैंस, गाएँ, भेड़ें, बकरियाँ आदि शाम होते ही अपने-अपने घरों को लौट आते है’। पक्षी भी दिनभर दाना-तुनका चुगकर शाम होते ही अपने-अपने घोंसलों को वापस आ जाते हैं। घर का मोह सबको लौट आने के लिए विवश करता है। सच ही कहा जाता है कि घरों में घर, अपना घर सबसे अच्छा होता है।
(iii) अपने जीवन के लक्ष्य विषय पर विस्तारपूर्वक रचनात्मक लेख लिखिए।
उत्तर :
मेरे जीवन का लक्ष्य-संसार में प्रत्येक मनुष्य के जीवन का कोई-न-कोई लक्ष्य ज़रूर होता है। एक मनुष्य एवं सामाजिक प्राणी होने के नाते मैंने भी अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया है। मैं बड़ा होकर एक आदर्श अध्यापक बनना चाहता हूँ और अध्यापक के रूप में अपने कर्त्तव्यों को निभाता हुआ अपने राष्ट्र की सेवा करना चाहता हूँ। मैं आदर्श शिक्षक बनकर अपने राष्ट्र की भावी पीढ़ी के बौद्धिक स्तर को उच्च स्तर पर पहुँचाना चाहता हूँ ताकि मेरे देश की युवा पीढ़ी कुशल, विवेकशील, कर्मनिष्ठ और ईमानदार बन सके और मेरा देश फिर से शिक्षा का सिरमौर बन सके। हम फिर से विश्वगुरू की उपाधि को ग्रहण कर सकें। विद्यार्थी होने के कारण मैं भली-भाँति जानता हूँ कि किसी अध्यापक का विद्यार्थियों पर कैसा प्रभाव पड़ता है। कोई अच्छा अध्यापक उनको अच्छी दिशा अथवा सही मार्ग दिखा सकता है। मैं भी ऐसा करके देश के युवाओं को नया मार्ग अथवा नई दिशा देना चाहता हूँ, जिससे हमारे देश का विकास हो और हम फिर से विश्व-गुरु की उपाधि पा सकें।
प्रश्न 8.
विद्यालय में खेल-कूद की सामग्री की ओर ध्यान दिलाते हुए प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए। 5
अथवा
‘निरमा’ वाशिंग पाउडर कम्पनी को घर-घर जाकर प्रचार करने वाले युवाओं की आवश्यकता है, जो दसवीं पास हों और प्रभावशाली ढंग से बातचीत कर सकते हों। इसके लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए निरमा लिमिटेड, निरमा हाउस, अहमदाबाद- 580009 के प्रबन्धक महोदय को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
केन्द्रीय विद्यालय,
एम. ई. एस. बंगलुरू।
विषय : खेलकूद सामग्री की व्यवस्था हेतु पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि इस वर्ष हमारे विद्यालय ने क्षेत्रीय खेल-प्रतियोगिताओं में बहुत नाम कमाया है। इस सफ़लता से उत्साहित होकर विद्यालय के अनेक छात्र विभिन्न टीमों में अपने नाम देने के इच्छुक हैं।
इससे पहले कि आगामी खेल प्रतियोगिताओं के लिए टीमों का चुनाव किया जाये, यह आवश्यक हो जाता है कि अपने विद्यालय के खेल के मैदान की समुचित सफाई, ऊँचे-नीचे गड़ढ़ों की भराई, माप के अनुसार मैदान की निशानदेही और यथास्थान पोल गड़वाने की समुचित व्यवस्था की जाये। इन सबके अतिरिक्त सभी खेलों की आवश्यक सामग्री-गेंद-बल्ले, हॉकी स्टिक, फुटबॉल, वॉलीबॉल, नैट, शटल कॉक आदि का यथोचित प्रबंध करना भी आवश्यक है।
खेल प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु हमारे विद्यालय के अनेक छात्रों में काफ़ी उत्साह है। हमारे मुख्य व्यायाम शिक्षक अभी से खेलों का अभ्यास कराना चाहते हैं।
आशा है, ऊपर दिए गए विवरण के अनुसार आवश्यक प्रबन्ध करने और सामग्री जुटाने की दिशा में आप शीघ्र ही यथोचित् कदम उठाने की कुपा करेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
संतोष कुमार
खेल-सचिव, ग्यारहवीं ‘अ’
दिनांक : 10. 7. ………..
अथवा
सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
निरमा लिमिटेड, निरमा हाउस,
आश्रम रोड, अहमदाबाद- 580009
विषय-प्रचार कर्मी के लिए आवेदन-पत्र।
महोदय,
आपकी कम्पनी द्वारा ‘नवभारत टाइम्स’ के पिछले अंक में दिए
गए विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि कम्पनी को दसर्वीं पास युवकों की आवश्यकता है जो घर-घर जाकर कम्पनी के उत्पादों का प्रचार कर सकें। इस कार्य के लिए मैं स्वयं को एक प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मेरा वैयक्तिक विवरण निम्न प्रकार हैप्रार्थी का नाम – विष्णु कुमार जैन
पिता का नाम – श्री मोती लाल जैन
पत्र व्यवहार का पता – 8091, मीर गली, नवाब गंज, दिल्ली।
आयु -18 वर्ष
शिक्षा – इण्टरमीडिएट-प्रथम श्रेणी।
अन्य योग्यता – हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रभावशाली ढंग से बातचीत में निपुण। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे कार्य करने का अवसर दिया गया तो मैं कम्पनी के उत्पादों के प्रचार द्वारा उसकी बिक्री में वृद्धि का पूर्ण प्रयास करूँगा।
संलग्न – सभी अंकतालिकाओं की छाया प्रतियाँ।
धन्यवाद सहित
प्रार्थी
विष्णु कुमार जैन
मो. 94235981××
दिनांक : 18.08 …..
प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- 2 × 2 = 4
(i) “परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं i” इस अवसर पर डायरी प्रविष्टि लिखें।
उत्तर :
11 अप्रैल, 20XX-आज मेरी खुशी का उस समय कोई ठिकाना न रहा जब मुझे अपने परीक्षा परिणाम का पता चला। मुझे परीक्षा में सर्वोत्तम अंक मिले थे। मेरे पिताजी की हार्दिक इच्छा थी कि में सर्वोत्तम अंक हासिल करूँ। वे मुझे प्रायः ऐसे कई उदाहरण दिया करते थे। मैंने भी निश्चय किया हुआ था कि अब की बार तो परीक्षा में सर्वोत्तम अंक लाकर दिखाऊँगा। आखिएकार आज मुझे यह मौका मिल ही गया जब मैं अपने पिताजी से कह सकूँ कि में ही आपका लायक बेटा हूँ। परीक्षा में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने के बाद मुझे मित्रों और सम्बन्धियों के खूब फ़ोन आए। अपनी इस उपलब्धि पर मुझे आज बहुत खुशी हो रही है।
(ii) एक संगीत कार्यक्रम के अपने अनुभव के विषय में एक डायरी प्रविष्टि लिखें।
उत्तर :
शनिवार
10 अगस्त 20XX
रात्रि 11:00 बजे
प्रिय डायरी,
मेरा यह पूरी तरह से बिल्कुल भिन्न और दुनिया से अलग अनुभव था। मुझे मेरे दोस्त राजेश ने कैलाश खेर द्वारा एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। वह संगीत कार्यक्रम के लिए देर से पहुँचे, लेकिन फिर कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जब आपके पास प्रशंसकों की कतार लगी होती है।
महालक्ष्मी रेसकोर्स ग्राउण्ड में मौज़ूद सभी दर्शक गुलजार थे, हर कोई उसे देखने एवं उसके गाने सुनने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। वहाँ ज़बरदस्त सुरक्षा थी। हमें प्रवेश करने में लगभग आधा घण्टा लगा। जब वह मंच पर उतरे तो पूरी भीड़ उत्साहित हो गई। हम सब उसके साथ गाने लगे। उन्होंने अपने नये एलबम से मेरा पसंदीदा गाना भी गाया। मेरा यह यादगार पल था। रात में इसे मैं कभी नहीं भूलूँगा। चारों ओर बहुत ताली, हूटिंग और जयकारे चल रहे थे। अन्त में उन्होंने अपने प्रशंसकों को ऑटोग्राफ दिए, यहाँ तक कि मुझे भी उनका ऑटोग्राफ मिला और वह वहाँ से चले गए। बहुत खूब! मेरे लिए यह दिन सिर्फ़ एक सपना सच होने जैसा है।
शुभ रात्रि डायरी
राहुल
(iii) नाटक और फ़िल्म की पटकथा के किन्हीं पाँच अन्तरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
नाटक और फ़िल्म की पटकथा में कुछ मूलभूत अन्तर होते हैं। ये अन्तर निम्नलिखित हैं-
1. नाटक के दृश्य बहुत लम्बे-लम्बे होते हैं जबकि फ़िल्म के दृश्य छोटे-छोटे होते हैं।
2. नाटक में घटनास्थल प्राय: सीमित होता है जबकि फ़िल्म में इसकी कोई सीमा नहीं होती।
3. नाटक एक सजीव कला माध्यम है, जिसमें अभिनेता अपने ही जैसे जीवन्त दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं जबकि सिनेमा में यह पूर्व रिकॉडिंग छवियाँ एवं दृश्य होते हैं।
4. नाटक में कार्य-व्यापार, दृश्यों की संरचना और चरित्रों की संख्या सीमित रखनी होती है, जबकि सिनेमा में ऐसा कोई बन्धन नहीं होता।
5. नाटक की कथा का विकास एक-रेखीय होता है, जो एक ही दिशा में आगे बढ़ता है, जबकि सिनेमा में कथा का विकास कई प्रकार से होता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- 3 × 1 = 3
(i) पारिभाषित शब्द किसे कहते हैं? पारिभाषिक शब्दकोष का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :
विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को पारिभाषिक शब्द कहते हैं। किसी भाषा के पारिभाषिक शब्दों का सीधा सम्बन्ध उस भाषा के सांस्कृतिक एवं वैचारिक विकास से होता है। शास्त्रों और विज्ञान शाखाओं के पारिभाषिक शब्दकोषों की रचना एक भाषा में भी होती है और दो या अनेक भाषाओं में भी। कुछ में केवल पर्याय शब्द रहते हैं और कुछ में व्याख्याएँ अथवा परिभाषाएँ भी दी जाती हैं। विज्ञान और तकनीकी या प्राविधिक विषयों से सम्बन्ध नाना पारिभाषिक शब्द कोषों में व्याख्यात्मक परिभाषाओं तथा कभी-कभी अन्य साधनों की सहायता से भी बिल्कुल सही अर्थ का बोध कराया जाता है। प्राचीन शास्त्रों और दर्शनों आदि के विशिष्ट एवं पारिभाषिक शब्दों के कोष भी बनाए गए हैं।
(ii) शब्द विधि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
शब्द कोश में शब्द विधि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए लिखा है-“शब्द विधि पठन शिक्षण की विधि है, जिसमें प्रथमतः शब्दों को पूर्ण रूप में प्रस्तुत किया जाता है और बाद में खण्डों में विश्लेषित किया जाता है।
यह विधि सर्वप्रथम यूरोप में कामेनियस द्वारा 1648 ई. में अपनी पुस्तक The Orbis Pictus में प्रतिपादित की गई थी जो 1846 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका में रसेल वेब द्वारा प्रस्तावित हुई थी।
यह पठन शिक्षण की विधि है, जो सम्पूर्ण शब्द से प्रारम्भ होती है, परन्तु इसमें ध्वनियों पर विशेष बल दिया जाता है। इस विधि में बालकों को सर्वप्रथम वर्णों के स्थान पर शब्दों का ज्ञान कराया जाता है। बालक को शब्दों का पठन पहले सिखाया जाता है। शब्द पठन में कुशल हो जाने पर छात्रों को वाक्य पढ़ना सिखाया जाता है, अन्त में वर्णों के उच्चारण। ध्वनि साम्य विधि, अनुध्वनि विधि तथा साहचर्य विधि आदि शब्द विधि के ही प्रकार मात्र हैं।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 एवं वितान भाग-1
प्रश्न 11.
काष्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 2 = 6
(i) ‘न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे’ पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि आम व्यक्ति के बारे में बात कर रहा है। आम व्यक्ति गरीबी व शोषण युक्त जीवन जीता है क्योंकि भ्रष्ट शासन तंत्र द्वारा वह शोषित होता है और निराशापूर्ण स्थिति में पहुँच जाता है। वह इतना हताश हो जाता है कि उसमें शासन-तंत्र का विरोध करने की क्षमता भी समाप्त हो जाती है। वह इतना शक्तिहीन अथवा अशक्त हो जाता है कि जो आधारभूत न्यूनतम सुविधाएँ उसको जीवन-निर्वाह के लिए चाहिए, वे उसे नहीं भी मिलतीं तो भी वह विरोध में अपनी आवाज़ नहीं उठाता बल्कि उसी में परम संतोषी और साधु प्रवृत्ति वाले स्वभाव के कारण खुश रहता है। जैसे कमीज़ बदन पर न हो तो गरीब व्यक्ति अशक्त होने के कारण अपने पाँवों से ही अपना पेट ढकने की कोशिश करता है। उसी प्रकार से वह तंत्र के खिलाफ भी अपनी आवाज़ नहीं उठाता। अपने अधिकार प्राप्त करने की कोशिश नहीं करता। कवि ने उसकी इसी प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। बेशक परम संतोषी व साधु प्रवृत्ति जीवन जीने में व उसकी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है, परन्तु भ्रष्ट-व्यवस्था के आगे इस प्रवृत्ति के कारण अगर हम समर्पण कर देते हैं तो इस प्रवृत्ति का कोई लाभ नहीं। आवश्यक है कि पत्थर दिल भ्रष्ट व्यक्तियों की समाप्ति के लिए आम आदमी संगठित होकर, क्रांति का स्वर पैदा करे, न कि अशक्त होकर बैठ जाए।
(ii) कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर :
कवि ने चंपा के भोलेपन, शरारती स्वभाव, मन की बात को बिना छिपाए सीधे मुँह पर कहने, परिवार के साथ मिलकर रहने की भावना, कष्ट देने वाले के प्रति खुला विद्रोह, आदि विशेषताओं का उल्लेख किया है।
चंपा एक बाला ग्रामीण है। वह कभी कभी शरारतवश खूब ऊधम मचाती है तथा कवि की कलम और कागज़ को चुराकर छिपा देती है। कवि चंपा के स्वभाव को विद्रोह जनक मानते हैं क्योंकि वह कवि से अपने पति की कलकत्ता शहर जाने की बात का विद्रोह करती है।
(iii) सबसे खतरनाक कविता का प्रतिपाद्य क्या है ?
उत्तर :
यह कविता दुनिया की विद्रपवादियों के चित्र के साथ उस खतरनाक स्थिति की ओर इशारा करती है जहाँ केवल प्रतिइंद्विता से शिक्षा के संकल्प कमज़ोर आधार पर जा रहे हैं। इस कविता को पंजाबी भाषा से अनुदित किया गाया है कवि ने विशेष रूप से विपरीतता की ओर संकेत किया है जहाँ आत्मा के प्रश्न अर्थरहित हो जाते हैं। कवि उस समय खतरनाक स्थिति को दर्शाता है जब बेहतर भविष्य के सपने देखने का गम उसे प्रतीत होता है।
प्रश्न 12.
काष्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- 2 × 2 = 4
(i) पिता कवि को ‘सोने पर सुहागा’ क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
कवि के पिता यद्यपि अपनी सभी संतानों सें प्रेम करते थे लेकिन कवि ने पिता के दिखाए देशभक्ति के मार्ग का अनुकरण करते हुए देश-सेवा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था जिससे वे स्वयं को ऐसी संतान का पिता होने में गौरवान्वित महसूस करते थे और उसे ‘सोने पर सुहागा’ मानते थे।
(ii) ‘साये में धूप’ गजल का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इन कविता का प्रतिपाद्य है-लोगों को समाज में क्रांति के लिए प्रेरित करना। कवि राजनीतिक व्यवस्था से पूरी तरह निराश हो चुका है। सत्ताधारियों के शासन में पूरा शहर अँधेरे में डूब चुका है। खुद शासन ही कष्टकारी बन चुका है। यहाँ के लोग इतने दबे-कुचले हैं कि वे मजबूरी की आखिरी हद तक भी चले जाते हैं। वे तो खुदा के नाम पर हसीन सपने मन में पाले हुए हैं। उनके मन में यह बात पक्की हो चुकी है कि शासन में बदलाव नहीं हो सकता। जबकि कवि इन शोषित लोगों के मन में क्रांति की ज्वाला सुलगाना चाहता है। कवि का पक्का विश्वास है कि वह अधिकारों के लिए, सच्ची स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करता रहेगा।
(iii) ‘तुम कागद ही गोदा करते हो दिनभर’ चम्पा का क्या आशय है ?
उत्तर :
चंपा जब भी कवि के पास जाती उसे कागज-कलम लिए कुछ लिखता हुआ पाती। चंपा को कवि को लिखते देखना अच्छा नहीं लगता। वह इस प्रकार पढ़ने-लिखने को कागज गोदना कहती क्योंकि चंपा निरक्षर थी उसकी दृष्टि में पढ़ाई-लिखाई का कोई महत्व नहीं था बल्कि बेकार के काम में समय नष्ट करना था।
प्रश्न 13.
गद्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 2 = 6
(i) मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लर्गी ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगीं-
- मियाँ नसीरुद्दीन को अपने काम से बहुत प्यार है। वे अपने काम को इतना महत्त्व देते हैं कि बातचीत के समय भी उनका ध्यान उसी में रहता है।
- उनका आत्मविश्वास प्रशंसनीय है, वे महिला पत्रकार के सभी प्रश्नों के उत्तर पूरे आत्मविश्वास से देते हैं।
- अपने पिता और दादा के नानबाई के रूप में प्रसिद्ध होने का वर्णन करते हुए भाव-विभोर हो जाना।
- नानबाई की कला सीखने के लिए बर्तन धोने, भट्टी बनाने और सुलगाने तथा आटा गूँथने आदि को सीखना आवश्यक मानना।
- शागिर्दों का शोषण करने के स्थान पर उनका सम्मान करना व वेतन भी देना।
(ii) वंशीधर को रमेश में साक्षात् भगवान के दर्शन क्यों हुए ?
उत्तर :
वंशीधर तिवारी अपने पुत्र मोहन को पढ़ाना-लिखाना चाहते थे। परन्तु वे स्वयं साधनहीन थे। न तो वे मोहन को गाँव से चार मील दूर स्थित स्कूल में पढ़ने के लिए भेजना चाहते थे और न ही लखनऊ भेज सकते थे। अतः जब उनकी बिरादरी के एक युवक ने मोहन की पढ़ाई-लिखाई के लिए अपने साथ लखनऊ भेजने के लिए कहा तो उनके मन की इच्छा पूरी हो गई। इसलिए उन्हें रमेश में भगवान के दर्शन हुए।
(iii) रजनी द्वारा भेजा प्रस्ताव बोडे द्वारा स्वीकृत होना क्या प्रमाणित करता है?
उत्तर :
रजनी ने बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव रखा कि कोई भी अध्यापक अपने विद्यालय के छात्रों को ट्यूशन नहीं पढ़ायेगा। इस प्रस्ताव को बोर्ड द्वारा वैसा का वैसा स्वीकार कर लिया गया। इससे यह प्रमाणित होता है कि यदि लोग जागरूक रहकर अन्याय का डटकर विरोध करें तो हर अन्याय को समाप्त किया जा सकता है। हमें अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के लिए दूसरों का मुँह ताक़ने की आवश्यकता नहीं है। चूँकि रजनी का प्रस्ताव व्यावहारिक था तथा इससे कमज़ोर छात्रों द्वारा ट्यूशन पढ़ाकर धन कमाने की स्वतन्त्रता भी बनी रहती है अतः ऐसे प्रस्ताव को बोर्ड ने स्वीकार कर लिया। हमें रजनी के समान सरकार की कार्य प्रणाली पर भरोसा रखते हुए न अन्याय सहना चाहिए और न ही कानून को अपने हाथ में लेना चाहिए।
प्रश्न 14.
गद्य खण्ड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर (लगभग 40 शब्दों में) दीजिए- 2 × 2 = 4
(i) वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ है। सूदखोंरों व महाजनों के चंगुल से मुक्ति के लिए उन्हें सहकारी व ग्रामीण बैंकों से कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। बाढ़ व सूखा की स्थिति में किसानों को फ़सल के बर्बाद होने पर उचित मुआबजा दिया जाता है। बीज, खाद, कृषि उपकरणों की खरीद पर सरकार द्वारा पर्याप्त छूट दी जाती है। फसलों की खरीद व अनुसंधान के लिए केन्द्रों की स्थापना करती है लेकिन इतना होने के बावज़द किसानों की दशा में सुधार हेतु अभी और प्रयास करने की आवश्यकता है।
(ii) बेचारा जामुन का पेड़, कितना फलदार था और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं?
उत्तर :
सचिवालय के लॉन में लगा जामुन का पेड़ रात को आँधी में गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर सचिवालय के माली ने उसे देखा। उसने क्लर्कों को सूचना दी। सभी क्लर्क इकट्ठे हुए। वे जामुन का पेड़ गिरा देखकर उपर्युक्त बातें करने लगे।
इससे पता चलता है कि लोग संवेदना शून्य हो चुके हैं। उन्हें मरता हुआ आदमी भी द्रवित नहीं करता। वे इतने स्वार्थांध हैं कि मरते हुए आदमी को अनदेखा करके वे अपना हित पूरा करना चाहते हैं। उन्हें जामुन न मिलने की पीड़ा व्यथित करती है। ऐसे लोग लाश पर बैठकर भी रोटियाँ खा सकते हैं।
(क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं ?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है ?
(ग) गाँव और शहर दोनों जगहों पर चलने वाले मोहन के जीवन-संघर्ष में क्या फ़र्क है ? बताइए।
उत्तर :
मोहन को गाँव व शहर दोनों जगह संघर्ष करना पड़ा। गाँव में प्राकृतिक व आर्थिक संघर्ष था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसे आधा पेट ही खाना मिल पाता था वहीं चार मील दूर स्थित विद्यालय जाने के लिए उसे दो मील चढ़ाई के अलावा बरसात के मौसम में रास्ते में पड़ने वाली नदी को झेलना पड़ता था। उधर शहर में उसे रमेश बाबू के घर में नौकर का कार्य करना पड़ता जिससे गाँव का मेधावी छात्र मोहन शहर में घरेलू कार्यो में दबे रहकर सामान्य छात्र बन गया और उसका उज्ज्वल भविष्य अंधकारमय हो गया।
प्रश्न 15.
वितान के पाठों पर आधारित निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर (लगभग 60 शब्दों में) दीजिए- 3 × 1 = 3
(i) संगीत कला के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
भारत के प्राचीनतम संगीत का वर्णन वैदिक काल में मिलता है। विद्वान लगभग पाँच हज़ार ई.वर्ष पूर्व के समय को वैदिक काल मानते हैं। इस समय में दो प्रकार के संगीत का उल्लेख मिलता है। एक-मार्गी तथा दूसरा-देसी। मार्गी संगीत धार्मिक समारोहों से जुड़ा था और नियम और अनुशासन से बँधा था। देसी लोक से जुड़ा था। लोक रुचि के अनुसार यह समूह में ही गाया जाता था। सामवेद मे गाने के जो निर्देश दिए गए हैं उससे यह पता चलता है कि वैदिक महर्षियों के पूजा और मंत्रोच्चार के तरीके को ही साम कहते थे। हमारे यहाँ आगे चलकर संगीत का जो विकास हुआ इसकी जानकारी बहुत नहीं मिलती। उसका कारण यह भी है कि हम भारतीय दस्तावेजीकरण नहीं करते थे।
(ii) ‘आलो आंधारि’, पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरलू नौकरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार कीजिए।
उत्तर :
घरेलू नौकरों को अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है-
- घरेलू नौकर कभी भी आर्थिक रुप से सशक्त नहीं हो पाते है।
- शारीरिक श्रम के मूल्य को कम आँका जाता है।
- आर्थिक रूप से सक्षम न होने की वजह से इनका जीवनयापन निम्न स्तर का होता है। इसी वजह से यह लोग अच्छे घर, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य, सामाजिक आदि स्तर पर हमेशा निम्न रह जाते हैं।
- घर में रहने वाले नौकर कभी-कभी शारीरिक शेषण का भी शिकार होते हैं।