NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल).
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi Vasant |
Chapter | Chapter 14 |
Chapter Name | खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल) |
Number of Questions Solved | 13 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तसवीर (प्रयाग शुक्ल)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 105-07)
निबंध से
प्रश्न 1.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें? [Imp.]
उत्तर
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य है सभी प्रांतों में खानपान के आधार पर मेलजोल होना। भारत में आजादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों के तबादलों के कारण खानपान की चीजें एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। लोगों ने अपनी पसंद के आधार पर एक-दूसरे प्रांत की खाने की चीजों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है। जैसे आज दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा-साँभर-रसम उत्तर भारत में चाव से खाए जाते हैं और उत्तर भारत के ढाबे सारे भारत में महत्त्व पाते हैं। यहाँ तक कि पश्चिमी सभ्यता के व्यंजन बर्गर, नूडल्स का चलन भी बहुत बढ़ा है।
मेरा घर महाराष्ट्र में है। मैं मराठी परिवार से हूँ। मछली-चावल हमारा मुख्य भोजन है लेकिन हमारे घर में मछली-चावल से ज्यादा इडली-साँभर, चावल-चने-राजमाँ, पूरी-आलू, बर्गर व नूडल्स आदि अधिक पसंद किए जाते हैं। यहाँ तक कि हम यह सब बाज़ार से न लाकर घर में ही बनाते हैं क्योंकि आज हर प्रदेश के व्यंजन बनाने की पुस्तकें भी बाजार में उपलब्ध रहती हैं।
प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर-
खानपान में बदलाव के अनेक फायदे हैं। मसलन इससे स्थानीय व्यंजनों का प्रचार-प्रसार बढ़ गया है। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है। अब स्थानीय व्यंजन कभी भी किसी जगह ढाबों में उपलब्ध होता है। मसलन दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली डोसा अब उत्तर भारत में हमें आसानी से मिल जाता है। राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने में मदद मिली है।
अब हम एक प्रकार का ही खाना नहीं खाते, बल्कि उसमें विविधता का समावेश हो गया है।
समय की बचत होती है। जैसे फास्ट फूड तुरंत तैयार होता है। उपरोक्त फायदों के बावजूद लेखक इस परिवर्तन को लेकर काफ़ी चिंतित है, क्योंकि लोग स्थानीय व्यंजनों को भूलते जा रहे हैं। वे बाजारों से गायब होते जा रहे हैं।
नई पीढ़ी विदेशी व्यंजनों को खाना अधिक पसंद करती है और उसको अधिक महत्त्व देती है।
अब स्थानीय व्यंजन तथा पकवान होटलों की वस्तु बनते जा रहे हैं। इन व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है, जिससे स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानकारी ही नहीं, खाद्य पदार्थों में शुद्धता और गुणवत्ता की कमी होती जा रही है। स्थानीय व्यंजनों के स्वरूप बदलते जा रहे हैं। जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
प्रश्न 3.
खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है, किसी विशेष स्थान के खाने-पीने का विशेष व्यंजन। जिसका प्रचलन दूर-दूर तक हो। जैसे-मुंबई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुल्चे, मथुरा के पेडे व आगरे के पेठे-नमकीन आदि। पहले स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था। हर प्रदेश में किसी-न-किसी विशेष स्थान का कोई-न-कोई व्यंजन अवश्य प्रसिद्ध होता था लेकिन आज खानपान की मिश्रित संस्कृति ने लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प दे दिए हैं कि स्थानीय व्यंजन प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं। आधुनिक पीढ़ी तो कई व्यंजनों के नामों से भी, अपरिचित है। दूसरी ओर महँगाई बढ़ने के कारण इन व्यंजनों की गुणवत्ता में कमी होने से भी लोगों का रुझान इनकी ओर कम होता जा रहा है।
निबंध से आगे
प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाजार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर
मैं उत्तर भारत का रहने वाला हूँ। हमारे घर में काफी चीजें पकती हैं। जैसे-दालें, सब्जियाँ, कड़ी, राजमाँ-चावल, चने-भटूरे, मांसाहारी भोजन आदि। इसके अलावा मेरी माँ पकौड़े, दही-भल्ले, इडली-साँभर, डोसा, रसम, नूडल्स, बर्गर, खीर, हलवा भी बहुत अच्छा बनाती हैं।
बाजार से समोसे, कचौड़ी, जलेबियाँ, गुलाबजामुन, आइसक्रीम, काठीरोल, ढोकला आदि आता है। माँ-पिता जी कहते हैं कि पहले हम समोसे-कचौड़ियाँ, गुलाबजामुन आदि घर में बनाया करते थे।
प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड,
आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
उत्तर-
प्रश्न 3.
छौंक, चावल, कढ़ी
• इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए? इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर-
सभी विद्यार्थी अपने-अपने परिवार में माँ से इनके बारे में पता करें।
छौंक–छौंक में थोड़ा-घी-तेल डालकर हींग-जीरे के साथ तेज़ गर्म किया जाता है। फिर दाल में छौंक लगाया जाता है।
चावल-चावलों को उबाला जाता है। पुलाव के लिए उसमें कई सब्ज़ियाँ और मेवे-पनीर डाला जाता है।
कढ़ी-खट्टी दही या छाछ और बेसन को मिलाकर उबालकर बनाया जाता है।
प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा
सन् साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक – पीजा, पाव-भाजी
इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।
उत्तर-
दशक | महिलाओं की पोशाक | पुरुषों की पोशाक |
सन् साठ | साड़ी-ब्लाउज/लहँगा चोली, सलवार, कमीज | धोती-कुर्ता पायजामा |
सन् सत्तर | साड़ी-ब्लाउज/सलवार कमीज़ स्कर्ट टॉप/बेलबाटम/टॉप | पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा |
सन् अस्सी | साड़ी-ब्लाउज/सलवार, कमीज/जींस टॉप कोट-पेंट टाई/ जींस, टी शर्ट | पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा |
सन् नब्बे | साड़ी-ब्लाउज/सलवार कमीज/स्कर्ट टॉप, जींस-टॉप। | पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा, जींस-टीशर्ट। कोट पैंट टाई, शेरवानी, पठानी-सूट। |
नोट – अलग-अलग दशकों में प्रत्येक पोशाक के आकार-प्रकार और स्वरूप में परिवर्तन आता रहा है। पोशाकों के आकार और बनावट में परिवर्तन होता आ रहा है।
प्रश्न 5.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची ( मेन्यू) बनाइए।
उत्तर
पंजाब प्रांत की (मेन्यू) व्यंजन सूची
→ पानी व फल
→ चाय/कॉफी के साथ नमकीन एवं मीठा।
→ साग, मक्का की रोटी, पकौड़ी का रायता, मक्खन, अचार व लस्सी, मीठे में खीर।
→ शाम को चाय/कॉफी के साथ समोसा/कचौड़ी व बर्फी।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
‘फ़ास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।
उत्तर
कक्षा में करने योग्य है।
प्रश्न 2.
हर शहर कस्बे में कुछ ऐसी जगह होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए।
उत्तर-
छात्र-स्वयं करें।
प्रश्न 3.
खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफ़ी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फ़िल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
खानपान के मामले में शुद्धता होनी अति आवश्यक है क्योंकि अशुद्धता बीमारियों को बुलावा देती है। हल्दी व कालीमिर्च ऐसे पदार्थ हैं जिनमें मिलावट आमतौर पर मिलती है। हल्दी में पीली मिट्टी व काली मिर्च में पपीते के बीज मिला दिए जाते हैं। पिछले दिनों समाचार पत्रों में यह बात स्पष्ट शब्दों में थी कि घीया जो एक सब्ज़ी है उसे इंजेक्शन देकर एक दिन में ही बड़ा कर दिया जाता है। वास्तव में ऐसा करने से यह सही पौध का नहीं रहता। ऐसा डॉक्टरों का मत है कि इससे स्वास्थ्य खराब हो जाता है। आँखों की रोशनी कम हो जाती है, साँस संबंधी रोग हो जाते हैं और शरीर में टेढ़ापन आने का कारण भी यह बन सकता है। पत्ता गोभी की खाद में गलत पदार्थ डालने से यह भी स्वास्थ्य हेतु हानिकारक होती जा रही है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए।
सीना-पिरोना भला-बुरा चलना-फिरना
लंबा-चौड़ा कहा-सुनी घास-फूस
उत्तर
हर लड़की को सीना-पिरोना आना चाहिए।
मोहन ने कक्षा में झगड़ा होने पर मुझे भला-बुरा कहा।
रीढ़ की हड्डी पर चोट लग जाने के कारण स्नेहा को चलना-फिरना मना है।
मैंने जंगल में एक लंबा-चौड़ा वट वृक्ष देखा।
सास-बहू की कहा-सुनी होना तो आम बात है।
राम, लक्ष्मण और सीता वनवास में घास-फूस की झोंपड़ियों में रहे।
प्रश्न 2.
कंई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में इसे दिया जा सकता है
इडली-दक्षिण-केरल-ओणम्-त्योहार-छुट्टी-आराम।
उत्तर-
आराम-कुर्सी, तरण ताल-नहाना, नौका-दौड़, मौज-मस्ती, पेड़-जंगल, जानवर-चिड़ियाघर।
कुछ करने को
प्रश्न 1.
उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफ़ाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है?
उत्तर-
छात्र स्वयं करें। समाचार-पत्र पत्रिकाओं के विज्ञापनों में देखें या पुस्तकालयों में पुराने पड़े समाचार पत्रों से एकत्रित कर उससे सहायता लें।
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