Understanding the question and answering patterns through Class 11 Geography NCERT Solutions in Hindi Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास will prepare you exam-ready.
Class 11 Geography NCERT Solutions Chapter 2 in Hindi पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास
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प्रश्न 1. भीतरी ग्रह पार्थिव हैं जबकि दूसरे ज्यादातर ग्रह गैसीय हैं। ऐसा क्यों है?
उत्तर:
सौर मण्डल के आठ ग्रहों में से बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह हैं क्योंकि ये सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच में स्थित हैं। यह पार्थिव ग्रह भी कहलाते हैं, क्योंकि ये ग्रह पृथ्वी की भांति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व रखते हैं। अन्य चार ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन ग्रह कहलाते हैं। यहाँ हाइड्रोजन व हीलियम से बना सघन वायुमंडल पाया जाता है। चूंकि सौर वायु सूर्य के नजदीक ज्यादा शक्तिशाली थी, अतः पार्थिव ग्रहों से ज्यादा मात्रा में गैस व धूलकण उड़ा ले गई। परन्तु ज्यादा शक्तिशाली न होने के कारण सौर पवन दूर स्थित जोवियन ग्रहों से गैसों को नहीं हटा पायी। इसी कारण भीतरी ग्रह पार्थिव हैं जबकि दूसरे ज्यादातर ग्रह गैसीय हैं।
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प्रश्न 2.
पृथ्वी की परतदार संरचना कैसे विकसित हुई?
उत्तर:
ग्रहाणुओं के एकत्रित होने से पृथ्वी की रचना हुई। गुरुत्व बल के कारण जब पदार्थ इकट्ठा हो रहे थे, तब अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई, जिस कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण ही हल्के और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अन्तर के कारण अलग होना शुरू हो गये। इसी अलगाव से भारी पदार्थ जैसे लोहा, पृथ्वी के केन्द्र में चले गये और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गये।
समय के साथ यह और ठण्डे होकर ठोस रूप में परिवर्तित होकर छोटे आकार के हो गये और अन्ततः पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गए। चन्द्रमा की उत्पत्ति के दौरान भीषण संघट्ट के कारण पृथ्वी के तापमान में पुनः बढ़ोतरी हुई या पुनः ऊर्जा उत्पन्न हुई। यह विभेदन की प्रक्रिया का द्वितीय चरण था। विभेदन की इस प्रक्रिया के द्वारा पृथ्वी की परतदार संरचना का विकास हुआ। इसके फलस्वरूप पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक अनेक परतें पायी जाती हैं जिनमें पर्पटी, मैण्टल, बाह्य क्रोड तथा आन्तरिक क्रोड प्रमुख हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
1. निम्नलिखित में से कौनसी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?
(क) 46 लाख वर्ष
(ख) 460 करोड़ वर्ष
(ग) 13.7 अरब वर्ष
(घ) 13.7 खरब वर्ष।
उत्तर:
(ख) 460 करोड़ वर्ष
2. निम्न में से कौनसी अवधि सबसे लम्बी है?
(क) इओन (Eons)
(ख) महाकल्प (Era)
(ग) कल्प (Period)
(घ) युग (Epoch)।
उत्तर:
(क) इओन (Eons)
3. निम्न में से कौनसा तत्त्व वर्तमान वायुमण्डल के निर्माण व संशोधन में सहायक नहीं है-
(क) सौर पवन
(ख) गैस उत्सर्जन
(ग) विभेदन
(घ) प्रकाश संश्लेषण।
उत्तर:
(क) सौर पवन
4. निम्नलिखित में से भीतरी ग्रह कौनसे हैं?
(क) पृथ्वी व सूर्य के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ख) सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ग) वे ग्रह जो गैसीय हैं
(घ) बिना उपग्रह वाले ग्रह।
उत्तर:
(ख) सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
5. पृथ्वी पर जीवन निम्नलिखित में से लगभग कितने वर्षों पहले आरम्भ हुआ?
(क) 1 अरब 37 करोड़ वर्ष पहले
(ख) 460 करोड़ वर्ष पहले
(ग) 38 लाख वर्ष पहले
(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले।
उत्तर:
(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
प्रश्न 1.
पार्थिव ग्रह चट्टानी क्यों है?
उत्तर:
पार्थिव ग्रह (बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ) पृथ्वी के समान ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले हैं। यह अपने जनक तारे के बहुत ही नजदीक बने जहाँ अत्यधिक तापमान के कारण गैसें संघनित नहीं हो पाईं तथा घनीभूत भी नहीं हो सकीं इसी कारण पार्थिव ग्रह चट्टानी हैं।
प्रश्न 2.
पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धित दिए गए तर्कों में निम्न वैज्ञानिकों के मूलभूत अन्तर बताएँ-
(क) काण्ट व लाप्लेस
(ख) चैम्बरलेन व मोल्टन।
उत्तर:
काण्ट व लाप्लेस का पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित मत ‘एक तारक परिकल्पना’ कहलाता है। इनके अनुसार ग्रहों का निर्माण: धीमी गति से घूमती हुई नीहारिका से हुआ है, जिसका अवशिष्ट भाग बाद में सूर्य बना। परन्तु चैम्बरलेन व मोल्टन का मत ‘द्वैतारक परिकल्पना’ कहलाता है; क्योंकि इन्होंने पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य एवं उसके एक साथी तारे के सहयोग से मानी।
प्रश्न 3.
विभेदन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी में हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक् होने की प्रक्रिया को विभेदन कहा जाता है। पृथ्वी की उत्पत्ति के दौरान विभेदन की क्रिया के फलस्वरूप भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में और हल्के पदार्थ पृथ्वी की उपरी सतह या ऊपरी भाग में चले गये।
प्रश्न 4.
प्रारम्भिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरूप क्या था?
उत्तर:
प्रारम्भिक काल में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी जिसका वायुमण्डल विरल था जो कि हीलियम व हाइड्रोजन गैसों से बना था। यह वर्तमान समय की पृथ्वी के वायुमण्डल से बहुत अलग था।
प्रश्न 5.
पृथ्वी के वायुमण्डल को निर्मित करने वाली प्रारम्भिक गैसें कौनसी थीं?
उत्तर:
पृथ्वी के वायुमण्डल को निर्मित करने वाली प्रारम्भिक गैसें हाइड्रोजन व हीलियम थीं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न 1.
बिग बैंग सिद्धान्त का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त:
वर्तमान समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबन्धित सर्वमान्य सिद्धान्त ‘बिग बैंग सिद्धान्त’ है। इसे ‘ विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना’ भी कहा जाता है क्योंकि इसके अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। 1920 ई. में एडविन हब्बल ने प्रमाणों के आधार पर बताया कि समय के साथ आकाशगंगाएँ एक-दूसरे से दूर हो रही हैं। परन्तु प्रेक्षणों द्वारा आकाशगंगाओं का विस्तार प्रमाणित नहीं होता है। बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्न तीन अवस्थाओं में हुआ हैं।
1. शुरू में पदार्थ एक ही स्थान पर स्थित होना:
वे सभी पदार्थ जिनसे ब्रह्माण्ड की रचना हुई है वे सभी आरम्भ में अति छोटे गोलक अर्थात् एकाकी परमाणु के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे। इन सूक्ष्म पदार्थों का आयतन कम तथा तापमान एवं घनत्व अनन्त था।
2. विस्फोट प्रक्रिया से वृहत् विस्तार होना:
कालान्तर में इस अत्यन्त छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ इस प्रकार होने वाली विस्फोटक प्रक्रिया के द्वारा ब्रह्मांड का वृहत् विस्तार हुआ। वैज्ञानिकों का मानना है कि बिग बैंग की घटना वर्तमान से 13.7 अरब वर्षों पूर्व घटित हुई थी। वर्तमान समय में भी ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई। विस्फोट के उपरान्त एक सेकण्ड की अवधि के अन्तर्गत ही वृहत् विस्तार हुआ । इसके उपरान्त विस्तार की गति धीमी हो गई। बिग बैंग होने के शुरू के तीन मिनट के अन्तर्गत ही प्रथम परमाणु का निर्माण हुआ।
3. तापमान में कमी होना- बिग बैंग की घटना के घटित होने से 3 लाख वर्षों की अवधि के दौरान तापमान 4500° केल्विन तक कम हो गया एवं परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ । इसी के परिणामस्वरूप पारदर्शी ब्रह्मांड का निर्माण हुआ।
प्रश्न 2.
पृथ्वी के विकास सम्बन्धी अवस्थाओं को बताते हुए हर अवस्था / चरण को संक्षेप में वर्णित करें।
उत्तर:
पृथ्वी अपनी प्रारम्भिक अवस्था में चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी। इसका वायुमंडल विरल था, जो हाइड्रोजन एवं हीलियम से बना था। पृथ्वी की संरचना परतदार है। वायुमण्डल के बाहरी छोर से पृथ्वी के क्रोड तक जो पदार्थ हैं वे एकसमान नहीं हैं। वायुमण्डलीय पदार्थ का घनत्व सबसे कम है। पृथ्वी की सतह से इसके आन्तरिक भाग तक अनेक मण्डल हैं तथा प्रत्येक भाग के पदार्थ की अलग विशेषताएँ हैं।
पृथ्वी के विकास को निम्नलिखित अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है–
(1) स्थल-मण्डल का विकास:
उल्काओं के अध्ययन से ज्ञात होता है कि ग्रहाणु व दूसरे खगोलीय पिण्ड अधिकतर एकसमान ही घने और हल्के पदार्थों के मिश्रण से बने हैं । ग्रहाणुओं के एकत्रित होने से ही ग्रहों की रचना हुई।
(i) गुरुत्व बल का प्रभाव:
पृथ्वी की रचना का पदार्थ जब गुरुत्व बल के कारण संहत हो रहा था तो उन एकत्रित हुए पिण्डों ने पदार्थ को प्रभावित किया । इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई।
(ii) हल्के व भारी पदार्थों का अलग होना :
अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण हल्के और भारी घनत्व के पदार्थों का स्तरीकरण होने लगा। भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र की ओर चले गये तथा हल्के पदार्थ धरातलीय भाग की ओर आ गये। अन्ततः ये पदार्थ ठंडे तथा ठोस होकर पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गये। चन्द्रमा की उत्पत्ति के दौरान, भीषण संघट्ट के कारण, पृथ्वी के तापमान में पुनः वृद्धि हुई या पुन: ऊर्जा उत्पन्न हुई। यह विभेदन का दूसरा चरण था, जिसके फलस्वरूप पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक कई परतों, जैसे— पर्पटी, मैण्टिल (प्रावार), बाह्य क्रोड और आंतरिक क्रोड की रचना हुई।
(2) वायुमण्डल एवं जलमण्डल का विकास:
पृथ्वी के वायुमंडल की वर्तमान संरचना में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन का प्रमुख योगदान है। वर्तमान वायुमंडल का विकास निम्न तीन अवस्थाओं में हुआ है-
- आदिकालिक वायुमंडलीय गैसों का ह्रास,
- पृथ्वी के भीतर से भाप एवं जलवाष्प का उत्सर्जन,
- जैव मंडल का ‘प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया’ द्वारा संशोधन।
वायुमंडल के विकास की पहली अवस्था में हाइड्रोजन एवं हीलियम की अधिकता वाला प्रारंभिक वायुमंडल, सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। द्वितीय अवस्था में पृथ्वी के भीतर से अनेक गैसें व जलवाष्प बाहर निकले। लगातार ज्वालामुखी विस्फोट हुये, जिससे वायुमंडल में जलवाष्प व गैसें बढ़ने लगीं। पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन शुरू हुआ। परिणामस्वरूप वर्षा हुई, जिसका जल धरातल पर गर्तों में इकट्ठा होने लगा, जिससे महासागर बने। लगभग 250 से 300 करोड़ सालों पहले प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया विकसित हुई जिसके द्वारा महासागर ऑक्सीजन से संतृत हो गए और वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 200 करोड़ वर्ष पूर्व पूर्ण रूप से भर गई।
(3) जीवन की उत्पत्ति:
पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से सम्बन्धित है। जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्षों पूर्व हुआ माना जाता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु बने और उनका समूहन तथा पुनर्समूहन हुआ, जिससे निर्जीव पदार्थ जीवित तत्व में परिवर्तित हो गये। इससे पहले एककोशीय जीवाणु और फिर विकसित मानव की उत्पत्ति हुई।