Students can find the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
Class 12 Hindi Chapter 17 Question Answer Antra शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
शेर –
प्रश्न 1.
लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में क्यों चली जा रही थी?
उत्तर :
लोमड़ी बेरोज़गार थी, उसने सुना था कि शेर के मुँह में रोज़गार का दफ़्तर है। वहाँ नौकरी मिलती है। उसने शेर द्वारा कराए गए इस मिथ्या प्रचार पर विश्वास कर लिया था। वह शेर के बहकावे में आ चुकी थी। वह नौकरी के लिए आवेदन करने जा रही थी। यही कारण था कि वह स्वेच्छा से शेर के मुँह में चली जा रही थी।
प्रश्न 2.
कहानी में लेखक ने शेर को किस बात का प्रतीक बताया है?
उत्तर :
कहानी में लेखक ने शेर को व्यवस्था का प्रतीक बताया है। इसके पेट में जंगल के सभी जानवर किसी-न-किसी प्रलोभन के चलते समाते जा रहे हैं। लेखक कहना चाहता है कि सत्ता तभी तक खामोश रहती है, जब तक सब उसकी आज्ञा का पालन करते रहते हैं। विरोध होते ही वह खूँखार हो जाती है। वह अपनी प्रभुसत्ता बनाए रखने के लिए विरोधियों को कुचल देने का हर संभव प्रयास करती है।
प्रश्न 3.
शेर के मुँह और रोज़गार के दफ़्तर के बीच क्या अंतर है?
उत्तर :
शेर का मुँह रोज़गार का दफ़्तर है, जो छलावा मात्र है। वहाँ हर व्यक्ति को लोभ दिखाई देता है कि उसे रोज़गार मिलेगा। जब वह अंदर जाता है तो उसे पता चलता है कि वह छला गया है। उसे कम मज़दूरी पर काम करना पड़ता है। जबकि रोज़गार के दफ़्तर में योग्यतानुसार उचित पारिश्रमिक पर रोज़गार मिलता है।
प्रश्न 4.
‘प्रमाण से अधिक महत्त्वपूर्ण है विश्वास’ कहानी के आधार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
लेखक कहता है कि हर शासन-व्यवस्था विश्वास पर चलती है। यदि उस व्यवस्था में विश्वास नहीं है तो गुण होने के बावजूद वह स्वयं को बचा नहीं पाती। लेखक इस परंपरा से हटकर व्यवस्था से प्रमाण माँगता है। उसे लगता है कि उसे छला जा रहा है, परंतु ऐसा करने पर व्यवस्था उस पर प्रहार करती है। उसे विश्वास को महत्वपूर्ण बताया जाता है तथा प्रमाण के नाम पर टरका दिया जाता है।
पहचान –
प्रश्न 1.
राजा ने जनता को हुक्म क्यों दिया कि सब लोग अपनी आँखें बंद कर लें?
उत्तर
राजा ने जनता को हुक्म दिया कि सब लोग अपनी आँखें बंद कर लें। ऐसा करने से उन्हें शांति मिलेगी। प्रतीक रूप राजा अपने गलत कायों के प्रति जनता को उदासीन रहने के लिए कहता है। ऐसे में राजा स्वेच्छाचारी होकर जो भी करेगा प्रजा देख न सकेगी और न उसका विरोध कर सकेगी।
प्रश्न 2.
आँखें बंद रखने और आँखें खोलकर देखने के क्या परिणाम निकले?
उत्तर :
आँखें बंद रखने से लोगों को शांति मिली। वे आँखें बंद करके सारा काम करते थे। इसका फायदा यह हुआ कि काम पहले की तुलना में बहुत अधिक और अच्छा हो रहा था। जब जनता ने आँखें खोलकर देखी तो उन्हें पता चला कि प्रगति सिर्फ राजा की हुई है. उनकी नहीं। वे पहले से भी अधिक दीन-हीन और दयनीय अवस्था में पहुँच चुके हैं।
प्रश्न 3.
राजा ने कौन-कौन से हुक्म निकाले? सूची बनाइए और इनके निहितार्थ लिखिए।
उत्तर :
राजा ने निम्नलिखित हुक्म निकाले –
1. लोगों को आँखें बंद करने के लिए कहा गया।
2. फिर कानों में पिघला सीसा डालने के आदेश हुए।
3. फिर उन्हें होंठ सिलवाने के आदेश जारी हुए।
उपर्युक्त सभी आदेशों का निहितार्थ यह था कि जनता अंधी, बहरी व गूँगी रहे ताकि राजा निरकुश होकर अपनी इच्छानुसार काम करता रहे। प्रजा का काम राजा के आदेशों का पालन करना था। वह राजा के किसी भी अनैतिक कार्य का विरोध न कर सके।
प्रश्न 4.
जनता राज्य की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो उसका राज्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
यदि जनता राज्य की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो यह राज्य के हित में बिलकुल भी नहीं होगा। राजा और उसके समर्थक प्रजा के साथ मनमाना व्यवहार करेंगे। वे हर तरह से प्रजा का शोषण करेंगे। शाही खजाने को भरना ही उनका एकमात्र उद्देश्य रह जाएगा। वे प्रजा-हित की बात करना भी भूल जाएँगे। ऐसे में जनता की हालत बद से बदतर होती जाएगी। प्रजा निरंकुश और अत्याचारी राजा के विरुद्ध विरोध का स्वर बुलंद नहीं कर पाएगी।
प्रश्न 5.
खैराती, रामू और छिद्यू ने जब आँखें खोलीं तो उन्हें सामने राजा ही क्यों दिखाई दिया?
उत्तर :
खैराती, रामू और छिद्दू ने जब आँखें खोलीं तो उन्हें सिर्फ़ राजा ही दिखाई दिया। इसका कारण यह था कि उन्होंने राजा के आदेशों का आँख बंद करके पालन किया। ऐसे में राजा की दिन दूनी, रात चौगुनी उन्नति हुई, पर उनके बारे में राजा ने कभी सोचा ही नहीं। वे बद से बदतर हालत में पहुँच गए, ऐसे में उन्हें सामने राजा ही नज़र आ रहा था।
चार हाथ –
प्रश्न 1.
मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक ने क्या किया और उसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर :
मिल मालिक स्वयं मजदूरों को दो हाथ जोड़कर उन्हें चार हाथों वाला तो बना नहीं सकता था। इस काम के लिए उसने बड़े वैज्ञानिकों को भारी वेतन पर रखा। वे उसकी नौकरी करने लगे। उन वैज्ञानिकों का काम था कि वे ऐसी तकनीक निकालें कि आदमी के चार हाथ हो जाएँ। कई सालों के प्रयोग तथा शोध के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि यह असंभव है कि आदमी के चार हाथ हो जाएँ। मिल मालिक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। उसने स्वयं इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया। उसने कटे हाथ मँगवाकर मज़दूरों को फिट करवाए, परंतु असफल रहा। मज़दूरों को लकड़ी व लोहे के हाथ भी नहीं लग सके। उसके इतने प्रयोगों से मज़दूर मर गए।
प्रश्न 2.
चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में क्या बात आई?
उत्तर :
मिल मालिक ने मज़दूरों को चार हाथ लगाने की कोशिश की, परंतु असफल रहा, फिर उसकी समझ में एक बात आई। उसने मज़दूरों का वेतन आधा कर दिया और दोगुने मज़दूर रख लिए। इससे उसका लक्ष्य पूरा हो गया अर्थात् उतनी ही मज़दूरी में उसका उत्पाद बढ़कर दोगुना हो गया।
साझा –
प्रश्न 1.
साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को क्या बताया?
उत्तर :
किसान साझे की खेती का विचार त्याग चुका था, पर हाथी ने उसे पट्टी पढ़ाकर राजी कर लिया और साझे की खेती के बारे में किसान को समझाया कि साझे की खेती से यह लाभ होगा कि जंगल के छोटे-मोटे जानवर उसकी खेती को नुकसान नहीं पहुँचा सकेंगे। उसके खेतों की रखवाली अच्छी तरह हो जाएगी। यहाँ ‘हाथी’ प्रभावी लोगों का वर्ग है जो अपने दबदबे का प्रयोग कर मनमर्जी करते हुए किसानों का शोषण करता है।
प्रश्न 2.
हाथी ने खेत की रखवाली के लिए क्या घोषणा की ?
उत्तर :
हाथी ने किसान को साझे में खेती करने की पद्टी पढ़ाकर राजी कर लिया और उसने किसान से साझे की खेती शुरू की। उसने पूरे जंगल में यह घोषणा करवा दी कि गन्ने की खेती में उसका साझा है, इसलिए कोई जानवर खेत को नुकसान न पहुँचाए। जो नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा, उसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।
प्रश्न 3.
आधी-आधी फसल हाथी ने किस तरह बाँटी?
उत्तर :
फसल तैयार होने पर किसान चाहता था कि फसल आधी-आधी बाँट ली जाए। उसने हाथी से इस बारे में बात की तो वह क्रोधित हो गया। उसने कहा कि बँटवारे की बात छोटी है। हम दोनों ने इसे तैयार किया है, आओ मिलकर खाएँ। किसान के कुछ कहने से पहले हाथी ने सूँड़ से गन्ना तोड़ा और उसे खाने के लिए कहा। गन्ने का एक छोर हाथी की सूँड में था तथा दूसरा आदमी के मुँह में। गन्ने के साथ-साथ आदमी हाथी के मुँह की तरफ खिंचने लगा तो उसने गन्ना छोड़ दिया। इस पर हाथी ने कहा कि देखो हमने एक गन्ना खा लिया। इस तरह हाथी ने अन्यायपूर्वक फसल का बँटवारा किया।
योग्यता-विस्तार –
शेर –
प्रश्न 1.
इस कहानी में हमारी व्यवस्था पर जो व्यंग्य किया गया है, उसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने इस कहानी में हमारी व्यवस्था के दिखावे पर व्यंग्य किया है। हमारी व्यवस्था बाहरी तौर पर न्यायप्रिय, अहिंसावादी तथा शांतिप्रिय प्रतीत होती है, परंतु उसका यह स्वरूप तभी तक बना रहता है, जब तक उसके नियमों का पालन होता रहे। विरोध होने पर वह आपा खो बैठती है और विरोधी का हर प्रकार से दमन करने का प्रयास करती है।
प्रश्न 2.
यदि आपके भी सींग निकल आते तो आप क्या करते?
उत्तर :
यहाँ ‘सींग’ विरोध का परिचायक है। यदि हमारे अंदर विरोध का भाव पैदा होता तो हम व्यवस्था का विश्लेषण करके उनके दोषों का समुचित तरीके से विरोध करते। उस विरोध में हमारा अस्तित्व नष्ट न हो जाए, इसका पूरा ध्यान रखते। इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से लोगों को जागरूक बनाकर, साथ लेकर विरोध करने का कदम उठाते।
पहचान –
प्रश्न 1.
गांधी जी के तीनों बंदर आँख, कान, मुँह बंद रखते थे, किंतु उनका उद्देश्य अलग था कि वे बुरा न देखेंगे, न सुनेंगे, न बोलेंगे। यहाँ राजा ने अपने लाभ के लिए या राज्य की प्रगति के लिए ऐसा किया। दोनों की तुलना कीजिए।
उत्तर :
गांधी जी के तीनों बंदर आँख, कान तथा मुँह बंद रखते थे, क्योंकि वे बुरा देखना, सुनना व बोलना पसंद नहीं करते थे। राजा ने इस कहानी में लोगों के आँख, कान तथा मुँह बंद करवा दिए थे, क्योंकि वह अपना विरोध नहीं चाहता था। दोनों में अंतर यह है कि गांधी जी ने यह नियंत्रण हर व्यक्ति की इच्छा पर छोड़ा था, जबकि राजा ने यह नियम ज़बरदस्ती लागू किया था। दोनों की भावना में मुख्य अंतर यह था कि गांधी जी अपने तीनों बंदरों के माध्यम से लोगों में नैतिक बातों और सदुगुणों का विकास करना चाहते थे। इसके विपरीत पहचान कहानी का राजा निरकुश होकर शासन करने तथा प्रजा के स्वर दबाने के लिए ऐसा कर रहा था।
प्रश्न 2.
भारतेंदु हरिश्चंद्र का ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ नाटक देखिए और उस राजा से ‘पहचान’ के राजा की तुलना कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
चार हाथ –
प्रश्न 1.
आप यदि मिल मालिक होते तो उत्पादन दो गुना करने के लिए क्या करते?
उत्तर :
यदि मैं मिल मालिक होता तो उत्पादन दो गुना करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाता –
- मज़दूरों का कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करवाता।
- बढ़े हुए लाभांश में उन्हें भागीदार बनाता।
- उन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ देकर खुश रखता, ताकि वे खुशी-खुशी अधिक काम करने के लिए प्रेरित हों।
- अतिरिक्त उत्पादन के लिए अतिरिक्त पैसा देता।
- आवश्यकता होने पर अधिक मज़दूर रख लेता।
साझा –
प्रश्न 1.
‘पंचतंत्र की कथाएँ’ भी पढ़िए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
‘भेड़ और भेड़िए’ हरिशंकर परसाई की रचना पढ़िए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3.
कहानी और लघु कथा में अंतर जानिए।
उत्तर :
कहानी में एक भाव का पूर्व विवरण होता है। इसका आकार बड़ा होता है तथा विषय-क्षेत्र भी विस्तृत होता है। लघु कथा का आकार बेहद छोटा होता है तथा इसमें एक ही मुख्य बात को कहा जाता है। कुछ अनिवार्य तत्वों या गुणों के उपस्थित होने पर ही किसी कथ्य को कहानी कहा जाता है, जबकि लघुकथा में इन तत्वों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होती है।
Class 12 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
लघूत्तरात्मक प्रश्न-I
(क) शेर –
प्रश्न 1.
लेखक शहर छोड़कर कहाँ भागा? क्यों?
उत्तर :
लेखक के सिर पर सींग निकल रहे थे। उसे डर हो गया कि किसी दिन कोई कसाई उसे पशु समझकर पकड़ लेगा। इस कारण वह आदमियों से डरकर जंगल में भागा ताकि वहाँ बच सके। दूसरे शब्दों में, लेखक व्यवस्था का विरोध करने लगा था। व्यवस्था के कहर से बचने के लिए वह जंगल में भागा, ताकि वहाँ पर वह भयमुक्त होकर जीवन बिता सके।
प्रश्न 2.
जंगल में लेखक को आशा के विपरीत कौन-सा दृश्य नज़र आया?
उत्तर :
आदमियों विशेषकर कसाई से भाग रहे लेखक ने जंगल में देखा कि बरगद के पेड़ के नीचे एक शेर बैठा था, जिसका मुँह खुला हुआ था। इस मुँह में जंगल के छोटे-मोटे जानवर एक लाइन में जा रहे थे। शेर उन्हें बिना हिले-डुले तथा बिना चबाए गटकता जा रहा था। इस भयानक दृश्य को देखकर लेखक बेहोश होते-होते बचा, क्योंकि उसने ऐसे दृश्य की कल्पना भी नहीं की थी।
प्रश्न 3.
गधे, लोमड़ी और उल्लू ने लेखक को क्या जवाब दिया?
उत्तर :
जब लेखक ने गधे, लोमड़ी और उल्लू से शेर के मुँह में जाने का कारण पूछा तो सभी ने अलग-अलग जवाब दिया। गधे ने कहा कि वहाँ हरी घास का मैदान है। हरी घास खाकर वह वहीं आराम से जीवन व्यतीत करेगा। लोमड़ी ने कहा कि वहाँ रोज़गार कार्यालय है, वह नौकरी पाने के लिए वहाँ अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत करेगी तथा उल्लू ने बताया कि शेर के मुँह में स्वर्ग है तथा उसके निर्वाण का यही एकमात्र मार्ग है।
प्रश्न 4.
कुत्तों के जुलूस में क्या विशेष बात थी? वे किस चीज़ के परिचायक हैं?
उत्तर :
लेखक ने कुत्तों का एक बड़ा जुलूस देखा। वे कभी हँसते-गाते थे तो कभी विरोध में चीखते-चिल्लाते थे। उनकी लाल जीभें निकली हुई थी। वे सब दुम दबाए थे। यह जुलूस शेर के मुँह की तरफ बढ़ रहा था। यहाँ ‘कुत्ते’ विपक्षी दलों से संबंधित हैं। कभी ये सभी सत्ता में भागीदारी चाहते हैं, परंतु न मिलने पर हर संभव विरोध करते हैं। आज के सत्ता पक्ष के सामने आत्म-समर्पण की मुद्रा में चलते जा रहे थे।
प्रश्न 5.
कुछ दिनों बाद लेखक ने शेर के विषय में क्या सुना?
उत्तर :
कुछ दिनों बाद लेखक ने सुना कि शेर अहिंसा तथा सह-अस्तित्ववाद का समर्थक है। वह जानवरों का भी शिकार नहीं करता। वह सभी के साथ मेल-जोल बनाकर रहने का पक्षधर है, जबकि यह बात सच्चाई से कोसों दूर थी।
(ख) पहचान –
प्रश्न 1.
राजा ने लोगों के कानों में पिघला सीसा क्यों डलवाया?
उत्तर :
राजा ने लोगों के कानों में पिघला सीसा डलवा दिया। इसके पीछे उसका तर्क था कि जीवित रहने के लिए सुनना ज़रूरी नहीं है, जबकि वास्तविकता यह है कि वह लोगों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार करना चाहता था, जिसकी गूँज और आलोचना लोगों को सूनने नहीं देना चाहता था।
प्रश्न 2.
राजा के होंठ सिलवा देने वाले आदेश में क्या दिक्कत थी?
उत्तर :
राजा ने होंठ सिलवा देने का आदेश दिया, क्योंकि बोलने से उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है। लोगों ने जब होंठ सिलवाए तो उन्हें पता चला कि अब वे खा भी नहीं सकते। इसके बावजूद उन्होंने उस आज्ञा का पालन किया। अब वे राजा के अत्याचार तथा शोषणपूर्ण व्यवहार को सहकर भी कुछ नहीं बोल सकते थे।
(ग) चार हाथ –
मिल मालिक के दिमाग में क्या ख्याल आते थे?
उत्तर :
मिल मालिक के दिमाग में निम्नलिखित ख्याल आते थे-
1. सारा संसार मिल हो जाए, सारे लोग मज़ूर हो जाएँ और वह उनका मालिक बन जाए।
2. मिल में अन्य चीज़ों की तरह आदमी भी बनने लगे तथा उन्हें मज़दरी भी न देनी पड़े।
3. उसने मज़दूरों को चार हाथ लगाने की सोची तथा इसके लिए विभिन्न उपाय अपनाए।
4. अंत में उसने मज़दूरी आधी करके दुगुने मज़दूर रख लिए।
(घ) साझा –
प्रश्न 1.
किसान साझे की खेती क्यों करता था?
उत्तर :
किसान को खेती की हर बारीकी मालूम थी। इसके बावजूद उसे समाज के प्रभुत्वशाली वर्ग ने डरा रखा था। इस कारण वह अकेले खेती करने का साहस जुटा नहीं पाता था। साझे की खेती से उसका भला नहीं होने वाला था, फिर भी ऐसा करना उसकी मज़बूरी और विवशता थी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-II
प्रश्न 1.
‘शेर’ लघुकथा का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर :
‘शेर’ प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक लघुकथा है। शेर, व्यवस्था का प्रतीक है, जिसके पेट में जंगल के सभी जानवर किसी-न-किसी प्रलोभन में समाते चले जा रहे हैं। ऊपर से देखने पर शेर अहिंसावादी, न्यायप्रिय और बुद्ध का अवतार प्रतीत होता है, पर जैसे ही लेखक उसके मुँह में प्रवेश न करने का इरादा करता है, शेर अपनी असलियत में आ जाता है और दहाड़ता हुआ उसकी ओर झपटता है। तात्पर्य यह है कि सत्ता तभी तक खामोश रहती है, जब तक सब उसकी आज्ञा का पालन करते रहें। जैसे ही कोई उसकी व्यवस्था पर उँगली उठाता है या उसकी आज्ञा मानने से इनकार करता है, तो वह खूँखार हो उठती है और विरोध में उठे स्वर को कुचलने का प्रयास करती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने सुविधाभोगियों, छद्म क्रांतिकारियों, अहिंसावादियों और सह-अस्तित्ववादियों के ढोंग पर भी प्रहार किया है।
प्रश्न 2.
‘शेर’ लघुकथा के माध्यम से लेखक ने हमारी सत्ता और व्यवस्था पर व्यंग्य किया है। इससे आप कितना सहमत हैं? पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘शेर’ कहानी के आधार पर हमारी सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
‘शेर’ नामक लघुकथा में शेर हमारी ‘सत्ता और व्यवस्था’ का और लेखक ‘आम आदमी’ का प्रतीक है जो व्यवस्था की छल-कपट और कूटनीतियों की समझ आते ही उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाने का प्रयास करता है। ऐसे में महामना गौतम बुद्ध का रूप धारण करके बैठा शेर अपना असली रूप धारण कर लेता है। वह अपनी खामोशी त्यागकर दहाड़ता हुआ दौड़ पड़ता है और कच्चा ही निगल जाना चाहता है। ठीक यही स्थिति हमारी सत्ता-व्यवस्था की है। उसकी सुनते रहना, समर्थन करने में भलाई तथा विरोध का स्वर उठाते ही कुचल देने के लिए साम, दाम, दंड और भेद सभी तरीके अपना लेती है।इस तरह मैं उक्त कथन से पूर्णतया सहमत हूँ, क्योंकि लेखक ने हमारी सत्ता और व्यवस्था पर सटीक व्यंग्य किया है।
पहचान –
‘पहचान’ लघुकथा का उद्देश्य बताइए।
उत्तर :
‘पहचान’ में राजा को बहरी. गूँगी और अंधी प्रजा पसंद आती है जो बिना कुछ बोले, बिना कुछ सुने और बिना कुछ देखे, उसकी आज्ञा का पालन करते रहे। कहानीकार ने इसी यथार्थ की पहचान कराई है। भूमंडलीकरण और उदारीकरण के दौर में इन्हें प्रगति और उत्पादन से जोड़कर संगत और ज़रूरी भी ठहराया जा रहा है। इस छद्म प्रगति और विकास के बहाने राजा उत्पादन के सभी साधनों पर अपनी पकड़ मज़बूत करता जाता है। वह लोगों के जीवन को स्वर्ग जैसा बनाने का झाँसा देकर अपना जीवन स्वर्गमय बनाता है। वह जनता को एकजुट होने से रोकता है और उन्हें भुलावे में रखता है। यही उसकी ‘सफलता’ का रहस्य है।
चार हाथ –
‘चार हाथ’ लघुकथा का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर :
‘चार हाथ’ पूँजीवादी व्यवस्था में मज़दूरों के शोषण को उजागर करती है। पूँजीपति भाँति-भाँति के उपाय कर मज़दूरों को पंगु बनाने का प्रयास करते हैं। वे उनके अहम् और अस्तित्व को छिन्न-भिन्न करने के नए-नए तरीके ढुँढते हैं और अंतत: उसकी अस्मिता ही समाप्त कर देते हैं। मज़दूर विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं। वे मिल के कल-पुर्ज़ बन गए हैं और लाचारी में आधी मजदूरी पर भी काम करने के लिए तैयार हैं। मज़दूरों की यह लाचारी शोषण पर आधारित व्यवस्था का पर्दाफ़ाश करती है।
साझा –
‘साझा’ लघुकथा का उद्देश्य बताइए।
उत्तर :
‘साझा’ में उद्योगों पर कब्ज़ा ज़माने के बाद पूँजीपतियों की नज़र किसानों की ज़मीन और उत्पाद पर जमी है। गाँव का प्रभुत्वशाली वर्ग भी इसमें शामिल है। वह किसान को साझा खेती करने का झाँसा देता है और उसकी सारी फसल हड़प लेता है। किसान को पता भी नहीं चलता और उसकी सारी कमाई हाथी के पेट में चली जाती है। यह हाथी और कोई नहीं, बल्कि समाज का धनाढ्य और प्रभुत्वशाली वर्ग है जो किसानों को धोखे में डालकर उसकी सारी मेहनत हड़प लेता है। यह कहानी आज़ादी के बाद किसानों की बदहाली का वर्णन करते हुए, उसके कारणों की भी पड़ताल करती है।