Well-organized Geography Class 12 Notes in Hindi and Class 12 Geography Chapter 11 Notes in Hindi अंतर्राष्ट्रीय व्यापार can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 12 Chapter 11 Notes in Hindi अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार :
चूँकि कोई भी देश अपने आप में आत्मनिर्भर नहीं होता, इस कारण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सभी देशों के लिए परस्पर लाभदायक है। यद्यपि विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा कुल व्यापार का मात्र 1 प्रतिशत है, फिर भी विश्व की अर्थव्यवस्था में इसकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। विगत कुछ वर्षों से भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में विनिर्माण के क्षेत्र में गतिशीलता, सरकार की उदार नीतियाँ, बाजारों की विविधरूपता आदि कारणों के कारण तीव्र वृद्धि हुई है।
→ भारत के निर्यात :
संघटन के बदलते रूप – विगत कुछ वर्षों में भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वस्तुओं के संघटकों में बदलाव हुआ है। इसमें कड़ी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के कारण परम्परागत वस्तुओं जैसे कृषि तथा समवर्गी उत्पादों के व्यापार में कमी आई है, जबकि पेट्रोलियम के मूल्यों में वृद्धि एवं देश में तेल – शोधन क्षमता में वृद्धि के कारण पेट्रोलियम तथा अपरिष्कृत उत्पादों एवं अन्य वस्तुओं में वृद्धि हुई है।
→ भारत के आयात संघटन के बदलते प्रारूप :
1950 एवं 1960 के दशक में भारत द्वारा खाद्यान्न, पूँजीगत माल’, मशीनरी एवं उपस्करों आदि का आयात किया जाता था। उद्योगों में कच्चे माल एवं ईंधन के रूप में पेट्रोलियम तथा इसके उत्पादों का उपयोग होने के कारण वर्तमान में इनके आयात में तीव्र वृद्धि हुई है। इनके अतिरिक्त भारत में अन्य वस्तुओं, जैसे- मोती व उपरत्न, स्वर्ण, चाँदी, धातुमय अयस्क, धातु छीजन, अलौह धातुएँ, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ आदि के आयात में वृद्धि हुई है।
→ व्यापार की दिशा :
भारत के व्यापारिक सम्बन्ध विश्व के अधिकांश देशों के साथ-साथ प्रमुख व्यापारी समूहों से भी हैं। भारत का उद्देश्य आयात उदारीकरण, आयात करों में कमी, डि-लाइसेंसिंग, पेटेंट प्रक्रिया में बदलाव आदि अनुकूल उपाय अपनाकर अपने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने का है। भारत द्वारा अधिकांश विदेशी व्यापार समुद्री एवं वायु मार्गों द्वारा होता है। भारत द्वारा आयात और निर्यात में एशिया एवं ओशेनिया की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
→ समुद्री पत्तन :
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में- भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। भारत में समुद्री पत्तनों का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में विकास यूरोपीय व्यापारियों के आगमन एवं भारत के उपनिवेशीकरण के बाद हुआ है । अंग्रेजों द्वारा पत्तनों का विकास इनके पृष्ठ प्रदेशों के संसाधनों के अवशोषण हेतु किया गया था।
प्रमुख भारतीय पत्तन निम्न प्रकार से हैं-
- काँडला पत्तन : यह पश्चिमी तट पर कच्छ की खाड़ी के मुहाने पर अवस्थित है। इसे मुख्यतः भारी मात्रा में पेट्रोलियम, पेट्रोलियम उत्पादों एवं उर्वरकों को ग्रहण करने के उद्देश्य से बनाया गया था।
- मुम्बई पत्तन : यह देश का सबसे बड़ा पत्तन है। यह पत्तन मध्य-पूर्व, भूमध्यसागरीय देशों, उत्तरी अफ्रीका, उत्तर अमेरिका तथा यूरोप के देशों के मान्य मार्ग के समीप स्थित है। इसमें 54 गोदियाँ हैं।
- जवाहरलाल नेहरू पत्तन : इसे न्हावा शेवा में मुम्बई पत्तन के दबाव को कम करने के लिए एक अनुषंगी पत्तन के रूप में विकसित किया गया था।
- मार्मागाओ पत्तन : यह गोआ का एक प्राकृतिक पत्तन है, जो जुआरी नदमुख के मुहाने पर अवस्थित है। इस पत्तन से मुख्यत: जापान को लौह-अयस्क निर्यात किया जाता है।
- न्यू मंगलौर पत्तन : कर्नाटक में स्थित इस पत्तन से मुख्यतः लौह-अयस्क और लौह – सांद्र धातुओं का निर्यात किया जाता है।
- कोच्चि पत्तन : बेंवानंद कायाल के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पत्तन है। इसे स्वेज – कोलंबो मार्ग के पास अवस्थित होने का लाभ प्राप्त है।
- कोलकाता पत्तन : हुगली नदी पर अवस्थित यह पत्तन बंगाल की खाड़ी से 128 किलोमीटर स्थल में अन्दर की तरफ स्थित है। यह पत्तन भूटान और नेपाल जैसे स्थलबद्ध पड़ोसी देशों को सुविधाएँ उपलब्ध कराता है
- हल्दिया पत्तन : इसका निर्माण कोलकाता बन्दरगाह के दबाव को कम करने के लिए किया गया है। यह कोलकाता से 105 किलोमीटर अन्दर डाउनस्ट्रीम ( अनुप्रवाह) पर स्थित है।
- पारादीप पत्तन : यह उड़ीसा में महानदी डेल्टा पर स्थित है। इसका पोताश्रय सबसे गहरा है। इसे मुख्य रूप से लौह-अयस्क के निर्यात के लिए विकसित किया गया है।
- विशाखापट्टनम पत्तन : यह आन्ध्र प्रदेश में स्थित एक भू- आबद्ध पत्तन है। इस पत्तन को ठोस चट्टान एवं बालू को काटकर एक नहर के द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है।
- चेन्नई पत्तन : यह देश के पूर्वी तट पर स्थित एक कृत्रिम पत्तन है। इसे 1859 में बनाया गया था। तट के समीप उथले जल के कारण यह बन्दरगाह विशाल पोतों के लिए अनुकूल नहीं है।
- एन्नोर पत्तन : तमिलनाडु में स्थित इस पत्तन को चेन्नई पत्तन का दबाव कम करने के उद्देश्य से बनाया गया है।
- तूतीकोरिन पत्तन : इसका निर्माण भी चेन्नई पत्तन के दबाव को कम करने के उद्देश्य से किया गया था।
→ हवाई अड्डे :
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वायु परिवहन भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। देश के प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन अहमदाबाद, बेंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोच्चि, कोलकाता, मुम्बई, तिरुवनंथपुरम, श्रीनगर, जयपुर, कालीकट, नागपुर, कोयम्बटूर, लखनऊ, पुणे, चण्डीगढ़, मंगलूरु, विशाखापट्नम, इंदौर, पटना, भुवनेश्वर व कन्नूर हैं।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- डेल्टा : किसी नदी के मुहाने पर निर्मित जलोढ़ मृदा युक्त समतल त्रिकोणीय मैदान।
- आयात : किसी अन्य देश या स्थान से वस्तु या सामान को मँगवाना।
- निर्यात : देश में उत्पादित माल या वस्तु को अन्य देशों में भेजना।
- पत्तन : समुद्री तट पर जहाजों के ठहरने का स्थान।
- अनुषंगी पत्तन : निकटस्थ पत्तन।
- पृष्ठ प्रदेश : तटीय बस्ती अथवा क्षेत्र जो निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ प्राप्त करता है और आयात की गई वस्तुओं का वितरण करता है।