Students can find the 11th Class Hindi Book Antral Questions and Answers Chapter 1 अंडे के छिलके to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antral Chapter 1 अंडे के छिलके
Class 11 Hindi Chapter 1 Question Answer Antral अंडे के छिलके
प्रश्न 1.
“पराया घर तो लगता ही है, भाभी” – अपनी भाभी-भाई के कमरे में श्याम को परायेपन का अहसास क्यों होता है?
उत्तर :
“पराया घर तो लगता ही है, भाभी”-अपने भाभी-भाई के कमरे में श्याम को परायेपन का अहसास इसलिए होता है, क्योंकि उसकी भाभी ने कमरे का नक्शा ही बदल दिया था। पहले वहाँ सारा सामान बिखरा रहता था। जूते को छोड़कर हर चीज़ मेज़ या चारपाई पर होती थी। अब कमरे के एक कोने में पतलूनें और कोट एक-दूसरे के ऊपर टँगे हैं। कमरे की टेबल ऐसी चमकती है, जैसे नई-नई पॉलिश होकर आई हो। अब सब कुछ व्यवस्थित लगता है। इसी कारण श्याम को परायेपन का अहसास होता है।
प्रश्न 2.
एकांकी में अम्मा की जो तसवीर उभरती है, अंत में वह बिलकुल बदल जाती है-टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
एकांकी के आरंभ में अम्मा की परंपरागत रूप वाली तसवीर उभरती है। वह रामायण की परंपरा से जुड़ी स्त्री हैं, जो पुराने नियमों को घर पर लागू करना चाहती हैं। वे अंडे खाना, ‘चंद्रकांता संतति’ पढ़ना आद् को बुरा मानती हैं। उनका भय इतना है कि घर के सभी सदस्य अपनी इच्छाओं को पूरा तो करते हैं, परंतु छिपकर। एकांकी के अंत में माधव के ये शब्द अम्मा की तसवीर बदल देते हैं-” क्यों नहीं जानतीं? अम्मा तो शायद् मेरी वे बातें भी जानती हैं, जो मैं समझता हूँ कि वे नहीं जानतीं। वे देखकर भी अनदेखा कर देती हैं और जानकर भी अनजान रहती हैं।” इस तरह अम्मा की तसवीर अंत में पूरी बदल जाती है।
प्रश्न 3.
अंडे खाना, ‘चंद्रकांता संतति’ पढ़ना आदि किन्हीं संदर्भों में गलत नहीं है, फिर भी नाटक के पात्र इन्हें छिपकर करते हैं। क्यों? आप उनकी जगह होते, तो क्या करते?
उत्तर :
अंडे खाना, ‘चंद्रकांता संतति’ पढ़ना आदि किन्हीं संदर्भों में गलत नहीं है, फिर भी नाटक के पात्र इन्हें छिपकर करते हैं। इसका कारण यह है कि भारतीय समाज में परिवार तथा व्यक्ति दोहरा जीवन जीते हैं। इस परिवार में माँ परंपरागत संस्कारों में पली-बढ़ी हैं, परंतु वे नए को अपनाना नहीं चाहतीं। वे अपने दबाव दूसरों पर डालती हैं, ताकि उनका अहं तुष्ट हो सके। बच्चे उनकी बात मानते हैं।
शायद अम्मा से प्यार तथा अपनी सेहत को बचाए व बनाए रखने के लिए वे यह सब करते हैं। वे खुलकर विद्रोह नहीं कर पाते। अतः हर व्यक्ति अपने काम छिपकर करता है। इसके लिए कोई कच्चे अंडे खाता है, तो कोई ऑमलेट बनाकर। कोई ‘चंद्रकांता संतति’ को गुटका रामायण बताता है। अगर मैं उनकी जगह होता, तो मैं भी अपनी इच्छा पूरी करने की कोशिश करता, पर मैं दोहरा जीवन नहीं जीता। मैं इस संबंध में घर के बड़े-बुजुर्गों को साफ़-साफ़ बता देता।
प्रश्न 4.
राधा के चरित्र की ऐसी कौन-सी विशेषताएँ हैं, जिन्हें आप अपनाना चाहेंगे?
उत्तर :
इस एकांकी में राधा माधव की पत्नी है। वह बहुत पढ़ी-लिखी नहीं है, परंतु वह पढ़ने की इच्छा रखती है। वह ‘चंद्रकांता संतति’ छिपकर पढ़ती है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं, जिन्हें हम अपनाना चाहेंगे :
(क) विश्वसनीय-राधा कभी भी किसी की बात किसी दूसरे से नहीं कहती। वह सभी बातों को अपने तक ही सीमित रखती है। स्वयं उसी के शब्दों में, “दिल में रखने की बात हम दिल में ही रखते हैं।”
(ख) संकट से बचाने वाली-राधा परिवार के साथ है। वह माँ के गुस्से से श्याम, वीना आदि को बचाने के लिए झूठ भी बोल सकती है। वह कहती है-“हमीं ने वीना से जोर देकर कहा था कि पुलटिस बनाकर श्याम को बाँध दो।” इस प्रकार वह आदर्श भाभी की भूमिका निभाती है।
प्रश्न 5.
(क) सरकार की धूम्रपान न करने की वैधानिक चेतावनी और बड़े-बुजुर्ग्रों की धूम्रपान की मनाही के पीछे कौन-से कारण हैं?
(ख) यदि आप अपने घनिष्ठ मित्र को चोरी-छिपे सिगरेट पीते देखें, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
उत्तर :
(क) सरकार की धूम्रपान न करने की वैधानिक चेतावनी और बड़े-बुजुर्गों की धूम्रपान की मनाही के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण हैं। धूम्रपान से व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ता है। उसे कई तरह की बीमारियाँ हो जाती हैं। दूसरे, इससे धन का अपव्यय होता है। इस काम में अधिक खर्च होने से परिवार की जजरूरतें पूरी नहीं हो पातीं। इस कारण पारिवारिक ढाँचा चरमराता है। इसके अलावा, छोटे बच्चे भी इस व्यसन का शिकार बन जाते हैं।
(ख) यदि हम अपने घनिष्ठ मित्र को चोरी-छिपे सिगरेट पीते देखेंगे, तो हम उसे यह बुरी आदत छोड़ने की सलाह देंगे। उसे धूम्रपान से होने वाले खतरों के प्रति आगाह करेंगे और धन के अपव्यय के अलावा इससे बढ़ने वाले प्रदूषण की जानकारी भी देंगे। यदि कोई चोरी-छिपे धूम्रपान करता है, तो यह उसकी हीन भावना का परिचायक है। वह सच्चाई का सामना नहीं कर सकता। उसे यह आदत छोड़ देनी चाहिए।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antral Chapter 1 अंडे के छिलके
विषयवस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
‘अंडे के छिलके’ शीर्षक एकांकी में हर पात्र दोहरेपन की जिंदगी जी रहा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने इस एकांकी में परिवार के प्रत्येक सदस्य की मानसिकता के दोहरेपन के द्वंद्व को व्यक्त किया है। लेखक परंपराओं की टूटन दिखाता है। इस टूटन में जो दर्द छिपा है, उसे जीवंत करता है। यहाँ बात सिर्फ़ अंडों के छिलके छिपाने की है, ताकि घर में विद्यमान बड़ों, विशेषतः रामायणी संस्कृति की पोषक वृद्धा माँ तक अंडों की झलक न पहुँच सके। इस बात को लेकर दुराव-छिपाव चलता है। इसे चलाने के लिए तीन पीढ़ियों की मानसिकता काम कर रही है। पुरानी पीढ़ी लाचार होकर सब सहन कर रही है। इस प्रकार हर पात्र दोहरेपन की ज़िदगी जी रहा है।
प्रश्न 2.
‘अंडे के छिलके’ एकांकी में लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
इस एकांकी में लेखक ने नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के वैचारिक द्वंद्व को चित्रित किया है। पुरानी पीढ़ी अपनी परपराओं और रूढ़ियों को तोड़ना नहीं चाहती। साथ ही पुराने से उसका मोह इस कदर है कि आने वाली पीढ़ी को भी वह अपनी ही परंपराओं और रूढ़ियों की परिधि में जकड़े रहना चाहती है। जबकि नई पढ़ी इनको तोड़कर स्वतंत्र होने के लिए बेचैन है, किंतु वह अपने बुजुर्गों के सम्मान की कीमत पर कोई भी प्रत्यक्ष बदलाव करने से मुँह मोड़ लेती है। इसी द्वंद्व का परिणाम था कि नई पीढ़ी ने अंडे खाने के लिए ही अलग अँगीठी और फ्राई-पैन की व्यवस्था कर ली थी। उनकी नए के प्रति बढ़ रही उत्सुकता और अपनाव पर अभी लाज का पहरा था, परंतु यह घूँघट अप्रत्यक्ष तौर पर हटना शुरू हो गया था।
प्रश्न 3.
‘वीना नई पीढ़ी का विद्रोही स्वर है।’-टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
इस एकांकी में वीना बी०ए० पास नारी है। यह वह नारी है, जो पुरानी पीढ़ी द्वारा थोपे गए सिद्धांतों को विवशतावश ओढ़े हुए है, पर उसके पक्ष में नहीं है। वह अपनी गतिविधियों को छिपाना नहीं चाहती। वह कहती है-“भई, तुम लोगों की यह बात मेरी समझ में बिलकुल नहीं आती। अगर खाना ही है, तो उसमें छिपाने की क्या बात है।” वह अपनी प्रखरता के कारण दोहरेपन को तोड़ना चाहती है। वह गुटका रामायण के नाम पर ‘चंद्रकांता संतति’ को लुक-छिपकर पढ़ने के पक्ष में नहीं है। इस प्रकार वह अपनी बातों से स्पष्ट कर देती है कि वह खुलकर जीने में विश्वास रखती है। उसके स्वर में नई पीढ़ी का विद्रोह है।
प्रश्न 4.
‘अंडे के छिलके’ एकांकी में किस-किस पात्र की कौन-कौन सी आदत आपको अच्छी नहीं लगी और क्यों?
उत्तर :
इस एकांकी में मुझे गोपाल और राधा दो पात्रों की आदतें अच्छी नहीं लगी। गोपाल छिपकर सिगरेट पीता था, जो उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं था और राधा उसे ऐसा करने से मना नहीं करती थी, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप में उसे बढ़ावा दे रही थी। इस बात को छिपाना गोपाल और राधा दोनों के लिए हितकर न था।
विषयवस्तु पर आधारित निबंधात्मक प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
‘अंडे के छिलके’ नामक एकांकी में पीढ़ियों की टकराहट से पुराने मूल्यों की टूटन और नए मूल्यों का उभार है।-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ‘अंडे के छिलके’ नामक एकांकी में पीढ़ियों की टकराहट से पुराने मूल्य टूटते और नए मूल्य दबे-दबे से उभरते दिखाई देते हैं। मूल्य टूटे, पर शर्त यह है कि टूटन की आवाज़ न हो। उसकी भनक तक भी दूसरे के कान में नहीं पड़नी चाहिए। श्याम, गोपाल, माधव और राधा भी पुरानी रूढ़ियों से ऊपर उठकर जीना चाहते हैं, कितु परिवार की बुजुर्ग जमुना देवी की मर्यादा को ध्यान में रखकर दोहरी मानसिकता को झेले जाने की विवशता में सिमटकर रह गए हैं।
केवल वीना है, जिसमें कुछ प्रखरता, कुछ स्पष्टता है, और है-जिसे तोड़ना ही है या जिसे टूटना ही है. उसे झटका देकर तोड़ देने की दबी-दबी-सी ललक। वह गुटका रामायण के नाम पर ‘चंद्रकांता’ को लुका-छिपाकर पढ़ने के पक्ष में नहीं है। उसे राधा की यह दृष्टि पसंद नहीं है-सिर्फ़ पसंद के स्तर पर कि-“तुम जानो इस घर में ये सब पढ़ेंगे, तो जान नहीं निकाल दी जाएगी?” वह तो पसंद के तौर पर ही अपनी दबी-दबी विद्रोही मानसिकता को प्रकट कर पाती है कि-“मगर इसमें इस तरह छिपाकर पढ़ने की क्या बात है?” पर स्वयं भी तो वह घर में चारों तरफ बुने गए चंद्रकांता वाले तिलिस्म को तोड़ पाने में समर्थ नहीं हो पाती। अपने पति को अपने कमरे में ही अंडे तलकर खिलाती है। श्याम (देवर) को भी उसी प्रकार अंडों का हलवा बनाकर खिलाती है। अम्मा जी के आ जाने पर वही दुराव ओढ़ने को विवश हो जाती है, जिसे अन्य ने ओढ़ रखा है।
प्रश्न 2.
‘अंडे के छिलके’ एकांकी के पात्र दोहरी मानसिकता अपनाए हुए, पुराने-नए के बीच सामंजस्य बैठाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘अंडे के छिलके’ एकांकी के पात्र दोहरी मानसिकता अपनाए हुए नए-पुराने के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास करते हुए जी रहे हैं। मन के इन्हीं दोहरे स्तरों के कारण ही जैसे अपने ही घर में एक परायेपन की-सी अनुभूति भर गई है इस तरह पुकार रहे थे, जैसे किसी पराये घर में आए हों।” पर यह लगता है, सौहार्द की अब भी कमी नहीं, फिर भी दुराव? वही पीढ़ी-परिवर्तन की मानसिकता और उस पर छा रही रामायणी या गंगा-जमुनी पंरपरा की धुँधलाती छाप-” संयम, संयम, संयम! ज़रा संयम से काम लो, भाभी।
चार दिन जो अंडे खा लिए हैं, वे छिलकों समेत वसूल हो जाएँगे। अम्मा के कान में भनक भी पड़ गई, तो सारे घर का गंगा-इश्नान हो जाएगा।” और इसके साथ एक और नारी का स्वर भी आकर गुंफित हो जाता है। वह नारी अम्मा से अगली पीढ़ी की है, इसलिए वह दुराव करने की विवशता (वह भी शायद पुरुषों के कारण) ओढ़े हुए भी उसके पक्ष में नहीं है।
यह स्वर सन 1960 के आस-पास की बी०ए० पास नारी की उभरती मानसिकता का स्वर है-” भई, तुम लोगों की यह बात मेरी समझ में बिलकुल नहीं आती। अगर खाना ही है. तो उसमें छिपाने की क्या बात है! सबके सामने खाओ – और अंडे में जीव कहाँ होता है? जैसे दूध, वैसे अंडा।” पर परंपरा के स्वत: के व्यवहारों से ही टूट रहे तिलस्म को आगे आकर तोड़ने का साहस कौन करे? रिस्क कौन ले? सभी के मन में चोरी पकड़े जाने का अलक्षित भय है। वह भय ही एक प्रकार से अम्मा और
बड़े भैया से भीत अन्य सभी का समझौता बन जाता है। आखिर समझौता क्यों, किसलिए? उसी दोहरेपन के निभाव के लिए-अम्मा और खुराक से एक साथ प्यार के निभाव के लिए-जैसे केवल ज्यों-त्यों निभाते जाने का नाम ही ‘जीवन-जीना’ बनकर रह गया हो। तभी तो अंडे खाए जाते हैं, हफ्ते भर के छिलके इकट्ठे करके डिब्बे में भरकर बाहर ले जाए जाते हैं, ताकि लक्ष्मण-रेखा भी बनी रहे और सीता का हरण भी संभव होता रहे।
प्रश्न 3.
‘अंडे के छिलके’ एकांकी में पुराने मूल्यों के टूटने की नाटकीय विडंबना है।-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘अंडे के छिलके’ एकांकी में बड़े ही हल्के और समानांतर ढंग से विरासत में मिली परंपराओं को टूटते हुए दिखाया गया है। इस टूटन के अंतराल में जो दोहरा दर्द छिपा हुआ है, छोड़ने-न-छोड़ने की तल्खी अंतर्निहित है, उसे सजीव उभार, अगयाम एवं परिवेश प्रदान किया गया है। बात सिर्फ़ अंडों के छिलके छिपाने की है, ताकि घर में विद्यमान बड़ों, विशेषत: रामायणी संस्कृति की पोषक वृद्धा माँ तक उनकी झलक न पहुँच सके! इस बात को लेकर जो छिपाव-दुराव चलता है, उसे चलाने में समानांतर पर जी रही तीन पीढ़ियों की मानसिकता एक साथ काम कर रही है।
एक पीढ़ी है माँ की, जिसे शायद अंडे खाने तो क्या, घर में उनकी परछाई और चर्चा भी स्वीकार नहीं। एक सीमा तक उससे प्रभावित घर के बड़े भाई और भाभी हैं, जो उन सबको जान-बूझकर अनदेखा कर देना चाहते हैं। उसके बाद आते हैं, छोटे भाई और उनके परिवार, जो अपने बड़ों का आतंक एक सीमा तक सहेजे अंडे खा रहे हैं, पर या तो गर्म दूध में डालकर या घर के एकांत कमरे में चुपचाप पकाकर और छिलके मोजों में भरकर ताकि माँ की दृष्टि न पड़े। सभी सदस्य लगभग समान मानसिकता का परिचय देते हैं। इस प्रकार, एक तरह से सभी एक-दूसरे के दोहरे आचरण को सहने और चुपचाप सहे जाने की मानसिकता को ओढ़े हुए हैं।
इसका कारण है अम्मा से प्यार और अपनी खुराक से भी प्यार-“हमें अपनी अम्मा से भी प्यार है और अपनी खुराक से भी।” किसको, किससे प्यार है, इसकी महक से सारा घर परिचित है। बड़े भैया के अनुसार- अम्मा तो शायद मेरी वे बातें भी जानती हैं, जो मैं समझता हूँ कि वे नहीं जानतीं।” इस प्रकार दोहरेपन को बनाए रखने में कोई भी अपने-आप को बचाए नहीं रख पा रहा है, जबकि सभी उसे किसी-न-किसी स्तर पर बनाए रखना चाहते हैं। वे मूल्य, जो किसी को भी मानसिकता के स्तर पर स्वीकार्य नहीं और जो भीतर-ही-भीतर स्वत: ही चरमराकर टूट रहे हैं, मात्र दिखावे के लिए उन्हें प्रायः सभी बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। यही समूची नाटकीय विडंबना है, जिसका रेखांकन ‘अंडे के छिलके’ एकांकी में हुआ है।
प्रश्न 4.
राधा के चरित्र से आप किन-किन गुणों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर :
राधा ‘अंडे के छिलके’ एकांकी की एक प्रमुख पात्रा है। वह एकांकी में अंत तक उपस्थित रहती है। राधा एक ओर पुरानी परंपराओं और मूल्यों में विश्वास रखने वाली है, तो दूसरी ओर नए मूल्यों की पक्षधर भी है। वह घर के सदस्यों से स्नेह करती है, तो गोपनीय बातों को प्रकट भी नहीं होने देती। उसके चरित्र से हम निम्नलिखित गुणों को अपनाना चाहेंगे :
(क) मूल्यों का सम्मान-राधा संयुक्त परिवार में रहते हुए मूल्यों का भरपूर सम्मान करती है। वह वीना द्वारा अंडे का हलवा बनाए जाने का समर्थन नहीं करती और उसे खाने के लिए मना करके केवल एक प्याली चाय चाहती है।
(ख) विश्वासपात्रता-राधा में गोपनीय बातें अपने तक सीमित रखने का गुण है। वह पाँच साल से गोपाल के सिगरेट पीने की बात अपने तक ही सीमित रखे हुए है। गोपाल सबसे अधिक विश्वास उसी पर करता है। यह नारियों के स्वभाव के सर्वथा विपरीत है।
(ग) बुजुर्गो का सम्मान-राधा घर के सदस्यों विशेषत: बुजुर्ग जमुना देवी का सम्मान करती है। वह उनके सामने अंडे और अंडे का ऑमलेट बनाने के उपकरणों को छिपाकर ऐसा करती है, जैसे यहाँ ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, जिससे पुराने मूल्य टूटते दिखाई दें।
(घ) स्नेहमयता-राधा स्नेहमयी है। वह श्याम, गोपाल, वीना सभी से स्नेह करती है। वह वीना द्वारा बनाए जा रहे अंडे के हलवे को ‘पुलटिस’ कहकर जमुना देवी से कहती है कि ऐसा करने के लिए मैंने ही कहा था। वह दूसरों की बातों को अपने सिर लेकर अपने स्नेह का मूक प्रदर्शन करती है।
प्रश्न 5.
अंडे खाने की भनक भी अम्माँ के काम में पड़ गई, तो सारे घर का गंगा इस्नान हो जाएगा। श्याम और उसका भाई यह कार्य किनके सहयोग से छिपकर करते थे और क्यों? उनका ऐसा करना आप कितना उचित समझते हैं, लिखिए।
उत्तर :
श्याम के भाई ने बिजली का स्टोव मँगाकर अपने कमरे में रख रखा था। उसने इसके लिए यह बहाना किया था कि सुबह-सुबह रसोई से कमरे तक लाते-लाते बेड-टी ठंडी हो जाती है, जबकि वह इसी स्टोव पर फ्राइंग पैन में अंडों का आमलेट बनाया करता था। इस काम में श्याम भी साथ रहता था। उसकी माता जी अंडों को हाथ भी न लगाती थीं, इसलिए उनसे छिप-छिपाकर सारा काम किया जाता था। श्याम और उसका भाई दोनों ही दोहरी मानसिकता में जी रहे हैं। यहाँ पुराने मूल्य टूटने और नए मूल्य अपनाने की नाटकीय विडंबना है।
इधर श्याम अपने कमरे में अपने पीने का दूध मँगवाता है और उसमें कच्चा अंडा मिलाकर पी जाता है, पर यह काम वह सबसे छिपाकर करता है। वह बुजुर्गों की सोच एवं विचारधारा को अपनाने के लिए सहज तैयार नहीं होता है। वे उन परंपराओ और मूल्यों को ज्यों का त्यों अपनाने से बचना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि बुजुर्गों के ये मूल्य वर्तमान में अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। वे इन्हें त्यागने एवं नए मूल्य अपनाने की उत्सुकता दिखाते हैं। उनका ऐसा करने को मैं उचित नहीं मानता हूँ, क्योंकि बुजुर्गों को अपनी परंपराओं और मूल्यों से लगाव होता है, जिन्हें वे अचानक नहीं छोड़ सकते हैं। वे नए मूल्यों के साथ आसानी से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं।
प्रश्न 6.
गोपाल पाँच बरस से अपनी भाभी के सामने, दूसरों से छिपाकर सिगरेट क्यों पीता आ रहा है? गोपाल की यह आदत अच्छी नहीं है, क्यों? ऐसे में उसकी भाभी का यह कार्य कितना उचित हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वीना के सामने जब गोपाल सिगरेट पीना चाहता है, तो वीना उससे कहती है कि आप तो कहते थे कि आप घर में किसी के सामने सिगरेट नहीं पीते हैं, तो गोपाल ने कहा कि बारिश के मौसम में तबीयत नहीं मान रही है कि सिगरेट न पीऊँ। असल में एक बार उसकी भाभी ने सिगरेट पीते गैलरी में देख लिया था। जब उन्होंने चोरी पकड़ ही ली, तो उसने (गोपाल) अपना अपराध स्वीकार कर लिया। इसके बाद उसकी भाभी की मेहरबानी यह रही कि जब भी उसकी इच्छा होती है, वह उनके कमरे में सबसे छिपकर सिगरेट पी लेता है। आज पाँच साल होने के बाद भी उसकी भाभी के अलावा यह बात किसी को पता न चल सकी।
गोपाल की यह आदत इसलिए अच्छी नहीं है, क्योंकि धूम्रपान से श्वसन संबंधी अनेक बीमारियाँ होती हैं, जो अंत में जानलेवा साबित होती हैं। धूम्रपान का दुष्प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क पर होता है, जिससे वह उचित-अनुचित का निर्णय नहीं ले पाता है। व्यक्ति अपनी गाढ़ी कमाई धूम्रपान पर खर्च करके अपने विकास पर असर डालता है। धूम्रपान एक सामाजिक बुराई है, जिससे दूर रहने में ही सबकी भलाई छिपी है। गोपाल द्वारा सिगरेट पीने की आदत को सबसे छिपाने का कार्य अनुचित है। उसकी भाभी को घर में अपने बड़ों की मदद से उसे छुड़ाने और गोपाल को धूम्रपान से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए था।