Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 6 खानाबदोश फुले to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 6 खानाबदोश
Class 11 Hindi Chapter 6 Question Answer Antra खानाबदोश
प्रश्न 1.
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसे बीता ?
उत्तर :
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का पूरा दिन अदृश्य भय तथा दहशत में बीता। इस घटना से मज़दूर डर गए। उन्हें लग रहा था कि सूबेसिंह किसी भी वक्त लौटकर आ सकता है। शाम होते ही भट्ठे पर सन्नाटा छा गया। सब अपने-अपने खोल में सिमट गए। बूढ़ा बिलसिया शाम होते ही अपनी झोंपड़ी में जाकर लेट गया।
प्रश्न 2.
मानो अभी तक भट्ठे की ज़िदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई है?
उत्तर :
मानो गाँव की रहने वाली थी। वहाँ उसका जीवन निश्चित ढर्रे पर चलता था। भट्ठे की ज़िदगी अनिश्चित होती है। यहाँ लोगों के संबंध औपचारिक होते हैं। शाम होते ही सारा माहौल सन्नाटे का शिकार हो जाता था। यहाँ साँप-बिच्छू के भयपूर्ण वातावरण में उसका जी घबराता था। ऐसे नीरस वातावरण में उसका मन नहीं लग रहा था। इस कारण वह अभी तक भट्ठे की ज़िदगी से तालमेल नहीं बैठा पाई थी।
प्रश्न 3.
असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबेसिंह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?
उत्तर :
असगर भट्ठे पर ठेकेदार था। सूबेसिंह ने मानो को अपने दफ़्तर बुलवाया था। वह मानो का शारीरिक शोषण करना चाहता था। असगर ने मानो की झोंपड़ी पर जाकर आवाज़ लगाई, तो जसदेव मानो की जगह चल दिया। जसदेव को आते देखकर सूबेसिंह का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। इस कारण वह बिफर पड़ा तथा जसदेव को अपशब्द कहने लगा। जसदेव द्वारा अपशब्द का प्रतिरोध करते ही सूबेसिंह उसे मारने-पीटने लगा।
प्रश्न 4.
‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की निम्नलिखित समस्याओं को रेखांकित किया गया है :
- समाज में जाति-भेद अभी तक कायम है।
- मज़दूरों का शोषण हो रहा है।
- मज़दूरों का जीवन नारकीय है।
- समाज में स्त्रियों की इज़ज़त सुरक्षित नहीं है।
- समाज में शोषण को देखकर चुप रहने की मानसिकता व्याप्त है।
लेखक ने अपना दृष्टिकोण सुकिया और मानो के माध्यम से प्रकट किया है। दोनों अपना जीवन जीना चाहते हैं, परंतु शोषणकारी शक्तियाँ उन्हें प्रताड़ित करती हैं। उन्हें खानाबदोश की ज़िदगी जीने पर विवश किया जाता है। कहानीकार के पास इस शोषण का कोई समाधान नहीं है। इतना अवश्य है कि वह शोषित और मज़दूर वर्ग से गहरी सहानुभूति रखता है।
प्रश्न 5.
“चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे”-सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की पूरी संवेदना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस कहानी में सुकिया तथा मानो मज़दूर वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और सूबेसिह पूँजीपति वर्ग का। सुकिया और मानो का सपना अपना घर बनाने का है। वे दिन-रात मेहनत करते हैं, परंतु सूबेसिंह को यह ठीक नहीं लगता। पूँजीपति वर्ग श्रमिकों को उसी दशा में रखना चाहता है, ताकि उनका काम चलता रहे। पूँजीपति मज़दूरों को अपने पर आश्रित रखना चाहते हैं। इस कहानी में मानो व सुकिया अपनी दशा सुधारना चाहते हैं और अपने खानाबदोश जीवन से मुक्ति पाना चाहते हैं, परंतु सूबेसिंह उन्हें तरह-तरह से तंग करता है तथा उनके सपने को तोड़ देता है। यही इस कहानी की मूल संवेदना है।
प्रश्न 6.
‘स्किल इंडिया’ जैसा कार्यक्रम होता तो क्या तब भी सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतीत करना पड़ता?
उत्तर :
‘स्किल इंडिया’ जैसा कार्यक्रम होता तो सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन नहीं व्यतीत करना पड़ता। क्योंकि उस स्थिति में वे अपनी सामाजिक स्थिति तथा क्षमता के अनुसार पारंपरिक तरीके के व्यवसाय, जैसे-बढ़ई, मोची, लोहार, राजमिस्त्री, दर्जी, जुलाहा आदि में से किसी का प्रशिक्षण लेकर अपने कौशल का विकास कर लेने तथा अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते। इस स्थिति में वे अपने गाँव में रहकर मनचाहा करते या किसी अन्य जगह पर अपनी मर्ज़ी से घर बसाकर रहते। इस स्थिति में कोई उनका शोषण भी नहीं करता।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
(ख) इत्ते ढेर-से नोट लगे हैं, घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने।
(ग) उसे एक घर चाहिए था-पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
उत्तर :
(क) इस पंक्ति में मानो अपनी व्यथा प्रकट करती है। वह कहती है कि यदि विदेश में व्यक्ति को अच्छा भोजन, वस्त्र तथा मकान मिले, तो भी वह सुखी नहीं रह सकता, क्योंक गुलामी में सब निरर्थक है। स्वतंत्रता के साथ रहने वाला सुखी रहता है।
(ख) इस पंक्ति में सुकिया अपनी पत्नी मानो को बताता है कि घर बनाने में बहुत सारे रुपये खर्च होते हैं। यह काम आसान नहीं है। हमारे पास पैसे नहीं हैं और हाथी खरीदने की सोच रहे हैं। कल्पना और यथार्थ में संबंध नहीं है।
(ग) इस वाक्य में यह व्यक्त किया गया है कि मानो सपना देख रही थी, घर बनाने का। लाल-लाल ईंटों को देखकर वह कल्पना की दुनिया में खो गई। वह पक्की ईंटों का घर बनाना चाहती थी, जहाँ गृहस्थी तथा परिवार हो।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के क्षेत्र में जाकर इंटों के भट्ठे को देखिए तथा इंटें बनाने एवं उन्हें पकाने की प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
ईंटों के भट्ठे पर निम्नलिखित प्रक्रिया दिखाई देती है :
- एक लंबा-चौड़ा क्षेत्र भट्ठे के लिए अपेक्षित रहता है।
- ईटे पकाने के लिए एक गोलाकार क्षेत्र में चिनाई करानी पड़ती है।
- इस ढाँचे के मध्य भाग में एक बहुत ऊँची चिमनी होती है, जिससे धुआँ बाहर निकलता है।
- प्रवेश द्वार पर एक-दो कमरे होते हैं।
- पास के खेतों में ईंट पाथने वाले (पथेरे) ईंट पाथते रहते हैं।
- पथी हुई इंटों के सूख जाने पर गधों-खच्चरों या छोटी-छोटी बुगिगयों से उनको भद्ठे तक लाया जाता है।
- पकी हुई ईंटों को बाहर निकालने का काम भी चलता रहता है।
- ईंटें खरीदने वालों के ट्रैक्टर तथा भैंसा बुग्गी ईंटें भरकर ले जाते रहते हैं।
- इंधन के लिए लकड़ी या कोयले के ढेर लगे रहते हैं।
प्रश्न 2.
भट्ठा-मज़दूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर :
भट्ठा-मज़दूर अत्यंत निर्धन होते हैं। ठेकेदार इनको दूर-दूर से लाते हैं। ठेकेदार भट्ठे के पास ही इनके लिए इंटों की दड़बानुमा झोपड़ी डलवा देते हैं। ये दिहाड़ी मज़दूर नहीं होते, अपितु ठेके पर काम करते हैं। भट्ठा मालिक प्राय: दबंग होते हैं। वे इन मज़दूरों का पैसा रोककर रखते हैं। कम पैसा देना, तो आम बात है। सूबेसिह जैसे लोग इन मज़दरों की स्त्रियों या पुत्रियों का यौन शोषण भी करते हैं।
प्रश्न 3.
जाति प्रथा पर एक निखंध लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी शिक्षक के निर्देशन में स्वयं निबंध लिखें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 6 खानाबदोश
विषयवस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
मानो किसनी क्यों नहीं बनना चाहती थी?
उत्तर :
किसनी सूबेसिह के भट्ठे पर काम करती थी। वह उसके चंगुल में फँसकर उसकी बन चुकी थी। लोग उसके बारे में तरह-तरह की बातें करते थे। सूबेसिह के पैसों से उसका कायापलट हो चुका था। मानो को किसनी के तरीके ठीक नहीं लगते थे। वह अपना शरीर सूबेसिह या किसी अन्य को नहीं सौंपना चाहती थी। वह चरित्रवान महिला थी। वह अपने पति के सिवाय किसी के साथ नहीं रहना चाहती थी। अपने स्वाभिमान के कारण ही वह किसनी नहीं बनाना चाहती थी।
प्रश्न 2.
मानो की चीख क्यों निकली? उसकी चीख सुनकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए मानो दिन-रात एक करके काम कर रही थी। सूबेसिंह द्वारा परेशान करने पर भी उसका मनोबल नहीं टूटा था, परंतु जब मानो ने अपने दूवारा पाथी गई सभी ईटें टूटी हुई देखीं, तो उसकी चीख निकल गई। उसकी चीख सुनकर मज़दूर उधर आए। सुकिया की प्रतिक्रिया मानो जैसी ही थी। जसदेव ने तटस्थ भाव दिखाया। अन्य मज़दर भी तरह-तरह की अटकलें लगा रहे थे। वे जान-बूझकर ईटें तोड़ी जाने की बात कह रहे थे।
प्रश्न 3.
मुखतार सिंह की अनुपस्थिति में भद्ठे का काम किसने सँभाला? इससे क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
मालिक मुखतार सिंह की अनुपस्थिति में भट्ठे का काम उसके बेटे सूबेसिंह ने सँभाला। उसकी ग़रहाज़िरी में सूबेसिंह के रौब-दाब ने भट्ठे का माहौल ही बदल दिया। इन दिनों असगर ठेकेदार भीगी बिल्ली बन गया। दफ़्तर के बाहर एक अर्दली की ड्यूटी लग गई, जो कुर्सी पर उकडू बैठकर दिन-भर बीड़ी पीता रहता था तथा आने-जाने वालों पर निगरानी रखता था। उसकी इज़ाज़त के बगैर कोई अंदर नहीं जा सकता था। सूबेसिंह मज़दूरों की पत्लियों या बेटियों का शारीरिक शोषण करने की ताक में रहता था।
प्रश्न 4.
सूबेसिंह ने किसनी को क्या काम दिया? इससे किसनी के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर :
सूबेसिंह ने किसनी को दफ़्तर की सेवा-टहल का काम दे दिया। शुरू-शुरू में किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया। धीरे-धीरे वह गारे-मिट्टी का काम छोड़कर दफ़्तर में ही रहने लगी। धीरे-धीरे किसनी के पास वे सब सुविधाएँ हो गईं, जिनकी अन्य मज़दूर कल्पना भी नहीं करते थे। उसके पास साबुन तथा कपड़े-लत्ते की कमी नहीं रही। वह दफ़्तर में खिलखिलाती रहती थी। वह अपने पति महेश के दुख का कारण बनती जा रही थी। वह अन्य मज़दूरों की कानाफूसी का कारण भी बन गई थी। वह उस राह पर चल पड़ी थी, जहाँ से लौटना मुश्किल था।
प्रश्न 5.
असगर ठेकेदार को चुप क्यों रहना पड़ता था?
उत्तर :
असगर ठेकेदार जानता था कि सूबेसिंह शैतान है, लेकिन चुप रहना उसकी मजबूरी बन गई थी। ज़िदगी का खास हिस्सा उसने भट्ठे पर गुज़ारा था। भट्ठे से अलग उसका कोई वजूद ही नहीं था। वह सूबेसिंह की किसी बात का प्रतिरोध करने की स्थिति में नहीं था।
प्रश्न 6.
जसदेव की पिटाई के बाद सुकिया क्या सोच रहा था?
उत्तर :
सुकिया भी चुपचाप लेटा हुआ था। उसकी भी नींद उड़ चुकी थी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे, जिन हालातों में गाँव छोड़ा था, वे ही फिर सामने खड़े थे। आखिर जाए भी तो कहाँ? सूबेसिह से पार पाना आसान नहीं था। सुनसान जगह है, कभी भी हमला कर सकता है। या फिर मानो को …. विचार आते ही वह काँप गया था। उसने करवट बदली। इसी चिंता में नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।
प्रश्न 7.
सूबेसिंह की पिटाई से घायल जसदेव ने क्या तय किया? अगले दिन ठेकेदार असगर ने उसे क्या सलाह दी?
उत्तर :
सूबेसिंह की पिटाई से घायल एवं बुखार से पीड़ित जसदेव ने भी पूरी रात जागकर काटी। सूबेसिंह का गुस्सैल चेहरा बार-बार उसके सामने आकर दहशत पैदा कर रहा था। उसे लगने लगा था कि जैसे वह अचानक किसी षड्यंत्र में फँस गया है। उसे यह अंदाज़ा नहीं था कि सूबेसिंह मारपीट करेगा। ऐसी कल्पना भी उसे नहीं थी। वह डर गया था। उसने तय कर लिया था कि चाहे जो हो, वह इस पचड़े में नहीं पड़ेगा। सुबह होते ही वह असगर ठेकेदार से मिला। असगर ही उसे शहर से अपने साथ लाया था। जसदेव ने असगर ठेकेदार से अपने मन की बात कही। ठेकेदार ने उसे समझाया तथा बाकी मज़दूरों से दूर रहने को कहा।
प्रश्न 8.
चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-चिट से लेखक को क्या भान होता है?
उत्तर :
चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-चिट से लेखक को यह भान होता है कि सब कुछ अनिश्चित-सा है। चिट-चिट की ध्वनियाँ जैसे मन में पसरी दुर्शिचताओं और तकलीफ़ों की प्रतिध्वनियाँ हों। इनके द्वारा मन की चिंता प्रकट होती जान पड़ती थी।
प्रश्न 9.
सुकिया के मन में कौन-सी बात बैठ गई थी? वह चौधरी का उदाहरण किस संदर्भ में देता है?
उत्तर :
सुकिया के मन में यह बात बैठ गई थी कि यदि नरक की ज़िदगी से बाहर निकलना है, तो सब कुछ छोड़ना ही पड़ेगा। आदमी को कुछ पाने के लिए घर से बाहर कदम रखना ही पड़ता है। बाहर जाकर ही आदमी की औकात का पता चलता है। वह कहता है कि गाँव में कंधे पर लंबा लट्ठ लेकर चलने वाला चौधरी शहर में सरकारी अफ़सरों के सामने बूढ़ी बकरियों की तरह मिमियाता है। वह गाँव में किसी गरीब को आदमी ही नहीं समझता है।
प्रश्न 10.
भद्ठे की ज़िदगी का चित्रण कीजिए।
उत्तर :
भट्ठे की ज़िदगी एक बँधे-बँधाए ढरें पर चलती थी। वहाँ दिनभर ईंट बनाने (पाथने) का काम चलता रहता था। दिन भर की गहमा-गहमी के बाद रात को भट्ठा अँधेरे की गोद में समा जाता था। सभी मज़दूर जब अपनी दड़बेनुमा झोंपड़ी में घुस जाते थे, तब औरतें चूल्हा-चौका सँभाल लेती थीं। लोग रोटी के साथ गुड़ या लाल मिर्च की चटनी ही खाते थे। दाल-सब्ज़ी कभी-कभार ही बनती थी।
प्रश्न 11.
‘खानाबदोश’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी का शीर्षक पूरी तरह सार्थक है। इस कहानी के प्रमुख पात्र मानो और सुकिया खानाबदोश जीवन बिताते हैं। वे इस भट्ठे पर काम करने आए थे। यहाँ का ढर्रा उन्हें रास नहीं आया। अतः कहानी के अंत में वे दुबारा खानाबदोश बन जाते हैं। वे अगले पड़ाव की तलाश में एक दिशाहीन यात्रा पर चल पड़ते हैं। यह शीर्षक कहानी की मूल भावना को भली प्रकार स्पष्ट करता है। अत: ‘खानाबदोश’ शीर्षक सर्वथा उचित है।
प्रश्न 12.
भट्ठे की पकी ईंटों को देखकर मानो के हुदय में कौन-सी आकांक्षा ने जन्म लिया?
उत्तर :
भट्ठे की पकी ईंटों को देखकर मानो बहुत खुश थी। खुद के हाथ की पथी ईंटों का रंग बदला देखकर उसके मन में बिजली की तरह एक खयाल कौंधा, उसने सुकिया से मकान में लगने वाली ईंटों के विषय में पूछा। उसके मन में लाल-लाल ईंटें घूम रही थीं। इन ईंटों से बना हुआ एक छोटा-सा मकान उसके जेहन में बस गया था। वह दिन-रात एक करके किसी तरह अपना मकान बनाकर अपनी आकांक्षा पूरी करने का सपना देखने लगी थी।
प्रश्न 13.
सूबेसिंह ने जसदेव को क्यों मारा?
उत्तर :
सूबेसिंह भट्ठा मालिक मुखतार सिंह का अय्याश बेटा था। वह मज़दूरों के साथ बदसलूकी करता था। उसने किसनी, जो भट्ठे पर मज़दूरी करती थी, को अपनी बना लिया। अब उसकी नज़र मानो पर थी। उसने ठेकेदार असगर को मानो को बुलाने के लिए भेजा, परंतु उसके साथ जसदेव चला गया। जसदेव के जाने से सूबेसिंह की इच्छा (मानो का शारीरिक शोषण) पूरी नहीं हो पाई, इसलिए उसने जसदेव को पीटा।
प्रश्न 14.
मानो के दिलो-दिमाग पर ईंटों का लाल रंग क्यों छा गया था?
उत्तर :
मानो ने भट्ठे से निकली लाल ईंटों को पहली बार देखा था। उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मिट्टी का ऐसा रंग निखरकर निकलेगा। लाल-लाल पकी ईंटों को देखकर उसकी खुशी की इंतहा नहीं थी। उसके मन में अपना घर बनाने का विचार बिजली की तरह कौंधा। यह खयाल आते ही उसके भीतर एक साथ कई भट्ठे जल उठे। वह बेचैन हो गई। उसका मन ईंटों के लाल रंग में उलझकर रह गया।
प्रश्न 15.
‘खानाबदोश’ कहानी की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने मज़दूरी करके किसी तरह गुज़र-बसर कर रहे मज़दूर वर्ग के शोषण तथा यातना को चित्रित किया है। यदि मज़दूर इज्ज़त के साथ जीना चाहे, तो सूबेसिंह जैसे व्यक्ति उसे जीने नहीं देते। समाज में फैली जातिवाद की भावना से भी मज़दूर उबर नहीं पाया है। प्रस्तुत कहानी में ज़मीन से उखड़े हुए लोगों की व्यथा को बताया गया है। ऐसे लोग शोषण-चक्र में फँस जाते हैं। वे आजीवन खानाबदोशों जैसा जीवन जीने को विवश होकर रह जाते हैं।
प्रश्न 16.
‘ईंटों को जोड़कर बनाए चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-चिट जैसे मन में पसरी दुश्चिताओं और तकलीफ़ों की प्रतिध्वनियाँ थीं, जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।’-यह वाक्य मानो की किस मनोस्थिति को उजागर करता है ?
उत्तर :
यह वाक्य मानो के मन की अनिश्चित मनोदशा को उजागर करता है। मानो का जीवन अनिश्चित है। उसमें दुख व तकलीफ़ है। उसका स्थायी आवास नहीं है। वह अपने दुखों के बारे में सोचती रहती है। ये बातें उसके मन में ही रहती हैं, बाहर निकलकर नहीं आ पातीं।
प्रश्न 17.
‘खुद के हाथों पकी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में बिजली की तरह एक खयाल कौंधा था।’-वह क्या खयाल था जो मानो के मन में बिजली की तरह कौंधा? इस संदर्भ में सुकिया के साथ उसके वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मानो के मन में विचार कौंधा कि वे भी इसी तरह की लाल-लाल ईंटों से अपना मकान बनाएँगी। सुकिया से वह इस तरह की बातें करती है :
- मानो – एक घर में कितनी ईंें लग जाती हैं?
- सुकिया – बहुत ईंटें लगती हैं। लोहा, सीमेंट, लकड़ी, रेत अलग से।
- मानो – क्या हम इन पक्की ईंटों से मकान नहीं बना सकते?
- सुकिया – पक्की ईंटों का घर दो-चार रुपये में नहीं बनता। इसमें बहुत रुपया लगता है।
- मानो – क्या अपने लिए हम ईटें नहीं बना सकते?
- सुकिया – ये ईंटे भट्ठा मालिक की हैं। इन पर हमारा हक नहीं है।
- मानो – हम हर महीने कुछ और बचत करें, ज़्यादा इंटें बनाएँ, तब भी अपना घर नहीं बना सकते?
- सुकिया – हमारी मज़दूरी बहुत कम है। घर बनाने लायक रुपया जोड़ते-जोड़ते उम्र निकल जाएगी।
- मानो – हम रात-दिन काम करेंगे।
प्रश्न 18.
‘सुकिया ने मानो की आँखों से बहते तेज़ अंधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज़ उसके कानों को फाड़ रही थी।’-प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ बताते हुए आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संदर्भ-सूबेसिंह मानो को हथियाना चाहता था। वह उसे अपना बनाने की इच्छा रखता था। इसके लिए उसने तरह-तरह के तरीकों का इस्तेमाल किया। उसने मानो द्वारा जी-जान से पाथी गई ईंटों को तहस-नहस करवा दिया। यह दृश्य मानो के सामने टूटे सपने की तरह बिखरा था। आशय-ईंटों के पकने पर मिलने वाली मज़दूरी पर ही मानो के सपने टिके थे। कच्ची ईंटों के नष्ट कर दिए जाने से उसके सपने भी ईंट की तरह टूटकर बिखर गए। इस टूटन को वह अब भी सुन रही थी। अर्थात् दुख महसूस कर रही थी।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो ……. मेरी खातिर पिटे …… फिर यह बामन म्हारे बीच कहाँ से आ गया …. ?
(ख) सपनों के काँच उसकी आँख में किरकिरा रहे थे।
उत्तर :
(क) यहाँ मानो ने जाति-व्यवस्था पर करारा आघात किया है। जसदेव ब्राह्मण होते हुए भी मज़दूर है। वह दिन-रात चमारों के साथ काम करता है। मानो की रक्षा हेतु वह पिटता है। फिर खाना खाने के नाम पर वह खुद को ब्राह्मण मानता है। मानो इसे गलत बताती है।
(ख) मानो घर बनाने का सपना देख रही थी। पति-पत्नी दोनों मिलकर रात-दिन काम करते थे। उनके सपने को समाज ने तोड़ दिया। उनकी बनाई ईटें रात में किसी ने तोड़ दीं। ये टूटी ईंटें उसके टूटे सपने के ही टुकड़े तथा चूरे थे, जो उसे व्यथित कर रहे थे।
प्रश्न 20.
नीचे दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए –
“भट्ठे से उठते काले धुएँ ने आकाश तले एक काली चादर फैला दी थी। सब कुछ छोड़कर मानो और सुकिया चल पड़े थे। एक खानाबदोश की तरह, जिन्हें एक घर चाहिए था, रहने के लिए। पीछे छूट गए थे, कुछ बेतरतीब पल, पसीने के अक्स जो कभी इतिहास नहीं बन सकेंगे। खानाबदोश ज़िंदगी का एक पड़ाव था, यह भट्ठा।
उत्तर :
‘सप्रसंग व्याख्या’ का गद्यांश-6 देखिए।