Students can access the CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions and marking scheme Set 8 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 8 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
(i) निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
(ii) इस प्रश्न पत्र में खंड “अ’ में वस्तुपरक तथा खंड “ब में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
(iii) खंड “अ’” में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
(iv) खंड “ब” में वर्णनात्मक ग्रएन पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
(v) दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(vi) यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्त क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (10 × 1 = 10)
बीसर्वी शताब्दी में भारत ने ब्रिटिश साम्राज़्यवादी उप निवेशवादी व्यवस्था को अपने ऊपर से उतार फेंका। महात्मा गांधी की प्रेरणा से भारतीय जनता ने एक नए ढंग का संघर्ष कर अपनी स्वाधीनता प्राप्त की। गांधीजी ने राजनीतिक संघर्ष के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष को भी स्वाधीनता संग्राम से जोड़ दिया। उनके लिए राजनीतिक और प्रशासनिक भेदभाव के खिलाफ़ लड़ना जितना महत्त्वपूर्ण था उतना ही महत्त्वपूर्ण था सामाजिक और धार्मिक ढाँचे के भीतर के भेदभाव के विरुद्ध खड़ा होना। अपनी ‘आत्मकथा’ में गांधीजी लिखते हैं-“ऐसे व्यापक सत्यनारायण के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए प्राणीमात्र के प्रति आत्मवत् प्रेम की भारी ज़रूरत है। इस सत्य को पाने की इच्छा करने वाला मनुष्य जीवन के एक भी क्षेत्र से बाहर नहीं रह सकता। यही कारण है कि मेरी सत्य-पूजा मुझे राजनीतिक क्षेत्र में घसीट ले गई। जो कहते हैं कि राजनीति से धर्म का कोई सम्बन्ध नहीं है, मैं निस्संकोच होकर कहता हूँ कि ये धर्म को नहीं जानते और मेरा विश्वास है कि यह बात कह कर मैं किसी तरह विनय की सीमा को लाँघ नहीं रहा हूँ।” आज राजनीति को धर्म से अलग मानने वालों को गांधीजी की यह बात ज़रूर सुननी चाहिए। अपने इसी विश्वास के कारण गांधीजी ने सामाजिक और धार्मिक ढाँचे के भीतर समानता के संघर्ष को प्रमुखता से आगे बढ़ाया क्योंकि वे जानते थे कि केवल राजनीतिक मुक्ति से उनके सपनों का भारत नहीं बनेगा। उनका मानना था कि करोड़ों बंचितों की सामाजिक-आर्थिक मुक्ति ही स्वाधीन भारत की पहचान होनी चाहिए।
1. जो लोग राजनीति से धर्म का संबंध नहीं मानते वे धर्म को नहीं जानते। कथन है-
(क) महात्मा गांधी।
(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
(ग) लाला लाजपत राय।
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले।
उत्तर:
(क) महात्मा गांधी।
2. स्वाधीनता की व्यापक पहचान निहित है-
(क) राजनीतिक मुक्ति में ।
(ख) सामाजिक मुक्ति में।
(गं) आर्थिक व सांस्कृतिक संदर्भों की मुक्ति में।
(घ) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर:
(ख) सामाजिक मुक्ति में।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) सत्यनारायण के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
कथन (II) रामराज्य के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
कथन (III) स्वतंत्रता के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
कथन (IV) निरंकुशता के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(क) केवल कथन (IV) सही है।
(ख) केवल कथन (II) सही है।
(ग) केवल कथन (III) सही है।
(घ) केवल कथन (I) सही है।
उत्तर:
(घ) केवल कथन (I) सही है।
4. “वे जानते थे कि केवल राजनीतिक मुक्ति से उनके सपनों का भारत नहीं बनेगा’ में रचना के आधार पर वाक्य का भेद बताइए।
(क) सरल वाक्य।
(ख) विधानवाचक वाक्य।
(ग) मिश्र वाक््य।
(घ) संयुक्त वाक्य।
उत्तर:
(ग) मिश्र वाक््य।
5. गांधीजी का मानना था कि केवल राजनीतिक मुक्ति से …………….. नहीं बनेगा।
(क) लोकतंत्र।
(ख) संविधान।
(ग) पूर्ण स्वराज्य।
(घ) सपनों का भारत।
उत्तर:
(घ) सपनों का भारत।
व्याख्या-गांधीजी का मानना था कि केवल राजनीतिक मुक्ति से ही उनके सपनों का भारत नहीं बनेगा क्योंकि भारत का सामाजिक और धार्मिक ढाँचा उस समय सुदृढ़ न था।
6. अहिंसा आन्दोलन का सिद्धांत भारतीयों को निम्न में से किसने दिया?
(क) जवाहर लाल नेहरू।
(ख) सुभाष चंद्र बोस।
(ग) महात्मा गांधी।
(घ) लोकमान्य तिलक।
उत्तर:
(ग) महात्मा गांधी।
7. गांधीजी ने प्राणीमात्र के प्रति कैसे व्यवहार को आवश्यक माना?
(क) मित्रवत्।
(ख) आत्मवतू।
(ग) शत्रु के समान।
(घ) सहपाठी के समान।
उत्तर:
(ख) आत्मवतू।
व्याख्या-गांधीजी ने प्राणीमात्र के प्रति आत्मवत् प्रेम के व्यवहार को आवश्यक माना है क्योंकि व्यापक सत्यनारायण के प्रत्यक्ष दर्शन केवल प्राणीमात्र के प्रति आत्मवत् प्रेम द्वारा ही किए जा सकते हैं।
8. गांधीजी की सत्य-पूजा उन्हें कहाँ घसीट लाई थी?
(क) भारत में।
(ख) राजनीति में।
(ग) समाज-सुधार में।
(घ) देवालयों में।
उत्तर:
(ख) राजनीति में।
9. “प्रति! उपसर्ग से बना शब्द है-
(क) प्रत्यक्ष।
(ख) प्रत्येक।
(ग) प्रतिदिन।
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(घ) ये सभी।
10. बीसवीं शताब्दी में भारत में सबसे बड़ी घटना कौन-सी हुई ?
(क) भूस्खलन
(ख) बाढ़
(ग) स्वतंत्रता प्राप्त
(घ) भूकम्प।
उत्तर:
(क) भूस्खलन
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
1. समाज किन लोगों को भुला चुका है ?
(क) देश की स्वतंत्रता के लिए, समाज की भलाई के लिए प्राणों को दाँव पर लगाने वालों को।
(ख) समाज में खूब धन कमाने वालों को।
(ग) वीर, प्रतापी राजाओं को।
(घ) माता-पिता का आदर-सम्मान करने वालों को।
उत्तर:
(क) देश की स्वतंत्रता के लिए, समाज की भलाई के लिए प्राणों को दाँव पर लगाने वालों को।
2. कविने यहाँ किन लोगों को प्रणाम किया है ?
(क) सफ़ल लोगों को।
(ख) निराशा से भरे लोगों को।
(ग) असफ़ल परंतु कर्मशील लोगों को।
(घ) दीन-हीन गरीब लोगों को।
उत्तर:
(ग) असफ़ल परंतु कर्मशील लोगों को।
व्याख्या-कवि कर्मशील लोगों को प्रणाम करता है जो नई खोजों तथा बड़े परिवर्तन का साहस भरते हैं चाहे वह कर्म को पूरा करने में असफ़ल ही क्यों न हों।
3. ‘हिम समाधि’ से अभिप्राय है-
(क) बर्फ़ पर बैठ कर तपस्या करना।
(ख) बर्फ में जम जाना।
(ग) अपनी जान गँवाना।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) अपनी जान गँवाना।
4. उपरोक्त काव्यांश में कवि ने नौका पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) नौका से सागर पार करना, गलत प्रयासों की सीख देती है।
कथन (II) नौका से सागर पार करना, बड़ी नाव लेने का संदेश देती है।
कथन (III) नौका नई खोज और बड़े परिवर्तन करने की कोशिश करती है।
कथन (IV) नौका केवल यमुना को पार करने के लिए होती है।
निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कीजिए तथा सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क) केवल कथन (I) सही है।
(ख) केवल कथन (III) सही है।
(ग) केवल कथन (IV) सही है।
(घ) केवल कथन (II) सही है।
उत्तर:
(ख) केवल कथन (III) सही है।
5. कॉलम (1) को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1 | नीचे उतरे | i | कुछ असफ़ल ही |
2 | रिक्त-तूणीर हुए | ii | वीर |
3 | आगे बढ़े | iii | उच्चशिख की ओअआ |
विकल्प
(क) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(ख) (1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
(ग) (1)-(ii), (2)-(i), (3)-(iii)
(घ) (1)-(iii), (2)-(i), (3)-(ii)
उत्तर:
(क) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
अभिव्यक्ति और माध्यम अंक (5)
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
1. घटनास्थल से फ़ोन करके किसी घटना की सूचना देना कौन-सी पत्रकारिता है ?
(क) वॉयस ओवर
(ख) फ़ोन इन
(ग) इंटरनेट
(घ) रेडियो
उत्तर:
(ख) फ़ोन इन
व्याख्या-एंकर द्वारा रिपोर्टर से फ़ोन पर बात कर सूचना दर्शकों तक पहुँचाना फ़ोन इन कहलाता है।
2. समाचारों का स्रोत है-
(क) व्यक्तिगत संवाददाता द्वारा
(ख) समाचार ब्यूरो द्वारा
(ग) समाचार प्रदाता एजेंसी द्वारा
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-व्यक्तिगत संवाददाता, समाचार ब्यूरो व विभिन्न समाचार एजेंसियों द्वारा दी गई सूचनाएँ ही समाचार का ग्रोत हैं।
3. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्यों माना जाता है ?
(क) जनता की आवाज़ सरकार तक पहुँचती है।
(ख) सरकार की नीतियों की जानकारी जनता तक पहुँचती है।
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) जनता की आवाज़ सरकार तक पहुँचती है।
4. बाचडॉग पत्रकारिता है-
(क) सरकार के कामकाज पर निगाह रखने वाली
(ख) गड़बड़ी का पर्दाफ़ाश करने वाली
(ग) सरकार की कमी को जनता के समक्ष लाने वाली
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-जब मीडिया सरकार के कामकाज पर निगाह रख कर होने वाली गड़बड़ी का पर्दाफ़ाश कर जनता के समक्ष लाती है तो ऐसी पत्रकारिता को वॉचडॉग पत्रकारिता कहते हैं।
5. भारत का पहला समाचार पत्र कौन-सा प्रकाशित हुआ ?
(क) उदंत मार्तड
(ख) हिन्दुस्तान
(ग) पंजाब केसरी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) उदंत मार्तड
व्याख्या-भारत का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तड था जो 30 मई 1826 में प्रकाशित हुआ।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 अंक (10)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!
हारकर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह टोंक दिया।
ऊपर से ठीक-ठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत!
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देख कर पूछा-
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा ?
1. “बात की चूड़ी मर जाने से’ क्या तात्पर्य है?
(क) बात की चूड़ी को तोड़ देना
(ख) बात का प्रभाव खत्म हो जाना
(ग) बात की चूड़ी ढीली पड़ जाना
(घ) बात ही न करना।
उत्तर:
(ख) बात का प्रभाव खत्म हो जाना
व्याख्या-‘ बात की चूड़ी मर जाने ‘ का अर्थ है बात का प्रभाव समाप्त हो जाना। जिस प्रकार ज़ोर जबरदस्ती से पेंच की चूड़ी मर जाती है अर्थात् ख़राब हो जाती है, उसी प्रकार भाषा तोड़-मरोड़ कर, बनावटी ढंग से रखने पर वह अधिक कस जाती है और बात की चूड़ी मर जाती है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए पद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए।
(क) बात के कसाव से कवि का अभिप्राय बात का अवांछित प्रभाव डालना है।
(ख) बात के कसाव से कवि का अभिप्राय बात का वांछित प्रभाव डालना है।
(ग) बात के कसाव से कवि का अभिप्राय बात का समाप्त हो जाना है।
(घ) बात के कसाव से कवि का अभिप्राय बात के साथ ज़ोर-जबरदस्ती करना है।
उत्तर:
(ख) बात के कसाव से कवि का अभिप्राय बात का वांछित प्रभाव डालना है।
व्याख्या-बात में जब कसाब और ताक़त हो तो वह वांछित प्रभाव डालती है और बात सरल व सहज बन जाती है।
3. कवि ने बात को शरारती बच्चा क्यों कहा है? ॥।
(क) क्योंकि बच्चा बहुत शरारतें कर रहा था
(ख) बात उछल-कूद मचा रही थी
(ग) जैसे बच्चे की शरारत किसी को भी परेशान कर देती है, उसी प्रकार कवि को बात के लिए उपयुक्त शब्द न मिलने से कवि परेशान था
(घ) बात कवि को तंग कर रही थी।
उत्तर:
(ग) जैसे बच्चे की शरारत किसी को भी परेशान कर देती है, उसी प्रकार कवि को बात के लिए उपयुक्त शब्द न मिलने से कवि परेशान था
व्याख्या-बात एक शरारती बच्चे की तरह होती है क्योंकि शरारती बच्चे के खेल जिस प्रकार किसी को भी परेशान कर देते हैं उसी प्रकार शब्दों की क्रीड़ा भी कवि को परेशान कर देती है क्योंकि वह बात के लिए उपयुक्त शब्दों का चुनाव नहीं कर पा रहा था।
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): हारकर कवि ने बात को ठोंक दिया। ह
कारण (R): कवि ने उस बात को कील की तरह ठोंका।
विकल्प
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दानों गलत हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ग) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
व्याख्या-कवि ने हारकर बात को कील की तरह ठोंक दिया क्योंकि भाषा के अधिक कसाव से बात की चूड़ी मर गई थी और वह भाषा में बेकार घूमने लगी थी। इसी कारण कवि को बात को ठोंकना पड़ गया था।
5. बात ने कवि से क्या पूछा?
(क) क्या कवि ने बात को सहूलियत अर्थात् सरलता व सहजता से प्रयोग करना नहीं सीखा
(ख) क्या भाषा में क्लिष्टता आवश्यक है
(ग) क्या बात में अभिव्यक्ति की कमी है
(घ) क्या कवि बात कहने में अक्षम या अयोग्य है।
उत्तर:
(क) क्या कवि ने बात को सहूलियत अर्थात् सरलता व सहजता से प्रयोग करना नहीं सीखा
व्याख्या-बात ने कवि से पूछा कि क्या कवि बात को सरल वह सहज तरीक़े से प्रकट नहीं कर सकता। वह बात को क्यों अनावश्यक तरीक़े से कसना चाहता था अर्थात् बात को क्यों घुमा-फिराकर कहना चाहता है जिससे बात प्रभावी ही न बन पाए।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (5 × 1 = 5)
लेकिन इस बार मैंने साफ़ इंकार कर दिया। नहीं फ़ेंकना है मुझे बाल्टी भर-भरकर पानी इस गंदी मेंढक-मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले गईं तो उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को उन्होंने लड्डू-मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया, मुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले तो वे तमतमाईं, लेकिन ज़्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रह गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, “देख भइया, रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे ?” मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं । “तू इसे पानी की बर्बादी समझता है, पर यह बर्बादी नहीं है। पानी का अर्ध्य चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे ? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।”
1. लेखक ने किस बात से इंकार कर दिया?
(क) मठरी खाने से
(ख) मेंढक मंडली पर पानी फेंकने से
(ग) जीजी से बात करने से
(घ) घर जाने से।
उत्तर:
(ख) मेंढक मंडली पर पानी फेंकने से
व्याख्या-लेखक मेंढक मंडली पर पानी फेंकने को अंधविश्वास तथा पानी की बर्बादी मानता है।
2. मेंढक मंडली का दूसरा नाम क्या था ?
(क) दादुर सेना
(ख) इंदर मंडली
(ग) इंदर सेना
(घ) मेंढक टोली।
उत्तर:
(ग) इंदर सेना
व्याख्या-कुछ लोग उन बच्चों के नग्नस्वरूप शरीर, उनकी उछलकूद व शोरशराबे से और उनके द्वारा गली में होने वाली कीचड़ से चिढ़ते थे। वे लोग तो उन्हें मेंढक मंडली कहकर बुलाते थे। लेकिन उनकी आगवानी करने वाले लोग उन्हें इंदर सेना कहकर बुलाते थे।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए।
(क) लेखक जिद्दी था इसलिए उसने पानी फेंकने से इंकार किया।
(ख) लेखक पानी फेंकने को अन्धविश्वास मानता था।
(ग) लेखक जीजी से गुस्सा था, इसलिए पानी फ्रेंकने से इंकार किया।
(घ) लेखक इंदर सेना में शामिल होना चाहता था।
उत्तर:
(ख) लेखक पानी फेंकने को अन्धविश्वास मानता था।
व्याख्या- लेखक आर्यसमाजी तथा समाज सुधार सभा का उपमंत्री था। अत: वह मेंढक मंडली पर पानी फेंकने को अंधविश्वास मानता था।
4. कॉलम (1) को कॉलम (2) से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1 | पानी नहीं देंगे | i | इन्द्र भगवान |
2 | दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया | ii | ऋषि-मुनियों ने |
3 | डगमगा रहे थे | iii | उनके बूढ़े पाँव |
विकल्प
(क) (1)-(iii), (2)-(ii), (3)-(i)
(ख) ((1)-(ii), (2)-(iii), (3)-(i)
(ग) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
(घ) (1)-(iii), (2)-(i), (3)-(ii)
उत्तर:
(ग) (1)-(i), (2)-(ii), (3)-(iii)
5. जीजी पानी फेंकने को कया बताती हैं ?
(क) अर्घ्य
(ख) बर्बादी
(ग) संचयन
(घ) छिड़काव।
उत्तर:
(क) अर्घ्य
व्याख्या-जीजी पानी फेंकने को इंद्र भगवान को अर्ध्य देना मानती हैं। वह समझती हैं कि उनके दिए हुए पानी के अर्ध्य (त्याग) से ही वर्षा होगी।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 अंक (10)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (10 × 1 = 10)
1. शरारती बच्चे ने लेखक का गमछा कहाँ रख दिया ?
(क) मास्टर की टेबल पर
(ख) पेड़ की डाल पर
(ग) पानी की टंकी पर
(घ) कक्षा के दरवाजे पर
उत्तर:
(क) मास्टर की टेबल पर
व्याख्या-शरारती बच्चे ने लेखक से उसका गमछा लेकर पहले तो अपने सिर पर पहना, फिर मास्टर जी की नकल करते हुए, गमछा उतारकर मास्टर की टेबल पर रख दिया।
2. लेखक ने पाठशाला जाने के लिए माँ से क्या सामान मँगवाया ?
(क) नया बस्ता
(ख) जूते
(ग) दो नाड़ेवाली चड्डी
(घ) कमीज
उत्तर:
(ग) दो नाड़ेवाली चड्डी
व्याख्या-पाठशाला में बच्चों की धोती खींचने के डर से लेखक ने पाठशाला जाने के लिए माँ से दो नाड़े वाली चड्डी मँगवाई।
3. किस अध्यापक से कक्षा के बच्चे डरते थे ?
(क) रणनवरे
(ख) मंत्री
(ग) चहवाण
(घ) देसाई
उत्तर:
(ख) मंत्री
व्याख्या-मन्त्री नामक अध्यापक गणित पढ़ाते थे और वे छड़ी का प्रयोग न कर हाथ से गर्दन पकड़ पीठ पर ज़ोर से घूँसा लगाते थे। पीठ पर घूँसा पड़ते ही कोई भी लड़का हूक भरने लगता। कक्षा के सभी बच्चे उनसे डरते थे।
4. निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): चड्ढा ने यशोधर बाबू से वैडिंग एनिवर्सरी की पार्टी के लिए कहा
कारण (R): वैडिंग एनिवर्सरी की पार्टी के लिए चड्ढा ने यशोधर बाबू से 30 रुपए देने को कहा।
विकल्प
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
उत्तर:
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
व्याख्या-चडढ़ा ने यशोधर बाबू से वैडिंग एनिवर्सरी की पार्टी के लिए ₹ 30 देने को कहा।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग कार्बूजिए ने न्यूयॉर्क में किया।
कथन (II) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग कार्बूजिए ने कराची में किया।
कथन (III) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग कार्बूजिए ने पेरिस में किया।
कथन (IV) नगर-नियोजन शैली का प्रयोग कार्बूजिए ने चंडीगढ़ में किया।
सही कथन/कथनों वाले विकल्प को चयनित कर लिखिए-
(क) कथन II और पा सही हैं।
(ख) कथन III और II सही हैं।
(ग) केवल कथन II सही है।
(घ) केवल कथन IV सही है।
उत्तर:
(घ) केवल कथन IV सही है।
व्याख्या-मुअनजो-दड़ो में बने घरों के दरवाज़े मुख्य सड़कों की तरफ़ नहीं खुलते इसलिए माना जाता है कि 50 साल पहले काबुर्जिए ने “नगर-नियोजन’ की यही शैली चंडीगढ़ के लिए इस्तेमाल की। यहाँ भी किसी घर का दरवाजा मुख्य सड़क पर न खुलकर गलियों में ही खुलता है।
6. यशोधर बाबू दफ्तर में दी गईं चाय पार्टी में शामिल क्यों नहीं हुए?
(क) उन्हें देर हो रही थी।
(ख) उन्हें भूख नहीं थी।
(ग) किशन दा की परंपरा के विरुद्ध था
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) किशन दा की परंपरा के विरुद्ध था
व्याख्या-किशनदा की परम्परा के अनुसार मातहत लोगों के साथ चाय-पानी पीना और गप्पें लगाकर वक्त बर्बाद करना गलत है।
7. यशोधर बाबू घर से ऑफिस कैसे आते थे ?
(क) साइकिल से
(ख) स्कूटर से
(ग) कार से
(घ) पैदल
उत्तर:
(घ) पैदल
व्याख्या-यशोधर बाबू के आधुनिक बच्चे उन्हें साइकिल न चलाकर स्कूटर चलाने को कहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि साइकिल तो चपरासी चलाते हैं परन्तु यशोधर बाबू को स्कूटर निहायत बेहूदा सवारी मालूम होती थी अतः उन्हें पैदल चलना ही सही लगा।
8. सिंधु सभ्यता ………. पोषित थी-
(क) राज पोषित
(ख) धर्म पोषित
(ग) समाज पोषित
(घ) श्रमिक पोषित
उत्तर:
(ग) समाज पोषित
व्याख्या-खुदाई में मिले तत्त्तों के आधार पर कहा गया है कि सिंधु-सभ्यता समाज प्रधान थी। यहाँ किसी राजा या धर्म का प्रभाव नहीं था। इसके व्यक्तिगत न होकर सामूहिक होने के कारण सिंधु-सभ्यता को समाज पोषित कहा गया है।
9. सिंधु सभ्यता तकनीक-सिद्ध से ज़्यादा कला-सिद्ध थी। इस बात का प्रमाण है-
(क) धातु और पत्थर की मूर्तियाँ
(ख) सुनिर्मित मोहरें व उन पर बनी आकृतियाँ
(ग) सुघड़ अक्षरों का लिपि रूप
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
व्याख्या-सिंधु-घाटी के लोगों में कला का महत्त्व ज़्यादा था। वास्तुकला या नगर-नियोजन ही नहीं, धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, भाँडे-बर्तनों पर चित्रित मनुष्य, वनस्पति और पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने, आभूषण और सुघड़ अक्षरों का लिपिरूप सिंधु-सभ्यता को तकनीक-सिद्ध से ज़्यादा कला-सिद्ध होने का दावा करता है।
10. मुअनजो-दड़ो के अजायब घर की क्या खासियत है?
(क) सोने के गहनों का मिलना
(ख) पत्थर के औज़ार मिलना
(ग) माप-तौल के पत्थर मिलना
(घ) हथियारों का न मिलना
उत्तर:
(घ) हथियारों का न मिलना
व्याख्या-कई कलात्मक वस्तुओं के साथ अज़ायबघर की प्रदर्शित चीज़ों में कुछ औज़ार देखने को मिले परंतु यहाँ एक भी हथियार नहीं पाया जाना इसकी खास बात है।
जाह- ब॑वर्णनात्मक प्रश्न 40 अंक
‘जनसंचार और सृजनात्मक लेखन अंक (16)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)
(क) मंच पर प्रस्तुति
उत्तर:
मैं उस समय 10 वर्ष की थी। दूसरों को मंच से बोलते हुए सुनती तो रोमांचित हो उठती, लेकिन स्वयं कभी मंच पर जाकर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं होती थी। एक दिन मैंने बहुत हिम्मत करके अपने मन की बात अपनी कक्षा अध्यापिका से कही। उन्होंने तुरंत कार्यक्रम प्रतिभागियों की लिस्ट में मेरा नाम लिख लिया।
मेरी भाषा और उच्चारण दोनों ही स्पष्ट और प्रभावशाली होने के कारण, 26 जनवरी से कुछ दिन पूर्व मुझे कक्षा अध्यापिका ने बुलाया और 26 जनवरी का महत्त्व बताते हुए 10 मिनट का एक वक्तव्य तैयार करने को कहा। मैंने बड़ी मेहनत से एक सारगर्भित वक्तव्य तैयार कर उन्हें दिखाया और रोज उसे पढ़-पढ़कर बोलने का अभ्यास करने लगी।
26 जनवरी वाले दिन साफ़-सुथरे प्रेस किए हुए कपड़े, पॉलिश किए हुए जूते, नए मोजे, दो लाल रिबन लगाकर बनाई गई सुंदर चोटियों के साथ तैयार होकर बड़े ही उत्साह से मैं स्कूल पहुँची। उस दिन स्कूल का भवन बहुत ही सुंदर दिख रहा था। तीन रंगों की झंडियों से पूरा स्कूल सजाया गया था। झंडा रोहण तथा प्रार्थना के पश्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुए। कुछ प्रस्तुतियों के बाद मेरा नाम भी पुकारा गया। मेरा हृदय धक-धक कर रहा था। मैं धीरे-धीरे मंच पर आईं मैंने देखा, सब लोग मुझे ही देख रहे थे और मेरे बोलने को प्रतीक्षा कर रहे थे। पर वहाँ पर मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा था। मेरे हाथ-पैर काँपने लगे। मैंने कुछ बोलने का प्रयास किया किंतु ज़ुबान लड़खड़ा गई। मैंने घबराकर अपनी कक्षा अध्यापिका की ओर देखा। उन्होंने मुस्कुराकर मेरा हौसला बढ़ाने का प्रयास किया। फिर भी मैं सामान्य न हो सकी तो वे मंच पर आईं और मुझसे धीरे से कहा-‘किसी को मत देखो, सामने लगी हुई भारत-माता की तस्वीर को देखो और बोलना शुरू करो। तुम बहुत अच्छा बोलती हो, तुम्हें सब याद है।’ शाबाश! उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से मेरे लिए जोरदार तालियाँ बजाने का आग्रह किया। अब तक मैं सँभल चुकी थी। हाथ में दबा हुआ वक्तव्य का कागज चुपचाप एक निगाह देख चुकी थी। उसके बाद मैंने विश्वासपूर्वक एक निगाह वक्तव्य पर डाली और पूरा रटा-रटाया वक्तव्य बिना साँस लिए बोलती चली गई। वक्तव्य समाप्त होने पर सबने खूब तालियाँ बजाईं। मंच से उतरते ही मेरी कक्षा अध्यापिका ने अच्छी प्रस्तुति के लिए मुझे बधाई दी।
उस कार्यक्रम में मेरे उच्चारण और भाषा कौशल के लिए मुझे मुख्य अतिथि के द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। वह दिन मेरे लिए जीवन का यादगार दिन बन गया और हमेशा के लिए मंच पर प्रस्तुति देने की मेरी झिझक दूर हो गई।
(ख) नदी
उत्तर:
मेरा जन्म जिस स्थान पर हुआ वहाँ से थोड़ी दूर पर यमुना नदी बहती है अतः बचपन से ही मुझे नदी से बेहद लगाव रहा है। अपनी मित्र-मंडली के साथ मैं घंटों पानी में तरह-तरह के खेल खेलती रहती थी। थोड़ा बड़े होने पर उसी नदी में तैरना सीखा और समय-समय पर बोटिंग की । अनेक त्योहार, शादी-ब्याह, सभी शुभ कार्यों में यमुना नदी किसी-न-किसी रूप में जरूर सम्मिलित रहती, कभी यमुना जल की आवश्यकता, कभी घाट पूजने, कभी बाहर से आए अतिथियों को घुमाने या फिर कार्तिक-माघ स्नान करके भी मैंने यमुना नदी का भरपूर आनंद लिया। बाढ़ के दिनों में नदी के विकराल रूप को देखकर मैं और मेरी मित्र मंडली डर जाती। हम सब मिलकर प्रार्थना किया करते-हे यमुना मइया | शांत हो जाओ। अपने पुराने रूप में वापस आओ।
यमुना नदी बिल्कुल घर के सदस्य की तरह थी। उसके बिना जीवन अधूरा था। पढ़ने के लिए जब बाहर जाना पड़ा और वह स्थान छूटा तो यमुना नदी बहुत याद आती रही। जैसे ही छुट्टियों में घर आती, तुरंत नदी की ओर भागती।
धीरे-धीरे काल चक्र परिवर्तित होता गया और नदी किनारे होने वाले रीति-रिवाज, त्योहार, शुभ कार्य सब लुप्त होते चले गए। नदी भी पहले की अपेक्षा अधिक शांत, उथली और पतली हो चली। फिर भी मेरा मोह नहीं छूटा, मैं अभी भी जब अपने घर जाती हूँ, सबसे पहले नदी किनारे जा बैठती हूँ। मैं उससे बहुत बातें करती हूँ। मुझे उनके पास बैठना, जल को स्पर्श करना बहुत अच्छा लगता है। यद्यपि नदी की दिनोंदिन खराब होती सेहत से मैं बहुत दुःखी हूँ किंतु बहुत प्रयास के बाद भी बहुत सकारात्मक कार्य अब तक नहीं कर सको हूँ। मैं चाहती हूँ जो भी व्यक्ति नदी कौ साफ़-सफ़ाई और सुरक्षा का कार्य कर रहे हैं उन्हें सम्मानित किया जाए क्योंकि वे प्रशंसा के पात्र हैं। ऐसे व्यक्तियों से हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए तभी तो एक-न-एक दिन हम अपनी यमुना माँ को अपने पुराने रूप में देख सकेंगे।
(ग) जब मैं फेल हो गया
उत्तर:
उस समय मैं कक्षा 8 में पढ़ता था। मुझे अचानक ही पढ़ाई से अरुचि हो गई। मैं स्कूल से आता, खाना खाता और दोस्तों के पास खेलने के लिए भाग जाता। माँ पीछे से आवाज देती, रोकती तो उसे जल्दी ही वापस आने की बात कहकर टाल देता। वापस आता तो थकान के कारण खाना खाकर फिर सो जाता। सुबह स्कूल बैग उठाकर फिर स्कूल चला जाता। मैं अपनी पढ़ाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा हूँ, यह सभी देख रहे थे। धीरे-धीरे स्कूल में मेरे अध्यापक मुझसे नाराज रहने लगे, मुझे सजा भी मिलती पर मेरे ऊपर कोई असर न होता। मैं सोचता, अभी तो बहुत समय है। घर पर माँ ने भी मुझसे परेशान होकर पिताजी से शिकायत कर दी। मेरी पिटाई भी हुई पर मैं फिर भी नहीं सुधरा।
जब परीक्षाएँ पास आने लगीं तो मुझे डर सताने लगा। किंतु पढ़ाई कहाँ से और कैसे शुरू करूँ, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने बहुत समय से किताबों को खोला तक नहीं था। किसी भी नोट-बुक में मेरा काम पूरा नहीं था। जो भी पाठ खोलता नया-सा लगता। मैं घबराकर अपने मित्रों के पास गया किंतु सबने परीक्षा निकट होने के कारण साथ और समय न दे पाने के लिए क्षमा माँग ली।
पहाड़ जैसा पाठ्यक्रम परीक्षा समय में तैयार कर पाना मुश्किल था। मैं नहीं समझ पा रहा था कि क्या करूँ? घबराकर मैं कभी कोई विषय उठाता, कभी कोई।
धीरे-धीरे परीक्षा का दिन आ गया। मैं रात भर नहीं सो सका था, मन दुःखी और परेशान था। मैं धड़कते दिल से परीक्षा देने गया। परीक्षा भवन में प्रश्न-पत्र देखते ही मेरा सिर चकरा गया। मुझे किसी प्रश्न का उत्तर याद न था, जो थोड़ा-बहुत पढ़ा था, वह भी घबराहट के कारण याद नहीं आ रहा था। सभी साथी प्रश्न-पत्र हल कर रहे थे, मैं चुपचाप इधर-उधर देख रहा था, जिस कारण कक्ष निरीक्षक महोदय की डाँट भी खानी पड़ी। कहीं से किसी प्रकार की सहायता की उम्मीद न थी अंततः मैंने अपने आप कुछ भी लिखना शुरू कर दिया। हालाँकि मैं जानता था कि जो मैं लिख रहा हूँ वह गलत है। धीरे-धीरे सभी पेपर हो गए, लेकिन घर पर नाराजगी के कारण किसी ने मुझसे परीक्षा के बारे में कोई बात नहीं की, कोई सलाह नहीं दी और यह भी नहीं पूछा कि पेपर कैसा हुआ। कारण मैं जानता था। मुझे स्वयं पर शर्म आ रही थी। रह-रहकर क्रोध आ रहा था। पर अब पछताए होत का, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत। परीक्षा परिणाम आ गया, मैं सभी विषयों में फेल था। मेरे अध्यापक और मेरा परिवार सभी मुझसे नाराज थे। मैं बहुत रोया | बहुत ‘पछताया। बहुत हिम्मत जुटाकर मैंने अपने माता-पिता और अध्यापकों से क्षमा माँगी और आगे से ऐसी लापरवाही न करने का वादा किया। यह मेरी ज़िंदगी का अत्यंत महत्त्वपूर्ण सबक था, जो मैंने उम्र-भर के लिए सीख लिया था।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)
(i) नाटक में स्वीकार एवं अधिकार की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
नाटक में स्वीकार के स्थान पर अस्वीकार का अधिक महत्त्व होता है नाटक में स्वीकार तत्त्वों के आ जाने से नाटक सशक्त हो जाता है। कोई भी दो चरित्र जब आपस में मिलते हैं तो विचारों के आदान-प्रदान में टकराहट पैदा होना स्वाभाविक है। रंगमंच में कभी भी यथास्थिति को स्वीकार नहीं किया जाता। वर्तमान स्थिति के प्रति और संतुष्टि छटपटाहट प्रतिरोध और अधिकार जैसे नकारात्मक तत्त्वों के समावेश से ही नाटक सशक्त बनता है। यही कारण है कि हमारे नाटककारों को राम की अपेक्षा रावण और प्रहलाद की अपेक्षा कश्यप का चरित्र अधिक आकर्षित करता है। इसके विपरीत जब-जब किसी विचार व्यवस्था या तत्कालिक समस्या को किसी नाटक में सहज स्वीकार किया गया है वह नाटक अधिक सशक्त और लोगों के आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाया है।
अथवा
‘कहानी के महत्त्वपूर्ण घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
रोचकता, प्रभाव तथा वक्ता एवं श्रोता या कहानीकार एवं पाठक के बीच यथोचित सम्बद्धता बनाए रखने के लिए सभी प्रकार की कहानियों में निम्नलिखित घटक महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। कथावस्तु, पात्र चरित्र-चित्रण, कथोपकथन, देशकाल वातावरण, भाषा-शैली तथा उद्देश्य ।
(ii) रेडियो नाटक कौ विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का विशेष महत्त्व होता है। रेडियो नाटक की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- रेडियो नाटक में पात्रों से सम्बन्धित सभी जानकारियाँ संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ संवादों के द्वारा ही उजागर की जाती हैं।
- रेडियो नाटक का पूरा कथानक संवादों पर आधारित होता है।
- इसमें ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुँचाया जाता है।
- संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
- संवादों के द्वारा ही श्रोताओं को सन्देश दिया जाता है।
अथवा
मुद्रित माध्यम के लेखक को किस बात का ध्यान रखना पड़ता है?
उत्तर:
मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर कर दिया जाए क्योंकि एक बार प्रकाशन के बाद वह गलती या अशुद्धि वहीं चिपक जाएगी। उसे सुधारने के लिए अख़बार या पत्रिका के अगले अंक का इंतज़ार करना पड़ेगा। यही कारण है कि अखबार या पत्रिका में यथासंभव कोशिश की जाती है कि कोई गलती या अशुद्धि न छप जाए।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) पत्रकारिता, समाचार और संपादकीय में अन्तर बताइए।
उत्तर:
पत्रकारिता- ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचना, जिनमें अधिक-से-अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक-से-अधिक लोगों को प्रभावित करती हो, पत्रकारिता कहलाता है।
समाचार- समाचार किसी भी ताज़ा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसका लोगों पर प्रभाव पड़ता है।
संपादकीय- संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को जिसे संबंधित समाचार-पत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं।
(ii) विशेष रिपोर्ट पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में प्राय: विशेष रिपोर्ट दिखाई देती है, जो गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या का परिणाम होता है। इन्हें किसी विशेष समस्या, मुद्दे या घटना की छानबीन के बाद लिखा जाता है। यह लेखन-कार्य तथ्यों पर पूर्णतः आधारित होता है। खोजी रिपोर्ट, विश्लेषणात्मक रिपोर्ट और विवरणात्मक रिपोर्ट में विशेष तथ्यों को सामने लाया जाता है, जो पहले उपलब्ध नहीं थे। विशेष रिपोर्ट के लेखन में निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दिया जाता है, जो इस प्रकार हैं-
- विशेष प्रकार का लेखन कार्य उल्टा पिरामिड शैली में किया जाता है।
- कभी-कभी रिपोर्ट को फ़ीचर-शैली में भी लिखा जाता है।
- बहुत विस्तृत रिपोर्ट में उल्टा पिरामिड और फीचर शैली को कभी-कभी आपस में मिला लिया जाता है।
- कई बार लम्बी रिपोर्ट को श्रृंखलाबद्ध करके कई दिन छापा जाता है।
- रिपोर्ट की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की होती है।
(iii) आप अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर कौन-से छ: समाचार शीर्षक/सुर्खियाँ (हेडलाइन) देखना चाहेंगे? उन्हें लिखिए। .
उत्तर:
अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर निम्नलिखित ख़बरें होनी चाहिए।
- राजनीति-देश के नेता भ्रष्टाचार से बहुत दूर।
- समाज कल्याण-पूँजीपतियों ने जिम्मा उठाया अनाथ बच्चों के पालन-पोषण का।
- मानवीयता- आतंकवादी ने मौत के मुँह से बचाया एक बच्चे को।
- खेलकूद- भारत विश्व क्रिकेट कप के फाइनल में ।
- समाज की समस्याएँ-देश में बेरोजगारी की समस्या समाप्त।
- पर्यावरण-स्वच्छ होता वातावरण, दूर होता प्रदूषण।
‘पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 अंक (20)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) कविता “दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।’ का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
हरिवंश राय बच्चन ने इस गीत के माध्यम से दैनिक परिवर्तन के संदर्भ में प्राणियों के मनोभावों को व्यक्त करने का काव्यात्मक प्रयास किया है। किसी प्रिय से मिलने की आतुरता ही हमारे कदमों में तीव्रता लाती है और हमें गतिशील रखती है। लक्ष्य प्राप्ति हेतु तीव्रता से क्रियाशील रखती है। इस कविता में कवि ने प्रेम की व्याग्रता और जल्दी जाने की चाह को व्यक्त किया है। जहाँ एक ओर पथिक अपने प्रियजनों से मिलने के लिए जल्दी-जल्दी चलता है, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों के विषय में सोचकर पक्षियों के पंखों में फड़फड़ाहट भर जाती है।
(ii) “कविता के बहाने’ के आधार पर कविता के असीमित अस्तित्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता के बहाने” कविता में कवि ने कविता की कल्पना की उड़ान को सीमाहीन, बन्धनहीन बताया है, परन्तु चिड़िया की उड़ान सीमा के भीतर है जबकि कविता की उड़ान कल्पना के पंख लगाकर कहीं से कहीं पहुँच जाती है। चिड़िया तो एक घर से दूसरे घर, बाहर से भीतर या भीतर से बाहर ही उड़ान की सीमा में बँधी रहती है लेकिन कवि के मन में उत्पन्न होने वाले भावों की कोई सीमा नहीं होती है। भावों के पंख तो असीम दूरी तथा अनंत ऊँचाई तक उड़ान भर सकते हैं। कविता के द्वारा पंख लगाने का अर्थ किसी भी सीमा में न बँधना है। भला चिड़िया क्या जाने कविता की उड़ान में कितनी व्यापकता है।
(iii) “उषा’ कविता के आधार पर उस जादू को स्पष्ट कीजिए जो सूर्योदय के साथ टूट जाता है।
उत्तर:
उषा का जादू यह है कि उषा .. में अनेक रहस्यपूर्ण विचित्र स्थितियाँ प्रकट होती हैं। कभी पुती स्लेट, कभी गीला चौका, कभी शंख के समान आकाश, तो कभी नीले जल में झिलमिलाती देह का प्रतिबिंब-ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय होते ही आकाश साफ हो जाता है और उषा का जादू समाप्त हो जाता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए- (2 × 2 = 4)
(i) जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का सम्बन्ध कैसे बन सकता है?
उत्तर:
कवि कहता है कि बच्चे बिल्कुल कपास की भाँति ही होते हैं; जैसे कपास अपने छोटे रूप में कोमल और गूदेदार होता है, उसी प्रकार बच्चे भी कोमल स्वभाव के होते हैं। जब बच्चे पतंग को आसमान में पहुँचाने के लिए हवा में कूदते हैं तो पतंग के साथ-साथ खुद भी उड़ने का प्रयास करने लगते हैं। ऐसा प्रतीता होता है कि मानो बच्चे नहीं बल्कि कपास का टुकड़ा हवा में उड़ने का प्रयास कर रहा हो।
(ii) दूरदर्शन वाले किस अवसर की तलाश में रहते हैं ?
उत्तर:
दूरदर्शन वाले इस मौके की तलाश में रहते हैं कि उनके सवालों के सामने बैठा अपाहिज रो पड़े ताकि उनका कार्यक्रम रोचक बन सके। वह अपाहिज से इतने प्रश्न पूछते हैं कि वे अपाहिज उन प्रश्नों का उत्तर बिल्कुल भी नहीं दे पाते और वह चुप हो जाते हैं और जब वह चुप हो जाते हैं तभी यह मीडिया प्रवक्ता अपने कैमरामैन को निर्देश देते हुए कहते हैं कि इन विकलांगों की तस्वीर को हमारे स्क्रीन पर बहुत बड़ा-बड़ा करके दिखाओ और ऐसा करके वह उन लोगों का अपमान करते हैं, उनको जिल्लत देते हैं, उनका मज़ाक उड़ाते हैं।
(iii) “बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक-भवन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘ बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक-भवन इसलिए कहा गया है क्योंकि इन भवनों में शोषण के नए-नए तरीक़े खोजे जाते हैं। ये ऊँचे-ऊँचे भवन शोषण से लूटी गई सम्पत्ति का केन्द्र होते हैं। ये सारी उम्र गरीबों, किसानों तथा मजदूरों पर अत्याचार करते हैं तथा उनका शोषण करते हैं अत: उसके लिए पूँजीपतियों के रहने के मकान नहीं हैं ये आतंक भवन हैं जिनसे सारे अत्याचारों तथा शोषण का जन्म होता है। कवि आगे कहता है कि लेकिन यह भी स्मरणीय है कि क्रांति का आगाज हमेशा गरीबों में ही होता है। ये लोग ही शोषण का सबसे बड़ा शिकार होते हैं। कवि ने इन्हें जल प्लावन की संज्ञा दी है। वह कहता है कि क्रांति रूपी बारिश का पानी जब एकत्र होकर बहता है तो वह कीचड़ से युक्त पृथ्वी को डुबो देने का सामर्थ्य रखता है। कवि ने पूँजीपतियों को कीचड़ की संज्ञा दी है, जिसे क्रांति रूपी जल-प्लावन डुबो देता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) भक्तिन द्वारा अपना वास्तविक नाम छिपाने का क्या कारण था? उसे यह नाम किसने और क्यों दिया?
उत्तर:
भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। लक्ष्मी अपने नाम के अनुरूप संपन्न नहीं थी इसीलिए वह अपना नाम किसी को नहीं बताती, क्योंकि इस नाम का असर उसके जीवन में कहीं भी नहीं दिखाई देता। लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है और वह दीन-हीन व संपन्न थी अतः लोग उसके नाम का मज़ाक न बनाएँ, यह सोचकर वह सबसे अपना वास्तविक नाम छिपाती थी। उसे यह नाम उसके पिता ने दिया था, क्योंकि घर-परिवार में पुत्री के जन्म को लक्ष्मी का आगम (सूचक) माना जाता है।
(ii) भूमंडलीकरण के इस दौर में भगत जी जैसे लोग क्या प्रेरणा देते हैं? “बाज़ार दर्शन” के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भूमंडलीकरण के इस दौर में भगतजी जैसे लोग समाज के लिए प्रेरणाग्रोत के रूप में कार्य करते हैं। भगतजी ये प्रेरणा देते हैं कि बाज़ार के जादू से अप्रभावित रहें तथा व्यर्थ की प्रतिस्पर्धा में पड़कर अनावश्यक वस्तुओं की खरीददारी न करें। पर्चेजिंग पॉवर का प्रदर्शन करना छोड़ें । केवल वही चीजें खरीदें जो वास्तव में ज़रूरी हों और बाज़ार को सार्थकता प्रदान करें ।
(iii) डॉ. आम्बेडकर की कल्पना के आदर्श समाज की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
डॉ. आंबेडकर की कल्पना का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता अर्थात् भाईचारे पर आधारित है। उनके अनुसार ऐसे समाज में सभी के लिए एक जैसा मापदंड तथा उसकी रुचि के अनुसार कार्यों की उपलब्धता होनी चाहिए। सभी व्यक्तियों को समान अवसर व समान व्यवहार उपलब्ध होना चाहिए। उनके आदर्श समाज में जातीय भेदभाव का तो नामोनिशान ही नहीं है। इस समाज में करनी पर बल दिया गया है कथनी पर नहीं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के लगंभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(i) बाज़ार का बाज़ारूपन क्या है ? पाठ के आधार पर समझाइए।
उत्तर:
बाज़ार में जहाँ भाईचारा या पड़ोसीपन न होकर केवल ग्राहकों और विक्रेता का संबंध शेष होता है तथा सद्भाव, आग्रह तथा व्यवहार में कपट भाव रहता है उसे बाज़ारूपन कहते हैं।
(ii) हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार शिरीष एक अद्भुत अवधूत कैसे है?
उत्तर:
शिरीष एक अदभुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हज़रत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार कैसे उगा सकता था? अबवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं।
(iii) मनुष्य की कार्य-क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
मनुष्य का रंग-रूप, बनावट (कद-काठी ) , सामाजिक उत्तराधिकार और उसके प्रयास उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। जीवन का ऊँचा स्तर मनुष्य की कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। मनुष्य अपनी आय के अनुसार स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन तथा विलासिता पर व्यय करता है जो परोक्ष रूप से उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(i) यशोधर बाबू घर से ऑफ़िस कैसे आते थे ?
उत्तर:
यशोधर बाबू घर से ऑफिस पैदल आते थे। यशोधर बाबू के आधुनिक बच्चे उन्हें साइकिल न चलाकर स्कूटर चलाने को कहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि साइकिल तो चपरासी चलाते हैं परन्तु यशोधर बाबू को स्कूटर निहायत बेहूदा सवारी मालूम होती थी, अत: उन्हें पैदल चलना ही ज़्यादा सही लगता था।
(ii) कक्षा में बैठने पर लेखक का मन खटटा क्यों हो गया ?
अथवा
कुंड की खास बात क्या है?
उत्तर:
कक्षा में बैठने पर लेखक का मन खट्टा इसलिए हो गया क्योंकि लेखक के पिता ने पाँचवीं कक्षा में उसका स्कूल जाना बन्द करवा दिया था। फिर दत्ता जी राव के कहने पर डेढ़ वर्ष बाद वह फिर से स्कूल जाने लगा। तब तक वहाँ का सारा वातावरण बदल चुका था। उसके साथी अगली कक्षा में जा चुके थे। उसकी कक्षा के सभी बच्चे उससे कम उम्र के थे और कुछ मन्द बुद्धि थे।