Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 6 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Term 2 Set 6 with Solutions
समय: 2 घंटे
पूर्णांकः 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड – ‘क’
(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए – (2 x 2 = 4)
(क) वज़ीर अली से सिपाही क्यों तंग आ चुके थे?
उत्तरः
वज़ीर अली से सिपाही इसलिए तंग आ चुके थे क्योंकि वे लोग लंबे समय से जंगल में डेरा डाले हुए थे, पर वज़ीर अली उनकी पकड़ में नहीं आ रहा था। वह सबकी आँखों में धूल झोंककर उन्हीं जंगलों में रह रहा था। वह अपनी सूझ-बूझ से किसी के भी
हाथ नहीं आ रहा था।
(ख) जापान के लोगों में जीवन की रफ्तार क्यों बढ़ गई है?
उत्तरः
जापान के लोगों में जीवन की रफ्तार अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के कारण बढ़ गई है। वे उनसे आगे निकलना चाहते हैं।
(ग) ‘कर चले हम फिदा’ पाठ के आधार पर बताइए कि किसी नौजवान की युवावस्था सार्थक कब मानी जाती है?
उत्तरः
किसी भी नौजवान की युवावस्था जब सार्थक मानी जाती है जब वह स्वयं का बलिदान अर्थात् एक सच्चे सैनिक के रूप में देश की रक्षा के लिए कुर्बान हो। भारतमाता के सच्चे सपूत उसके ऊपर अपने प्राण न्यौछावर करें तभी उनकी युवावस्था सार्थक होगी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में दीजिए – (4 x 1 = 4)
(क) मनुष्य इच्छाओं का पुतला है। उसका व्यावहारिक जीवन आकांक्षाओं से भरा पड़ा है। स्वार्थी मनुष्य इन्हीं आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रायः दूसरों के हितों को हानि पहुँचाकर अपना हित साधता है। प्रस्तुत कथन का कारतूस’ पाठ के सआदत अली से क्या संबंध हो सकता है? स्पष्ट करें।
अथवा
(ख) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर बताइए कि प्रकृति किस प्रकार अपना जादू दिखाती है?
उत्तरः
‘कारतूस’ पाठ में सआदत अली को एक ऐश पसंद, स्वार्थी तथा षड्यंत्रकारी व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। सआदत अली कर्नल का दोस्त था तथा कर्नल ने अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए सआदत अली को अवध के तख्त पर बैठाने का षड़यंत्र रचा। सआदत अली ने अपने ऐशों को पूरा करने के लिए अपनी आधी जायदाद तथा दस लाख रुपए कर्नल को दे दिए। कर्नल ने उसे अवध के तख्त पर बिठा दिया और वे दोनों मजे करने लगे। इस दौरान सआदत अली ने अंग्रेजों से भी दोस्ती कर ली।
अथवा
पावस ऋतु में प्रकृति क्षण-क्षण परिवर्तित होती रहती है। कभी तेज़ बारिश तो कभी अंधकारमय वातावरण हो जाता है। झरने निर्विरोध गति से बहते हैं। बादल बनते हैं, बिगड़ते हैं और कभी सूर्य निकल आता है तो पावस में सूर्य की रोशनी से इन्द्रधनुष बन जाता है। अतः पावस ऋतु में प्रकृति का बहुत ही मनोहारी दृश्य होता है।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्य-पुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से दो के उत्तर दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) ‘हरिहर काका’ पाठ हमें जीवन से संबंधित क्या सीख देता है?
उत्तरः
लेखक गर्मी की छुट्टियों में अपनी नानी के घर जाते थे। नानी के घर वे बहुत मौज-मस्ती करते एवं नानी उन्हें प्रेम से दूध, दही, मक्खन आदि खिलाती थीं। वे अपने पोतों को भी लेखक की ही तरह कम खाने और ढंग से बोलने की शिक्षा देती थीं। वही गाँव में तालाब था वहीं दोपहर में नहाते और नानी से जो जी में आता माँगते और खाते थे। कपड़े उतार कर तालाब में कूदते, रेत-मिट्टी में लेटते थे। जिन्हें, तैरना नहीं आता था, उन्हें तालाब में नहाती हुई भैंस के सींग या दुम पकड़कर बाहर आने में बड़ा आनंद आता था।
(ख) विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए अपनाई गई युक्तियों को आप सही मानते हैं, ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तरः
टोपी और इफ्फ़न की दादी का आपस में रिश्ता मज़हब और जाति की दीवारों से काफी ऊँचा था। दोनों में अलग-सा लगाव, अपनापन एवं प्यार था। उनके रिश्ते को धर्म के सौदागर नहीं समझ सकते। टोपी शुद्ध हिंदू ब्राह्मण था और दादी पाँच वक्तों की नमाज़ अदा करने वाली मुस्लिम स्त्री। साधारणतः लोग समान आयु और समान धर्म के मानने वालों के बीच ही रिश्ता जोड़ना चाहते हैं। परन्तु टोपी और दादी के बीच दादी-पोते का एक ऐसा मानवीय रिश्ता था जो धर्म-सम्प्रदाय-उम्र से भी बढ़कर था। इफ्फन की दादी को हिंदुस्तान की मिट्टी से लगाव था, उन्हें पूरवी बोली, दूध, दही, घी का खान-पान, नाच-गान आदि काफी पसंद थे। टोपी हिंदू बालक था, उसे दादी से कहानियाँ सुनना, समझाना, बातें करना अच्छा लगता था। वह अपनी माता से मार खाकर भी दादी से रिश्ता नहीं तोड़ना चाहता था। दोनों ही एक-दूसरे के सुख-दुःख को बाँटते और दादी उसे समझाती। इंसानियत से बढ़कर कोई और रिश्ता नहीं हो सकता है, यह टोपी और इफ्फ़न की दादी के बीच की आत्मीयता से पता चलता है।
(ग) दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के लिये क्या महत्व रखता है?
उत्तरः
इस बार जब लेखक हरिहर काका से मिलने गया और उनकी तबीयत के बारे में पूछा तो उन्होंने सिर उठाकर एक बार लेखक की ओर देखा और सिर झुका लिया। इसके बाद उन्होंने दुबारा सिर नहीं उठाया। उनकी यंत्रणा और मनोदशा के बारे में उनकी आँखों ने बहुत कुछ कह दिया पर काका कुछ बोल न सके। उनकी इस दशा ने लेखक को चिंतित कर दिया।
खण्ड – ‘ख’
(लेखन) (अंक 20)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए – (6 अंक)
(क) हमारे समाज में नारी का स्थान
- भूमिका
- आधुनिक नारी
- समाज में नारी की दशा
- निष्कर्ष
उत्तरः
हमारे समाज में नारी का स्थान:
प्राचीन काल में हमारे समाज में नारी का महत्त्व नर से कहीं बढ़कर होता था। किसी समय तो नारी का स्थान नर से इतना बढ़ गया था कि पिता के नाम के स्थान पर माता का ही नाम प्रधान होकर परिचय का सूत्र बन गया था। धर्म-द्रष्टा मनु ने नारी को श्रद्धामयी और पूजनीय मानते हुए कहा है –
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः।’
अर्थात् जहाँ नारी की पूजा-प्रतिष्ठा होती है, वहाँ देवता रमण करते हैं, अर्थात् निवास करते हैं। धीरे-धीरे समय के बदलाव के कारण नारी में कुछ अपूर्व परिवर्तन हुए। वह अब नर से महत्त्वपूर्ण न होकर उसके समकक्ष श्रेणी में आ गई। पुरुष के परिवार के सभी कार्यों का बोझ नारी ने उठाना शुरू कर दिया। इस प्रकार नर और नारी के कार्यों में काफी अंतर आ गया। ऐसा होने पर भी प्राचीन काल की नारी ने हीन भावना का परित्याग कर स्वतन्त्र और आत्मविश्वास से पूर्ण होकर अपने व्यक्तित्व का सुन्दर और आकर्षक निर्माण किया। समय के बदलाव के साथ-साथ नारी-दशा में अब बहुत परिवर्तन आ गया है। यूँ तो नारी प्राचीन काल से अब तक भार्या के रूप में रही है। इसके लिए उसे गृहस्थी के मुख्य कार्यों के लिए विवश किया गया जैसे-भोजन बनाना, बाल-बच्चों की देखभाल करना, पति की सेवा करना। पति की इच्छा को पूर्ण करने के लिए विवश होती हुई अमानवता का शिकार बनकर क्रय-विक्रय की वस्तु भी बन जाना अब नारी जीवन का एक विशेष अंग बन गया। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के फलस्वरूप अब नारी की वह दुर्दशा नहीं है, जो कुछ अंधविश्वासों, रूढ़िवादी विचारधाराओं या अज्ञानता के फलस्वरूप हो गयी थी। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्तजी ने इस विषय में स्पष्टतः ही कहा है
‘एक नहीं, दो-दो मात्राएँ, नर से बढ़कर नारी।’
नारी के प्रति श्रद्धा और विश्वास की भावना व्यक्त की जाने लगी है। कविवर जयशंकर प्रसाद ने अपनी महाकाव्य कृति कामायनी में लिखा है
“नारी! तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास-रजत-नग-पग तल में
पीयूष-स्त्रोत-सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में॥
नारी आज समाज में प्रतिष्ठित और सम्मानित हो रही है। वह अब घर की लक्ष्मी ही नहीं रह गयी है अपितु घर से बाहर समाज का दायित्व निर्वाह करने के लिए आगे बढ़ आयी है। वह घर की चहारदीवारी से अपने कदम को बढ़ाती हुई समाज की विकलांग दशा को सुधारने के लिए कार्यरत हो रही है। इसके लिए वह नर के समानान्तर पद, अधिकार को प्राप्त करती हुई नर को चुनौती दे रही है। वह नर को यह अनुभव कराने के साथ-साथ उसमें चेतना भर रही है कि नारी में किसी प्रकार की शक्ति और क्षमता की कमी नहीं है केवल अवसर मिलने की देर होती है। इस प्रकार नारी का स्थान हमारे समाज में आज अधिक समादृत और प्रतिष्ठित है।
(ख) आधुनिक संचार क्रांति
- भूमिका
- संचार के नए आयाम
- समाज में बदलाव
- उपसंहार
उत्तरः
आधुनिक संचार क्रांति प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त हो गये हैं जो हमें जीवन की सभी सुविधाएँ सभी आराम प्रदान करते हैं। आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम संचार क्षेत्र में उठाए गए हैं। अनेक नए स्त्रोत, नए साधन और नई सुविधाएँ प्राप्त कर ली गई हैं जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर ले जाकर खड़ा करती हैं। ऐसे ही संचार साधनों में आज एक बड़ा ही सहज नाम है इंटरनेट। यूँ तो इसकी शुरुआत 1969 में एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसीज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालय के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था संचार माध्यमों को ज्यों-का-त्यों आपात स्थिति में भी बनाए रखना जब सारे माध्यम निष्फल हो जाएँ। 1971 तक इस कम्पनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया था। 1972 में शुरुआत हुई ई-मेल अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक मेल की जिसने संचार जगत में क्रांति ला दी।
इंटरनेट प्रणाली में प्रॉटोकॉल एवं एफ टी. पी. (फाइल ट्रांसफर प्रॉटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट यूजर (प्रयोगकर्ता) किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है। 1973 में ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रॉटोकॉल जिसे इंटरनेट प्रॉटोकॉल भी कहते हैं; को डिजाइन किया गया। 1883 तक यह इंटरनेट पर एवं कम्प्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया। मोन्ट्रियल के पीटर ड्यूस ने पहली बार में 1989 मैक्-गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयोग किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉर्पोरेशन के बिडस्टर क्रहले ने एक दूसरा इंडेक्सिंग सिस्सड वाइड एरिया इन्फोर्मेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पार्टिकल फिजिक्स के बर्नर्स ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नई तकनीक विकसित की जिसे वर्ल्ड-वाइड वेब के नाम से जाना गया। यह हाइपर टैक्स्ट पर आधारित होता है जो किसी इंटरनेट यूजर को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डॉक्यूमेन्ट को दूसरे से जोड़ता है।
यह काम हाइपर-लिंक के माध्यम से होता है। हाइपर लिंक विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफिक्स को कहते हैं। ई-कॉम की अवधारणा काफी तेजी से फैलती गई। संचार माध्यम के नए-नए रास्ते खुलते गए। नई-नई शब्दावलियाँ जैसे इ-मेल, वी-मेल, वेबसाइट (डॉट-कॉम), वायरस आदि इसके अध्यायों में जुड़ते रहे। कई नए वायरस समय-समय पर दुनिया के लाखों कंप्यूटरों को प्रभावित करते रहे। इन समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र आगे बढ़ता रहा। भारत अपनी भागीदारी इन उपलब्धियों में जोड़ता रहा। आज भारत में इंटरनेट कनेक्शनों और प्रयोगकर्ताओं की संख्या लाखों में है।
(ग) प्राकृतिक आपदा- भूकम्प
- प्राकृतिक आपदायें
- हानियाँ
- कारण
- बचाव
उत्तरः
प्राकृतिक आपदा प्रकृति जब भी गुस्सा दिखाती है तो कहर ढाये बिना नहीं मानती है। आकाश के तारों को छू लेने वाला विज्ञान प्राकृतिक आपदाओं के सामने घुटने टेक देता है। अनेक प्राकृतिक आपदाओं में कई आपदाएँ मनुष्य की अपनी देन हैं। कुछ वर्षों में प्रकृति के गुस्से के जो रूप देखे गए हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति के क्षेत्र में मनुष्य जब हस्तक्षेप करता है, तो उसका ऐसा ही परिणाम होता है, जो सुनामी के रूप में और गुजरात के भूकम्प के रूप में देखने में और सुनने में आया। धरती हिलती है, भूचाल आता है। जब यही भूचाल प्रलयंकारी रूप ले लेता है, तो भूकम्प कहलाता है। सामान्य भूकम्प तो जहाँ-तहाँ आते रहते हैं, जिनसे विशेष हानि नहीं होती है। जब जोर का झटका आता है तो गुजरात का दृश्य प्रस्तुत कर देता है। ये भूकम्प क्यों होता है, कहाँ होगा, कब होगा? वैज्ञानिक इसका सटीक कारण नहीं बता सके हैं। हाँ, भूकम्प की तीव्रता को मापने का यन्त्र तो जैसे-तैसे बना लिया गया है। वर्षों के प्रयास के बावजूद भी मनुष्य इससे निजात पाने की बात तो दूर उसके रहस्यों को भी नहीं जान पाया है। यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है। धरती हिलने या भूकम्प के बारे में अनेक किंवदंतियाँ पढ़ी और सुनी हैं। कुछ धार्मिक व्याख्याओं के कारण यह धरती सप्त मुँह वाले नाग के सिर पर टिकी है जब नाग सिर बदलता है तो धरती हिलती है। दूसरी किंवदंती है कि धरती धर्म की प्रतीक गाय के सींग पर टिकी है और जब गाय सींग बदलती है तब धरती हिलती है।
इसके विपरीत वैज्ञानिक तथ्य और ही कुछ कहते हैं। इनके अनुसार पृथ्वी की बहुत गहराई में तीव्रतम आग है। जहाँ आग है, वहाँ तरल पदार्थ है। आग के कारण इस तरल पदार्थ में हलचल होती रहती है। जब यह उथल-पुथल अधिक बढ़ जाती है तब झटके के साथ पृथ्वी की सतह की ओर फूट पड़ती है। इस तरह उसकी तीव्रता के अनुसार पृथ्वी हिलने लगती है। गुजरात में तीव्रगति से भूकम्पन हुआ। इस भूकम्प ने दिन चुना गणतन्त्र दिवस 26 जनवरी, 2001 । सम्पूर्ण देश गणतन्त्र के राष्ट्रीय उत्सव में मग्न था। गुजरात के लोग दूरदर्शन पर गणतन्त्र दिवस का कार्यक्रम देख रहे थे। तभी यकायक झटका लगा, धरती हिली। लोग सोच भी न पाए कि क्या हुआ और इतनी ही देर में गगनचुंबी अट्टालिकाएँ, अस्पताल, विद्यालय, फैक्ट्री और टेलीविजन के सामने बैठी भीड़ को भूकम्प निगल गया और शेष रह गई उन लोगों की चीत्कार, और जो उसकी चपेट में न आने से बच गए। भूकम्प से उत्पन्न हृदय विदारक दृश्य को देखकर भी कुछ लोग मानवता के स्थान पर अमानवीय कृत्य करने में संकोच नहीं करते हैं।
एक ओर तो देश के कोने-कोने से और दूसरे देशों से सहायता पहुँचती है और व्यवस्था के ठेकेदार उसमें भी कंजूसी करते हैं और अपनी व्यवस्था पहले करने लगते हैं। ऐसे लोग ऐसे समय में अमानवता का परिचय करा देते हैं। ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य को सन्देश देती हैं कि जब-तक जिओ, तब-तक परस्पर प्रेम से जिओ। मैं कब कहर बरसा दूं उसका मुझे भी पूर्ण ज्ञान नहीं है। यह प्राकृतिक आपदा मनुष्य को सचेत करती है और सन्देश देती है कि मैं मौत बनकर सामने खड़ी हूँ। जब तक जी रहे हो तब तक मानवता की सीमा में रहो और जीवन को आनन्दित करो और प्रेम से रहो।
प्रश्न 5.
आप नीरज/नीरजा हैं। अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को स्थानांतरण प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन पत्र लगभग 120 शब्दों में लिखिए। (5 अंक)
अथवा
इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के सम्पादक को पत्र लिखिए।
उत्तरः
सेक फें,
श्रीमान प्रधानाचार्य
डी. ए. वी. विद्यालय
सेक्टर-14
रोहिणी, नई-दिल्ली
दिनांक- 24 अक्टूबर, 20xx
विषय-स्थानांतरण प्रमाण-पत्र हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा दसवीं ‘अ’ का छात्र/ की छात्रा हूँ। मेरे पिताजी का स्थानांतरण आगरा हो गया है। हमारा समस्त परिवार अब आगरा जा रहा है। मैं भी अपने परिवार के साथ आगरा जा रहा/रही हूँ और वहीं से अपनी आगे की पढ़ाई करूंगा/करूँगी। मुझे वहाँ नए विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए इस विद्यालय से स्थानांतरण प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है। अतः आपसे अनुरोध है कि आप मुझे स्थानांतरण प्रमाण-पत्र व चरित्र प्रमाण-पत्र शीघ्रातिशीघ्र जारी करने की कृपा करें।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र/छात्रा
नीरज/नीरजा
कक्षा- दसवीं ‘अ’
अनुक्रमांक- 5
अथवा
सेवा में
संपादक महोदय,
अमर उजाला,
आगरा
26 अक्टूबर, 20XX
महोदय,
मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था हेतु अपने सुझाव देना चाहती हूँ जो किसानों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते है।
भारत एक कृषि-प्रधान देश है। भारत की कृषि व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाने वाला किसान ही आज सुखी नहीं है। कभी जल-प्लावन तथा कभी सूखे की मार झेलने वाला किसान शोषण का शिकार होकर आत्महत्या करने पर उतारू हो रहा है। यह भारत के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है। सरकार को किसानों को ऐसे संकटों से बचाने के स्थायी उपाय करने चाहिए। उनको सस्ता ऋण दिया जाये। पुराने ऋण को माफ किया जाये तथा उनकी फसलों का बीमा कराया जाये, जिससे आपातकाल में उन्हें कुछ मदद मिल सके। किसानों से भी मेरा अनुरोध है कि वे नये संसाधनों के द्वारा खेती करके अधिक-से-अधिक अन्न उगाकर देश को समृद्ध करने में अपना योगदान दें, जिससे वास्तव में अपना भारत महान कहलाये।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि इन सुझावों को समाचार-पत्र में स्थान दें।
भवदीय
दृष्टि कुलश्रेष्ठ
आगरा
प्रश्न 6.
(क) आप दिल्ली पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। हिंदी दिवस के अवसर पर विद्यालय के कम्प्यूटर लैब में ‘हिंदी टाइप फॉन्ट’ की साप्ताहिक कार्यशाला का आयोजन होने वाला है जिसके लिए इच्छुक छात्रों कक्षा (IX – X) को विद्यालय की छुट्टी के बाद आधे घंटे के लिए रुकना होगा। इच्छुक कक्षा-नवीं दसवीं के छात्रों के लिए सूचना बनाइए। (2.5)
अथवा
छात्रावास में भोजन करने के स्थान में परिवर्तन हेतु वार्डन की ओर से विद्यार्थियों के लिए लगभग 50 शब्दों में सूचना बनाइए।
उत्तरः
सूचना
दिल्ली पब्लिक स्कूल, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
दिनांक- 11.09.20XX
विद्यालय के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि आने वाले हिंदी दिवस के अवसर पर विद्यालय की कंप्यूटर लैब में हिंदी टाइप फॉन्ट की साप्ताहिक कार्यशाला का आयोजन होने वाला है जिसमें विद्यालय के इच्छुक कक्षा IX व X के छात्रों को छुट्टी के बाद आधे घंटे की कक्षा दी जाएगी, यदि कोई IX-X का छात्र यह कार्यशाला करना चाहता है तो अपने अभिभावकों को सूचित कर इंचार्ज मैडम के पास नाम लिखवाए व फार्म लें। दिनांक-10 सितम्बर से 15 सितम्बर तक।
हस्ताक्षर
अ.ब.स (प्रधानाचार्य)
अथवा
सूचना
इंदिरा गाँधी छात्रावास, विकासपुरी, नई दिल्ली
छात्रावास के सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि कल दिनांक 25.09.20XX से छात्रावास में भोजन करने का स्थान परिवर्तित हो रहा है। पुराने कमरे में कोई मरम्मत का कार्य होना है जिसके कारण कल से भोजन (सुबह, दोपहर व रात) पास वाली लाइब्रेरी (R-32) के पास होगा। यह सब केवल एक सप्ताह के लिए है। छात्रों की असुविधा के लिए खेद है।
दिनांक-24.09.20xx
छात्रावास प्रबंधक
नीरज धनोआ
(ख) गुमशुदा बच्चे की तलाश हेतु अखबार में प्रकाशित करने हेतु सूचना तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आप क.ख.ग. विद्यालय की प्रमुख लड़की (अश्मिता) हो। आपका विद्यालय जल्द ही वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन करने जा रहा है। अतः सभी छात्र-छात्राएँ अपने-अपने लेख, चित्र, कहानियाँ, कविताएँ आदि जल्द से कक्षा-अध्यापिका को दें, की सूचना लिखिए।
उत्तरः
सूचना
गुमशुदा बच्चे की तलाश
सभी को सूचित किया जाता है कि एक बच्चा, जिसका नाम साहब पुत्र गुरमीत सिंह, निवासी 38/5, तीसरी मंजिल, अशोक नगर, नई दिल्ली- 18ए उम्र-पाँच वर्ष, कद-3 फीट”, चेहरा-लंबा, रंग- गोरा, आँखें-काली, बाल-काले, लाल रंग की कमीज और सफेद पैंट तथा पैरों में लाल जूते पहने हुए है, जो दिनांक 25.08.20XX से अशोक नगर से लापता है।
इस गुमशुदा बच्चे की कोई सूचना मिलने पर निम्न पते पर सूचित करें- दूरभाष- 9832XXXXXX, 955XXXXXXX
फैक्स- 011- 24XXXXXX, ईमेल[email protected]
दिनांक – 28.08.20XX
अथवा
सूचना
क.ख.ग. विद्यालय
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जा रहा है कि हमारा विद्यालय अपनी वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन जल्द से जल्द करने जा रहा है। अतः सभी विद्यार्थी अपने-अपने लेख, कविताएँ, कहानियाँ आदि की प्रविष्टियों को कक्षा-अध्यापिका को दिनांक 15 अगस्त से पहले प्रस्तुत करें।
अश्मिता/आशीष
विद्यार्थी परिषद्
दिनांक: 20 जुलाई, 20XX
प्रश्न 7.
(क) आपके क्षेत्र में रक्त दान शिविर’ का आयोजन होने जा रहा है। इसे जनता तक पहुँचाने के लिए विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
मेडिकल स्टोर का विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
अथवा
(ख) आपके मित्र ने एक शैक्षिक मोबाइल ऐप की शुरुआत की है, इसकी सदस्यता लेने हेतु आकर्षक विज्ञापन तैयार करें। (2.5)
अथवा
आप श्री महेन्द्र सिंह हैं जो 38/5 अशोक नगर, नई दिल्ली के निवासी हैं। पिछले चार दिनों से आपका पालतू कुत्ता खो गया है। कुत्ते का ब्यौरा देते हुए ‘लापता’ कॉलम का विज्ञापन बनाएँ।
उत्तरः
अथवा
‘लापता’
मेरा पालतू कुत्ता जो कि जर्मन शेफर्ड नस्ल का है, पिछले चार दिनों से लापता है। कुत्ते की उम्र केवल एक वर्ष, रंग सफेद व भूरा एवं नाम टफी है। गले में चमड़े का पट्टा है जिस पर टफी लिखा है एवं शाकाहारी है। उसे ऐंटी-रैबीज की सुइयाँ भी लगी हैं। पहुँचाने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा।
संपर्क करें: श्री महेंद्र सिंह, 38/5, अशोक नगर, नई दिल्ली
फोन नं.: 9832XXXXXX
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघुकथा लिखिए। संगत का फल (शीर्षक पर आधारित लघुकथा लिखिए) (5 अंक)
अथवा
शिक्षा का महत्व (शीर्षक पर आधारित लघुकथा लिखिए)
उत्तरः
एक बार किसी जंगल से एक व्यापारी गुजर रहा था। थका होने के कारण वह कुछ देर विश्राम करने के लिए पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने खाना खाया और कुछ देर विश्राम करने लगा। उसके चेहरे पर धूप आती देख मोर ने अपने पंखों से उस पर छाया डाल दी। यह देख कर डाल पर बैठे कौए ने ईर्ष्यालु होकर व्यापारी पर बीट डाल दी और काँव-काँव कर उड़ गया। व्यापारी की नींद टूट गई। अपने आस-पास मोर को पाकर उसने सोचा कि मोर ने ही मुझ पर बीट की है। उसने कुछ भी नहीं सोचा और अपने धनुष में तीर लगाकर उसे मार दिया। तीर लगते ही मोर गिर गया। कौवे की संगति के कारण मोर को गलत समझा गया।
अथवा
एक समय की बात है, नीरज नामक बालक का पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था। वह दिन के हर पहर खेलता, यहाँ तक कि विद्यालय न जाने के कई बहाने बनाता था। उसकी इन आदतों से उसके माता-पिता भी परेशान हो गए, पर वह किसी की न सुनता। पिताजी के डर से अगर वह पढ़ने बैठ भी जाता तो उसका मन ही नहीं लगता। एक दिन वह अपनी माँ के साथ सब्जी लेने गया वहाँ उसने देखा एक लड़का अपनी माँ के साथ सब्जी तो बेच रहा है साथ-ही-साथ वह पढ़ भी रहा है। उस पूरे दिन नीरज उस लड़के के विषय में ही सोचता रहा, शाम को वह खेलने भी नहीं गया। शाम को किसी काम से उसकी माँ ने उसे बाजार भेजा, वहाँ उसने देखा कि वही लड़का स्ट्रीट लाइट में सड़क के किनारे पढ़ रहा था। नीरज से रहा नहीं गया तो उसने उस लड़के से पूछा तुम सब्जी बेचते हो न? लड़के ने उत्तर दिया-हाँ, सुबह माताजी की सब्जी बेचने में मदद करता हूँ, दोपहर को विद्यालय जाता हूँ। घर पर बिजली न होने के कारण रात में यहाँ पढ़ता हूँ। जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है। यह सब सुनते ही नीरज शिक्षा के महत्व को समझ गया। वह अच्छी तरह पढ़ने लगा एवं अब उसके विद्यालय अच्छे अंक भी आने लगे।