Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 3 with Solutions
समय: 2 घंटे
पूर्णांकः 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खण्ड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड – ‘क’
(पाठ्य पुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक) (अंक 20)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए (2 x 4 = 8)
(क) ‘लखनवी अंदाज’ पाठ को आप अन्य क्या नाम देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर:
मेरे हिसाब से इस पाठ का दूसरा नाम ‘नवाबी शान’ होना चाहिए क्योंकि इस कहानी में वर्णित स्थान लखनऊ के आसपास का प्रतीत होता है। इसके अलावा नवाब साहब की शान, दिखावा, रईसी का प्रदर्शन नवाबी ठसक, नजाकत आदि सभी लखनऊ के नवाबों जैसी है, जिनकी नवाबी कब की छिन चुकी है, पर उनके कार्य व्यवहार में अब भी इसकी झलक मिलती है।
(ख) फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग थे। कैसे? सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
फादर बुल्के भारतीय संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। उनका जन्म बेल्जियम में हुआ, लेकिन उन्होंने भारत को अपनी कर्मभूमि बनाया। भारत आकर उन्होंने हिंदी में एम. ए. किया और हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। हिंदी वालों के द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर उन्हें बहुत दुःख होता था। उनकी इच्छा हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी, इसके लिए वह हर मंच से अपनी तकलीफ बयां करते। एक विदेशी होकर उन्होंने हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किया। सभी के साथ उनका रिश्ता एक बड़े भाई और पुरोहित की तरह था। इसीलिए लेखक ने उन्हें भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग कहा है।
(ग) बिना विचार, घटना और पात्रों के क्या कहानी लिखी जा सकती है? आप लेखक यशपाल के इस विचार से कहाँ तक सहमत
उत्तर:
हमारे मत से बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी नहीं लिखी जा सकती। ये तीनों ही तत्व कहानी लेखन के आवश्यक तत्व हैं। जब तक कोई विचार मन में नहीं आएगा तब तक कहानी नहीं बन सकती। घटना कहानी की कथावस्तु को आगे बढ़ाती है और पात्रों के माध्यम से कहानी कही जाती है। तभी कहानी रोचक और सारगर्भित बन सकती है।
(घ) ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ यह एक संस्मरण है इसके माध्यम से लेखक ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ फादर बुल्के को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं फ़ादर बुल्के का जीवन हम भारतवासियों के लिए एक प्रेरणा है। फ़ादर बुल्के विदेशी होते हुए भी भारत, भारत की भाषा तथा संस्कृति से बहुत गहरे जुड़े हुए थे। उन्होंने सदैव स्वयं को एक भारतीय कहा है। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत योगदान दिया है। हम लोगों को फ़ादर बुल्के के जीवन से यह संदेश लेना चाहिए कि जब एक विदेशी अनजान देश, अनजान लोगों और भाषा को अपना सकता है तो हम अपने देश, अपने लोगों और अपनी भाषा को क्यों नहीं अपना सकते, हमें अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। अपने देश और राष्ट्रभाषा हिंदी के सम्मान की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए (2 x 3 = 6)
(क) कन्यादान कविता में बेटी को अंतिम पूँजी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
माँ के लिए बेटी एक पूँजी की तरह होती है, जिसको जन्म देकर वह पालन-पोषण करती है और धन की तरह सहेज कर रखती है। सामाजिक परंपरा के तहत माँ को कन्यादान करना आवश्यक होता है। अतः जब वह कन्या को दूसरों के हाथों में सदा के लिए सौंपती है तो उसको लगता है कि उसकी वर्षों की पूँजी दूसरों के हाथों में चली गई और अब उसके पास कुछ भी शेष नहीं बचा है। कन्यादान के समय माँ के दुःखों की कोई सीमा नहीं होती।
(ख) ‘उत्साह’ कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर:
उत्साह कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है
- बादल पानी बरसाकर सब की प्यास बुझाता है और सुखी बनाता है।
- बादल गर्जना कर क्रांतिकारी चेतना जागृत करता है।
- बादल नवनिर्माण कर लोगों को नवजीवन प्रदान करता है।
(ग) ‘अट नहीं रही है’ इस कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्नलिखित रूपों में किया है
- पेड़-पौधे नए पत्ते पाकर खिल-खिला रहे हैं।
- फूलों की खुशबू वातावरण को सुगंधित कर रही है।
- डालियाँ कहीं हरी तो कहीं लाल पत्तियों से भर जाती हैं।
- बाग-बगीचे में चारों ओर हरियाली छा गई है।
- कवि को प्रकृति के सौंदर्य से आँख हटाना मुश्किल लग रहा है।
(घ) ‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की, कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’-इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभर कर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर:
इन पंक्तियों को पढ़कर हमारे सामने एक शिष्ट, सभ्य, मासूम, कोमल तथा नासमझ लड़की की छवि उभरकर आ रही है, जो अभी व्यावहारिक रूप से परिपक्व नहीं है। विवाह के सुख के पीछे छिपे दुःखों से अनजान है। उसे वैवाहिक जीवन के सुखों का धुंधला-सा अहसास है, लेकिन दुःखों के अहसास एवं गहराइयों को नहीं समझती।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए (3 x 2 = 6)
(क) ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर बताइए कि अपनी नाक ऊँची करने के लिए हमारा शाही तंत्र किस प्रकार के कार्य कर सकता है?
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की नाक हमारे शाही तंत्र पर एक करारा व्यंग्य है। आजादी के बाद भी हमारी गुलामी की मानसिकता खत्म नहीं हुई है। इसके माध्यम से बताया है कि रानी एलिजाबेथ के भारत दौरे पर आने से शाही तंत्र में हड़कंप मच गया कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति बिना नाक के इंडिया गेट के सामने खड़ी थी। अब रानी आएगी तो क्या कहेगी? हमारी तो नाक चली जाएगी।
अतः अपनी नाक बचाने के लिए मूर्तिकार को आदेश दिया गया कि बिल्कुल मूर्ति के पत्थर के समान नाक खोजकर लाओ और मूर्ति पर लग जानी चाहिए। मूर्तिकार ने सभी महापुरुषों की मूर्तियों की नाकें टटोलीं, देश के हर राज्य में गया, हर पहाड़ पर, कहीं भी उस नाप की नाक नहीं मिली और न ही पत्थर मिला। अंत में चालीस करोड़ की जनसंख्या में से ही जिंदा नाक काटकर
मूर्ति पर लगा दी गई। इस प्रकार शाही तंत्र अपनी नाक बचाने के लिए जनता की नाक काटने से भी नहीं झिझकता है।
(ख) ग्रामीण बच्चों का बचपन शहरी बच्चों से अधिक प्रफुल्लित और आनंद देने वाला होता है। क्यों? पाठ ‘माता का अँचल’ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
ग्रामीण बच्चों के बचपन में और शहरी बच्चों के बचपन में बहुत अंतर होता है। ग्रामीण अंचल में शहरों की तरह आधुनिक तकनीक के खिलौने नहीं होते और न ही घर के अंदर बच्चों के खेलने के लिए किसी भी प्रकार के खेल-खिलौने होते हैं। बच्चे सारा दिन घर से बाहर मित्रों के साथ धूल, मिट्टी, खेत-खलिहानों में ही अपने खेल खेलते हैं, प्रकृति के समीप रहते हैं। घर से बाहर मित्रों के साथ उनका बचपन ज्यादा आनंद देने वाला और प्रफुल्लित होता है क्योंकि उनको माता-पिता व किसी और की कोई रोकटोक नहीं होती और न ही किसी अनुशासन में बंधे रहने की आवश्यकता होती है। स्वच्छंद होकर बच्चे अपने क्रियाकलाप करते हैं, स्वयं अपने लिए खिलौने मिट्टी से बनाते हैं और उनका जीवन शहरी बच्चों की तुलना में अधिक रचनात्मक होता है।
(ग) चाय-बागान के दृश्यों को देखते समय लेखिका के खुशी से चीख पड़ने का क्या कारण था?
उत्तर:
चाय के हरे-हरे बागानों में कई युवतियाँ बोकु पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ने में मशगूल थीं। उनका यौवन नदी की तरह उफान ले रहा था तथा उनका गुलाबी चेहरा परिश्रम करने से दमक रहा था। एक युवती चटक लाल रंग का बोकु पहने हुए थी। सघन हरियाली के बीच चटक लाल रंग डूबते सूरज की स्वर्णिम एवं सात्विक आभा में कुछ इस तरह इंद्रधनुषी छटा बिखेर रहा था, जिसको देखकर मंत्रमुग्ध-सी लेखिका खुशी से चीख पड़ी थीं।
खण्ड – ‘ख’
(रचनात्मक लेखन खंड) (अंक 20)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किसी एक विषय पर संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
(क) पर्यावरण संकट-प्लास्टिक के दुष्प्रभाव
- भूमिका
- प्लास्टिक की आवश्यकता
- उपसंहार
उत्तर:
पर्यावरण संकट-प्लास्टिक के दुष्प्रभाव
प्लास्टिक एक रासायनिक पदार्थ है जिसे मिट्टी सैकड़ों वर्षों में भी गला नहीं पाती है। यह जहाँ कहीं भी मिट्टी या पानी के आस-पास होता है उस जगह को अनुर्वर बना देता है। वर्तमान में जहाँ एक ओर प्लास्टिक के प्रयोग ने जिन्दगी सुविधाजनक बनाई है वहीं दूसरी ओर उस सुविधा ने पर्यावरण की दृष्टि से कितनी बड़ी मुश्किलें पैदा कर दी हैं इसका अनुमान लगाना भी सम्भव नहीं है। प्लास्टिक-कचरा पर्यावरण के लिए गम्भीर संकट बन चुका है। प्लास्टिक-कचरे को रिसाइकिल करना सुगम नहीं होता है। पर्यावरण की दृष्टि से जहाँ बेहतर तकनीक वाली रि-साइकिलिंग इकाइयाँ नहीं लगी होती हैं वहीं रि-साइकिलिंग के दौरान पैदा होने वाले विषैले धुएँ से वायु प्रदूषण फैलता है।
प्लास्टिक का कचरा नालियों और सीवेज व्यवस्था को बिगाड़ता है। नदियों में भी इनकी वजह से बहाव पर असर पड़ता है। पानी के दूषित होने से मछलियों और अन्य जलचरों की मौत तक हो जाती है। नदियों के जरिए यह कचरा समुद्र में भी पहुँच कर जल प्रदूषण फैला रहा है। कूड़े में पड़ी प्लास्टिक थैलियों को खाकर आवारा पशुओं की बड़ी तादाद में मौतें हो रही हैं। प्लास्टिक-कचरे से पर्यावरण को बचाने के लिए जनमानस को जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए जन-आन्दोलन चलाया जाना अब अति आवश्यक जान पड़ता है। आजकल व्यापारी जन अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बेधड़क प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं अतः उन्हें भी इस सन्दर्भ में जागरूक और सावधान करने की आवश्यकता है। यदि सब परस्पर निश्चय कर लें तो प्लास्टिक का प्रयोग सुगमता से निषेध हो सकता है।
(ख) आत्मविश्वास : एक दिव्य गुण
- भूमिका
- आत्मविश्वास का अर्थ
- उपसंहार
उत्तर:
आत्मविश्वास : एक दिव्य गुण
आत्मविश्वास मनुष्य के लिए एक ऐसा दिव्य गुण है जिस पर वह आरूढ़ हो देवत्व को प्राप्त कर सकता है। ‘आत्मविश्वास’ शब्द दो शब्दों ‘आत्म और विश्वास’ से बना है जिसका अर्थ है स्वयं पर किया गया भरोसा अर्थात् अपनी शक्ति तथा सामर्थ्य पर किया गया विश्वास। अतः इनमें कोई दो मत नहीं कि आत्मविश्वास एक दिव्य गुण है तथा इसके द्वारा बड़े-से-बड़े संकट का सामना करके व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेता है।
आत्मविश्वास व्यक्ति को आशावादी बनाता है, जिससे उसके अन्दर धैर्य, त्याग, आत्मबल, सहिष्णुता आदि गुणों का समावेश हो जाता है तथा जिसमें यदि कभी उसके जीवन में संकट के पल आते भी हैं, तो उसके आत्मविश्वास के समक्ष नतमस्तक हो जाते हैं। बछेन्द्री पाल के आत्मविश्वास ने उन्हें एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचाया है, तो सचिन के आत्मविश्वास ने उन्हें ‘क्रिकेट-जगत्’ का देवता बनाया है। इतिहास के पन्नों में लिखे स्वर्णिम नामों में चमक होती है आत्मविश्वास की। व्यक्ति को यदि जीवन के आसमान पर प्रखर सूर्य बनकर चमकना हो, तो उसे स्वयं की शक्ति को पहचानकर स्वयं पर भरोसा रखना चाहिए क्योंकि इस दिव्य गुण के सहारे उसका तेजस्वी बनना निश्चित है। सत्य ही कहा है ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।’
(ग) समाचार पत्र : संचार का सुलभ तन्त्र
- भूमिका
- समाचार की उपयोगिता
- उपसंहार
उत्तर:
समाचार पत्र : संचार का सुलभ तन्त्र
आज भी प्रायः हर शिक्षित भारतीय घरों में सुबह-सुबह चाय के साथ-साथ समाचार पत्र की बेचैनी से प्रतीक्षा रहती है। समाचार पत्र मानव की प्रगति का इतिहास दिखाने वाला संचार का सबसे सस्ता, विश्वसनीय और अति महत्वपूर्ण साधन है। इसका इतिहास बहुत पुराना है। यह एक देश में बैठे लोगों को दूसरे देशों से जोड़ता है। वर्तमान में संचार के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने अदभुत सफलताएँ अर्जित की हैं, परन्तु समाचार-पत्र का महत्व आज भी उसी रूप में विद्यमान है। कम्प्यूटर के आविष्कार के बाद इस क्षेत्र में प्रतिदिन नये आयाम स्थापित हो रहे हैं। समाचार-पत्रों की प्रिंटिंग हो या खबरों का आदान-प्रदान हो अब घण्टों का काम मिनटों में हो रहा है। समाचार पत्र केवल खबरों का आदान-प्रदान ही नहीं करता अपितु इसके द्वारा विविध प्रकार के ज्ञान का संचार भी होता है। अनेक प्रतियोगिताओं की तैयारी में इससे बहुत ही सहायता मिलती है। समाचार पत्रों का नियमित अध्ययन करने से भाषा ज्ञान भी पूर्ण होता है। अब तो संसार की सभी प्रमुख भाषाओं में समाचार पत्रों का प्रकाशन होने लगा है। लोग जब तक सुबह समाचार पत्र के मुख पृष्ठ का अवलोकन नहीं कर लेते हैं तब तक घर से निकलना मुनासिब नहीं समझते हैं। समाचार-पत्रों में प्रकाशित सूचनाएँ सबसे विश्वस्त होती हैं। समाचारपत्र का महत्व सार्वकालिक है।
प्रश्न 5.
अपनी छोटी बहन को जल का महत्व समझाते हुए जल बचाओ’ पर लगभग 120 शब्दों में एक पत्र लिखें। (5)
अथवा
आपके क्षेत्र में वन विभाग के द्वारा लगाए गए पेड़-पौधे सूखते जा रहे हैं। इन पौधों के रखरखाव और जीवित रखने के लिए वन अधिकारी को लगभग 120 शब्दों में एक सुझाव पत्र लिखें।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
क ख ग राजा पार्क, आगरा
दिनांक 20-09-20XX
प्रिय अनुजा रिया,
शुभ चिरंजीव। मैं यहाँ पर कुशलता पूर्वक हूँ तथा आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ पर कुशल होगी। आज मैं इस पत्र के द्वारा तुम्हें जल के महत्व पर कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहता हूँ। जल हमारे जीवन की परम आवश्यकता है। हवा के बाद जल हमारी दूसरी प्राथमिक आवश्यकता है। आज हमारी नई पीढ़ी के द्वारा जल का बहुतायत से दुरुपयोग किया जा रहा है। जल के बिना हम अपने जीवन के एक दिन की भी कल्पना नहीं कर सकते। सोचो यदि जल न हो तो हम पीने के अलावा अपने दैनिक कार्यों को बिना जल के कैसे संपन्न कर सकते हैं?
जल का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वरना शीघ्र ही जल धरती से समाप्त हो जाएगा और हमारा जीवन भी बिना जल के समाप्त हो जाएगा। अतः हम सब को जल संरक्षण प्रत्येक प्रयास अवश्य करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि तुम मेरी बात पर अमल करोगी और अपने आसपास सभी को जल संरक्षण के महत्व को बताने में, भविष्य के लिए जल बचाने में और आने वाली पीढ़ी के जीवन को सुखमय बनाने में अपना योगदान दोगी। घर में माता-पिताजी को मेरा सादर प्रणाम देना।
तुम्हारा अग्रज
अथवा
परीक्षा भवन
क ख ग
राजा पार्क, आगरा
सेवा में,
वन अधिकारी,
वन विभाग,
भारत नगर, आगरा
विषय : सूखते जा रहे पौधों की जानकारी के लिए पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि आपके वन विभाग के कर्मचरियों के द्वारा वन महोत्सव पर वृक्षारोपण कार्यक्रम के अन्तर्गत हमारे क्षेत्र में कुछ पौधे लगाए गए थे, परंतु बारिश न होने के कारण वे सूखते जा रहे हैं। आपके विभाग के माली भी पौधों की सिंचाई नहीं करते। इस विषय पर हमने आपके क्षेत्रीय कार्यालय में शिकायत की, लेकिन हमारी बात पर कोई सुनवाई नहीं हुई। पेड़ हमारे जीवन और पर्यावरण के लिए कितने आवश्यक हैं ये बताने की आवश्यकता नहीं है। पेड़-पौधों को लगाने के साथ-साथ उनका उचित रख-रखाव यानी कि सिंचाई आदि भी आवश्यक है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप अपने कर्मचारियों को उचित निर्देश देकर हमारी समस्या का समाधान करने का कष्ट करें। मैं और मेरे क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद!
भवदीय
प फ ब
दिनांक-20-09-20xx
प्रश्न 6.
(क) सोने के आभूषणों के विक्रेता ‘कल्याण ज्वैलर्स’ के लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार करें। (2.5)
अथवा
अपने विद्यालय की नई ब्रांच हेतु लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
अथवा
(ख) आपके शहर में एक नया वाटर पार्क खुला है इसकी जानकारी देते हुए एक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आपके नगर में मिठाई की एक नई दुकान खुली है। इसके प्रचार के लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 7.
(क) अपनी छोटी बहन को खेल प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने पर लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए। (2.5)
अथवा
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए।
उत्तर:
बधाई संदेश
29-07-20XX
रात्रि 10:15 बजे
प्रिय संजना,
यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि क्रिकेट प्रतियोगिता में तुमने सफलता प्राप्त की और जिला स्तरीय टीम में तुम्हारा चयन हुआ है। ईश्वर तुम्हारा मार्ग प्रशस्त करे और तुम सफलता की और नई ऊँचाइयों को छुओ।
शुभकामनाएँ,
स्वाति
अथवा
शुभकामना संदेश
रात्रि 10:30
30 जुलाई, 20XX
बजे प्रिय अंशुल,
देश की एकता और अखंडता के प्रतीक 74वें स्वतंत्रता दिवस की तुम्हें सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ। हमें गर्व है कि हम सब भारतीय हैं। देश भर में हर्षोल्लास से मनाए जा रहे राष्ट्रीय पर्व की पुनः शुभकामनाओं सहित।
अ ब स
(ख) दीपावली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक संदेश लिखिए। (2.5)
अथवा
होली के त्यौहार की शुभकामनाएँ देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक संदेश लिखिए।
उत्तर:
दीपोत्सव मंगलमय हो
29 नवम्बर, 20XX
प्रातः 09:00 बजे
प्रिय/आदरणीय ……………..
जगमगाते दीपों से प्रकाशित इस मंगल बेला में विघ्नहर्ता गणेश एवं माँ लक्ष्मी की कृपा आप और आपके परिवार पर बरसे। आपका घर धन-धान्य, सुख-शांति और प्रसन्नता से भर उठे।
दीप से दीप जल गए,
आज अँधेरे सब मिट गए,
आओ हम भी एक दीप जलाएँ,
जो जग के दुःख हर ले और प्रेम का प्रकाश फैलाए।
इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ आपको सपरिवार दीपोत्सव की बहुत-बहुत बधाई।
सौरभ/स्मिता
अथवा
रंगोत्सव की बधाई
04 मार्च, 20XX
प्रातः 10:00 बजे
प्रिय मित्र,
मीठी गुजिया और गीतों की बहार, रंगों की वर्षा और गुलाल की फुहार।
सूरज की किरणें लाएँ खुशियों की बौछार, आपको मुबारक हो होली का त्यौहार॥
आपको प्यार, सौहार्द्र, विश्वास, उत्साह, अपनत्व और उमंग के रंगों से रँगी होली सपरिवार शुभ हो। रंगोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
सुमित