Students can find the 12th Class Hindi Book Antral Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण to develop Hindi language and skills among the students.
CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण
अलग-अलग विधाएँ, अलग-अलग स्वरूप :
नाटक और कहानी साहित्य की अलग-अलग विधाएँ हैं। यद्यपि नाटक के मूल में भी कहानी होती है परंतु दोनों विधाओं का स्वरूप अलग-अलग है। इन दोनों में कुछ ऐसे तत्व हैं, जो इन्हें अलग करते हैं। इसके अलावा इनकी रचना प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है। इनकी विधा बदलते ही भाषा प्रयोग भी बदल जाता है। इस तरह विधाओं में आदान-प्रदान की प्रक्रिया बदलती रहती है।
कहानी और नाटक में विविधता और समानता :
→ कहानी का नाटक में रूपांतरण करने से पूर्व कहानी और नाटक में विविधता और समानता जानना ज़रूरी है। इसके लिए हमें इनकी विशेषताओं को समझना चाहिए –
→ जहाँ कहानी का संबंध लेखक और पाठक से जुड़ता है, वहीं नाटक लेखक, निर्देशक, पात्र, दर्शक, श्रोता एवं अन्य लोगों को एक-दूसरे से जोड़े रखता है। यही कारण है कि ‘गोदान’, ‘देवदास’, ‘उसने कहा था’, ‘सद्गति’ आदि का नाट्य रूपांतरण कई बार और कई तरह से हुआ।
→ कहानी कही या पढ़ी जाती है जबकि नाटक मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। नाटक को मंच पर अभिनेता अपने अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। इसमें संगीत, मंच सज्जा और प्रकाश – व्यवस्था भी होती है।
→ उन दोनों में यह समानता होती है कि दोनों में कहानी होती है, पात्र होते हैं और परिवेश होता है। इस तरह दोनों की आत्मा के कुछ तत्व समान होते हैं पर नाटक में जितना द्वंद्व होता है, उतना कहानी में नहीं।
कहानी को नाटक में रूपांतरित करने से पहले :
→ कहानी को नाटक में रूपांतरित करने से पहले पूर्ण कहानी की विस्तृत कथावस्तु, समय और स्थान के आधार पर विभाजित कर लेना चाहिए। कथावस्तु उन घटनाओं का लेखा-जोखा है, जो कहानी में घटती हुई होती है। प्रत्येक घटना किसी स्थान और समय पर घटती है।
→ कथावस्तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुनकर निकालना चाहिए क्योंकि इसी के आधार पर दृश्य बनते हैं। उदाहरणार्थ – ईदगाह कहानी के आरंभ में लेखक ने मेले को लेकर बच्चों के उतावलेपन और कुतूहल का लंबा मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। इसके लिए पहले दृश्य में उस हिस्से पर फोकस किया जा सकता है, जहाँ बच्चे तैयार हो रहे हैं, भाग-दौड़ कर रहे हैं तथा अपने – अपने पैसे गिन रहे हैं। इसी प्रकार, अंतिम दृश्य अमीना और उसकी दादी से जुड़ा हो सकता है तथा उनके संवाद दिए जा सकते हैं।
→ स्थान और समय के आधार पर भी कहानी का विभाजन करके दृश्यों को लिखा जा सकता है। इसके लिए प्रत्येक दृश्य का कथानक के अनुसार औचित्य होना चाहिए।
→ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक दृश्य का कथानुसार तार्किक विकास हो रहा है या नहीं। इसके लिए दृश्य- विशेष के उद्देश्य और उसकी संरचना पर विचार करना आवश्यक होता है।
→ प्रत्येक दृश्य का कथानुसार तार्किक विकास हो रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए दृश्य-विशेष के उद्देश्य और उसकी संरचना पर विचार आवश्यक है। प्रत्येक दृश्य एक बिंदु से प्रारंभ होता है। कथानुसार अपनी आवश्यकताएँ पूरी करता है और उसका ऐसा अंत होता है जो उसे अगले दृश्य से जोड़ता है। इसलिए दृश्य का पूरा विवरण तैयार किया जाना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि दृश्य में कोई आवश्यक जानकारी छूट जाए या उसका क्रम बिगड़ जाए। इस तरह नाटक में ही नहीं बल्कि नाटक के प्रत्येक दृश्य में प्रारंभ, मध्य और अंत होता है।
→ दृश्य कई काम एक साथ करता है। एक ओर वह कथानक को आगे बढ़ाता है तो दूसरी ओर पात्रों और परिवेश को संवादों के माध्यम से स्थापित करता है। इसके साथ-साथ दृश्य अगले दृश्य के लिए भूमिका भी तैयार करता है।
इसके अलावा उन दृश्यों का भी खाका तैयार कर लेना चाहिए, जिनमें कोई संवाद न हो। इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि कोई घटना या सूचना को दोहराया न गया हो।
दृश्य निर्धारण के बाद यह देखना आवश्यक हो जाता है कि परिस्थिति, परिवेश, पात्र कथानक से संबंधित विवरणात्मक टिप्पणियाँ किस प्रकार की हैं। इन विवरणों को नाटक में स्थान देने के तरीके अलग-अलग हैं, जैसे- विवरणात्मक टिप्पणी यदि परिवेश के बारे में है तो उसे मंच सज्जा के अंतर्गत लिया जा सकता है या पार्श्व संगीत के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। विवरण यदि पात्रों के बारे में है तो उन्हें संवादों के माध्यम से निर्धारित दृश्यों में उचित स्थान पर दिया जा सकता है।
नाटक संबंधी संवाद की विशेषताएँ :
दृश्य निर्धारण के बाद यह जाना जा सकता है कि दृश्य की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले संवाद हैं या नहीं। संवाद अपर्याप्त होने पर उन्हें लिखने का काम करना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि नए लिखे संवाद-
- कहानी के मूल संवाद के साथ मेल खाते हों।
- औचित्यपूर्ण हों।
- प्रभावशाली, छोटे और बोलचाल की भाषा में हों क्योंकि मंच पर लंबे संवादों से तारतम्य बनाना कठिन होता है।
नाटक में चरित्र-चित्रण :
नाटक में चरित्र-चित्रण करने की विधि कहानी से अलग होती है। ऐसा करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता नाटक के पात्रों में प्रयोग किया जाना चाहिए; जैसे – ‘ईदगाह’ कहानी में प्रेमचंद ने हामिद के कपड़ों का वर्णन नहीं किया है परंतु उसके कपड़े ऐसे हो सकते हैं जो उसकी गरीबी तथा कमजोर आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाले हों।
→ संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का अगला तरीका अभिनय है जो प्रायः निर्देशक का काम है। पात्र की भावभंगिमाओं और उसके तौर-तरीकों (मैनरिज्म) से प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है। कहानी के लंबे संवादों को छोटा करके उन्हें अधिक नाटकीय बनाया जा सकता है। स्थानीय रंग में संवादों को रंग कर चरित्र चित्रण को परिमार्जित किया जा सकता है।
→ ध्वनि और प्रकाश भी चरित्र चित्रण करने तथा संवेदनात्मक प्रभाव उत्पन्न करने में कारगर सिद्ध होते हैं। इस बारे में निर्देशक ही प्राय: निर्णय लेते हैं।
पात्रों के मनोभावों या मानसिक द्वंद्व की प्रस्तुति की समस्या :
नाटक में पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा विवरण रूप में व्यक्त प्रसंगों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में समस्या आ सकती है। उदहरणार्थ- ‘ईदगाह’ कहानी में चिमटे की दुकान पर खड़े हामिद के मन में चल रहे द्वंद्व – ‘क्या – क्या खरीदे ? या अम्मा का हाथ जलता है’ का रूपांतरण कठिन है। इसके लिए स्वगत कथन का प्रयोग किया जा सकता है, पर आजकल इसके लिए ‘वायस ओवर’ का प्रयोग किया जाता है, जिसमें पात्र बोलता नहीं पर उसकी आवाज़ दर्शकों को सुनाई देती है।
कहानी का नाट्य रूपांतरण अच्छा हो, इसके लिए अच्छे नाटक और अच्छी नाट्य प्रस्तुतियाँ देखी जाएँ।
कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ जिनका सफलतापूर्वक नाट्य रूपांतरण हुआ है-
- चीफ़ की दावत – भीष्म साहनी
- डिप्टी कलेक्टरी – अमरकांत
- कफ़न – प्रेमचंद
- मोटेराम शास्त्री – प्रेमचंद
- रुपया तुम्हें खा गया – भगवती चरण वर्मा
- और अंत में प्रार्थना – उदय प्रकाश
- धूप का टुकड़ा, डेढ़ इंच ऊपर
- वीक एंड – निर्मल वर्मा (तीन एकांत नाम से प्रकाशित)
- टोबा टेक सिंह – मंटो
- दुविधा – विजयदान देथा
- बड़े भाई साहब – प्रेमचंद
- ईदगाह – प्रेमचंद
- वारेन हेस्टिंग्स का साँढ़ – उदय प्रकाश
- मोहनदास – उदय प्रकाश
पाठ्यपुस्तक से से हल प्रश्न –
प्रश्न 1.
कहानी और नाटक में क्या-क्या समानताएँ होती हैं ?
उत्तर :
कहानी और नाटक भले ही साहित्य की अलग-अलग विधाएँ हों, पर उनमें अनेक समानताएँ होती हैं; जैसे –
कहानी और नाटक दोनों में ही एक कहानी होती है।
दोनों में ही पात्र और परिवेश होता है।
दोनों का ही क्रमिक विकास होता है, द्वंद्व होता है संवाद होते हैं और चरम उत्कर्ष (क्लाइमेक्स) होता है।
कहानी और नाटक दोनों की ही आत्मा के कुछ मूल तत्व एक ही होते हैं।
प्रश्न 2.
स्थान और समय को ध्यान में रखते हुए दोपहर का भोजन कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें। किसी एक दृश्य का संवाद भी लिखें।
उत्तर :
छात्र स्थान और समय को ध्यान में रखें और ‘दोपहर का भोजन’ कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें। इसके एक दृश्य का संवाद इस तरह हो सकता है –
स्थान – टूटे-फूटे घर का आँगन, एक ओर छप्पर तथा बगल में रसोई।
समय – दोपहर
दृश्य – (थाली में एक टुकड़ा रोटी शेष, एक दुबला पतला लड़का रामचंद्र जल्दी-जल्दी खाते और उसकी माँ सिद्धेश्वरी रसोई की ओर देखकर उठने का अभिनय करती हुई।)
सिद्धेश्वरी – एक रोटी और लाती हूँ।
रामचंद्र – (हाथ से मना करते हुए) नहीं – नहीं, जरा भी नहीं । मेरा पेट पहले ही भर चुका है। मैं तो यह भी छोड़ने वाला हूँ। बस, अब नहीं।
सिद्धेश्वरी – अच्छा, आधी ही सही।
रामचंद्र – (बिगड़ते हुए) अधिक खिलाकर बीमार कर डालने की तबीयत है क्या? तुम लोग ज़रा भी नहीं सोचती हो । बस, अपनी ज़िद ! भूख रहती तो क्या ले नहीं लेता ?
(रोटी के टुकड़े को खींचकर लोटे की ओर देखते हुए)
माँ, पानी लाओ।
सिद्धेश्वरी पानी लेने चली जाती है।
प्रश्न 3.
कहानी के नाट्य रूपांतरण में संवादों का विशेष महत्व होता है। नीचे ईदगाह कहानी से संबंधति कुछ चित्र दिए जा रहे हैं। इन्हें देखकर संवाद लिखें –
(चित्र के लिए देखें- ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ पुस्तक की पृष्ठ संख्या – 145 – 146)
उत्तर :
(गाँव में किसी घर के बाहर की खुली जगह। मनोहर, सुंदर सुबह और वहाँ खड़े हुए चार-पाँच बालक। उनके चेहरों पर प्रसन्नता, अपनी-अपनी जेबों से पैसे निकाल कर एक-दूसरे को दिखाकर गिनते हुए।
महमूद – एक – दो, दस-बारह।
मोहसिन – एक, दो, तीन, आठ, नौ पंद्रह। (वे पैसे अपनी जेब में रखते हैं।)
इसी प्रकार छात्र ‘ईदगाह’ कहानी के दृश्यों को सोचें और अपनी कल्पना से संवाद लिखें।
अन्य हल प्रश्न –
प्रश्न 1.
साहित्य की अलग-अलग विधाओं का स्वरूप अलग क्यों होता है?
उत्तर :
साहित्य की अलग-अलग विधाओं का स्वरूप इसलिए अलग होता है क्योंकि उनकी रचना-प्रक्रिया अलग होने के
साथ उनके तत्व भी अलग होते हैं। इसके अलावा विधा बदलते ही भाषा का प्रयोग भी बदल जाता है।
प्रश्न 2.
कहानी और नाटक की मुख्य विशेषता बताइए।
उत्तर :
कहानी का संबंध पाठक और लेखक से जुड़ता है जबकि नाटक, लेखक, निर्देशक, पात्र, दर्शक, श्रोता तथा अन्य लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है।
प्रश्न 3.
लोग नाटक और फ़िल्म को देर तक क्यों याद करते हैं?
उत्तर :
लोग नाटक और फ़िल्म को देर तक इसलिए याद रखते हैं क्योंकि दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है।
प्रश्न 4.
कहानी और नाटक में मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर :
कहानी और नाटक में मुख्य अंतर यह है कि कहानी कही या पढ़ी जाती है जबकि नाटक मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें अभिनेता अभिनय करते हैं। मंच – सज्जा होती है, संगीत होता है और प्रकाश व्यवस्था होती है।
प्रश्न 5.
नाटक और कहानी के द्वंद्व तत्व में क्या अंतर होता है?
उत्तर :
यद्यपि नाटक और कहानी दोनों में द्वंद्व तत्व होता है परंतु नाटक में यह तत्व अधिक मात्रा में पाया जाता है जबकि कहानी में कम मात्रा में।
प्रश्न 6.
कथावस्तु किसे कहते है। ?
उत्तर :
कथावस्तु उन घटनाओं का लेखा-जोखा है जो कहानी में घटती है।
प्रश्न 7.
नाटक के दृश्य किस आधार पर बनाए जाते हैं?
उत्तर :
कहानी की कथावस्तु को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुनकर निकाला जाता है। इसके ही आधार पर
कहानी का दृश्य बनता है।
प्रश्न 8.
नाटक में अनावश्यक दृश्य क्यों नहीं रखना चाहिए?
उत्तर :
नाटक में अनावश्यक दृश्य इसलिए नहीं रखना चाहिए क्योंकि ऐसे दृश्य नाटक की गति को बाधित करते हैं ।
प्रश्न 9.
नाटक के दृश्य की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर :
नाटक का प्रत्येक दृश्य एक बिंदु से प्रारंभ होता है। वह कथानुसार अपनी आवश्यकता पूरी करता है और उसका अंत ऐसा होता है, जो अगले दृश्य से जोड़ता है।
प्रश्न 10.
नाटक में दृश्य की महत्ता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नाटक में दृश्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह एक साथ कई काम करता है, जैसे –
- कथानक को आगे बढ़ाता है।
- पात्रों और परिवेश को संवादों के माध्यम से स्थापित करता है।
- अगले दृश्य के लिए भूमिका तैयार करता है।
प्रश्न 11.
नाटक में पात्रों से जुड़ी विवरणात्मक टिप्पणी किस तरह दी जा सकती है?
उत्तर :
नाटक में पात्रों से जुड़ी विवरणात्मक टिप्पणी संवादों के माध्यम से निर्धारित दृश्यों में उचित स्थान पर दी जा सकती है।
प्रश्न 12.
नाटक के लिए संवाद लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर :
नाटक के लिए संवाद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- संवाद, कहानी के मूल संवादों के साथ मेल खाते हों।
- वे औचित्यपूर्ण हों।
- संवाद प्रभावशाली, छोटे और बोलचाल की भाषा में हों।
प्रश्न 13.
नाटक में संवाद किस तरह प्रभावशाली बनाया जा सकता है?
उत्तर :
नाटक में संवाद को प्रभावी बनाने का पहला तरीका अभिनय है, जो निर्देशक करता है। इसके अलावा कहानी के
संवादों को छोटा करके नाटकीय बनाया जा सकता है।
प्रश्न 14.
कहानी के नाट्य रूपांतर में क्या समस्या आती है ?
उत्तर :
कहानी के नाट्य रूपांतर करते समय पात्रों के मनोभावों के विवरण के रूप में व्यक्त प्रसंग या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में प्रायः समस्या आ जाती है।
प्रश्न 15.
‘वायस ओवर’ क्या है?
उत्तर :
पात्रों के मनोभावों की प्रस्तुति के लिए आजकल ‘वायस ओवर’ का प्रयोग किया जाता है। यह ऐसी ध्वनि होती है
जो दर्शकों को सुनाई तो देती है, पर पात्र बोलता नहीं है।