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CBSE Class 11 Hindi Elective अपठित बोध अपठित काव्यांश
अपठित काव्यांश क्या है?
वह काव्यांश, जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है, अपठित काव्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन काव्यांशों से विद्यार्थी की भावग्रहण-क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
परीक्षा में प्रश्न का स्वरूप
परीक्षा में विद्यार्थियों को 100 से 150 शब्दों का कोई काव्यांश दिया जाएगा। उस काव्यांश से संबंधित आठ अति लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा बहुविकल्पी प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा कुल प्रश्न आठ अंक के होंगे। प्रश्न हल करने की विधि
अपठित काव्यांश को हल करते समय निम्नलिखित बिंदु ध्यातव्य हैं :
- कविता को मनोयोग से पढ़िए, ताकि उसका अर्थ समझ में आ जाए। यदि कविता कठिन है, तो इसे बार-बार पढ़िए, ताकि भाव स्पष्ट हो सके।
- कविता के अध्ययन के बाद उससे संवंधित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए।
- प्रश्नों के अध्ययन के बाद कविता को दुबारा पढ़िए तथा उन पंक्तियों को चुनिए, जिनमें प्रश्नों के उत्तर मिलने की संभावना हो।
- जिन प्रश्नों के उत्तर सीधे तौर पर मिल जाएँ, उन्हें लिखिए।
- कुछ प्रश्न कठिन या सांकेतिक होते हैं। उनका उत्तर देने के लिए कविता का भाव-तत्व समझिए।
- प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।
- प्रश्नों के उत्तर की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए।
- उत्तर अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रतीकात्मक व लाक्षणिक शब्दों के उत्तर एक से अधिक शब्दों में दीजिए। इससे उत्तरों की स्पष्टता बढ़ेगी।
अपठित काव्यांश के कुछ उदाहरण (उत्तर सहित)
निम्नलिखित काव्यांशों तथा उन पर आधारित प्रश्नों व उत्तरों को ध्यानपूर्वक पढ़िए :
1. हँस लो दो क्षण खुशी मिली गर
वरना जीवन-भर क्रंदन है।
किसका जीवन हँसी-खुशी में
इस दुनिया में रहकर बीता ?
सदा-सर्वदा संघर्षों को
इस दुनिया में किसने जीता?
खिलता फूल म्लान हो जाता
हँसता-रोता चमन-चमन है।
कितने रोज़ चमकते तारे
कितने रह-रह गिर जाते हैं,
हँसता शशि भी छिप जाता है
जब सावन घन घिर आते हैं।
उगता-ढलता रहता सूरज
जिसका साक्षी नील गगन है।
आसमान को छूने वाली,
वे ऊँची-ऊँची मीनारें!
मिट्टी में मिल जाती हैं वे
छिन जाते हैं सभी सहारे।
दूर तलक धरती की गाथा
मौन मुखर कहता कण-कण है।
यदि तुमको मुसकान मिली तो
मुसकाओ सबके संग जाकर।
यदि तुमको सामर्थ्य मिला तो
थामो सबको हाथ बढ़ाकर।
झाँको अपने मन-दर्पण में
प्रतिबिंबित सबका आनन है।
प्रश्न :
(क) कवि दो क्षण के लिए मिली खुशी पर हँसने के लिए क्यों कह रहा है?
(ख) कविता में संसार की किस वास्तविकता को प्रस्तुत किया गया है?
(ग) धरती का कण-कण कौन-सी गाथा सुनाता रहा है?
(घ) भाव स्पष्ट कीजिए :
झाँको अपने मन-दर्पण में
प्रतिबिबित सबका आनन है।
(ङ) ‘उगता-ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(च) हँसता शशि किसका प्रतीक है? कवि ने इसका उल्लेख क्यों किया है?
(छ) कवि ने असहायों को सहारा देने की बात कही है। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) जीवन में बहुत आपदाएँ हैं। अतः जब भी हँसी के क्षण मिल जाएँ, तो उन क्षणों में हँस लेना चाहिए। कवि इसीलिए कहता है कि जब अवसर मिले हँस लेना चाहिए।
(ख) कविता में संसार की वास्तविकता के बारे में बताया गया है कि संसार में सब-कुछ नश्वर है।
(ग) धरती का कण-कण गाथा सुनाता आ रहा है कि आसमान को छूने वाली ऊँची-ऊँची मीनारें एक दिन मिट्टी में मिल जाती हैं। सभी सहारे दूर हो जाते हैं। अतः यदि समय है, तो सबके साथ मुस्कराओ और यदि सामर्थ्य है, तो सबको सहारा दो।
(घ) यहाँ कवि का अभिप्राय यह है कि यदि अपने मन-दर्पण में झाँककर देखोगे, तो सभी के चेहरे एक-समान नज़र आएँगे अर्थात सभी एक ही ईश्वर के रूप दिखाई देंगे।
(ङ) ‘उगता-ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जीवन में समय एक-सा नहीं रहता। अच्छे-बुरे समय के साथ-साथ सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।
(च) ‘हैंसता शशि’ थोड़े समय के लिए मिली खुशी का प्रतीक है। कवि ने इसका उल्लेख यह दर्शाने के लिए किया है कि जिस तरह बादलों में चाँद छिप जाता है उसी तरह दुखों की अधिकता में खुशियाँ गायब हो जाती हैं।
(छ) उक्त भाव प्रकट करने वाली पंक्तियाँ हैं-
यदि तुमको सामर्थ्य मिला तो
थामों सबको हाथ बढ़ाकर।।
(ज) शीर्षक- खुशी के दो क्षण।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कविता के अनुसार जीवन किससे भरा है?
(क) खुशी से
(ख) आपदाओं से
(ग) सुख से
(घ) गरीबी से
उत्तर :
(ख) आपदाओं से
प्रश्न 2.
खिले फूल के मुरझाने पर क्या होता है?
(क) फूल नष्ट हो जाता है
(ख) उपवन नष्ट हो जाता है
(ग) उपवन दुखी होता है
(घ) उपवन पर कोई असर नहीं होता।
उत्तर :
(ग) उपवन दुखी होता है
प्रश्न 3.
सावन के घन किसके प्रतीक हैं?
(क) बरसते बादलों के
(ख) खुशी लाने वाले बादलों के
(ग) डरावने बादलों के
(घ) खुशी छीन लेने वाली घोर आपदाओं को
उत्तर :
(घ) खुशी छीन लेने वाली घोर आपदाओं को
प्रश्न 4.
सूरज के उगने और छिपने का गवाह कौन है?
(क) धरती के सारे मनुष्य
(ख) नीला आकाश
(ग) पेड़-पौधे
(घ) पशु-पक्षी और जीव-जंतु
उत्तर :
(ख) नीला आकाश
प्रश्न 5.
आसमान की ऊँची-ऊँची मीनारें क्या प्रकट करती हैं?
(क) मनुष्य की ऊँची-ऊँची अभिलाषाएँ
(ख) मनुष्य की कार्य-कुशलता
(ग) मनुष्य की उपलब्धियाँ
(घ) मनुष्य के बड़े-बड़े दुख
उत्तर :
(क) मनुष्य की ऊँची-ऊँची अभिलाषाएँ
प्रश्न 6.
‘मौन मुखर कहता है कण-कण’ में अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) विरोधाभास अलंकार
(ग) मानवीकरण अलंकार
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 7.
‘थामों सबको हाथ बढ़ाकर’ का भाव है-
(क) दुख-सुख दोनों को आगे बढ़कर अपनाओ
(ख) दीन-दुखियों को आगे बढ़कर सहारा दो
(ग) हाथ बढ़ाकर पेड़-पौधों को सहारा दो
(घ) गिरती मीनारों को हाथ बढ़ाकर रोको
उत्तर :
(ख) दीन-दुखियों को आगे बढ़कर सहारा दो
प्रश्न 8.
उपर्युक्त कविता का शीर्षक हो सकता है-
(क) गिरती मीनारें
(ख) खुशी के दो पल
(ग) हँसता-रोता चमन
(घ) धरती की गाथा।
उत्तर :
(ख) खुशी के दो पल
2. क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-घन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।
मैं अविराम पथिक अलबेला, रूके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे, जीवन के उत्थान-पतन।।
मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल,
रोक सकी पगले कब मुझको, यह युग की प्राचीर निबल।
आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये जग के खंडन-मंडन।।
मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं, अग्निशिखाओं के नर्तन।
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त काव्यांश के आधार पर कवि के स्वभाव की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) कविता में आए मेघ, विद्युत, सागर की गर्जना और ज्वालामुखी किनके प्रतीक हैं? कवि ने उनका संयोजन यहाँ क्यों किया है?
(ग) ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने कभी चयन’-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(घ) ‘युग की प्राचीर’ से क्या तात्पर्य है? उसे कमज़ोंर क्यों बताया गया है?
(ङ) किन पंक्तियों का आशय है-तन-मन में दृढ़-नशश्चय का नशा हो, तो जीवन-मार्ग में बढ़ते रहने से कोई नहीं रोक सकता।
(च) कवि को जीवन के उत्थान-पतन क्यों नहीं रोक पाएँगे?
(छ) काव्यांश की भाषा संबंधी दो विशेषताएँ लिखिए।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) कवि के स्वभाव की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं- गतिशीलता, साहस व संघर्षशीलता।
(ख) मेघ, विद्युत, सागर की गर्जना व ज्वालामुखी जीवन-पथ में आई बाधाओं के परिचायक हैं। कवि इनका संयोजन इसलिए करता है, ताकि वह अपनी संघर्षशीलता व साहस को दर्शा सके।
(ग) इसका अर्थ यह है कि कवि ने हमेशा चुनौतियों से पूर्ण कठिन मार्ग चुना है। वह सुख-सुविधापूर्ण जीवन नहीं जीना चाहता।
(घ) इसका अर्थ है, समय की बाधाएँ। कवि कहता है कि संकल्पवान व्यक्ति बाधाओं व संकटों से घबराता नहीं है। वह उनसे मुकाबला करके उन पर विजय पा लेता है।
(ङ) ये पंक्तियाँ हैं-
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए, फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।
(च) कवि को जीवन के उत्थान-पतन इसलिए नहीं रोक पाएँगे क्योंकि वह आपदाओं से हार नहीं मानता और नई-नई आशाएँ संजोए जीवन पथ पर चलता रहता है।
(छ) काव्यांश की दो विशेषताएँ हैं-
(i) तत्सम शब्दावली का प्रयोग हुआ है।
(ii) प्रतीकात्मकता का गुण विद्यमान है।
(ज) शीर्षक- ‘मैं अविराम पथिक’ या ‘चलते रहना मेरा काम’।
बहुविकल्थीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि को अपने पथ पर आगे बढ़ने से रोकने की शक्ति इनमें से किसमें है?
(क) प्रलय लाने वाले बादलों में
(ख) बादलों में नाचती बिजली में
(ग) सागर की गरजती लहरों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2.
कवि खुद को अविराम, अलबेला पथिक क्यों कह रहा है?
(क) सुंदर रास्ते पर चलने के कारण
(ख) कवि के दिखने में सुंदर होने के कारण
(ग) मुसीबत भरे रास्ते पर निरंतर चलते जाने के कारण
(घ) किसी अलबेले राही के साथ चलने के कारण
उत्तर :
(ग) मुसीबत भरे रास्ते पर निरंतर चलते जाने के कारण
प्रश्न 3.
फूलों के बदले शूलों का चयन करना कवि की किस विशेषता की ओर संकेत करता है?
(क) सौंदर्य की परवाह न करने वाला
(ख) सबसे अलग दिखने की चाहत रखने वाला
(ग) संघर्षशील एवं साहसी होना
(घ) फूलों को छोड़ने वाला तथा संघर्ष से दूर रहने वाला
उत्तर :
(ग) संघर्षशील एवं साहसी होना
प्रश्न 4.
सागर की गर्जना एवं ज्वालामुखी किसका प्रतीक है?
(क) प्राकृतिक शक्तियों का
(ख) जीवन-पथ पर आने वाली बाधाओं का
(ग) संघर्ष से दूर ले जाने वाली शक्तियों का
(घ) जीवन-पथ को सौंदर्यपूर्ण बनाने वाली रचनाओं का
उत्तर :
(ख) जीवन-पथ पर आने वाली बाधाओं का
प्रश्न 5.
‘मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(क) वह जीवन के प्रति आशावान है।
(ख) वह जीवन में आशाएँ देखकर मुस्काता है।
(ग) उसकी मुसकान आशा की प्रतीक है।
(घ) उसकी मुसकान आशा में खो गई है।
उत्तर :
(क) वह जीवन के प्रति आशावान है।
प्रश्न 6.
कवि जीवन-पथ पर चलते हुए विचलित नहीं है क्योंकि-
(क) कवि कभी रुकता नहीं है।
(ख) उसकी राह में बाधाएँ नहीं हैं।
(ग) उसके जीवन की लंबी डगर ही उसे सहारा देती है।
(घ) उसे जीवन-पथ पर चलने का गहरा अनुभव है।
उत्तर :
(ग) उसके जीवन की लंबी डगर ही उसे सहारा देती है।
प्रश्न 7.
‘नव आशा के दीप लिए’ अंश में अलंकार है-
(क) उपमा अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उत्तर :
(ग) रूपक अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का शीर्षक हो सकता है-
(क) ज्वालामुखियों का कंपन
(ख) मैं अविराम पथिक
(ग) युग की प्राचीर
(घ) सुपरिचित राह
उत्तर :
(ख) मैं अविराम पथिक
3. यह मजूर, जो जेठ मास के इस निर्धूम अनल में
कर्ममग्न है अविकल दग्ध हुआ पल-पल में;
यह मजूर, जिसके अंगों पर लिपटी एक लँगोटी;
यह मजूर, जर्जर कुटिया में जिसकी वसुधा छोटी;
किस तप में तल्लीन यहाँ है भूख-प्यास को जीते,
किस कठोर साधना में इसके युग के युग हैं बीते!
कितने महा महाधिप आए, हुए विलीन क्षितिज में,
नहीं दृष्टि तक डाली इसने, निर्विकार यह निज में।
यह अविकंप न जाने कितने घूँट पिए है विष के,
आज इसे देखा जब मैंने बात नहीं की इससे।
अब ऐसा लगता है, इसके तप से विश्व विकल है,
नया इंद्रपद इसके हित ही निश्चित है निस्संशय।
प्रश्न :
(क) जेठ के महीने में अपने काम में लगा हुआ मज़दूर क्या अनुभव कर रहा है?
(ख) उसकी दीन-हीन दशा को कवि ने किस तरह प्रस्तुत किया है?
(ग) उसका पूरा जीवन कैसे बीता है? उसने बड़े-से-बड़े लोगों को भी अपना कष्ट क्यों नहीं बताया?
(घ) उसने जीवन को कैसे जिया है? उसकी दशा को देखकर कवि को किस बात का आभास होने लगा है?
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए : ‘नया इंद्रपद इसके हित ही निश्चित है निस्संशय।’
(च) ‘किसान दुनिया के लोगों की परवाह न करके अपने में खोया रहा है’-यह भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ कौन-सी हैं?
(छ) ‘नहीं दृष्टि तक डाली इसने, निर्विकार यह निज में’ के आधार पर भाषागत विशेषताएँ लिखिए।
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) जेठ के महीने में मज़दूर अपने काम में मग्न है। गरम मौसम भी उसके कार्य को बाधित नहीं कर रहा है।
(ख) कवि बताता है कि मज़दूर की दशा खराब है। वह सिर्फ़ एक लँगोटी पहने हुए है। उसकी कुटिया टूटी-फूटी है। वह पेट भरने भर भी नहीं कमा पाता है।
(ग) मज़दूर का पूरा जीवन तंगहाली में बीता है। उसने बड़े-से-बड़े लोगों को भी अपना कष्ट नहीं बताया, क्योंकि वह अपने काम में तल्लीन रहता था।
(घ) मज़दूर ने सारा जीवन विष का घूँट पीकरं जिया। वह सदा अभावों से ग्रस्त रहा। उसकी दशा देखकर कवि को लगता है कि मज़दूर की तपस्या से सारा संसार विकल है।
(ङ) इसका अर्थ है कि मज़दूर के कठोर तप से यह लगता है कि उसे नया इंद्रपद मिलेगा अर्थात कवि को लगता है कि अब उसकी हालत में सुधार होगा।
(च) उक्त भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ हैं-
कितने महा महाधिप आए, हुए विलीन क्षितिज में, नहीं दृष्टि तक डाली इसने, निर्विकार यह निज में।
(छ) काव्यांश में तत्सम शब्दों की बहुलता है। शब्द चयन अत्यंत सटीक हैं जिससे जगह-जगह दृश्य बिंब साकार हो उठा है।
(ज) शीर्षक- यह मजूर।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
‘निर्धूम अनल’ किसे कहा गया है?
(क) जलती हुई आग जिसमें धुआँ नहीं है।
(ख) जेठ महीने की तेज़ चिलचिलाती धूप को
(ग) जेठ माह की जलती आग को
(घ) मज़दूर द्वारा जलाई गई अंग्नि को
उत्तर :
(ख) जेठ महीने की तेज़ चिलचिलाती धूप को
प्रश्न 2.
कवि मज़दूर को किस स्थिति में देख रहा है?
(क) छाया में आराम करते हुए
(ख) जेठ माह में व्याकुल दशा में
(ग) धूप में अपने काम में जुटे हुए
(घ) आग के पास बैठे हुए
उत्तर :
(ग) धूप में अपने काम में जुटे हुए
प्रश्न 3.
मज़दूर की टूटी-फूटी कुटिया किसका संकेत कर रही है?
(क) मज़दूर के सादगी पसंद होने का
(ख) मज़दूर द्वारा सरदी-गरमी का परवाह न करने का
(ग) मज़दूर के कर्मरत रहने का
(घ) मज़दूर की बदहाल स्थिति का
उत्तर :
(घ) मज़दूर की बदहाल स्थिति का
प्रश्न 4.
युग-युग से काम में जुटे मज़दूर के कार्य को किसकी संज्ञा दी गई है?
(क) निर्धूम अनल की
(ख) कठोर तप एवं साधना की
(ग) महा-महाधिप की
(घ) विकल विश्व की
उत्तर :
(ख) कठोर तप एवं साधना की
प्रश्न 5.
मज़दूर द्वारा बड़े लोगों को अपना कष्ट न बताने का कारण क्या था?
(क) शरीर पर एकमात्र वस्त्र होना
(ख) टूटी-फूटी कुटिया में रहना
(ग) दिन-रात काम में लगे रहना
(घ) जेठ माह में भयानक गरमी पड़ना
उत्तर :
(ग) दिन-रात काम में लगे रहना
प्रश्न 6.
‘भूख-प्यास में जीते’ पंक्ति का भाव है-
(क) मज़दूर भूख-प्यास पर विजय पा चुका है।
(ख) मज़दूर पेट भरने के लिए भी नहीं कमा पाता है।
(ग) इनमें से कोई नहीं
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(ख) मज़दूर पेट भरने के लिए भी नहीं कमा पाता है।
प्रश्न 7.
‘किस कठोर साधना में’ में निहित अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) मानवीकरण अलंकार
उत्तर :
(क) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 8.
उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक है-
(क) मजूर की कुटिया
(ख) मजूर और जेठ मास
(ग) यह मजूर
(घ) मजूर को इंद्रपद
उत्तर :
(घ) मजूर को इंद्रपद
4. नीलांबर परिधान हरित पट पर सुंदर है,
सूर्य-चंद्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है,
नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारे मंडल हैं,
बंदीजन खग-वृंद, शेषफन सिहासन है
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेश की
हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की;
जिसकी रज में लोट-लोटकर बड़े हुए हैं
ब घुटनों के बल सरक-सरककर खड़े हुए हैं,
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाए,
जिसके कारण ‘धूल भरे हीरे’ कहलाए,
हम खेले कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद में
हे मातृभूमि! तुझको निरख, मग्न क्यों न हों मोद में
निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है,
शीतल मंद सुगंध पवन हर लेता श्रम है,
षट्ॠतुओं का विविध दृश्य युत अद्भुत क्रम है,
हरियाली का फ़र्श नहीं मखमल से कम है,
शुचि-सुधा सींचता रात में तुझ पर चंद्रप्रकाश है
हे मातृभूमि! दिन में तरणि करता तम का नाश है
जिस पृथ्वी में मिले हमारे पूर्वज प्यारे,
उससे हे भगवान! कभी हम रहें न न्यारे,
लोट-लोटकर वहीं हृदय को शांत करेंगे
उसमें मिलते समय मृत्यु से नहीं डरेंगे,
उस मातृभूमि की धूल में, जब पूरे सन जाएँगे
होकर भव-बंधन मुक्त हम, आत्मरूप बन जाएँगे।
प्रश्न :
(क) प्रस्तुत काव्यांश में ‘हरित पट’ किसे कहा गया है?
(ख) कवि अपने देश पर क्यों बलिहारी जाता है?
(ग) कवि अपनी मातृभूमि के जल और वायु की क्या-क्या विशेषताएँ बताता है?
(घ) मातृभूमि को ईश्वर का साकार रूप किस आधार पर बताया गया है?
(ङ) प्रस्तुत कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(च) सागर और नदियाँ मातृभूमि की शोभा बढ़ाने में क्या योगदान दे रहे हैं?
(छ) काव्यांश की भाषा की विशेषताएँ लिखिए।
(ज) इस काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) यहाँ ‘हरित पट’ शस्य-श्यामला धरती के लिए कहा गया है, जिस पर चारों ओर फैली हरियाली मखमल से कम सुंदर नहीं लगती है।
(ख) कवि अपनी सुंदर मातृभूमि से प्रेम करता है, जिसकी प्राकृतिक छटा मनोहारी है, जो सर्वथा ईश्वर की साक्षात प्रतिमूर्ति के रूप में विद्यमान दिखाई देती है।
(ग) कवि अपनी मातृभूमि के जल को अमृत के समान उत्तम, शीतल, निर्मल तथा वायु को शीतल, सुर्गंधित और श्रम की थकान को हर लेने वाली बताता है।
(घ) मातृभूमि को कवि ने ईश्वर का साकार रूप बताया है, क्योंकि ईश्वर की तरह ही मातृभूमि का मुकुट सूर्य और चंद्र के समान है, शेषनाग का फन सिंहासन के समान है। बादल निरंतर जिसका अभिषेक करते हैं। पक्षी प्रात: चहचहाकर गुणगान करते हैं। तारे इसके लिए फूलों के समान हैं। इस तरह मातृभूमि ईश्वर का साकार रूप है।
(ङ) कविता का मूलभाव है कि हमारी मातृभूमि अनुपम है, ईश्वर की साक्षात् प्रतिमूर्ति है। ऐसी मातृभूमि पर हम बलिहारी होते हैं।
(च) असीम विस्तार वाला सागर देखने में ऐसा लगता है, मानो हमारी मातृभूमि की मेखला हो। इसी तरह नदियों में निरंतर बहता हुआ जल, जल नहीं बल्कि प्रेम प्रवाहित हो रहा है।
(छ) काव्यांश की भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता है। शब्दों के सटीक चयन से जगह-जगह दृश्य बिंब साकार हो उठा है।
(ज) शीर्षक – हमारी मातृभूमि।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
हमारी मातृभूमि का मुकुट किसे कहा गया है?
(क) विस्तृत नीले आकाश को
(ख) चारों ओर फैली मखमली हरियाली को
(ग) प्रकाश फैलाने वाले सूरज और चाँद को
(घ) आसमान के सुंदर सितारों को
उत्तर :
(ग) प्रकाश फैलाने वाले सूरज और चाँद को
प्रश्न 2.
हमारी मातृभूमि पर बहने वाली नदियों में किसका प्रवाह होता है?
(क) शुद्ध जल का
(ख) अमृतरूपी जल का
(ग) सुख देने वाले जल का
(घ) प्रेम-प्यार रूपी जल का
उत्तर :
(घ) प्रेम-प्यार रूपी जल का
प्रश्न 3.
‘धूल भरे हीर’ किन्हें कहा गया है?
(क) मातृभूमि में मिलने वाले खनिजों को
(ख) धरती के नाना प्रकार के फूलों को
(ग) भारत माता के छोटे-छोटे बच्चों को
(घ) फूल और तारामंडल को
उत्तर :
(ग) भारत माता के छोटे-छोटे बच्चों को
प्रश्न 4.
इनमें से किसके आवागमन का क्रम अद्भुत बताया गया है?
(क) सूरज और चाँद का
(ख) आसमान के तारों का
(ग) शीतल मंद और सुर्गंधित हवा का
(घ) हमारे देश की ॠतुओं का
उत्तर :
(घ) हमारे देश की ॠतुओं का
प्रश्न 5.
कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना कर रहा है?
(क) मातृभूमि को और सुंदर बनाने की
(ख) मरने के बाद मातृभूमि में मिल जाने की
(ग) मातृभूमि की धूल में खेलने-कूदने की
(घ) मातृभूमि को देखकर प्रसन्न होने की
उत्तर :
(ख) मरने के बाद मातृभूमि में मिल जाने की
प्रश्न 6.
उपर्युक्त काव्यांश का मूल भाष है-
(क) भारत माता के सौदर्य का गुणगान करना
(ख) मातृभूमि की हरियाली का बखान करना
(ग) भारत में बहने वाली नदियों का गुणगान करना
(घ) अपने पूर्वजों से मिलने की इच्छा करना
उत्तर :
(क) भारत माता के सौदर्य का गुणगान करना
प्रश्न 7.
‘होकर भव-बंधन मुक्त हम’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) रूपक अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) अतिशयोक्ति अलंकार
उत्तर :
(क) रूपक अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(क) धूल भरे हीरे
(ख) अमृत सम उत्तम नीर
(ग) मातृभूमि का सौंदर्य
(घ) भव-बंधन से मुक्ति
उत्तर :
(घ) भव-बंधन से मुक्ति
5. मुक्त करो नारी को, मानव!
चिर बंदिनि नारी को,
युग-युग की बर्बर कारा से
जननी, सखी, प्यारी को!
छिन्न करो सब स्वर्ण-पाश
उसके कोमल तन-मन के,
वे आभूषण नहीं, दाम
उसके बंदी जीवन के!
उसे मानवी का गौरव दे
पूर्ण सत्व दो नूतन,
उसका मुख जग का प्रकाश हो,
उठे अंध अवगुंठन।
मुक्त करो जीवन-संगिनी को,
जननी देवी को आदृत
जगजीवन में मानव के संग
हो मानवी प्रतिष्ठित!
प्रेम स्वर्ग हो धरा, मधुर
नारी महिमा से मंडित,
नारी-मुख की नव किरणों से
युग-प्रभात हो ज्योतित!
प्रश्न :
(क) कवि नारी को किस दशा से मुक्त कराना चाहता है? वह उसके भिन्न-भिन्न रूपों का उल्लेख क्यों कर रहा है?
(ख) कवि नारी के आभूषणों को उसके अलंकरण के साधन न मानकर उन्हें किन रूपों में देख रहा है?
(ग) वह नारी को किन दो गरिमाओं से मंडित कर रहा है और क्या कामना कर रहा है?
(घ) वह मुक्त नारी को किन-किन रूपों में प्रतिष्ठित करना चाहता है?
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए :
नारी मुख की नव किरणों से
युग-प्रभात हो ज्योतित!
(च) कवि ने नारी को चिर-बंदिनि क्यों कहा है?
(छ) स्वर्ण-पाश किन्हें कहा गया है? वे नारी के लिए किस तरह नुकसानदायी सिद्ध हुए?
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए-
उत्तर :
(क) कवि नारी को पुरुष के बंधन से मुक्त कराना चाहता है। वह नारी को जननी. सखी व प्यारी रूप में बताता है, क्योंकि पुरुष का संबंध उसके साथ माँ, दोस्त व पत्नी के रूप में होता है।
(ख) कवि नारी के आभूषणों को उसके अलंकरण के साधन नहीं मानता। वह उन्हें उसकी स्वतंत्रता की कीमत मानता है।
(ग) कवि नारी को मानवी तथा मातृत्व की गरिमाओं से मंडित कर रहा है। वह कामना करता है कि उसे पुरुष के समान दर्ज्जा मिले।
(घ) कवि मुक्त नारी को मानवी, युग को प्रकाश देने वाली आदि रूपों में प्रतिष्ठित करना चाहता है।
(ङ) इसका अर्थ यह है कि नारी के नए रूप से नए युग का प्रभात प्रकाशित हो तथा वह अपने कार्यों से समाज को दिशा दे।
(च) कवि ने नारी को चिरबंदिनि इसलिए कहा है क्योंकि पुरुष आदिकाल से उसका हक छीनता आया है, उसने उस पर अत्याचार किया है और उसका प्रयोग अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किया है।
(छ) स्वर्णपाश नारी के आभूषण और अलंकरण के साधनों को कहा गया है। इन आभूषणों के प्रति नारी आकर्षित होती गई और उसकी स्वतंत्रता छिनती गई।
(ज) शीर्षक है – मुक्त करो नारी को!
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि नारी को किस स्थिति से मुक्त कराना चाहता है?
(क) पुरुषों के द्वारा किए जा रहे शोषण से
(ख) पुरुषों द्वारा उसकी आज़ादी छीने जाने से
(ग) पुरुषों द्वारा उसके अधिकार वंचना से
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 2.
कवि को नारी का कौन-सा रूप अच्छा नहीं लगा?
(क) माता का
(ख) साथिन का
(ग) बंदिनि का
(घ) प्रिया का
उत्तर :
(ग) बंदिनि का
प्रश्न 3.
कवि नारी के अलंकरण नष्ट कर देना चाहता है, क्यों?
(क) ये नारी की सुंदरता बढ़ाते हैं।
(ख) ये अलंकरण महँगे होते हैं।
(ग) ये नारी की स्वतंत्रता छीन लेते हैं।
(घ) ये नारी की रुचि से मेल नहीं खाते।
उत्तर :
(ग) ये नारी की स्वतंत्रता छीन लेते हैं।
प्रश्न 4.
कवि नारी को कौन-सा गौरव देना चाहता है?
(क) माता का
(ख) मानवी का
(क) नवकिरणों का
(क) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(ख) मानवी का
प्रश्न 5.
नारी के विषय में कवि कामना करता है कि-
(क) नारी पुरुषों से आगे निकल जाए
(ख) नारी को पुरुषों के समान समानता मिले
(ग) नारी पुरुषों के पीछे चले
(घ) नारी को पुरुष के सहयोग की ज़रूरत बनी रहे
उत्तर :
(ख) नारी को पुरुषों के समान समानता मिले
प्रश्न 6.
उपर्युक्त काव्यांश का मूलभाव है –
(क) नारी को शोषण, अत्याचार से मुक्त कराना
(ख) नारी को पुरुषों के समान आदर देना
(ग) नारी का महिमा मंडन करना
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(क) नारी को शोषण, अत्याचार से मुक्त कराना
प्रश्न 7.
‘उठे अंध अवगुंठन’ में कौन-सा अलंकार है ?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर :
(क) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 8.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(क) भारतीय नारी
(ख) नारी महिमा मंडन
(ग) मुक्त करो नारी को
(घ) जननी देवी को आदृत
उत्तर :
(ग) मुक्त करो नारी को
6. कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए,
एक हिलोर इधर से आए, एक हिलोर उधर से आए।
प्राणों के लाले पड़ जाएँ, त्राहि-त्राहि स्वर नभ में छाए,
नाश और सत्यानाशों का धुआँधार जग में छा जाए।
बरसे आग, जलद जल जाए, भस्मसात भूधर हो जाए,
पाप-पुण्य सदसद् भावों की धूल उड़े उठ दायें-बायें।
नभ का वक्षस्थल फट जाए, तारे टूक-टूक हो जाएँ।
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।
प्रश्न :
(क) कवि की कविता क्रांति लाने में कैसे सहायक हो सकती है?
(ख) कवि ने किस प्रकार के उथल-पुथल की कल्पना की है?
(ग) आपके विचार से नाश और सत्यानाश में क्या अंतर हो सकता है? कवि उनकी कामना क्यों करता है?
(घ) किसी समाज में फैली जड़ता और रूढ़िवादिता केवल क्रांति से ही दूर हो सकती है-इसके समर्थन में दो तर्क दीजिए।
(ङ) काव्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(च) कवि भूधर तक को जलाकर नष्ट कर देना चाहता है, क्यों?
(छ) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ज) इस काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) कवि अपनी कविता के माध्यम से लोगों में जागरूकता पैदा करता है। वह अपने संदेशों से जनता को कुशासन समाप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
(ख) कवि ने ऐसी उथल-पुथल की कामना की है, जिससे समाज में फैली बुरी ताकतें पूर्णतया नष्ट हो जाएँ।
(ग) हमारे विचार से ‘नाश’ से सिर्फ़ बुरी ताकतें समाप्त हो जाती हैं, परंतु ‘सत्यानाश’ से सब कुछ नष्ट हो जाता है। इसमें अच्छी ताकतें भी समाप्त हो जाती हैं।
(घ) यह बात बिलकुल सही है कि समाज में फैली जड़ता व रूढ़िवादिता केवल क्रांति से हीं दूर हो सकती है। क्रांति से वर्तमान में चल रही व्यवस्था नष्ट हो जाती है तथा नए विचारों को पनपने का अवसर मिलता है।
(ङ) लाले पड़ना-लॉकडाउन के कारण मज़दूरों को अब रोटी के लाले पड़ने लगे हैं।
छा जाना-आजकल प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा का मुद्दा देश में छा गया है।
(च) कवि समाज में फैली जड़ता और रुढ़िवादिता जड़ से समाप्त करने की इच्छा रखता है. इसलिए वह भूधर तक को जलाकर नष्ट कर देना चाहता है।
(छ) काव्यांश की भाषा की विशेषताएँ –
1. तत्सम शब्दों की बहुलता है।
2. मुहावरों का स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।
(ज) शीर्षक- ‘कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ।’
बहुविकंल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि, अन्य कवियों से कैसी तान सुनाने के लिए कह रहा है?
(क) सुरीली तान
(ख) शांति प्रदान करने वाली तान
(ग) क्रांति पैदा करने वाली तान
(घ) समाज का कल्याण करने वाली तान
उत्तर :
(ग) क्रांति पैदा करने वाली तान
प्रश्न 2.
कवि दोनों ओर से हिलोर आने की कल्पना क्यों करता है?
(क) समाज में जागरूकता लाने के लिए
(ख) समाज में यथास्थिति बनाए रखने के लिए
(ग) समाज में शांति बनाए रखने के लिए
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) समाज में जागरूकता लाने के लिए
प्रश्न 3.
संसार में नाश और सत्यानाश का धुआँ छाने का क्या परिणाम होगा?
(क) नया निर्माण शुरू हो जाएगा।
(ख) युवक जाग उठेंगे।
(ग) बुरी ताकतें पूरी तरह नष्ट हो जाएँगी।
(घ) अच्छी ताकतें ही अस्तित्व में रह जाएँगी।
उत्तर :
(ग) बुरी ताकतें पूरी तरह नष्ट हो जाएँगी।
प्रश्न 4.
कवि किन भावों को धूल में उड़ा देना चाहता है?
(क) समाज में व्याप्त बुरे भाव
(ख) समाज ने फैले अच्छे भाव
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
प्रश्न 5.
समाज में क्रांति का वातावरण बन जाने पर इनमें से क्या होगा?
(क) समाज की जड़ता दूर होगी।
(ख) समाज में फैली रूढ़िवादिता दूर होगी
(ग) जनता को कुशासन से मुक्ति मिलेगी।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 6.
समाज में नए विचारों को पनपने का अवसर तभी मिलेगा जब-
(क) पुरानी व्यवस्था नष्ट हो जाए।
(ख) युचा रूढ़ियों को स्यागकर आगे आएँ।
(ग) बुरी ताकतों का अस्तित्व कमज़ोर पड़ जाए।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 7.
‘बरसे आंग जलद जल जाएँ’ में कौन-सा अलंकार है ?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) विरोधाभास अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
प्रश्न 8.
काव्यांश का उचित शीर्षक होगा-
(क) कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ
(ख) उथल-पुथल मच जाए
(ग) सामाजिक रूढ़ियाँ
(घ) नए विचारों की ज़रूरत
उत्तर :
(क) कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ
7. यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ!
है अगम चेतना की घाटी, कमज़ोर बड़ा मानव का मन
ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन।
ज्वालाएँ जब घुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मुँदे नयन।
होकर निर्मलता में प्रशांत, बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन।
संकट में यदि मुसका न सको, भय से कातर हो मत रोओ।
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ।
हर सपने पर विश्वास करो लो लगा चाँदनी का चंदन।
मत याद करो मत सोचो, ज्वाला में कैसे बीता जीवन।
इस दुनिया में है रीत यही, सहता है तन बहता है मन।
सुख की अभिमानी मदिरा में जो जाग सका वह है चेतन।
इसमें तुम जाग नहीं सकते तो सेज बिछाकर मत सोओ।
यदि फूल नहीं बो सकते तो, काँटे कम से कम मत बोओ।
प्रश्न :
(क) ‘फूल बोने’ और ‘काँटे बोने’ का प्रतीकार्थ’ क्या है?
(ख) मन किन स्थितियों में अशांत होता है और कैसी स्थितियाँ उसे शांत कर देती हैं?
(ग) संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
(घ) मन में कटुता कैसे आती है और वह कैसे दूर हो जाती है?
(ङ) काव्यांश से दो मुहावरे चुनकर वाक्य-प्रयोग कीजिए।
(च) ‘काँटे कम से कम मत बोओ’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(छ) ‘संकट में यदि मुसका न सके, भय से कातर हो मत रोओ’ का आशय क्या है?
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या है?
उत्तर :
(क) ‘फूल बोने ‘ का प्रतीकार्थ है-अच्छे कर्म करना और ‘काँटे बोने’ का प्रतीकार्थ है-बुरे कर्म करना।
(ख) मन में विरोध की भावना के उदय के कारण अशांति का उदय होता है। ममता की शीतल छाया उसे शांत कर देती है।
(ग) संकट आ पड़ने पर मनुष्य को भयभीत नहीं होना चाहिए। उसे मन को मज़बूत करना चाहिए। उसे मुसकराना चाहिए।
(घ) मन में कटुता तब आती है, जब उसे सफलता नहीं मिलती। वह भटकता रहता है। स्नेह से वह दूर हो जाती है।
(ङ) काँटे बोना-हमें दूसरों के लिए काँटे नहीं बोने चाहिए।
घुल जाना-विदेश में गए पुत्र की खोज-खबर न मिलने से विक्रम घुल गया है।
(च) ‘काँटे कम से कम मत बोओ’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि यदि तुम किसी की भलाई नहीं कर सकते तो कम-से-कम दूसरों की राह में मुसीबतें भी मत खड़ी करो।
(छ) आशय यह है कि यदि मनुष्य में इतना आत्मबल नहीं है कि वह मुसकरा सके तो उसे डरकर रोना भी नहीं चाहिए। इससे मनुष्य के मन की दुर्बलता प्रकट होती है।
(ज) शीर्षक-काँटे मत बोओ।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
‘काँटे बोने’ का प्रतीकार्थ इनमें से क्या है?
(क) रास्ता रोकना
(ख) कँटीले पौधे लगाना
(ग) बुरे कार्य करना
(घ) सुरक्षा की व्यवस्था करना
उत्तर :
(ग) बुरे कार्य करना
प्रश्न 2.
मन में कटुता उत्पन्न होने पर उसे कौन शांत करता है?
(क) प्रेड़ों की शीतल छाँव
(ख) ममता की शीतल छाया
(ग) प्यार-अपनत्व की चाहत
(घ) अपनेपन की भावना
उत्तर :
(ख) ममता की शीतल छाया
प्रश्न 3.
मन में अशांति उदय होने का कारण है-
(क) परस्पर सहयोग की भावना
(ख) एक-दूसरे से आगे बढ़ने की भावना
(ग) मन में उठ रही विरोध की भावना
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर :
(ग) मन में उठ रही विरोध की भावना
प्रश्न 4.
संकट में भयभीत क्यों नही होना चाहिए?
(क) मन की दुर्बलता प्रकट हो जाती है।
(ख) मन की सबलता ज्ञाहिर हो जाती है।
(ग) मन अशांत हो जाता है।
(घ) मन में विरोध के भाव उठने लगते हैं।
उत्तर :
(क) मन की दुर्बलता प्रकट हो जाती है।
प्रश्न 5.
कवि क्या न सोचने और याद करने के लिए कहता है?
(क) जीवन में बीते अच्छे दिन
(ख) जीवन के बुरे दिन जो बीत गए हैं
(ग) लोगों से मिला असहयोग
(घ) लोगों का दुर्व्यवहार
उत्तर :
(ख) जीवन के बुरे दिन जो बीत गए हैं
प्रश्न 6.
दुनिया की रीत क्या है?
(क) मन आरंदित होता है. तन भुगतता है।
(ख) शरीर यातना सहता है और मन रोता है।
(ग) मन और शरीर दोनों आनंदित होते हैं।
(घ) मुन और शरीर दोनों कष्ट भोगते हैं।
उत्तर :
(ख) शरीर यातना सहता है और मन रोता है।
प्रश्न 7.
कविता का केंद्रीय भाव क्या है?
(क) दूसरों के लिए फूल बोने चाहिए।
(ख) मानव मन कमज़ोर होता है।
(ग) जहाँ तक हो सके दूसरों का हित करो, उन्हें कष्ट न दो।
(घ) कष्ट में बीते दिनों को याद नहीं करना चाहिए।
उत्तर :
(ग) जहाँ तक हो सके दूसरों का हित करो, उन्हें कष्ट न दो।
प्रश्न 8.
कविता का शीर्षक होगा –
(क) काँटे मत बोओ
(ख) फूल नहीं बो सकते
(ग) मानव का अशांत मन
(घ) संकट में मुस्कराओ
उत्तर :
(क) काँटे मत बोओ
8. पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा,
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
मेरी ही यह देह तुझी से बनी हुई है.
बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है,
फिर अंत समय तूही इसे अचल देख अपनाएगी।
हे मातृभूमि! यह अंत में तुझमें ही मिल जाएगी।
प्रश्न :
(क) यह काव्यांश किसे संबोधित है? उससे हम क्या पाते हैं?
(ख) ‘प्रत्युपकार’ किसे कहते हैं? देश का प्रत्युपकार क्यों नहीं हो सकता?
(ग) शरीर-निर्माण में मातृभूमि का क्या योगदान है?
(घ) ‘अचल’ विशेषण किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और क्यों?
(ङ) यह कैसे कह सकते हैं कि देश से हमारा संबंध मृत्युपर्यत रहता है?
(च) काव्यांश का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
(छ) ‘सभी सुखों को हमने भोगा है’ में कौन-सा अलंकार है?
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) यह काव्यांश मातृभूमि को संबोधित है। मातृभूमि से हम जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ पाते हैं।
(ख) किसी से वस्तु प्राप्त करने के बदले में कुछ देना प्रत्युपकार कहलाता है। देश का प्रत्युपकार नहीं हो सकता, क्योंकि मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक हमेशा कुछ-न-कुछ इससे प्राप्त करता रहता है।
(ग) मातृभूमि से ही मनुष्य का शरीर बना है। जल, वायु, आग, भूमि व आकाश मातृभूमि में ही मिलते हैं।
(घ) ‘अचल’ विशेषण मानव के मृत शरीर के लिए प्रयुक्त हुआ है, क्योंकि मृत शरीर गतिहीन होता है तथा मातृभूमि ही इसे ग्रहण करती है।
(ङ) मनुष्य का जन्म देश में होता है। यहाँ के संसाधनों से वह बड़ा होता है तथा अंत में उसी में मिल जाता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि देश से हमारा संबंध मृत्युपर्यंत रहता है।
(च) काव्यांश का मूलभाव यह है कि मातृभूमि के बिना प्राणी का कोई ‘अस्तित्व नहीं होता हैं।
(छ) ‘सभी सुखों को हमने भोगा है’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है- मातृभूमि।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
मातृभूमि से हमें क्या मिला है?
(क) खाने के लिए भोजन
(ख) शरीर की रचना के लिए जजरूरी पदार्थ
(ग) हवा और पानी
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 2.
‘तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा’- का भाव है-
(क) क्या हम तुम्हारा प्रत्युपकार कर पाएँगे?
(ख) हम तुम्हारा प्रत्युपकार कभी नहीं कर पाएँगे।
(ग) हम तुम्हारा प्रत्युपकार कर सकते हैं।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ख) हम तुम्हारा प्रत्युपकार कभी नहीं कर पाएँगे।
प्रश्न 3.
यह देह मातृभूमि से ही बनी है, कैसे?
(क) इस देह को मातृभूमि ने स्वयं बनाया है।
(ख) मातृभूमि की इच्छा पर ही यह देह बनी है
(ग) शरीर के लिए आवश्यक तत्व मातृभूमि से ही मिले हैं।
(घ) क, ख, ग, तीनों
उत्तर :
(ग) शरीर के लिए आवश्यक तत्व मातृभूमि से ही मिले हैं।
प्रश्न 4.
शरीर को मातृभूमि कब अपनी गोद में ले लेती है?
(क) शरीर के अचल हो जाने पर
(ख) शरीर से प्राण निकल जाने पर
(ग) जब शरीर असक्त हो जाता है
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
प्रश्न 5.
मातृभूमि से हमारा संबंध कब तक रहता है ?
(क) बाल्यावस्था तक
(ख) किशोरावस्था तक
(ग) वृद्धावस्था तक
(घ) मृत्युपर्यत तक
उत्तर :
(घ) मृत्युपर्यत तक
प्रश्न 6.
व्यक्ति मातृभूमि का उपकार क्यों नहीं चुका सकता है?
(क) मातृभूमि द्वारा प्रत्युपकार न चाहने से
(ख) मातृभूमि का उपकार अत्यल्प होने के कारण
(ग) जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ प्राप्त करते रहने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ प्राप्त करते रहने के कारण
प्रश्न 7.
‘तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा अलंकार
(ख) अनुप्रास अलंकार
(ग) अतिशयोक्ति अलंकार
(घ) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
उत्तर :
(ख) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(ख) मातृभूमि और हम
(क) हमने सुख भोगा
(ग) अचल शरीर
(घ) मातृभूमि
उत्तर :
(घ) मातृभूमि
9. चिड़िया को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उसे
अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
बाहर दाने का टोटा है
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है
यहाँ निद्वर्वंद्व कंठ-स्वर है।
फिर भी चिड़िया मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी
पिंजड़े से जितना अंग निकल सकेगा निकालेगी,
हर सू ज़ोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।
प्रश्न :
(क) पिंजड़े के बाहर का संसार निर्मम कैसे है?
(ख) पिंजड़े के भीतर चिड़िया को क्या-क्या सुविधाएँ उपलब्य हैं?
(ग) कवि चिड़िया को स्वतंत्र जगत की किन वास्तविकताओं से अवगत कराना चाहता है?
(घ) बाहर सुखों का अभाव और प्राणों का संकट होने पर भी चिड़िया मुक्ति ही क्यों चाहती है?
(ङ) कविता का संदेश स्पष्ट कीजिए।
(च) बाहर की धरती बड़ी है तो भी चिड़िया को कवि क्यों सावधान कर रहा है?
(छ) ‘बाहर बहेलिये का डर है’ – पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(ज) काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) पिंजड़े के बाहर संसार हमेशा कमज़ोर को सताने की कोशिश में रहता है। यहाँ सदैव संघर्ष रहता है। इस कारण वह निर्मम है।
(ख) पिंजड़े के भीतर चिड़िया को पानी, अनाज, आवास तथा सुरक्षा उपलब्ध है।
(ग) कवि बताना चाहता है कि बाहर जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। भोजन, आवास ब सुरक्षा के लिए हर समय मेहनत करनी होती है।
(घ) बाहर सुखों का अभाव व प्राणों का संकट होने पर भी चिड़िया मुक्ति चाहती है, क्योंकि वह आज़ाद जीवन जीना पसंद करती है।
(ङ) इस कविता में कवि ने आज़ादी के महत्व को समझाया है। मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास आज़ाद परिवेश में ही हो सकता है।
(च) बाहर की धरती पिंजड़े की दुनिया से बहुत बड़ी है परंतु बाहर की धरती पर चिड़िया के प्राण सुरक्षित नहीं हैं। वह किसी शिकारी के हाथों में पड़कर मार दी जाएगी।
(छ) ‘बाहर बहेलिये का डर है’ – पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है।
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का उचित शीर्षक ‘मुक्ति’ या ‘चिड़िया की इच्छा’ है।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
पिंजड़े के बाहर का संसार निर्मम क्यों है?
(क) कमज़ोर को सताए जाने की कोशिश के कारण
(ख) बाहर की दुनिया बड़ी होने के कारण
(ग) बहेलिये से खतरा होने के कारण
(घ) ‘क’ एवं ‘ग’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ग’ दोनों
प्रश्न 2.
जिस्म की गंध तक न मिलने का आशय है –
(क) सूँघने की क्षमता तक न रह जाना
(ख) चेतना हीन हो जाना
(ग) अस्तित्व पर चारों ओर से संकट आ जाना
(घ) शरीर की गंध दूर-दूर तक फैल जाना
उत्तर :
(ग) अस्तित्व पर चारों ओर से संकट आ जाना
प्रश्न 3.
समुद्र, नदी, झरने होने पर भी चिड़िया को पानी के लिए क्यों भटकना है?
(क) पीने लायक पानी न मिलना
(ख) इनमें डूब जाने का खतरा होना
(ग) इन जल स्रोतों में असीमित मात्रा में पानी होना
(घ) इन जल स्रोतों तक पहुँचना बहुत कठिन होना
उत्तर :
(घ) इन जल स्रोतों तक पहुँचना बहुत कठिन होना
प्रश्न 4.
‘मोटा चुग्गा’ किसका प्रतीक है?
(क) मोटे से कीड़े का
(ख) ढेर सारे भोजन की सहज उपलब्थता का
(ग) मोटे-मोटे पक्षियों का
(घ) अच्छे भोजन की कमी का
उत्तर :
(ख) ढेर सारे भोजन की सहज उपलब्थता का
प्रश्न 5.
चिड़िया का हर संभव ज़ोर लगाना उसकी किस चाहत को व्यक्त करता है?
(क) शक्ति दिखाना
(ख) आज़ादी पाने के लिए संघर्ष करना
(ग) पिंजड़े की कमजोरी दर्शाना
(घ) अच्छा भोजंन माँगने का संकेत करना
उत्तर :
(ख) आज़ादी पाने के लिए संघर्ष करना
प्रश्न 6.
काव्यांश का मूलभाव इनमें से क्या है?
(क) धरती के खतरे बताना
(ख) पिजड़े में उपलब्ध सुविधाएँ दर्शाना
(ग) चिड़िया की शक्ति दर्शाना
(घ) स्वतंत्रता का महत्व प्रकट करना
उत्तर :
(घ) स्वतंत्रता का महत्व प्रकट करना
प्रश्न 7.
‘चिड़िया मुक्ति का गाना गाएगी’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(क) रूपक अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 8.
उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक होगा-
(क) मुक्ति
(ख) धरती बड़ी है
(ग) दाने का टोटा
(घ) बहेलिये का डर
उत्तर :
(क) मुक्ति
10. ले चल माँझी मझधार मुझे, दे-दे बस अब पतवार मुझे।
इन लहरों के टकराने पर, आता रह-रहकर प्यार मुझे।
मत रोक मुझे भयभीत न कर, मैं सदा कँटीली राह चला।
पथ-पथ मेरे पतझारों में नव सुरभि भरा मधुमास पला।
फिर कहाँ डरा पाएगा, यह पगले जर्जर संसार मुझे।
इन लहरों के टकराने पर, आता रह-रह कर प्यार मुझे।
मैं हूँ अपने मन का राजा, इस पार रहूँ, उस पार चलूँ।
मैं मस्त खिलाड़ी हूँ ऐसा, जी चाहे जीतूँ, हार चलूँ।
मैं हूँ अबाध, अविराम, अथक, बंधन मुझको स्वीकार नहीं।
मैं नहीं अरे ऐसा राही, जो बेबस-सा मन मार चलूँ।
कब रोक सकी मुझको चितवन, मदमाते कजरारे घन की,
कब लुभा सकी मुझको बरबस, मधु-मस्त फुहारें सावन की।
जो मचल उठें अनजाने ही अरमान नहीं मेरे ऐसे-
राहों को समझा लेता हूँ, सब बात सदा अपने मन की।
इन उठती-गिरती लहरों का कर लेने दो शृंगार मुझे,
इन लहरों के टकराने पर आता रह-रहकर प्यार मुझे।
प्रश्न :
(क) ‘अपने मन का राजा’ होने के दो लक्षण कविता से चुनकर लिखिए।
(ख) किस पंक्ति में कवि पतझड़ को भी बसंत मान लेता है?
(ग) कविता का केंद्रीय भाव दो-तीन वाक्यों में लिखिए।
(घ) कविता के आधार पर कवि के स्वभाव की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए-कब रोक सकी मुझको चितवन, मदमाते कजरारे घन की।
(च) काव्यांश में ‘मझधार’ किसका प्रतीक है? कवि उधर क्यों जाना चाहता है?
(छ) कवि को जीवन पथ की कठिनाइयों पर विजय पाने का इतना भरोसा क्यों है?
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) ‘अपने मन का राजा’ होने के दो लक्षण निम्नलिखित हैं-
(i) कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र हूँ।
(ii) मुझे किसी प्रकार का बंधन स्वीकार नहीं है। मैं बंधनमुक्त रहना चाहता हैं।
(ख) वह पंक्ति है-
पथ-पथ मेरे पतझारों में नव सुरभि भरा मधुमास पला।
(ग) इस कविता में कवि जीवन-पथ पर चलते हुए भयभीत न होने की सीख देता है। वह विपरीत परिस्थितियों में मार्ग बनाने, आत्म-निर्भर बनने तथा किसी भी रुकावट के कारण न रूकने के लिए कहता है।
(घ) कवि का स्वभाव निर्भीक, स्वाभिमानी तथा विपरीत दशाओं को अनुकूल बनाने वाला है।
(ङ) इसका अर्थ यह है कि किसी सुंदरी का आकर्षण भी पथिक के निश्चय को नहीं डिगा सका।
(च) काव्यांश में ‘मझधार’ जीवन पथ पर आने वाली विपरित परिस्थितियों का प्रतीक है। कवि उधर इसलिए जाना चाहता है क्योंकि वह उनसे संघर्ष करते हुए इन पर विजय पाना चाहता है।
(छ) कवि जानता है कि वह साहसी तथा निर्भीक है। इसके अलावा उसे भरोसा है कि उसके निश्चय को न तो किसी सुंदरी का आकर्षण डिगा सकता है और न वसंत की बहारें उसे रोक सकती हैं।
(ज) शीर्षक- दे दे अब पतवार मुझे।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि को बार-बार किस पर प्यार आता है?
(क) माँझी पर
(ख) पतवार पर
(ग) जीवन पथ की कठिनाइयों पर
(घ) जीवन पथ की सुविधाओं पर
उत्तर :
(ग) जीवन पथ की कठिनाइयों पर
प्रश्न 2.
कवि को सुरभित वसंत कहाँ दिखाई देता है?
(क) बाग-बगीचों में
(ख) पतझड़ ऋतु में
(ग) सागर और उसकी लहरों में
(घ) माँझी और उसकी पतवार में
उत्तर :
(ख) पतझड़ ऋतु में
प्रश्न 3.
इनमें से किस विकल्प में कवि की विशेषता नहीं है?
(क) कवि मनमौजी है।
(ख) कवि मस्त खिलाड़ी है।
(ग) कवि निरंतर चलने वाला पथिक है।
(घ) कवि बाधाओं के सामने रूक जाता है।
उत्तर :
(घ) कवि बाधाओं के सामने रूक जाता है।
प्रश्न 4.
‘चितवन, मदमाते कजरारे घन की’ किसका प्रतीक है?
(क) वर्षा लाने वाले बादलों की बिजली का
(ख) किसी सुंदरी के आकर्षण का
(ग) किसान की आशाओं का
(घ) मूसलाधार वर्षा करने वाले बादलों का
उत्तर :
(ख) किसी सुंदरी के आकर्षण का
प्रश्न 5.
कवि अपने मन की सारी बातें किसे समझा देता है?
(क) सावन की मधु-मस्त फुहारों को
(ख) सागर की लहरों को
(ग) जिस पथ पर वह चल रहा है, उन राहों को
(घ) अपने साथ चले यात्रियों को
उत्तर :
(ग) जिस पथ पर वह चल रहा है, उन राहों को
प्रश्न 6.
कवि उक्त पंक्तियों के माध्यम से क्या सीख देना चाहता है?
(क) विपरीत परिस्थितियों में भी मार्ग बना लेने की
(ख) परिस्थितियाँ अनुकूल होने पर ही चलने की
(ग) सावन की फुहारों का स्वागत करने की
(घ) कभी भी मझधार में न जाने की
उत्तर :
(क) विपरीत परिस्थितियों में भी मार्ग बना लेने की
प्रश्न 7.
‘जो बेबस-सा मन मार चलूँ, में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अंलकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 8.
उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक होगा-
(क) राही बेबस-सा
(ख) दे दे अब पतवार मुझे
(ग) मैं राही अबाध
(घ) मधु-मस्त फुहारें सावन की
उत्तर :
(ख) दे दे अब पतवार मुझे
11. पथ बंद है पीछे अचल है पीठ पर धक्का प्रबल।
मत सोच बढ़ चल तू अभय, ले बाहु में उत्साह-बल।
जीवन-समर के सैनिको, संभव असंभव को करो
पथ-पथ निमंत्रण दे रहा आगे कदम, आगे कदम!
ओ बैठने वाले, तुझे देगा न कोई बैठने।
पल-पल समर, नूतन सुमन-शय्या न देगा लेटने।
आराम संभव है नहीं जीवन सतत संग्राम है
बढ़ चल मुसाफ़िर धर कदम, आगे कदम, आगे कदम!
ऊँचे हिमानी थृंग पर, अंगार के भू-भृंग पर
तीखे करारे खंग पर आरंभ कर अद्भुत सफ़र
ओ नौजवाँ, निर्माण के पथ मोड़ दे, पथ खोल दे
जय-हार में बढ़ता रहे आगे कदम, आगे कदम!
प्रश्न :
(क) इस काव्यांश में कवि किसे और क्या प्रेरणा दे रहा है?
(ख) ‘जीवन-समर के सैनिको, संभव असंभव को करो’-का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) अद्भुत सफ़र की अद्भुतता क्या है?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए-जीवन सतत संग्राम है।
(ङ) कविता का केंद्रीय भाव दो-तीन वाक्यों में लिखिए।
(च) कवि पथिक को क्या न सोचने और क्या करने के लिए कह रहा है।
(छ) जीवन पथ पर चलते हुए थके पथिक को कवि किस तरह सावधान कर रहा है?
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) इस काव्यांश में कवि मनुष्य को कठिनाइयों से घबराए बिना आगे ही आगे निरंतर बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है।
(ख) कवि ने जीवन को युद्ध के समान बताया है। वह जीवनरूपी युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों से हर हाल में विजय प्राप्त करने का आह्वान करता है अर्थात जीवन की विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं माननी चाहिए।
(ग) कवि ने अद्भुत सफ़र के बारे में बताया है। यह सफ़र हिम से ढकी ऊँची चोटियों पर, ज्वालामुखी के लावे पर तथा तीक्ष्ण तलवार पर भी जारी रहता है।
(घ) इसका अर्थ है कि जीवन युद्ध की तरह है, जो निरंतर चलता रहता है। मनुष्य सफलता पाने के लिए बाधाओं से संघर्ष करता रहता है।
(ङ) इस कविता में कवि ने जीवन को संघर्ष से युक्त बताया है। मनुष्य को बाधाओं से संघर्ष करते हुए निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।
(च) कवि पथिक से कहता है कि वह मार्ग में मिली कठिनाइयों, सामने दिखने वाली कठिनाइयों तथा अपनी पीठ पर रखे बोझ के बारे में न सोचे तथा उत्साहित होकर जीवन पथ पर निरंतर बढ़ता रहे।
(छ) जीवन पथ पर चलते हुए थके पथिक से कवि कहता है कि ओ बैठने वाले! तुझे इस तरह न कोई बैठने देगा और न फूलों की शय्या पर तुझे कोई आराम ही करने देगा। अत: आगे बढ़ते रहो।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-‘आगे कदम, आगे कदम’ या ‘बढ़ चल मुसाफ़िर।’
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि जीवन-समर के सैनिकों से क्या आह्वान कर रहा है?
(क) आगे ही बढ़ते रहने का
(ख) असंभव कार्य को भी संभव कर लेने का
(ग) रास्ते में कुछ-कुछ देर बाद विश्राम करने का
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 2.
राही को कोई कहाँ विश्राम नहीं करने देगा?
(क) राह में पड़ने वाले पेड़ के नीचे
(ख) सुख-सुविधापूर्ण स्थानों पर
(ग) फूलों की नई-नई सेज पर
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 3.
कवि ने जीवन को किसके समान बताया है?
(क) छायादार पेड़ के समान
(ख) लगातार चलने वाले युद्ध के समान
(ग) सुविधायुक्त पथ के समान
(घ) असंभव कार्य के समान
उत्तर :
(ख) लगातार चलने वाले युद्ध के समान
प्रश्न 4.
कवि ने जीवन के अद्भुत सफर के बारे में क्या बताया है?
(क) यह बफ़ीली चोटियों के समान दुर्गम है।
(ख) यह ज्वालामुखी के लावे के समान है।
(ग) यह धारदार तलवार पर चलने जैसा है।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 5.
जीवन के सतत युद्ध में सफलता पाने के लिए क्या करना चाहिए?
(क) सोच समझकर आगे बढ़ना चाहिए।
(ख) बाधाओं से निरतर संघर्ष करना चाहिए।
(ग) जय हो या पराजय बढ़ते ही रहना चाहिए।
(घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों
प्रश्न 6.
जीवन सतत संग्राम है इसलिए-
(क) उसमें आराम करने का समय नहीं है।
(ख) उसमें मार-काट होती रहती है।
(ग) उसमें जीत पाना कठिन है।
(घ) इस ओर भूलकर भी नहीं जाना चाहिए।
उत्तर :
(क) उसमें आराम करने का समय नहीं है।
प्रश्न 7.
‘ऊँचे हिमानी शृंग पर’ अंश से शिल्प सौंदर्य की किस विशेषता का ज्ञान होता है?
(क) तत्सम शब्दावली युक्त भाषा का
(ख) दृश्य बिंब साकार होने का
(ग) शृंगार रस के घनीभूत होने का
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(क) बढ़ चल मुसाफिर
(ख) जीवन सतत संग्राम
(ग) असंभव को संभव
(घ) जीवन का अद्भुत सफर
उत्तर :
(क) बढ़ चल मुसाफिर
12. रोटी उसकी. जिसका अनाज, जिसकी ज़मीन, जिसका श्रम है;
अब कौन उलट सकता स्वतंत्रता का सुसिद्ध, सीधा क्रम है।
आज़ादी है अधिकार परिश्रम का पुनीत फल पाने का,
आज़ादी है अधिकार शोषणों की धज्जियाँ उड़ाने का।
गौरव की भाषा नई सीख, भिखमंगों-सी आवाज़ बदल,
सिमटी बाँहों को खोल गरुड़, उड़ने का अब अंदाज़ बदल।
स्वाधीन मनुज की इच्छा के आगे पहाड़ हिल सकते हैं;
रोटी क्या? ये अंबर वाले सारे सिंगार मिल सकते हैं।
प्रश्न :
(क) आज़ादी क्यों आवश्यक है?
(ख) सच्चे अथ्थों में रोटी पर किसका अधिकार है?
(ग) कवि ने किन पंक्तियों में गिड़गिड़ाना छोड़कर स्वाभिमानी बनने को कहा है?
(घ) कवि व्यक्ति को क्या परामर्श देता है?
(ङ) आज़ाद व्यक्ति क्या कर सकता है?
(च) पराधीनता में व्यक्ति की आवाज़ कैसी हो जाती है?
(छ) ‘स्वतंत्रता का सुसिद्ध सीधा क्रम है’ में कौन-सा अलंकार है?
(ज) काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) परिश्रम का फल पाने तथा शोषण का विरोध करने के लिए आज़ादी आवश्यक है।
(ख) सच्चे अर्थों में रोटी पर उसका अधिकार है, जो अपनी ज़मीन पर श्रम करके अनाज़ पैदा करता है।
(ग) ये पंक्तियाँ हैं –
गौरव की भाषा नई सीख, भिखमंगों-सी आवाज़ बदल,
सिमटीं बाँहों को खोल गरूड़, उड़ने का अब अंदाज़ बदल।
(घ) कवि व्यक्ति को स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने का और उसके बल पर सफलता पाने का परामर्श देता है।
(ङ) जो व्यक्ति आज़ाद है, वह शोषण का विरोध कर सकता है, पहाड़ हिला सकता है तथा आकाश से तारे तोड़कर ला सकता है।
(च) पराधीनता में व्यक्ति की आवाज़ दब जाती है। उसका स्वाभिमान मर जाता है और बात-बात में गिड़गिड़ाना उसका स्वभाव बन जाता है।
(छ) ‘स्वतंत्रता का सुसिद्ध सीधा क्रम है’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है- स्वाधीनता या स्वतंत्रता।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
रोटी पर किसका अधिकार बताया गया है?
(क) जो अनाज उगाता है
(ख) जो मेहनत करता है
(ग) जिसकी खेती है
(घ) क, ख, ग, तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग, तीनों
प्रश्न 2.
आज़ादी किसके लिए आवश्यक है?
(क) किए गए परिश्रम का फल पाने के लिए
(ख) शोषण एवं अन्याय का मुकाबला करने के लिए
(ग) परिश्रम करने के लिए
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
प्रश्न 3.
‘गौरव की भाषा नई सीख’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(क) पुरानी भाषा को भूल जाना
(ख) आवाज़ में स्वाभिमान झलकना
(ग) वाणी में दीनता होना
(घ) वाणी में आक्रोश होना
उत्तर :
(ख) आवाज़ में स्वाभिमान झलकना
प्रश्न 4.
पहाड़ कब हिल सकते हैं?
(क) भूकंप आने पर
(ख) स्वाधीन मनुष्य के संकल्प के सामने
(ग) मिल-जुलकर काम करने वालों के सामने
(घ) गरुण की तरह दोनों बाँहे खोलने वालों के सामने
उत्तर :
(ख) स्वाधीन मनुष्य के संकल्प के सामने
प्रश्न 5.
अंबर के सारे सिंगार किन्हें कहा गया है?
(क) आकाश में चमकते सूरज को
(ख) चाँदनी फैलाने वाले चाँद् को
(ग) आकाश के तारों को
(घ) क, ख, ग तीनों को
उत्तर :
(ग) आकाश के तारों को
प्रश्न 6.
‘रोटी क्या?’ ऐसा कहकर कवि कौन-सा भाव प्रकट करना चाहता है?
(क) रोटी अनमोल है।
(ख) रोटी बहुत ज़रूरी है।
(ग) रोटी क्या चीज़ है, कुछ भी नहीं।
(घ) रोटी के बिना कुछ भी नहीं।
उत्तर :
(ग) रोटी क्या चीज़ है, कुछ भी नहीं।
प्रश्न 7.
‘परिश्रम का पुनीत फल पाने का’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) रूपक अलंकार
(ख) अनुप्रास अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) श्लेष अलंकार
उत्तर :
(ख) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का शीर्षक हो सकता है-
(क) मनुज की इच्छा
(ख) स्वतंत्रता का महत्व
(ग) गौरव की भाषा
(घ) रोटी का महत्व
उत्तर :
(ख) स्वतंत्रता का महत्व
13. अपने नहीं अभाव मिटा पाया जीवन भर
पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ।
तूफ़ानों-भूचालों की भयप्रद छाया में,
मैं ही एक अकेला हूँ जो गा सकता हूँ।
मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है,
इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं।
मुझको अपने पर अदम्य विश्वास रहा है।
मैं खंडहर को फिर से महल बना सकता हूँ।
जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं,
प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझको शरमाए।
मैं मज़दूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
मैंने अगणित बार धरा पर स्वर्ग बनाए।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है?
(ख) स्वर्ग के प्रति मज़दूर की विरक्ति का क्या कारण है?
(ग) किन कठिन परिस्थितियों में मज़दूर ने अपनी निर्भयता प्रकट की है?
(घ) मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है,
इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं।
उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट करके लिखिए।
(ङ) अपनी शक्ति और क्षमता के प्रति मज़दूर ने क्या कहकर अपना आत्मविश्वास प्रकट किया है?
(च) मज़दूर जीवन भर अपने अभाव क्यों नहीं मिटा पाया है?
(छ) ‘जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं’ पंक्ति का शिल्प सौंदर्य क्या है?
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में मज़दूर की शक्ति का महत्व प्रतिपादित किया गया है।
(ख) मज़दूर निर्माता है। वह अपनी शक्ति से धरती पर स्वर्ग के समान सुंदर बस्तियाँ बना सकता है। इस कारण उसे स्वर्ग से विरक्ति है।
(ग) मज़दूर ने तूफ़ानों व भूकंपों में भी घबराहट प्रकट नहीं की। वह हर मुसीबत का सामना करने को तैयार है।
(घ) उपर्युक्त पंक्तियों में ‘मैं’ श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। कवि कहना चाहता है कि मज़दूर वर्ग में संसार के सभी क्रियाशील प्राणी आ जाते हैं।
(ङ) मज़दूर ने कहा है कि वह खंडहर को भी आबाद कर सकता है। उसकी शक्ति के सामने भूचाल, प्रलय व बादल भी झुक जाते हैं।
(च) मज़दूर जीवन-भर मेहनत करता है, परंतु उसे इतनी कम मज़दूरी मिलती है कि वह मुश्किल से ही पेट भर पाता है और जीवन भर अभावों में जीता है।
(छ) इस पंक्ति में बोल-चाल के शब्दों का प्रयोग है। ‘जब-जब’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार तथा पूरी पंक्ति से दृश्य बिंब साकार हो उठता है।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है – मैं मज़दूर मुझे देवों की बस्ती से क्या।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
मज़दूर मेहनत करता है पर उससे दूसरों का अभाव कैसे दूर होता है?
(क) उसकी मेहनत का लाभ दूसरों को मिलने के कारण
(ख) दूसरों द्वारा खुद मेहनत करने से
(ग) मज़दूरों का शोषण करने से
(घ) ‘क’ एवं ‘ग’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ग’ दोनों
प्रश्न 2.
मज़दूर किन परिस्थितियों में खुश रह सकता है?
(क) घोर गरीबी में
(ख) आँधी-तूफ़ान की डरावनी स्थितियों में
(ग) कम मज़दूरी पाने एवं शोषण होने पर भी
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 3.
मज़दूर के ‘मैं’ की संज्ञा व्यापक है, कैसे?
(क) स्वाभिमानी होने के कारण
(ख) अभावों में खुश रहने के कारण
(ग) संसार के सभी मेहनतकश उसकी श्रेणी में आ जाने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) संसार के सभी मेहनतकश उसकी श्रेणी में आ जाने के कारण
प्रश्न 4.
‘मुझ-से अगणित प्राणी’-के माध्यम से किस ओर संकेत किया गया है?
(क) कवि जैसे लोगों की ओर
(ख) मज़दूरों के समान मेहनत करने वालों की ओर
(ग) मज़दूरों से मज़दूरी करवाने वालों की ओर
(घ) मज़दूरों का कल्याण सोचने वालों की ओर
उत्तर :
(ख) मज़दूरों के समान मेहनत करने वालों की ओर
प्रश्न 5.
मज़दूर को देखकर प्रलय-मेघ और भूचाल क्यों शरमा गए?
(क) महल का खंडहर बना देने के कारण
(ख) मज़दूर द्वारा अपनी मेहनत से स्वर्ग बना देने के कारण
(ग) मज़दूर को आँधी-तूफान में काम करते देखकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) मज़दूर द्वारा अपनी मेहनत से स्वर्ग बना देने के कारण
प्रश्न 6.
‘धरा पर स्वर्ग बनाने’ का आशय है-
(क) स्वर्ग को धरती पर उतार लाना
(ख) धरती पर अपनी मेहनत से स्वर्ग बना देना
(ग) स्वर्ग के समान सुंदर महल बना देना
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर :
(ग) स्वर्ग के समान सुंदर महल बना देना
प्रश्न 7.
‘इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं’-में अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) अतिशयोक्ति अलंकार
उत्तर :
(ग) उपमा अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(क) मैं मज़दूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
(ख) मुझे देख भूचाल शरमाए
(ग) ‘मैं’ की व्यापक संज्ञा
(घ) धरा पर स्वर्ग
उत्तर :
(क) मैं मज़दूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
14. निर्भय स्वागत करो मृत्यु का,
मृत्यु है एक विश्राम-स्थल।
जीव जहाँ से फिर चलता है,
धारण कर नव जीवन संबल।
माया रूपी वस्यु एक सरिता है, जिसमें
सच्चा प्रेम वही है जिसकी-
श्रम सेप्ति आत्म-बलि पर हो निर्भर!
त्याग बिना निष्पाण प्रेम है,
करो प्रेम पर प्राण निछावर।
प्रश्न :
(क) कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय बने रहने के लिए क्यों कहा है?
(ख) मृत्यु को विश्राम-स्थल क्यों कहा गया है?
(ग) कवि ने मृत्यु की तुलना किससे और क्यों की है?
(घ) मृत्युरूपी सरिता में नहाकर जीव में क्या परिवर्तन आ जाता है?
(ङ) सच्चे प्रेम की क्या विशेषता बताई गई है और उसे कब निष्प्राण कहा गया है?
(च) व्यक्ति को नए जीवन का सहारा कब मिलता है?
(छ) काव्यांश की भाषा की विशेषता लिखिए।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) मृत्यु के बाद मनुष्य फिर नया रूप लेकर कार्य करने लगता है, इसलिए कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय बने रहने के लिए कहा है।
(ख) कवि ने मृत्यु को विश्राम-स्थल की संज्ञा दी है। जिस प्रकार मनुष्य चलते-चलते थक जाता है और विश्राम-स्थल पर रुककर पुनः ऊर्जा प्राप्त करता है, उसी प्रकार मृत्यु के बाद जीव नए जीवन का सहारा लेकर फिर से चलने लगता है।
(ग) कवि ने मृत्यु की तुलना सरिता से की है, क्योंकि थका व्यक्ति नदी में स्नान करके प्रसन्न होता है। इसी तरह मृत्यु के बाद मानव नया शरीररूपी वस्त्र धारण करता है।
(घ) मृत्युरूपी सरिता में नहाकर जीव नया शरीर धारण करता है तथा पुराने को त्याग देता है।
(ङ) सच्चा प्रेम वह है, जो आत्म-बलिदान देता है। जिस प्रेम में त्याग नहीं होता, वह निष्याण होता है।
(च) मरने के बाद मनुष्य मृत्यु की गोद में विश्राम करता है। इस विश्राम के बाद जब वह आगे की यात्रा करता है, तब उसे नए जीवन का सहारा मिलता है।
(छ) काव्यांश की भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता है। इसमें अनुप्रास एवं रूपक अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है – मृत्यु एक सरिता।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि मृत्यु का स्वागत करने के लिए क्यों कहता है?
(क) मृत्यु अवश्य होनी है।
(ख) मृत्यु के बाद जीव नया रूप लेकर फिर काम करने लगता है।
(ग) मृत्यु आराम करने की जगह जैसी है।
(घ) ‘ख’ एव ‘ग’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘ख’ एव ‘ग’ दोनों
प्रश्न 2.
कवि मृत्यु को विराम स्थल क्यों मानता है?
(क) जीव को कुछ समय तक आराम करने की जगह मिलने के कारण
(ख) हमेशा के लिए आराम की नई जगह मिल जाने के कारण
(ग) यात्री को ठहरने की जगह देने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) जीव को कुछ समय तक आराम करने की जगह मिलने के कारण
प्रश्न 3.
मृत्यु रूपी विश्राम स्थल पर जीव को किसका सहारा मिलता है?
(क) ईश्वर का
(ख) एक नए जीवन का
(ग) हमेशा के लिए एक स्थान पर रुकने का
(घ) एक नए साथी जीव का
उत्तर :
(ख) एक नए जीवन का
प्रश्न 4.
प्रेम कब निष्प्राण हो जाता है ?
(क) जब वह बहुत पुराना हो जाता है।
(ख) जब उसमें सच्चाई नहीं रह जाती।
(ग) जब उसमें त्याग का अभाव हो जाता है।
(घ) जब वह झूठ पर आधारित हो।
उत्तर :
(ग) जब उसमें त्याग का अभाव हो जाता है।
प्रश्न 5.
‘आत्मबलि पर हो निर्भर’ का भाव है-
(क) सच्चे प्रेम में आत्म बलिदान होता है।
(ख) सच्चा प्रेम बलिदान चाहता है।
(ग) सच्चा प्रेम निष्प्राण होता है।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) सच्चे प्रेम में आत्म बलिदान होता है।
प्रश्न 6.
‘काया रूपी वस्त्र बहाकर’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) श्लेष अलंकार
उत्तर :
(ग) रूपक अलंकार
प्रश्न 7.
‘श्रम से कातर जीव नहाकर’ की भाषिक विशेषता है-
(क) तत्सम शब्दों का प्रयोग
(ख) तद्भव शब्दों का प्रयोग
(ग) देशज शब्दों का प्रयोग
(घ) विदेशी शब्दों का प्रयोग
उत्तर :
(क) तत्सम शब्दों का प्रयोग
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(क) मृत्यु-एक विश्राम स्थल
(ख) कायारूपी वस्त्र
(ग) जीवन संबल
(घ) श्रम से कातर जीव
उत्तर :
(क) मृत्यु-एक विश्राम स्थल
15. जीवन एक कुआँ है
अथाह-अगम
सबके लिए एक-सा वृत्ताकार!
जो भी पास जाता है,
सहज ही तृप्ति, शांति, जीवन पाता है!
मगर छिद्र होते हैं जिसके पात्र में,
रस्सी-डोर रखने के बाद भी,
हर प्रयत्न करने के बाद भी-
वह यहाँ प्यासा-का-प्यासा रह जाता है।
मेरे मन! तूने भी, बार-बार
बड़ी-बड़ी रस्सियाँ बटीं
रोज-रोज कुएँ पर गया
तरह-तरह घड़े को चमकाया,
पानी में डुबाया, उतराया
लेकिन तू सदा ही-
प्यासा गया, प्यासा ही आया!
और दोष तूने दिया
कभी तो कुएँ को
कभी पानी को
कभी सब को
मगर कभी जाँचा नहीं खुद को
परखा नहीं घड़े की तली को
चीन्हा नहीं उन असंख्य छिद्रों को
अरे मूढ़! अब तो खुद् को परख देख!
प्रश्न :
(क) कविता में जीवन को कुआँ क्यों कहा गया है? कैसा व्यक्ति कुएँ के पास जाकर भी प्यासा रह जाता है?
(ख) कवि का मन सभी प्रकार के प्रयासों के उपरांत भी प्यासा क्यों रह जाता है?
(ग) किन पंक्तियों का आशय है-हम अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को दोषी मानते हैं?
(घ) यदि किसी को असफलता प्राप्त हो रही हो, तो उसे किन बातों की जाँच-परख करनी चाहिए?
(ङ) पात्र में छिद्र होने का आशय क्या है?
(च) ‘खुद को कभी नही जाँचने’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(छ) काव्यांश की शिल्प संबंधी दो विशेषताएँ लिखिए।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए –
उत्तर :
(क) कवि ने जीवन को कुआँ कहा है, क्योंकि जीवन भी कुएँ की तरह अथाह व अगम है। दोषी व्यक्ति कुं के पास जाकर भी प्यासा रह जाता है।
(ख) कवि कभी अपना मूल्यांकन नहीं करता। वह अपनी कमियों को नहीं देखता। इस कारण वह सभी प्रकार के प्रयासों के बावजूद भी प्यासा रह जाता है।
(ग) वे पेक्तियाँ हैं-
और दोष तूने दिया
कभी तो कुएँ को
कभी पानी को
कभी सब को
(घ) यदि किसी को असफलता प्राप्त हो रही हो, तो उसे अपनी कमियों के बारे में जानना चाहिए। उसे अपने मे सुधार करके कार्य करने चाहिए।
(ङ) पात्र में छिद्र होने का आशय है-व्यक्ति में कमी या दोष होना, जो उसके सफल होने में बाधक बनता है।
(च) कवि यह कहना चाहता है कि सफलता न मिलने पर मनुष्य उसका दोष दूसरों पर मढ़ने का प्रयास करता है परंतु अपनी कमियों को जाँचने का प्रयास कभी नहीं करता है।
(छ) (i) काव्यांश में तत्सम शब्दों का प्रयोग है जिसमें सरलता तथा सहजता है
(ii) काव्यांश छंद मुक्त है।
(ज) काव्यांश का उपर्युक्त शीर्षक है- जीवन-एक कुआँ।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
काव्यांश में जीवन को कुआँ क्यों कहा गया है?
(क) कुएँ की तरह अथाह गहरा होने के कारण
(ख) जीवन की भाँति अगम होने के कारण
(ग) जीवन भी सबके लिए वृत्ताकार है
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 2.
कुएँ से सहज ही तृप्ति और शांति कौन पाते हैं?
(क) जिनके अंदर दोष होता है।
(ख) जिनके मन में दोष नहीं होता है।
(ग) जो कुएँ के पास जाते हैं।
(घ) जो कुएँ को दोषी नहीं बताते हैं।
उत्तर :
(ख) जिनके मन में दोष नहीं होता है।
प्रश्न 3.
पात्र में छिद्र होने का आशय है-
(क) पात्र टूटा-फूटा होना
(ख) पात्र बदल देने लायक होना
(ग) व्यक्ति में कमी और दोष होना
(घ) छिद्रान्वेषी प्रवृत्ति का व्यक्ति होना
उत्तर :
(ग) व्यक्ति में कमी और दोष होना
प्रश्न 4.
कवि के मन ने कुएँ से पानी पीने के लिए क्या नहीं किया?
(क) बड़ी-बड़ी रस्सियाँ तैयार कीं
(ख) घड़े को हर तरफ से साफ़ किया
(ग) घड़े के छेद पर ध्यान दिया
(घ) कुएँ के पास गया
उत्तर :
(ग) घड़े के छेद पर ध्यान दिया
प्रश्न 5.
व्यक्ति की असफलता का मुख्य कारण होता है-
(क) प्रयास में कमी रह जाना
(ख) अपनी कमियों को अनदेखा कर देना
(ग) सफलता पाने के लिए प्रयास ही न करना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) अपनी कमियों को अनदेखा कर देना
प्रश्न 6.
रस्सी और डोर किसका प्रतीक है?
(क) मनुष्य के परिश्रम का
(ख) सफलता पाने के साधन का
(ग) सफलता मिल जाने का
(घ) असफल हो जाने का
उत्तर :
(ख) सफलता पाने के साधन का
प्रश्न 7.
‘बड़ी-बड़ी रस्सियाँ बटीं, रोज़-रोज़ कुएँ पर गया ‘ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) अन्योक्ति अलंकार
(ग) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उत्तर :
(ग) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
प्रश्न 8.
इस काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(क) जीवन-एक कुआँ
(ख) घड़े को चमकाया
(ग) प्यासा आया, प्यासा गया
(घ) खुद को परख
उत्तर :
(क) जीवन-एक कुआँ
16. माना आज मशीनी युग में, समय बहुत महँगा है लेकिन
तुम थोड़ा अवकाश निकालो, तुमसे दो बातें करनी हैं!
उम्र बहुत बाकी है लेकिन, उम्र बहुत छोटी भी तो है,
एक स्वप्न मोती का है तो, एक स्वप्न रोटी भी तो है।
घुटनों में माथा रखने से पोखर पार नहीं होता है :
सोया है विश्वास जगा लो, हम सबको नदियाँ तरनी हैं!
तुम थोड़ा अवकाश निकालो, तुम से दो बातें करनी हैं।
मन छोटा करने से मोटा काम नहीं छोटा होता है,
नेह-कोष को खुलकर बाँटो, कभी नहीं टोटा होता है।
आँसू वाला अर्थ न समझे, तो सब ज्ञान व्यर्थ जाएँगे :
मत सच का आभास दबा लो, शाश्वत आग नहीं मरनी है!
तुम थोड़ा अवकाश निकालो, तुमसे दो बातें करनी हैं!
प्रश्न :
(क) मशीनी युग में समय महँगा होने का क्या तात्पर्य है? इस कथन पर आपकी क्या राय है?
(ख) ‘मोती का स्वप्न’ और ‘रोटी का स्वप्न’ से क्या तात्पर्य है? दोनों में क्या अंतर है?
(ग) ‘घुटनों में माथा रखने से पोखर पार नहीं होता है’-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(घ) मन और स्नेह के बारे में कवि क्या परामर्श दे रहा है और क्यों?
(ङ) ‘आँसू वाला अर्थ न समझे’ का क्या आशय है?
(च) कवि सच का आभास सदा क्यों बनाए रखना चाहता है?
(छ) काव्यांश की भाषागत दो विशेषताएँ लिखिए।
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) इस युग में व्यक्ति समय के साथ बँध गया है। उसे हर घंटे के हिसाब से मज़दूरी मिलती है। हमारी राय में यह बात सही है।
(ख) ‘मोती का स्वप्न’ का तात्पर्य वैभवयुक्त जीवन की आकांक्षा से है तथा ‘रोटी का स्वप्न’ का तात्पर्य जीवन की मूल ज़रूरतों को पूरा करने से है। दोनों में अमीरी व गरीबी का अंतर है।
(ग) इसका अर्थ यह है कि मानव हार मानकर उत्साहहीन होकर, निष्क्रिय बनकर आगे नहीं बढ़ सकता। उसे परिश्रम करना होगा तभी उसका विकास हो सकता है।
(घ) मन के बारे में कवि का मानना है कि मनुष्य को हिम्मत रखनी चाहिए। हौंसला खोने से बाधा खत्म नहीं होती। स्नेह भी बाँटने से कभी कम नहीं होता। कवि मनुष्य को मानवता के गुणों से युक्त होने के लिए कह रहा है।
(ङ) ‘आँसू वाला अर्थ न समझे’ का अर्थ है-उन अभावग्रस्त दीन-हीन लोगों की आवश्यकताओं को समझना, जिन्हें रोटी के भी लाले पड़े रहते हैं। यदि हमें उनसे सहानुभूति नहीं है, तो हमारा ज्ञान किसी काम का नहीं हुआ।
(च) कवि सच का आभास सदा बनाए रखना चाहता है क्योंकि इसके अभाव में हमारे जीवन मूल्यों पर बुरा असर पड़ेगा। ये जीवन मूल्य शाश्वत होते हैं जिन्हें मरने से बचाए रखना है।
(छ) काव्यांश की भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता है। उसमें प्रतीकात्मकता का गुण है।
(ज) उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है – दो बातें करनी है।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
मशीनी युग में समय महँगा होने का क्या तात्पर्य है?
(क) लोगों के पास समय का अभाव होना
(ख) लोगों को समय का महत्व न समझना
(ग) लोगों को घंटे के हिसाब से मज़दूरी मिलना
(घ) लोगों से ज्यादा समय तक काम लेकर कम मज़दूरी देना
उत्तर :
(ग) लोगों को घंटे के हिसाब से मज़दूरी मिलना
प्रश्न 2.
‘एक स्वप्न मोती का है’ के माध्यम से कवि ने किस ओर संकेत किया है?
(क) मोती पाने का स्वप्न देखना
(ख) सुख-सुविधा युक्त जीवन जीने का स्वप्न देखना
(ग) गरीबों को सुख-सुविधाएँ दिलाने का स्वप्न देखना
(घ) गरीबों तक मोती पहुँचाने का स्वप्न देखना
उत्तर :
(ख) सुख-सुविधा युक्त जीवन जीने का स्वप्न देखना
प्रश्न 3.
‘रोटी का स्वप्न देखने’ की बात कहकर कवि ने किस वर्ग की ओर ध्यान खींचा है?
(क) दीन-हीन, अभावग्रस्त जीने वालों की ओर
(ख) रोटियों का सपना दिखाने वाले वर्ग की ओर
(ग) रोज़गार आदि प्रदान कर रोटी उपलब्ध कराने की ओर
(घ) रोटी चाहने वाले और रोटी देने वाले दोनों की ओर
उत्तर :
(क) दीन-हीन, अभावग्रस्त जीने वालों की ओर
प्रश्न 4.
मनुष्य को हौंसला नहीं खोना चाहिए क्योंकि –
(क) इससे बाधाएँ और बड़ी हो जाती हैं।
(ख) इससे बाधाएँ खत्म नहीं हो जाती हैं।
(ग) सफलता अपने-आप पास आ जाती है।
(घ) इससे व्यक्ति समाज की दुष्टि में गिर जाता है।
उत्तर :
(ख) इससे बाधाएँ खत्म नहीं हो जाती हैं।
प्रश्न 5.
काव्यांश के आधार पर नेह-कोष की विशेषता है-
(क) सबमें स्नेह बाँटना चाहिए।
(ख) नेह-कोष सबसे बड़ा कोष होता है।
(ग) स्नेह बाँटते रहने से कभी खत्म नहीं होता।
(घ) जिन्हें स्नेह की जरूरत कम होती जा रही है।
उत्तर :
(ग) स्नेह बाँटते रहने से कभी खत्म नहीं होता।
प्रश्न 6.
मनुष्य के सारे ज्ञान कब व्यर्थ हो जाते हैं?
(क) यदि वह बड़े लोगों को साथी न बना पाया।
(ख) यदि वह समाज में ज्ञान न बाँट सका।
(ग) यदि वह ज्ञान से देश की सहायता न कर सका।
(घ) यदि वह भूखे, दीन-हीन और अभावग्रस्त लोगों से सहानुभूति नहीं रखता हो।
उत्तर :
(घ) यदि वह भूखे, दीन-हीन और अभावग्रस्त लोगों से सहानुभूति नहीं रखता हो।
प्रश्न 7.
‘पोखर पार नहीं होता है ‘ मैं कौन-सा अलंकार है?
(क) यमक अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) श्लेष अंलकार
उत्तर :
(क) यमक अलंकार
प्रश्न 8.
उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(क) थोड़ा-सा अवकाश निकालो
(ख) दो बातें करनी हैं
(ग) सच का आभास
(घ) रोटी का स्वप्न
उत्तर :
(ख) दो बातें करनी हैं
17. नवीन कंठ दो कि मैं नवीन गान गा सकूँ,
स्वतंत्र देश की नवीन आरती सजा सकूँ!
नवीन दृष्टि का नया विधान आज हो रहा,
नवीन आसमान में विहान आज हो रहा,
सुदीर्घ क्रांति झेल, खेल की ज्वलंत आग से
स्वदेश बल सँजो रहा, कड़ी थकान खो रहा।
प्रबुद्ध राष्ट्र की नवीन वंदना सुना सकूँ!
नवीन बीन दो कि मैं अगीत गान गा सकूँ!
खुली दसों दिशा खुले कपाट ज्योति-द्वार के
विमुक्त राष्ट्र-सूर्य भासमान आज हो रहा।
युगांत की व्यथा लिए अतीत आज रो रहा,
दिगंत में वसंत का भविष्य बीज बो रहा,
भविष्य-द्वार मुक्त से स्वतंत्र भाव से चलो,
मनुष्य बन मनुष्य से गले मिले चले चलो,
समान भाव के प्रकाशवान सूर्य के तले
समान रूप-गंध फूल-फूल-से खिले चलो।
नए समाज के लिए नवीन नींव पड़ चुकी,
नए मकान के लिए नवीन ईंट गढ़ चुकी,
सभी कुटुंब एक, कौन पास, कौन दूर है –
नए समाज का हरेक व्यक्ति एक नूर है।
कुलीन जो उसे नहीं गुमान या गरूर है
समर्थ शक्तिपूर्ण जो किसान या मज़ूर है।
प्रश्न :
(क) कवि ने किन नवीनताओं की चर्चा की है?
(ख) ‘नए समाज का हरेक व्यक्ति एक नूर है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) कवि मनुष्य को क्या परामर्श देता है?
(घ) कवि किस नवीनता की कामना कर रहा है?
(ङ) किसान और कुलीन की क्या विशेषता बताई गई है?
(च) कवि को आसपास नवीनता के दर्शन किस तरह हो रहे हैं?
(छ) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) कवि चाहता है कि उसे नई आवाज़ मिले, ताकि वह स्वतंत्र देश के लिए नए गीत गा सके तथा नई आरती सजा सके।
(ख) इसका अर्थ यह है कि स्वतंत्र भारत का हर व्यक्ति प्रकाश के गुणों से युक्त है। उसके विकास से भारत का विकास होता है।
(ग) कवि मनुष्य को सलाह देता है कि आज़ाद होने के बाद हमें अब मैत्रीभाव से आगे बढ़ना है। सूर्य व फूलों के समान समानता का भाव अपनाना है।
(घ) कवि कामना करता है कि देशवासियों को वैर-विरोध के भावों को भुलाना चाहिए। उन्हें मनुष्यता का भाव अपनाकर सौहार्दता से आगे बढ़ना चाहिए।
(ङ) किसान समर्थ व शक्तिपूर्ण होते हुए भी समाज हित में कार्य करता है तथा कुलीन वह है, जो घमंड नहीं दिखाता।
(च) देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद कवि अपने आस-पास देख रहा है कि लोगों की भलाई के लिए नए उपाय सोचे जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि स्वतंत्रता के नए युग में आसमान में एक नई सुबह हो रही है।
(छ) काव्यांश की भाषा में तत्सम शब्दावली की बहुलता है। भाषा में लाक्षणिकता गुण विद्यमान है।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-नवीन कंठ दो।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि नवीन कंठ क्यों चाहता है?
(क) आज़ादी का नया गीत गाने के लिए
(ख) स्वतंत्र देश की नई आरती सजाने के लिए
(ग) देशवासियों को प्रभावित करने के लिए
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 2.
नवीनता के संबंध में असत्य कथन कौन-सा है?
(क) लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव आया है।
(ख) स्वतंत्रता के बाद नई सुबह हो रही है।
(ग) विकास की चारों दिशाएँ खुल गई हैं।
(घ) स्वतंत्रता में देश का सूर्य चमक रहा है।
उत्तर :
(ग) विकास की चारों दिशाएँ खुल गई हैं।
प्रश्न 3.
आज़ादी मिलने के बाद अब देश क्या कर रहा है?
(क) शक्तिशाली बन रहा है।
(ख) स्वतंत्रता प्राप्त करने के क्रम में मिली थकान उतार रहा है।
(ग) नए समाज की रचना के लिए प्रयास कर रहा है।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 4.
किसान की विशेषता से संबंधित असत्य कथन है-
(क) वह समर्थ एवं शक्ति संपन्न है।
(ख) वह समाज की भलाई के लिए कार्य करता है।
(ग) उसे अपने ऊपर घमंड है।
(घ) वह अच्छे कुल से संबंध रखता है।
उत्तर :
(ग) उसे अपने ऊपर घमंड है।
प्रश्न 5.
देशवासियों को ऐसे में क्या करना चाहिए?
(क) वैर-विरोध भुला देना चाहिए।
(ख) मनुष्यता बनाए रखकर दूसरे से प्रेम करना चाहिए।
(ग) समानता एवं सौहार्दपूर्ण भाव से आगे बढ़ना चाहिए
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 6.
बबूल एवं त्रिशूल किसके प्रतीक हैं?
(क) सामाजिक रूढ़ियों एवं कुरीतियों के
(ख) बबूल जैसे छोटे-छोटे पौधों के
(ग) धार्मिक प्रतीकों के
(घ) प्रगति एवं अच्छे विचारों के
उत्तर :
(क) सामाजिक रूढ़ियों एवं कुरीतियों के
प्रश्न 7.
‘दिगंत में वसंत का भविष्य बीज बो रहा है’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) अन्योक्ति अलंकार
उत्तर :
(ख) मानवीकरण अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(क) देश की नवीन आरती
(ख) नवीन कंठ दो
(ग) समर्थ किसान
(घ) दिगंत में वसंत
उत्तर :
(ख) नवीन कंठ दो
18. जिसमें स्वदेश का मान भरा
आज़ादी का अभिमान भरा
जो निर्भय पथ पर बढ़ आए
जो महाप्रलय में मुस्काए
जो अंतिम दम तक रहे डटे
दे दिए प्राण, पर नहीं हटे
जो देश-राष्ट्र की वेदी पर
देकर मस्तक हो गए अमर
ये रक्त-तिलक-भारत-ललाट!
उनको मेरा पहला प्रणाम!
फिर वे जो आँधी बन भीषण
कर रहे आज दुश्मन से रण
बाणों के पवि-संधान बने
जो ज्वालामुख-हिमवान बने
हैं टूट रहे रिपु के गढ़ पर
बाधाओं के पर्वत चढ़कर
जो न्याय-नीति को अर्पित हैं
भारत के लिए समर्पित हैं।
कीर्तित जिससे यह धरा धाम
उन वीरों को मेरा प्रणाम!
श्रद्धानत कवि का नमस्कार
दुर्लभ है छंद-प्रसून हार
इसको बस वे ही पाते हैं
जो चढ़े काल पर आते हैं
हुंकृति से विश्व कँपाते हैं
पर्वत का दिल दहलाते हैं
रण में त्रिपुरांतक बने शर्व
कर ले जो रिपु का गर्व खर्च
जो अगिन-पुत्र, त्यागी, अकाम
उनको अर्पित मेरा प्रणाम!
प्रश्न :
(क) कवि किन वीरों को प्रणाम करता है?
(ख) कवि ने भारत के माथे का लाल चंदन किन्हें कहा है?
(ग) दुश्मनों पर भारतीय सैनिक किस तरह वार करते हैं?
(घ) कवि की श्रद्धा किन वीरों के प्रति है?
(ङ) भारतीय वीर किस तरह अमर हो गए?
(च) इस धरा धाम पर किनकी कीर्ति गूँज रही है?
(छ) कवि अपनी कविता का हार किन वीरों को समर्पित करता है?
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या है?
उत्तर :
(क) कवि उन वीरों को प्रणाम करता है, जिनमें स्वदेश का मान भरा है तथा जो निर्भीक होकर अंतिम दम तक देश के लिए संघर्ष करते हैं।
(ख) कवि ने भारत के माथे का लाल तिलक उन वीरों को कहा है, जिन्होंने देश की वेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
(ग) दुश्मनों पर भारतीय सैनिक वीर आँधी की तरह भीषण वार करते हैं तथा आग उगलते हुए शत्रुओं के किलों को तोड़ देते हैं।
(घ) कवि की श्रद्धा उन वीरों के प्रति है, जो मृत्यु से नहीं घबराते तथा अपनी हुंकार से विश्व को कँपा देते हैं।
(ङ) भारतीय वीरों ने अपनी आज़ादी और देश के मान-सम्मान के लिए आँधी-तूफान और प्रलय की परवाह नहीं की। वे आगे ही बढ़ते गए और अपने देश की बलि वेदी पर प्राण देकर अमर हो गए।
(च) इस धरा धाम पर उन लोगों की कीर्ति गूँज रही है जो वैर-विरोध की परवाह किए बिना न्याय की नीति अपनाते हैं और भारत के लिए सर्वस्व समर्पित करते हैं।
(छ) कवि अपनी कविता का हार उन वीरों को समर्पित करता है, जो काल को भी जीतकर उसे अपने वश में कर लेते हैं, अपनी हुंकार से सारी दुनिया को कंपित कर देते हैं और पर्वतों तक के दिल दहला देते हैं।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है- वीरों को मेरा प्रणाम।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि किन वीरों को प्रणाम करता है?
(क) जो आज़ादी के पथ पर निर्भय होकर बढ़ते हैं।
(ख) जिन्हें अपने देश के सम्मान का ध्यान है।
(ग) जिन्हें अपनी आज़ादी पर गर्व है।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 2.
भारत माता के माथे का तिलक कौन बन गए?
(क) जिन्होंने आज़ादी का गीत गाया।
(ख) जो आज़ादी के लिए औरों को प्रेरित करते रहे।
(ग) जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
(घ) जिन्हें अपने देश पर गर्व है।
उत्तर :
(ग) जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
प्रश्न 3.
भारतीय वीर ज्वालामुख-हिमवान बनकर क्या कर रहे हैं?
(क) आग उगल रहे हैं।
(ख) शत्रुओं के गढ़ को नष्ट कर रहे हैं।
(ग) देश के विरुद्ध आग उगलने वालों को समझा रहे हैं।
(घ) संकट के समय भी धैर्यवान बने हुए हैं।
उत्तर :
(ख) शत्रुओं के गढ़ को नष्ट कर रहे हैं।
प्रश्न 4.
जो भारत के लिए सर्वस्व समर्पित करने को तैयार रहते हैं …………..।
(क) ऐसे लोग वीर कहलाते हैं।
(ख) उनके कार्यों से देश की प्रसिद्धि बढ़ती है।
(ग) ऐसे लोग दूसरों से भी ऐसी अपेक्षा रखते हैं।
(घ) ऐसे लोग विरले होते हैं।
उत्तर :
(ख) उनके कार्यों से देश की प्रसिद्धि बढ़ती है।
प्रश्न 5.
विश्व को अपनी हुंकार से कँपा देने वाले वीरों के लिए कवि क्या अर्पित करता है?
(क) अपना तन-मन
(ख) अपना तन और धन
(ग) अपनी श्रद्धा और कविताओं का पुष्पकार
(घ) सुर्गधित फूलों का सुंदर हार
उत्तर :
(ग) अपनी श्रद्धा और कविताओं का पुष्पकार
प्रश्न 6.
कवि अपना प्रणाम उन्हें अर्पित करता है जो ……………….।
(क) पहाड़ का दिल दहला देते हैं।
(ख) जो रण में शत्रुओं का नाश करते हैं।
(ग) दुश्मन का घमंड चकनाचूर करते हैं।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 7.
‘फिर वे जो आँधी बन भीषण, कर रहे आज दुश्मन से रण’ में कौन-सा रस घनीभूत है?
(क) करुण रस
(ख) वीर रस
(ग) शृंगार रस
(घ) वात्सल्य रस
उत्तर :
(ख) वीर रस
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(क) जिनमें स्वदेश का मान भरा
(ख) वीरों को मेरा प्रणाम
(ग) रक्त-तिलक भारत ललाट
(घ) कीर्तित धरा धाम
उत्तर :
(ख) वीरों को मेरा प्रणाम
19. पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो!
पुरुष क्या, पुरुषार्थी हुआ न जो,
हृदय की सब दुर्बलता तजो।
प्रबल जो तुम में पुरुषार्थ हो,
सुलभ कौन तुम्हें न पदार्थ हो?
प्रगति के पथ में विचरो उठो,
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो!
न पुरुषार्थ बिना कुछ स्वार्थ है,
न पुरुषार्थ बिना परमार्थ है।
समझ लो यह बात यथार्थ है
कि पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ है।
भुवन में सुख-शांति भरो, उठो!
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो!
न पुरुषार्थ बिना वह स्वर्ग है,
न पुरुषार्थ बिना अपवर्ग है।
न पुरुषार्थ बिना क्रियता कहीं,
न पुरुषार्थ बिना प्रियता कहीं।
सफलता वर-तुल्य वरो, उठो!
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो!
न जिसमें कुछ पौरुष हो यहाँ-
सफलता वह पा सकता कहाँ?
अपुरुषार्थ भयंकर पाप है,
न उसमें यश है, न प्रताप है।
न कृमि-कीट समान मरो, उठो!
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।!
प्रश्न :
(क) काव्यांश के माध्यम से कवि ने मनुष्य को क्या प्रेरणा दी है?
(ख) मनुष्य पुरुषार्थ से क्या-क्या कर सकता है?
(ग) ‘सफलता वर-तुल्य वरो, उठो’-पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(घ) अपुरुषार्थ भयंकर पाप है-कैसे?
(ङ) किसी को पुरुष कहलाने की सार्थकता कब है?
(च) कवि कौन-सी यथार्थ बात हमें बताना चाहता है?
(छ) काव्यांश का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
(क) प्रथम काव्यांश में कवि मनुष्य को प्रेरणा देता है कि वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके परिश्रम करे। इससे उसका विकास होगा।
(ख) मनुष्य पुरुषार्थ से अपना व समाज का भला कर सकता है। वह विश्व में सुख-शाति की स्थापना कर सकता है।
(ग) इसका अर्थ यह है कि मनुष्य निरंतर कर्म करे तथा वरदान के समान सफलता को धारण करे। दूसरे शब्दों में, जीवन में सफलता के लिए परिश्रम आवश्यक है।
(घ) अपुरुपार्थ का अर्थ है-कर्म न करना। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसे यश नहीं मिलता, उसे वीरत्व नहीं प्राप्त होता। इसी कारण अपुरुषार्थ को भयंकर पाप कहा गया है।
(ङ) किसी को पुरुष कहलाने की सार्थकता तभी है जब वह समाज की भलाई के लिए अच्छे कर्म करे और अपना पुरुषार्थ सिद्ध करे।
(च) पुरुषार्थ के बिना मनुष्य अपना भला नहीं कर सकता है और इसके बिना वह दूसरों की भलाई की बात सोच भी नहीं सकता है। कवि यही यथार्थ बात हमें बताना चाहता है।
(छ) काव्यांश का मूलभाव है- मनुष्य को पुरुषार्थी बनने की प्रेरणा देते हुए पुरुषार्थ की महत्ता का ज्ञान कराना।
(ज) शीर्षक-‘पुरुषार्थ का महत्व’ अथवा ‘पुरुष हो, पुरुषार्थ करो’।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि ने मनुष्य को क्या प्रेरणा दी है?
(क) तुम पुरुष हो, यह बताने की
(ख) पुरुष क्या होता है, यह जानने की
(ग) समस्त शक्तियाँ एकत्र कर पुरुपार्थीं बनने की
(घ) अपनी दुर्बलता जान लेने की
उत्तर :
(ग) समस्त शक्तियाँ एकत्र कर पुरुपार्थीं बनने की
प्रश्न 2.
कवि पुरुषार्थ करते हुए किस पथ पर चलने के लिए कह रहा है?
(क) आत्मकल्याण के पथ पर
(ख) परोपकार के पथ पर
(ग) उन्नति एवं विकास के पथ पर
(घ) अपरिचित रास्ते पर
उत्तर :
(ग) उन्नति एवं विकास के पथ पर
प्रश्न 3.
मनुष्य अपने पुरुपार्थ से क्या कर सकता है?
(क) अपना खुद का कल्याण कर सकता है।
(ख) वह संसार में सुख-शांति ला सकता है।
(ग) दूसरों की भलाई कर सकता है।
(घ) क. ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क. ख, ग तीनों
प्रश्न 4.
कवि ने यथार्थ बात किसे कहा है?
(क) प्रगति की राह पर चलने को
(ख) सारी शक्तियों के सहारे कर्म करना ही पुरुषार्थ है।
(ग) पुरुषार्थ बिना परमार्थ है।
(घ) पुरुपार्थ बिना स्वार्थ हो सकता है।
उत्तर :
(ख) सारी शक्तियों के सहारे कर्म करना ही पुरुषार्थ है।
प्रश्न 5.
‘सफलता वर-तुल्य वरो, उठो’ में क्या सीख दी गई है?
(क) सफलता जैसा वरदान प्राप्त करो।
(ख) कर्म के द्वारा वरदान के समान सफलता प्राप्त करो।
(ग) कर्म के द्वारा मनचाहा वरदान प्राप्त करो।
(घ) सफलता पाने के लिए वरदान आवश्यक है।
उत्तर :
(ख) कर्म के द्वारा वरदान के समान सफलता प्राप्त करो।
प्रश्न 6.
कवि किस प्रकार की मुत्यु को व्यर्थ मानता है?
(क) कीड़े-मकोड़ों के समान मरने को
(ख) प्रगति की राह में चलते हुए मरने को
(ग) पुरुषार्थ करते हुए मरने को
(घ) जीवन में सफलता न पाने पर हुई मृत्यु को
उत्तर :
(क) कीड़े-मकोड़ों के समान मरने को
प्रश्न 7.
‘सफलता वर-तुल्य वरो’ में अलंकार है-
(क) यमक अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) श्लेप अलंकार
(घ) अतिशयोक्ति अलंकार
उत्तर :
(ख) उपमा अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(क) अपुरुषार्थ पाप है
(ख) पुरुषार्थ और सफलता
(ग) पुरुषार्थ-एक स्वर्ग
(घ) पुरुष हो. पुरुषार्थ करो
उत्तर :
(घ) पुरुष हो. पुरुषार्थ करो
20. मनमोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है।
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है, वह देश कौन-सा है?
जिसके चरण निरतर रलेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय, वह देश कौन-सा है?
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना, वह देश कौन-सा है?
जिसके बड़े रसीले फल, कंद, नाज, मेवे।
सब अंग में सजे हैं, वह देश कौन-सा है?
जिसके सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे।
दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन-सा है?
मैदान, गिरि, वनों में हरियाली महकती।
आनंदमय जहाँ है, वह देश कौन-सा है?
जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है।
संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है?
सबसे प्रथम जगत में जो सभ्य था यशस्वी।
जगदीश का दुलारा, वह देश कौन-सा है?
प्रश्न :
(क) मनमोहिनी प्रकृति की गोद में कौन-सा देश बसा हुआ है और वहाँ कौन-सा सुख प्राप्त होता है?
(ख) भारत की नदियों की क्या विशेषता है?
(ग) भारत के फूलों का स्वरूप कैसा है?
(घ) जगदीश का दुलारा देश भारत संसार का शिरोमणि कैसे है?
(ङ) हमारा देश आनंदमय है। इसे कौन आनंदमय बना रहा है?
(च) ‘सुख स्वर्ग-सा जहाँ है, में कौन-सा अलंकार है?
(छ) उपर्युक्त काव्यांश का मूल भाव क्या है।
(ज) काव्यांश का सार्थक एवं उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
(क) मनमोहिनी प्रकृति की गोद में भारत देश बसा हुआ है। यहाँ स्वर्ग के समान सुख प्राप्त होता है।
(ख) भारत की नदियों की विशेषता यह है कि इनका जल अमृत के समान है तथा ये देश को निरतर सींचती रहती हैं।
(ग) भारत के फूल सुंदर व प्यारे हैं। वे दिन-रात हैसते रहते हैं।
(घ) भारत देश जगदीश का दुलारा है तथा यह सारे संसार का शिरोमणि है, क्योंकि यहीं पर सबसे पहले सभ्यता का प्रचार-प्रसार हुआ।
(ङ) हमारे देश में दूर-दूर तक फैले हरे-भरे मैदान हैं, ऊँचे-ऊँचे पर्वत हैं और हरे-भरे जंगल हैं जिनकी हरियाली महककर इस देश को आनंदमय बना रही है।
(च) ‘सुख स्वर्ग-सा जहाँ है’ में उपमा अलंकार तथा अनुप्रास अलंकार है।
(छ) काव्यांश का मूल भाव है- भारत देश के प्राकृतिक सौंदर्य, सुख-समृद्धि, आनंदमय वातावरण तथा प्राचीन गौरव का गुणगान।
(ज) शीर्षक-वह देश कौन-सा है?
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
इनमें से कौन-सा कथन भारत की विशेषता से संबंधित नहीं है?
(क) यह देश अत्यंत सुंदर प्राकृतिक वातावरण में बसा है।
(ख) यह देश स्वर्ग के समान सुंदर है।
(ग) नदियाँ इस देश के चरण पखार रही हैं।
(घ) हिमालय इस देश के मुकुट-जैसा सुशोभित है।
उत्तर :
(ग) नदियाँ इस देश के चरण पखार रही हैं।
प्रश्न 2.
हमारे देश के लोगों के स्वस्थ होने का कारण क्या है?
(क) यहाँ के फल बड़े रसीले हैं।
(ख) यहाँ खूब कंद-मूल पैदा होता है
(ग) यहाँ अनाज और मेवे खूब पैदा होते हैं।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(ग) यहाँ अनाज और मेवे खूब पैदा होते हैं।
प्रश्न 3.
हमारे देश की नदियों की विशेषता क्या है?
(क) इनमें अमृत की धारा बह रही है।
(ख) नदियाँ इस देश की धरती को सींचती हैं।
(ग) ये नदियाँ प्राय: सूख जाती हैं।
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(ग) ये नदियाँ प्राय: सूख जाती हैं।
प्रश्न 4.
हमारे देश को विश्व का सिरमौर बनाने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-
(क) चारों ओर फैली हुई हरियाली
(ख) खिले हुए रंग-बिरंगे फूल
(ग) धरती की गोद में भरा अनंत धन
(घ) यहीं से चारों ओर फैली सभ्यता एवं संस्कृति
उत्तर :
(घ) यहीं से चारों ओर फैली सभ्यता एवं संस्कृति
प्रश्न 5.
हमारे देश की समृद्धि का कारण क्या है?
(क) यहाँ की मनमोहक प्रकृति
(ख) देश के उत्तर में स्थित हिमालय
(ग) अनंत धन से भरी धरती
(घ) चारों ओर फैली हरियाली
उत्तर :
(ग) अनंत धन से भरी धरती
प्रश्न 6.
इस देश में ईश्वर और देवताओं ने भी जन्म लिया है। इससे क्या पता चलता है?
(क) ईश्वर और देवता भी अनंत धन से भरी धरती पसंद करते हैं।
(ख) ईश्वर और देवताओं को भी यह देश बहुत प्रिय है।
(ग) ईश्वर और देवता स्वर्ग-सा सुख यहीं उठाने आते हैं।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) ईश्वर और देवताओं को भी यह देश बहुत प्रिय है।
प्रश्न 7.
‘सुंदर प्रसून प्यारे, दिन-रात हँस रहे हैं’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक कौन-सा है?
(क) प्रसून प्यारे
(ख) सुधा बहाती नदियाँ
(ग) वह देश कौन-सा है?
(घ) देश का मुकुट हिमालय
उत्तर :
(ग) वह देश कौन-सा है?
21. जब कभी मछेरे को फेंका हुआ
फैला जाल
समेटते हुए देखता हूँ
तो अपना सिमटता हुआ
‘स्व’ याद हो आता है –
जो कभी समाज, गाँव और
परिवार के वृहत्तर रकबे में
समाहित था
‘सर्व’ की परिभाषा बनकर
और अब केंद्रित हो
गया हूँ, मात्र बिंदु में।
जब कभी अनेक फूलों पर
बैठी, पराग को समेटती
मधुमक्खियों को देखता हूँ
तो मुझे अपने पूर्वजों की
याद् हो आती है,
जो कभी फूलों को रंग, जाति, वर्ग
अथवा कबीलों में नहीं बाँटते थे
और समझते रहे थे कि
देश एक बाग है
और मधु-मनुष्यता
जिससे जीने की अपेक्षा होती है।
किंतु अब
बाग और मनुष्यता
शिलालेखों में जकड़ गई हैं
मात्र संग्रहालय की जड़ वस्तुएँ।
प्रश्न :
(क) कविता में प्रयुक्त ‘स्व’ शब्द से कवि का क्या अभिप्राय है? उसकी जाल से तुलना क्यों की गई है?
(ख) कवि का ‘स्व’ पहले कैसा था और अब कैसा हो गया है और क्यों?
(ग) कवि को अपने पूर्वजों की याद कब और क्यों आती है?
(घ) कवि के पूर्वजों की विचारधारा पर टिप्पणी लिखिए।
(ङ) निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
‘और मनुष्यता शिलालेखों में जकड़ गई है।’
(च) ‘अब मनुष्य का दायरा सिमटकर एक बिंदु भर रह गया है।’ यह भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ कौन-सी हैं?
(छ) ‘जिससे जीने की अपेक्षा होती है’- में कौन-सा अलंकार है?
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
उत्तर :
(क) यहाँ ‘स्व’ का अभिप्राय निजता से है। इसकी तुलना जाल से इसलिए की गई है, क्योंकि इसमें भी जाल की तरह विस्तार व संकुचन की क्षमता होती है।
(ख) कवि का ‘स्व’ पहले समाज, गाँव व परिवार के बड़े दायरे में फैला था। आज यह निजी जीवन तक सिमटकर रह गया है, क्योंकि अब वह स्वार्थी हो गया है।
(ग) कवि जब मधुमक्खियों को परागकण समेटते देखता है, तो उसे अपने पूर्वजों की याद आती है। पूर्वज रंग, जाति, वर्ग या कबीलों के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे।
(घ) कवि के पूर्वज सारे देश को एक बाग के समान समझते थे। वे मनुष्यता को महत्व देते थे।
(ङ) इसका अर्थ है कि आज मनुष्य शिलालेखों की तरह जड़, कठोर, सीमित व कट्टर हो गए हैं। वे जीवन को सहज रूप में नहीं जीते।
(च) उक्त भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ हैं-
‘सर्व’ की परिभाषा बनकर
और अब केंद्रित हो
गया हूँ, मात्र एक बिंदु में।
(छ) ‘जिससे जीने की अपेक्षा होती है’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है- ‘स्व’ की याद।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि को अपना ‘स्व’ कब याद आता है?
(क) मछेरे द्वारा जाल फैलाते समय
(ख) मछेरे द्वारा जाल समेटते समय
(ग) मछेरे द्वारा जाल फैलाकर याद दिलाने पर
(घ) मछेरे का साथ मिलने पर
उत्तर :
(ख) मछेरे द्वारा जाल समेटते समय
प्रश्न 2.
‘स्व’ की तुलना जाल से क्यों की गई है?
(क) बीच-बीच में जगह छूटी होने के कारण
(ख) आकार में बड़ा होने के कारण
(ग) समय पर विस्तार कर लेने के कारण
(घ) विस्तार एवं संकुचन की क्षमता होने के कारण
उत्तर :
(घ) विस्तार एवं संकुचन की क्षमता होने के कारण
प्रश्न 3.
जीने के लिए क्या आवश्यक बताया गया है?
(क) मधु जैसी मिठास
(ख) पराग का संकलन
(ग) जाति, धर्म, रंग आद् की पहचान
(घ) मधु रूपी मनुष्यता
उत्तर :
(घ) मधु रूपी मनुष्यता
प्रश्न 4.
कवि को अपने पूर्वजों की याद कब आती है?
(क) फूलों को देखकर
(ख) पराग की कल्पना करके
(ग) फूलों पर बैठी पराग जुटाती तितलियों को देखकर
(घ) अपने आस-पास उड़ती तितलियों को देखकर
उत्तर :
(ग) फूलों पर बैठी पराग जुटाती तितलियों को देखकर
प्रश्न 5.
कवि के पूर्वज क्या नहीं करते थे?
(क) आदमियों की पहचान
(ख) जाति-धर्म के आधार पर बँटवारा
(ग) अपने ‘स्व’ का विस्तार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) जाति-धर्म के आधार पर बँटवारा
प्रश्न 6.
मनुष्यता का शिलालेखों में जकड़ने का आशय है-
(क) मनुष्य का शिलालेख की तरह जड़ हो जाना
(ख) मनुष्य कठोर हो गया है
(ग) वह स्वयं तक सीमित हो गया है।
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(ग) वह स्वयं तक सीमित हो गया है।
प्रश्न 7.
‘और मधु मनुष्यता’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) अनुप्रास एवं रूपक अलंकार
(घ) मानवीकरण अलंकार
उत्तर :
(ग) अनुप्रास एवं रूपक अलंकार
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(क) संग्रहालय की जड़ वस्तुएँ
(ख) मछेरे का जाल
(ग) ‘स्व’ की याद
(घ) पूर्वजों की याद
उत्तर :
(ग) ‘स्व’ की याद
22. तू हिमालय नहीं, तू न गंगा-यमुना
तू त्रिवेणी नहीं, तू न रामेश्वरम्
तू महाशील की है अमर कल्पना
देश! मेरे लिए तू परम वंदना!
मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरण,
लहलहाते सहस्तों यहाँ खेत-वन।
नर्मदा-ताप्ती, सिंधु, गोदावरी.
हैं कराती युगों से तुझे आचमन।
तू पुरातन बहुत, तू नए से नया
तू महाशील की है अमर कल्पना।
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना!
शक्ति-बल का समर्थक रहा सर्वदा,
तू परम तत्व का नित विचारक रहा।
शांति-संदेश देता रहा विश्व को।
प्रेम-सद्भाव का नित प्रचारक रहा।
सत्य और प्रेम की है परम प्रेरणा
देश! मेरे लिए तू महा अर्चना!
प्रश्न :
(क) कवि का देश को ‘महाशील की अमर कल्पना’ कहने से क्या तात्पर्य है?
(ख) भारत देश पुरातन होते हुए भी नित नूतन कैसे है?
(ग) ‘तू परम तत्व का नित विचारक रहा’-पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
(घ) देश का सत्कार प्रकृति कैसे करती है? काव्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ङ) ‘शांति-संदेश …………. प्रचारक रहा।’ – काव्य-पंक्तियों का अर्थ बताते हुए इस कथन की पुष्टि में इतिहास से कोई एक प्रमाण दीजिए।
(च) कवि अपने देश को कुछ भौगोलिक वस्तुओं का समूह नहीं मानता है, कैसे?
(छ) ‘मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरन’ में निहित अलंकार बताइए।
(ज) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या है?
उत्तर :
(क) कवि देश को महाशील की अमर कल्पना कहता है। इसका अर्थ यह है कि भारत में महाशील के अंतर्गत करुणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण हैं, जिनके कारण भारत का उज्ज्वल चरित्र बना है।
(ख) भारत में करुणा, दया. प्रेम आदि पुराने गुण विद्यमान हैं तथा वैज्ञानिक व तकनीकी विकास भी बहुत हुआ है। इस कारण भारत देश पुरातन होते हुए भी नित नूतन है।
(ग) इसका अर्थ यह है कि भारत ने सदा सृष्टि के परम तत्व की खोज की है।
(घ) प्रकृति देश का सत्कार करती है। मेघ यहाँ वर्षा करते हैं, सागर भारत के चरण धोता है। यहाँ लाखों लहलहाते खेत व वन हैं। नर्मदा, ताप्ती (तापी), सिंधु, गोदावरी भारत को आचमन करवाती हैं।
(ङ) इसका अर्थ यह है कि भारत सदा विश्व को शांति का पाठ पढ़ाता रहा है। यहाँ के सम्राट अशोक व गौतम बुद्ध ने संसार को शांति व धर्म का पाठ पढ़ाया।
(च) कवि अपने को हिमालय, गंगा-यमुना, त्रिवेणी और रामेश्वरम आदि भौगोलिक वस्तुओं का संग्रह भर नहीं मानता, बल्कि वह देश को इससे भी कुछ बढ़कर मानता है।
(छ) ‘मेघ करते नमन, सिंधु धोता चरन’ में मानवीकरण अलंकार है।
(ज) काव्यांश का शीर्षक है – देश, तू मेरी महा अर्चना।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कवि अपने देश को किस रूप में मानता है?
(क) गिरिराज हिमालय के रूप में
(ख) गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम के रूप में
(ग) तीर्थराज रामेश्वरम् के रूप में
(घ) महाशील की अमर कल्पना के रूप में
उत्तर :
(घ) महाशील की अमर कल्पना के रूप में
प्रश्न 2.
कवि के लिए देश वंदनीय क्यों है?
(क) लोगों में करुणा भाव होने के कारण
(ख) लोगों में प्रेम और दया होने के कारण
(ग) लोगों के शांतिप्रिय होने के कारण
(घ) क. ख. ग तीनों
उत्तर :
(घ) क. ख. ग तीनों
प्रश्न 3.
हमारे देश की नदियाँ किस तरह देश का सत्कार करती हैं?
(क) देश की धरती की प्यास बुझाकर
(ख) देश को युगों से जल पान कराकर
(ग) देश को हरा-भरा करके
(घ) देश के लिए फ़सलें देकर
उत्तर :
(ख) देश को युगों से जल पान कराकर
प्रश्न 4.
भारत देश किस तरह नया से नया है?
(क) अपनी संस्कृति की महानता के कारण
(ख) अपने उच्च मानवीय मूल्यों के कारण
(ग) अपने विज्ञान एवं तकनीकी आविष्कार के कारण
(घ) नई सभ्यता के प्रति बढ़ते रुझान के कारण
उत्तर :
(ग) अपने विज्ञान एवं तकनीकी आविष्कार के कारण
प्रश्न 5.
‘तू परम तत्व का नित विचारक रहा’ का भाव क्या है?
(क) भारत धार्मिक देश है।
(ख) भारत में परमशक्ति ईश्वर को माना जाता है।
(ग) भारत ने सृष्टि के परम तत्व की खोज की।
(घ) भारत ने अपनी खोजों को परम तत्व समझा।
उत्तर :
(ग) भारत ने सृष्टि के परम तत्व की खोज की।
प्रश्न 6.
भारत ने विश्व के लिए क्या किया है?
(क) शांति और प्रेम का संदेश दिया है।
(ख) प्रेम और सद्भाव का प्रसार किया।
(ग) शक्ति और बल दिया।
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 7.
‘सिंधु धोता चरण’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर :
(ख) मानवीकरण अलंकार
प्रश्न 8.
उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक हो सकता है-
(क) प्रेम-सद्भाव का प्रचार
(ख) सागर धोता चरण
(ग) अमरकल्पना
(घ) देश-तू मेरी महा अर्चना
उत्तर :
(घ) देश-तू मेरी महा अर्चना
23. जब-जब बाँहें झुकीं मेघ की, धरती का तन-मन ललका है
जब-जब मैं गुजरा पनघट से, पनिहारिन का घट छलका है।
सुन बाँसुरिया सदा-सदा से हर बेसुध राधा बहकी है,
मेघदूत को देख यक्ष की सुधियों में केसर महकी है।
क्या अपराध किसी का है फिर, क्या कमज़ोरी कहूँ किसी की.
जब-जब रंग जमा महफ़िल में जोश रूका कब पायल का है।
जब-जब मन में भाव उमड़ते, प्रणय श्लोक अवतीर्ण हुए हैं।
जब-जब प्यास जगी पत्थर में, निर्झर स्रोत विकीर्ण हुए हैं।
जब-जब गूँजी लोकगीत की धुन अथवा आल्हा की कड़ियाँ
खेतों पर यौवन लहराया, रूप गुजरिया का दमका है।
प्रश्न :
(क) मेघों के झुकने का धरती पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
(ख) राधा कौन थी? उसे ‘बेसुध’ क्यों कहा गया है ?
(ग) मन के भावों और प्रेम-गीतों का परस्पर क्या संबंध है? इनमें से कौन किस पर आश्रित है?
(घ) काव्यांश में झरनों के अनायास फूट पड़ने का क्या कारण बताया गया है?
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए -‘ खेतों पर यौवन लहराया, रूप गुजरिया का दमका है।’
(च) मेघदूत को देखकर यक्ष पर क्या प्रभाव पड़ा?
(छ) ‘जब-जब प्यास जगी पत्थर में’ में कौन-सा अलंकार है?
(ज) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
(क) मेघों के झुकने पर धरती का तन-मन ललक उठता है, क्योंकि मेघों से बारिश होती है और इससे धरती पर खुशियाँ फैलती हैं।
(ख) राधा कृष्ण की आराधिका थी। वह कृष्ण की बाँसुरी की मधुरता पर मुग्ध थी। वह हर समय उसमें ही खोई रहती थी। इस कारण उसे ‘बेसुध’ कहा गया है।
(ग) प्रेम का स्थान मन में है। जब मन में प्रेम उमड़ता है, तो कवि प्रेम-गीतों की रचना करता है। प्रेम-गीत मन के भावों पर आश्रित होते हैं।
(घ) जब-जब पत्थरों के मन में प्रेम की प्यास जागती है, तब-तब उसमें से झरने फूट पड़ते हैं।
(ङ) इसका अर्थ यह है कि खेतों में हरी-भरी फसलें लहलहाने पर कृषक-बालिकाएँ प्रसन्न हो जाती हैं। उनके चेहरे खुशी से दमक उठते हैं।
(च) मेघदूत को देखकर विरही यक्ष को अपनी नवविवाहिता पत्नी की याद आ गई। यक्ष ने अपनी विरह व्यथा को मेघदूत के माध्यम से अपनी पत्नी से कहला दिया।
(छ) ‘जब-जब प्यास जगी पत्थर में’ में मानवीकरण अलंकार और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ज) काव्यांश की भाषा में तत्सम शब्दों के साथ ही आम बोलचाल के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। काव्यांश में दृश्य बिंब साकार हो उठा है।
बहुविकल्पीय प्रश्न –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कुष्ण की वंशी का राधा पर क्या असर पड़ता था?
(क) राधा खुश हो जाती थी।
(ख) राधा अपनी सुध-बुध खो बैठती थी।
(ग) राधा गीत गाने लगती थी।
(घ) राधा अपनी सहेलियों को बुलाने लगती थी।
उत्तर :
(ख) राधा अपनी सुध-बुध खो बैठती थी।
प्रश्न 2.
मेघदूत को देखकर यक्ष सुहावनी यादों में क्यों खो गया?
(क) वर्षा होने की आशा में
(ख) अपनी पत्नी के पास संदेश भेजने की चाह में
(ग) बहुत दिन बाद मेघदूत को देखने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) अपनी पत्नी के पास संदेश भेजने की चाह में
प्रश्न 3.
कवि के मन में प्रेम गीत कब फूट पड़ते हैं?
(क) आकाश में बादलों के घिरने पर
(ख) धरती का तन-मन प्रसन्न होने पर
(ग) महफिल में रंग जमने पर
(घ) मन में प्रेम का भाव उमड़ने पर
उत्तर :
(घ) मन में प्रेम का भाव उमड़ने पर
प्रश्न 4.
पत्थरों की प्यास जगने पर क्या होता है?
(क) वर्षा हो जाती है।
(ख) बर्फ पिघलने लगती है।
(ग) पत्थरों से झरने फूट पड़ते हैं।
(घ) उसके आस-पास की वनस्पतियाँ सूख जाती हैं।
उत्तर :
(ग) पत्थरों से झरने फूट पड़ते हैं।
प्रश्न 5.
कृषक बालिकाएँ कब प्रसन्न हो उठती हैं?
(क) लोकगीत गूँजने पर
(ख) आल्हा का गायन होने पर
(ग) हरी-भरी फसलें देखकर
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 6.
‘जब-जब प्यास जगी पत्थर में’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ख) मानवीकरण अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
उत्तर :
(घ) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों
प्रश्न 7.
‘सुन-बाँसुरिया सदा-सदा से हर बेसुध राधा बहकी है।’ का शिल्प सौंदर्य है-
(क) आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग
(ख) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ग) लाक्षणिकता का प्रयोग
(घ) क, ख, ग तीनों
उत्तर :
(घ) क, ख, ग तीनों
प्रश्न 8.
काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा –
(क) मन में उमड़ते भाव
(ख) खेतों पर यौवन
(ग) धरती की प्रसन्नता
(घ) मेघदूत की सुधियाँ
उत्तर :
(क) मन में उमड़ते भाव