Students often revise Exploring Society India and Beyond Class 6 Extra Questions and Class 6 SST Chapter 8 Extra Questions and Answers in Hindi विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’ before their exams for better preparation.
Class 6 Social Science Chapter 8 Extra Questions and Answers in Hindi Medium विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उक्त पंक्तियों के वक्ता कौन हैं?
हे ईश्वर ! मेरी यह प्रार्थना स्वीकार करें कि मैं अनेकता में एकता के स्पर्श का आनंद कभी न गवाँ सकूँ।
(a) राजा राम मोहन राय
(b) रवींद्रनाथ टैगोर
(c) गोपाल कृष्ण गोखले
(d) श्री अरविंद
उत्तर:
(b) रवींद्रनाथ टैगोर
प्रश्न 2.
भारत में यात्रा करते समय यात्रियों को किस प्रकार की विविधता का अनुभव होता है?
(a) केवल भोजन की विविधता
(b) केवल भूदृश्य की विविधता
(c) बदलते भूदृश्य, परिधान, भोजन, भाषाएँ और रीति-रिवाजों की विविधता
(d) केवल भाषाओं की विविधता
उत्तर:
(c) बदलते भूदृश्य, परिधान, भोजन, भाषाएँ और रीति-रिवाजों की विविधता
प्रश्न 3.
दी गई तस्वीर भारत के किस राज्य से संबंधित हो सकती है?
(a) बंगाल
(b) पंजाब
(c) बिहार
(d) सिक्किम
उत्तर:
(c) बिहार
प्रश्न 4.
भारत में साड़ी के इतिहास के बारे में क्या जानकारी दी गई है ?
(a) साड़ी का इतिहास केवल कुछ शताब्दियों पुराना है।
(b) साड़ी का इतिहास बहुत पुराना है और यह वैशाली में उकेरी गई आकृति से प्रमाणित होता है।
(c) साड़ी का इतिहास सिर्फ रेशमी साड़ियों से संबंधित है।
(d) साड़ी का इतिहास केवल रंगों और डिजाइन के आधार पर है।
उत्तर:
(b) साड़ी का इतिहास बहुत पुराना है और यह वैशाली में उकेरी गई आकृति से प्रमाणित होता है।
प्रश्न 5.
कृत्रिम कपड़े से बनी साड़ियों के बारे में क्या कहा गया है ?
(a) केवल रेशमी साड़ियों का उपयोग होता है।
(b) कृत्रिम कपड़ों से भी साड़ियाँ बनाई जाती हैं।
(c) केवल सूती साड़ियों का ही उपयोग होता है।
(d) कृत्रिम कपड़ों से साड़ी नहीं बनती।
उत्तर:
(b) कृत्रिम कपड़ों से भी साड़ियाँ बनाई जाती हैं।
प्रश्न 6.
‘ भारत के लोग परियोजना’ के अनुसार, भारतीयों को कौन-से विशेष कारण से प्रवासी भी कहा जा सकता है?
(a) विभिन्न देशों में रहने के कारण
(b) अपने जन्म स्थान के निकट या अपने मूल समुदाय के साथ न रहने के कारण
(c) धार्मिक कारणों से
(d) केवल शहरी क्षेत्रों में रहने के कारण
उत्तर:
(b) अपने जन्म स्थान के निकट या अपने मूल समुदाय के साथ न रहने के कारण
प्रश्न 7.
‘इरूला जनजाति’ इस समुदाय को दिए गए विकल्पों में से किससे संबद्ध किया जा सकता है ?
(a) बिहार, बंगाल और उड़ीसा
(b) नागालैंड, मणिपुर और मेघालय
(c) तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक
(d) राजस्थान, हरियाणा और पंजाब
उत्तर:
(c) तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक
प्रश्न 8.
सही विकल्प चुने:
राज्य | फसलों का त्योहार |
असम | (क) लोहड़ी |
केरल | (ख) पोंगल |
पंजाब | (ग) मकर संक्रांति |
महाराष्ट्र | (घ) माघ बिहू |
तमिलनाडु | (ङ) विलक्कू |
(a) 1. (ङ), 2. (घ), 3. ( क ), 4. (ग), 5. (ख)
(b) 1. (घ), 2. (ङ), 3. (क), 4. (ग), 5. (ख)
(c) 1. (ङ), 2. (घ), 3. (ग), 4. (ख), 5. (क)
(d) 1. ( क ), 2. (घ), 3. (ख), 4. (ङ), 5. (ग)
उत्तर:
(b) 1. (घ), 2. (ङ), 3. (क), 4. (ग), 5. (ख)
प्रश्न 9.
कक्षा 6 की एक लड़की विद्या अनेकता में एकता का पाठ पढ़ने के बाद पूरे भारत की यात्रा कर रही है । वह केरल में कुछ दिन बिताने की योजना बना रही है। वह किस मुख्य अनाज का स्वाद चख सकती है?
उत्तर:
कोल्लम चावल
प्रश्न 10.
दिए गए भारत के मानचित्र पर कुछ राज्यों को चिह्नित किया गया है, सबसे उपयुक्त विकल्प चुनकर उन राज्यों के मुख्य अनाज / दाल का नाम बताएँ-
मसूर दाल | चना दाल | अरहर दाल |
राजमा | ज्वार | मूँग दाल |
चावल |
उत्तर:
- राजमा
- चना दाल
- ज्वार
- अरहर दाल
- मूँग दाल
- मसूर दाल
- चावल
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
1. भारत, विश्व में सर्वाधिक महीन सूत का उत्पादन करता रहा और उन कपड़ों का ……….. जैसे सुदूर स्थानों तक निर्यात करता रहा ।
2. 17वीं शताब्दी में एक सूती कपड़े पर छपा हुआ डिजाइन ………… यूरोप में इतना अधिक लोकप्रिय हुआ कि इसके कारण यूरोपीय परिधानों की कीमतों में बहुत बड़ी गिरावट आई।
3. मकर संक्रांति का पर्व भारत के विभिन्न भागों में ………… का सूचक है।
4. पंचतंत्र में मुख्य पात्रों के रूप में …………. होते हैं।
5. …………… नायक धर्म की पुनर्स्थापना के लिए युद्ध पर आधारित हैं।
उत्तर:
1. यूरोप
2. छींट
3. फसलों की कटाई
4. पशु
5. महाभारत और रामायण
कथन और तर्क पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कथन: भारत में विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के बावजूद लोग एकता से रहते हैं। तर्क: भारत में त्योहार, कला, संगीत और साहित्य सभी को एकता के सूत्र में बाँधते हैं।
(a) कथन और तर्क दोनों सही हैं, और तर्क. कथन को सही तरीके से स्पष्ट करता है।
(b) कथन और तर्क दोनों सही हैं, लेकिन तर्क, कथन को सही तरीके से स्पष्ट नहीं करता ।
(c) कथन सही है, लेकिन तर्क गलत है।
(d) कथन गलत है, लेकिन तर्क सही हैं।
उत्तर:
(a) कथन और तर्क दोनों सही हैं, और तर्क. कथन को सही तरीके से स्पष्ट करता है।
प्रश्न 2.
कथन: भारत की विविधता उसकी सांस्कृतिक धरोहर है।
तर्कः विभिन्न राज्यों और समुदायों की परंपराएँ और भाषाएँ अलग-अलग होने के बावजूद, भारत में सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है।
(a) कथन और तर्क दोनों सही हैं, और तर्क, कथन को सही तरीके से स्पष्ट करता है।
(b) कथन और तर्क दोनों सही हैं, लेकिन तर्क. कथन को सही तरीके से स्पष्ट नहीं करता।
(c) कथन सही है, लेकिन तर्क गलत है।
(d) कथन गलत है, लेकिन तर्क सही है।
उत्तर:
(a) कथन और तर्क दोनों सही हैं, और तर्क, कथन को सही तरीके से स्पष्ट करता है।
प्रश्न 3.
कथन: भारत के लोगों के बीच समानता के कारण संघर्ष नहीं होते।
तर्क: भारत में सभी धर्मों और संस्कृतियों का आदर किया जाता है।
(a) कथन और तर्क दोनों सही हैं, और तर्क, कथन को सही तरीके से स्पष्ट करता है।
(b) कथन और तर्क दोनों सही हैं, लेकिन तर्क, कथन को सही तरीके से स्पष्ट नहीं करता।
(c) कथन सही है, लेकिन तर्क गलत है।
(d) कथन गलत है, लेकिन तर्क सही है।
उत्तर:
(d) कथन गलत है, लेकिन तर्क सही है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
महाभारत के लोक संस्करणों के बारे में तमिलनाडु में किए गए सर्वेक्षण से क्या तथ्य सामने आया?
उत्तर:
तमिलनाडु में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार महाभारत के 100 से अधिक लोक संस्करण पाए गए।
प्रश्न 2.
भारत के किन जनजातीय समुदायों में रामायण और महाभारत के अपने संस्करण हैं?
उत्तर:
भील, गोंड, मुंडा जैसे भारत के कई जनजातीय समुदायों में रामायण और महाभारत के अपने संस्करण हैं।
प्रश्न 3.
के. एस. सिंह ने महाभारत के संदर्भ में क्या कहा था?
उत्तर:
के. एस. सिंह ने कहा था कि ” लोककथाओं के अनुसार, इस देश में शायद ही ऐसा कोई स्थान हो जहाँ महानायक पांडव न गए हों। ”
प्रश्न 4. भारतीय संस्कृति में विविधता और एकता का उदाहरण किस क्षेत्र में देखा जा सकता है?
उत्तर:
भारतीय शास्त्रीय कलाओं (जिसमें शास्त्रीय वास्तुकला भी शामिल हैं) में विविधता और एकता का उदाहरण देखा जा सकता है।
प्रश्न 5.
ये त्योहार किस प्रकार एकता को बढ़ावा देते हैं?
उत्तर:
विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग एक-दूसरे के त्योहारों में भाग लेते हैं, एकजुटता की भावना बढ़ाते हैं और एक-दूसरे के रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
साड़ी के विभिन्न प्रकार के निर्माण में बुनाई और डिजाइन की विधियों की भूमिका को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर:
साड़ी के विभिन्न प्रकार के निर्माण में बुनाई और डिजाइन की विधियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बुनाई की विभिन्न तकनीकों से साड़ी के कपड़े की संरचना बनाई जाती है, जबकि डिजाइन कपड़े के हिस्से के रूप में या बुनाई के बाद उसे छापने की प्रक्रिया से उत्पन्न होते हैं। साड़ी के डिजाइन में विविधता रंगों, पैटर्न और बुनाई के तरीकों से आती हैं, जो साड़ी को अलग-अलग रूप और शैली देते हैं।
प्रश्न 2.
भारत आने वाले विदेशी यात्रियों ने साड़ी के बारे में क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसके रचनात्मक उपयोगों के बारे में क्या जानकारी दी गई है?
उत्तर:
भारत आने वाले विदेशी यात्री साड़ी की सादगी, सुलभता और पहनने के विविध तरीकों से अभिभूत हुए थे।
इसके रचनात्मक उपयोग कुछ इस तरह से हैं-
- झूले के रूप में
- मछली पकड़ने के लिए
- झोला की तरह
- बारिश और धूप से बचने के लिए
- सिर के ऊपर बर्तन रखने के लिए साड़ी की गद्दी
कुछ आधुनिक उपयोग-
- फर्नीचर कवरिंग
- बैग और पाउच बनाना
- दीवार की सजावट के लिए
प्रश्न 3.
भारतीय महाकाव्यों में नैतिक मूल्यों को किस प्रकार प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर:
भारतीय महाकाव्यों में कई छोटी कथाएँ / उपकथाएँ नैतिक मूल्यों पर केंद्रित होती हैं और ये लगातार सत्य और असत्य के प्रश्न पूछती हैं।
भारतीय महाकाव्य, जैसे रामायण और महाभारत न केवल विशाल और प्रेरणादायक मुख्य कथाएँ प्रस्तुत करते हैं, बल्कि इनमें कई छोटी कथाएँ और उपकथाएँ भी समाहित हैं जो गहरे नैतिक और दार्शनिक संदेश प्रदान करती हैं। इन उपकथाओं के माध्यम से जीवन के विविध पहलुओं, जैसे सत्य, असत्य, धर्म, अधर्म, न्याय, बलिदान और आदर्श आचरण पर चर्चा की जाती है।
प्रश्न 4.
भारतीय संस्कृति की दृष्टि में विविधता को कैसे देखा जाता है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति की दृष्टि में विविधता को संपन्नता के रूप में देखा जाता है। भारत में विभिन्न धर्मों, भाषाओं, जातियों और रीति-रिवाजों की विविधता है, जो समाज की समृद्धि को दर्शाती है। इसे एकता में विविधता के रूप में स्वीकार किया जाता है, जहाँ विविधताएँ एक-दूसरे को पूरक बनाती हैं। भारतीय संस्कृति मानती है कि यह विविधता समाज को और अधिक जीवंत बनाती है, जबकि उसे जोड़ने वाली अंतर्निहित एकता सभी भिन्नताओं के बावजूद सभी को एक ही धागे में पिरोती है। इस प्रकार, विविधता भारतीय संस्कृति का आधार और शक्ति है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
विविधता में एकता का अर्थ क्या है और इसे कैसे समझा जा सकता है ? इस प्रश्न का उत्तर भारतीय जीवन के विभिन्न आयामों के संदर्भ में दीजिए।
उत्तर:
‘ विविधता में एकता’ का अर्थ यह है कि भिन्न-भिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई, जातीय और भौगोलिक विविधताओं के बावजूद भारत में एक अखंडता और सामूहिक भावना मौजूद है। भारत का समाज विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं का एक मिश्रण है, फिर भी यहाँ की एकता और अखंडता सभी इन भिन्नताओं के बावजूद कायम रहती है। इसे हम भारतीय जीवन के विभिन्न आयामों के संदर्भ में देख सकते हैं।
धार्मिक विविधता: भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि कई धर्मों के अनुयायी रहते हैं। फिर भी यहाँ के लोग एकजुट होकर मिल-जुलकर रहते हैं और एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं।
भाषाई विविधता: भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं, लेकिन इसके बावजूद एक राष्ट्र के रूप में हिंदी और अंग्रेजी जैसे एकता के प्रतीक बने हुए हैं, जो विभिन्न समुदायों के बीच संवाद का माध्यम हैं।
सांस्कृतिक विविधता: भारत में विभिन्न संस्कृतियाँ और पारंपरिक कला रूप जैसे – भरतनाट्यम, कथक, मणिपुरी आदि हैं, लेकिन ये सभी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। इन सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना प्रबल है।
सामाजिक समरसता: भारत में अनेक जातियाँ और समुदाय रहते हैं, लेकिन भारतीय समाज में एक समरसता और एकता बनी रहती है, जिसमें हर समुदाय अपनी विशिष्टता के साथ सम्मानित होता है।
इस प्रकार, ‘विविधता में एकता’ का अर्थ यह है कि हमारे देश में इतने भिन्न-भिन्न पहलू होने के बावजूद एक गहरी और मजबूत एकता की भावना समाहित है, जो भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाती है । यही भारतीय जीवन का मूल विचार है, जो ‘एक में अनेक’ की संकल्पना को व्यक्त करता है।
प्रश्न 2.
ब्रिटिश इतिहासकार विंसेंट स्मिथ ने भारत की विविधता पर टिप्पणी करते हुए क्या कहा था? उनके विचारों का भारत की विविधता से क्या संबंध है?
उत्तर:
ब्रिटिश इतिहासकार विंसेंट स्मिथ ने भारत की विविधता पर टिप्पणी करते हुए कहा था, “इस अचंभित करने वाली विविधता में भारत का इतिहास किस प्रकार लिखा जा सकता है?” यह टिप्पणी इस तथ्य को उजागर करती है कि भारत की विविधता इतनी विशाल और बहुमुखी है कि उसे समझना और उसकी व्याख्या करना कठिन है। हालाँकि, स्मिथ ने यह भी जोड़ा कि भारत इस विविधता में एकता प्रदर्शित करता है।
यह विचार इस तथ्य को उजागर करता है कि भारत का इतिहास और समाज भिन्न-भिन्न समुदायों,संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं के बीच की विविधताओं को स्वीकार करता है, लेकिन इस विविधता के बावजूद, भारत की | एकता का आधार मजबूत है। स्मिथ के विचार से यह स्पष्ट होता है कि विविधताओं के बावजूद भारत का इतिहास और समाज इस एकता के साथ विकसित हुआ है, जो न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं के बीच सामंजस्य बनाए रखता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विविधता में निहित एकता ही भारतीय समाज की ताकत है।
प्रश्न 3.
‘ विविधता में एकता’ को भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं से समझाते हुए समझाइए कि यह कैसे भारतीय समाज को एकजुट बनाती है?
उत्तर:
‘विविधता में एकता’ भारतीय समाज की विशेषता है और यह उसे एकजुट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में विभिन्न धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाजों का विशाल संग्रह है. फिर भी भारतीय समाज इस विविधता के बावजूद एकजुट रहता है। इसे भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं से समझा जा सकता है-
धार्मिक एकता: भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मों के अनुयायी रहते हैं। हालाँकि इन धर्मों की परंपराएँ और विश्वास अलग-अलग हैं, लेकिन भारतीय समाज में इन धर्मों के अनुयायियों के बीच समरसता और सहयोग की भावना बनी रहती है। यह विविध धर्मों के बीच एकता का प्रतीक है।
भाषाई और सांस्कृतिक समरसताः भारत में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं, फिर भी हिंदी और अंग्रेजी को एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो पूरे देश में संवाद का माध्यम है। इसके अलावा, विभिन्न सांस्कृतिक उत्सव जैसे – दिवाली, ईद, क्रिसमस आदि राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाते हैं, जिससे भारतीय समाज में एकता और सद्भावना का संदेश मिलता है।
राजनीतिक एकता: भारत का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है. चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या भाषा के हों। यह राजनीतिक समानता भारत की विविधता में एकता को प्रकट करती है और समाज को एकजुट रखती है।
इस प्रकार, भारत में विविधता के बावजूद एकता बनाए रखना और उसे व्यक्त करना ‘विविधता में एकता’ की परिभाषा को दर्शाता है, जो भारतीय जीवन का आधार है।
प्रश्न 4.
भारतीय महाकाव्य रामायण और महाभारत के लोक संस्करणों की विविधता, उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति में रामायण और महाभारत का अद्वितीय स्थान है और इन दोनों महाकाव्यों का अनुवाद, रूपांतरण तथा लोक कथाओं के रूप में प्रसार सदियों से होता आ रहा है। इन महाकाव्यों का भारत में ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर भी अनगिनत संस्करण हैं, जो विभिन्न संस्कृतियों, समुदायों और जनजातियों द्वारा रचित हैं। कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु में किए गए एक सर्वेक्षण में महाभारत के 100 से अधिक लोक संस्करण पाए गए थे, जो यह दर्शाते हैं कि इन महाकाव्यों का प्रसार कितना व्यापक और गहरा है। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे भारत में इन लोक कथाओं की संख्या कई हजारों तक हो सकती है, क्योंकि प्रत्येक समुदाय और जनजाति ने अपने अनुभवों और अपनी संस्कृति को जोड़ते हुए इन महाकाव्यों के विभिन्न रूपों का निर्माण किया है।
रामायण और महाभारत के विभिन्न समुदायों द्वारा बनाए गए संस्करणों में सिर्फ कथानक की भिन्नताएँ नहीं हैं, बल्कि इनसे जुड़ी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक किंवदंतियाँ भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। विशेष रूप से भील, गोंड, मुंडा जैसी जनजातियाँ, जो भारतीय समाज के आदिवासी समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हैं, इनके महाकाव्य संस्करणों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन जनजातियों के पास रामायण और महाभारत के अपने-अपने संस्करण होते हैं, जिनमें उनके समाज और परंपराओं से जुड़े पात्र और घटनाएँ होती हैं। उदाहरण के लिए, पांडवों, द्रौपदी, दुर्योधन और अन्य पात्रों को इन जनजातियों के साथ जोड़ा जाता है, और कहा जाता हैकि ये पात्र उनके क्षेत्रों में आए थे। इन किंवदंतियों के माध्यम से उनके इतिहास और परंपराओं को संरक्षित किया गया है।
कई जनजातीय समुदायों में रामायण और महाभारत के रूपांतरण मौखिक रूप से प्रचारित हुए हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी इन कथाओं को जीवित रखते हैं। इन जनजातीय रूपांतरणों में मुख्य रूप से उन पात्रों और घटनाओं को पुनः प्रस्तुत किया जाता है जो उन समुदायों के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं। के.एस. सिंह, जो मानवविज्ञानी हैं, ने ‘भारत के लोग’ परियोजना में महाभारत के विषय में यह कहा है कि “लोककथाओं के अनुसार, इस देश में शायद ही ऐसा कोई स्थान हो जहाँ महानायक पांडव न गए हों”, और यह बात रामायण के संदर्भ में भी सही है। इस प्रकार, ये दोनों महाकाव्य भारतीय समाज में सांस्कृतिक एकता और विविधता का एक गहरा तंत्र बनाते हैं ।
इन महाकाव्यों की सांस्कृतिक महत्ता केवल साहित्यिक नहीं है, बल्कि ये भारतीय संस्कृति में विविधता और एकता के प्रतीक भी हैं। भारतीय शास्त्रीय कला और वास्तुकला के माध्यम से भी हम इस विविधता और एकता को देख सकते हैं। भारतीय संस्कृति विविधता को संपन्नता के रूप में स्वीकार करती है. और यही विविधता उस एकता को पोषित करती है जो भारतीय समाज के प्रत्येक पहलू में दिखाई देती है।
इस प्रकार, रामायण और महाभारत के लोक संस्करण न केवल भारतीय साहित्य का अभिन्न हिस्सा है, बल्कि ये हमारे सांस्कृतिक इतिहास और पहचान को भी समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इनके द्वारा यह सिद्ध होता है कि भारतीय समाज ने हमेशा अपनी विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोकर स्वीकार किया है और ये महाकाव्य इसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं।