NCERT Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Question Answer गोल
गोल Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Questions अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पाठ का नाम ‘गोल’ क्यों रखा गया है?
उत्तर :
पाठ का नाम गोल इसलिए रखा गया है क्योंकि हॉकी के मैच की हार-जीत टीम द्वारा किए गए गोल पर निर्भर होती है।
प्रश्न 2.
सेना में भर्ती होने के समय ध्यानचंद की आयु कितनी थी?
उत्तर :
सेना में भर्ती होने के समय ध्यानचंद की आयु मात्र सोलह वर्ष की थी।
गोल Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Question Answer लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ध्यानचंद का बदला लेने का ढंग क्या था?
उत्तर :
ध्यानचंद विरोधी टीम से पिटाई का बदला उसकी पिटाई करके नहीं लेते थे, अपितु वे उस खिलाड़ी के जोश और उसकी विचार – शक्ति को कम करके लेते थे।
गोल Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Questions दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लेखक को लगी चोट के विषय में विस्तार से बताइए ।
उत्तर :
सन् 1933 की बात है। उन दिनों लेखक पंजाब रेजिमेंट की तरफ से खेला करते थे। एक दिन ‘पंजाब रेजिमेंट’ और ‘सैंपर्स एंड माइनर्स’ टीम के बीच मुकाबला हो रहा था। माइनर्स टीम के खिलाड़ी लेखक से गेंद छीनने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उनकी कोशिश बेकार हो रही थी। इतने में एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर हॉकी स्टिक लेखक के सिर पर दे मारी। लेखक को मैदान से बाहर ले जाया गया।
प्रश्न 2.
ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना कब से प्रारंभ कर दिया गया ?
उत्तर :
जैसे-जैसे लेखक के खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे उन्हें तरक्की मिलती गई। सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया। उस समय वे सेना में लांस नायक थे। बर्लिन ओलंपिक में लोग ध्यानचंद के हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हए कि उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहने लगे ।
गोल Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Question Answer बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनिए-
(क) ध्यानचंद के सिर पर चोट कहाँ लगी?
(i) सड़क पर
(iii) घर पर
(ii) गाड़ी में
(iv) खेल के मैदान में
उत्तर :
(iv) खेल के मैदान में
(ख) सन् 1933 में पंजाब रेजिमेंट ने किस टीम को हॉकी में हराया?
(i) कलकत्ता टीम को
(ii) चेन्नई टीम को
(iii) सैंपर्स एंड माइनर्स टीम को
(iv) इंग्लैंड टीम को
उत्तर :
(iii) सैंपर्स एंड माइनर्स टीम को
(ग) ‘हॉकी का जादूगर’ किसे कहा जाता है ?
(i) राजपाल सिंह
(ii) मोहम्मद शाहिद
(iii) बलबीर सिंह सीनियर
(iv) ध्यानचंद
उत्तर :
(iv) ध्यानचंद
(घ) ध्यानचंद का जन्म कहाँ हुआ था ?
(i) प्रयाग
(ii) पानीपत
(iii) अमृतसर
(iv) चंडीगढ़
उत्तर :
(i) प्रयाग
गोल Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Questions अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नांकित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए या चुनिए-
प्रश्न 1.
खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं। खेल में तो यह सब चलता ही है। जिन दिनों हम खेला करते थे, उन दिनों भी यह सब चलता था ।
सन् 1933 की बात है। उन दिनों में, मैं पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था। एक दिन ‘पंजाब रेजिमेंट’ और ‘सैंपर्स एंड माइनर्स टीम’ के बीच मुकाबला हो रहा था। ‘माइनर्स टीम’ के खिलाड़ी मुझसे गेंद छीनने की कोशिश करते, लेकिन उनकी हर कोशिश बेकार जाती। इतने में एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर हॉकी स्टिक मेरे सिर पर दे मारी। मुझे मैदान से बाहर ले जाया गया।
(क) खेल में क्या सब चलता रहता है?
(i) धक्का-मुक्की
(ii) मैदान से भागना
(iii) देर से आना
(iv) सामान चुराना
उत्तर :
(i) धक्का-मुक्की
(ख) कौन – सा खेल खेला जा रहा था ?
(i) क्रिकेट
(iii) शतरंज
(ii) बैडमिंटन
(iv) हॉकी
उत्तर :
(iv) हॉकी
(ग) माइनर्स टीम की गेंद छीनने की हर कोशिश व्यर्थ क्यों जाती थी?
(i) उन्हें खेलना नहीं आता था।
(ii) गेंद ध्यानचंद की स्टिक से चिपक गई थी।
(iii) माइनर्स टीम के खिलाड़ी थक गए थे।
(iv) ध्यानचंद से गेंद छीनना आसान नहीं था ।
उत्तर :
(iv) ध्यानचंद से गेंद छीनना आसान नहीं था ।
(घ) माइनर्स टीम के खिलाड़ी को क्रोध क्यों आया?
(i) उसकी टीम हार गई थी।
(ii) उसकी गेंद खो गई थी।
(iii) उसकी स्टिक टूट गई थी।
(iv) भरसक प्रयत्न करने के बाद भी वह ध्यानचंद से गेंद नहीं ले पा रहा था।
उत्तर :
(iv) भरसक प्रयत्न करने के बाद भी वह ध्यानचंद से गेंद नहीं ले पा रहा था।
(ङ) ध्यानचंद को मैदान से बाहर क्यों ले जाया गया ?
(i) वे मूर्छित हो गए थे।
(ii) उन्होंने लड़ाई की थी।
(iii) उनके सिर पर चोट लग गई थी ।
(iv) वे अतिरिक्त खिलाड़ी थे।
उत्तर :
(iii) उनके सिर पर चोट लग गई थी ।
प्रश्न 2.
थोड़ी देर बाद मैं पट्टी बाँधकर फिर मैदान में आ पहुँचा। आते ही मैंने उस खिलाड़ी की पीठ पर हाथ रखकर कहा, ” तुम चिंता मत करो, इसका बदला मैं ज़रूर लूँगा । ” मेरे इतना कहते ही वह खिलाड़ी घबरा गया। अब हर समय मुझे ही देखता रहता कि मैं कब उसके सिर पर हॉकी स्टिक मारने वाला हूँ। मैंने एक के बाद एक झटपट छह गोल कर दिए। खेल खत्म होने के बाद मैंने उस खिलाड़ी की पीठ थपथपाई और कहा, “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद दो ही गोल से हराता ।” वह खिलाड़ी सचमुच बड़ा शर्मिंदा हुआ। तो देखा आपने मेरा बदला लेने का ढंग ? सच मानो, बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।
(क) ध्यानचंद को पट्टी बाँधकर क्यों आना पड़ा ?
उत्तर :
सैंपर्स एंड माइनर्स टीम के एक खिलाड़ी ने क्रोध में आकर हॉकी स्टिक से ध्यानचंद के सिर पर वार किया था। उनके सिर से खून बहना आरंभ हो गया था। इसलिए उन्हें मैदान से बाहर ले जाया गया और पट्टी बाँधी गई।
(ख) वह खिलाड़ी घबरा क्यों गया?
उत्तर :
ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी को चुनौती देते हुए कहा था- ” तुम चिंता न करो, इसका बदला मैं ज़रूर लूँगा।” यह बात सुनकर खिलाड़ी घबरा गया।
(ग) ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी की पीठ क्यों थपथपाई ?
उत्तर :
ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी का मनोबल गिराने के लिए उसकी पीठ थपथपाई।
(घ) ध्यानचंद ने अपना बदला कैसे लिया?
उत्तर :
ध्यानचंद ने एक के बाद एक छह गोल करके अपना बदला लिया।
(ङ) इस गद्यांश से क्या सीख मिलती है?
उत्तर :
खेल को खेल भावना से खेलना चाहिए । प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी के उत्तेजित करने पर भी मानसिक संतुलन नहीं खोना चाहिए ।
प्रश्न 3.
आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं और मुझसे मेरी सफलता का राज जानना चाहते हैं। मेरे पास सफलता का कोई गुरु मंत्र तो है नहीं। हर किसी से यही कहता कि लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता के सबसे बड़े मंत्र हैं।
मेरा जन्म सन 1904 में प्रयाग में एक साधारण परिवार में हुआ। बाद में हम झाँसी आकर बस गए। 16 साल की उम्र में मैं ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गया। मेरी रेजिमेंट का हॉकी खेल में काफी नाम था । पर खेल में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय हमारी रेजिमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी थे। वे बार-बार मुझे हॉकी खेलने के लिए कहते। हमारी छावनी में हॉकी खेलने का कोई निश्चित समय नहीं था । सैनिक जब चाहे मैदान में पहुँच जाते और अभ्यास शुरू कर देते। उस समय तक मैं एक नौसिखिया खिलाड़ी था ।
(क) बच्चे, बूढ़े ध्यानचंद को घेरकर क्या जानना चाहते थे?
(i) उनकी सफलता का राज़ जानना चाहते थे।
(ii) उनकी हॉकी कंपनी का नाम जानना चाहते थे।
(iii) उनके परिवार के विषय में जानना चाहते थे।
(iv) उनकी रेजिमेंट के विषय में जानना चाहते थे।
उत्तर :
(i) उनकी सफलता का राज़ जानना चाहते थे।
(ख) ध्यानचंद जी फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट में किस पद पर भर्ती हुए थे?
(i) मेज़र
(ii) लांस नामक
(iii) सिपाही
(iv) सूबेदार
उत्तर :
(iii) सिपाही
(ग) खेल में सफलता का मुख्य मंत्र क्या है?
(i) जल्दी उठना
(ii) दौड़ लगाना
(iii) परिश्रम करना
(iv) लगन, साधना और खेल – भावना
उत्तर :
(iii) परिश्रम करना
(घ) ‘उस समय मैं नौसिखिया खिलाड़ी था’ से क्या अभिप्राय है?
(i) नौ दिन से सीख रहा था ।
(ii) खेलना नहीं सीख रहा था ।
(iii) खेलना आरंभ ही किया था।
(iv) ज़बरदस्ती खेलता था ।
उत्तर :
(iv) ज़बरदस्ती खेलता था ।
(ङ) किस रेजिमेंट का हॉकी में काफ़ी नाम था ?
(i) बंगाल रेजिमेंट
(ii) सिख रेजिमेंट
(iii) जाट रेजिमेंट
(iv) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
उत्तर :
(iv) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
प्रश्न 4.
जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई। सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में मुझे कप्तान बनाया गया। उस समय मैं सेना में लांस नायक था। बर्लिन ओलंपिक में लोग मेरे हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया। इसका यह मतलब नहीं कि सारे गोल मैं ही करता था । मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया । बर्लिन ओलंपिक में हमें स्वर्ण पदक मिला। खेलते समय मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखता था कि हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।
(क) ध्यानचंद को तरक्की मिलनी कब आरंभ हुई?
उत्तर :
ध्यानचंद के खेल में जैसे-जैसे निखार आता गया, वैसे-वैसे उनकी तरक्की होती गई।
(ख) खेलते समय ध्यानचंद किस बात का ध्यान रखते थे?
उत्तर :
खेलते समय ध्यानचंद इस बात का ध्यान रखते थे कि उनकी सहायता से उनके साथी भी गोल कर सकें।
(ग) उन्हें हॉकी का जादूगर कब और क्यों कहा जाने लगा?
उत्तर :
बर्लिन ओलंपिक में उनके खेलने के ढंग को लेकर लोग इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया।
(घ) ‘निखार आना’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
‘निखार आना’ से यहाँ अभिप्राय है कि ध्यानचंद ने लगातार प्रयत्नपूर्वक हॉकी खेलने का अभ्यास किया था। वे इस खेल में काफी दक्ष हो गए थे।
(ङ) ध्यानचंद गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी को क्यों दे देते थे?
उत्तर :
ध्यानचंद खेल – भावना का ध्यान रखते थे। वे चाहते थे कि उनके साथ-साथ उनके साथियों को भी गोल करने का मौका मिले, इसलिए वे गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी को दे देते थे।