NCERT Class 6 Hindi Chapter 1 Extra Question Answer मातृभूमि
मातृभूमि Class 6 Hindi Chapter 1 Extra Questions अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
हिमालय कहाँ खड़ा है?
उत्तर :
हिमालय भारतवर्ष की उत्तर दिशा में खड़ा है।
प्रश्न 2.
नदियाँ क्या कर रही हैं?
उत्तर :
नदियाँ लहराकर बह रही हैं।
प्रश्न 3.
चिड़ियाँ क्यों चहक रही हैं?
उत्तर :
प्राकृतिक सुंदरता पर मुग्ध होकर चिड़ियाँ चहक रही हैं।
प्रश्न 4.
रघुपति किसके पुत्र थे?
उत्तर :
रघुपति अयोध्यापति दशरथ के पुत्र थे।
प्रश्न 5.
इस कविता में जग को ‘दिया’ किसने दिखाया ?
उत्तर :
इस कविता में जग को ‘दिया’ गौतम बुद्ध ने दिखाया ।
मातृभूमि Class 6 Hindi Chapter 1 Extra Question Answer लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘नित सिंधु – झूमता’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
समुद्र भारत की पवित्र भूमि के चरणों में स्वयं को पाकर अपना जीवन धन्य मानता है। इसलिए वह प्रसन्न होकर झूमता रहता है।
प्रश्न 2.
‘छटा निराली’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
छटा निराली अर्थात त्रिवेणी संगम को देखकर मानव मंत्र-मुग्ध हो जाता है। यह दृश्य अद्भुत है।
प्रश्न 3.
‘अमराइयाँ घनी हैं’ – इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्या बताना चाहता है?
उत्तर :इस पंक्ति के माध्यम से कवि भारतवर्ष में पैदा होने वाली आम की अनेक किस्मों की ओर संकेत कर रहे हैं।
प्रश्न 4.
माता सीता कौन थीं?
उत्तर :
माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं। उनका विवाह अयोध्या के राजकुमार श्रीराम से हुआ था। वे बहुत धर्म-परायण थीं।
मातृभूमि Class 6 Hindi Chapter 1 Extra Questions दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कविता के प्रथम दो चरणों के माध्यम से कवि क्या कहना चाह रहे हैं?
उत्तर :
कवि सोहनलाल द्विवेदी जी हिंदी के प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं। उनके जन्म के समय भारत पर अंग्रेज़ों का राज था । परतंत्रता की बेड़ियों को उन्होंने देखा है। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से अंग्रेज़ों के अत्याचारों का विरोध किया था। वे देशभक्ति से ओत-प्रोत थे। देशभक्ति ही उनका प्रिय विषय था। वे भारतीयों को जागरूक करना चाहते थे। हम भारतीय उस देश के वासी हैं, जिसकी रक्षा करने के लिए स्वयं हिमालय पर्वत अडिग होकर खड़ा है। इसकी ऊँचाई और महिमा को देखकर स्वयं सागर भी अपने भाग्य पर प्रसन्न रहता है। इस देश की सुंदरता बढ़ाने के लिए हिमालय पर्वत से निकलने वाली पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती एक स्थान पर मिलकर अपनी छटा बिखेरती हुई प्रसन्न हो रही हैं।
प्रश्न 2.
‘मातृभूमि’ कविता में कवि ने देश को किन-किन नामों से संबोधित किया है और क्यों?
उत्तर :
मातृभूमि कविता में कवि ने भारतभूमि को पुण्य-भूमि, स्वर्ण – भूमि जन्म भूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि, युद्ध-भूमि, बुद्ध-भूमि के नाम से संबोधित किया है। भारत में अनेक पुण्य आत्माओं ने जन्म लेकर यहाँ के वासियों को पुण्य कर्म करने के लिए प्रेरित किया है। प्राचीन काल में हमारा देश ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था, इसलिए यह स्वर्ण – भूमि है। अनेक आक्रमणकारी हमारी धन-संपदा लूटकर अपने देश ले गए। यहाँ हमारा जन्म हुआ है इसलिए जन्म-भूमि है। हम सभी अपने-अपने धर्मों का पालन करते हैं। इसलिए धर्म – भूमि है। यदि कोई हम पर या हमारे जीवन के मूल्यों पर आक्रमण करता है तो हम उसे मुँहतोड़ जवाब भी देते हैं। हम महात्मा बुद्ध के सत्य, दया, अहिंसा आदि विचारों का भी निर्वाह करते हैं।
मातृभूमि Class 6 Hindi Chapter 1 Extra Question Answer बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनिए-
(क) इस कविता में आकाश कौन चूम रहा है?
(i) सिंधु
(ii) लहर
(iii) झरने
(iv) हिमालय
उत्तर :
(iv) हिमालय
(ख) ‘पुनीत’ शब्द का अर्थ है-
(i) पीला
(ii) पक्का
(iii) पवित्र
(iv) पत्थर
उत्तर :
(iii) पवित्र
मातृभूमि Class 6 Hindi Chapter 1 Extra Questions अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नांकित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए या चुनिए-
प्रश्न 1.
ऊँचा खड़ा हिमालय
आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक,
नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुन त्रिवेणी
नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली,
पग-पग छहर रही हैं।
(क) ऊँचा खड़ा ‘हिमालय’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ऊँचा खड़ा ‘हिमालय’ हमारे देश के कर्तव्यनिष्ठ पहरेदार का प्रतीक है। यह शत्रुओं से हमारे देश की रक्षा करता है। मध्य एशिया की तरफ़ से आने वाली ठंडी और शुष्क वायु को रोककर यह देश की रक्षा करता है। इसकी अभेद्य दीवार के कारण भारत में वर्षा होती है।
(ख) ‘आकाश चूमता’ किस बात का प्रतीक है?
उत्तर:
‘आकाश चूमता’ हमारे हिमालय पर्वत की ऊँचाई का प्रतीक है।
(ग) भारतमाता के चरणों में कौन और क्यों झुक रहा है?
उत्तर:
भारतमाता के चरणों में समुद्र झुककर प्रसन्न हो रहा है क्योंकि यह देश महान है। हमारे देशवासी बड़ों को पूज्य मानकर उनके चरण स्पर्श करते हैं।
(घ) ‘त्रिवेणी’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
त्रिवेणी का अर्थ है- तीन वेणियों अर्थात नदियों का समूह। प्रयागराज में पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती एक साथ जिस स्थान पर मिलती हैं, वह स्थान त्रिवेणी के नाम से प्रसिद्ध है।
(ङ) नदियाँ क्यों लहर रही हैं?
उत्तर:
नदियाँ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से उतरकर मैदानी क्षेत्र में बहती हैं। वे मानव कल्याण के लिए पानी लाती हैं। अपने इस परोपकार के लिए वे प्रसन्न होकर लहरा – लहरा कर बहती हैं।
(च) ‘जगमग छटा निराली’ का भावार्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
नदियों के पानी से पूरे प्राणी जगत एवं धरती की प्यास बुझती है। नदियों के पानी द्वारा सिंचाई के कारण ही फसलें लहलहाती हैं। पेड़-पौधों और फसलों की हरियाली से ही धरती की शोभा है और ये पानी और फसलें ही जीवनदायिनी हैं।
प्रश्न 2.
वह पुण्य – भूमि मेरी,
वह स्वर्ण – भूमि मेरी |
वह जन्मभूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी ।
झरने अनेक झरते,
जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,
हो मस्त झाड़ियों में।
(क) कवि ने इस कविता को ‘मातृभूमि’ शीर्षक क्यों दिया है?
(i) हमारी भारतभूमि एक माँ के समान हमें सब कुछ प्रदान करती है।
(ii) यह उनकी माँ का नाम है।
(iii) उनके मित्र ने यह सुझाव दिया था ।
(iv) यहाँ अनेक पहाड़ हैं।
उत्तर :
(i) हमारी भारतभूमि एक माँ के समान हमें सब कुछ प्रदान करती है।
(ख) स्वर्ण – भूमि’ से क्या अभिप्राय है?
(i) इसका रंग सोने जैसा है।
(ii) यहाँ सोने की खेती की जाती है।
(iii) प्राचीन काल में हमारे देश को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था ।
(iv) कवि को सोना बहुत प्रिय था ।
उत्तर :
(iii) प्राचीन काल में हमारे देश को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था ।
(ग) पुण्य-भूमि’ से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
(i) कवि ‘पुण्य कर्म’ करते थे।
(ii) यहाँ अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है और हम भारतवासी उन्हीं के दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते हैं।
(iii) उनके घर का नाम पुण्य था।
(iv) वह ‘पुण्य’ कर्मों वाले लोगों के साथ रहते थे ।
उत्तर :
(ii) यहाँ अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है और हम भारतवासी उन्हीं के दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते हैं।
(घ) झरने कहाँ से और किस प्रकार बह रहे हैं?
(i) झरने वनों से धीरे- धीरे बह रहे हैं।
(ii) झरने रेगिस्तान से धीरे-धीरे बह रहे हैं।
(iii) झरने पहाड़ियों से तेज गति से झर-झर कर बह रहे हैं।
(iv) झरने मैदानी क्षेत्रों में तेज़ गति से झर रहे हैं।
उत्तर :
(iii) झरने पहाड़ियों से तेज गति से झर-झर कर बह रहे हैं।
(ङ) चिड़ियाँ क्या कर रही हैं?
(i) चिड़ियाँ उड़ रही हैं।
(ii) चिड़ियाँ मस्त होकर झाड़ियों में चहक रही हैं।
(iii) चिड़ियाँ दाना चुग रही हैं।
(iv) चिड़ियाँ दाना चुगकर आराम से सो रही हैं।
उत्तर :
(ii) चिड़ियाँ मस्त होकर झाड़ियों में चहक रही हैं।
प्रश्न 3.
अमराइयाँ घनी हैं
कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,
तन-मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी,
वह कर्मभूमि मेरी ।
वह जन्मभूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी।
(क) ‘अमराइयाँ घनी हैं’- से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
हमारे देश में ‘आम’ की अनेक किस्में पैदा होती हैं। भारत कृषि प्रधान देश है । ‘अमराइयाँ घनी’ देश की उर्वरा धरती एवं धन-धान्य का प्रतीक हैं।
(ख) कोयल क्या कर रही है?
उत्तर :
अमराइयों में बौर आ गया है। बौर के आने पर जब उसकी महक चारों तरफ फैलती है, तो कोयल प्रसन्न हो उठती है। वह प्रसन्न होकर अपनी मीठी आवाज़ में अपने प्रिय साथियों को पुकारती है।
(ग) मलय पवन क्या है? इसका प्रभाव बताइए ।
उत्तर :
‘मलय पवन’ मलय पर्वत से आने वाली सुगंधित वायु का नाम है। इस सुगंधित वायु का प्रभाव पूरे प्राणी – जगत पर पड़ता है। इसलिए शरीर और मन दोनों ही प्रसन्नता से भर उठते हैं।
(घ) कवि ने भारतभूमि को ‘धर्मभूमि’ क्यों कहा है?
उत्तर :
हमारे देश में सभी धर्मों को समान आदर व महत्व दिया जाता है। सभी धर्म के लोग अपने त्योहारों को मिल-जुलकर मनाते हैं। हम धर्म की अच्छाइयों का पालन करते हैं। इसलिए भारतभूमि को ‘धर्मभूमि’ कहा गया है।
(ङ) कर्मभूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में उपदेश दिया है कि हमें अपने कर्तव्य व कर्म निष्काम भाव से करते रहना चाहिए। अत्यंत कठिनाई से मिले इस मानव शरीर को सार्थक करने के लिए कवि ने कर्म करने पर बल देते हुए इसे ‘कर्मभूमि’ कहा है। हमारा जीवन कर्म प्रधान होना चाहिए।
प्रश्न 4.
जन्मे जहाँ थे रघुपति
जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पुनीत गीता ।
गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई
जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध – भूमि मेरी,
वह बुद्ध-भूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी
वह जन्मभूमि मेरी।
(क) रघुपति कौन थे? उन्हें किस और नाम से भी पुकारा जाता है?
(i) रघुपति भगीरथ के पुत्र थे। उन्हें ‘राम’ भी कहते हैं।
(ii) रघुपति भगीरथ के पुत्र थे। उन्हें ‘लक्ष्मण’ भी कहा जाता है।
(iii) रघुपति राजा दशरथ के पुत्र थे। उन्हें ‘मर्यादा पुरूषोत्तम राम’ भी कहा जाता है।
(iv) रघुपति राजा दशरथ के पुत्र थे। उन्हें ‘भरत’ भी कहा जाता है।
उत्तर :
(iii) रघुपति राजा दशरथ के पुत्र थे। उन्हें ‘मर्यादा पुरूषोत्तम राम’ भी कहा जाता है।
(ख) ‘जन्मी जहाँ थी सीता’ – कवि ने क्यों कहा है?
(i) यहाँ ‘सीता’ पैदा हुई थी।
(ii) कवि को ‘सीता’ नाम प्रिय है।
(iii) इस पवित्र भूमि में कर्तव्यपरायण व धर्मपरायण सीता ने जन्म लिया था। आज भी हमारे देश में उनके चरित्र का अनुसरण किया जाता है।
(iv) यहाँ अनेक लोग अपनी पुत्री का नाम सीता रखते हैं।
उत्तर :
(iii) इस पवित्र भूमि में कर्तव्यपरायण व धर्मपरायण सीता ने जन्म लिया था। आज भी हमारे देश में उनके चरित्र का अनुसरण किया जाता है।
(ग) ‘श्रीकृष्ण ने सुनाई वंशी पुनीत गीता’ – से अभिप्राय
(i) श्रीकृष्ण वंशी बहुत अच्छी बजाते थे।
(ii) गोपियाँ उनकी वंशी सुनने आती थीं।
(iii) गीता उपदेश से पहले उन्होंने वंशी बजाई थी ।
(iv) महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने जो गीता का उपदेश दिया था, उससे न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को पवित्र ज्ञान मिला है। इसलिए वंशी पुनीत गीता कहा गया है।
उत्तर :
(iv) महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने जो गीता का उपदेश दिया था, उससे न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को पवित्र ज्ञान मिला है। इसलिए वंशी पुनीत गीता कहा गया है।
(घ) भगवान गौतमबुद्ध ने भारत में जन्म लेकर यहाँ का सुयश कैसे बढ़ाया ?
(i) भगवान गौतम ने दया और अहिंसा का संदेश देकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। आज यह बौद्ध धर्म विश्व के अनेक देशों में फैलकर भारत के यश को और बढ़ा रहा है।
(ii) वह स्वयं को महान मानते थे ।
(iii) वह राज-पाट व परिवार छोड़कर चले गए थे।
(iv) उन्होंने तपस्या की थी ।
उत्तर :
(i) भगवान गौतम ने दया और अहिंसा का संदेश देकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। आज यह बौद्ध धर्म विश्व के अनेक देशों में फैलकर भारत के यश को और बढ़ा रहा है।
(ङ) कवि ने भारत को अपनी युद्धभूमि क्यों कहा है?
(i) यहाँ मुगलों ने राज किया।
(ii) यहाँ अंग्रेज़ों ने राज किया।
(iii) हमें युद्ध करना पसंद है।
(iv) हम शांतिप्रिय हैं, पर यदि कोई आक्रमण करता है। तो उसे मुँहतोड़ जवाब देते हैं। सत्य की रक्षा के लिए हम दुश्मन से युद्ध करते हुए उसे परास्त करके ही चैन लेते हैं।
उत्तर :
(iv) हम शांतिप्रिय हैं, पर यदि कोई आक्रमण करता है। तो उसे मुँहतोड़ जवाब देते हैं। सत्य की रक्षा के लिए हम दुश्मन से युद्ध करते हुए उसे परास्त करके ही चैन लेते हैं।