Students can find the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 5 एक कम, सत्य to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 5 एक कम, सत्य
Class 12 Hindi Chapter 5 Question Answer Antra एक कम, सत्य
(क) एक कम –
प्रश्न 1.
कवि ने लोगों के आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होने के लिए किन तरीकों की ओर संकेत किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
कवि ने लोगों के आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होने के अनैतिक एवं अमानवीय तरीकों की ओर संकेत किया है। आजकल लोग धोखाधड़ी, खींचतान तथा स्वार्थपरता का सहारा लेते हैं। वे बेईमानी से अपना लाभ कमाते हैं। इस तरह के चालाक लोग मेहनती तथा ईमानदार लोगों का शोषण करते हैं तथा सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हैं।
प्रश्न 2.
हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवि कहता है कि जो व्यक्ति हाथ फैलाता है, उसकी ज़रूरतें बेहद सीमित होती हैं। वह दो रोटी के लिए भीख माँगता है। यदि वह बेईमानी करता तो उसे भीख माँगने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह धोखेबाज़ी, अनैतिकता, बेईमानीपूर्ण आचार-व्यवहार को अपनी स्वार्थ-पूर्ति का साधन नहीं बनाता है। उसे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में भी दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है। इसी कारण कवि ने हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को ईमानदार कहा है।
प्रश्न 3.
कवि ने स्वयं को लाचार, कामचोर, धोखेबाज्त क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि आज के माहौल के बारे में बताता है। आज हर जगह धोखेबाज़ी तथा निर्लज्जता आ गई है। ऐसे माहौल में ईमानदार लोगों की भूमिका नगण्य हो गई है। कवि इस माहौल को सुधारने में स्वयं को असमर्थ मानता है। वह किसी की मदद नहीं कर सकता। वह स्वयं भी नए माहौल में ढलकर जीना सीखकर आगे बढ़ता है, परंतु उसकी सहानुभूति कमज़ोर और ईमानदार लोगों के साथ है।
प्रश्न 4.
‘मैं तुम्हारा विरोधी प्रतिद्वंद्वी या हिस्सेदार नहीं’ से कवि का क्या अभिग्राय है?
उत्तर :
‘मैं तुम्हारा विरोधी प्रतिद्वंद्वी या हिस्सेदार नहीं’ पंक्ति से कवि कहना चाहता है कि वह ईमानदार लोगों के संघर्ष से सहानुभूति रखता है, परंतु वह उनके लिए कुछ कर नहीं पाता। वह स्वयं को उनके संघर्ष पथ से दूर कर लेता है। इससे यह फायदा होगा कि संघर्षरत लोगों के बीच का एक व्यवधान तो दूर होगा।
प्रश्न 5.
भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(क) 1947 के बाद से गतिशील होते देखा है
(ख) मानता हुआ कि हाँ में लाचार हूँ, एक मामूली धोखेबाज़
(ग) तुम्हारे सामने बिलकुल लिया है हर होड़ से
उत्तर :
(क) कवि बताता है कि आज़ादी के बाद से समाज में लोगों के नैतिक मूल्यों में गिरावट आई है। जो लोग गलत तरीके आजमाते, वे आत्मनिर्भर और अमीर बन गए। वे समाज में धनबल, बाहुबल आदि प्राप्तकर प्रमुख स्थिति प्राप्त कर गए। हर जगह धोखेबाज़ी तथा स्वार्थपरता आ गई।
(ख) कवि अपनी लाचारी जताता है कि वह ईमानदार लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रहा। वह कहता है कि वह कंगाल या कोढ़ी की तरह लाचार है या फिर वह स्वस्थ है, परंतु कामचोर और मामूली धोखेबाज़ है। वह किसी की सहायता नहीं कर सकता। कवि ने असमर्थता या अनिच्छा को दर्शाया है।
(ग) कवि ईमानदार तथा संघर्षरत लोगों से कहता है कि वह उनका विरोधी, प्रतिद्वंद्वी या हिस्सेदार नहीं है। वह उनके सामने बिलकुल निर्लज्ज तथा निराकांक्षी है। वह उनके साथ होड़ नहीं करना चाहता और उनके बीच में बाधा भी नहीं बनना चाहता। उसने स्वयं को उनके संघर्ष के बीच से हटा लिया है ताकि वह बाधा न बन सके।
प्रश्न 6.
शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(क) कि अब जब कोई या बच्चा खड़ा है।
(ख) मैं तुम्हारा विरोधी प्रतिद्वंद्वी निश्चित रह सकते हो।
उत्तर :
(क) इन पंक्तियों में कवि ने ईमानदार लोगों की दशा को बताया है। ईमानदार को चाय या दो रोटी के लिए हाथ फैलाना पड़ता है। स्वातंक्योत्तर या आधुनिक समाज में बेईमान प्रगति करता रहा है। कवि ने व्यंजना शक्ति का प्रयोग किया है। ‘आदमी औरत’ में अनुप्रास अलंकार है। मुक्तछंद है। खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है। हाथ फैलाना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है। चित्र बिंब है।
(ख) कवि कहता है कि वह ईमानदार लोगों के संघर्ष से अलग हो गया है। इससे उनके रास्ते की एक बाधा तो कम-से-कम दूर हं। जाएगी। व्यंजना शब्द-शक्ति है। खड़ी बोली है। मुक्तछंद होते हुए प्रवाह है। विचार कविता है। मिश्रित शब्दावली है।
(ख) सत्य –
प्रश्न 1.
सत्य क्या पुकारने से मिल सकता है? युधिष्ठिर विदुर को क्यों पुकार रहे है-महाभारत के प्रसंग से सत्य के अर्थ खोलें। उत्तर :
नहीं, सत्य पुकारने से नहीं मिल सकता। धर्मराज और सत्यान्वेषी युधिष्ठिर ने सत्य ज्ञान पाने के उद्देशय से विदुर को आवाज़ लगाई। आवाज़ सुनकर विदुर युधिष्ठिर को देखते हैं और फिर उन्हें न पहचानने का बहाना करते हुए जंगल में भागते हैं। युधिष्ठिर उन्हें अपना परिचय देते हैं, परंतु विदुर उनसे दूर भागते हैं। वे सत्य और अन्याय का सामना करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं।
प्रश्न 2.
‘सत्य का दिखना और ओझल होना’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
‘सत्य का दिखना और ओझल होना’ से कवि का तात्पर्य है कि आज के जीवन में व्यक्ति को सत्य दिखाई देता है, परंतु वह स्थायी रूप नहीं लिए हुए है, फिर वह ओझल हो जाता है। समाज में जीवन का रूप इस तरीके से बन रहा है कि सत्य एक निर्धारित रूप नहीं ले पा रहा। सत्य का रूप वस्तु. घटना और पात्रों के अनुसार बदलता रहता है। ऐसे में सत्य की कोई शाश्वत पहचान नहीं बन पाई है, जिससे उसे पहचानकर पकड़ा जा सके।
प्रश्न 3.
सत्य और संकल्प के अंतसंधंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
सत्य वह है जो प्रत्यक्ष तथा यथार्थ है, संकल्प व्यक्ति की इच्छाशक्ति है। जीवन में जो कुछ घटता है, वह यथार्थ है, उसे ही सत्य कहते हैं। मनुष्य अपनी इच्छाशक्ति से कार्य करता है तथा नए कार्य करने की शपथ लेता है। इन दोनों का घनिष्ठ संबंध है। संकल्प से ही सत्य को समझा जा सकता है।
प्रश्न 4.
‘युधिष्ठिर जैसा संकल्प’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
युधिष्ठिर महाभारत का एक प्रमुख पात्र है। उसे सत्य का पर्याय माना जाता है। वह कठिन परिस्थितियों में भी सत्य को नहीं छोड़ता था। वह बेहद संकल्पवाला था। यह उसके दृढ़निश्चय को दर्शाता है। दृढ़निश्चय वाले व्यक्ति ही विपरीत दशाओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 5.
सत्य की पहचान हम कैसे करें? कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि बताता है कि सत्य स्वयं नहीं बोलता। यह मनुष्य के आचार-विचार, बोलचाल, आचरण आदि से प्रकट होता है। वह प्रकाश-पुंज की तरह आता दिखाई देता है। वह या तो मनुष्य में विलीन हो जाता है या उससे होता हुआ आगे बढ़ जाता है। यह सत्य हमारी आत्मा में कभी-कभी दमक उठता है। उसी से हम सत्य की पहचान कर पाते हैं।
प्रश्न 6.
कविता में बार-बार प्रयुक्त ‘हम ‘ कौन हैं और उसकी चिंता क्या है?
उत्तर :
कविता में कवि ने ‘हम’ शब्द का बार-बार प्रयोग किया हैं। यहाँ ‘हम’ का औचित्य आम व्यक्ति से है। उसकी चिंता यह है कि आज का माहौल ऐसा हो गया है कि सत्य की पहचान तथा पकड़ मुश्किल होती जा रही है। एक सत्य हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग मायने रखता है।
प्रश्न 7.
सत्य की राह पर चल। अगर अपना भला चाहता है तो सच्याई को पकड़-इन पंकितयों के प्रकाश में कविता का मर्म खोलिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि मनुष्य को सच्चाई की राह पर चलना चाहिए। इसी से उसका भला होता है। यही बात इस कविता में कही गई है। आज सत्य का निश्चित रूप नही है। सत्य के प्रति संशय बढ़ गया है, परंतु इसके बावजूद यह हमारी आत्मा की आततरिक शक्ति है। इसी आंतरिक शक्ति के आधार पर व्यक्ति जीवन में कुछ कर पाता है। चूँकि सच्चाई के बल पर ही आत्मा का विस्तार होता है। इससे आत्मिक ज्ञान बढ़ता है। इसी आत्मिक ज्ञान के बल पर सत्य को पाया जा सकता है। कविता में युधिष्ठिर सत्य को जानने के लिए विदुर के समक्ष गुहार लगाते हैं, कितु आत्मबोध होने पर ही वे सत्य को जान पाते हैं।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
आप सत्य को अपने अनुभव के आधार पर परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
आज्रादी के बाद बदलते परिवेश का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करने वाली कविताओं का संकलन कीजिए तथा एक विद्यालय-पत्रिका तैयार कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3.
‘ईमानदारी और सत्य की राह आत्मसुख प्रदान करती है’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 4.
गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ की कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 5.
‘लगे रहो मुन्नाभाई’ फ़िल्म पर चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 6.
कविता में आए महाभारत के कथा-प्रसंगों को जानिए।
उत्तर :
कविता में आया महाभारत का एक कथा-प्रसंग इस प्रकार है –
कौरव और पांडव चचेर भाइयों में जब राज्य का बँटवारा हुआ तो बसा-बसाया एवं सुसज्जित इंद्रस्थ कौरवों को और ऊबड़-खाबड़ जंगली भाग खांडवप्रस्थ पांडवों को मिला। इसी अन्याय को बताने के लिए युधिष्ठिर विदुर को पुकार रहे थे, पर इस अन्याय का विरोध करने का साहस विदुर में न था। युधिष्ठि से पीछा न छूटता देख विदुर एक पेड़ से पीठ टिकाकर खड़े हो गए, परंतु कुछ बोल न सके। वे युधिष्ठिर को अपलक देखते रहे। युधिष्ठिर विदुर से सत्य का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। युधिष्ठिर ने आत्मज्ञान से सत्य का ज्ञान प्राप्त कर लिया और वापस जाकर सोचने लगे कि यदि विदुर चाहते तो सत्य का ज्ञान वहीं दे सकते थे।
Class 12 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 5 एक कम, सत्य
लघूत्तरात्मक प्रश्न-I
प्रश्न 1.
‘एक कम’ कविता का कथ्य क्या है?
उत्तर :
इस कविता में कवि ने आज़ादी के बाद भारत में अपनाई गई जीवन-शैली के बारे में बताया है। देश की शासन-व्यवस्था से ईमानदार तथा आस्थावान लोगों का मोह भंग हुआ है। कुछ चालाक लोग छल-कपट, स्वार्थ प्रवृत्ति, शोषण, बेईमानी आदि से अपना प्रभाव बढ़ाते रहे हैं तथा ईमानदार और परिश्रम करके रोटी खाने वाले हाशिए पर जाते रहे हैं। ईमानदार अपना गुज़ारा भी ठीक से नहीं कर पाता। कवि इस वर्ग के लिए कुछ कर पाने में स्वयं को असमर्थ मानता है।
प्रश्न 2.
‘एक कम’ कविता में कवि क्या निर्णय करता है?
उत्तर :
इस कविता में, कवि ईमानदार लोगों की दशा पर चिंता जताता है। वह इनके प्रति सहानुभूति रखता है, परंतु कुछ कर पाने में स्वयं को असमर्थ मानता है। वह उनके बीच से स्वयं को हटाने का निर्णय लेता है ताकि उनके बीच व्यवधान की एक दीवार तो कम हो सके।
प्रश्न 3.
‘सत्य’ कविता के आधार पर बताइए कि सत्य को पुकारने पर क्या होता है?
उत्तर :
कवि बताता है कि जब हम सत्य को पुकारते हैं तो वह हमसे दूर चला जाता है। वह उसी तरह चला जाता है जैसे युधिष्ठिर को देखकर विदुर घने जंगलों में भाग गए थे। सत्य शायद यह जानना चाहता है कि हम उसके पीछे कितनी दूर तक भटक सकते हैं। सत्य को पुकारने से नहीं पाया जा सकता है। सत्य को आत्मज्ञान के बल से अवश्य पाया जा सकता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-II
प्रश्न 1.
युधिष्ठिर के पुकारने पर भी विदुर उनकी बात अनसुनी कर रहे थे, क्यों? युधिष्ठिर को सत्य का ज्ञान कैसे हुआ?
उत्तर :
युधिष्ठिर के पुकारने पर भी विदुर उनकी बातों का जवाब नहीं देना चाह रहे थे। वे जंगल की ओर चले गए। युधिष्ठिर भी पीछे हो लिए। अंततः विदुर एक कीकर के पेड़ से टिककर खड़े हो गए और युधिष्ठिर को इस प्रकार देखने लगे मानो सत्य आँखों के रास्ते निकलकर युधिष्ठिर में समाता जा रहा हो तब युधिष्ठिर ने आत्मज्ञान के बल पर सत्य का ज्ञान प्राप्त किया।
प्रश्न 2.
‘सत्य’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सत्य कविता में कवि विष्णु खरे ने मानव-जीवन में सत्य की महत्ता का प्रतिपादित करना चाहा है। वर्तमान में कवि और हम जिस समाज में रह रहे हैं, उसमें सत्य को पहचानना और पकड़ना कठिन होता जा रहा है। यह सत्य कभी देखा जा सकता है और कभी हमारी आँखों के सामने से ओझल हो जाता है। आज सत्य का न कोई निश्चित रूप, रंग रह गया है और न पहचान, जो उसे स्थायी बना सके। सत्य के प्रति हम आरंकित अवश्य हैं, फिर भी वह हमारी आत्मा की आंतरिक शक्ति है। सत्य की कोई निश्चित अवधारणा या मापदंड नहीं रह गया है। जो हमारे लिए सत्य है, वही किसी दूसरे के लिए असत्य हो सकता है। वर्तमान में इसकी पहचान और पकड़ कठिन हो गई है।
प्रश्न 3.
1947 के बाद भारत में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर :
1947 के बाद भारत के जीवन में बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ। समाज में बेईमानी, छल-कपट को बढ़ावा मिला। जिन लोगों ने देश की आज़ादी के सपने देखे थे, उन्हें किनारे कर दिया गया। हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया। कर्मठ तथा ईमानदार भीख माँगने पर मज़बूर हो गए। उनकी दशा खराब होती गई। आपसी विश्वास, भाईचारे तथा सामूहिकता का स्थान धोखाधड़ी, स्वार्थपरता, शोषण प्रवृत्ति, भाई-भतीजावाद तथा खींचतान ने ले लिया।