Students can find the 12th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 15 संवदिया to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 15 संवदिया
Class 12 Hindi Chapter 15 Question Answer Antra संवदिया
प्रश्न 1.
संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है?
उत्तर :
संवदिया का अर्थ है-संदेश ले जाने वाला। यह कार्य हर व्यक्ति नहीं कर सकता, क्योंकि यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें संदेशवाहक को एक-एक शब्द को याद रखना पड़ता है तथा संवाद को उन्हीं स्वरों तथा भावों के साथ सुनाना होता है। किसी व्यक्ति विशेष में अकसर ये गुण जन्मजात होते हैं।
गाँववालों की संवदिया के प्रति धारणा गलत है। वे मानते हैं कि जो व्यक्ति निठल्ला, कामचोर तथा पेट् होता है, वह ही संवदिया का काम करता है। ये व्यक्ति बिना मज़दूरी लिए संदेश पहुँचाते हैं, लोग इन्हें औरतों का गुलाम बताते हैं। ये औरतों की मीठी बोली सुनकर नशे में आ जाते हैं। ये मर्द कहलाने लायक नहीं होते।
प्रश्न 2.
बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका हुई?
उत्तर :
हरगोबिन को बड़ी हवेली से बुलावा आया। उसे बड़ी हैरानी हुई कि इस ज़माने में संवदिया की ज़रूरत किसे पड़ सकती है। हर गाँव में डाकघर खुल गए हैं। घर बैठे-बिठाए आदमी लंका तक संदेश पहुँचा सकता है और लंका अर्थात् दूर-दराज के किसी व्यक्ति की कुशलता का समाचार मँगा सकता है। उसके मन में आशंका हुई कि कोई विशेष संवाद लेकर जाना है। इस संवाद की किसी को खबर नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न 3.
बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी?
उत्तर :
बड़े भैया के देहांत के बाद हवेली की संपत्ति का बँटवारा हो गया। तीनों भाइयों में झगड़ा शुरू हो गया। जब रैयतों ने ज़मीन पर दावे कर दिए तो तीनों भाई शहर जाकर बस गए। गाँव में अकेली बड़ी बहू ही रह गई। उसे दैनिक निर्वाह के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था। तीनों भाइयों का व्यवहार तनिक भी ठीक नहीं था। वे उसकी देखभाल नहीं करते थे, इसलिए वह अपने मायके जाना चाहती थी। इसी बात का वह संदेश भेजना चाहती थी।
प्रश्न 4.
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है?
उत्तर :
हवेली पहुँचकर हरगोबिन अतीत की स्मृतियों में खो जाता है। पहले इस भव्य एवं वैभवशाली हवेली की शान थी। यहाँ पर दिन-रात नौकरों की भीड़ हुआ करती। मज़दूरों की भीड़ रहती थी। पहले सिर्फ़ बड़ी बहू के हाथों में मेहँदी लगाकर गाँव की नाइन परिवार पालती थी। अब वे दिन बदल गए हैं।
प्रश्न 5.
संवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें क्यों छलछला आईं?
उत्तर :
बड़ी बहू ने संवदिया को कहा कि वह मायके में उसे ले जाने का संदेश दे। वह यहाँ बेहद परेशान थी। उसकी आर्थिक हालत खराब थी। उसे दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा था। उसे बथुआ-साग खाकर गुजारा करना पड़ रहा था। वहाँ आर्थिक एवं भावनात्मक सहारा देने वाला कोई न था। शहर में बसे देवरों का व्यवहार भी उपेक्षापूर्ण था। अब यहाँ जीवन के शेष दिन काटना भी कठिन हो गया था, इसलिए संवाद कहते वक्त उसकी आँखें छलछला आईं।
प्रश्न 6.
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव क्यों हो रहा था? उससे छुटकारा पाने के लिए उसने क्या उपाय सोचा?
उत्तर :
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के कानों में बड़ी बहू की दुखभरी एवं हृदय झकझोर देनेवाली बातें गूँज रही थीं। उसके मन में काँटे की तरह शब्द चुभ रहे थे-किसके भरोसे यहाँ रहूँगी ? एक नौकर था, वह भी कल भाग गया। गाय खूँटे से बँधी भूखी-प्यासी हिकर रही है। उसने छुटकारा पाने के लिए उपाय सोचा कि वह बड़ी बहू के मायके में उसकी दयनीय दशा एवं घोर गरीबी में जीने वाली बात को सच-सच बता देगा।
प्रश्न 7.
बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका?
उत्तर :
हरगोबिन बड़ी बहू का संदेश सुनाना चाहता था, परंतु चाहकर भी वह नहीं सुना पाया, क्योंकि उसे लगा कि इससे गाँव की इज्ज़त चली जाएगी। मायके वाले उसे घर ले जाएँगे। गाँव की लक्ष्मी को गाँव के बाहर जाने पर सम्मान खत्म हो जाएगा। वह नहीं चाहता था कि बड़ी बहू उसका गाँव छोड़कर जाए। इन सब कारणों से हरगोबिन संवाद नहीं सुना सका।
प्रश्न 8.
संवदिया ‘डटकर खाता है और अफर कर सोता है’ से क्या आशय है?
उत्तर :
लेखक बताता है कि संबदिया जब संदेश लेकर जाता है तो वह आराम से भरपेट खाता है और फिर निश्चित होकर सोता है। उसे किसी की भावनाओं से कोई मतलब नहीं होता। उसका कार्य केवल संदेश पहुँचाना होता है, यहाँ स्थिति विपरीत है। हरगोबिन बड़ी बहू के बारे में चिंतित एवं अत्यंत दुखी था। इस कारण वह न खाना खा सका और न उसे रात को नींद आई।
प्रश्न 9.
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने क्या संकल्प लिया?
उत्तर :
जलालगढ़ पहुँचने पर हरगोबिन ने बड़ी बहू से माफी माँगी कि वह उसका संवाद नहीं कह सका। उसने विनती की कि वद्द गाँव छोड़कर नहीं जाए। वह उन्हें कोई कष्ट नहीं होने देगा। वह सारे गाँव की माँ है। उसकी माँ है। वह उससे कहता है कि वह गाँव को छोड़कर अन्यत्र कहीं भी न जाए।
हरगोबिन यह संकल्प लेता है कि अब वह खाली नहीं बैठेगा और बड़ी बहू के लिए काम करेगा।
भाषा-शिल्प –
प्रश्न 1.
इन शब्दों का अर्थ समझिएकाबुली-कायदा रोम-रोम कलपने लगा अगहनी धान
उत्तर :
- काबुली-कायदा-अपने मतलब के लिए पहले मीठा बोलना, फिर कड़वा बोलना अर्थात् काबुली जैसा व्यवहार करना।
- रोम-रोम कलपने लगा-मन को बेहद कष्ट होना।
- अगहनी धान-अगहन माह में पककर तैयार धान की फसल।
प्रश्न 2.
पाठ से प्रश्नवाचक वाक्यों को छाँटिए और संदर्भ के साथ उन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
1. फिर उसकी बुलावट क्यों हुई?
टिप्पणी – संवदिया हरगोबिन हवेली से बुलावा आने पर आश्चर्य और असमंजस की स्थिति में था कि संदेश भेजने के लिए डाकघर खुलने के बाद भी उसे क्यों बुलवाया गया है ?
2. कहाँ गए वे दिन?
टिप्पणी – हरगोबिन हवेली की वर्तमान स्थिति को देखकर अतीत के विषय में सोचने लगा, जब हवेली की आर्थिक दशा अच्छी, भव्य एवं संपन्न थी तथा नौकरों की भीड़ लगी रहती थी।
3. भगवान भले आदमी को ही कष्ट देते हैं। नहीं तो एक घंटे की बीमारी में बड़े भैया क्यों मरते?…
टिप्पणी – हरगोबिन को हवेली की आर्थिक दशा और बड़ी बहू के कष्ट देखकर, बड़े भइया के मरने का दुख व अफ़सोस हो रहा था। वह सोच रहा था कि भगवान भी अच्छे आदमियों को कष्ट देते हैं।
4. कहिए क्या संवाद है ?
टिप्पणी – हरगोबिन ने बड़ी बहू से पूछा कि क्या संवाद पहुँचाना है ?
5. और कितना बड़ा करूँ दिल?
टिप्पणी – बड़ी बहू के दुख को देखकर हरगोबिन ने उसको धैर्य रखने की सलाह दी, किंतु अब उसकी सहनशीलता समाप्त हो रही थी। घोर गरीबी में दिन काटना मुश्किल हो रहा था। यहाँ कष्ट सहने की सीमा समाप्त-सी हो रही थी।
6. बथुआ – साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए…किसके लिए?
टिप्पणी – बड़े भइया के मरने के बाद, कष्टों को झेलते-झेलते, बड़ी बहू की सहनशीलता जवाब दे चुकी थी और अब उसे अपना जीवन व्यर्थ लगने लगा था।
7. तुम कहाँ से इंतज़्ताम करोगे?
टिप्पणी – बड़ी बहू की खराब आर्थिक दशा देखकर हरगोबिन ने राह-खर्च लेने से इंकार कर दिया, किंतु बड़ी बहू को चिंता थी कि वह राह खर्च की व्यवस्था कैसे करेगा ? वह खुद भी तो कोई काम नहीं करता था।
8. बिना मज़दूरी लिए ही जो गाँव-गाँव संवाद पहुँचावे, उसको और क्या कहेंगे?…औरतों का गुलाम।
टिप्पणी – गाँववाले संवदिया को औरतों का गुलाम मानते हैं, क्योंकि वह पारिश्रमिक लिए बिना उनके संवाद एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाता है। ऐसे में गाँववालों की मानसिकता हरगाबिन के प्रति अच्छी न थी।
प्रश्न 3.
इन पंक्तियों की व्याख्या कीजिए –
(क) बड़ी हवेली अब नाममात्र को ही बड़ी हवेली है।
(ख) हरगोबिन ने देखी अपनी आँखों से द्रौपदी की चीरहरण लीला।
( ग) बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ?
(घ) किस मुँह से वह ऐसा संवाद सुनाएगा।
उत्तर :
(क) इस पंक्ति का आशय है कि समय बदल जाने पर बड़ी हवेली का अब पहले जैसा प्रभाव, वैभव, शान नहीं रही। अब उसकी संपन्नता खत्म हो गई थी। अब वह नाम के लिए ही बड़ी हवेली रह गई थी।
(ख) हरगोबिन ने अपनी आँखों से बड़ी हवेली के बँटवारे को देखा था। बड़े भइया के मरने के बाद तीनों भाइयों ने घर की एक-एक चीज़ यहाँ तक कि बड़ी बहू के वस्त्रों तथा जेवरों का भी बँटवारा कर लिया। वे इतने गिरे विचारों के थे कि बनारसी साड़ी के भी तीन हिस्से किए।
(ग) इसका अर्थ यह है कि बड़ी बहू को दैनिक निर्वाह के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। उसे दाने-दाने के लिए मोहताज होकर घोर गरीबी में दिन बिताना पड़ रहा था। उसे जीवन में कोई रस नहीं दिखाई देता था।
(घ) हरगोबिन की मानसिक उलझन को बताया गया है। यदि वह बड़ी बहू का संदेश सुनाता है तो गाँव की बदनामी होगी। बड़ी बहू भी अपने मायके चली जाएगी। लक्ष्मी जैसी बहू के घर-गाँव छोड़कर जाने पर मायके वाले क्या कहेंगे। बदनामी के डर से वह हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
Class 12 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 15 संवदिया
लघूत्तरात्मक प्रश्न-I
प्रश्न 1.
हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन को अचरज क्यों हुआ?
उत्तर :
हरगोबिन को अचरज हुआ कि आज भी किसी को संवदिया की ज़रूरत पड़ सकती है। इस ज़माने में गाँव-गाँव में डाकघर खुल गए हैं, संवदिया के मारफत संवाद क्यों भेजेगा कोई ? आज आदमी घर बैठे ही लंका तक खबर भेज सकता है और वहाँ का कुशल-संवाद मँगा सकता है, फिर उसकी बुलाहट क्यों हुई ? यह जानकर वह हैरान हो गया।
प्रश्न 2.
मोदिआडन क्यों बड़बड़ा रही थी?
उत्तर :
बड़ी बहू ने मोदिआइन से कुछ अनाज उधार लिया था। वह उसकी कीमत चुका नहीं पा रही थी। इसलिए मोदिआइन उसके घर पर धरना दिए बैठी थी कि वह आज पैसे लेकर ही जाएगी। इस कारण वह बड़बड़ा रही थी।
प्रश्न 3.
गुल मुहम्मद आगा कौन था? उसका व्यवहार कैसा था?
उत्तर :
गुल मुहम्मद आगा गाँव में उधार में कपड़ा बेचने आता था। वह मोदिआइन के ओसारे पर दुकान लगाकर बैठता था। जब किसी को कपड़ा देना होता था तो वह बहुत मीठा बोलता था और वसूली के समय बदतमीजी करता था। वह दो गुने पैसे वसूलता था। उसकी इस आदत से परेशान एक बार कई उधार लेने वालों ने उसकी जमकर पिटाई कर दी। उसके बाद वह गाँव में नहीं आया।
प्रश्न 4.
बड़ी बहुरिया ने संदेश में क्या कहा?
उत्तर :
बड़ी बहुरिया ने संदेश में कहा कि माँ से कहना में भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चों के जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं रह सकूँगी। यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो में किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरूँगी। बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ ?
प्रश्न 5.
बिंहपुर स्टेशन पर पहुँचने के बाद हरगोबिन की मानसिक दशा कैसी थी?
उत्तर :
थाना बिंहपुर स्टेशन पर गाड़ी पहुँची तो हरगोबिन का जी भारी हो गया। इसके पहले भी कई भला-बुरा संवाद लेकर वह इस गाँव में आया है, कभी ऐसा नहीं हुआ। उसके पैर गाँव की ओर बढ़ ही नहीं रहे थे। इसी पगडंडी से बड़ी बहुरिया अपने मैके लौट आवेगी। गाँव छोड़कर चली जावेगी। फिर कभी नहीं आवेगी !
उसका मन कलपने लगा तब गाँव में क्या रह जावेगा ? गाँव की लक्ष्मी ही गाँव छोड़कर जावेगी ! किस मुँह से वह ऐसा संवाद सुनाएगा ? कैसे कहेगा कि बड़ी बहुरिया बथुआ-साग खाकर गुज़ारा कर रही है ? सुनने वाले हरगोबिन के गाँव का नाम लेकर थूकेंगे। हरगोबिन ने अनिच्छापूर्वक गाँव में प्रवेश किया।
प्रश्न 6.
हरगोधिन ने बड़ी बहू की माँ को क्या संदेश दिया?
उत्तर :
हरगोबिन ने बड़ी बहू की माँ को कहा कि दशहरे के समय बड़ी बहू गंगा जी के मेले में आकर माँ से मुलाकात कर जाएगी। वह अभी आ भी नहीं सकती, क्योंकि सारी गृहस्थी का भार उस पर ही है। वह गाँव की लक्ष्मी है।
प्रश्न 7.
हरगोबिन जलालगढ़ पैदल क्यों गया?
उत्तर :
हरगोबिन के पास जितने पैसे थे, उनसे कटिहार तक का टिकट खरीदा जा सकता था। यदि उसकी चौअन्नी नकली निकली तो सैमापुर तक ही का टिकट ले पाएगा। वह बिना पैसे आगे नहीं जा सकता। इसलिए उसने बीस कोस पैद्ल चलने का फैसला किया।
प्रश्न 8.
पाठ ‘संवदिया’ के आधार पर ‘बहुरिया’ की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
बहुरिया बड़ी हवेली ही बहू है। जब वह शादी होकर आई थी, तब घर में संपन्नता थी। नीकर आदि सब उसका आदर करते थे। पति की मृत्यु के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई। पति के भाइयों ने आपस में झगड़ा करके घर की एक-एक चीज़ का बटवारा कर लिया। इस अकेलेपन में बड़ी बहू पर कर्ज़ चढ़ता गया। इन सब स्थितियों से वह काफी दुखी थी, मगर किसी से कोई शिकायत नही करती थी। हाँ वह अपनी माँ के पास अपनी व्यथा का समाचार पहुँचाना चाहती थी। इसके लिए उसने संवदेनशील हरगोबिन पर भरोसा किया तथा उसे माँ के पास भेजा। वह जानती है कि हरगोबिन आज भी उसकी बात को गुप्त रखेगा। वह बहुरिया के विश्वास पर खरा उतरता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-II
प्रश्न 1.
‘संवदिया’ कहानी की मूल संवेदना क्या है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘संवदिया कहानी में बड़ी बहरिया की पीड़ा को, उसके भीतर के हाहाकार को संवदिया के माध्यम से लेखक ने पूरी सहानुभूति प्रदान की है। इस कथन की तर्कसहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
‘संवदिया’ कहानी में मानवीय संवेद्ना की गहन, विलक्षण एवं अद्भुत पहचान की अभिव्यक्ति हुई है। लेखक फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ ने असहाय और अत्यंत सहनशील मन के कोमल तंतुओं, उसके दुख, करुणा, व्यथा और यातना को अत्यंत हद्यस्पर्शी ढंग से प्रस्तुत किया है जो पाठक मन को द्रवीभूत कर जाता है। उसने हरगोबिन संवदिया और अपने अंचल की दुखी बेसहारा पात्रा बड़ी बहुरिया जैसे पात्रों के माध्यम से नारी मन के व्यथित हुदय के हाहाकार को सहानुभूति प्रदान की है। कहानी में लोक भाषा के शब्दों के प्रयोग से आंचलिकता मुखरित हो उठी है जो पाठक मन को झंकृत कर जाती है।
प्रश्न 2.
बड़ी बहू के देवर-देवरानियों के लिए हरगोबिन क्या भावना रखता था?
उत्तर :
बड़ी बहू का दुख सुनकर हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा। देवर-देवरानियाँ भी बेदर्द हैं। अगहनी धान के समय बाल-बच्चों को लेकर शहर से आएँगे। दस-पंद्रह दिनों में कर्ज़-उधार की ढेरी लगाकर, वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाएँगे, फिर आम के मौसम में आकर कच्या-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाएँगे, फिर उलटकर कभी नहीं देखते। वह उन्हें राक्षस की संज्ञा देता हैं।
प्रश्न 3.
कटिहार जंक्शन पर पहुँचकर हरगोबिन को यह क्यों महसूस हुआ कि सचमुच सुराज आ गया है?
उत्तर :
कटिहार जंक्शन पहुँचकर हरगोबिन ने देखा कि पंद्रह-बीस साल में बहुत कुछ बदल गया है। अब स्टेशन पर उतरकर किसी से कुछ पूछने की कोई ज़रूरत नहीं। गाड़ी पहुँची और तुरंत भोंपे से आवाज़ अपने-आप निकलने लगी- थाना बिंहपुर, खगड़िया और बरौनी जाने वाले यात्री तीन नंबर प्लेटफार्म पर चले जाएँ। गाड़ी लगी हुई है।’ हरगोबिन प्रसन्न हुआ। यही मालूम होता है कि सचमुच सुराज हुआ है । इसके पहले कटिहार पहुँचकर किस गाड़ी में चढ़े और किधर जाए, इस पूछताछ में ही कितनी बार उसकी गाड़ी छूट गई।