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NCERT Class 12 Geography Chapter 6 Solutions in Hindi द्वितीयक क्रियाएँ
पृष्ठ संख्या 44
प्रश्न 1.
बड़े पैमाने पर लगाए जाने वाले उद्योग विभिन्न स्थितियों का चुनाव क्यों करते हैं?
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योगों में उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। कच्चा माल भी अधिक मात्रा में तथा भारी होता है। इसी कारण इन उद्योगों की अवस्थिति कच्चे माल के समीप ही होती है। उत्पादन की दृष्टि से भी ये उद्योग बाजार के समीप होते हैं जिससे भारी सामान के परिवहन में खर्च कम आए। शक्ति के साधनों की उपलब्धता भी इन उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करती है। इसी कारण बड़े पैमाने पर लगाए जाने वाले उद्योग विभिन्न स्थितियों का चुनाव करते हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए –
(i) निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है ?
(अ) हुगली के सहारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए।
(ब) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।
(स) खनिज तेल एवं जलविद्युत शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्त्व को कम किया है। (द) पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है।
उत्तर:
(ब) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।
(ii) निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
(अ) पूँजीवाद
(स) समाजवाद
(ब) मिश्रित
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(अ) पूँजीवाद
(iii) निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है?
(अ) कुटीर उद्योग
(ब) छोटे पैमाने के उद्योग
(स) आधारभूत उद्योग
(द) स्वच्छंद उद्योग
उत्तर:
(स) आधारभूत उद्योग
(iv) निम्न में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है ?
(अ) स्वचालित वाहन उद्योग – लॉस एंजिल्स
(ब) पोत निर्माण उद्योग – लूसाका
(स) वायुयान निर्माण उद्योग – फ्लोरेंस
(द) लौह-इस्पात उद्योग – पिट्सबर्ग
उत्तर:
(द) लौह-इस्पात उद्योग – पिट्सबर्ग
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर लगभग 30 शब्दों में टिप्पणी लिखिए-
(i) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग।
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग में उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं विकास के प्रयोग द्वारा किया जाता है। इनमें यंत्र मानव, कम्प्यूटर आधारित डिजाइन तथा निर्माण, धातु पिघलाने एवं शोधन के इलैक्ट्रॉनिक नियंत्रण एवं नवीन रासायनिक व औषधीय उत्पाद प्रमुख स्थान रखते हैं।
(ii) विनिर्माण।
उत्तर:
विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु का उत्पादन है। हस्तशिल्प कार्य से लेकर लोहे व इस्पात को गढ़ना, प्लास्टिक के खिलौने बनाना, कम्प्यूटर के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना एवं अन्तरिक्ष यान निर्माण आदि सभी प्रकार के उत्पादन को विनिर्माण माना जाता है।
(iii) स्वच्छन्द उद्योग।
उत्तर:
स्वच्छन्द उद्योग-यह उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में स्थित होते हैं। यह किसी विशिष्ट | कच्चे माल पर निर्भर नहीं रहते हैं, वरन् संघटक पुरजों पर निर्भर रहते हैं, जिन्हें कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। इसमें उत्पादन कम मात्रा में होता है एवं श्रमिकों की भी कम आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
अग्रलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए-
(i) प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में अन्तर
प्राथमिक गतिविधियाँ | द्वितीयक गतिविधियाँ |
1. प्राथमिक क्रियाकलाप प्राकृतिक पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के विकास से सम्बन्धित है। | द्वितीयक क्रियाकलापों से तात्पर्य मनुष्य द्वारा कच्चे माल को संसाधित करके उसे नवीन वस्तुओं में परिवर्तित करने से है। |
2. मानव प्राथमिक क्रियाकलापों के द्वारा प्रत्येक रूप में वस्तुएँ प्राप्त करता है। | द्वितीयक क्रियाकलापों में उद्योगों का शामिल किया जाता है जो कि विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते हैं। |
3. प्राथमिक क्रियाकलापों में धरातल से प्राप्त पदार्थ कच्चे माल के रूप में भोजन सामग्री बनाने, वस्त्र बनाने तथा अन्य उपयोगी सामान बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। | द्वितीयक क्रियाकलापों के द्वारा उत्पादों की उपयोगिता में वृद्धि होने के साथ-साथ उनके मूल्य में भी वृद्धि होती है। है। |
4. आखेट, संग्रहण, पशुचारण, खनन, मछली पकड़ना, लकड़ी काटना, कृषि आदि प्राथमिक क्रियाकलाप हैं। | विनिर्माण उद्योग, डेयरी उद्योग, कुटीर उद्योग आदि सभी क्रियाएँ द्वितीयक क्रिया-कलाप हैं। |
5. प्राथमिक गतिविधियों के अन्तर्गत कच्चे माल की प्राप्ति मानव शक्ति के द्वारा होती है तथा उसे सीधे ही उस रूप में उपयोग में लाया जाता है। | द्वितीयक गतिविधियों में कच्चे माल को परिष्कृत, संशोधित करने के लिए शक्ति का उपयोग किया जाता है। |
6. प्राथमिक गतिविधियाँ एक मानव एवं उसके परिवार व सहयोगी व्यक्तियों द्वारा सम्पन्न की जाती हैं। इसमें पूँजी की आवश्यकता नहीं होती है। | द्वितीयक गतिविधियों में उत्पादन के लिए अत्यधिक पूँजी की आवश्यकता होती है एवं बड़े-बड़े कारखाने तथा मनुष्यों के रूप में श्रमिकों की आवश्यकता होती है। |
7. प्राथमिक गतिविधियों के द्वारा उत्पादित की गई वस्तुओं का उपयोग अल्प समय के लिए ही किया जा सकता है। इनका उपयोग उसी क्षेत्र विशेष में किया जा सकता है। | द्वितीयक गतिविधियों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं का उपयोग अधिक समय तक किया जा सकता है तथा इसका उपयोग दूसरे स्थानों पर भी किया जा सकता है। |
(ii) विश्व के विकसित देशों के सन्दर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
विश्व के विकसित देशों के सन्दर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं-
- विश्व के विकसित देशों में आधुनिक औद्योगिक क्रियाकलापों में परिवर्तनशील प्रवृत्तियों के अन्तर्गत उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कारकों के महत्त्व में लगातार कमी आती जा रही है।
- विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में विकास तथा वैज्ञानिक तकनीक की उन्नति के परिणामस्वरूप उद्योगों की संरचना एवं स्वरूप में परिवर्तन आया है, जिससे निरुद्योगीकरण की प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
- आधुनिक औद्योगिक क्रियाकलापों में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन हुए हैं। उद्योगों में उत्पादन के लिए उच्च तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।
- कारखानों के स्थान पर छोटी इकाइयों का बिखराव बहुत बड़े क्षेत्रों में देखा जा रहा है।
- विश्व के विकसित देशों में उच्च तकनीकी उद्योगों का विकास हो रहा है जबकि निम्न तकनीकी एवं श्रम- गहन उद्योग विकासशील देशों में विकसित हो रहे हैं।
- विकसित देशों में स्थापित उद्योगों में डिजाइन तथा उत्पादन में बड़ी तीव्र गति से परिवर्तन हो रहे हैं।
- विकसित देशों में बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा उच्चस्तरीय उत्पादन की विचारधारा पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है।
- विकसित देशों में औद्योगिक क्रियाओं में अवशिष्ट पदार्थों में कमी, पुन:चक्रण प्रतिस्थापन तथा विकल्पों का योगदान अधिक है।
(iii) अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों की परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
विश्व के अधिकतर देशों उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों की परिधि क्षेत्रों में ही विकसित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- स्वच्छन्द उद्योग की प्रवृत्ति उद्देश्य आधारित औद्योगिक क्षेत्र अथवा प्रौद्योगिकी पार्कों के रूप में कस्बों व नगरों की सीमाओं पर स्थापित होने की होती है। यथा – इस प्रकार का औद्योगिक स्वरूप लन्दन और टोकियो में देखा जा सकता है। ये स्थान नगर के आन्तरिक भागों में अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं।
- नगरों तथा महानगरों के सीमान्त क्षेत्र में उपलब्ध विस्तृत भूमि पर एक मंजिली कारखानों को स्थापित किया जा सकता है तथा भविष्य में इसके विस्तार के लिए स्थान प्राप्त हो सकता है। की तुलना
- नगरों की बाह्य सीमाओं पर भूमि का मूल्य कम होता है।
- बाह्य परिधि क्षेत्रों में यातायात मार्गों का पर्याप्त विकास मिलता है तथा महानगर के आन्तरिक भागों से यह परिधि क्षेत्र उत्तम सड़क मार्ग द्वारा जुड़े होते हैं।
- बाह्य नगर परिधि पर प्रदूषण रहित पर्यावरण तथा हरित क्षेत्र का अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है।
- निकटवर्ती आवासीय क्षेत्रों से प्रतिदिन आने-जाने वाले लोगों से श्रम की आपूर्ति हो जाती है जो कि सस्ता भी होता है।
- इस क्षेत्र में स्थापित उद्योगों के लिए महानगरीय बाजार की सुलभ उपलब्धता बनी रहती है।
- कभी-कभी सरकार द्वारा महानगर के सघन क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है तब महानगर के परिधि क्षेत्र उद्योगों की स्थापना के महत्त्वपूर्ण आकर्षक स्थल बन जाते हैं।
(iv) अफ्रीका में अपरिमित प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिये।
उत्तर:
अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से धनी है किन्तु औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। खनिज पदार्थों में उत्तरी अफ्रीका में अल्जीरिया, मोरक्को तथा टयूनीशिया में लोहा प्राप्त होता है। जिम्बाब्वे में लौह-अयस्क के भण्डार हैं। इसी प्रकार जायरे, जाम्बिया में विश्व के सबसे अधिक तांबे के भण्डार हैं। अफ्रीका में वन क्षेत्र भी विस्तृत है लेकिन खनिज भण्डार अथवा अन्य प्राकृतिक साधनों में धनी होने के बावजूद भी यह महाद्वीप औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है।
अफ्रीका के औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
(1) जलवायु अफ्रीका महाद्वीप के अधिकतर भाग में विषम जलवायु पाई जाती है। सहारा मरुस्थलीय जलवायु में आने वाले देश अधिक तापमान तथा गर्म हवाओं के कारण पिछड़े हुए हैं। इसी प्रकार जिन भागों में भूमध्यरेखीय जलवायु पाई जाती है उन क्षेत्रों में विषम परिस्थितियों के कारण उद्योग विकसित नहीं हो पाये। जायरे तांबा उत्पादन में धनी है लेकिन वह अपने देश में उत्पादित खनिज का निर्यात कर देता है।
(2) उच्च प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता उच्च प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता के कारण भी अफ्रीका के देशों में उद्योग विकसित नहीं हो पाये हैं। दक्षिणी अफ्रीका अपने यहाँ उत्पादित हीरों का निर्यात करता है। अन्य देशों में ऊर्जा के साधन होते हुए भी ये देश अपने संसाधनों को उच्च प्रौद्योगिकी की कमी के कारण विकसित नहीं कर पाए हैं।
(3) परिवहन के साधनों की कमी- अफ्रीका महाद्वीप के देशों में विषम जलवायु तथा विषम उच्चावच के कारण परिवहन के साधनों की कमी पाई जाती है।
(4) कुशल श्रमिकों की अनुपलब्धता – अफ्रीका के जिन देशों में खनिज पदार्थों की अधिकता है उनमें कुशल श्रमिकों की अनुपलब्धता के कारण उद्योगों का विकास समुचित मात्रा में नहीं हो पाया है। उपरोक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट है कि अफ्रीका महाद्वीप संभाव्य, जल विद्युत तथा खनिज संसाधनों में बहुत धनी है। यहाँ विश्व की संभाव्य जल विद्युत शक्ति का 40 प्रतिशत भाग है किन्तु केवल 1 प्रतिशत ही विकसित है। इसका मुख्य कारण प्रौद्योगिकी की कमी तथा लोगों की निम्न क्रय शक्ति । अफ्रीका में खनिज भण्डार अपरिमित हैं किन्तु इनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है क्योंकि यहाँ उद्योगों की कमी है। इसी कारण अफ्रीका अभी तक एक पिछड़ा हुआ महाद्वीप है।