Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 4 मानव बस्तियाँ will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 4 in Hindi Question Answer मानव बस्तियाँ
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
ग्रामीण बस्तियों में प्रमुखतया कौनसी क्रिया होती है?
(क) प्राथमिक
(ग) तृतीयक
(ख) द्वितीयक
(घ) चतुर्थक।
उत्तर:
(क) प्राथमिक
प्रश्न 2.
बस्तियों में लोगों के समूहन का मुख्य आधार क्या होता है?
(क) कृषि आधार
(ख) जल आधार
(ग) औद्योगिक आधार
(घ) पोषण आधार।
उत्तर:
(घ) पोषण आधार।
प्रश्न 3.
नगला क्या है?
(क) एक प्रकार का वस्त्र
(ख) उद्योग
(ग) पल्ली बस्तियों का स्थानीय नाम
(घ) पर्यटन क्षेत्र।
उत्तर:
(ग) पल्ली बस्तियों का स्थानीय नाम
प्रश्न 4.
भारत में सर्वाधिक प्राचीन महत्त्वपूर्ण नगर कौनसा है?
(क) वाराणसी
(ग) अहमदाबाद
(ख) जयपुर
(घ) आगरा।
उत्तर:
(क) वाराणसी
प्रश्न 5.
जनसंख्या के आधार पर नगरों को कितने वर्गों में विभक्त किया गया है?
(क) छ: वर्ग
(ख) ग्यारह वर्ग
(ग) तीन वर्ग
(घ) आठ वर्ग।
उत्तर:
(क) छ: वर्ग
प्रश्न 6.
सबसे बड़ा नगरीय संकुल है-
(क) चेन्नई
(ख) बंगलौर
(ग) कोलकाता
(घ) बृहन् मुम्बई।
उत्तर:
(घ) बृहन् मुम्बई।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मध्य भारत के बुन्देलखण्ड प्रदेश में यात्रा के दौरान आप किस प्रकार की ग्रामीण बस्तियों का अवलोकन करेंगे।
उत्तर:
मध्य भारत के बुन्देलखण्ड प्रदेश में यात्रा के दौरान हम गुच्छित बस्तियों का अवलोकन करेंगे।
प्रश्न 2.
गैरिसन नगर क्या होता है?
उत्तर:
गैरिसन नगर, छावनी नगर होते हैं। इन नगरों का विकास सैन्य सम्बन्धी कार्यों हेतु किया जाता है।
प्रश्न 3.
‘ढाणी’ किस प्रकार की बस्तियाँ हैं ?
उत्तर:
‘ढाणी’ पल्लीकृत बस्तियाँ हैं जो भौतिक रूप से एक-दूसरे से पृथक् अनेक इकाइयों में बंटी होती हैं।
प्रश्न 4.
एकाकी बस्तियाँ किन क्षेत्रों में विकसित होती हैं?
उत्तर:
एकाकी बस्तियाँ सुदूर जंगलों में विकसित होती हैं।
प्रश्न 5.
बस्ती किसे कहा जाता है?
उत्तर:
विभिन्न आकार व प्रकार के घरों का संकुल बस्ती कहलाता है।
प्रश्न 6.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ किन प्रदेशों में मिलती हैं?
उत्तर:
मुख्यत: गुजरात के मैदान एवं राजस्थान में।
प्रश्न 7.
भारत के किस राज्य के नगरों में मलिन बस्तियों में रहने वाली जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक है?
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में।
प्रश्न 8.
राजस्थान के दो प्रमुख पर्यटन नगरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- माउण्ट आबू और
- जोधपुर।
प्रश्न 9.
मेगासिटी क्या है?
उत्तर:
एक करोड़ से अधिक जनसंख्या रखने वाला महानगरीय क्षेत्र मेगासिटी कहलाता है।
प्रश्न 10.
गुच्छित बस्तियों की दो विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
- ये बस्तियाँ घरों के एक संहत अथवा संकुलित रूप से निर्मित होती हैं।
- ऐसी बस्तियाँ प्रायः उपजाऊ जलोढ़ मैदानी भागों में मिलती हैं।
प्रश्न 11.
भारत के किन्हीं तीन ऐसे नगरों के नाम बताइये जो किला एवं प्रशासनिक दोनों प्रकार के हैं?
उत्तर:
- दिल्ली
- जयपुर और
- हैदराबाद।
प्रश्न 12.
भारत के तीन महत्वपूर्ण पत्तन नगरों के नाम बताइये ।
उत्तर:
- कांडला (गुजरात में)
- कोच्चि (केरल में) और
- विशाखापट्टनम (तमिलनाडु में)।
प्रश्न 13.
दो प्राचीन नगरों के नाम बताइये।
उत्तर:
- अयोध्या और
- प्रयाग (इलाहाबाद )।
प्रश्न 14.
अंग्रेजों ने पर्वतीय नगरों का विकास क्यों किया था?
उत्तर:
ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थलों एवं प्रशासनिक केन्द्र बनाने के लिए।
प्रश्न 15.
बस्ती की मूल प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
बस्ती की मूल प्रक्रिया में लोगों का समूहन और संसाधन आधार के रूप में क्षेत्र आवंटन सम्मिलित होते हैं।
प्रश्न 16.
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में प्रकार्यात्मक सम्बन्ध का माध्यम क्या होता है?
उत्तर:
परिवहन और संचार तन्त्र ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में प्रकार्यात्मक सम्बन्धों का माध्यम होता है।
प्रश्न 17.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों के लिए उत्तरदायी भौतिक लक्षण कौनसे हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार को मुख्यतः ऊँचाई, भू-भाग की प्रकृति, जलवायु, जल की उपलब्धता आदि भौतिक लक्षण प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 18.
ग्रामीण लोगों की जीवन शैली कैसी होती है?
उत्तर:
ग्रामीण लोगों का मुख्य कार्य कृषि और पशुपालन होता है। यह कम गतिशील होते हैं, इस कारण इनमें सामाजिक सम्बन्ध घनिष्ठ होते हैं।
प्रश्न 19.
पर्यटन नगर किसे कहते हैं? इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐसे नगर जिनमें किए जाने वाले केन्द्रीय कार्यों में पर्यटन कार्य सर्वाधिक प्रभावी होते हैं, पर्यटन नगर कहलाते हैं। जैसे- शिमला।
प्रश्न 20.
पल्ली बस्तियाँ किन क्षेत्रों में पाई जाती हैं?
उत्तर:
पल्ली बस्तियाँ मुख्यतया मध्य और निम्न गंगा के मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में बहुतायत में पाई जाती हैं।
प्रश्न 21.
किन क्षेत्रों में परिक्षिप्त प्रकार की बस्तियाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
भारत में मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में परिक्षिप्त या एकाकी प्रकार की बस्तियाँ पायी जाती हैं।
प्रश्न 22.
भारत के किन क्षेत्रों में गुच्छित बस्तियाँ मिलती हैं?
उत्तर:
भारत में मुख्यत: उपजाऊ जलोढ़ मैदानों, उत्तर- पूर्वी राज्यों, मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र और राजस्थान में गुच्छित बस्तियाँ मिलती हैं।
प्रश्न 23.
पल्ली बस्तियों के स्थानिक नाम बताइए।
उत्तर:
पल्ली बस्तियों को स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाणी आदि नामों से जाना जाता है।
प्रश्न 24.
देश में नगरों का अभ्युदय कब हुआ ?
उत्तर:
भारत में नगरों का अभ्युदय प्रागैतिहासिक काल से माना जाता है।
प्रश्न 25.
देश के प्रमुख तीन नोड नगर कौनसे हैं?
उत्तर:
देश में मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता प्रमुख नोड नगर हैं।
प्रश्न 26.
संवैधानिक नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे नगर जहाँ नगरपालिका, नगर निगम, कंटोनमेंट बोर्ड एवं उच्च क्रम के प्रशासनिक मुख्यालय स्थित होते हैं, संवैधानिक नगर कहलाते हैं।
प्रश्न 27.
कस्बा किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को कस्बा कहा जाता है।
प्रश्न 28.
प्रकार्यात्मक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वह क्षेत्र, जो व्यापार, उद्योग, वाणिज्य, प्रशासन, परिवहन व संचार आदि गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र होता है, प्रकार्यात्मक क्षेत्र कहलाता है।
प्रश्न 29.
दिल्ली के निकट स्थित किन्हीं तीन अनुषंगी नगरों के नाम बताइए।
उत्तर:
दिल्ली के निकट स्थित अनुषंगी नगर रोहतक, गुड़गाँव और गाजियाबाद हैं।
प्रश्न 30.
किन्हीं पाँच मेगा नगरों के नाम बताइए।
उत्तर:
- बृहन मुम्बई
- कोलकाता
- दिल्ली
- चेन्नई और
- बंगलौर।
प्रश्न 31.
औद्योगिक नगरों के कोई चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- सेलम
- जमशेदपुर
- हुगली और
- भिलाई।
प्रश्न 32.
खनन नगर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वे नगर, जो खनिज समृद्ध क्षेत्रों में विकसित हुए हैं, खनन नगर कहलाते हैं, जैसे— रानीगंज, झरिया, अंकलेश्वर आदि।
प्रश्न 33.
औद्योगिक नगर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन नगरों का विकास, वहाँ पर उद्योगों के विकसित होने के कारण हुआ है, औद्योगिक नगर कहलाते हैं। जैसे-मुम्बई, सेलम, जमशेदपुर आदि।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में ग्रामीण बस्तियों को कितने प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
बस्तियों के प्रकार निर्मित क्षेत्र के विस्तार और अन्तर्वास दूरी द्वारा निर्धारित होता है। भारत में ग्रामीण बस्तियों को निम्न चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है –
- गुच्छित बस्तियाँ
- अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ
- पल्लीकृत बस्तियाँ
- परिक्षिप्त बस्तियाँ।
प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए निम्न कारक और दशाएँ उत्तरदायी हैं-
- भौतिक लक्षण – भू-भाग की प्रकृति, ऊँचाई, जलवायु और जल की उपलब्धता ।
- सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक – सामाजिक संरचना, जाति और धर्म ।
- सुरक्षा संबंधी कारक- चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा आदि।
प्रश्न 3.
मानव बस्ती किसे कहते हैं? मानव बस्ती निर्माण का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर:
विभिन्न आकार और प्रकार वाले घरों का समूह, जिनमें मनुष्य रहते हैं, मानव बस्ती कहलाती है। इसके निर्माण के लिए लोग मकानों और अन्य इमारतों का निर्माण करते हैं और अपने आर्थिक भरण-पोषण के लिए कुछ क्षेत्र पर अपना अधिकार रखते हैं। अतः बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से लोगों का समूहन और उनके मूलभूत व अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने वाले संसाधनों के स्थायित्व तथा विकास के लिए पृथक् पृथक् क्षेत्र का आवंटन सम्मिलित होते हैं।
प्रश्न 4.
” ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में पारस्परिक विनिमय प्रक्रिया होती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नगर मुख्यतः आर्थिक विकास के केन्द्रीय स्थल के रूप में कार्य करते हैं। ये अपने निवासियों के साथ- साथ समीप की ग्रामीण बस्तियों को भी भोजन और कच्चे माल के बदले वस्तुएँ और सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। इस प्रकार नगर अपने चारों ओर के क्षेत्रों से परिवहन और संचार के माध्यम से प्रकार्यात्मक रूप में जुड़ा रहता है। ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय कई बार प्रत्यक्ष रूप से और कई बार मण्डी शहरों और नगरों के माध्यम से सम्पन्न होता है।
प्रश्न 5.
” बस्तियाँ आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। ” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बस्तियाँ विभिन्न आकार और प्रकार की होती हैं। आकार के साथ-साथ बस्तियों की पारिस्थितिकी, प्रौद्योगिकी, आर्थिक अभिलक्षण और सामाजिक संरचना भी बदल जाती है। बस्तियाँ छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और गुच्छित रूप में अवस्थित हो सकती हैं। विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियाँ, जो प्राथमिक क्रियाकलापों में संलग्न होती हैं, गाँव कहलाती हैं, जबकि द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत बड़े अधिवास नगरीय बस्तियाँ कहलाती हैं। अतः बस्तियों का परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक हो सकता है।
प्रश्न 6.
प्राचीन नगर तथा किला नगर में अंतर लिखिए।
उत्तर:
भारत में 2000 से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले नगर, जिनका विकास धार्मिक अथवा सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में हुआ था, प्राचीन नगर कहलाते हैं। वाराणसी, प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मदुरई आदि प्राचीन नगर हैं। इसके विपरीत वे नगर जिनका निर्माण मध्यकाल में प्राचीन नगरों के खंडहरों पर मुख्यतः रजवाड़ों और राज्यों के मुख्यालयों के रूप में हुआ, किला नगर कहलाते हैं। ऐसे नगरों में दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा और नागपुर महत्त्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 7.
भारत में परिक्षिप्त (एकाकी) बस्तियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिक्षिप्त बस्तियाँ भारत में परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्तियाँ प्रारूप सुदूर जंगलों में एकाकी झोंपड़ियों अथवा कुछ झोंपड़ियों की पल्ली अथवा छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों के रूप में दिखाई पड़ता है। बस्ती का चरम विक्षेपण प्राय: भू-भाग और निवास योग्य क्षेत्रों के भूमि संसाधन आधार की अत्यधिक विखंडित प्रकृति के कारण होता है। मेघालय, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में बस्ती का यह प्रकार पाया जाता है।
प्रश्न 8.
अर्द्ध-गुच्छित बस्ती किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ बतलाइये।
उत्तर:
अर्द्ध गुच्छित बस्ती परिक्षिप्त बस्ती के किसी सीमित क्षेत्र में गुच्छित होने की प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप विकसित होने वाली बस्ती अर्द्ध-गुच्छित बस्ती कहलाती है ।
विशेषताएँ –
- अधिकतर ऐसा प्रारूप किसी बड़े संहत गाँव के संपृथकन अथवा विखंडन के परिणामस्वरूप भी उत्पन्न हो सकता है।
- ऐसी बस्तियों में ग्रामीण समाज के एक अथवा अधिक वर्ग स्वेच्छा से अथवा बलपूर्वक मुख्य गुच्छ अथवा गाँव से थोड़ी दूरी पर रहने लगते हैं।
- आमतौर पर जमींदार और अन्य प्रमुख समुदाय मुख्य गाँव के केंद्रीय भाग पर आधिपत्य कर लेते हैं जबकि समाज के निचले तबके के लोग और निम्न कार्यों में संलग्न लोग गाँव के बाहरी हिस्सों में बसते हैं।
- ऐसी बस्तियाँ गुजरात के मैदान और राजस्थान के कुछ भागों में व्यापक रूप से पाई जाती हैं।
प्रश्न 9.
उत्तरी-पूर्वी भारत में घरों की रूपरेखा या प्रारूप किस प्रकार का पाया जाता है?
उत्तर:
निवास की मूलभूत इकाई घर होते हैं, जो लोगों के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को परिलक्षित करते हैं। घर की रूपरेखा या प्रारूप पर मुख्यतः जलवायु, प्रयोग, भवन निर्माण सामग्री, सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्य आदि प्रभाव डालते हैं। उत्तर-पूर्वी भारत में जलवायु बहुत शीत- आर्द्र हैं, जिस कारण यहाँ घरों में खुला आँगन नहीं होता। यहाँ मकानों को बढ़ाकर बरसाती बना दी जाती है, जिससे वर्षा से बचाव हो सके। इसके अतिरिक्त वर्षा के पानी के शीघ्र बहाव हेतु ढलवांकार छतें बनाई जाती हैं।
प्रश्न 10.
बीसवीं शताब्दी में भारत में हुए नगरीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में नगरीकरण के स्तर का मापन किया जाता है। 1991 में भारत में नगरीय जनसंख्या 25.71 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़कर 31.16 प्रतिशत हो गई। अतः 20वीं शताब्दी में नगरीय जनसंख्या में 11 गुना वृद्धि हुई है। इस तीव्र वृद्धि का प्रमुख कारण नगरीय केन्द्रों की ओर जनसंख्या का प्रवास है। इसके अतिरिक्त नगरीय केन्द्रों का विस्तार तथा नए नगरों के आविर्भाव ने भी नगरीय जनसंख्या में वृद्धि और नगरीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रश्न 11.
परिवहन नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक नगर का कोई न कोई प्रमुख कार्य होता है जिसमें वह नगर विशेषीकृत होता है जो नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों में संलग्न रहते हैं, परिवहन नगर कहलाते हैं। जैसे- कांडला, कोच्चि, विशाखापट्टनम आदि। इसके अतिरिक्त कुछ परिवहन नगर आन्तरिक परिवहन केन्द्र में भी विकसित होते हैं, जैसे- मुगलसराय, धुलिया, कटनी इत्यादि ।
प्रश्न 12.
स्मार्ट सिटी मिशन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य शहरों को बढ़ावा देना है जो आधारभूत सुविधा, साफ तथा सतत पर्यावरण और अपने नागरिकों को बेहतर जीवन प्रदान करते हैं। स्मार्ट शहरों की एक विशेषता आधारभूत सुविधाओं और सेवाओं के लिए स्मार्ट समाधानों को लागू करना है। जिससे क्षेत्रों को प्राकृतिक आपदाओं के कम जोखिम वाले क्षेत्रों के रूप में बनाया जा सके, साथ ही साथ कम संसाधनों का उपयोग तथा सस्ती सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें। इस योजना में सतत तथा समग्र विकास पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य एक ऐसे सघन क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करना है जो एक मॉडल के रूप में अन्य बढ़ते हुए शहरों के लिए लाइट हाऊस का काम करे।
प्रश्न 13.
निम्न को सुमेलित कीजिए-
नगरों के प्रकार | नगर |
1. प्रशासनिक नगर | भिलाई |
2. औद्योगिक नगर | चंडीगढ़ |
3. शैक्षिक नगर | शिमला |
4. पर्यटन नगर | रुड़की |
उत्तर:
नगरों के प्रकार | नगर |
1. प्रशासनिक नगर | चंडीगढ़ |
2. औद्योगिक नगर | भिलाई |
3. शैक्षिक नगर | रुड़की |
4. पर्यटन नगर | शिमला |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में अन्तर स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में अन्तर ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में निम्नलिखित आधारभूत अन्तर पाए जाते हैं –
(1) विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियाँ, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता रखती हैं, ग्रामीण बस्तियाँ कहलाती हैं, जबकि द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत बड़े अधिवासों को नगरीय बस्तियाँ कहा जाता है।
(2) ग्रामीण बस्तियों में रहने वाली जनसंख्या अपनी आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि पर आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं द्वारा करती है, जबकि नगरीय बस्तियों में लोग विविध प्रकार के काम-धन्धों में लगे रहते हैं। इन कार्यों में कच्चे माल का प्रक्रमण, तैयार माल का विनिर्माण और अनेक प्रकार की सेवाएँ शामिल हैं।
(3) नगर आर्थिक वृद्धि के केन्द्रीय स्थल के रूप में कार्य करते हैं; इस कारण यह अपने निवासियों के साथ- साथ पश्च भूमि की ग्रामीण बस्तियों को भी अनेक वस्तुएँ. व सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं जबकि ग्रामीण बस्तियाँ इन सेवाओं के बदले में नगरों को कच्चा माल और खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराती हैं।
(4) ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की जीवन शैली, व्यवहार और दृष्टिकोण में भी अन्तर होता है। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं, जिस कारण इनके सामाजिक सम्बन्धों में घनिष्ठता पायी जाती है जबकि नगरीय बस्तियों में जीवन बड़ा ही जटिल और तीव्र होता है, जिस कारण सामाजिक सम्बन्ध मात्र औपचारिक होते हैं।
(5) ग्रामीण बस्तियों में विस्तृत क्षेत्र की उपस्थिति के कारण स्वास्थ्यकर जलवायु पाई जाती है, जबकि नगरीय बस्तियों में निर्वाह आधार के रूप में खुले क्षेत्र की कमी होती है। यहाँ घर और गलियाँ पास-पास बनी रहती हैं। जिससे गंदगी व प्रदूषण के कारण स्वास्थ्यकर जलवायु का अभाव होता है।
प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को प्रभावित करने वाले कारक भारत में ग्रामीण बस्तियों के आकार, प्रकार आदि में स्पष्ट विभिन्नता पाई जाती है; जिनके लिए अनेक कारक और दशाएँ उत्तरदायी होती हैं। ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को मुख्यतया निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं –
1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार भौतिक कारकों से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।
भौतिक कारकों में उच्चावच, अपवाह तन्त्र, जल की उपलब्धता, भू-भाग की प्रकृति, जलवायु आदि महत्त्वपूर्ण होते हैं। इनके कारण ही बस्तियाँ विरल रूप से सघन व संहत रूप में पाई जाती हैं। असमान धरातल व निवास योग्य भूमि के विखण्डित स्वरूप में उपलब्धता के कारण ही पहाड़ी क्षेत्रों में ढालों पर एकाकी बस्तियाँ पाई जाती हैं। इसी प्रकार राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में जल के अभाव के कारण उपलब्ध जल संसाधनों के पास संहत प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं।
2. सांस्कृतिक एवं मानवजातीय कारक-इन कारकों में जनजातियाँ, सम्प्रदाय, जाति, वर्ग, धर्म, सामाजिक संरचना आदि बस्तियों के अभिविन्यास को प्रभावित करते हैं। इन्हीं कारकों के कारण गुजरात के मैदान व राजस्थान जैसे क्षेत्रों में अर्द्ध-गुच्छित या विखण्डित प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं। सांस्कृतिक कारकों के प्रभाव के कारण ही आमतौर पर जमींदार और अन्य प्रमुख सम्प्रदाय के लोगों के मकान गाँव के केन्द्रीय भाग में जबकि निम्न आय वर्ग व समाज के निचले तबके के लोग, जो निम्न कार्यों में संलग्न होते हैं, के निवास स्थल गाँव के बाहरी भाग में होते हैं।
3. सुरक्षा सम्बन्धी कारक-सुरक्षा व प्रतिरक्षा भी बस्तियों के अभिविन्यास को प्रभावित करते हैं। जंगली जानवर, गैर-सामाजिक संगठन जैसे― चोर, लुटेरे आदि से बचाव हेतु प्रायः संहत प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं। जैसे नागालैण्ड के जंगलों में नरभक्षी जनजातियों से बचाव हेतु ही अन्य जातियाँ गुच्छित या संहत रूप में बस्तियाँ बनाकर रहती हैं।
प्रश्न 3.
भारत में नगरों के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में नगरों का विकास भारत में नगरों का अभ्युदय प्रागैतिहासिक काल से ही माना जाता है। यहाँ सिन्धु घाटी सभ्यता के युग में भी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगर अस्तित्व में थे। विभिन्न युगों में नगरों के हुए विकास के आधार पर भारतीय नगरों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
1. प्राचीन नगर भारत में 2000 से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले अनेक नगर हैं, जिनमें से अधिकांश का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में हुआ है। भारत में वाराणसी सबसे प्राचीन नगर माना जाता है। इसके अतिरिक्त प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मदुरई आदि अन्य महत्त्वपूर्ण प्राचीन नगर हैं।
2. मध्यकालीन नगर- इन नगरों का विकास मध्य काल में रजवाड़ों और राज्यों के मुख्यालयों के रूप में हुआ था। ये मुख्यतः किला नगर हैं, जिनका निर्माण प्राचीन नगरों के खण्डहरों पर हुआ है। दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ, आगरा, नागपुर आदि महत्त्वपूर्ण किला नगर हैं, जिनका निर्माण मध्यकाल में हुआ था।
3. आधुनिक नगर- अंग्रेजों और यूरोपियनों ने भारत में अनेक नगरों का विकास किया। इन्होंने व्यापार के उद्देश्य से सर्वप्रथम सूरत, दमन, गोआ, पांडिचेरी जैसे व्यापारिक पत्तन नगर विकसित किए। इसके बाद तीन प्रमुख महानगरों मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता को अंग्रेजी शैली में विकसित किया। इसके साथ ही इन्होंने अपने प्रभाव को बढ़ाने हेतु अपने प्रशासनिक केन्द्र व ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थलों के रूप में पर्वतीय नगरों का विकास किया और अपने सिविल, प्रशासनिक और सभी सैन्य क्षेत्रों से इनको जोड़ा।
1850 के बाद तथा स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् चण्डीगढ़, भुवनेश्वर, गाँधीनगर, दिसपुर जैसे प्रशासनिक नगर के साथ दुर्गापुर, भिलाई, सिंदरी, बरौनी आदि औद्योगिक नगरों का भी विकास हुआ। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते निवेश के कारण भी देश में कई प्रकार के मध्यम और छोटे नगरों का भी विकास हुआ है। इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत में प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक अनेक प्रकार के नगरों का विकास हुआ है, जिसमें प्राचीन राजा-महाराजाओं, अंग्रेजों से लेकर स्थानीय प्रशासन का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है।
प्रश्न 4.
जनसंख्या के आधार पर भारत के नगरों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः संहत और विशाल आकार की बस्तियाँ, जो अकृषि, आर्थिक और प्रशासनिक कार्यों में संलग्न होती हैं, नगरीय बस्तियाँ कहलाती हैं। भारत में जनगणना विभाग ने नगरों को छ: वर्गों में वर्गीकृत किया है –
- I वर्ग – 1 लाख और इससे अधिक जनसंख्या वाले नगरों को इसमें शामिल किया गया है। भारत में इनकी संख्या वर्ष 2011 की गणना के अनुसार 468 है, जिनमें देश की लगभग 60.45 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
- II वर्ग – 50,000 से 99,999 तक की जनसंख्या वाले नगरों को इस वर्ग में सम्मिलित किया गया है। देश में इनकी कुल संख्या 474 है, जिनमें कुल नगरीय जनसंख्या का 10.96 प्रतिशत निवास करता है।
- III वर्ग – इस वर्ग में 20,000 से 49,999 तक की जनसंख्या वाले 1,373 नगरों को शामिल किया गया है। इस वर्ग के नगरों में 15.43 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या निवास करती है।
- IV वर्ग – 10,000 से 19,999 तक की जनसंख्या वाले 1683 नगर इस वर्ग में आते हैं। इन नगरों में कुल नगरीय जनसंख्या का लगभग 8.45 प्रतिशत पाया जाता है।
- V वर्ग – इस वर्ग में 5,000 से 9,999 तक की जनसंख्या वाले नगर शामिल किये गये हैं। इन नगरों की संख्या 1749 है, जिनमें लगभग 4.21 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या पाई जाती है।
- VI वर्ग – इस वर्ग में 5,000 से कम जनसंख्या वाले नगरों को शामिल किया गया है। इस वर्ग में 424 नगरों को शामिल किया गया है, जिनमें लगभग 0.51 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या पाई जाती है। वास्तव में, ये बहुत छोटे नगर हैं, जो एक प्रकार से नगर से संलग्न गाँव हैं। इनमें आधुनिक सुख-सुविधाओं का अभाव है तथा मुख्य कार्य कृषि से सम्बन्धित है।
इन छ: वर्गों के अतिरिक्त नगरों के अन्य स्वरूप भी पाए जाते हैं। एक लाख से अधिक नगरीय जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर अथवा प्रथम वर्ग का नगर कहा जाता है, जबकि 10 लाख से 50 लाख की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को मेगा नगर कहा जाता है। अनेक महानगर और मेगानगर नगरीय संकुल कहलाते हैं। प्रथम वर्ग के 468 नगरों में से 53 नगरीय संकुल महानगर, जबकि छः मेगा नगर हैं। इन मेगा नगरों में 21 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या पायी जाती है। बृहन् मुम्बई सबसे बड़ा नगरीय संकुल है जहाँ 1 करोड़ 84 लाख की जनसंख्या पाई जाती है। कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर और हैदराबाद देश के अन्य मेगा नगर हैं।
प्रश्न 5.
नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण प्रस्तुत. कीजिए।
उत्तर:
अपनी केन्द्रीय भूमिका के साथ-साथ अनेक नगर विशेष प्रकार के कार्य व सेवाओं का निष्पादन भी करते हैं। अतः नगरों में अनेक प्रकार के व्यवसाय पाए जाते हैं। अतः कुछ नगरों को कुछ निश्चित कार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती है और उन्हें इनकी विशिष्ट क्रिया सेवा या उत्पाद के लिए जाना जाता है। फिर भी प्रत्येक शहर अनेक प्रकार्य करता है।
प्रमुख अथवा विशेषीकृत प्रकार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है –
1. प्रशासनिक नगर- इन नगरों का मुख्य कार्य जन- कल्याण व प्रशासन से सम्बन्धित होता है। देश की और राज्य की राजधानियों के साथ जिला मुख्यालयों को इस वर्ग में शामिल किया जाता है। चण्डीगढ़, नई दिल्ली, जयपुर, श्रीनगर, भोपाल, गुवाहटी आदि प्रमुख प्रशासनिक नगर हैं।
2. औद्योगिक नगर- इन नगरों की स्थापना का मुख्य आधार उद्योग होता है। मुम्बई, सेलम, जमशेदपुर, हुगली, भिलाई आदि औद्योगिक नगर हैं, जिनका विकास सूती- वस्त्र उद्योग, लौह-इस्पात उद्योग आदि के यहाँ विकसित होने के उपरान्त ही हुआ है।
3. परिवहन नगर – यह नगर मुख्यत: आयात और निर्यात की गतिविधियों के प्रमुख केन्द्र होते हैं। कांडला, कोच्चि, विशाखापट्टनम् जैसे पत्तन नगरों को इसमें शामिल करते हैं। इसके अतिरिक्त आगरा, धुलिया, मुगलराय, कटनी जैसे आन्तरिक परिवहन के केन्द्र वाले नगरों को भी इस वर्ग में सम्मिलित किया जाता है।
4. वाणिज्यिक नगर- व्यापार और वाणिज्य के आधार पर विकसित नगरों को वाणिज्यिक नगर कहा जाता है। कोलकत्ता, सतना, सहारनपुर आदि वाणिज्यिक नगरों के उदाहरण हैं।
5. खनन नगर- खनिज समृद्ध क्षेत्रों में विकसित नगर खनन नगर कहलाते हैं, जैसे-रानीगंज, झरिया, डिगबोई, अंकलेश्वर, बोकारो, खेतड़ी, सिंगरौली आदि।
6. गैरिसन नगर- इन नगरों का विकास सैनिक छावनियों के रूप में हुआ है। भारत में महू, उधमपुर, अंबाला, जालंधर, मानेसर आदि गैरिसन नगर के रूप में विकसित नगर हैं।
7. धार्मिक और सांस्कृतिक नगर भारत में प्राचीन काल से ही अनेक नगरों का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में हुआ है। देश में मथुरा, वाराणसी, अजमेर, पुष्कर, पुरी, मदुरई, तिरुपति, हरिद्वार, उज्जैन आदि नगर अपने धार्मिक या सांस्कृतिक महत्त्व के कारण प्रसिद्ध हैं।
8. शैक्षिक नगर – रुड़की, अलीगढ़, पिलानी आदि नगर, जिनका विकास केवल शैक्षिक क्रियाकलाप व गतिविधियों के कारण हुआ है, को शैक्षिक नगरों की श्रेणी में रखा जाता है।
9. पर्यटन नगर – भारत में नैनीताल, मंसूरी, शिमला, पंचमढ़ी, जोधपुर, उडगमंडलम (ऊटी), माउण्ट आबू आदि कुछ पर्यटन स्थल हैं, जिनका विकास मात्र पर्यटन के उद्देश्य से हुआ है, परन्तु वर्तमान
में ये नगर अन्य कार्यों में भी संलग्न हैं।