Well-organized Geography Class 12 Notes in Hindi and Class 12 Geography Chapter 3 Notes in Hindi मानव विकास can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 12 Chapter 3 Notes in Hindi मानव विकास
→ मानव विकास:
मानव विकास, स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तिकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है। विकास एक स्वतंत्रता है, जिसका सम्बन्ध प्रायः आधुनिकीकरण, अवकाश, सुविधा और समृद्धि से जुड़ा माना जाता है, परन्तु वर्तमान सन्दर्भ में पश्चिम अथवा यूरोप केन्द्रित विचारधारा को विकास का प्रतीक माना जाता है। परन्तु भारत में विकास का दूसरा चेहरा दृष्टिगत होता है। भारत के लिए विकास अवसरों के साथ-साथ उपेक्षाओं और वंचनाओं का मिला-जुला स्वरूप है।
यहाँ महानगरीय केन्द्रों और अन्य विकसित आन्तरिक क्षेत्रों में तो आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं परन्तु विशाल ग्रामीण क्षेत्र और नगरीय प्रदेशों की कच्ची व गंदी बस्तियों में पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव है। ‘इसी प्रकार विकास के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय प्रदूषण (वायु, मृदा, जल और ध्वनि प्रदूषण) वर्तमान में समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बन गए हैं। इस आधार पर वर्तमान विकास सामाजिक वितरक अन्यायों, जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास में गिरावट, पारिस्थितिकी संकट और सामाजिक अशांति का कारण माना जा रहा है।
→ भारत में मानव विकास:
विकास के सन्दर्भ में सर्वप्रथम 1990 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रथम मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन किया गया। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 2018 में प्रकाशित मानव विकास सूचकांक में विश्व के 189 देशों में भारत का 130वाँ स्थान है। इस प्रकार HDI के संयुक्त मूल्य 0.640 के साथ भारत मध्यम मानव विकास दर्शाने वाले देशों की श्रेणी में आता है। यू. एन. डी. पी. द्वारा चुने गए सूचकों के आधार पर भारत के योजना आयोग ने भी भारत के राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई मानकर एक मानव विकास रिपोर्ट तैयार की है।
भारत के योजना आयोग ने अन्तिम मानव विकास सूचकांक का परिकलन निम्न सूचकों के आधार पर किया है –
(i) आर्थिक उपलब्धियों के सूचक किसी भी प्रदेश के समृद्ध संसाधन और इन संसाधनों तक सभी वर्ग के व्यक्तियों की पहुँच उत्पादकता, कल्याण और विकास की कुंजी होती है। आर्थिक उपलब्धियों के सूचक के रूप में सकल घरेलू उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति आय को देखा जाता है।
आन्ध्रप्रदेश, दिल्ली, गोआ, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब, सिक्किम, पुदुच्चेरी आदि में 10 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे है जबकि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, मणिपुर, ओडिशा तथा दादर व नगर हवेली में 30 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है। यह भिन्नता देश में गरीबी, बेरोजगारी और अपूर्ण रोजगार जैसी आर्थिक समस्याओं को दर्शाती है।
(ii) स्वस्थ जीवन के सूचक सामान्यतः रोग और पीड़ा से मुक्त जीवन और आदर्श दीर्घायु एक स्वस्थ जीवन के सूचक हैं। पर्याप्त पोषण, वृद्धों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ, शिशु मृत्यु और माताओं में प्रजननोत्तर मृत्यु दर को घटाने के उद्देश्य से पूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता आदि स्वास्थ्य सूचकों में सुधार के कारण भारत में मृत्यु दर 6.5 प्रति हजार व्यक्ति, शिशु मृत्यु दर 37 प्रति हजार जन्म दर 20.8 है। महिलाओं एवं पुरुषों में जीवन प्रत्याशा भी काफी बढ़ी है। इसके विपरीत 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों का लिंगानुपात प्रति हजार बालकों पर 850 बालिकाओं से भी कम है जो एक चिन्ताजनक स्थिति है।
(ii) सामाजिक सशक्तीकरण के सूचक मानव विकास अज्ञानता, दासता, भूख, गरीबी, निरक्षरता और किसी भी अन्य प्रकार की प्रबलता से मुक्ति है और इस मुक्ति का मूल आधार साक्षरता है।
→ भारत में मानव विकास सूचकांक:
यू. एन. डी. पी. मानव विकास रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत 0.640 मूल्य के साथ मध्यम मानव विकास दर्शाने वाले देशों की श्रेणी में आता है। ऊपर दिये गये महत्त्वपूर्ण सूचकों के आधार पर भारत के योजना आयोग ने राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई मान मानव विकास सूचकांक प्रदर्शित किया।
योजना आयोग की इस रिपोर्ट में 0.790 के संयुक्त सूचकांक मूल्य के साथ केरल सर्वोच्च स्थान पर जबकि 0.358 सूचकांक मूल्य के साथ छत्तीसगढ़ सबसे नीचे है। मानव विकास सूचकांक को शैक्षिक उपलब्धियों के साथ आर्थिक विकास भी प्रभावित करता है। इस कारण शैक्षणिक व आर्थिक दृष्टि से विकसित केरल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गोआ, पंजाब जैसे राज्यों का मानव विकास सूचकांक मूल्य बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से उच्च है।
→ जनसंख्या, पर्यावरण और विकास:
विकास से मानव जीवन की गुणवत्ता में अनेक प्रकार से सुधार हुआ है परन्तु इससे प्रादेशिक विषमताएँ, सामाजिक असमानताएँ, भेदभाव, लोगों का विस्थापन, मानव अधिकारों पर आघात और मानवीय मूल्यों के विनाश के साथ पर्यावरणीय निम्नीकरण भी बढ़ा है। इस आधार पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपनी 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे लोगों की प्रतिभागिता और उनकी सुरक्षा को रखा। भारतीय संस्कृति और सभ्यता प्राचीन काल से ही जनसंख्या, संसाधन और विकास के प्रति संवेदनशील रही है।
विकास के किसी भी क्रियाकलाप के समक्ष मुख्य कार्य जनसंख्या और संसाधनों के मध्य समानता बनाए रखना है। इस आधार पर गांधीजी ने भी प्रारम्भ से ही दोनों के बीच संतुलन और समरसता बनाये रखने का समर्थन किया। गांधी के विचार में व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी होती है।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- प्रदेश = वह भू-भाग जिसमें भौगोलिक दशाओं की समानता तथा विकास सम्बन्धित समस्याओं की समरूपता हो।
- लिंगानुपात = प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या का अनुपात।
- जीवन प्रत्याशा = जीवित रहने की सम्भावना का समय।
- HDI = मानव विकास सूचकांक (Human Development Index)