Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 5 ज्योतिबा फुले to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 5 ज्योतिबा फुले
Class 11 Hindi Chapter 5 Question Answer Antra ज्योतिबा फुले
प्रश्न 1.
ज्योतिबा फुले का नाम समाज-सुधारकों की सूची में शुमार क्यों नहीं किया गया? तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर :
भारत के सामाजिक विकास और बदलाव के आंदोलन में पाँच समाज-सुधारकों का नाम लिया जाता है। इनमें ज्योतिबा फुले का नाम शामिल नहीं है। इसका कारण यह है कि इस सूची को बनाने वाले उच्च वर्ण के प्रतिनिधि हैं। ज्योतिबा फुले ने सदैव उनका विरोध किया। वे ब्राह्मण वर्चस्व तथा सामाजिक मूल्यों को कायम रखने वाली तत्कालीन शिक्षा और सुधार के समर्थक नहीं थे। उन्होंने पूँजीवादी तथा पुरोहितवादी मानसिकता पर हमला किया था। इस कारण ज्योतिबा फुले का नाम समाज-सुधारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया।
प्रश्न 2.
शोषण-व्यवस्था ने क्या-क्या षड्यंत्र रचे और क्यों?
उत्तर :
शोषण-व्यवस्था ने ज्योतिबा फुले व उनकी पत्नी के खिलाफ़ निम्नलिखित षड्यंत्र रचे :
(क) शोषण-व्यवस्था ने ज्योतिबा फुले तथा उनकी पत्नी सावित्री बाई के स्त्री-शिक्षा के प्रयासों के मार्ग में व्यवधान एवं अड़चनें उत्पन्न कीं।
(ख) उन पर तरह-तरह के लांछन लगाए गए, जिससे उनके परिवार वालों ने उन्हें परिवार से बहिष्कृत कर दिया।
(ग) शोषण-व्यवस्था के समर्थक उन्हें गालियाँ देते, थूकते, पत्थर मारते तथा गोबर उछालते थे। शोषण-व्यवस्था ऐसा इसलिए करती थी, जिससे कि समाज के दलित-शोषित वर्ग जागरूक न बन पाएँ। फलस्वरूप शोषण-व्यवस्था के समर्थकों का वर्चस्व बना रहे और वे शोषण करते रहें।
प्रश्न 3.
ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार क्या आपके विचारों के आदर्श परिवार से मेल खाता है? इसके पक्ष-विपक्ष में अपने उत्तर दीजिए।
उत्तर :
आदर्श परिवार के बारे में ज्योतिबा फुले की अवधारणा निम्नलिखित थी :
“जिस परिवार में पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वह परिवार एक आदर्श परिवार है।” इस आदर्श परिवार के संबंध में हमारे विचार इस प्रकार हैं :
पक्ष में-जिस परिवार में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग़ रहेंगे, वहाँ धर्म के नाम पर मानसिक संकीर्णता नहीं होगी। हर धर्म की अच्छी बातें एक साथ मिल जाएँगी। ऐसे परिवार समाज को नई राह दिखा सकते हैं।
विपक्ष में-इस तरह के परिवार की संकल्पना केवल कल्पना है। यह आदर्शवादी विचार है। व्यावहारिक धरातल पर यह संभव नहीं है, क्योंकि परिवार में बंधन तभी स्थायी होते हैं, जब वहाँ एक ही विचारधारा हो। अलग-अलग विचारों वाले परिवार बिखर जाते हैं।
प्रश्न 4.
स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा फुले के अनुसार क्या-क्या होना चाहिए?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले के अनुसार स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए निम्नलिखित कार्य होने चाहिए :
(क) स्त्रियों और पुरुषों के लिए समान नियम होने चाहिए।
(ख) विवाह-विधि में स्त्री-पुरुष के लिए समान मंत्र होने चाहिए। विवाह-विधि से पुरुष-प्रधान संस्कृति के समर्थक और स्त्री की गुलामगीरी सिद्ध करने वाले मंत्र निकाल दिए जाने चाहिए।
(ग) स्त्रियों को अधिकार तथा स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
(घ) स्त्रियों की शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए, ताकि वे अपनी स्वतंत्रता एवं अधिकारों के प्रति सजग बन सकें।
प्रश्न 5.
सावित्री बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किस प्रकार आए? क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर :
सावित्री बाई के जीवन में निम्नलिखित क्रांतिकारी परिवर्तन आए :
(क) ईसाई मिशनरी में लाट साहब की बातें सुनीं और उनसे सहमत हो गई।
(ख) ईसाई मिशनरी द्वारा दी गई पुस्तक के बारे मे सतत जिज्ञासु बनी रही।
(ग) शादी के बाद ज्योतिबा ने सावित्री बाई को मराठी तथा अंग्रेज़ी लिखना-पढ़ना व बोलना भी सिखाया।
(घ) ज्योतिबा फुले से विवाह करने के बाद ईसाई मिशनरी द्वारा दी गई वह पुस्तक साथ लेकर आईं।
(ङ) अपने पति के साथ मिलकर 14 जनवरी, 1848 को पुणे के बुधवार पेठ निवासी भिड़े के बाड़े में पहली कन्या पाठशाला की स्थापना की।
(च) शोषक वर्ग द्वारा उत्पन्न रुकावटों एव लांछनों की परवाह किए बिना लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ती गईं।
प्रश्न 6.
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर आप समाज में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर हम समाज में निम्नलिखित परिवर्तन करना चाहेंगे :
(क) समाज में दलितों को शिक्षित करने का कार्य करेंगे।
(ख) स्त्री-शिक्षा के लिए विद्यालय आदि स्थापित करेंगे।
(ग) नारी के अधिकारों के लिए प्रचार माध्यमों का सहारा लेंगे।
(घ) समाज में दलित-शोषित लोगों के लिए यथासंभव आवश्यक सुविधाएँ उपलब्थ कराएँगे।
प्रश्न 7.
उनका दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है?
उत्तर :
आज के समय में प्रबुद्ध वर्ग के प्रतिष्ठित दंपती प्रतिस्पर्धा के कारण एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं तथा एक-दूसरे की जड़ें खोदने का कार्य करते हैं। ऐसे लोगों के लिए ज्योतिबा फुले का दांपत्य जीवन प्रेरणा देता है कि पति-पत्नी को साथ मिलकर काम करना चाहिए। इस तरह कार्य में सफलता मिलती है। दोनों को एक-दूसरे के प्रति तथा अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होना चाहिए।
प्रश्न 8.
फुले दंपती ने स्त्री समानता के लिए जो काम किया, क्या उसी का अगला चरण ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम है?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले एक अतुलनीय समाज-सुधारक थे। उन्होंने सामाजिक विकास और बदलाव का आंदोलन छेड़ा। इसमें उनकी सहधर्मिणी सावित्री बाई ने उनका बराबर साथ दिया। महात्मा फुले ने ब्राह्मण वर्चस्व और सामाजिक मूल्यों को कायम रखनेवाली शिक्षा और सुधार का विरोध किया। उन्होंने पूँजीवादी और पुरोहितवादी मानसिकता का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्ण, जाति और वर्ग-व्यवस्था में निहित शोषण-प्रक्रिया एक-दूसरे की पूरक है। राजसत्ता और ब्राह्मण आधिपत्य के तहत धर्मवादी सत्ता आपस में साँठ-गाँठकर इस सामाजिक व्यवस्था और मशीनरी का दुरुपयोग करते हैं।
उन्होंने शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों और स्त्रियों को खड़ा किया। उन्होंने स्त्री समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए नई विवाह विधि तथा नए मंगलाष्टक (विवाह के अवसर पर पढ़े जानेवाले मंत्र) तैयार किए। उन्होंने स्त्री के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए हर संभव प्रयत्न किए। उन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए अनुकरणीय कार्य किया। उन्होंने सर्वप्रथम अपनी पत्नी सावित्री बाई को शिक्षित किया, फिर इस दंपती ने इस क्षेत्र में पचास वर्षों तक अथक कार्य किया। इस कार्य में इस दंपती को अनेक व्यवधानों, अड़चनों, लांछनों और बहिष्कारों का सामना करना पड़ा।
फुले दंपती ने स्त्री समानता के लिए जो काम किया, उसी का अगला चरण ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम कुछ अंशों में है। क्योंकि इस कार्यक्रम में, देश के उन राज्यों में जहाँ लड़कियों की संख्या कम हो रही है, लड़कियों की जनसंख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही उन राज्यों में बेहतर समाज के निर्माण के लिए लड़कियों के पठन-पाठन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जबकि फुले दंपती ने अपने काल में स्त्री शिक्षा, स्त्री समानता आदि को बढ़ावा दिया था, मगर स्त्री जनसंख्या वृद्धि पर जोर नहीं दिया था। शायद उस काल में स्त्री की कम जनसंख्या की समस्या ही न हो। यह आधुनिक काल की समस्या है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) सच का सवेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण) शरमा गए।
(ख) इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों के अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
उत्तर :
(क) ब्राह्मणों ने आरोप लगाया था कि ज्योतिबा के प्रयासों से विद्या शूद्रों के घर चली गई। ज्योतिबा ने उन्हें कराराज़वाब दिया कि ब्राह्मणों के तमाम प्रयासों के बावजूद शूद्र शिक्षित हो गए और पाखंड नष्ट हो गए। इसके अलावा वेदों को अपने तक सीमित रखने की उनकी कुचाल सभी के सामने आ गई।
(ख) यहाँ लेखिका ने स्त्रियों की दशा सुधारने की बात कही है। ज्योतिबा ने समाज की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ़ आंदोलन चलाने की बात कही है। दलितों को इनके खिलाफ़ संघर्ष करना चाहिए। स्त्रियों की खराब दशा के लिए भी ये लोग ज़िम्मेदार हैं। अत: दलित समाज और स्त्रियों को ब्राह्मणवाद-विरोधी आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित गद्यांशों की प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए :
(क) स्वतंत्रता का अनुभव …….. हर स्त्री की थी।
(ख) मुझे ‘महात्मा’ कहकर ………. अलग न करें।
उत्तर :
(क) सप्रसंग व्याख्या का गद्यांश 3 देखिए।
(ख) प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंतरा, भाग-1 में संकलित पाठ ज्योतिबा फुले से अवतरित है। इसकी लेखिका सुधा अरोड़ा हैं।
जब ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि से विभूषित किया गया, तो उन्होंने अत्यंत विनम्रतापूर्वक जो कहा उसी का वर्णन इस गद्यांश में है।
व्याख्या – ज्योतिबा फुले को 1888 ई० में ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वे महात्मा नहीं बनना चाहते। उन्हें लगता है कि किसी भी व्यक्ति को महात्मा बनाकर उसे जीवन-संघर्ष की सक्रिय भूमिका से अलग कर दिया जाता है। वे आम आदमी बनकर अपना संघर्ष जारी रखना चाहते हैं। उन्हें कोई उपाधि नहीं चाहिए। वे जनजीवन से जुड़े रहना चाहते हैं। उपाधि मिलने पर वे समाज से अलग हो जाएँगे।
विशेष :
(i) इस गद्यांश में ज्योतिबा के मानवीय मूल्यों, महानता तथा विनम्रता का उल्लेख किया गया है।
(ii) ज्योतिबा फुले समाज-सुधार के कार्यों में सक्रिय भूमिका हमेशा निभाते रहना चाहते हैं।
(iii) भाषा प्रवाहमयी खड़ी बोली है।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के कुछ सामाजिक कार्यकरताओं से बातच्चीत कर उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
क्या आज भी समाज में स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव किया जाता है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
यह कार्य कक्षा में करें।
प्रश्न 3.
सावित्री बाई और महात्मा फुले ने समाज-हित के जो काम किए, उनकी सूची बनाइए।
उत्तर :
सावित्री बाई और महात्मा फुले द्वारा समाज-हित के लिए किए गए प्रमुख कार्य थे :
(क) मिशनरी महिलाओं की तरह किसानों तथा अछूतों में शिक्षा के प्रति चेतना फैलाना।
(ख) लड़कियों के लिए विद्यालय खोलना।
(ग) बालहत्या प्रतिबंधक गृह में अनाथ बच्चों और विधवाओं के लिए दरवाज़े खोल देना और उनके नवजात बच्चों की देखभाल करना।
(घ) विवाह-विधि में परिवर्तन करके ‘मंगलाष्टक’ की रचना करना।
(ङ) महार, चमार तथा मांग जाति के लोगों की एक घूँट पानी पीकर प्यास बुझाने की तकलीफ़ देखकर अपने घर के पानी की हौद सभी जातियों के लिए खोल देना।
(च) दलित समाज को पूँजीवाद और ब्राह्मणवाद से मुक्ति दिलाने का प्रयास करना।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 5 ज्योतिबा फुले
विषयवस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
आधुनिक शिक्षा के बारे में फुले के विचार बताइए।
उत्तर :
आधुनिक शिक्षा के बारे में फुले कहते हैं कि यदि आधुनिक शिक्षा का लाभ सिर्फ़ उच्च वर्ग को ही मिलता है, तो उसमें शूद्रों का क्या स्थान रहेगा? गरीबों से कर जमा करना और उसे उच्चवर्गीय लोगों के बच्चों की शिक्षा पर खर्च करना-किसे चाहिए, ऐसी शिक्षा? उनका विचार था कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जिससे समाज के सभी वर्गों और स्त्रियों-पुरुषों का एक समान सर्वांगीण विकास हो।
प्रश्न 2.
‘शेतकरयांचा आसूड’ ग्रंथ में फुले ने क्या लिखा?
उत्तर :
सन 1883 में ज्योतिबा फुले ने ‘शेतकर्यांचा आसूड’ ग्रंथ में लिखा-
‘विद्या बिना मति गई
मति बिना नीति गई
नीति बिना गति गई
गति बिना वित्त गया
वित्त बिना शुद्र गए
इतने अनर्थ एक अविद्या ने किए।’
प्रश्न 3.
ज्योतिबा फुले ने नई विवाह-विधि में क्या परिवर्तन किया?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले ने स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने वाली नई विवाह-विधि की रचना की। पूरी विवाह-विधि से उन्होंने ब्राह्मण का स्थान ही हटा दिया। उन्होंने नए मंगलाष्टक (विवाह के अवसर पर पढ़े जाने वाले मंत्र) तैयार किए। वे चाहते थे कि विवाह-विधि में पुरुष-प्रधान संस्कृति के समर्थक और स्त्री की गुलामगीरी सिद्ध करने वाले जितने मंत्र हैं, वे सारे निकाल दिए जाएँ। उनके स्थान पर ऐसे मंत्र हों, जिन्हें वर-वधू आसानी से समझ सकें। ज्योतिबा फुले ने जिन मंगलाष्टकों की रचना की, उनमें वधू वर से कहती है-“स्वतंत्रता का अनुभव हम स्त्रियों को है ही नहीं। इस बात की आज शपथ लो कि स्त्री को उसका अधिकार दोगे और उसे अपनी स्वतंत्रता का अनुभव करने दोगे।”
प्रश्न 4.
‘महात्मा’ की उपाधि मिलने पर फुले ने क्या प्रतिक्रिया जताई?
उत्तर :
सन 1888 में जब ज्योतिबा फुले को ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया, तो उन्होंने कहा, ” मुझे ‘महात्मा’ कहकर मेरे संघर्ष को पूर्णविराम मत दीजिए। जब व्यक्ति मठाधीश बन जाता है, तब वह संघर्ष नहीं कर सकता। इसलिए आप सब मुझे साधारण जन ही रहने दें, मुझे अपने बीच से अलग न करें।”
प्रश्न 5.
ज्योतिबा फुले की क्या विशेषता थी? उन्होंने इसे किस प्रकार चरितार्थ किया?
उत्तर :
महात्मा ज्योतिबा फुले की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे जो कहते थे, उसे अपने आचरण और व्यवहार में उतारकर दिखाते थे। इस दिशा में अग्रसर उनका पहला कदम था-अपनी पत्नी सावित्री बाई को शिक्षित करना। ज्योतिबा फुले ने उन्हें मराठी भाषा ही नहीं, अंग्रेज़ी लिखना-पढ़ना और बोलना भी सिखाया। तेज़ ग्राह्य-शक्ति वाली सावित्री ने इसे शींत्र ही सीख लिया और फुले के मिशन में उनका साथ दिया।
प्रश्न 6.
सावित्री के जीवन की वह कौन-सी घटना थी, जिससे उसके मन में पुस्तक पढ़ने की लालसा उत्पन्न हुई?
उत्तर :
एक बार सावित्री शिखल गाँव के हाट में गई। वहाँ कुछ खरीदकर खाते-खाते उन्होंने देखा कि एक पेड़ के नीचे कुछ मिशनरी स्त्रियाँ और पुरुष गा रहे हैं। उत्सुकतावश गाना सुनने के लिए वे उनके करीब चली गई। एक लाट साहब ने उन्हें खाते हुए और रूककर गाना सुनते देखा, तो कहा, “इस तरह रास्ते में खाते-खाते घूमना अच्छी बात नहीं है।” यह सुनते ही सावित्री ने हाथ का खाना फेंक दिया। लाट साहब ने उन्हें एक पुस्तक दी. जिसे उनके पिता ने कूड़े में फेंक दिया। सावित्री ने वह पुस्तक उठाकर एक कोने में छिपा दी। सन 1840 में ज्योतिबा फुले से विवाह होने पर वे अपने सामान के साथ उस किताब को सहेजकर ससुराल ले आई और शिक्षित होने के बाद उन्होंने उस पुस्तक को पढ़ा।
प्रश्न 7.
आदर्श परिवार के बारे में ज्योतिबा फुले के विचार बताइए।
उत्तर :
आदर्श परिवार के बारे में ज्योतिबा फुले की कल्पना अनोखी थी। वे कहते थे-“जिस परिवार में पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वह परिवार एक आदर्श परिवार है।” उनका ध्येय समतामूलक परिवार की स्थापना करना था। धर्मसत्ता को परास्त करके शोषण रहित समतामूलक समाज का निर्माण आदर्श परिवार से ही होगा।
प्रश्न 8.
अस्पृश्य जातियों के उत्थान के बारे में ज्योतिबा फुले ने क्या उपाय किए?
उत्तर :
अस्पृश्य जातियों के उत्थान के उपायों पर ज्योतिबा फुले ने चितन किया। उन्होंने निर्णय किया कि इसके लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार ज़रूरी है। उन्होंने शूद्र तथा शूद्रातिशूद्र लड़कियों के लिए एक के बाद एक पाठशालाएँ खोलीं। समाज ने ज्योतिबा फुले का बहिष्कार भी किया। उन्होंने किसानों और अछूतों की झुग्गी-झोंपड़ियों में जाकर लड़कियों को पाठशाला भेजने के लिए आग्रह किया। ज्योतिबा फुले कुरीतियों, अंध-श्रद्धा और पारंपरिक अनीतिपूर्ण रूढ़ियों को ध्वस्त करके दलितों-शोषितों के हक में खड़े हुए।
प्रश्न 9.
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से आज के समाज को क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई ने सन 1840 से 1890 तक पचास वर्षों तक एक प्राण होकर अपने मिशन को पूरा किया। आज के युग में प्रबुद्ध वर्ग के दंपती कई बरस बाद् अलग होते ही एक-दूसरे को संपूर्णतः नष्ट करने पर तुल जाते हैं, वहीं इन दोनों का एक-दूसरे के प्रति और एक लक्ष्य के प्रति समर्पित जीवन एक आदर्श दापत्य जीवन की मिसाल बनकर आज के समाज को आजीवन साथ-साथ रहने और मिल-जुलकर काम करने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 10.
ज्योतिबा फुले ने किस प्रकार के सर्वांगीण समाज की कल्पना की है
उत्तर :
ज्योतिबा फुले के मौलिक विचार ‘गुलामगीरी’, ‘शेतकर्यांचा आसूड’, ‘सार्वजनिक सत्यधर्म’ आदि पुस्तकों में संग्रहीत हैं। इनमें उन्होंने आदर्श परिवार तथा सर्वागीण समाज की कल्पना की है। उन्होंने शिक्षित महिलाओं से बने समाज की कल्पना की है। सर्वांगीण समाज वही है, जिसमें शोषण न हो, अन्याय न हो।
प्रश्न 11.
ज्योतिबा फुले स्त्री-पुरुष के बीच किस प्रकार के संबंध चाहते थे?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले स्त्री-पुरुष के बीच समानता का संबंध चाहते थे। उन्होंने नई विवाह-विधि की रचना की। उन्होंने इसमें ब्राह्मणों को हटा दिया तथा नए मंगलाष्टक नियम बनाए। उन्होंने पुरुष-समर्थक तथा स्त्री की गुलामगीरी से संबंधित सभी मंत्र निकाल दिए। नई विधि के तहत वधू वर से शपथ दिलवाती है कि स्त्री को उसका अधिकार दोगे तथा उसे स्वतंत्रता का अनुभव करने दोगे।
प्रश्न 12.
ज्योतिबा और सावित्री कैसे एक-एक मिलकर ग्यारह हो गए?
उत्तर :
‘एक और एक मिलकर ग्यारह होना’ मुहावरे का अर्थ है-संगठन की वजह से शक्ति का बढ़ना। ज्योतिबा और सावित्री दोनों ने एक-दूसरे के कामों में साथ दिया। दोनों ने तमाम मुसीबतों में एक-दूसरे का साथ दिया तथा शिक्षा, जाति-प्रथा आदि कुरीतियों के खिलाफ़ मिलकर संघर्ष करते रहे। एक-दूसरे के प्रति और एक लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने से इन दोनों के कदम ऐतिहासिक सफलता की ओर बढ़ते गए। इस प्रकार एक-दूसरे की सहायता करते-करते एक-एक मिलकर ग्यारह हो गए।
प्रश्न 13.
समाज में फुले दंपती द्वारा किए गए सुधार कार्यों का किस तरह विरोध हुआ?
उत्तर :
फुले दंपती द्वारा किए गए सुधार कार्यों का समाज ने कड़ा विरोध किया। शोषण-समर्थकों ने उनके मार्ग में अनेक रुकावटें और व्यवधान उत्पन्न किए। उन्होंने उन पर लांछन लगाए तथा घर से बहिष्कार करवा दिया। जिस रास्ते पर फुले दंपती जाते थे, उस पर खड़े होकर विरोधी उन्हें गालियाँ देते थे; उन पर थूकते थे; उन्हें पत्थर मारते थे और उन पर गोबर उछालते थे।
प्रश्न 14.
ज्योतिबा फुले ने किस प्रकार की मानसिकता पर प्रहार किया? क्यों?
उत्तर :
ज्योतिबा फुले ब्राह्मण वर्चस्व और सामाजिक मूल्यों को कायम रखने वाली शिक्षा और सुधार के विरोधी थे। उन्होंने पूँजीवादी और पुरोहितवादी मानसिकता पर हल्ला बोल दिया। उन्होंने बाल-विवाह, स्त्री-अशिक्षा, अस्पृश्यता, स्त्री परतंत्रता, दलितों का शोषण आदि का विरोध किया। ज्योतिबा फुले ने ऐसा इसलिए किया, ताकि समाज के इन तमाम प्रकार से शोषित वर्गों को जीने की स्वतंत्रता, शोषण से मुक्ति तथा अपने अधिकार मिल सकें।
प्रश्न 15.
पाठ में आए महात्मा फुले के सूक्तिबद्ध विचारों को संकलित करके उन्हें कक्षा में दीवारों पर चिपकाइए।
उत्तर :
ज्योतिबा फुले के सूक्तिबद्ध विचार निम्नलिखित थे :
(क) सच का सबेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण) शरमा गए।
(ख) शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों के अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
(ग) जिस परिवार में पिता बौद्ध, माता ईसाई, बेटी मुसलमान और बेटा सत्यधर्मी हो, वह परिवार एक आदर्श परिवार है।
(घ) विवाह-विधि में स्त्री की गुलामगीरी सिद्ध करने वाले सारे मंत्र निकाल दिए जाएँ और उनकी जगह पर ऐसे मंत्र शामिल किए जाएँ, जिन्हें वर-वधू आसानी से समझ सकें।
(ङ) इस बात की आज शपथ लो कि स्त्री को उसका अधिकार दोगे और उसे अपनी स्वतंत्रता का अनुभव करने दोगे।