Well-organized NCERT Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 2 Notes in Hindi संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 2 Notes in Hindi संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान
वर्तमान अनुमान के अनुसार पृथ्वी की आयु लगभग 460 करोड़ वर्ष है। पृथ्वी के धरातल पर चट्टानों व मिट्टियों में भिन्नता धरातलीय स्वरूप के अनुसार पाई जाती है। भारतीय उपमहाद्वीप की वर्तमान भूवैज्ञानिक। संरचना व इसके क्रियाशील भू आकृतिक प्रक्रम मुख्यत: अंतर्जनित व बहिर्जनित बलों व प्लेट के क्षैतिज संरचरण की अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आए हैं।
→ भूवैज्ञानिक खण्ड: भूवैज्ञानिक संरचना एवं शैल समूह की भिन्नता के आधार पर भारत को तीन भूवैज्ञानिक खण्डों में विभाजित किया गया है। यथा
- प्रायद्वीपीय खण्ड:
प्रायद्वीपीय खण्ड की उत्तरी सीमा कटी-फटी है जो कि कच्छ से शुरू होकर अरावली पहाड़ियों के पश्चिम से गुजरती हुई दिल्ली तक और फिर यमुना व गंगा नदी के समानान्तर राजमहल की पहाड़ियों व गंगा के डेल्टा तक जाती है। इसके अलावा उत्तर – पूर्व में कार्बी ऐंगलांग व मेघालय का पठार तथा पश्चिम में राजस्थान भी इसी खण्ड का विस्तार है। इसमें पूर्व की तरफ प्रवाहित होने वाली अधिकतर नदियाँ | बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व डेल्टा बनाती हैं। - हिमालय और अन्य अतिरिक्त- प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएँ:
इन पर्वतों की उत्पत्ति विवर्तनिक हलचलों के फलस्वरूप हुई है। ये पर्वत अभी भी युवा अवस्था में हैं। गार्ज, V आकार की घाटियाँ, क्षिप्रिकाएँ व जल प्रपात इत्यादि इसके प्रमाण हैं। - सिन्धु – गंगा – ब्रह्मपुत्र मैदान:
सिंधु – गंगा और ब्रह्मपुत्र का मैदान मूलतः एक भू-अभिनति गर्त है, जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 6.4 करोड़ वर्ष पहले हुआ था। तब से इसे हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ लाए हुए अवसादों से पाट रही हैं।
→ भूआकृति: किसी स्थान की भूआकृति उसकी संरचना, प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम है। मुख्य रूप से भारत को निम्नलिखित भूआकृतिक खण्डों में विभाजित किया जा सकता है
→ उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी पर्वतमाला :
उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी पर्वतमाला में हिमालय पर्वत और उत्तरी – पूर्वी पहाड़ियाँ शामिल हैं। इसमें वृहत् हिमालय, पार हिमालय शृंखलाएँ, मध्य हिमालय और शिवालिक प्रमुख श्रेणियाँ हैं। भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में हिमालय की ये श्रेणियाँ उत्तर-पश्चिम दिशा से दक्षिण-पूर्व दिशा की तरफ फैली हैं। वृहत् हिमालय शृंखला को केन्द्रीय अक्षीय श्रेणी भी कहा जाता है। हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप एवं मध्य-पूर्वी एशिया के देशों के बीच एक मजबूत लम्बी दीवार के रूप में खड़ा है। हिमालय एक प्राकृतिक रोधक ही नहीं, अपितु जलवायु, अपवाह और सांस्कृतिक विभाजक भी है। हिमालय पर्वतमाला में भी अनेक क्षेत्रीय विभिन्नताएँ हैं। हिमालय को निम्नलिखित उपखण्डों में विभाजित किया जा सकता है।
- कश्मीर या उत्तरी-पश्चिमी हिमालय
- हिमाचल और उत्तरांचल हिमालय
- दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय
- अरुणाचल हिमालय
- पूर्वी पहाड़ियाँ और पर्वत
→ उत्तरी भारत का मैदान :
उत्तरी भारत का मैदान सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम में लम्बाई लगभग 3,200 किलोमीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इस मैदान को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। जो निम्न हैं- भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो उप विभागों में बाँटा गया है – खादर और बाँगर।
→ प्रायद्वीपीय पठार :
नदियों के मैदान से 150 मीटर ऊँचाई से ऊपर उठता हुआ प्रायद्वीपीय पठार तिकोने आकार वाला कटा-फटा भूखण्ड है जिसकी ऊँचाई 600 से 900 मीटर है। उत्तर-पश्चिम में दिल्ली, कटक, पूर्व में राजमहल पहाड़ियाँ, पश्चिम में गिर पहाड़ियाँ और दक्षिण में इलायची पहाड़ियाँ, प्रायद्वीपीय पठार की सीमाएँ निर्धारित करती हैं। उत्तर-पूर्व में शिलांग तथा कार्बी – ऐंगलोंग पठार भी इसी भूखण्ड का विस्तार है। प्रायद्वीपीय भारत अनेक पठारों से मिलकर बना है। इनमें हजारीबाग पठार, रांची पठार, पलामू पठार, मालवा पठार, कोयम्बटूर पठार और कर्नाटक पठार प्रमुख हैं। इस पठार के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है। मुख्य उच्चावच लक्षणों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है; जो निम्न प्रकार हैं-
- दक्कन का पठार
- मध्य उच्च भूभाग
- उत्तर-पूर्व पठार
→ भारतीय मरुस्थल :
विशाल भारतीय मरुस्थल अरावली पहाड़ियों से उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह एक ऊबड़-खाबड़ भूतल है जिस पर अनुदैर्घ्य टीले और बरखान पाए जाते हैं। यहाँ पर वार्षिक वर्षा 150 मिलीमीटर से कम होती है। इसके फलस्वरूप यह एक शुष्क और वनस्पति रहित क्षेत्र है। इन्हीं स्थलाकृतिक गुणों के कारण इसे मरुस्थली के नाम से जाना जाता है। यहाँ की प्रमुख स्थलाकृतियाँ भौतिक अपक्षय और पवन क्रिया द्वारा निर्मित हैं। इनमें प्रमुख स्थलाकृतियाँ स्थानान्तरी रेतीले टीले, छत्रक चट्टानें और मरु उद्यान हैं। मरुस्थल के दक्षिणी भाग में प्रवाहित होने वाली लूनी नदी महत्त्वपूर्ण है।
→ तटीय मैदान:
स्थिति और सक्रिय भूआकृतिक प्रक्रियाओं के आधार पर तटीय मैदानों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। यथा—
- पश्चिमी तटीय मैदान :
पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों का उदाहरण है। जलमग्न होने के कारण पश्चिमी तटीय मैदान एक संकीर्ण पट्टी मात्र है और पत्तनों एवं बन्दरगाह के विकास के लिए प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करता है। पश्चिमी तटीय मैदान मध्य में संकीर्ण हैं लेकिन उत्तर और दक्षिण में चौड़े हो जाते हैं। इस तटीय मैदान में प्रवाहित होने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती हैं। - पूर्वी तटीय मैदान :
पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में पूर्वी तटीय मैदान चौड़ा है और उभरे हुए तट का उदाहरण है। पूर्व की तरफ प्रवाहित होने वाली और बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ यहाँ लम्बे- चौड़े डेल्टा बनाती हैं। इसमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी का डेल्टा शामिल है।
→ द्वीप समूह:
भारत में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में दो प्रमुख द्वीप समूह हैं। बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह में लगभग 572 द्वीप हैं। ये द्वीप 6° उत्तर से 14° उत्तर और 92° पूर्व से 94° पूर्व के बीच स्थित हैं। बंगाल की खाड़ी के द्वीपों को दो श्रेणियों यथा उत्तर में अण्डमान और दक्षिण में निकोबार में बाँटा जा सकता है। अरब सागर के द्वीपों में लक्षद्वीप और मिनिकॉय शामिल हैं। ये द्वीप 8° उत्तर * से 12° उत्तर और 71° पूर्व से 74° पूर्व के बीच बिखरे हुए हैं। पूरा द्वीप समूह प्रवाल निक्षेप से बना है। यहाँ 36 द्वीप हैं जिनमें से 11 पर मानव आवास हैं।
→ भौगोलिक शब्दावली
- प्रायद्वीप : वह क्षेत्र जो कि तीन तरफ से समुद्र से घिरा होता है।
- भूआकृति : किसी स्थान की संरचना, प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम।
- दून : पर्वतीय क्षेत्रों में घाटी में स्थित क्षेत्र।
- बरखान : मरुस्थलीय भागों में बालू के टिब्बे।
- कयाल : मालाबार तट की विशेष स्थलाकृति।
- डेल्टा : त्रिभुजाकार स्थलाकृति।
- जलोढ मैदान : नदी द्वारा लाए गए जलोढक अथवा महीन चट्टानी सामग्री द्वारा निर्मित भूमि का एक समतल क्षेत्र।
- द्वीप : महाद्वीप की तुलना में एक ऐसी भू-संहति जो कि चारों तरफ जल से घिरी हो।
- द्वीप समूह : द्वीपों का समूह जो कि आपस में निकट अवस्थित होते हैं
- तराई : जलोढ पंखों के निचले भागों में दलदली भूमि और वनस्पति की एक पेटी।