Understanding the question and answering patterns through Class 11 Geography Question Answer in Hindi Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण
Class 11 Geography Chapter 16 in Hindi Question Answer जैव-विविधता एवं संरक्षण
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. वर्तमान समय की जैव-विविधता कितने वर्षों के विकास का परिणाम है?
(अ) 2.5 से 3.5 अरब वर्षों
(स) 4 से 5 अरब वर्षों
(ब) 3 से 4.5 अरब वर्षों
(द) 4 से 4.5 अरब वर्षों
उत्तर:
(अ) 2.5 से 3.5 अरब वर्षों
2. निम्न में से किस प्रदेश में जैव-विविधता कम पाई जाती है-
(अ) उष्ण कटिबंधीय प्रदेश
(ब) ध्रुवीय प्रदेश
(स) मरुस्थलीय प्रदेश
(द) पर्वतीय प्रदेश
उत्तर:
(ब) ध्रुवीय प्रदेश
3. किसी प्रजाति में जीन की विविधता कहलाती है—
(अ) आनुवंशिक जैव-विविधता
(ब) प्रजातीय जैव-विविधता
(स) पारितंत्रीय जैव-विविधता
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) आनुवंशिक जैव-विविधता
4. निम्न में से कौनसा देश महा- हा – विविधता का केन्द्र नहीं है-
(अ) मैक्सिको
(ब) ब्राजील
(स) भारत
(द) श्रीलंका
उत्तर:
(द) श्रीलंका
5. भारत सरकार ने वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम किस सन् में पारित किया?
(अ) सन् 1972
(स) सन् 1981
(ब) सन् 1980
(द) सन् 1990
उत्तर:
(अ) सन् 1972
6. विश्व में महा – विविधता केन्द्र रखने वाले देशों की कुल संख्या कितनी है?
(अ) 10
(ब) 12
(स) 16
(द) 24
उत्तर:
(ब) 12
7. भारत में संकटापन्न जन्तुओं में शामिल है-
(अ) हाथी
(ब) गैंडा
(स) मिंक
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
8. ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो में जैव विविधता सम्मेलन कब हुआ ?
(अ) 1962
(ब) 1982
(स) 1992
(द) 2002
उत्तर:
(स) 1992
रिक्त स्थान वाले प्रश्न:
नीचे दिए गए प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
1. ______ वनों में जैव विविधता की अधिकता है। (उष्णकटिबंधीय/शीतोष्ण कटिबंधीय )
2. किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को ______ कहते है। (जैव विविधता/भौगोलिक विविधता)
3. किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही ______ हैं। (प्रजातीय विविधता/आनुवंशिक जैव-विविधता)
4. जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है, उन्हें विविधता के ______ कहते हैं। (हॉट स्पॉट/कोल्ड स्पॉट)
5. जिस पारितन्त्र में जितनी प्रकार की प्रजातियाँ होंगी, वह पारितन्त्र उतना ही अधिक ______ होगा। (स्थायी/अस्थायी)
उत्तर:
1. उष्ण कटिबंधीय वनों में जैव विविधता की अधिकता है।
2. किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव विविधता कहते है।
3. किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव विविधता हैं।
4. जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है, उन्हें विविधता के हॉट स्पॉट कहते हैं।
5. जिस पारितन्त्र में जितनी प्रकार की प्रजातियाँ होंगी, वह पारितन्त्र उतना ही अधिक स्थायी होगा।
सत्य / असत्य वाले प्रश्न
नीचे दिए गए कथनों में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए-
1. मानव आनुवांशिक रूप से ‘होमोसेपियन प्रजाति’ से सम्बन्धित है।
2. पारितंत्र में जितनी अधिक विविधता होगी प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता उतनी ही अधिक होगी।
3. उष्णकटिबंधीय वर्षा वाले वनों में पृथ्वी की लगभग 85 प्रतिशत प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
4. भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1982 में पारित किया गया।
5. हॉट स्पॉट को उनकी वनस्पति के आधार पर परिभाषित किया गया है।
उत्तर:
1. मानव आनुवांशिक रूप से ‘होमोसेपियन प्रजाति’ से सम्बन्धित है। (सत्य)
2. पारितंत्र में जितनी अधिक विविधता होगी प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता उतनी ही अधिक होगी। (सत्य)
3. उष्णकटिबंधीय वर्षा वाले वनों में पृथ्वी की लगभग 85 प्रतिशत प्रजातियाँ पायी जाती हैं। (सत्य)
4. भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1982 में पारित किया गया। (असत्य)
5. हॉट स्पॉट को उनकी वनस्पति के आधार पर परिभाषित किया गया है। (सत्य)
मिलान करने वाले प्रश्न
निम्न को सुमेलित कीजिए-
1. वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम | (अ) वर्ष 1992 में |
2. रियो-डी-जेनेरो में सम्मेलन | (ब) वर्ष 1972 में |
3. रेड लिस्ट का सम्बन्ध | (स) उष्ण कटिबंधीय वन |
4. सर्वाधिक जैव विविधता वन | (द) पूर्वी हिमालय |
5. भारत का हॉट स्पॉट | (य) सभी संकटापन्न प्रजातियाँ |
उत्तर:
1. वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम | (ब) वर्ष 1972 में |
2. रियो-डी-जेनेरो में सम्मेलन | (अ) वर्ष 1992 में |
3. रेड लिस्ट का सम्बन्ध | (य) सभी संकटापन्न प्रजातियाँ |
4. सर्वाधिक जैव विविधता वन | (स) उष्ण कटिबंधीय वन |
5. भारत का हॉट स्पॉट | (द) पूर्वी हिमालय |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव आनुवंशिक रूप से कौनसी प्रजाति से सम्बन्धित है?
उत्तर:
होमोसेपियन प्रजाति से।
प्रश्न 2.
जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है, उन्हें क्या कहा जाता है?
उत्तर;
हॉट-स्पॉट ( Hot Spots)।
प्रश्न 3.
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वाले वनों में पृथ्वी पर उपस्थित कुल प्रजातियों का कितने प्रतिशत पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 50 प्रतिशत।
प्रश्न 4.
IUCN का पूरा नाम लिखिये।
उत्तर:
IUCN = इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज।
प्रश्न 5.
IUCN विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों के बारे में किस नाम से सूचना प्रकाशित करता है?
उत्तर:
रेड लिस्ट (Red List) के नाम से।
प्रश्न 6.
जैव-विविधता के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- आनुवंशिक जैव-विविधता
- प्रजातीय जैव-विविधता
- पारितंत्रीय जैव-विविधता।
प्रश्न 7.
जैव-विविधता का आधार क्या है?
उत्तर:
अपक्षय प्रावार वनस्पति विविधता का आधार है। अतः इसे जैव-विविधता का आधार माना जाता है।
प्रश्न 8.
जैव-विविधता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
सौर ऊर्जा और जल ही अपक्षय में विविधता और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न जैव-विविधता का मुख्य कारण है।
प्रश्न 9.
आनुवंशिक जैव-विविधता से क्या आशय है?
उत्तर:
जीवन निर्माण के लिए जीवन एक मूलभूत इकाई है। किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव-विविधता कहलाती है।
प्रश्न 10.
प्रजाति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों के समूह को प्रजाति कहते हैं।
प्रश्न 11.
प्रजातीय विविधता को किस प्रकार आँका जाता है?
उत्तर:
प्रजातियों की विविधता उनकी समृद्धि, प्रकार तथा बहुलता से आँकी जाती है।
प्रश्न 12.
कृषि जैव-विविधता क्या है?
उत्तर:
फसलों की विविधता को ही कृषि जैव-विविधता कहा जाता है।
प्रश्न 13.
मानव को जैव-विविधता के फलस्वरूप कौन – कौनसे आर्थिक महत्त्व के उत्पाद प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
मानव को जैव-विविधता के फलस्वरूप खाद्य फसलें, पशु, वन संसाधन, मत्स्य और दवा संसाधन आदि आर्थिक महत्त्व के उत्पाद प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 14.
महा विविधता केन्द्र क्या है?
उत्तर:
वे देश, जो उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में स्थित हैं उनमें विश्व की सबसे अधिक प्रजातीय विविधता पाई जाती है, इनको ही महा विविधता केन्द्र कहा जाता है
प्रश्न 15.
वर्ष 1992 में जैव-विविधता सम्मेलन कहां हुआ था?
उत्तर:
रियो-डी-जेनेरो (ब्राजील) में।
प्रश्न 16.
भारत में स्थित ‘हॉट-स्पॉट’ क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- पश्चिमी घाट
- पूर्वी हिमालय।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जैव-विविधता के महत्त्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैव-विविधता का महत्त्व :
जैव-विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है और इसी प्रकार, मानव समुदायों ने भी आनुवंशिक, प्रजातीय एवं पारिस्थितिकी स्तरों पर प्राकृतिक विविधता को बनाए रखने में बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जैव-विविधता की पारिस्थितिक, आर्थिक और वैज्ञानिक भूमिकाएँ प्रमुख हैं।
प्रश्न 2.
संकटापन्न प्रजातियों (Endangered Species) के बारे में लिखिए।
उत्तर:
संकटापन्न प्रजातियाँ – जिन प्रजातियों के विलुप्त हो जाने का खतरा है, उन्हें संकटापन्न प्रजातियाँ कहते हैं। IUCN अर्थात् ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज’ विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों के बारे में ‘रेड लिस्ट’ (Red List) के नाम से सूचना प्रकाशित करता है।
प्रश्न 3.
आनुवंशिक जैव-विविधता एवं प्रजातीय विविधता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव-विविधता कहलाती है। मानव के कद, रंग आदि शारीरिक लक्षणों में भिन्नता आनुवंशिक विविधता के कारण होती है जबकि प्रजातीय विविधता किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित होती है। यह प्रजातियों की अनेकरूपता को स्पष्ट करती है तथा इसको प्रजातियों की समृद्धि प्रकार तथा बहुलता से आंका जाता है।
प्रश्न 4.
जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका :
जैव विविधता का एक महत्त्वपूर्ण भाग फसलों की विविधता है जिसे कृषि जैव-विविधता कहा जाता है। जैव-विविधता ऐसे संसाधन होते हैं, जिनकी उपयोगिता भोज्य पदार्थ, औषधियाँ और सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री आदि बनाने में है। खाद्य फसलें, पशु, वन संसाधन, मत्स्य, दवा संसाधन आदि कुछ ऐसे प्रमुख आर्थिक उत्पाद हैं जो कि मनुष्य को जैव-विविधता के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5.
सुभेद्य प्रजातियाँ (Vulnerable Species) कौनसी होती हैं? लिखिए।
उत्तर:
सुभेद्य प्रजातियाँ : इसमें वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके लुप्त होने में सहयोगी कारकों पर यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। इन प्रजातियों की संख्या अत्यधिक कम होने के कारण इनका जीवित रहना सुनिश्चित नहीं है।
प्रश्न 6.
जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका के विषय में लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान में मिलने वाली जैव प्रजातियों से हम यह जान सकते हैं कि जीवन का आरंभ कैसे हुआ तथा भविष्य में यह कैसे विकसित होगा। पारितंत्र को कायम रखने में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका का मूल्यांकन भी जैव- विविधता के अध्ययन से किया जा सकता है। इससे हम यह भी जान सकते हैं कि पारितंत्र में मानव के साथ निवास करने वाली अन्य प्रजातियों को जीवित रहने का अधिकार है। इन प्रजातियों को विलुप्त करना नैतिक रूप से गलत है।
प्रश्न 7.
भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 क्यों पारित किया गया था?
उत्तर:
भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिए, वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 पारित किया। इसके अंतर्गत नेशनल पार्क, पशुविहार (Sanctuaries) स्थापित किए गए तथा जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserves) घोषित किए गए।
प्रश्न 8.
महा विविधता केन्द्र ( Mega Diversity Centres) किसे कहते हैं? इनके नाम लिखिये।
उत्तर:
महा विविधता केन्द्र – वे क्षेत्र, जो उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित हैं, उनमें संसार की सबसे अधिक प्रजातीय विविधता पायी जाती है। यह क्षेत्र ही ‘महाविविधता केन्द्र’ कहलाते हैं महा विविधता केन्द्र या देशों की संख्या 12 है और उनके नाम हैं। मैक्सिको, कोलम्बिया, इक्वेडोर, पेरु, ब्राजील, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर, चीन, भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जैव-विविधता किसे कहते हैं? इसके विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैव-विविधता (Biodiversity) जैव:
विविधता दो शब्दों ‘बायो’ और ‘डाइवर्सिटी’ के मेल से बना है, जिसमें बायो का अर्थ ‘जीव’ तथा डाइवर्सिटी का अर्थ ‘विविधता’ होता है। अतः किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाये जाने वाले जीवों की संख्या तथा उनकी विविधता को जैव-विविधता कहते हैं ।इसका सम्बन्ध पौधों के प्रकार, प्राणियों, सूक्ष्म जीवाणुओं तथा उनकी आनुवंशिकी और उनके द्वारा निर्मित पारितंत्र से है। यह एक सजीव संपदा तथा सतत विकास का तंत्र है।
जैव-विविधता के स्तर : जैव-विविधता को निम्नलिखित तीन स्तरों में विभक्त किया जाता है-
(i) आनुवंशिक जैव-विविधता (Genetic Biodiversity):
जीवन निर्माण के लिए जीन एक मूलभूत इकाई है। अत: किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव-विविधता कहलाती है। चूंकि मानव आनुवंशिक रूप से ‘होमोसेपियन’ प्रजाति से संबन्धित है, जिसमें कद, रंग और अलग दिखावट जैसे शारीरिक लक्षणों में काफी भिन्नता होती है। इसका मुख्य कारण आनुवंशिक विविधता ही है। विभिन्न प्रजातियों के विकास व फलने-फूलने के लिए आनुवंशिक विविधता अत्यधिक अनिवार्य है।
(ii) प्रजातीय विविधता ( Species Diversity ):
यह प्रजातियों की अनेकरूपता को बताती है। यह किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित है। प्रजातियों की विविधता, उनकी समृद्धि, प्रकार तथा बहुलता से आंकी जा सकती है। कुछ क्षेत्रों में प्रजातियों की संख्या अधिक होती है, उन्हें विविधता के ‘हॉट स्पॉट’ (Hot Spots)कहते हैं।
(iii) पारितंत्रीय विविधता (Ecosystem Diversity):
पारितंत्र के प्रकारों में पायी जाने वाली व्यापक भिन्नता और प्रत्येक प्रकार के पारितंत्रों में होने वाली पारितंत्रीय प्रक्रियाएँ तथा आवास स्थानों की भिन्नता ही ‘पारितंत्रीय विविधता’ कहलाती है। पारितंत्रीय विविधता का परिसीमन करना बहुत जटिल तथा मुश्किल होता है, क्योंकि समुदायों (प्रजातियों का समूह) और पारितंत्र की सीमाएँ निश्चित नहीं हैं।
मानचित्रात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व के मानचित्र पर प्रजातीय विविधता के हॉट स्पॉट केन्द्र दर्शाइये।
उत्तर: