Understanding the question and answering patterns through Class 11 Geography Question Answer in Hindi Chapter 11 वायुमंडल में जल will prepare you exam-ready.
Class 11 Geography Chapter 11 in Hindi Question Answer वायुमंडल में जल
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. वायुमण्डल में मौजूद जल वाष्प की वास्तविक मात्रा कहलाती है-
(अ) सापेक्ष आर्द्रता
(ब) ऊर्ध्वपातन
(स) गुप्त ऊष्मा
(द) निरपेक्ष आर्द्रता।
उत्तर:
(द) निरपेक्ष आर्द्रता।
2. निम्न में से जिस स्थान पर सापेक्ष आर्द्रता सबसे अधिक होती है, वह है-
(अ) पठारी भाग
(स) मैदानी भाग
(ब) पर्वतीय भाग
(द) महासागरीय क्षेत्र।
उत्तर:
(द) महासागरीय क्षेत्र।
3. जिन भागों में प्रतिवर्ष 200 सेण्टीमीटर से अधिक वर्षा होती है, वह है-
(अ) महाद्वीपों के आन्तरिक भाग
(ब) शीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं आन्तरिक भाग
(स) विषुवतीय पट्टी
(द) उच्च अक्षांशों वाले क्षेत्र।
उत्तर:
(स) विषुवतीय पट्टी
4. निम्न में से कौनसे कम ऊँचाई के बादल हैं-
(अ) पक्षाभ स्तरी
(स) पक्षाभ कपासी
(ब) स्तरी कपासी
(द) पक्षाभ।
उत्तर:
(ब) स्तरी कपासी
5. एक निश्चित तापमान पर जल वाष्प से पूरी तरह पूरित हवा को कहा जाता है-
(अ) संघनन केन्द्रक
(ब) ओसांक
(स) संतृप्त
(द) गुप्त ऊष्मा।
उत्तर:
(स) संतृप्त
6. जल वाष्प का जल के रूप में परिवर्तित होना कहलाता है-
(अ) संघनन
(ब) वाष्पीकरण
(स) ऊर्ध्वपातन
(द) वाष्पोत्सर्जन।
उत्तर:
(अ) संघनन
7. हवा के दिए गए प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्तता आती है, उसे कहते हैं-
(अ) कोहरा
(ब) कुहासा
(स) तुषार
(द) ओसांक।
उत्तर:
(द) ओसांक।
8. किस प्रकार के बादलों का निर्माण 8000-12000 मीटर की ऊँचाई पर होता है?
(अ) पक्षाभ मेघ
(ब) कपासी मेघ
(स) स्तरी मेघ
(द) वर्षा मेघ
उत्तर:
(अ) पक्षाभ मेघ
9. किस प्रकार के मेघों का निर्माण 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर होता है ?
(अ) पक्षाभ मेघ
(ब) कपासी मेघ
(स) स्तरी मेघ
(द) वर्षा मेघ
उत्तर:
(ब) कपासी मेघ
10. संघनन का रूप है-
(अ) ओस
(ब) तुषार
(स) कोहरा
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
रिक्त स्थान वाले प्रश्न
नीचे दिए गए प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. हवा के दिए गए प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्ता आती है उसे _____ कहते हैं। ( ओसांक / सापेक्ष आर्द्रता )
2. वायुमण्डल में मौजूद जल वाष्प की वास्तविक मात्रा को _____ आर्द्रता कहा जाता है। (सापेक्ष/निरपेक्ष)
3. दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमण्डल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को _____ आर्द्रता कहा जाता है। (सापेक्ष / निरपेक्ष)
4. 8000 से 12000 मीटर की ऊँचाई पर _____ मेघों का निर्माण होता है। कहलाता है। (पक्षाभ / कपासी)
5. जल वाष्प का जल के रूप में बदलना _____ कहलाता है। (संघनन / उर्ध्वपातन)
उत्तर:
1. हवा के दिए गए प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्ता आती है उसे ओसांक कहते हैं।
2. वायुमण्डल में मौजूद जल वाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहा जाता है।
3. दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमण्डल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है।
4. 8000 से 12000 मीटर की ऊँचाई पर पक्षाभ मेघों का निर्माण होता है। कहलाता है।
5. जल वाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है।
सत्य / असत्य वाले प्रश्न
नीचे दिए गए कथनों में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए-
1. कपासी मेघ रुई के समान दिखते हैं तथा 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर बनते हैं।
2. कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी कम होती है।
3. सहिम वृष्टि जमी हुई वर्षा की बूंदें हैं या पिघली हुई बर्फ के पानी की जमी हुई बूँदें हैं।
4. स्तरी मेघ परतदार बादल होते हैं जो कि आकाश के बहुत बड़े भाग पर फैले रहते हैं।
5. जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरू करता है उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहा जाता हैं।
उत्तर:
1. कपासी मेघ रुई के समान दिखते हैं तथा 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर बनते हैं। (सत्य)
2. कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी कम होती है। (असत्य)
3. सहिम वृष्टि जमी हुई वर्षा की बूंदें हैं या पिघली हुई बर्फ के पानी की जमी हुई बूँदें हैं। (सत्य)
4. स्तरी मेघ परतदार बादल होते हैं जो कि आकाश के बहुत बड़े भाग पर फैले रहते हैं। (सत्य)
5. जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरू करता है उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहा जाता हैं। (सत्य)
मिलान करने वाले प्रश्न
निम्न को सुमेलित कीजिए
1. पक्षाभ मेघ | (अ) 4000-7000 मीटर ऊँचाई पर |
2. कपासी मेघ | (ब) उर्ध्वपातन |
3. जलवाष्प का सीधे ठोस में बदलना | (स) धूम्र कोहरा |
4. हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा | (द) 8000-12000 मीटर ऊँचाई पर |
5. कोहरे व धुएँ का सम्मिलित रूप | (य) आर्द्रता |
उत्तर:
1. पक्षाभ मेघ | (द) 8000-12000 मीटर ऊँचाई पर |
2. कपासी मेघ | (अ) 4000-7000 मीटर ऊँचाई पर |
3. जलवाष्प का सीधे ठोस में बदलना | (ब) उर्ध्वपातन |
4. हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा | (य) आर्द्रता |
5. कोहरे व धुएँ का सम्मिलित रूप | (स) धूम्र कोहरा |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वाष्पीकरण का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
तापमान।
प्रश्न 2.
संवहनीय वर्षा मुख्यतया कहाँ होती है?
उत्तर:
विषुवतीय क्षेत्रों में।
प्रश्न 3.
दोनों गोलार्द्ध में 45° से 65° अक्षांशों के बीच किस कारण से महाद्वीपों के पश्चिमी भाग सबसे पहले वर्षा प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पछुआ पवनों के कारण।
प्रश्न 4.
महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष कितने सेमी. वर्षा होती है?
उत्तर:
100 से 200 सेमी. तक।
प्रश्न 5.
वायुमंडल में आर्द्रता कैसे पहुँचती है?
उत्तर:
जलाशयों से वाष्पीकरण तथा पौधों से वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के द्वारा।
प्रश्न 6.
आर्द्रता किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु में मौजूद जलवाष्प आर्द्रता कहलाती है।
प्रश्न 7.
निरपेक्ष आर्द्रता को परिभाषित करो।
उत्तर:
वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की वास्तविक मात्रा निरपेक्ष आर्द्रता कहलाती है।
प्रश्न 8.
वायुमण्डल में जल कौन-कौनसी अवस्थाओं में पाया जाता है?
उत्तर:
वायुमण्डल में जल तीन अवस्थाओं, यथा—गैस, द्रव तथा ठोस के रूप में पाया जाता है।
प्रश्न 9.
वायुमण्डल, महासागरों तथा महाद्वीपों के बीच जल का लगातार आदान-प्रदान किस प्रकार होता है?
उत्तर:
वायुमण्डल, महासागरों तथा महाद्वीपों के बीच जल का लगातार आदान-प्रदान वाष्पीकरण, वाष्पोर्त्सजन, संघनन एवं वर्षा की प्रक्रिया के द्वारा होता रहता है।
प्रश्न 10.
ओसांक किसे कहते हैं?
उत्तर:
हवा के दिए प्रतिदर्श में जिस तापमान पर सन्तृप्तता आती है उसे ओसांक कहते हैं।
प्रश्न 11.
ऊर्ध्वपातन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब जलवाष्प सीधे ही ठोस रूप में परिवर्तित होती है, तो इसे ऊर्ध्वपातन कहा जाता है
प्रश्न 12.
संघनन क्या है?
उत्तर:
जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है।
प्रश्न 13.
सापेक्ष आर्द्रता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं।
प्रश्न 14
वर्षण क्या है?
उत्तर;
वायुमंडल से जल की बूंदों और हिमकणों के धरातल पर गिरने को वर्षण कहते हैं।
प्रश्न 15.
वायुमंडल के आयतन में जलवाष्प का कितना प्रतिशत होता है?
उत्तर:
0 से 4 प्रतिशत तक।
प्रश्न 16.
निरपेक्ष आर्द्रता को किसमें व्यक्त करते हैं?
उत्तर:
यह हवा में प्रति इकाई आयतन में जलवाष्प का वजन है। इसे ग्राम प्रति घन मीटर में व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 17.
स्तरी मेघ का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
ऊष्मा के ह्रास या अलग-अलग तापमान पर हवा के आपस में मिश्रित होने से स्तरी मेघ बनते हैं।
प्रश्न 18.
वृष्टि छाया क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रतिपवन भाग में स्थित क्षेत्र, जिसमें कम वर्षा होती है, उसे वृष्टि छाया क्षेत्र कहा जाता है।
प्रश्न 19.
गुप्त ऊष्मा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वाष्पीकरण का मुख्य कारण तापमान है। अतः जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरू करता है उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहा जाता है।
प्रश्न 20.
ओला- पत्थर किसे कहते हैं?
उत्तर:
कभी-कभी वर्षा की बूँदें बादल से मुक्त होने के बाद बर्फ के छोटे गोलाकार ठोस टुकड़ों में परिवर्तित होकर धरातल पर गिरती हैं, उसे ओला- पत्थर कहा जाता है
प्रश्न 21.
संघनन का कारण क्या है?
उत्तर:
ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है।
प्रश्न 22.
उत्पत्ति के आधार पर वर्षा के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- संवहनीय वर्षा
- पर्वतीय वर्षा
- चक्रवातीय वर्षा।
प्रश्न 23.
आकाश में सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित मेघ का नाम बताइये।
उत्तर:
पक्षाभ मेघ।
प्रश्न 24.
उस प्रक्रिया का नाम बताइये जिसके द्वारा जल द्रव से गैस में बदल जाता है।
उत्तर:
वाष्पीकरण।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संघनन केन्द्रक क्या होते हैं? बताइए।
उत्तर:
स्वतन्त्र हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों तरफ ठण्डा होने के कारण संघनन होता है तब इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केन्द्रक कहा जाता है। विशेष रूप से धूल, धुआँ तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केन्द्रक होते हैं क्योंकि वे पानी को अवशोषित करते हैं।
प्रश्न 2.
निरपेक्ष आर्द्रता को समझाइये।
उत्तर:
निरपेक्ष आर्द्रता : वायुमण्डल में उपस्थित जल वाष्प की वास्तविक मात्रा निरपेक्ष आर्द्रता कहलाती है। यह हवा के प्रति इकाई आयतन में जल वाष्प का वजन है एवं इसे ग्राम प्रति घन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। हवा के द्वारा जल-वाष्प को ग्रहण करने की क्षमता पूरी तरह से तापमान पर निर्भर करती है। निरपेक्ष आर्द्रता पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग होती है।
प्रश्न 3.
संतृप्त वायु किसे कहते हैं? समझाइये।
उत्तर:
संतृप्त वायु-एक निश्चित तापमान पर जलवाष्प से पूरी तरह पूरित हवा को ‘संतृप्त वायु’ कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि हवा इस स्थिति में दिए गए तापमान पर और अधिक सांद्रता को ग्रहण करने में सक्षम नहीं है। हवा के दिए गए प्रतिदर्श (Sample) में जिस तापमान पर संतृप्तता आती है, उसे ओसांक कहते हैं।
प्रश्न 4.
धूम्र कोहरा से आप क्या समझते हैं? लिखिए।
उत्तर:
नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों में धुएँ की अधिकता के कारण केन्द्रकों की मात्रा की भी अधिकता होती है। यह केन्द्रक कोहरे और कुहासे के बनने में मदद करते हैं। ऐसी स्थिति में नगरीय एवं महानगरीय क्षेत्रों में कोहरा तथा धुआं सम्मिलित रूप से बनते हैं, जिसे ‘धूम्र कोहरा’ कहा जाता है।
प्रश्न 5.
कोहरा एवं कुहासा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कोहरा एवं कुहासा में अन्तर निम्न हैं-
कोहरा | कुहासा |
(1) यह एक प्रकार का छोटा बादल है जिसका आकार पृथ्वी के धरातल के बिल्कुल नजदीक होता है | (1) वायुमण्डल की निचली परतों में उपस्थित जल- बूंदों की संहति को कुहासा के नाम से जाना जाता है। |
(2) कोहरे में नमी कम होती है। | (2) कुहासे में नमी कोहरे की तुलना में अधिक होती है। |
(3) कोहरा मैदानों में अधिक पाया जाता है। | (3) कुहासा पहाड़ों पर अधिक पाया जाता है। |
(4) गर्म हवा की धारा में ठण्डी हवा के सम्पर्क में आने पर कोहरा अधिक प्रबल होता है। | (4) ऊपर उठती हुई गर्म हवा ढाल पर ठण्डी सतह के सम्पर्क में आने पर कुहासा अधिक प्रबल होता है। |
प्रश्न 6.
विश्व की मुख्य वर्षण प्रवृत्ति को वार्षिक वर्षण के आधार पर बताइये।
उत्तर:
वार्षिक वर्षण की कुल मात्रा के आधार पर विश्व की मुख्य वर्षण प्रवृत्ति को निम्न रूपों में पहचाना जाता ।
- विषुवतीय पट्टी, शीतोष्ण प्रदेशों में पश्चिमी तटीय किनारों के पास के पवनाभिमुख ढाल तथा मानसून क्षेत्रों के तटीय भाग प्रतिवर्ष 200 सेमी. से अधिक वर्षा प्राप्त करते हैं।
- महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष 100-200 सेमी. वर्षा होती है।
- उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के केंद्रीय भाग तथा शीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं भीतरी भाग में 50 से 100 सेमी. प्रतिवर्ष वर्षा होती है।
- महाद्वीपों के आंतरिक वृष्टि छाया प्रदेश एवं उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 50 सेमी. से भी कम वर्षा होती है।
प्रश्न 7.
वाष्पीकरण की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वाष्पीकरण की प्रक्रिया:
वायुमण्डल में जल वाष्प की मात्रा वाष्पीकरण के कारण क्रमशः घटती-बढ़ती रहती है। वाष्पीकरण वह क्रिया है जिसके द्वारा जल द्रव से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता है। वाष्पीकरण का मुख्य कारण ताप है। जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरू करता है उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहा जाता है। दिए गए हवा के अंश में जल को अवशोषित करने एवं धारण रखने की क्षमता होती है। हवा की गति सन्तृप्त परत को असन्तृप्त परत के द्वारा हटा देती है। इस प्रकार हवा की गति जितनी तीव्र होती है वाष्पीकरण उतना ही तीव्र होता है।
प्रश्न 8.
संघनन की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
उत्तर;
जल-वाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है जब आर्द्र हवा ठण्डी होती है तब उसमें जल वाष्प को धारण रखने की क्षमता समाप्त हो जाती है। तब अतिरिक्त जल- वाष्प द्रव में संघनित हो जाता है। स्वतन्त्र हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों तरफ ठण्डा होने के कारण संघनन होता है। इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केन्द्रक कहा जाता है। विशेष रूप से धूल-धुआँ तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केन्द्रक होते हैं। संघनन हवा के आयतन, ताप, दाब तथा आर्द्रता से प्रभावित होता है।
प्रश्न 9.
संघनन के घटित होने की अवस्थाएँ लिखिए।
उत्तर:
जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। संघनन सामान्यतया उस समय घटित होता है,
- वायु का आयतन नियत हो एवं तापमान ओसांक तक गिर जाये।
- वायु का आयतन तथा तापमान दोनों ही कम हो जाएँ।
- वाष्पीकरण के द्वारा वायु में और अधिक जलवाष्प प्रविष्ट हो जाए।
प्रश्न 10.
वर्षण क्या है? यह प्रक्रिया किस प्रकार होती है?
उत्तर:
स्वतंत्र हवा में लगातार संघनन की प्रक्रिया संघनित कणों के आकार को बड़ा करने में सहायता करती है। जब हवा का प्रतिरोध गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध इनको रोकने में असफल हो जाता है तब ये पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं। अतः संघनन के बाद नमी के मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं।
प्रश्न 11.
सापेक्ष आर्द्रता को समझाइये।
उत्तर:
सापेक्ष आर्द्रता :
दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। हवा के तापमान के बदलने के साथ ही आर्द्रता को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है तथा सापेक्ष आर्द्रता भी प्रभावित होती है। यह महासागरों के ऊपर सबसे अधिक तथा महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संघनन किसे कहते हैं? संघनन के प्रमुख रूप बताइये।
उत्तर:
संघनन: जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। ऊष्मा का ह्रास संघनन का कारण होता है। संघनन ठण्डा होने की मात्रा तथा हवा की सापेक्ष आर्द्रता पर निर्भर करता है। संघनन हवा के आयतन, ताप, दाब तथा आर्द्रता से प्रभावित होता है। संघनन के रूप- संघनन के प्रमुख रूप निम्न प्रकार हैं-
(1) ओस:
वायु की जल वाष्प जब संघनित होकर छोटे कणों एवं बूँदों के रूप में धरातल पर स्थित पेड़-पौधों एवं घास, पत्तियों आदि पर बैठ जाती है तो इसे ओस कहते हैं। ओस का निर्माण वायु में उपस्थित वाष्प के घनीभवन से नहीं अपितु रात्रि के समय पृथ्वी पर पेड़-पौधों से निकली वाष्प के घनीभवन से होता है जो कि ओस के रूप में उन पर बैठ जाती है। ओस जिस तापमान पर जमना प्रारम्भ होती है उसे ओसांक कहते हैं। ओस बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ, स्वच्छ आकाश, शान्त वातावरण, उच्च सापेक्ष आर्द्रता, ठण्डी तथा लम्बी रात्रि आवश्यक हैं।
(2) तुषार:
जब संघनन तापमान के जमाव बिन्दु अर्थात् 0o सेल्शियस से नीचे चले जाने पर होता है अर्थात् ओसांक जमाव बिन्दु पर या उसके नीचे होता है तो तुषार ठण्डी सतहों पर उत्पन्न होता है। इसमें अतिरिक्त नमी पानी की बूँदों की अपेक्षा छोटे-छोटे बर्फ के रवों के रूप में होती है। तुषार बनने के लिए साफ आकाश, शान्त हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता, ठण्डी व लम्बी रातें आवश्यक हैं। अतः ये सभी अवस्थाएँ ओस बनने की अवस्थाओं के समान हैं अन्तर केवल इतना है कि हवा का तापमान जमाव बिन्दु पर या उससे नीचे होना चाहिए।
(3) कोहरा एवं कुहासा:
जब बहुत अधिक मात्रा में जल वाष्प से भरी हुई वायु संहति अचानक नीचे की तरफ गिरती है तब छोटे-छोटे धूल के कणों के ऊपर ही संघनन की प्रक्रिया होती है। इसलिए कोहरा एक बादल है जिसका आधार सतह पर या सतह के बहुत नजदीक होता है। कोहरा तथा कुहासा के कारण दृश्यता बहुत कम हो जाती है। नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों में धुएँ की अधिकता के कारण केन्द्रकों की मात्रा की भी अधिकता होती है जो कि कोहरे और कुहासे के बनने में सहायक होती है।
वह स्थिति जिसमें कोहरा तथा धुआँ सम्मिलित रूप से बनते हैं, उसे ‘धूम्र कोहरा’ कहते हैं। कुहासे एवं कोहरे में केवल इतना अन्तर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है। कुहासा पहाड़ों पर अधिक पाया जाता है, क्योंकि ऊपर उठती हुई गर्म हवा ढाल पर ठंडी सतह के संपर्क में आती है। कोहरे कुहासे की अपेक्षा अधिक शुष्क होते हैं तथा जहाँ गर्म हवा की धारा ठंडी हवा के सम्पर्क में आती है, वहाँ ये प्रबल होते हैं। कोहरे छोटे बादल होते हैं, जिनमें धूलकण, धुएँ के कण तथा नमक के कण होते हैं। केन्द्रकों के चारों ओर संघनन की क्रिया होती है।
(4) बादल:
वायुमण्डल में ऊपर उठती हुई वायु का तापमान जब रुद्धोष्म प्रक्रिया के द्वारा ठण्डे होने पर ओसांक से नीचे गिर जाता है तो शीतलता के कारण वायु में संघनन की प्रक्रिया होती है जिससे वायु अत्यन्त सूक्ष्म जल – कणों एवं हिमकणों में परिवर्तित हो जाती है। इनके समूह का विस्तार और गहराई दोनों अधिक होने पर ये घने होकर जिस रूप में दिखलाई देते हैं उसे बादल या मेघ कहते हैं।
प्रश्न 2.
वर्षण (Precipitation) क्या है एवं वर्षण के विभिन्न प्रकारों को वर्णित करो।
उत्तर:
वर्षण (Precipitation):
स्वतंत्र हवा में लगातार संघनन की प्रक्रिया संघनित कणों के आकार को बड़ा करने में मदद करती है। जब हवा का प्रतिरोध गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध उनको रोकने में असफल हो जाता है तब ये पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं। इसलिए जलवाष्प के संघनन के बाद नमी के मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं। वर्षण के प्रकार – वर्षण ठोस या द्रव अवस्था में हो सकता है। रूपों के आधार पर वर्षण के निम्न प्रकार बताये जा सकते हैं-
(1) वर्षा :
वर्षण जब पानी के रूप में होता है उसे वर्षा कहा जाता है।
(2) हिमपात :
जब तापमान 0° से. से कम होता है तब वर्षण हिमतूलों के रूप में होता है जिसे हिमपात कहते हैं। इसमें नमी षट्कोणीय रवों के रूप में निर्मुक्त होती है। ये रवे हिमतूलों का निर्माण करते हैं।
(3) सहिम वृष्टि तथा करकापात :
करकापात काफी सीमित मात्रा में होता है एवं समय तथा क्षेत्र की दृष्टि से यदाकदा ही होता है। सहिम वृष्टि जमी हुई वर्षा की बूँदे हैं या पिघली हुई बर्फ के पानी की जमी हुई बूँदें हैं। जमाव बिंदु के तापमान के साथ जब वायु की एक परत सतह के नजदीक आधे जमे हुए परत पर गिरती है तब सहिम वृष्टि होती है। वर्षा की बूँदें जो गर्म हवा से निकलती हैं तथा नीचे की ओर ठंडी हवा से मिलती हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे ठोस हो जाती हैं तथा सतह पर वर्षा की बूँदों से भी छोटे आकार में बर्फ के रूप में गिरती हैं।
(4) ओलापत्थर:
कभी-कभी वर्षा की बूँदें बादल से गिरने के बाद बर्फ के छोटे गोलाकार ठोस टुकड़ों में बदल कर पृथ्वी की सतह पर पहुँचती हैं जिसे ओलापत्थर कहा जाता है। ये वर्षा के जल से बनती हैं जो कि ठंडी परतों से होकर गुजरती हैं। ये ओलापत्थर एक के ऊपर एक बर्फ की कई सकेंद्रीय परतों वाले होते हैं।
प्रश्न 3.
कोहरा एवं कुहासा की उत्पत्ति किस प्रकार होती है? बताइए।
उत्तर:
कोहरा एवं कुहासा की उत्पत्ति:
जब बहुत अधिक मात्रा में जल वाष्प से भरी हुई वायु संहति अचानक नीचे की तरफ गिरती है तब छोटे-छोटे धूल के कणों के ऊपर ही संघनन की प्रक्रिया होती है। इसलिए कोहरा एक बादल है जिसका आधार सतह पर या सतह के बहुत नजदीक होता है। कोहरा तथा कुहासा के कारण दृश्यता बहुत कम हो जाती है। नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों में धुएँ की अधिकता के कारण केन्द्रकों की मात्रा की भी अधिकता होती है जो कि कोहरे और कुहासे के बनने में सहायक होती है। वह स्थिति जिसमें कोहरा तथा धुआँ सम्मिलित रूप से बनते हैं, उसे ‘धूम्र कोहरा’ कहते हैं।
कुहासे एवं कोहरे में केवल इतना अन्तर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है। कुहासा पहाड़ों पर अधिक पाया जाता है, क्योंकि ऊपर उठती हुई गर्म हवा ढाल पर ठंडी सतह के संपर्क में आती है। कोहरे कुहासे की अपेक्षा अधिक शुष्क होते हैं तथा जहाँ गर्म हवा की धारा ठंडी हवा के सम्पर्क में आती है, वहाँ ये प्रबल होते हैं। कोहरे छोटे बादल होते हैं, जिनमें धूलकण, धुएँ के कण तथा नमक के कण होते हैं। केन्द्रकों के चारों ओर संघनन की क्रिया होती है।
प्रश्न 4.
बादल से क्या अभिप्राय है? बादलों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
बादल की परिभाषा:
वायुमण्डल में ऊपर उठती हुई वायु का तापमान जब रुद्धोष्म प्रक्रिया के द्वारा ठण्डे होने पर ओसांक से नीचे गिर जाता है तो शीतलता के कारण वायु में संघनन की प्रक्रिया होती है जिससे वायु अत्यन्त सूक्ष्म जल-
कणों एवं हिमकणों में परिवर्तित हो जाती है। इनके समूह का विस्तार और गहराई दोनों अधिक होने पर ये घने होकर जिस रूप में दिखलाई देते हैं उसे बादल या मेघ कहते हैं।
बादलों का वर्गीकरण बादलों का निर्माण पृथ्वी की सतह से कुछ ऊँचाई पर होता है। इसी कारण ये विभिन्न आकारों के होते हैं। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को निम्नलिखित प्रकारों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया है-
1. पक्षाभ मेघ:
पक्षाभ मेघों का निर्माण 8000 से 12000 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये सूक्ष्म हिमकणों के द्वारा निर्मित होते हैं जो कि देखने में रेशेदार तथा पंख के समान होते हैं। ये पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं जो कि सफेद रंग के होते हैं। शाम के समय ये विविध रंगों में परिवर्तित हो जाते हैं। जब ये बादल आकाश में किसी निश्चित दिशा से झुण्ड के रूप में दूर-दूर तक दिखाई देते हैं तो चक्रवात के आने की सूचना देते हैं।
2. कपासी मेघ:
कपासी मेघ रुई के समान दिखलाई देते हैं। इन बादलों का निर्माण प्राय: 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये चपटे आधार वाले होते हैं। ये मेघ नीले व भूरे रंग की मिश्रित पट्टियों में जल के समान फैले हुए पाए जाते हैं। इनके बीच में आ जाने से सूर्य एवं चन्द्रमा की किरणें धुँधली पड़ जाती हैं। इन मेघों के द्वारा भारी व व्यापक वर्षा होती है।
3. स्तरी मेघ:
जैसाकि इनके नाम से ज्ञात होता है ये परतदार बादल होते हैं जो कि आकाश के बहुत बड़े भाग पर फैले रहते हैं। ये बादल सामान्य रूप से या तो ऊष्मा के ह्रास या अलग-अलग तापमानों पर हवा के आपस में मिश्रित होने से बनते हैं
4. वर्षा मेघ:
वर्षा मेघ काले या गहरे स्लेटी रंग के होते हैं। ये मध्य स्तरों या पृथ्वी की सतह के काफी नजदीक बनते हैं। ये सूर्य की किरणों के लिए बहुत ही अपारदर्शी होते हैं। कभी-कभी ये बादल इतनी कम ऊँचाई पर होते हैं कि ये सतह को छूते हुए प्रतीत होते हैं। वर्षा मेघ मोटे जल वाष्प की आकृति – विहीन संहति वाले होते हैं। ये चार मूल रूपों के बादल मिलकर निम्नलिखित रूपों के बादलों का निर्माण करते हैं-
- ऊँचे बादल पक्षाभ, पक्षाभ स्तरी तथा पक्षाभ कपासी।
- मध्य ऊँचाई के बादल-स्तरी मध्य तथा कपासी मध्य।
- कम ऊँचाई के बादल-स्तरी कपासी, स्तरी वर्षा मेघ तथा कपासी वर्षा मेघ।
प्रश्न 5.
बादल कैसे बनते हैं? वर्षा के प्रकारों का वर्णन कीजिये।
अथवा
उत्पत्ति के आधार पर वर्षा के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बादलों का बनना:
बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होता है जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतन्त्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। बादलों का निर्माण पृथ्वी की सतह से पर्याप्त ऊँचाई पर होता है । उत्पत्ति के आधार पर वर्षा के प्रमुख प्रकार उत्पत्ति के आधार पर वर्षा को निम्नलिखित तीन प्रमुख प्रकारों के अन्तर्गत विभाजित किया गया है-
1. संवहनीय वर्षा:
धरातल के ऊपर की हवा गर्म हो जाने के उपरान्त हल्की होकर संवहन धाराओं के रूप में ऊपर की तरफ उठती है। यह वायुमण्डल की ऊपरी परत में पहुँचने के बाद फैलती है तथा तापमान के कम होने से ठण्डी होती है। इसके फलस्वरूप संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी मेघों का निर्माण होता है। अनुकूल दशाओं में गरज तथा बिजली कड़कने के साथ मूसलाधार वर्षा होती है।
संवहनीय वर्षा अल्प अवधि के लिए होती है। इस प्रकार की वर्षा ग्रीष्म ऋतु में या दिन के समय होती है। संवहनीय वर्षा विषुवतरेखीय क्षेत्रों विशेष रूप से उत्तरी गोलार्द्ध में महाद्वीपों के आन्तरिक भागों में होती है।
2. पर्वतीय वर्षा :
जब सन्तृप्त वायु की संहति पर्वतीय ढाल पर आती है तब यह ऊपर की तरफ उठने के लिए बाध्य हो जाती है। जैसे ही यह ऊपर की तरफ उठकर फैलती है तापमान कम हो जाता है तथा आर्द्रता संघनित हो जाती है। पवनाभिमुख ढाल पर सबसे अधिक वर्षा होना इस प्रकार की वर्षा का मुख्य गुण है। इस भाग में वर्षा होने के उपरान्त हवाएँ दूसरे ढाल पर पहुँचती हैं। जब ये नीचे की तरफ उतरती हैं तो उनका तापमान बढ़ जाता है। उस समय उनकी आर्द्रता धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है। जिस कारण प्रति पवन ढाल सूखे तथा वर्षा – विहीन रहते हैं। प्रति पवन भाग में स्थित क्षेत्र जिनमें कम वर्षा होती है उसे वृष्टि – छाया क्षेत्र कहा जाता है।
3. चक्रवातीय या फ्रन्टल वर्षा :
जब दो दिशाओं से भिन्न स्वभाव वाली वायु – राशियाँ आमने-सामने अभिसरण करती हैं तो उनके मध्य वाताग्र की उत्पत्ति होती है तथा चक्रवात का निर्माण होता है। किसी चक्रवात या अवदाब के साथ होने वाली वर्षा चक्रवातीय वर्षा कहलाती है। चक्रवात के आन्तरिक भाग में जब भिन्न तापमान वाली वायु आपस में मिलती है तो गर्म वायु हल्की होने के कारण ठण्डी व अधिक घनत्व की वायु के ऊपर चढ़ जाती है। ऊपर उठती गर्म व अस्थिर वायु नीचे की ठंडी वायु तथा ऊँचाई के प्रभाव से ठंडी होने लगती है तथा उसमें मंद गति से संघनन शुरू हो जाता है और वर्षा होने लगती है । शीतोष्ण कटिबन्ध में अधिकांश वर्षा चक्रवातों से ही होती है। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के द्वारा ग्रीष्म काल में पर्याप्त वर्षा होती है। चक्रवातीय वर्षा के उपरान्त आसमान साफ तथा मौसम सुहावना जाता है जिसे प्रति चक्रवातीय स्थिति कहते हैं।
मानचित्रात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
चित्र 1 एवं 2 में दिखाए गए बादल किस प्रकार के हैं?
उत्तर:
चित्र 1 में दिखाये गये बादल पक्षाभ मेघ हैं तथा चित्र 2 में दिखाये गये बादल कपासी मेघ हैं।