Students can find the 12th Class Hindi Book Antral Questions and Answers CBSE Class 12 Hindi Elective रचना कैसे बनती है कविता to develop Hindi language and skills among the students.
CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कैसे बनती है कविता
कविता कैसे बनती है?
इकाई दो : सृजनात्मक लेखन
कविता में शब्दों का चयन
कविता क्या है?
कैसे बनती है कविता
इस पाठ में हम पढ़ेंगे और जानेंगे
कविता में बिंब और छंद
कविता की संरचना
कविता के घटक
समय – समय पर अनुकूल परिस्थितियों में तुकबंदी के रूप में
यही बोल कविता बन जाते हैं।
कविता क्या है?
मानव के मन में तरह-तरह के भाव छिपे होते हैं। ये भाव बाहर आ जाते हैं और कविता का रूप ले लेते हैं। तुकबंदी के जॉर्ज लुइस बोर्जेस के शब्दों में, “कविता कोने में घात लगाए बैठी है, यह हमारे जीवन में किसी भी क्षण वसंत की तरह आ सकती है।”
कविता कैसे बनती है ?
कविता के बनने की कहानी जाने-अनजाने हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं, कभी माँ, दादी और नानी की ज़बानी तो कभी लोरी के बोल के रूप में, कभी बच्चों के खेलगीत के रूप में तो कभी तोतली ज़बान में बच्चे द्वारा गुनगुनाए जा रहे गीत के रूप में। कविता की इस जानी-पहचानी दुनिया से हम सब परिचित हैं।
कविता की जानी-पहचानी – सी दुनिया उस समय अपरिचित – सी लगने लगती है जब हम यह सोचते हैं कि कविता के बोल में वह कौन – सी चीज़ है जो दुनिया के बोल से ताल मिलाने के लिए ज़रूरी है? तब हमें कविता के खेत-खलिहान, बाग-बगीचे, चिड़िया, शेर, पानी, सूखा, गाँव, नगर सब अपरिचित-से लगने लगते हैं। इस अपरिचित दुनिया में गोते लगाने वाले आलोचक और कवियों को कविता कभी जादू लगती है तो कभी पहेली लगने लगती है।
कविता क्या है?
कविता का जन्म वाचिक परंपरा से हुआ है, पर यह आज लिखित रूप में मौजूद है। कविता क्या है, यह प्रश्न जितना आसान है, इसका उत्तर उतना ही कठिन है। इसके बाद भी कविता हमारी संवेदना के निकट होती है जो हमारे मन को छू लेती है और कभी – कभी मन को झकझोर देती है। इसके मूल में संवेदना और रागतत्व है। यह संवेदना संपूर्ण सृष्टि से जुड़ने और उसे अपना बना लेने का बोध है। इसी संवेदना के कारण रत्नाकर डाकू, वाल्मीकि बन गए।
इसी को सुमित्रानंदन पंत जी ने कहा है-
वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान।
उमड़कर आँखों से चुपचाप
बही होगी कविता अनजान।।
जिस तरह चित्रकला संगीतकला, नृत्यकला आदि कलाएँ सिखाई जा सकती हैं, तो कविता क्यों नहीं? यह सवाल कविता का जादू खोलने लगता है। हम ज्यों-ज्यों इन सवालों का जवाब पाने का प्रयास करते हैं, त्यों-त्यों कविता के प्रति हमारी रुचि बढ़ती जाती है। इससे हम संभवतः कवि भले ही न बन पाएँ पर एक अच्छा भावुक या सहृदय पाठक ज़रूर बन जाते हैं। एक अच्छी कविता बार-बार पढ़े जाने के लिए उसी तरह आमंत्रित करती है, जैसे कुछ-कुछ शास्त्रीय संगीत। दूर रहने पर कविता रहस्यमयी लगती है, परंतु करीब जाने पर उसे बार-बार सुनने और देर तक सुनने को जी चाहता है।
के लिए कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ देखें –
तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ
विधवाएँ जप ध्यान में मगन
मंथर धारा में बहता
जिनका अदृश्य गति अंतर – रोदन !
‘बगुलों-सी वृद्धाएँ विधवाएँ’ पढ़कर हमारी स्मृति में बगुले का आकार, उसकी सफ़ेदी और वृद्ध विधवाओं के घुटे सिर के कारण गरदन का आकार तथा उनके सफ़ेद वस्त्र एकाकार हो जाते हैं।
चित्र भाषा :
छायावादी कवियों में विशिष्ट स्थान रखनेवाले सुमित्रानंदन पंत ने कविता के लिए चित्र भाषा की आवश्यकता पर बल दिया है, क्योंकि चित्रों या बिंबों का प्रभाव अधिक पड़ता है। दृश्य बिंब अधिक बोधगम्य होते हैं क्योंकि देखी हुई चीज़ हमें अधिक प्रभावित करती है। कविता की रचना करते समय हमें शुरुआत में धीरे-धीरे दृश्य और श्रव्य बिंबों की संभावना तलाश करनी चाहिए। ये बिंब सभी को आकृष्ट करते हैं। किसी विचारक ने कहा है कि कविता ऐसी चीज़ है, जिसे पाँचों ज्ञानेंद्रियों रूपी पाँचों उँगलियों से पकड़ा जाता है। जिस कवि में जितनी बड़ी ऐंद्रिक पकड़ होती है, वह उतनी ही प्रभावशाली कविता की रचना करने में समर्थ हो पाता है।
छंद कविता का अनिवार्य तत्व :
छंद जिसका दूसरा नाम आंतरिक लय भी है, कविता का अनिवार्य तत्व है। मुक्त छंद की कविता लिखने के लिए भी अर्थ के लय का निर्वाह जरूरी है। कवि को भाषा के संगीत की पहचान होनी चाहिए। नागार्जुन की कविता ‘बादल को घिरते देखा है’ में मात्रा के अनुसार कोई छंद न होकर भी संगीतात्मक लयात्मकता है। धूमिल की कविता ‘मोचीराम’ में भी ऊपर से देखने पर छंद नहीं है पर अर्थ का अपना भीतरी छंद मौजूद है –
बाबू जी! सच कहूँ – मेरी निगाह में
न कोई छोटा है
न कोई बड़ा है
मेरे लिए हर आदमी एक जोड़ी जूता है
जो मेरे सामने मरम्मत के लिए खड़ा है।
कविता के घटक परिवेश और संदर्भ से परिचालित होते हैं। नागार्जुन की कविता ‘अकाल और उसके बाद में गाँव का परिवेश है, जिसमें ‘अकाल’ और उसके बाद आए परिवर्तन का संदर्भ है, जिसके आसपास कविता की भाषा, बिंब, छंद, सब कुछ घूमते हैं।
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की हालत रही शिकस्त
× × × ×
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन के अंदर कई दिनों के बाद।
इस कविता में कवि ने अकाल और उसके भीतर होने वाले बदलाव को सांगीतिक व्यवस्था के अंतर्गत कुछ संकेतों द्वारा प्रकट करके अपनी बात कह दी है। घर में दाने आना, आँगन से ऊपर उठता धुआँ, घरवालों की आँखों में आई चमक इसका उदाहरण है।
कवि ने गाँव का परिवेश दिखाने के लिए चूल्हा, चक्की, दाने, आदि तद्भव शब्दों का प्रयोग हुआ है। इनमें से किसी शब्द को बदलकर उसका पर्याय रख देने से कविता का अर्थ बदल जाता है। इसके अलावा कविता में एक साथ ठेठ गँवई शब्दों के साथ ‘शिकस्त’, ‘गश्त’ जैसे उर्दू शब्दों का प्रयोग इसे सहज परिवेश देता है। इसके विपरीत यही कवि जब ‘बादल को घिरते देखा है’ नामक कविता में विराट प्रकृति और भव्य हिमालय का वर्णन करता है तो उसे कालिदास याद आते हैं और भाषा खुद-ब-खुद तत्सम पदावली युक्त हो जाती है।
कविता के अन्य तत्व :
परिवेश के साथ-साथ कविता के सभी घटक भाव तत्व से परिचालित होते हैं। कवि की वैयक्तिक सोच दृष्टि और दुनिया को देखने का नजरिया कविता की भाव- संपदा बनती है। उसकी इस वैयक्तिकता में सामाजिकता मिली होती है। इसका उदाहरण है- निराला की ‘सरोज स्मृति’, जिसमें घनघोर निजता और उतनी ही सामाजिकता देखने को मिलती है। कवि ने इसका निर्वाह कविता में किया है। भाषा के साथ कवि का यह बरताव ही कविता कहलाती है। इन्हीं तत्वों को उजागर करने वाली आंतरिक क्षमता का नाम प्रतिभा है, जिसे हम दुनिया के महान कवियों में पाते हैं।
कविता के कुछ प्रमुख घटक :
कविता भाषा में होती है, अतः भाषा का सम्यक ज्ञान आवश्यक है।
भाषा शब्दों से बनती है। शब्दों का एक विन्यास होता है, जिसे भाषा कहते हैं। भाषा प्रचलित एवं सहज हो, पर इसकी संरचना ऐसी हो कि यह पाठक को नई लगे। कवि को छंद के अनुशासन की जानकारी आवश्यक है। इसके बिना आंतरिक लय का निर्वाह संभव नहीं है। छंदोबद्ध कविता के लिए छंद की बुनियादी जानकारी आवश्यक है ही, मुक्त छंद कविता लिखने के लिए भी इसका ज्ञान जरूरी है।
कविता समय विशेष की उपज होती है। उसका स्वरूप समाज के साथ-साथ बदलता रहता है। अतः किसी समय विशेष की प्रचलित प्रवृत्तियों की ठीक-ठीक जानकारी भी कविता की दुनिया में प्रवेश के लिए आवश्यक है। कम-से-कम शब्दों में अपनी बात कहना और कभी-कभी दो शब्दों या दो वाक्यों के बीच कुछ अनकही छोड़ देना कवि की ताकत बन जाती है। कविता की रचना के लिए चीजों को देखने की नवीन दृष्टि या नए को पहचानने और प्रस्तुत करने की कला को प्रतिभा कहते हैं। इसके बिना काव्य लेखन संभव नहीं होता है। यह प्रतिभा प्रकृति प्रदत्त होती है जो हर व्यक्ति में किसी-न-किसी रूप में मौजूद होती है।
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न –
प्रश्न 1.
आपने अनेक कविताएँ पढ़ी होंगी। उनमें से आपको कौन-सी कविता सबसे अच्छी लगी? लिखिए। यह भी बताइए कि आपको वह कविता क्यों अच्छी लगी?
उत्तर :
मैंने अनेक कविताएँ पढ़ी हैं, लेकिन मुझे निम्नलिखित कविता सबसे अच्छी लगी –
बनारस
इस शहर में वसंत
अचानक आता है
और जब आता है तो मैंने देखा है
लहरतारा या मडुवाडीह की तरफ़ से
उठता है धूल का एक बवंडर
और इस महान पुराने शहर की जीभ
किरकिराने लगती है
जो है वह सुगबुगाता है
जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचखियाँ
आदमी दशाश्वमेध पर जाता है
और पाता है घाट का आखिरी पत्थर
कुछ और मुलायम हो गया है
सीढ़ियों पर बैठे बंदरों की आँखों में
एक अजीब सी नमी है
और एक अजीब सी चमक से भर उठा है
भिखारियों के कटोरों का निचाट खालीपन
तुमने कभी देखा है
खाली कटोरों में वसंत का उतरना !
यह शहर इसी तरह खुलता है
इसी तरह भरता
और खाली होता है यह शहर
इसी तरह रोज़-रोज़ एक अनंत शव
ले जाते हैं कंधे
अँधेरी गली से
चमकती हुई गंगा की तरफ
इस शहर में धूल
धीरे-धीरे उड़ती है
धीरे-धीरे चलते हैं लोग
धीरे-धीरे बजते हैं घंटे
शाम धीरे-धीरे होती है
यह धीरे-धीरे होना
धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय
दृढ़ता से बाँधे है समूचे शहर को
इस तरह कि कुछ भी गिरता नहीं है
कि हिलता नहीं है कुछ भी
कि जो चीज़ जहाँ थी
वहीं पर रखी है
कि गंगा वहीं है
कि वहीं पर बँधी है नाव
कि वहीं पर रखी है तुलसीदास की खड़ाऊँ
सैकड़ों बरस से
कभी सई-साँझ
बिना किसी सूचना के
घुस जाओ इस शहर में
कभी आरती के आलोक में
इसे अचानक देखो
अद्भुत है इसकी बनावट
यह आधा जल में है
आधा मंत्र में
आधा फूल में है
आधा शव में
आधा नींद में है
आधा शंख में
अगर ध्यान से देखो
तो यह आधा है
और आधा नहीं भी है
जो है वह खड़ा है
बिना किसी स्तंभ के
जो नहीं है उसे थामे है
राख और रोशनी के ऊँचे-ऊँचे स्तंभ
आग के स्तंभ
और पानी के स्तंभ
धुएँ के
खुशबू के
आदमी के उठे हुए हाथों के स्तंभ किसी अलक्षित सूर्य को
देता हुआ अर्घ्य
शताब्दियों से इसी तरह गंगा के जल में
अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर अपनी दूसरी टाँग से
बिलकुल बेखबर !
‘बनारस’ कविता अच्छी लगने के कारण :
- यह कविता बनारस के घाट का वातावरण हमारी आँखों के सामने साकार कर देती है।
- इसमें शब्दों का चयन उत्तम है तथा यथास्थान तत्सम शब्दावली का स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।
- इस कविता में ऊपर से भले ही कोई छंद न हो पर तुकांतमय होने के कारण एक आंतरिक लय है।
- कविता में घाटों की गतिविधियों का दृश्य – बिंब साकार हो उठा है तो मंदिर में बजते घंटे, शंख और घंटियों की आवाज़ें श्रव्यबिंब उपस्थित कर देती हैं।
प्रश्न 2.
आपके जीवन में अनेक ऐसी घटनाएँ घटी होंगी जिन्होंने आपके मन को छुआ होगा। उस अनुभूति को कविता के रूप में लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :
छात्र अपने जीवन में घटी किसी ऐसी घटना को याद करें, जिसने उनके मन को छुआ हो। अब उस अनुभूति को कविता के रूप में लिखने का प्रयास करें।
प्रश्न 3.
शब्दों का खेल, परिवेश के अनुसार शब्द- चयन, लय, तुक, वाक्य संरचना, यति गति बिंब, संक्षिप्तता के साथ-साथ विभिन्न अर्थ स्तर आदि से कविता बनती है। दी गई कविता में इनकी पहचान कर अपने शब्दों में लिखें –
एक-जनता का
दुख एक।
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक।
दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।
कंगाल बुद्धि; मजूर घर भर।
एक जनता का-अमरवर;
एकता का स्वर।
अन्यथा स्वातंत्र्य इति।
– शमशेर बहादुर सिंह
उत्तर :
कविता शब्दों के खेल से शुरू होती है और इसकी रचना करने के लिए एक व्यवस्था तक जाती है।
शब्दों का यही खेल एक ऐसी दुनिया में ले जाता है, जहाँ रिद्म, लय और एक व्यवस्था है।
इस प्रश्न में दी गई कविता – ‘एक जनता का स्वांतत्र्य इति’ में शब्दों का यही खेल इसे रिम और लय देते हुए एक व्यवस्था तक लाया है। ‘एक जनता’, ‘स्थिति – इति’, ‘घर भर’, ‘अमरवर’, ‘स्वर’ शब्दों के प्रयोग से कविता में लयबद्धता आ गई है। ‘हवा में उड़ती पताकाएँ’ परिवेश निर्मित कर रही हैं। इस कविता में कवि ने बाहय संवेदनाओं को मन के स्तर पर बिंबित करते हुए क्रूर स्थिति को दैन्य दानव के रूप में चित्रित किया है। यूँ तो कविता देखने में संक्षिप्त है, पर यह अपने में व्यापक अर्थ समेटे हुए है।
कैसे बनती है कविता
कुछ अन्य प्रश्न –
कविता की रचना प्रक्रिया पर आधारित प्रश्न –
प्रश्न 1.
कविता बनने की कहानी कहाँ से शुरू होती है?
उत्तर :
कविता बनने की कहानी माँ, दादी और नानी की जुबानी गाई जाने वाली लोरियों के बोल से शुरू होती है।
प्रश्न 2.
बच्चों का कविता की दुनिया से परिचय कब होता है?
उत्तर :
बच्चों का कविता की दुनिया से परिचय खेल गीत, स्कूल जाते हुए साथियों से सुने हुए गीतों को तोतली ज़बान में
दोहराने से होता है।
प्रश्न 3.
विद्यालयों में बच्चों का परिचय कविता से किस तरह कराया जाता है?
उत्तर :
विद्यालयों में बच्चों का परिचय कविता से कराने के लिए उनकी पढ़ाई की शुरुआत नर्सरी गानों से की जाती है।
प्रश्न 4.
हमें कविता कब जानी-पहचानी सी लगती है?
उत्तर :
कविता उस समय हमें जानी-पहचानी सी लगती है जब हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि कविता में वह कौन – सी चीज़ है जो दुनिया के बोल से ताल मिलाने के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 5.
कविता का जन्म किस परंपरा के रूप में हुआ और यह आज किस रूप में मौजूद है ?
उत्तर :
कविता का जन्म वाचिक परंपरा के रूप में हुआ और यह आज लिखित रूप में मौजूद है।
प्रश्न 6.
सहृदय पाठक के मन पर कविता का क्या असर होता है?
उत्तर :
कविता सहृदय पाठकों की संवेदना के निकट होती है। वह पाठकों के मन को छू लेती है और कभी-कभी झकझोर भी देती है।
प्रश्न 7.
कविता के मूल में कौन से तत्व समाहित हैं? ये तत्व मन पर क्या असर डालते हैं?
उत्तर :
कविता के मूल में संवेदना और राग – तत्व हैं। यहीं संवेदना एवं राग – तत्व संपूर्ण सृष्टि से जुड़ने और उसे अपना बना लेने का बोध कराते हैं। विशेष रूप से संवेदना तत्व मानव मन पर अत्यंत गहरा प्रभाव डालता है। इसी तत्व के कारण डाकू रत्नाकर, वाल्मीकि बन गए थे।
प्रश्न 8.
पश्चिम के कुछ देश काव्य-लेखन को बढ़ावा देने के लिए किस तरह प्रयास करते हैं?
उत्तर :
पश्चिम के कुछ देश काव्य-लेखन को बढ़ावा देने के लिए अपने विश्वविद्यालयों के माध्यम से काव्य-लेखन के
बारे में विद्यालयों को प्रशिक्षण देते हैं।
प्रश्न 9.
कविता के जादू का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
कविता के जादू का मनुष्य पर यह प्रभाव पड़ता है कि मनुष्य इसके प्रभाव से अच्छी कविता की रचना करने वाला कवि भले ही न बन पाए पर वह एक अच्छा और भावुक पाठक अवश्य बन जाता है।
प्रश्न 10.
एक अच्छी कविता की पहचान क्या है?
उत्तर :
एक अच्छी कविता की पहचान यह है कि वह शास्त्रीय संगीत की तरह ही पाठक को इस बात का आमंत्रण देती है कि पाठक उसे बार-बार पढ़े। जब व्यक्ति उससे दूर रहता है तो वह रहस्यमयी लगती है और उसके करीब जाते ही उसे बार-बार और देर तक सुनने को जी चाहता है।
प्रश्न 11.
कविता चित्रकला से किस तरह भिन्न है?
उत्तर :
चित्रकला में रंग, कूँची और कैनवास आदि की ज़रूरत होती है। इसके विपरीत कविता ऐसी कला है, जिसमें किसी बाह्य उपकरण की मदद नहीं ली जा सकती है। इस तरह कविता चित्रकला से भिन्न है।
प्रश्न 12.
कविता के संबंध में कवि के सामने क्या कठिनाई आती है?
उत्तर :
कविता के संबंध में कवि के सामने यह कठिनाई आती है कि कवि को भाषा के उन्हीं उपकरणों से काम लेकर कुछ विशेष रचना होता है जो विभिन्न विषयों और हमारे दैनिक जीवन का माध्यम है। कवि अपनी इच्छानुसार शब्द जुटाता है और उसे लय से गठित करता है।
प्रश्न 13.
कविता की अनजानी दुनिया का सबसे पहला उपकरण और इसकी पहली शर्त क्या है ?
उत्तर :
कविता की अनजानी दुनिया का सबसे पहला उपकरण शब्द है और इसकी पहली शर्त है – शब्दों से मेल-जोल।
प्रश्न 14.
‘शब्दों से खेलने का आशय क्या है?
उत्तर :
शब्दों से खेलने का तात्पर्य है- ‘उनसे मेल-जोल बढ़ाना और शब्दों के भीतर सदियों से छिपे अर्थ की परतों को खोलना।
प्रश्न 15.
कविता के संदर्भ में शब्द और इंटरनेट में क्या समानता है?
उत्तर :
कविता के संदर्भ में शब्द और इंटरनेट में यह समानता है कि जिस तरह इंटरनेट अपने भीतर बहुत कुछ समेटे है, उसी तरह एक शब्द अपने भीतर कई-कई अर्थ छिपाए रहता है। शब्दों से जुड़ना ही कविता की दुनिया में प्रवेश करना है।
प्रश्न 16.
कविता के रचने की कहानी शब्दों की व्यवस्था तक किस प्रकार जाती है?
उत्तर :
कविता की रचना शब्दों और ध्वनियों से खेलने का प्रयास है। शब्दों का यह खेल एक ऐसी दुनिया में ले जाता है जहाँ लय है, रिद्म है और एक व्यवस्था है। यही प्रवृत्ति आगे चलकर शब्दों को ठीक-ठीक रखकर अर्थ के खेल खेलना सिखा देती है। इस तरह कविता के रचने की कहानी शब्दों की व्यवस्था तक जाती है।
प्रश्न 17.
कविता के संदर्भ में आंतरिक लय किसे कहा जाता है? कविता में इनकी क्या महत्ता है ?
उत्तर :
कविता के संदर्भ में बिंब और छंद को आंतरिक लय कहा जाता है। यह कविता को इंद्रियों से पकड़ने का साधन है।
प्रश्न 18.
कविता का बिंब किस तरह निर्मित होता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुछ विशेष शब्दों को सुनकर अनायास मन के भीतर कुछ चित्र कौंध जाते हैं। ये स्मृति – चित्र ही शब्दों के सहारे कविता का बिंब निर्मित करते हैं, जैसे –
तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ
विधवाएँ जप ध्यान में मगन।
प्रश्न 19.
कविता में चित्र – भाषा की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर :
कविता में चित्र – भाषा की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि चित्रों या बिंबों का मन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। दृश्य बिंब अधिक बोधगम्य होते हैं क्योंकि हर देखी चीज़ हमें अधिक प्रभावित करती है।
प्रश्न 20.
कविता में भाव-संपदा किस तरह बनती है?
उत्तर :
परिवेश के साथ-साथ कविता के सभी घटक भाव-तत्व से परिचालित होते हैं। कवि की वैयक्तिक सोच, दृष्टि और दुनिया को देखने का नज़रिया कविता की भाव- संपदा बनती है। कवि की इस वैयक्तिकता में सामाजिकता भी मिली होती है।