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CBSE Class 12 Hindi Elective Rachana कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया
कार्यालयी कामकाज में फ़ाइलें महत्वूपर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकारी कामकाज की गाड़ी फ़ाइलों की पटरियों पर चलती हुई अपने गंतव्य तक पहुँचती है।
किसी भी कार्यालय में किसी भी विषय पर विचार करने और उस पर निर्णय लेने के लिए उससे संबंधित एक फ़ाइल होती है। अतः उस विषय से संबंधित जो प्रस्ताव या पत्र दूसरे कार्यालयों या बाहरी व्यक्तियों से प्राप्त होते हैं; उन्हें फ़ाइल की दाहिनी तरफ़ रखा जाता है और उस विषय या प्रस्ताव पर विचार हेतु जो टिप्पणियाँ लिखी जाती हैं अथवा मंतव्य प्रकट किए जाते हैं, वे फ़ाइल की बाईं तरफ़ लगे पृष्ठों पर होते हैं।
सरकारी कार्यालयों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते कार्यलयी पत्रों को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। जैसे कुछ पत्र सूचना प्राप्त करने या भेजने के लिए लिखे जाते हैं तो कुछ पत्रों के द्वारा मुख्यालय या बड़े अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों/कर्मचारियों को आदेश भेजते हैं। कुछ पत्र ऐसे भी होते हैं जो पत्र-पत्रिकाओं को विभागीय गतिविधियों की जानकारी देने के लिए भेजे जाते हैं। इस प्रकार से हम देखते हैं कि पत्र कई तरह के होते हैं और इनके स्वरूप भी भिन्न-भिन्न होते हैं।
आइए, इन स्वरूपों को समझने के लिए हम किसी कार्यालय में पत्राचार के माध्यम से चलने वाली कहानी को समझते हैं। कार्यालय का नाम है – ‘ भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान’। इस कार्यालय में अनुभाग अधिकारी के रूप में शंकरन जी कार्यरत हैं। इस समय ये अपनी कुर्सी पर बैठकर पूरी ईमानदारी से किसी अहम मसले को सुलझाने में व्यस्त हैं। उनके सामने एक पत्र है, जो मुंबई के क्षेत्रीय कार्यालय से आया हुआ है। यह पत्र ही मसले का केंद्रबिंदु है, जो इस प्रकार है-
सरकारी पत्र / औपचारिक पत्र –
भारतीय कला एवं सस्कृति संस्थान
क्षेत्रीय कार्यालय : मुंबई
मुंबई, 15 मार्च 2005
फा.संख्याः मुंबई/का./5/2005/206
सेवा में,
महानिदेशक
भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान
तिलक मार्ग, नयी दिल्ली-110001
विषयः मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय के लिए निर्धारित सीमा
महोदय,
कृपया अपने परिपत्र का स्मरण करें जिसकी संख्या 24/13/प्र./2004 थी, जो 23 नवंबर 2004 को जारी किया गया था। परिपत्र में हिदायत दी गई थी कि मोबाइल फ़ोन पर महीने में दो हजार से अधिक खर्च नहीं किया जाना चाहिए।
इस संबंध में निवेदन है कि मुंबई स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की गतिविधियाँ अत्यंत व्यापक हैं। देश के तमाम फ़िल्म और टेलीविजन निर्माता मुंबई में ही हैं। इनकी वजह से विभिन्न विधाओं के कलाकार बड़ी संख्या में मुंबई में ही निवास करते हैं। साथ ही निदेशक को देश के विभिन्न नगरों में स्थित कार्यालयों एवं क्षेत्रीय कार्यालय से भी निरंतर संपर्क में रहना पड़ता है। साथ ही संस्थान की गतिविधियों के लिए प्रायोजक जुटाने के सिलसिले में देश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों से भी लगातार बात करनी पड़ती है।
ऊपर बताए तथ्यों की वजह से दो हज़ार रुपये मासिक की सीमा मुंबई कार्यालय के लिए कम पड़ रही है। पिछले छह महीनों से यह देखा जा रहा है कि मासिक खर्च छह हज़ार रुपये के आसपास आता है।
अतः निवेदन है कि मुंबई कार्यालय की विशेष स्थिति को ध्यान में रखते हुए मोबाइल फ़ोन पर मासिक खर्च की सीमा बढ़ाकर छह हज़ार कर दी जाए।
भवदीय
राकेश
(राकेश कुमार)
निदेशक
उपर्युक्त पत्र ध्यान से पढ़कर पत्राचार संबंधी कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उभर सामने आते हैं। इन्हें पत्राचार करने वालों को ध्यान में रखना चाहिए –
सरकारी पत्र संबंधी ध्यातव्य बिंदु :
- सरकारी पत्र ‘ औपचारिक पत्र’ की श्रेणी में आते हैं।
- ये पत्र एक कार्यालय, विभाग या मंत्रालय द्वारा दूसरे कार्यालय, विभाग या मंत्रालय को लिखे जाते हैं।
- पत्र के शीर्ष पर कार्यालय, विभाग या मंत्रालय का नाम व पता लिखा जाता है।
- पत्र के बायीं तरफ फ़ाइल संख्या या पत्र क्रमांक या पत्रांक तथा उसके नीचे ही दिनांक लिखा जाता है। इससे पत्र का विषय, विभाग का नाम तथा समय का पता चलता है।
- ‘सेवा में’ का प्रयोग अब समाप्ति की ओर है। अतः इसका प्रयोग नहीं किया जाए तो अच्छा।
- प्राप्तकर्ता का नाम, पता आदि भी बायीं ओर लिखा जाता है।
- ‘विषय’ शीर्षक के अंतर्गत संक्षेप में पत्र का प्रयोजन या संदर्भ लिखा जाता है।
- विषय के बाद बायीं तरफ ‘महोदय’ संबोधन लिखते हैं।
- पत्र की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए। सटीक अर्थ के लिए प्रशासनिक शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए।
- पत्र के अंत में ‘ भवदीय’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
- भवदीय के नीचे प्रेषक के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में प्रेषक का नाम तथा उससे नीचे पदनाम लिखा जाता है।
- पत्र के बायीं ओर प्रेषक का पता दिया जाता है।
सरकारी पत्र के अन्य उदाहरण –
प्रश्न 1.
भारत सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ़ से पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को नक्सलवादी घटनाओं के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए पत्र।
उत्तर :
नई दिल्ली: 20 अक्तूबर, 20xx
फ़ा० संख्या: 45 (गृ० पं० ब०) /09/545
भारत सरकार
गृह मंत्रालय,
नई दिल्ली।
मुख्य सचिव
पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता।
विषय – राज्य में नक्सलवादी घटनाओं के संदर्भ में।
महोदय,
मुझे यह सूचना देने का निर्देश दिया गया है कि-
1. पश्चिमी बंगाल राज्य में नक्सलवादियों की गतिविधियाँ बढ़ती जा रही हैं। इन गतिविधियों के बढ़ने से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। केंद्र सरकार इस समस्या से चिंतित है तथा उसने कड़े कदम उठाने का निश्चय किया है। अतः राज्य सरकार को भी कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।
2. हाल ही में आदिवासियों द्वारा अपहृत राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन के घटनाक्रम की तमाम जानकारी शीघ्र भेजें। भवदीय
हस्ताक्षर : ……….
(विनय कुमार )
सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार,
नई दिल्ली।
प्रश्न 2.
लड़कियों के साथ छेड़छाड़ रोकने तथा उनकी सुरक्षा करने का समुचित उपाय करने का निर्देश देते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से मुख्य सचिव दिल्ली सरकार को एक पत्र।
उत्तर :
नई दिल्ली: 25 जनवरी, 20xx
फा. क्रमांक: 12 (गृ० म०) / 20xx/150
भारत सरकार
गृह मंत्रालय,
नई दिल्ली।
मुख्य सचिव
दिल्ली सरकार,
नई दिल्ली।
विषय- लड़कियों की सुरक्षा के संबंध में।
महोदय,
उपर्युक्त विषय एवं पत्र क्रमांक के संबंध में मुझे आपको सूचित करने का निर्देश हुआ है कि विगत कुछ समय से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में जिस तरह कुछ मनचले युवकों द्वारा लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, वह मंत्रालय के लिए चिंता का विषय है। स्कूल-कॉलेज तथा कार्यालय आती-जाती लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बलात्कार आदि की घटनाएँ बढ़ रही हैं। 12 दिसंबर के उत्तरार्ध में घटी घटना ने समूची दिल्ली को आक्रोश से भर दिया है तथा महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर किए जा रहे उपायों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए समुचित कदम उठाए जाएँ तथा इनका विवरण समय-समय पर मंत्रालय को भेजा जाए।
भवदीय
हस्ताक्षर
(अभिनव कुमार)
सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार,
नई दिल्ली।
अब आप औपचारिक पत्र / सरकारी पत्र के विषय में जान गए होंगे। अतः इन पत्रों की कहानी को आगे बढ़ाते हैं। वस्तुतः राकेश कुमार (निदेशक) के पत्र को पढ़कर शंकरन जी ने बुरा-सा मुँह बनाया। वे पत्र में दिए गए तर्कों से बिलकुल सहमत नहीं थे। वे इसे फिजूलखर्ची मान रहे थे। लिहाजा उन्होंने वह पत्र कार्यालय के विधि-विधान के तहत अपने सहायक ज्ञान प्रकाश जी को इस निर्देश के साथ भेजा कि इस पर आवश्यक कार्रवाई तत्काल की जाए। वस्तुतः ज्ञान प्रकाश जी कार्यालय संबंधी नियमावली के बहुत अच्छे जानकार थे। उन्होंने वह फ़ाइल तुरंत निकाली जो मोबाइल फ़ोन के खर्च में. कटौती से संबंधित थी। उस पर लगे परिपत्र आदि को ध्यान से पढ़ने के पश्चात उन्होंने कुछ इस प्रकार की टिप्पणी लिखी –
मुख्य टिप्पण-
यह टिप्पणी मुंबई स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक के इस पत्र से संबंधित है जिसकी फा. संख्या मुंबई/का./5/2005 है और जो दिनांक 15 मार्च, 2005 को भेजी गई है। पत्र में ये निदेशक ने मोबाइल फोन के मासिक व्यय पर लगाई गई सीमा को दो हज़ार रुपये से छह हज़ार रुपये तक बढ़ाए जाने का आग्रह किया है।
इस संदर्भ में महानिदेशालय द्वारा दिनांक 23 नवंबर, 2004 को जारी परिपत्र पर ध्यान देना आवश्यक है जो इस फ़ाइल की पृष्ठ संख्या 12 पर है। इस परिपत्र में खर्च की सीमा दो हज़ार रुपये निर्धारित कर दी गई है और किसी भी परिस्थिति में किसी प्रकार की छूट का प्रावधान नहीं है।
इस सिलसिले में कृपया इस फ़ाइल में इसी विषय पर की गई पहले की टिप्पणी को देखें जो पृष्ठ संख्या 8/ टिप्पण पर है। टिप्पणी को पढ़ने से स्पष्ट है कि खर्च की सीमा का निर्धारण सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सोच-समझकर लिया गया है।
यह भी विचारणीय है कि खर्च की सीमा बोर्ड की स्वीकृति से निर्धारित हुई है और बिना बोर्ड की अनुमति के इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है।
विचारार्थ प्रस्तुत
अनुभाग अधिकारी
ज्ञान
(ज्ञान प्रकाश)
सहायक
टिप्पण संबंधी ध्यातव्य बिंदु –
1. किसी भी विचाराधीन पत्र अथवा प्रकरण को निपटाने के लिए उस पर जो राय, मंतव्य अथवा आदेश, निर्देश दिया जाता है, वह ‘टिप्पण’ कहलाता है। इसका उद्देश्य मामले को नियमानुसार निपटाना है।
2. टिप्पण लेखन से पूर्व सहायक का संबंधित विषय को समझना आवश्यक है, अन्यथा उस पर उच्च अधिकारी को निर्णय लेने में कठिनाई होगी।
3. टिप्पण अपने-आप में पूर्ण व स्पष्ट होना चाहिए।
4. यह सदैव अन्य पुरुष में लिखा जाना चाहिए।
5. टिप्पण संक्षिप्त, विषय-संगत और क्रमबद्ध होना चाहिए।
6. टिप्पण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
7. किसी भी कार्यालय में टिप्पण कार्य अधिकतर सहायक स्तर पर होता है।
8. जिस टिप्पण में सहायक विचाराधीन मामले का संक्षिप्त ब्योरा देते हुए उसका विवेचन किया जाता है, उसे
या आरंभिक टिप्पण कहते हैं।
मुख्य टिप्पण
9. टिप्पण में सर्वप्रथम मूल पत्र या आवती में दिए गए विवरण या बातों को सार स्वरूप दिया जाता है। तत्पश्चात प्रस्ताव की व्याख्या की जाती है। साथ-साथ संबंधित नियमों-विनियमों को ध्यान में रखते हुए अपनी राय स्पष्ट की जाती है।
10. टिप्पण के अंत में सहायक अधिकारी दाईं ओर अपने हस्ताक्षर कर उसे अपने अधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत करता है। अधिकारी का नाम बाईं ओर लिखा जाता है।
मुख्य टिप्पण के अन्य उदाहरण –
प्रश्न 1.
बजट सत्र के कारण कार्यालय में काम अधिक हो गया है, उसे निपटाने के लिए दो सहायकों की तदर्थ नियुक्ति के लिए अधिकारी की ओर से टिप्पण।
उत्तर :
वित्त विभाग
सचिवालय
बजट सत्र अनुभाग
उपसचिव (प्रशासन) को ज्ञात है कि बजट सत्र में वित्तीय मामलों के कारण कार्यभार अत्यधिक बढ़ जाता है। इस समय बजट सत्र की तैयारियाँ ज़ोरों से चल रही हैं। वर्तमान स्टॉफ़ ओवरटाइम के बावजूद समय पर कार्य पूरा नहीं कर पा रहा है।
इस संदर्भ में कार्य की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए दो सहायकों की तदर्थ नियुक्ति को वरीयता दी जाए, ताकि बजट कार्य समय पर पूरा हो सके।
उपनिदेशक (अ०ब०स०) आवश्यक कार्रवाई के लिए देखने की कृपा करें। सहायक वित्त विभाग
हस्ताक्षर …….
(प्रकाश चंद्र)
उपसचिव (ब०स०)
02 फरवरी, 20xx
प्रश्न 2.
सहायक निदेशक धर्मेश कुमार ने एक कार बुक कराई थी। कार कंपनी ने उन्हें एक माह में पूरी रकम जमा कराने को कहा है। धर्मेश कुमार ने तीन लाख रुपये अग्रिम राशि के लिए आवेदन किया है। अनुभाग अधिकारी की ओर से टिप्पण।
उत्तर :
क्रम सं० 10 / 20xx
आवती पृ० सं० : 10
श्री धर्मेश कुमार ने कार खरीदने के लिए तीन लाख की अग्रिम राशि हेतु आवेदन किया है। कार कंपनी ने एक माह में भुगतान करने की शर्त लगाई है, अन्यथा उनकी बुकिंग निरस्त कर दी जाएगी।
श्री धर्मेश कुमार वाहन ऋण प्राप्त करने के सर्वथा योग्य एवं वरीयता क्रम में आते हैं। उनके अग्रिम ऋण आवेदन पर विचार करते हुए अग्रिम ऋण आदेश नियमतः दिया जा सकता है।
विचारार्थ प्रस्तुत
उपनिदेशक (प्रशासन)
हस्ताक्षर ………..
(विपिन कुमार)
अनुभाग अधिकारी
23 फरवरी, 20xx
ज्ञान प्रकाश द्वारा लिखी टिप्पणी जब शंकरन जी ने पढ़ी तो उनकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने ज्ञान प्रकाश जी की टिप्पण के नीचे आनुषंगिक टिप्पण कुछ इस प्रकार से लिखा –
आनुषंगिक टिप्पण
मैं ऊपर लिखी टिप्पणी से सहमत हूँ, साथ ही इस ओर भी ध्यान दिलाना चाहूँगा कि मुंबई कार्यालय के निदेशक पिछले छह महीने से निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करते रहे हैं, जो परिपत्र का उल्लंघन है। चूँकि परिपत्र में किसी प्रकार की छूट का प्रावधान नहीं है। अतः अतिरिक्त राशि निदेशक द्वारा देय होनी चाहिए। यह राशि निदेशक के वेतन से काटी जा सकती है।
विचारार्थ
उपनिदेशक (प्रशासन)
जी. शंकरन
(जी. शंकरन)
अनुभाग अधिकारी
आनुषंगिक टिप्पण संबंधी ध्यातव्य बिंदु
1. मुख्य टिप्पण/टिप्पणी के नीचे संबंधित अधिकारी जो मंतव्य लिखता है, उसे आनुषंगिक टिप्पणी कहते हैं।
2. यदि अधिकारी मुख्य टिप्पणी से सहमत होता है तो आनुषंगिक टिप्पणी लिखने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है।
3. आनुषंगिक टिप्पणी असहमत होने की स्थिति में बड़ी होती है अथवा प्रायः इसका आकार छोटा ही होता है।
आनुषंगिक टिप्पण दर्ज होने के पश्चात फ़ाइल क्रमशः ऊपर के अधिकारियों यानी ‘भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान’ के उपमहानिदेशक एवं महानिदेशक तक पहुँची। उन्होंने भी फ़ाइल में अपने-अपने मंतव्य दर्ज किए। हालाँकि इस प्रक्रिया में इतनी देर हो गई कि उधर अपने पत्र का कोई जवाब न पाकर मुंबई केंद्र के निदेशक राकेश कुमार जी चिंतित हो गए। फलस्वरूप उन्होंने महानिदेशालय को अपने पहले पत्र की याद दिलाते हुए एक अनुस्मारक (रिमांइडर) / स्मरण पत्र लिखकर भेजा, जो इस प्रकार था-
अनुस्मारक या स्मरण पत्र –
भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान
क्षेत्रीय कार्यालयः मुंबई
मुंबई, 26 अप्रैल, 2005
फा. संख्या: मुंबई/वा/5/2005/372
सेवा में,
महानिदेशक
अखिल भारतीय सहित्य एवं संस्कृति संस्थान,
तिलक मार्ग, नयी दिल्ली 110001
विषय: मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय के लिए निर्धारित सीमा।
महोदय,
कृपया उपर्युक्त विषय पर इस कार्यालय द्वारा भेजे गए समसंख्यक पत्र का स्मरण करें जो 15 मार्च, 2005 को भेजा गया था।
निवेदन है कि मोबाइल फ़ोन की मासिक व्यय सीमा को बढ़ाने संबंधी इस कार्यालय के अनुरोध पर विचार कर कृपया आवश्यक स्वीकृति जारी की जाए।
भवदीय
राकेश
(राकेश कुमार)
निदेशक
अनुस्मारक / स्मरण पत्र संबंधी ध्यातव्य बिंदु:
- जब किसी पत्र, ज्ञापन इत्यादि का उत्तर समय पर प्राप्त नहीं होता, तो याद दिलाने के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, अनुस्मारक कहते हैं या स्मरण पत्र भी कहते हैं।
- इनका प्रारूप सरकारी पत्र की तरह ही होता है, परंतु इनका आकार छोटा होता है।
- अनुस्मारक के शुरू में पूर्व पत्र का हवाला दिया जाता है।
- एक से अधिक अनुस्मारक भेजने पर उन्हें क्रमांक दिया जाता है; जैसे- अनुस्मारक – 1, अनुस्मारक – 2 आदि।
अनुस्मारक / स्मरण पत्र के अन्य उदाहरण-
प्रश्न 1.
दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलसचिव की तरफ से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के संदर्भ में अनुस्मारक।
उत्तर :
नई दिल्ली: 15/10/20xx
पत्र क्रमांक: यू०जी०सी०/5/20XX/570
दिल्ली विश्वविद्यालय
सचिव,
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,
नई दिल्ली।
विषय-छठे वेतन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने के संदर्भ में।
मान्यवर,
उपर्युक्त विषय पर हम आपका ध्यान अपने पत्र क्रमांक यू०जी०सी०/3/20xx/260 दिनांक 5/6/20xx के संदर्भ में आकर्षित करना चाहते हैं। कृपया इस संदर्भ में दिशा-निर्देश शीघ्र भिजवाने का कष्ट करें, ताकि नए वेतनमान सही तरीके से लागू किए जा सकें।
भवदीय
हस्ताक्षर
(उज्ज्वल वर्मा)
कुलसचिव, दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रश्न 2.
गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल, कोलकाता की ओर से उपायुक्त, चौबीस परगना को एक अनुस्मारक, जिसमें वहाँ रह रहे बाहरी व्यक्तियों के बारे में वांछित सूचना शीघ्र भेजने का वर्णन है।
उत्तर :
कोलकाता: 16 अगस्त, 20xx
पत्र क्रमांक: गृ० म०/5/20XX/5407
पश्चिम बंगाल सरकार
गृह मंत्रालय
उपायुक्त,
चौबीस परगना।
विषय-बाहरी व्यक्तियों की जानकारी के विषय में।
महोदय,
आपका ध्यान उपर्युक्त विषय पर मंत्रालय के पत्र क्रमांक गृ० म० /4/20xx /3025 दिनांक 15 अप्रैल, 20XX की ओर दिलाया जाता है। आपने अभी तक वांछित सूचना नहीं भेजी है। कृपया शीघ्र जानकारी भेजने का कष्ट करें। भवदीय
हस्ताक्षर
(आशुतोष कुमार)
सचिव, गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार
कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया
निदेशक राकेश कुमार जी द्वारा भेजे गए अनुस्मारक / स्मरण पत्र को महानिदेशक ने उपमहानिदेशक गुरफ़ान अहमद के पास इस निर्देश के साथ भेजा कि मुंबई कार्यालय को एक अंतरिम उत्तर भेज दिया जाए।
गुरफ़ान अहमद ने सर्वप्रथम फ़ाइल का भली प्रकार से निरीक्षण किया। तत्पश्चात उन्होंने मुंबई केंद्र के निदेशक राकेश कुमार जी को एक अंतरिम उत्तर अर्धसरकारी पत्र (डी. ओ. लेटर) के रूप में भेजा, जो इस प्रकार था –
अर्धसरकारी पत्र –
भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान
महानिदेशालय
नयी दिल्ली, 4 मई, 2005
फा. संख्या: 3/2/2005/प्र.
गुरफान अहमद
उपमहानिदेशक
प्रिय श्री कुमार,
कृपया 15 मार्च, 2005 और 26 अप्रैल, 2005 को भेजे गए अपने पत्रों का स्मरण करें, जो मोबाइल फ़ोन पर किए जाने वाले मासिक व्यय की सीमा बढ़ाने के बारे में थे।
आपके अनुरोध पर कार्रवाई की जा रही है। चूँकि व्यय सीमा में बढ़ोतरी के लिए बोर्ड की अनुमति आवश्यक है। अतः हम इस मसले को बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्तुत करेंगे।
इस मसले पर बोर्ड के निर्णय से हम आपको अवगत करा देंगे।
शुभकामनाओं सहित
आपका
गुफ़ारान अहमद
(गुफ़ारान अहमद)
निदेशक
श्री राकेश कुमार
दूरदर्शन केंद्र, मुंबई
अर्धसरकारी पत्र संबंधी ध्यातव्य बिंदु –
1. अर्ध-सरकारी पत्र में अनौपचारिकता का भी समावेश होता है। इसमें मैत्रीभाव होता है। ये पत्र तब लिखे जाते हैं, जब पत्र लिखने वाले अधिकारी की संबंधित अधिकारी से व्यक्तिगत संबंध हो।
2. अर्धसरकारी पत्र उस समय लिखा जाता है, जब किसी खास मसले पर संबंधित अधिकारी का ध्यान व्यक्तिगत रूप से आकर्षित कराना होता है या उसका व्यक्तिगत रूप से परामर्श लेना होता है।
3. इस श्रेणी के पत्र में बायीं ओर शीर्ष पर प्रेषक का नाम होता है तथा इसके नीचे उसका पदनाम होता है।
4. अर्ध-सरकारी पत्र में सामान्यतः कार्यालय के ‘लेटर हेड’ का प्रयोग होता है।
5. पत्र के प्रारंभ में आम तौर पर ‘प्रिय श्री ……….’ या ‘प्रियवर श्री ……………’ का संबोधन किया जाता है।
6. पत्र के अंत में अधोलेख के रूप में दाहिनी ओर ‘ भवदीय’ के स्थान पर ‘आपका’ का प्रयोग हो सकता है। 7. पत्र के अंत में बायीं ओर संबंधित अधिकारी का नाम, पदनाम और पूर्ण पता लिखा जाता है।
अर्धसरकारी पत्र के अन्य उदाहरण –
प्रश्न 1.
सचिव, मानव संसाधन मंत्रालय, नई दिल्ली की तरफ़ से रेल मंत्रालय के सचिव को, कर्मचारियों को हिंदी सिखाने के संदर्भ में एक अर्ध-सरकारी पत्र।
उत्तर :
दिनांक : 14 सितंबर, 20xx
पत्र क्रमांक : 4/3/20Xxx (अ० स०)
भारत सरकार
मानव संसाधन मंत्रालय,
नई दिल्ली।
डॉ० नरेश
सचिव
प्रिय श्री विनोद,
आपके पत्र सं0 15/5/20XX दिनांक 10 अगस्त, 20xx के संदर्भ में मैं आपको कुछ सुझाव देना चाहता
1. हिंदी सीखने वाले गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों के कर्मचारियों के वर्तमान पाठ्यक्रम में नए परिवेश के अनुसार संशोधित
करना चाहिए।
2. अच्छे अंक प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को पदोन्नति वेतन वृद्धि तथा पुरस्कार आदि के जरिए प्रोत्साहित
किया जा सकता है।
इस विषय पर विचार करने के लिए मेरे कार्यालय में कुछ विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। आप इसमें आने का कष्ट करें तथा अपने उपयोगी सुझावों से हमें लाभान्वित करें।
आपका
हस्ताक्षर ………..
(डॉ० नरेश)
श्री विनोद कुमार
सचिव
रेल मंत्रालय,
नई दिल्ली।
प्रश्न 2.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य सचिव की तरफ़ से अपेक्षित सूचनाओं के लिए संस्कृत अकादमी नई दिल्ली के उपसचिव को अर्ध-सरकारी पत्र।
उत्तर :
दिनांक : 25 मार्च, 20XX
पत्र क्रमांक: 23/2/20XX (अ० स०)
भारत सरकार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय,
नई दिल्ली।
मयंक मोर्य
सचिव
प्रिय श्री अनुराग,
इस कार्यालय के पत्रांक 10/12/20xx एवं 03/01/20XX के माध्यम से आपके कार्यालय से कुछ अति आवश्यक सूचनाएँ माँगी गई थीं। ये सूचनाएँ अभी तक प्राप्त नहीं हुईं। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस संबंध में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर अपेक्षित सूचनाएँ शीघ्र भिजवाने की कृपा करें।
आपका
हस्ताक्षर ………
(मयंक मौर्य)
श्री अनुराग
उपसचिव
संस्कृत अकादमी,
नई दिल्ली।
राकेश कुमार जी को अर्धसरकारी पत्र के बावजूद भी गुफरान अहमद की जिम्मेदारी अभी शेष थी। अभी उन्हें इस मसले को बोर्ड के समक्ष रखना था। अतः उन्होंने एक टिप्पणी तैयार की, जिसमें पूरे मसले का विश्लेषण किया गया था।। साथ-साथ यह भी सिफ़ारिश की गई थी कि मुंबई केंद्र फोन की मासिक व्यय की सीमा बढ़ा दी जाए। गुफ़रान अहमद ने अपनी इस टिप्पणी के मसौदे को महानिदेशक के पास स्वीकृत के लिए भेजा। स्वीकृत मिलने के पश्चात बोर्ड के सचिव रघुवीर सहाय के पास इस अनुरोध के साथ फ़ाइल भेज दी गई कि इसे बोर्ड की आगामी बैठक के समक्ष स्वीकृति हेतु रखा जाए। संयोग से जब यह अनुरोध सहाय जी तक पहुँचा तो वे उस समय आगामी बैठक की कार्यसूची (एजेंडा) तैयार कर रहे थे। अतः उन्होंने इस मसले को भी कार्यसूची में सम्मिलित कर लिया। सहाय जी ने जो कार्यसूची तैयार की थी, वह इस प्रकार थी-
कार्यसूची –
भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान की
बैठक की कार्यसूची
बैठक की तिथि एवं समय – 17 मई, 20XX प्रातः 9-00 बजे
स्थान – भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान
कार्यसूची – 1. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की संपुष्टि
2. पूर्व की बैठकों में लिए गए निर्णयों के कार्यरूप की समीक्षा
3. संस्थान के लेखकों, कलाकारों और विशेषज्ञों को दिए जाने वालों पारिश्रमिक राशि की समीक्षा
4. संस्थान के तत्त्वावधान में आयोजित कार्यक्रमों की गुणवत्ता संबंधी प्रतिवेदन पर चर्चा
5. मुंबई केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों के मोबाइल फ़ोन पर होने वाले मासिक व्यय की समीक्षा
हस्ताक्षर
रघुवीर सहाय
(रघुवीर सहाय)
सचिव
कार्यसूची संबंधी ध्यातव्य बिंदु –
1. कार्यसूची किसी भी संस्था की औपचारिक बैठक में चर्चा के लिए चिह्नित विषयों की जानकारी देती है।
2. बैठक में सम्मिलित सभी सदस्यों को कार्यसूची पहले ही भेज दी जाती है ताकि सभी को निर्धारित विषयों पर गहनता से विचार करने हेतु पर्याप्त अवसर मिल सके।
कार्यसूची के अन्य उदाहरण :
1. प्रतिभा विकास विद्यालय जनकपुरी, दिल्ली की सांस्कृतिक समिति की होने वाली बैठक के लिए कार्यसूची:
बैठक की तिथि एवं समय – 05 दिसंबर, 20xx प्रातः 9:00 बजे
स्थान – विद्यालय का हॉल
कार्यसूची – 1. समिति के सदस्यों का स्वागत
2. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की संपुष्टि
3. वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की तारीख एवं समय तय करने पर विचार
4. कार्यक्रम की तैयारी संबंधी कार्य योजना पर विचार
5. आमंत्रित अतिथियों की सूची बनाना
6. जलपान के आयोजन एवं खर्च पर विचार
7. अध्यक्ष महोदय की अनुमति से अन्य विषय पर चर्चा
8. धन्यवाद ज्ञापन
हस्ताक्षर
(—-)
सचिव,
सांस्कृतिक समिति
प्रश्न 2.
सर्वोदय विद्यालय नंदनगरी, दिल्ली की परीक्षा समिति की वार्षिक परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व की बैठक हेतु कार्यसूची :
उत्तर :
बैठक की तिथि एवं समय – 20 फरवरी, 20xxx प्रात: 9:30 बजे
स्थान – विद्यालय का परीक्षा-कक्ष
कार्यसूची – 1. समिति के सदस्यों का स्वागत
2. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की संपुष्टि
3. 28 फरवरी से शुरू होने वाली परीक्षा के विषय में चर्चा
4. परीक्षा हेतु उत्तर-पुस्तिकाएँ खरीदने पर चर्चा
5. परीक्षा कक्षों के विषय में विचार-विमर्श
6. नकल रहित परीक्षा संपन्न करवाने पर चर्चा
7. 25 मार्च को परीक्षा – फल घोषित करने पर चर्चा
8. अध्यक्ष महोदय की अनुमति से अन्य विषय पर चर्चा
9. धन्यवाद – ज्ञापन
हस्ताक्षर
(—-)
इंचार्ज
परीक्षा समिति
प्रश्न 3.
मोहल्ला सुधार समिति, नागलोई, दिल्ली की कार्यकारिणी की बैठक हेतु कार्यसूची
तिथि एवं समय – 10 अप्रैल, 20xx प्रातः 5:00 बजे
स्थान – सार्वजनिक पार्क
कार्यसूची – 1. समिति के सदस्यों का स्वागत
2. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की संपुष्टि
3. मोहल्ले में पेय जल व्यवस्था की सुचारु आपूर्ति पर चर्चा
4. चौराहे एवं पार्क के पास प्याऊ चलाने के संबंध में चर्चा
5. पार्क की हरियाली बनाए रखने के संबंध में चर्चा
6. मोहल्ले में सफ़ाई बनाए रखने के संबंध में चर्चा
7. समिति की आय बढ़ाने पर विचार
8. वार्षिक आय-व्यय का विवरण तैयार करना
9. पार्क की टूटी दीवार की मरम्मत के संबंध में चर्चा
10. धन्यवाद ज्ञापन
हस्ताक्षर
(—-)
सचिव
मोहल्ला सुधार समिति
नागलोई, दिल्ली
पूर्व निर्धारित तिथि के दिन समयानुसार भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान की बैठक संपन्न हुई। इसमें कार्यसूची में शामिल सभी मसलों पर गंभीरता से चर्चा की गई। बैठक की समाप्ति के पश्चात सहाय जी ने कार्यवृत्त तैयार किया, जो इस प्रकार था –
कार्यवृत्त –
दिनांक 17 मई, 20xx को आयोजित भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान की बैठक का कार्यवृत्तः
बैठक बोर्ड मुख्यालय के समिति कक्ष में 17 मई, 20xx को संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता श्री क० ख०ग० ने किया। बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों की सूची इस प्रकार है-
- श्री विन्सेंट अब्राहम (मुख्य कार्यकारी)
- श्री नवीन जोशी सदस्य (वित्त)
- श्री राम स्वरूप राय सदस्य (कार्मिक)
- श्री रतन सिंह सदस्य (योजना एवं विकास)
- श्री नील रतन सिंह महानिदेशक, अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
- श्रीमती मीनाक्षी सैनी (सदस्य)
- श्रीमती सुमन मौर्या (सदस्य)
- श्री रोशन लाल (सदस्य)
कार्यवाही के आरंभ में अध्यक्ष ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे कम करने में अपना योगदान देने पर चर्चा की।
इस सामान्य चर्चा के उपरांत बैठक की कार्यसूची में वर्णित विषयों पर विमर्श हुआ, जिसका विवरण इस प्रकार है-
1. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की संपुष्टि कार्यवृत्त की संपुष्टि कर दी गई। निर्णयों के अनुपालन पर प्रतिवेदन अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
2. पूर्व की बैठकों में लिए गए निर्णयों के कार्यरूप की समीक्षा
अधिकतर निर्णयों को कार्यरूप दे दिया गया। जिन निर्णयों को कार्यरूप देना शेष है, उन्हें अगली बैठक के पहले कार्यान्वित कर दिए जाने का संकल्प लिया गया।
3. संस्थानों के लेखकों, कलाकारों और विशेषज्ञों को दिए जाने वाले पारिश्रमिक की समीक्षा
बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों ने माना है कि मौजूदा पारिश्रमिक बहुत कम है। अतः पारिश्रमिक की दरों में वृद्धि अति आवश्यक है। इस मसले पर एक स्वतंत्र समिति गठित कर दी गई है। उसे तत्काल उचित दर निर्धारित करने हेतु निर्देश दे दिया गया है।
4. संस्थान के तत्त्वावधान में आयोजित कार्यक्रमों की गुणवत्ता बढ़ाए जाने पर चर्चा
संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की गुणवत्ता बढ़ाए जाने के लिए प्रभावी नियमावली बना ली गई है, इस नियमावली को अधिकतम दो महीने के अंदर कार्यरूप दे दिया जाएगा।
5. मुंबई केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों के मोबाइल फ़ोन पर होने वाले मासिक व्यय की समीक्षा
मुंबई केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों के मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय पर लगाई गई सीमा की समीक्षा की गई। समिति ने संबंधित प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि बोर्ड की अगली बैठक 14 और 15 जुलाई, 20Xxx को अ०ब०स० शहर में होगी।
कार्यवृत्त संबंधी ध्यातव्य बिंदु –
1. कार्यसूची में सम्मलित कार्यों पर हुए निर्णयों का संक्षिप्त विवरण कार्यवृत्त में लिखा जाता है।
2. इसमें उपस्थित पदाधिकारियों के नाम पदानुक्रम से पद के नाम सहित लिखा जाता है।
कार्यवृत्त के कुछ अन्य उदाहरण:
1. सांस्कृतिक समिति की बैठक का कार्यवृत्त
प्रतिभा विकास विद्यालय जनकपुरी, दिल्ली की सांस्कृतिक समिति की बैठक का कार्यवृत्त : प्रतिभा विकास विद्यालय की सांस्कृतिक समिति की आवश्यक बैठक श्री विमल सिंह (प्रधानाचार्य) की अध्यक्षता में 05 दिसंबर, 20xx को संपन्न हुई। बैठक का कार्यवृत्त इस प्रकार है –
आज दिनांक 5 दिसंबर, 20Xxx को सांस्कृतिक समिति की बैठक प्रधानाचार्य श्री विमल सिंह की अध्यक्षता में
संपन्न हुई। इसमें निम्नलिखित सदस्य उपस्थित हुए –
1. श्री विमल सिंह – प्रधानाचार्य (पदेन अध्यक्ष)
2. श्री शिव सहाय शर्मा – उपाध्यक्ष
3. श्री वीर सिंह – सचिव
4. श्री मनोज कुमार – सदस्य
5. श्रीमती निरूपमा जैन – सदस्या
6. श्री विक्रम वर्मा – सदस्य
7. श्री अनुराग शर्मा – सदस्य
8. श्री विपिन सैनी – सदस्य
बैठक प्रारंभ होने से पूर्व सचिव ने सभी सदस्यों का स्वागत किया और पिछली बैठक का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया। इसके बाद सचिव ने वार्षिकोत्सव कार्यक्रम की तारीख एवं समय के बारे में सूचित किया, जिसे सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
2. कार्यक्रम की तैयारी हेतु कुछ अध्यापकों को जिम्मेदारी दी गई ताकि कार्यक्रम अच्छा हो सके।
3. कार्यक्रम के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था तथा एक सीमा तय की गई जो पिछले कार्यक्रम से दस हज़ार अधिक था।
अंत में सभी सदस्यों के प्रति अध्यक्ष ने आभार व्यक्त किया और जलपान के उपरांत बैठक समाप्ति की घोषण
की गई।
हस्ताक्षर
(—-)
अध्यक्ष
हस्ताक्षर
(—-)
सचिव
2. वार्षिक परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व संपन्न हुई बैठक का कार्यवृत्तः
सर्वोदय विद्यालय नंदनगरी, दिल्ली की परीक्षा समिति की बैठक का कार्यवृत्त
इस विद्यालय की परीक्षा समिति की आवश्यक बैठक 20 फरवरी, 20Xxx को संपन्न हुई, जिसमें निम्नलिखित सदस्यों ने भाग लिया-
1. श्री राजेश्वर सिंह प्रधानाचार्य (पदेन अध्यक्ष)
2. श्री मोहन मलिक उपाध्यक्ष
3. श्री रोहन लूथरा परीक्षा इंचार्ज
4. श्री विजय शंकर सदस्य
5. श्री मयंक शर्मा सदस्य
बैठक प्रारंभ होने के पूर्व सभी सदस्यों का स्वागत किया गया।
इसके पश्चात 20 फरवरी, 20XX को संपन्न हुई बैठक का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया गया, जिसकी संपुष्टि सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से की।
इसके उपरांत परीक्षा इंचार्ज ने बताया कि आगामी 28 फरवरी से वार्षिक परीक्षा शुरू होनी है, जिसके लिए सभी अध्यापकों की उपस्थिति आवश्यक है।
परीक्षा हेतु उत्तर-पुस्तिकाएँ खरीदने के लिए बजट निर्धारित किया गया।
परीक्षा में नकल न हो इस पर सभी सदस्यों ने सहमति व्यक्त की।
25 मार्च, 20xx तक परीक्षा- फल तैयार करने के लिए सहयोग की अपेक्षा की गई, जिसे सभी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
अंत में अध्यक्ष महोदय ने सभी सदस्यों के प्रति आभार प्रकट किया और जलपान के साथ ही बैठक समाप्त हुई।
हस्ताक्षर
(—-)
अध्यक्ष
प्रेस विज्ञप्ति
हस्ताक्षर
(—-)
परीक्षा इंचार्ज
प्रेस विज्ञप्ति –
इसे ‘प्रेस रिलीज़’ भी कहा जाता है। किसी संस्थान या व्यक्ति द्वारा बैठक में जो निर्णय लिया जाता है, उसे प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जन-साधारण तक पहुँचाया जाता है। इसमें निर्णय में विलंब के कारण और उससे होने वाले लाभ की भी जानकारी दी जाती है।
प्रेस विज्ञप्ति का उदाहरण :
प्रेस विज्ञप्ति
भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान
भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से जुड़े लेखकों और कलाकारों के पारिश्रमिक में वृद्धि अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति बोर्ड ने निर्णय लिया है कि भारतीय कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से जुड़े लेखकों, कलाकारों और विशेषज्ञों के पारिश्रमिक में तत्काल प्रभाव से वृद्धि कर दी जाए।
ध्यान दें कि इसके पूर्व लेखकों, कलाकारों के पारिश्रमिक में सन 2010 में संशोधन किया गया था। पिछले कुछ समय से लेखकों और कलाकारों द्वारा यह शिकायत की जा रही थी कि संस्थान द्वारा दिए जाने वाले पारिश्रमिक की राशि बहुत कम है, जिनके कारण अच्छी प्रतिभाएँ संस्थान से विमुख हो रही हैं।
लेखकों और कलाकारों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने पारिश्रमिक की बढ़ी दरों को मंजूरी देते हुए यह विश्वास व्यक्त किया है कि इससे अच्छी प्रतिभाओं को आकर्षित करने में तो मदद मिलेगी ही, कार्यक्रमों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
परिपत्र –
बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों के क्रियान्वयन के लिए परिपत्र जारी किया जाता है। इसमें किसी निर्णय को कार्यान्वित करने का आदेश होता है।
परिपत्र का उदाहरण –
परिपत्र
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान
महानिदेशालय : नई दिल्ली,
पत्रांक : 24/13/प्र०/20XX
दिनांक : 27 मई, 20xx
विषय : मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय के लिए निर्धारित सीमा।
महानिदेशालय ने उपर्युक्त विषय पर दिनांक 23 नवंबर, 20xx को एक समसंख्यक परिपत्र जारी किया था। उपर्युक्त परिपत्र द्वारा मोबाइल फ़ोन पर होने वाले व्यय की सीमा दो हज़ार रुपये प्रतिमाह निर्धारित की गई थी।
अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति बोर्ड द्वारा इस सीमा पर पुनर्विचार किया गया। तदनुसार उपर्युक्त परिपत्र में आंशिक संशोधन करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय के लिए यह सीमा छह हज़ार रुपये प्रतिमाह होगी।
उपर्युक्त परिपत्र के अन्य प्रावधान पूर्ववत रहेंगे।
यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
हस्ताक्षर : ………
(गुफ़रान अहमद)
उपमहानिदेशक
प्रस्तुत पाठ की शुरुआत में ही सरकारी पत्रों की चर्चा की गई है। यह भी बताया गया है कि सरकारी पत्र वस्तुतः औपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं। अतः यहाँ पत्रों के विषय में विस्तृत रूप से जानना अथवा विशेष रूप से औपचारिक पत्रों को उदाहरण सहित समझना आवश्यक हो गया है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपने भावों, विचारों और सूचनाओं को दूसरों तक संप्रेषित करना चाहता है। इस कार्य के लिए पत्र एक सर्वोत्तम साधन है। इसके अतिरिक्त मनुष्य को सरकारी तथा ग़ैर-सरकारी संस्थाओं आदि से संबंध स्थापित करने हेतु भी पत्रों की सहायता लेनी पड़ती है।
पत्र के प्रकार –
पत्र अनेक प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति और स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी अलग-अलग होता है। आम तौर पर पत्र दो प्रकार के होते हैं (क) अनौपचारिक पत्र (ख) औपचारिक पत्र
(क) अनौपचारिक पत्र – इस तरह के पत्र निकट संबंधियों तथा मित्रों को लिखे जाते हैं। इनमें पत्र पाने वाले तथा लिखने वाले के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। यह संबंध पारिवारिक तथा मित्रता का भी हो सकता है। ऐसे पत्रों को ‘व्यक्तिगत पत्र’ भी कहा जाता है। इन पत्रों की विषयवस्तु निजी व घरेलू होती है। इनका स्वरूप संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है। इन पत्रों की भाषा-शैली में कोई औपचारिकता नहीं होती तथा इनमें आत्मीयता का भाव व्यक्त होता है।
(ख) औपचारिक पत्र – इस तरह के पत्रों में एक निश्चित शैली का प्रयोग किया जाता है। सरकारी तथा ग़ैर-सरकारी संदर्भों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को औपचारिक पत्र कहा जाता है। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन – व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों को शामिल किया जाता है।
औपचारिक पत्र दो प्रकार के होते हैं :
1. सरकारी, अर्ध – सरकारी और व्यावसायिक संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र – इनकी विषय-वस्तु प्रशासन, कार्यालय और कारोबार से संबंधित होती है। इनकी भाषा-शैली का स्वरूप निश्चित होता है। इनका प्रारूप भी प्रायः निश्चित होता है। सरकारी कार्यालयों, बैंकों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा किया जाने वाला पत्र-व्यवहार इस वर्ग के अंतर्गत आता है। विभिन्न पदों के लिए लिखे गए आवेदन पत्र भी इसी वर्ग में आते हैं।
2. सामान्य जीवन व्यवहार तथा अन्य विशिष्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र- ये पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों के अधिकारियों को लिखे जाते हैं। इनकी विषय-वस्तु आम जीवन से संबद्ध होती है। इनका प्रारूप स्थिति व संदर्भ के अनुसार परिवर्तन हो सकता है। इनके अंतर्गत शुभकामना – पत्र, बधाई – पत्र, निमंत्रण-पत्र, शोक-संवेदना – पत्र, शिकायती पत्र, समस्यामूलक पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि आते हैं।
पत्र का वर्ग कोई भी हो, उसके चार अंग होते हैं :
पत्र के अंग –
- पता और दिनांक
- संबोधन तथा अभिवादन
- पत्र की सामग्री या कलेवर
- पत्र की समाप्ति या समापन
(i) पता और दिनांक – अनौपचारिक पत्र के बाईं ओर ऊपर कोने में पत्र – लेखक अपना पता लिखता है और उसके नीचे तिथि दी जाती है। औपचारिक पत्र में प्रेषक के विभाग का नाम, पता एवं तिथि लिखी जाती है। इसके बाद बायीं ओर प्राप्तकर्ता का नाम, पद, विभाग आदि दिया जाता है।
(ii) संबोधन तथा अभिवादन
अनौपचारिक पत्रों की स्थिति में –
• पत्र जिसे लिखते हैं, उसे संबोधित करते हैं; जैसे – आदरणीय पिता जी, आदरणीय दादा जी पूजनीया माता जी, श्रद्धेय ताऊ जी, आदरणीय भैया, प्यारे भाई, प्रिय मित्र आदि।
इसके नीचे अभिवादनसूचक शब्द अवश्य लिखते हैं; जैसे-प्रणाम, सादर प्रणाम, आशीर्वाद, चरण-स्पर्श, प्रसन्न रहो आदि।
अभिवादन लिखने के बाद पूर्णविराम अवश्य लगाना चाहिए; जैसे –
पूज्य पिता जी,
प्रणाम।
औपचारिक पत्रों की स्थिति में –
→ पत्र शुरू करने से पहले पत्र लिखने का कारण अर्थात विषय का उल्लेख अवश्य करना चाहिए।
→ विषय लिखने के बाद संबोधन लिखा जाता है; जैसे- श्रीमान, महोदय, मान्यवर आदि।
(iii) पत्र की सामग्री या कलेवर – अभिवादन के बाद पत्र की सामग्री लिखी जाती है। इसे हम कलेवर भी कह सकते हैं।
इसमें हम अपनी बात कहते हैं। कलेवर के संबंध में निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए-
- कलेवर की भाषा सरल होनी चाहिए तथा वाक्य छोटे-छोटे होने चाहिए।
- लेखक का अर्थ स्पष्ट होना चाहिए।
- कलेवर बहुत विस्तृत नहीं होना चाहिए।
- सरकारी पत्र में यदि काटकर कुछ लिखा जाता है, तो उसके साथ छोटे हस्ताक्षर कर देने चाहिए।
- पत्र में पुनरुक्ति नहीं होनी चाहिए।
- पत्र लिखते समय ‘गागर में सागर’ भरने की शैली अपनाई जानी चाहिए।
(iv) पत्र की समाप्ति या समापन – अनौपचारिक पत्र के अंत में लिखने वाले और पाने वाले की आयु, अवस्था तथा गौरव – गरिमा के अनुरूप स्वनिर्देश बदल जाते हैं; जैसे –
तुम्हारा, आपका, स्नेही, शुभचिंतक, विनीत आदि।
औपचारिक पत्रों का अंत प्रायः निर्धारित स्वनिर्देश द्वारा होता है; यथा – भवदीय, आपका, शुभेच्छु आदि। इसके बाद पत्र – लेखक के हस्ताक्षर होते हैं। औपचारिक पत्रों में हस्ताक्षर के नीचे प्रायः प्रेषक का पूरा नाम और पद का नाम लिखा जाता है।
विशेष – परीक्षा में प्रेषक के नाम के स्थान पर ‘क० ख० ग०’ लिखना चाहिए। पते के स्थान पर ‘परीक्षा भवन’ लिख देना चाहिए। इससे उत्तर पुस्तिका की गोपनीयता भंग नहीं होती।
पाठ्यक्रमानुसार औपचारिक पत्रचार को समझने के लिए यहाँ पर कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं, इन्हें पढ़कर समझिए।
उदाहरण –
I. शिकायत, समस्या / सुझाव एवं अन्य पत्र
प्रश्न 1.
आप प्रगति मैदान में आयोजित पुस्तक मेला देखने गए थे। वहाँ कुछ पुस्तकें खरीदते समय आपका ब्रीफकेस गायब हो गया। इस ब्रीफकेस और उसमें रखे सामान की जानकारी देते हुए आई०पी० एक्सटेंशन के थानाध्यक्ष के नाम पत्र।
उत्तर :
ग्राम व पोस्ट- रामपुर
जनपद – वाराणसी (उ०प्र०)।
दिनांक : 02 फरवरी, 20xx
थानाध्यक्ष
आई० पी० एक्सटेंशन थाना।
नई दिल्ली।
विषय – पुस्तक मेले में खोए ब्रीफ़केस के संबंध में।
मान्यवर,
विनम्र निवेदन यह है कि प्रगति मैदान में पुस्तक मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले में उच्चकोटि की गुणवत्ता वाली दुर्लभ पुस्तकें उचित मूल्य पर बेची जा रही थीं। कुछ पुस्तकें खरीदने के उद्देश्य से मैं भी मेले में आया था। एक प्रकाशन स्टाल पर कुछ पुस्तकें खरीदते समय मेरा ब्रीफ़केस चोरी हो गया। उसमें पाँच हज़ार रुपये नकद, चेक-बुक, परिचय-पत्र के अलावा अन्य महत्वपूर्ण कागजात थे। वी०आई०पी० कंपनी के काले रंग के उस ब्रीफ़केस को मैंने चाँदनी चौक से दो दिन पूर्व ही खरीदा था, जिसकी रसीद मेरे पास है। मैंने उसे आस – पास ढूँढ़ने की बहुत कोशिश की, पर सारा प्रयास व्यर्थ गया।
आपसे निवेदन है कि इस सूचना को दर्ज करके इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें तथा मिलने पर निम्नलिखित पते पर सूचित करने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
प्रार्थी
क० ख०ग०
प्रश्न 2.
आपके मोहल्ले में बिजली की आपूर्ति अनियमित एवं अनिश्चित है। प्रायः वोल्टेज कम या अधिक होता रहता है। इस संबंध में जनपद के मुख्य अभियंता को पत्र।
उत्तर :
17/4-बी निराला नगर
लखनऊ (उ० प्र०)।
दिनांक : 10 मई, 20xx
मुख्य अभियंता
उ०प्र० राज्य विद्युत निगम लि०
जनपद – लखनऊ, (उत्तर प्रदेश)।
विषय – बिजली की अघोषित कटौती एवं बढ़ते संकट के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले ‘निराला नगर की विद्युत संबंधी समस्या की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। श्रीमान जी, उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं महानगर जैसा विशिष्ट शहर होने के बाद भी यहाँ बिजली की भयंकर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मई-जून में यह समस्या अपने चरम पर पहुँच जाती है। यहाँ बिजली के आने और जाने का कोई समय निश्चित नहीं है। इसके अलावा बिजली का वोल्टेज कभी अचानक कम हो जाता है, तो कभी अचानक अधिक हो जाता है। इससे हमारे घरों के बहुमूल्य उपकरण – रेफ्रीजरेटर, टेलीविज़न, कंप्यूटर सेट खराब हो चुके हैं। कई बार तो यह वोल्टेज इतना कम होता है कि सी०एफ०एल० जुगनू जैसे चमकते प्रतीत होते हैं। सवेरे जब बच्चों के स्कूल जाने तथा लोगों के काम पर जाने का समय होता है, तब बिजली का अचानक चले जाना कितना कष्टप्रद होता है, आप इसका सहज अनुमान लगा सकते हैं।
आपसे प्रार्थना है कि इस संबंध में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करने की कृपा करें, ताकि विद्युत आपूर्ति सुचारु हो सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 3.
बिजली का बिल कई गुना बढ़कर आ गया है। बढ़े बिल की शिकायत करते हुए एन०डी०पी०एल० के मुख्य अभियंता को पत्र।
उत्तर :
75/3-ए, एच ब्लॉक
शालीमार बाग, नई दिल्ली।
दिनांक : 10 दिसंबर, 20xx
मुख्य अभियंता
एन०डी०पी०एल०
शालीमार बाग,
नई दिल्ली।
विषय – बढ़े हुए बिजली के बिल के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान अपने बिजली के अचानक बढ़े हुए बिल की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
श्रीमान, मेरा मीटर क्रमांक ‘के-1686549’ है, जो घरेलू उपभोक्ता श्रेणी के अंतर्गत पंजीकृत है। पिछले कई महीनों से मेरा विद्युत बिल ₹2,400 या ₹ 2,500 के आस- पास आ रहा था। यहाँ तक कि अगस्त और सितंबर महीनों का बिल भी ₹3,000 से अधिक नहीं आया। इन दिनों गर्मी चरम पर थी, इसलिए खपत कुछ बढ़ गई थी। इस बार नवंबर महीने का मेरा बिल ₹10,573 आया है, जो मेरे द्वारा खपत विद्युत के वास्तविक बिल से कई गुना अधिक है। ऐसा लगता है कि रीडिंग लेने या बिलिंग विभाग से अवश्य कहीं गलती हो गई है। मुझ जैसे साधारण आय वाले व्यक्ति के लिए इतना बिल भर पाना मुश्किल ही नहीं, असंभव है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरे बढ़े बिल को निरस्त करके वास्तविक विद्युत खपत के अनुरूप बिल भेजने की कृपा करें तथा दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 4.
आपकी ‘पुरी, ओडिशा’ यात्रा के दौरान आरक्षित सीट की समस्या आ गई। टी०टी०ई० से शिकायत करने पर उसने आपसे दुर्व्यवहार किया। इसकी शिकायत करते हुए उत्तर रेलवे, नई दिल्ली के मुख्य प्रबंधक को पत्र।
उत्तर :
107 – बी, अमन मोहल्ला
विश्वविद्यालय रोड, अलीगढ़ (उ० प्र०)।
दिनांक : 14 जून, 20XX
मुख्य प्रबंधक
उत्तर रेलवे, बड़ौदा हाउस,
नई दिल्ली।
विषय – टी०टी०ई० द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान नीलांचल एक्सप्रेस में टी०टी०ई० द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। श्रीमान, 07/06/20XX को नीलांचल एक्सप्रेस द्वारा अलीगढ़ से पुरी, ओडिशा जाने की लिए एस-5 के सीट नं0 45 का मेरा आरक्षण था। मैंने डिब्बे में देखा कि इस सीट पर कोई और व्यक्ति यात्रा कर रहा था। उससे सीट के बारे में पूछने पर उसने बताया कि इस सीट पर वह नई दिल्ली से आ रहा है और इस पर उसे टी०टी०ई० ने बैठाया है। मैंने कोच में टी०टी०ई० को तलाशा और उसे अपनी समस्या बताई। उस टी०टी०ई० ने उल्टे मुझे ही अपशब्द कहे और उसी सीट पर दोनों को बैठने को कहा। मेरे मना करने पर उसने देख लेने की धमकी दी। मैंने कानपुर तक जिस विषम परिस्थिति में यात्रा की, उसे मैं वर्णित नहीं कर सकता। कानपुर में उस व्यक्ति के उतरने के बाद ही मैं अपनी सीट पा सका। श्रीमान जी आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेते हुए हस्तक्षेप करें तथा दोषी टी०टी०ई० के विरुद्ध उचित कार्यवाही करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 5.
आप जिस कॉलोनी में रहते हैं, वहाँ से प्रातः काल मात्र एक बस चलती है। वहाँ से चलने वाली बसों की कमी की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए आई०पी० डिपो के महाप्रबंधक को पत्र।
उत्तर :
रामा गार्डन, नई दिल्ली।
दिनांक : 27 नवंबर, 20xx
महाप्रबंधक
आई०पी० बस डिपो
आई०पी० स्टेट,
नई दिल्ली।
विषय- बसों की कमी की ओर ध्यानाकर्षण के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान अपनी कॉलोनी रामा गार्डन से चलने वाली बसों की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। यह कॉलोनी 1985 के आस-पास बसाई गई थी, जो दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर है। इसके निकट से गुज़रती सड़क इसे दिल्ली के मुख्य स्थानों से जोड़ती है। काम-धंधे के सिलसिले में आस-पास की कॉलोनियों के लोग भी इसी मार्ग से दिल्ली आते-जाते हैं, जिससे यहाँ सुबह-शाम यातायात की समस्या उठ खड़ी होती है। यहाँ से मात्र एक बस प्रातः 8:00 बजे चलती है, जो केंद्रीय सचिवालय जाती है। इस बस से बच्चे अपने विद्यालय विलंब से पहुँचते हैं। इतनी आबादी के लिए यह मात्र एक बस सेवा ऊँट के मुँह में जीरा के समान साबित होती है। इस बस के छूट जाने पर यहाँ के निवासियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमारी मजबूरियों का नाजायज फ़ायदा ऑटो वाले, फटफट सेवा वाले उठाते हैं। वे मनमर्जी किराया वसूल करते हैं और हम यात्रियों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंसकर बैठाते हैं। ऐसी यात्रा किसी यातना से कम नहीं होती।
आपसे प्रार्थना है कि हम कॉलोनीवासियों की समस्या को देखते हुए आप इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करें तथा यहाँ से कुछ और बसों के परिचालन की व्यवस्था करें। हम क्षेत्रवासी आपकी इस कृपा के लिए आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
अध्यक्ष, आर०डब्ल्यू० ए०
प्रश्न 6.
बस में छूटे सामान की पहचान एवं विवरण बताते हुए महाराणा प्रताप अंतर्राज्यीय बस अड्डा, कश्मीरी गेट, दिल्ली के मुख्य प्रबंधक को पत्र।
उत्तर :
सी-4/28, गोमती नगर
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
दिनांक : 17 अक्तूबर, 20xx
मुख्य प्रबंधक
महाराणा प्रताप अंतर्राज्यीय बस अड्डा
कश्मीरी गेट.
नई दिल्ली-110006
विषय – बस में छूटे सामान के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान दिल्ली परिवहन निगम की लखनऊ-दिल्ली के बीच चलने वाली बस में छूटे सामान की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।
मान्यवर, 15 अक्तूबर, 20xx को मैंने लखनऊ से दिल्ली आने के लिए आलमबाग डिपो से बस पकड़ी। डी० एल०पी० 4775 नंबर वाली यह बस शाम आठ बजे लखनऊ से रवाना हुई और प्रात: साढ़े सात बजे दिल्ली बस अड्डे पर पहुँच गई। यात्रा के दौरान मैंने अपने थैले से एक चादर निकालकर थैले को सीट के ऊपर सामान रखने के लिए बने स्थान में रख दिया। बस अड्डे पर जल्दी में उतरने के चक्कर में मैं वह थैला बस में भूल गया। लाल रंग के उस थैले में आवश्यक कागज पत्रों के अलावा मेरे कपड़े तथा अन्य सामान भी थे। उस थैले में बनी छोटी-सी जेब में मेरा परिचय पत्र भी था।
आपसे प्रार्थना है कि इस संबंध में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर मेरी मदद करें तथा यदि ‘खोया-पाया’ काउंटर पर ऐसा कोई थैला जमा हुआ हो, तो निम्नलिखित पते पर सूचना देने का कष्ट करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 7.
धार्मिक स्थल पर ऊँचे स्वर में लाउड स्पीकर बजता रहता है, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी होती है। इस ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए नगर निगम के प्रशासनिक अधिकारी को पत्र।
उत्तर :
ए-4/27, गोपाल पार्क,
आजादपुर, नई दिल्ली-110033
दिनांक : 15 फरवरी, 20xx
प्रशासनिक अधिकारी
दिल्ली नगर निगम
सिविल लाइंस क्षेत्र
16, राजपुर रोड, नई दिल्ली।
विषय-धार्मिक स्थलों पर बजते लाउड स्पीकरों द्वारा फैलाए जा रहे ध्वनि प्रदूषण के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले गोपाल पार्क में स्थित एक धार्मिक स्थल द्वारा लाउड स्पीकर से फैलाए जा रहे ध्वनि प्रदूषण की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
इस धार्मिक स्थल के बुर्ज पर लाउड स्पीकर बँधा है, जिससे सुबह हो या शाम, ऊँची आवाज़ में कभी भजन, तो कभी आरती प्रसारित होती रहती है। इस देवालय में बैठे भगवान इसे कितना सुनते हैं और उन्हें कैसा लगता है, यह तो पता नहीं, पर हम मोहल्ले वालों के कान ज़रूर पक गए हैं। ये भजन आज के अश्लील गानों की तर्ज़ पर आधारित होते हैं, जिन्हें सुनकर बच्चे इन गानों की तर्ज़ पर मटकते रहते हैं। बेचारे मरीजों और वृद्धजनों की हालत के बारे में क्या कहा जाए। उनका रहा-सहा चैन भी छिन गया है। बच्चों की परीक्षाएँ सिर पर हैं। इस शोर में उनकी परीक्षा – संबंधी तैयारी बुरी तरह बाधित हो रही है। अब तक देवालय के पुजारी को हम सब कई बार अपनी समस्या से अवगत करा चुके हैं, पर वह भगवान का वास्ता देकर अपने मन की ही करता है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इस संबंध में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करने की कृपा करें, ताकि हमें ध्वनि प्रदूषण की इस समस्या से मुक्ति मिल सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 8.
खाद्य संभरण अधिकारी को पत्र, जिसमें राशन की सरकारी दुकान पर कम राशन दिए जाने की शिकायत की गई हो।
उत्तर :
59 डी / 36, जी – ब्लॉक
फेज-6, आया नगर
नई दिल्ली – 47
दिनांक : 15 जुलाई, 20xx
खाद्य संभरण अधिकारी
दक्षिणी दिल्ली।
विषय – कम राशन मिलने के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले में स्थित राशन की सरकारी दुकान की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ, जहाँ उपभोक्ताओं को कम राशन दिया जाता है।
सरकार ने देश में खाद्यान्न के उचित वितरण के उद्देश्य से जगह- जगह पर राशन की सरकारी दुकानें खोलीं, ताकि गरीब तथा जन साधारण को सस्ती दरों पर विभिन्न खाद्यान्न मिल सकें। अत्यंत खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि हमारे मुहल्ले में स्थित राशन की सरकारी दुकान का दुकानदार हम उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा से कम राशन देता है तथा हर बार वह कम तौलता है। इसका पता हमें दूसरे मोहल्ले के उपभोक्ताओं को मिलने वाले अनाज की मात्रा से लगा। कई बार वह हमें चावल बिलकुल भी नहीं देता या उसके बदले गेहूँ लेने को बाध्य करता है। हम लोगों द्वारा कई बार मौखिक शिकायत करने का उस पर कोई असर नहीं हुआ, उल्टे उसने राशन बंद करने की धमकी ज़रूर दे दी। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करें तथा दोषी दुकानदार के विरुद्ध कार्यवाही करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 9.
टेलीफ़ोन एक माह से भी अधिक समय से खराब पड़ा है। शिकायत करने पर संबंधित कर्मचारी ध्यान नहीं देते हैं। इस संबंध में एम०टी० एन०एल० के महाप्रबंधक को शिकायती पत्र।
उत्तर :
ए-4/120, शास्त्री नगर
नई दिल्ली।
दिनांक : 15 जनवरी, 20xx
महाप्रबंधक
एम०टी० एन०एल०
दूर संचार भवन, नई दिल्ली।
विषय – लंबे समय से खराब पड़े टेलीफ़ोन के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान अपने खराब पड़े, उस टेलीफ़ोन की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ, जो पिछले एक महीने से भी अधिक समय से कार्य नहीं कर रहा है।
मेरे टेलीफ़ोन का नं० 011-24412345 है। इसे मैंने अन्य कंपनियों की संचार सेवाओं से बेहतर समझकर लगवाया था, परंतु मेरा ऐसा विश्वास अब मुझ पर भारी पड़ रहा है। हम पति पत्नी के काम पर जाने के बाद घर में वृद्ध माता – पिता रह जाते हैं। उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा न होने के कारण प्रायः वे अपनी आकस्मिक ज़रूरतें फ़ोन के माध्यम से हमें बता दिया करते थे, परंतु अब फ़ोन खराब होने से उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में स्थानीय कार्यालय में कई बार शिकायत की, परंतु स्थिति वही ढाक के तीन पात वाली ही बनी रही।
आपसे प्रार्थना है कि मेरी और मेरे परिवार की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करें और संबंधित कर्मचारियों को फ़ोन ठीक करने का आदेश देकर कृतार्थ करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 10.
आपके मोहल्ले की गलियों तथा वहाँ तक आने वाली मुख्य सड़क की लाइटें खराब पड़ी हैं, जिससे आए दिन छेड़छाड़ तथा छीना-झपटी की घटनाएँ होती रहती हैं। इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए नगर निगम के सहायक अभियंता को पत्र।
उत्तर :
ए – 522, स्वरूप विहार
नई दिल्ली।
दिनांक : 17 नवंबर, 20XX
सहायक अभियंता
दिल्ली नगर निगम
16, राजपुर रोड, नई दिल्ली।
विषय – गलियों एवं सड़क की खराब पड़ी लाइटों के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र, स्वरूप विहार की सड़क तथा गलियों में लगी खराब लाइटों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ, जिनके कारण आने-जाने वालों को परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है।
स्वरूप विहार से होकर जाने वाली सड़क इस क्षेत्र को जी०टी० – करनाल रोड से जोड़ती है। पिछले विधान सभा चुनाव के समय यहाँ तक आने वाली मुख्य सड़क तथा गलियों में लाइटें लगवाई गई थीं, परंतु इनकी मरम्मत की कोई व्यवस्था नहीं की गई। एक-एक करके खराब होती ये लाइटें अब पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई हैं, जिससे यहाँ तक आने वालों को शाम से ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ असामाजिक तत्व इस अँधेरे का फ़ायदा उठाकर छेड़छाड़ और सामान व रुपये छीनने जैसी घटनाओं को अंजाम देने लगे हैं। यदि ये लाइटें ठीक करा दी जाएँ, तो ये घटनाएँ अपने-आप रुक जाएँगी।
आपसे प्रार्थना है कि इस संबंध में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर शीघ्रातिशीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 11.
आपके मोहल्ले के मुख्य पार्क पर कुछ लोगों तथा टेंट मालिकों ने अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है, जिससे बच्चों को खेलने में असुविधा होती है। इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए क्षेत्र के थानाध्यक्ष को पत्र।
उत्तर :
बी-3/28, बी०जे० ब्लॉक
शालीमार बाग, नई दिल्ली।
दिनांक : 18 फरवरी, 20xx
थानाध्यक्ष
शालीमार बाग
नई दिल्ली।
विषय- पार्क में अवैध कब्ज़े के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले बी०जे० ब्लॉक, शालीमार बाग के पार्क में कुछ लोगों द्वारा किए गए कब्ज़े की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
कुछ साल पहले तक यह पार्क अत्यंत हरा-भरा तथा मनोरम स्थान हुआ करता था। इस पार्क के पास एक खाली प्लॉट था, जहाँ एक दूधवाला भैंसें बाँधता था। अब उसने पार्क की टूटी दीवार का फ़ायदा उठाकर भैंसों को पार्क में बाँधना शुरू कर दिया है। उसे पार्क का अनुचित लाभ उठाता देख एक किनारे एक कबाड़ीवाले ने अपने कबाड़ का ढेर लगा रखा है तथा पार्क की दीवार के किनारे ही अपनी दुकान खोल रखी है। मुख्य सड़क की ओर एक टेंटवाले ने दो साल से अपने टेंट का सामान – पाइपें पंडाल तथा मेज़ों का ढेर जमा कर रखा है। इससे पार्क अब
सामान रखने की अवैध जगह बनकर रह गया है। अब कॉलोनी के बच्चे पार्क में न खेलकर सड़क पर खेलने को विवश हैं। एक-दो बार वे वाहनों से टकरा भी चुके हैं। वृद्धजनों ने तो पार्क में आना ही बंद कर दिया है। आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर पार्क से अवैध कब्जा हटवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 12.
आपके क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन पर वन महोत्सव के समय बहुत से पौधे लगाए गए, परंतु ये पौधे देख-रेख एवं सिंचाई की कमी के कारण सूखकर आधे हो गए हैं। इस संबंध में उद्यान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को निवेदन पत्र।
उत्तर :
जी – 517, मालवीय नगर
नई दिल्ली।
दिनांक : 10 दिसंबर, 20xx
वरिष्ठ अधिकारी
उद्यान विभाग
दिल्ली नगर निगम
लाजपत नगर, नई दिल्ली।
विषय-देख-रेख के अभाव में सूखते पौधों के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान मालवीय नगर क्षेत्र में खाली पड़ी ज़मीन में लगाए गए सूखते पौधों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। जुलाई माह में अधिकाधिक वृक्ष लगाने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने वन महोत्सव मनाने का फैसला किया था, जिसके अंतर्गत जगह-जगह पर नए पौधे लगाने की योजना थी। इसी क्रम में हमारे क्षेत्र की खाली पड़ी ज़मीन में एक हज़ार पौधों का रोपण किया गया था और इन्हें विकसित करने की जोर-शोर से घोषणा की गई थी। सितंबर-अक्तूबर तक तो वहाँ कुछ कर्मचारी आते रहे, परंतु अब वहाँ कोई कर्मचारी नहीं आता। कुछ पौधे उचित देख-रेख तथा सिंचाई के अभाव में सूख गए हैं। अब तो ये पौधे आधे भी नहीं बचे हैं। इससे पर्यावरण को हरा-भरा एवं शुद्ध बनाने का उद्देश्य पूर्ण होने में संदेह होने लगा है।
आपसे प्रार्थना है आप संबंधित कर्मचारियों को भेजकर इनकी सिंचाई की उचित व्यवस्था कराएँ तथा सूखे पौधों की जगह नए पौधे लगवाने की कृपा करें, ताकि वन महोत्सव मनाने का सार्थक उद्देश्य पूर्ण हो सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 13.
क्षेत्र में खाली पड़ी ज़मीन पर पड़े कूड़े के ढेर को हटाकर पार्क विकसित करने के लिए जिला उद्यान अधि कारी को पत्र।
उत्तर :
ग्राम- लोनी
गाजियाबाद (उ० प्र०)
दिनांक : 27 नवंबर, 20xx
जिला उद्यान अधिकारी
जनपद – गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)।
विषय – खाली पड़ी ज़मीन पर पार्क विकसित करने के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र लोनी में पार्क के लिए खाली छोड़ी गई उस ज़मीन की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ, जिसका उपयोग लोगों ने कूड़ेदान के रूप में शुरू कर दिया है।
इस क्षेत्र में ग्राम समाज की खाली पड़ी ज़मीन पर पार्क विकसित करने की सरकारी योजना थी, परंतु कई चुनाव बीतने पर भी यह योजना अपना वास्तविक रूप न प्राप्त कर सकी। चुनाव निकट आते ही इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाता है, परंतु चुनाव बीतते ही सब पहले जैसा हो जाता है। अब उस जमीन का उपयोग कूड़ेदान के रूप में किया जाने लगा है। यह कूड़ा गर्मी में उड़कर चारों ओर फैलता है तथा वर्षा में इसका गंदा पानी रिसकर सड़कों पर तथा आस-पास के निचले क्षेत्रों में भरता है, जिससे चारों ओर दुर्गंध फैलती है और उधर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इस बदबूदार पानी पर मच्छर पनपते हैं, जो मलेरिया का कारण बनते हैं।
आपसे प्रार्थना है कि आप इस कूड़े को उठवाकर इस ज़मीन को पार्क के रूप में विकसित कराने की कृपा करें, ताकि हम क्षेत्रवासियों को शुद्ध व स्वच्छ वातावरण में रहने का अवसर मिल सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रधान, लोनी ग्राम सभा
प्रश्न 14.
आपके क्षेत्र को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क जगह-जगह से टूट गई है, जिससे आवागमन में घोर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में पी0डब्ल्यू0डी० के मुख्य अभियंता को पत्र।
उत्तर :
ग्राम-हस्तसाल
उ० प० दिल्ली।
दिनांक : 26 सितंबर, 20xx
मुख्य अभियंता
पी०डब्ल्यू०डी०
राजौरी गार्डन, नई दिल्ली।
विषय – टूटी सड़क की मरम्मत के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र हस्तसाल की टूटी सड़क की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।
मुख्य सड़क से इस गाँव को जोड़ने वाली सड़क की पिछली बार मरम्मत तब की गई थी, जब विधानसभा चुनाव निकट थे। उसके बाद से मरम्मत के अभाव में यह सड़क दयनीय दशा में पहुँच चुकी है। वर्षा ऋतु में इस पर बने गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे इस पर चलना और भी कठिन हो जाता है। जगह-जगह तारकोल उखड़ जाने से धूल-ही-धूल दिखाई देती है और आते-जाते हुए लोग धूल-धूसरित हो जाते हैं। सूर्यास्त के बाद तो इस पर चलना जोखिम उठाने जैसा होता है। इसके किनारे लगी लाइटें खराब हो चुकी हैं। ऐसे में हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। गाँव के कई लोग इन गड्ढों के कारण गिरकर घायल हो चुके हैं। अब तो हम लोगों को पैदल चलने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करें और संबंधित कर्मचारियों को अविलंब कार्यवाही का आदेश देने की कृपा करें।
सधन्यवाद। भवदीय
क० ख०ग०
प्रधान, हस्तसाल ग्राम सभा, नई दिल्ली।
प्रश्न 15.
लघु उद्योग इकाइयाँ दूषित पानी का शोधन किए बिना नालियों में बहा रही हैं, जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। इस समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए जिले के प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को पत्र।
उत्तर :
डी-52, पिलखुआ
हापुड़ (उत्तर प्रदेश)
दिनांक : 20 अक्टूबर, 20xx
प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी
जनपद – हापुड़ (उत्तर प्रदेश)।
विषय – बढ़ते जल प्रदूषण के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र पिलखुआ में लगी लघु उद्योग इकाइयों द्वारा फैलाए जा रहे जल प्रदूषण की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।
यह क्षेत्र सूती वस्त्र-निर्माण के लिए जाना जाता है। यहाँ छोटी-छोटी अनेक औद्योगिक इकाइयाँ हैं। इन इकाइयों से निकला दूषित जल और उसमें मिले अपशिष्ट पदार्थ बहकर जल स्रोतों में मिल रहे हैं। इसमें विद्यमान रासायनिक पदार्थ, रंग, डिटर्जेंट आदि के कारण एक ओर जहाँ पानी का रंग बदल रहा है, वहीं दूसरी ओर यह विषैला भी होता जा रहा है। तालाबों के विभिन्न जल – जीव असमय मौत के शिकार हो रहे हैं। तालाबों का जल इतना प्रदूषित
हो चुका है कि उसमें हाथ-पैर धोने से जलन होने लगती है और त्वचा रोग हो जाता है। यदि ये इकाइयाँ इस जल का शोधन करके जल स्रोतों में बहाएँ, तो बढ़ते जल प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
आपसे विनम्र निवेदन है कि इन इकाइयों को जल-शोधन हेतु निर्देश दें तथा ऐसा न करने वालों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें।
सधन्यवाद। भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 16.
आजकल मिलावट का धंधा जोरों पर है। व्यापारी अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए हर वस्तु में मिलावट करने लगे हैं। इसकी शिकायत करते हुए जिला खाद्य निरीक्षक को पत्र।
उत्तर :
सी-45, महेंद्रू इंक्लेव
आजादपुर, नई दिल्ली।
दिनांक : 25 जनवरी, 20xx
जिला खाद्य निरीक्षक
उत्तर – पश्चिम जिला
नई दिल्ली।
विषय – बढ़ती मिलावट के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान दिनोंदिन बढ़ती मिलावट की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ, जिससे हर व्यक्ति परेशान है। आजकल बाज़ार में शुद्ध वस्तुओं का मिलना उसी प्रकार दुष्कर हो गया है, जैसे कलयुग में भगवान का। व्यापारी एवं दुकानदार अधिकाधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं। ये लालची व्यापारी गेहूँ-चावल में कंकड़, मिर्च में पिसी ईंट का चूर्ण, काली मिर्च में पपीते का बीज, धनिया पाउडर में गोबर जैसी घिनौनी वस्तुएँ मिलाते हैं। आज नकली घी, नकली खोया, रासायनिक पदार्थों के मेल से बनी मिठाइयाँ, पेय पदार्थों में मिलावट आदि के सेवन का कुप्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर देखा जा सकता है। इससे एक तरफ व्यक्ति के स्वास्थ्य की क्षति होती है, तो दूसरी ओर पैसों की हानि। इन व्यापारियों की साँठ-गाँठ छोटे-मोटे सरकारी कर्मचारियों से भी होती है, जिनके साथ मिलीभगत करके यह घिनौना खेल खेला जा रहा है।
आपसे विनम्र निवेदन है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें तथा आकस्मिक जाँच करके दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 17.
बड़े-बड़े दावे तथा घोषणाओं के बाद भी रेल यात्रा के दौरान यात्रियों को दी जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता संतोषप्रद नहीं होती है। इसकी शिकायत करते हुए निरीक्षक, खान-पान विभाग, रेल भवन, नई दिल्ली को शिकायती पत्र।
उत्तर :
ए-4/25, लाजपत नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक : 20 नवंबर, 20XX
निरीक्षक
खान-पान विभाग
रेल भवन, नई दिल्ली।
विषय – रेल यात्रा के दौरान दी जाने वाली खाद्य सामग्री की घटिया गुणवत्ता के संबंध में।
मान्यवर,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान रेल – यात्रा के दौरान परोसी जाने वाली घटिया सामग्री की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
मैंने कई बार रेल – यात्रा की और रेलवे की खान-पान सेवा द्वारा दी जाने वाली खाद्य सामग्री से पेट – पूजा की। अत्यंत खेद के साथ आपको बताना पड़ रहा है कि हर बार खाने की गुणवत्ता घटिया थी। जली रोटियाँ, दाल के नाम पर पीला पानी, चिपचिपा चावल, खट्टी दही स्वादहीन सब्जियाँ खाने की घटिया गुणवत्ता स्वयमेव बताते हैं। इनका अधिक मूल्य ‘एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा’ की कहावत चरितार्थ करता है। कर्मचारियों का व्यवहार भी बहुत अच्छा नहीं होता। इस संबंध में शिकायत पुस्तिका का उपयोग करने का भी कोई लाभ नहीं हुआ।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस मामले में अविलंब हस्तक्षेप करें तथा आवश्यक कदम उठाकर रेलवे की खान-पान की पहले जैसी गुणवत्ता वाली खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाएँ।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 18.
दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों की समीक्षा तथा उनकी गुणवत्ता बढ़ाने का निवेदन करते हुए अधीक्षक, दिल्ली दूरदर्शन, संचार भवन, नई दिल्ली को पत्र।
उत्तर :
सेक्टर 15, गौतम बुद्ध नगर,
नोएडा (उ० प्र०)।
दिनांक : 02 फरवरी, 20xx
अधीक्षक
दिल्ली दूरदर्शन,
संचार भवन,
नई दिल्ली।
विषय-दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों की गुणवत्ता के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान दिल्ली दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की गुणवत्ता की ओर आकर्षित कराना चाहता दूरदर्शन को शिक्षा एवं मनोरंजन का सशक्त माध्यम माना जाता है। इस पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को इस अपेक्षा के साथ देखा जाता है कि उनसे स्वस्थ मनोरंजन होगा एवं ज्ञानवर्धन भी होगा, परंतु खेदपूर्वक कहना पड़ रहा है कि इन कार्यक्रमों की गुणवत्ता में दिनोंदिन गिरावट आती जा रही है। धारावाहिकों में वही रोना-धोना, छल-कपट, फरेब, हिंसा, अश्लीलता का बोलबाला, समाचार- प्रसारण का पुराना ढंग, फ़िल्मों एवं गीतों की घटिया स्तर की शब्दावलियाँ, हिंसा – प्रधान फ़िल्में आदि ऐसी हैं, जिन्हें परिवार में एक साथ बैठकर देख पाना कठिन हो जाता है। दूरदर्शन पर शैक्षिक एवं स्वस्थ हास्य-व्यंग्य – प्रधान कार्यक्रमों की कमी है। पंचतंत्र, हितोपदेश आदि से संबंधित कार्यक्रमों के प्रसारण से दूरदर्शन अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है।
आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में हस्तक्षेप करके कार्यक्रमों की गुणवत्ता बनाए रखने तथा शैक्षिक एवं स्वस्थ मनोरंजन वाले कार्यक्रमों का प्रसारण करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 19.
आपने दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाहियाँ देखीं, जिनमें माननीय सांसदों का व्यवहार देखकर दुख हुआ। उनके व्यवहार पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र।
उत्तर :
27-ए, रोहतक (हरियाणा)।
दिनांक : 20 दिसंबर 20xx
लोकसभा अध्यक्ष
संसद भवन
नई दिल्ली।
विषय – सांसदों के अशोभनीय व्यवहार के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सांसदों के अशोभनीय व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
पिछले दिनों लोकसभा की कार्यवाही का प्रसारण देखकर दुख हुआ कि जनता अपनी आवाज़ संसद तक पहुँचाने के लिए जिन सांसदों को चुनकर लोकसभा में भेजती है और उन्हें माननीय, सम्माननीय जैसे विशेषणों से विभूषित करती है, उनमें से अधिकांश का व्यवहार, तो आम आदमी से भी घटिया होता है। वे छोटी-छोटी बातों के लिए वाद-विवाद, हाथा-पाई, कपड़े फाड़ने, कुर्सी- माइक फेंकने जैसे अत्यंत ओछे काम करते हुए शोर मचाने लगते हैं। इससे संसद की कार्यवाही बाधित होती है और जनता का करोड़ों रुपये पानी की तरह बहकर बर्बाद होता है। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को बार-बार स्थगित किया जाता है। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में विलंब हो जाता है और कई महत्वपूर्ण कानून बनते-बनते रह जाते हैं। सांसदों का ऐसा व्यवहार संसद की गरिमा को ठेस पहुँचाता है।
आपसे प्रार्थना है कि इस प्रकार का अशोभनीय व्यवहार करने वाले सांसदों से कड़ाई से निपटें तथा उनके संसद में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की कृपा करें, ताकि भारतीय संसद की गरिमा को ठेस न पहुँचे।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 20.
आपके क्षेत्र के आस-पास कोई अस्पताल नहीं है। ऐसे में लोगों को इलाज के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है। डिस्पेंसरी खोलने का अनुरोध करते हुए स्वास्थ्य निदेशक, दिल्ली सरकार को पत्र।
उत्तर :
बिजवासन, नई दिल्ली।
दिनांक : 20 फरवरी, 20xx
स्वास्थ्य निदेशक
दिल्ली सरकार
नई दिल्ली।
विषय – डिस्पेंसरी खोलने के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र विजवासन गाँव में अस्पताल की कमी से इलाज में होने वाली कठिनाइयों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
इस गाँव की गणना दिल्ली के प्राचीन गाँवों में की जाती है। यहाँ की जनसंख्या बीस हज़ार से अधिक है,
परंतु यहाँ पर अस्पताल नाम की कोई सुविधा नहीं है। लोगों को इलाज के लिए नजफ़गढ़, उत्तम नगर या सफ़दरजंग जाना पड़ता है। इसका फ़ायदा यहाँ आस-पास दुकानें खोलकर बैठे झोलाछाप डॉक्टर उठाते हैं और मनमाना पैसा वसूलते हैं। महिलाओं और वृद्धों को इलाज के लिए दूरस्थ अस्पतालों में ले जाने पर बहुत परेशानी होती है। अनेक वृद्ध तो अस्पताल तक पहुँचते-पहुँचते दम तोड़ चुके हैं। ऐसे में यहाँ चिकित्सीय सुविधा होना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। आपसे प्रार्थना है कि व्यक्तिगत रुचि लेकर यहाँ डिस्पेंसरी खुलवाने की कृपा करें। हम क्षेत्रवासी आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 21.
आपके क्षेत्र में बस स्टैंड पर शेड नहीं है, जिससे आने-जाने वालों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। स्टैंड पर शेड लगवाने हेतु परिवहन विभाग के अधीक्षक को पत्र।
उत्तर :
27, कराला,
नई दिल्ली।
दिनांक : 20 फरवरी, 20xx
अधीक्षक
दिल्ली परिवहन निगम
वजीरपुर डिपो,
नई दिल्ली।
विषय- बस स्टैंड पर शेड लगवाने के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान अपने गाँव कराला के सरकारी बस स्टैंड की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। कराला बस स्टैंड
पर यात्रियों को खुले आसमान के नीचे खड़ा होना पड़ता है, क्योंकि यहाँ बस स्टैंड तो है, पर शेड नहीं है। गर्मी में हमें बस का इंतज़ार करते समय तपती धूप तथा लू का सामना करना पड़ता है, तो सर्दी में ठंडी हवाओं और कोहरे की मार का और वर्षा ऋतु में भीगकर बरसात की मार झेलनी पड़ती है। प्रातःकाल स्कूल जाने के लिए बच्चे काँपते हुए बस की राह देखते हैं, तो वृद्ध ठंडी हवा से खाँसते हुए मौसम की मार झेलने को विवश होते हैं। इस संबंध में परिवहन विभाग के कर्मचारियों से कई बार बात की गई, पर कोई हल नहीं निकला।
आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर कार्यवाही करते हुए संबंधित कर्मचारियों को शेड लगाने का आदेश देने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 22.
आपकी विधानसभा से चुने गए विधायक जी ने चुनाव जीतने के बाद दर्शन नहीं दिए हैं। विकास के लिए उन्होंने जो वायदे किए थे, वे सभी अधूरे हैं। उन्हें चुनावी वायदों की याद दिलाते हुए पत्र।
उत्तर :
750, वाई ब्लॉक, मंगोलपुरी,
नई दिल्ली।
दिनांक : 21 फरवरी, 20xx
विधायक
मंगोलपुरी विधानसभा क्षेत्र
नई दिल्ली।
विषय – चुनावी वायदे भूलने एवं विकास – कार्य न होने के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान मंगोलपुरी विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए किए गए चुनावी वायदों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
विगत चुनाव प्रचार के समय आपने इस विधानसभा में अनेक जन सभाएँ कीं और क्षेत्र के विकास हेतु अनेक योजनाओं का सपना हम क्षेत्रवासियों को दिखाते हुए अपनी जीत के लिए जन समर्थन चाहा। हम सभी ने आपकी बातों और वायदों पर भरोसा करके आपको जिताकर विधानसभा की राह दिखाई, परंतु जीतने के बाद आप इस क्षेत्र की राह भूल गए। क्षेत्र में नया अस्पताल खोलने, डाकघर खोलने, सामुदायिक भवन बनवाने, सड़क पक्की कराने, विधवा महिलाओं की कन्याओं के विवाह के खर्चे में भागीदारी करने, रोज़गार के नए अवसर बढ़ाने जैसी अनेक योजनाओं में से किसी की भी शुरुआत नहीं हुई है। आपने बिजली – पानी घर-घर पहुँचाने का वायदा किया था, पर हुआ कुछ नहीं। अब तो संबंधित अधिकारी भी सीधे मुँह बात नहीं करते हैं।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि अपने वायदों को याद करके जनता को दर्शन दीजिए तथा जन समस्याएँ सुलझाने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश देने का कष्ट कीजिए।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 23.
फरवरी महीने में पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों के प्रवेश के लिए अभिभावकों को तरह-तरह से परेशान किया जाता है। इस ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए शिक्षा निदेशक, दिल्ली सरकार को पत्र।
उत्तर :
सी-75/4, सेक्टर-15
रोहिणी, नई दिल्ली।
दिनांक : 01 फरवरी, 20xx
शिक्षा निदेशक
पुराना सचिवालय
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र
नई दिल्ली।
विषय – पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश के संबंध में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूलों के मनमाने व्यवहार की ओर आकर्षित कराना चाहती हूँ।
इन स्कूलों में पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया फरवरी महीने में ही शुरू हो जाती है। यहीं से उन अभिभावकों की परेशानी शुरू हो जाती है, जो अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं। सबसे पहले उनके महँगे फ़ॉर्म खरीदकर उनकी अनावश्यक शर्तें पूरी करनी होती हैं, फिर वे निम्न आय वर्ग की सीटों पर प्रवेश देने के लिए सौ बहाने बनाते हैं, फिर कभी बच्चे के इंटरव्यू, तो कभी माता-पिता के इंटरव्यू के नाम पर तरह-तरह से परेशान करते हैं | फीस, विकास शुल्क, अनिवार्य बस सेवा आदि के नाम पर एक मोटी रकम वसूल करते हैं। सीटें होने पर भी ‘सीट नहीं’ का बोर्ड टाँगकर पहुँच वालों के माध्यम से मोटी रकम का डोनेशन लेकर प्रवेश देते हैं। आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर इन स्कूलों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की कृपा और प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी तथा सरल बनाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 24.
आरक्षण केंद्रों पर दलालों और क्लर्कों की मिलीभगत के कारण जन-साधारण को आरक्षित टिकट पाने के लिए बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए उत्तर रेलवे, दिल्ली के महाप्रबंधक को पत्र।
उत्तर :
सी-527, लाजपत नगर, नई दिल्ली।
दिनांक : 03 मार्च, 20xx
महाप्रबंधक
उत्तर रेलवे, बड़ौदा हाउस
नई दिल्ली।
विषय – टिकट आरक्षण में दलालों से होने वाली समस्या के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान उत्तर रेलवे के विभिन्न आरक्षण केंद्रों पर टिकट आरक्षण में जन-साधारण को होने वाली समस्या की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
इन केंद्रों पर हर समय दलालों की उपस्थिति देखी जा सकती है। बुकिंग क्लर्कों की मिलीभगत के कारण वे उनके तीस-चालीस फार्मों को लेकर बुकिंग करना शुरू कर देते हैं। आम आदमी, जो अपना काम-धाम छोड़कर रात्रि में चार-पाँच बजे से ही पंक्ति में लगकर खिड़की पर अपना क्रम आने की प्रतीक्षा करते रहते हैं, वे खड़े – के-खड़े रह जाते हैं। कुछ कहने पर या इन दलालों को पंक्ति में लगने के लिए कहते ही वे लड़ना – झगड़ना शुरू कर देते हैं और मार-पीट पर उतर आते हैं। वहाँ पंक्ति में खड़ा आदमी स्वयं को ठगा सा महसूस करता है।
आपसे प्रार्थना है कि आप इस समस्या में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर हस्तक्षेप करने की कृपा करें तथा आरक्षण के समय दलालों का प्रवेश रोकने एवं क्लर्कों की संलिप्तता रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
II. संपादक के नाम पत्र –
प्रश्न 25.
आपके क्षेत्र में सड़कों को चौड़ा करने तथा विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करके हरियाली पर कुठाराघात किया जा रहा है। इस ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए दैनिक जागरण के संपादक को पत्र।
उत्तर :
ए – 28, लोनी, गाजियाबाद (उ० प्र०)।
दिनांक : 04 अप्रैल, 20xx
संपादक
दैनिक जागरण
एफ़ – 62, सेक्टर-62,
गौतम बुद्ध नगर, नोएडा (उ० प्र०)।
विषय-वृक्षों की कटाई के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय समाचार – पत्र के माध्यम से वन विभाग के अधिकारियों का ध्यान वृक्षों की अनावश्यक कटाई की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
लोनी से ट्रोनिका सिटी होकर बागपत जाने वाले मार्ग को चौड़ा करने की योजना के अनुसार इस मार्ग पर काम किया जा रहा था। इसी क्रम में सड़क की परिधि में न आने वाले पेड़ों को भी काटा जा रहा है। इन पेड़ों की कटाई शाम होते ही ज़ोर-शोर से शुरू हो जाती है। ऐसा लगता है कि इसमें लकड़ी माफ़िया भी शामिल हैं। इससे सड़क के दोनों किनारे के पेड़ समाप्त हो रहे हैं तथा पर्यावरण को अपूर्ण क्षति हो रही है। इन पेड़ों की अधिकांश लकड़ी को रात्रि में ही अवैध रूप से अन्यत्र पहुँचा दिया जाता है।
आपसे अनुरोध है कि इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देकर संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कृपा करें, जिससे पेड़ों की अनावश्यक कटाई पर अंकुश लग सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 26.
आपका क्षेत्र भीषण बाढ़ की चपेट में है और प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया है। राहत कार्यों तथा अन्य सरकारी मदद की प्राप्ति की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
दानापुर (बिहार)
दिनांक : 20 अगस्त, 20xx
संपादक
अमर उजाला
पटना (बिहार)।
विषय – भीषण बाढ़ से उत्पन्न कठिनाइयों के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों का ध्यान बाढ़ – पीड़ित क्षेत्र कठिनाइयों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
इस क्षेत्र में पिछले सप्ताह हुई मूसलाधार बारिश के कारण चारों ओर पानी-ही-पानी नज़र आ रहा है। गाँवों का संपर्क आस-पास के क्षेत्रों से कट गया है। फसलें पानी में डूब चुकी हैं। अनेक जानवर मरकर इधर-उधर बह रहे हैं। क्षेत्र से अब पानी उतरने लगा है, किंतु कच्चे घरों के गिर जाने के कारण लोग ऊँचे टीलों पर रहने को विवश हैं। प्रशासन की ओर से विपदा में फँसे लोगों को कोई राहत-सामग्री नहीं पहुँचाई गई है। पता नहीं प्रशासन कब तक सोया रहेगा। आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में स्थान देने की कृपा करें, ताकि प्रशासन के लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो और वे लोगों की मदद् करने के लिए आगे बढें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 27.
टूटी-फूटी सड़कों की दयनीय दशा का उल्लेख करते हुए संबंधित अधिकारियों को ध्यानाकर्षित करते हुए नवभारत टाइम्स के संपादक को पत्र।
उत्तर :
कलेक्ट्रेट रोड
बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)।
दिनांक : 02 फरवरी, 20xx
संपादक
नवभारत टाइम्स
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
विषय-शहर की टूटी-फूटी सड़कों के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों का ध्यान अपने शहर बाराबंकी की टूटी सड़कों की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।
यहाँ पिछली बार सड़कों की मरम्मत विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अत्यंत जल्दबाजी में कराई गई थी, जो एक भी बरसात न सह पाई। सड़कें जगह-जगह से टूट गई हैं। वर्षा के दिनों में इनमें पानी भर जाता है, जिससे आवागमन दुष्कर बन जाता है। रात में प्राय: दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। इनकी मरम्मत के लिए प्रशासन को शायद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार है।
आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में स्थान देने की कृपा करें, ताकि संबंधित अधि कारियों का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित हो तथा वे इनकी मरम्मत हेतु आवश्यक कदम उठाएँ।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 28.
आपके क्षेत्र के कृषि योग्य क्षेत्र में कुछ भू-माफ़ियों द्वारा अनधिकृत कॉलोनियाँ बसाई जा रही हैं, किंतु स्थानीय प्रशासन मौन है। इस ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
45, कंझावला,
दिल्ली।
दिनांक : 25 अप्रैल, 20xx
संपादक
पंजाब केसरी
प्रिंटिंग प्रेस एरिया,
वजीरपुर, नई दिल्ली।
विषय – कृषि – योग्य क्षेत्र में अवैध कॉलोनियाँ बसाने के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से उच्चाधिकारियों का ध्यान अपने क्षेत्र कंझावला में कृषि योग्य क्षेत्र में बसाई जा रही अवैध कालोनियों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
विधानसभा चुनाव निकट आते ही इस क्षेत्र में अवैध कॉलोनियाँ बसाई जाने लगती हैं। वह ज़मीन, जिस पर इन्हें बसाया जा रहा है, कृषि योग्य जमीन है, जिस पर कुछ समय पूर्व खेती लहलहाती थी। आस-पास हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे, परंतु कॉलोनी बसाने के लिए रातोंरात पेड़ काटकर मलवा डाला गया और ज़मीन को छोटे-छोटे भूखंडों में बाँट दिया गया। लोग इनमें दीवारें खड़ी करके झुग्गी-सी बनाने लगे हैं। स्थानीय प्रशासन भी आँखें बंद किए सब कुछ देख रहा है। आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देने की कृपा करें, ताकि संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो और वे इसे रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाएँ।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 29.
कार्यालयों में बढ़ते भ्रष्टाचार की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराने हेतु ‘हिंदुस्तान’ समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
26-सी, मालवीय नगर
दिल्ली।
दिनांक : 25 नवंबर, 20xx
संपादक
हिंदुस्तान
कस्तूरबा गांधी मार्ग.
नई दिल्ली।
विषय – कार्यालयों में बढ़ते भ्रष्टाचार के विषय में।
मान्यवर,
मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से सरकार का ध्यान कार्यालयों में बढ़ते भ्रष्टाचार की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
आजकल सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बिना पैसा दिए या बिना पहुँच के कोई भी काम कराना मुश्किल ही नहीं, असंभव बनता जा रहा है। सरकारी नौकरियों में पद के हिसाब से उनका रेट तय कर दिया जाता है। पुलिस, राजस्व, खाद्य आपूर्ति विभाग का कहना ही क्या? ये तो पैसे लेने के लिए बदनाम हो चुके हैं। पैसे लिए बिना कोई अधिकारी काम करने को राजी नहीं है। परिवहन विभाग के कार्यालयों में जिस काम के लिए महीने भर चक्कर लगवाया जाता है, उसे दलालों के माध्यम से एक-दो दिन में ही कराया जा सकता है। बढ़ते भ्रष्टाचार को अब लोग अपनी नियति मानकर सह रहे हैं।
आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देने की कृपा करें, ताकि सरकार का ध्यान आकृष्ट हो और वह भ्रष्टाचार का सफ़ाया करने के लिए कोई आवश्यक कदम उठाए।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 30.
आपके शहर आवास की कमी के कारण एक वर्ग खाली स्थानों पर झुग्गियाँ खड़ी कर लेता है, जिससे दिल्ली के सौंदर्य को धब्बा लगता है। इसके प्रति चिंता व्यक्त करते हुए दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
56, कस्तूरबा नगर, दरियागंज,
नई दिल्ली।
दिनांक : 15 मार्च, 20xx
संपादक
दैनिक जागरण
एफ-23, गौतम बुद्ध नगर,
सेक्टर 62, नोएडा (उ० प्र०)।
विषय – शहर में बढ़ती झुग्गियों के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों का ध्यान शहर में बढ़ती झुग्गियों की ओर आकर्षित
कराना चाहाता
दिल्ली विविध प्रकार की सुख-सुविधाओं वाला शहर है। इसे देश की राजधानी होने का सौभाग्य प्राप्त है। लोगों के मन में इस शहर के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है। दुर्भाग्य से कुछ लोग यहाँ की खाली पड़ी जमीनों पर झुग्गियाँ खड़ी कर लेते हैं। फिर उन्हें बेंचकर या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर वे पुनः अन्यत्र झुग्गियाँ डाल देते हैं। इस काम को उन्होंने व्यवसाय का रूप प्रदान कर दिया है। इससे आस-पास गंदगी फैलती है तथा दिल्ली के सौंदर्य में धब्बा लगता है, जिससे विदेशी पर्यटकों के बीच इस शहर की छवि धूमिल होती है।
आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में स्थान दें, ताकि संबंधित अधिकारी इन झुग्गियों के पनपने पर अंकुश लगा सकें।
सधन्यवाद। भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 31.
महँगाई के कारण आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। दिनोंदिन बढ़ती महँगाई के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए समाचार – पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
25 – बी, गोमती नगर,
लखनऊ (उ० प्र०)।
दिनांक : 20 अप्रैल, 20xx
संपादक
स्वतंत्र भारत
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
विषय – बढ़ती महँगाई के संबंध में।
मान्यवर,
आपके लोकप्रिय पत्र के माध्यम से मैं राज्य एवं केंद्र सरकार का ध्यान दिन-प्रतिदिन बढ़ती महँगाई की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ, जिससे आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है।
आज जीवन की आवश्यक वस्तुओं का मूल्य इतना बढ़ता जा रहा है कि आम आदमी उन्हें पाने में स्वयं को असमर्थ महसूस करने लगा है। दालें, सब्ज़ियाँ, कपड़े, दूध, फल, मकान का किराया, अन्य वस्तुएँ आदि की कीमतें आसमान छूती जा रही हैं। इसकी वृद्धि में कुछ स्वार्थी लोगों तथा जमाखोरों का हाथ रहता है। सरकार इसे नियंत्रित करने में असमर्थ हो रही है। वह कभी बाढ़ को तो कभी सूखे को दोष देकर कम पैदावार का बहाना बनाती है। लोगों की आय बढ़ने का नाम नहीं लेती है और न महँगाई रुकने का। आम आदमी को दो जून की रोटी जुटाने में कठिनाई हो रही है। इससे जनता में आक्रोश पनप रहा है।
आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में स्थान देकर सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने का कष्ट करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 32.
आज का युवावर्ग सिगरेट पीने या धूम्रपान करने को अपनी शान में वृद्धि समझता है। किसी दैनिक अखबार के संपादक को पत्र लिखकर इस ओर सरकार तथा युवाओं का ध्यान आकर्षित कराते हुए सुझाव – भरा पत्र।
उत्तर :
डब्ल्यू० जेड० – 23, मौर्या इंक्लेव,
पीतमपुरा, नई दिल्ली।
दिनांक : 15 फरवरी, 20xx
संपादक
दैनिक जनसत्ता
नई दिल्ली।
विषय-युवाओं में बढ़ती धूम्रपान की प्रवृत्ति के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके लोकप्रिय एवं सम्मानित पत्र के माध्यम से युवाओं तथा सरकार का ध्यान धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर आकर्षित कराना चाहता आजकल विभिन्न माध्यमों द्वारा प्रचारित विज्ञापनों में अभिनेताओं या सम्मानित लोगों द्वारा धूम्रपान का इस तरह प्रचार-प्रसार किया जाता है कि युवा वर्ग उससे आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाता। ऐसे लोगों की उच्च जीवन-शैली की शान बढ़ाने में धूम्रपान सहायक होता है, यह गलत धारणा उसके मन में बलवती होती जाती है। ऐसी ही जीवन-शैली की नकल करने के लिए वह भी चोरी-छिपे धूम्रपान करते-करते इसे अपनी आदत बना लेता है। क्रमशः सिगरेट, पान मसाला, गुटखा एवं बीयर का सेवन करते हुए अंतत: शराब तक जा पहुँचता है और पतन की ओर कदम बढ़ा देता है। वह अपने स्वास्थ्य की क्षति करने लगता है, जो धीरे-धीरे उसे मौत की ओर अग्रसर करती है। युवाओं को इस व्यसन से सदैव दूर रहना चाहिए।
आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने सम्मानित समाचार पत्र में स्थान दें, ताकि सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो और वह कोई ठोस कदम उठाए, जिससे युवा वर्ग धूम्रपान के विरुद्ध जाग्रत हो।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 33.
दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों में अश्लीलता होती है। इसका समाज पर कुप्रभाव पड़ रहा है। इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
के – 829, लाजपत नगर – II
दिल्ली।
दिनांक : 20 जुलाई, 20xx
संपादक
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग
नई दिल्ली।
विषय-दूरदर्शन पर दिखाए जा रहे विज्ञापनों में बढ़ती अश्लीलता के संबंध में।
मान्यवर,
आपके सम्मानित पत्र के माध्यम से मैं सरकार एवं जनता का ध्यान दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले अश्लील धारावाहिकों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
हम सभी इससे भली-भाँति परिचित हैं कि दूरदर्शन पर जो कुछ प्रचारित और प्रसारित किया जाता है, समाज पर उसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। जनसंचार के इस सशक्त माध्यम का उपयोग विभिन्न कंपनियाँ अपना उत्पाद बेचने के साधन के रूप में करने लगी हैं। वे कार्यक्रमों के बीच अपने उत्पादों के विज्ञापन दिखाती हैं। इनमें से कुछ सामाजिकता की परिधि में होते हैं, परंतु कुछ विज्ञापनों की भाषा द्विअर्थी तथा अश्लीलतायुक्त होती है। इन्हें परिवार के साथ देखना मुश्किल हो जाता है। ये युवाओं तथा बच्चों की मानसिकता पर दुष्प्रभाव डालते हैं। लगभग हर विज्ञापन में नारी देह का अनावश्यक प्रयोग किया जाता है, जिससे समाज में बलात्कार, छेड़छाड़, हिंसा आदि की घटनाएँ बढ़ रही हैं। युवाओं को ऐसे विज्ञापन बुरे मार्ग पर बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। सरकार को इन विज्ञापनों के प्रसारण पर रोक लगानी चाहिए तथा इनके निर्माताओं के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए। आपसे प्रार्थना है कि आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में जगह देने की कृपा करें, ताकि सरकार और समाज में जागरूकता बढ़े।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 34.
अपने क्षेत्र के पार्क की दुर्दशा के बारे में संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए दैनिक जागरण के संपादक को पत्र।
उत्तर :
ए-3/73, सेक्टर-15,
रोहिणी, नई दिल्ली।
दिनांक : 20 मई, 20xx
संपादक
दैनिक जागरण
एफ० 23, सेक्टर-62
गौतम बुद्धनगर,
नोएडा (उ० प्र०)।
विषय-पार्क की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित कराने के संबंध में।
महोदय,
मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों का ध्यान पार्क की दुर्दशा की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
रोहिणी के सेक्टर-15 में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एक बड़ा-सा पार्क बनवाया था। इसके उद्घाटन के समय इसे हरा-भरा बनाया गया और बड़े-बड़े वायदे किए गए, किंतु समय बीतने के साथ देख-रेख के अभाव में फूलों के पौधे सूखने लगे। छायादार वृक्ष कटाई-छँटाई के अभाव में आकर्षण खो चुके हैं। फव्वारे में लगे लोहे के उपकरण चोर उखाड़कर ले जा चुके हैं। आजकल इस पार्क का उपयोग शादी-विवाह, सत्संग तथा अन्य आयोजनों के लिए होने लगा है। इन आयोजनों के बाद यहाँ पत्तल, गिलास आदि हफ़्तों तक इधर-उधर बिखरे रहते हैं। पार्क की दीवारों की रेलिंग उखाड़ी जा चुकी हैं। पार्क की देख-रेख में नियुक्त कर्मचारियों को घास पर बैठे, ताश खेलते देखा जा सकता है। पार्क की दीवार जहाँ टूटी है, वहाँ लोगों ने कूड़ा फेंकना शुरू कर दिया है। यदि इस पर ध्यान न दिया गया, तो पार्क शीघ्र ही कूड़ेदान में बदलकर रह जाएगा।
आपसे प्रार्थना है कि इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान दें, ताकि संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो और पार्क का पुनरुद्धार किया जा सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 35.
आपके क्षेत्र में सफ़ाई की व्यवस्था अत्यंत दयनीय है। क्षेत्र में गंदगी फैली हुई है। इसके प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
ए-23, सीमापुरी
नई दिल्ली।
दिनांक : 15 अप्रैल, 20xx
संपादक
वीर भूमि
संचार भवन मार्ग
नई दिल्ली।
विषय – सफ़ाई की दुर्दशा के संबंध में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय पत्र के माध्यम से मैं संबंधित अधिकारियों का ध्यान अपने क्षेत्र में सफ़ाई की दुर्व्यवस्था की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी क्षेत्र में सफ़ाई की दशा सोचनीय है। यहाँ जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। नालियों का पानी सड़कर बदबू मार रहा है। गली की निचली जगहों पर गंदा पानी फैल गया है, जिससे आने-जाने में परेशानी होती है। सीवर के ढक्कन टूटे हुए हैं, जिसकी बदबू के कारण वहाँ से निकलना मुश्किल हो जाता है। साथ ही इसमें बच्चों के गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है। कॉलोनी के पास से गुज़र रही रेलवे लाइन पर गंदगी – ही गंदगी फैली है, क्योंकि लोग वहीं मल-मूत्र त्यागते हैं। सफाईकर्मी नियमित नहीं आते हैं, जिससे सफ़ाई नहीं हो पाती है। वे कूड़े का ढेर इधर-उधर लगाकर छोड़ जाते हैं, जो उड़-उड़कर गलियों में फैलता रहता है। बार-बार कहने के बाद भी वे अपने तरीके नहीं बदल रहे हैं।
आपसे प्रार्थना है कि आप इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान दें, ताकि संबधित कर्मचारियों और अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 36.
क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे जन-जीवन को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराते हुए संपादक को पत्र।
उत्तर :
वाई – 27, मालवीय नगर
नई दिल्ली।
दिनांक : 20 फरवरी, 20xx
संपादक
पंजाब केसरी
प्रिंटिंग प्रेस एरिया,
वजीरपुर, नई दिल्ली।
विषय – बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के संबंध में।
महोदय,
मैं आपके सम्मानित एवं लोकप्रिय पत्र के माध्यम से अपने शहर में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ।
दिल्ली को भारत की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। यहाँ विकास कार्य भी द्रुतगति से हुए हैं। आवासीय क्षेत्रों के आस-पास खाली पड़ी जमीन पर बड़े-बड़े कल-कारखाने स्थापित हुए हैं। इनमें लगी मशीनों और विद्युत मोटरों, जनरेटरों आदि का शोर लोगों की शांति छीन रहा है। यहाँ अनेक कारणों से विभिन्न प्रकार के वाहन आते-जाते रहते हैं। इनकी ध्वनियाँ और हॉनों की कान फोडू आवाज़ सुनकर कान दर्द करने लगते हैं। लाउड स्पीकर पर बजते गाने, विज्ञापन और विक्रेताओं की आवाजें दिन-प्रतिदिन शोर में परिवर्तित होती जा रही हैं। यहाँ सुबह – शाम मंदिर, मस्ज़िद और गुरुद्वारों पर लगे ध्वनि – विस्तारक यंत्र ऊँची आवाज़ में चीखकर ईश्वर और इनसान दोनों का चैन हरते हैं। जुलूसों में लगने वाले नारे, विभिन्न जगहों पर बजता कर्ण – फोडू संगीत, वायुयान और रेलगाड़ियों का आवागमन ध्वनि प्रदूषण बढ़ाता है। इससे यहाँ के नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं, तो मरीज़ और वृद्ध सो नहीं पाते हैं और जन-सामान्य का दैनिक जीवन प्रभावित होता है।
आपसे प्रार्थना है कि आप इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देकर सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करें, ताकि इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाया जाए।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 37.
सरकार के विभिन्न प्रयासों के बावजूद कन्या भ्रूण हत्या में कमी नहीं आ रही है। इस पर चिंता प्रकट करते हुए तथा सुझाव देते हुए समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
सी- 2. बी-125
जनकपुरी, नई दिल्ली।
दिनांक : 25 जनवरी, 20xx
संपादक
हिंदुस्तान
कस्तूरबा गांधी मार्ग
नई दिल्ली।
विषय – कन्या भ्रूण हत्या के संबंध में।
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय एवं सम्मानित पत्र के माध्यम से सरकार का ध्यान कन्या भ्रूण हत्या की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
समाज में बढ़ती दहेज-प्रथा तथा अन्य समस्याओं के कारण आज समाज के हर दंपती में लड़के की चाहत बढ़ गई माँ के गर्भ में पलने वाली संतान लड़की है या लड़का, इसका पता वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से अत्यंत आसानी से लगाया जा सकता है। लोग इसका अनुचित लाभ उठाकर लिंग परीक्षण करवाते हैं और लड़की होने की बात जानकर भ्रूण हत्या करवा देते हैं। भगवान की श्रेणी में आने वाले धन-लोलुप डॉक्टर भी इस कृत्य में शामिल होते हैं। सरकार ने लिंग-परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या को कानूनन अपराध घोषित कर रखा है, फिर भी लोग चोरी-छिपे ऐसा करते हैं। देश में स्त्रियों की जनसंख्या घटने का प्रमाण समय-समय पर होने वाली जनगणना से मिल जाता है। हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में यह स्थिति और भी सोचनीय है। सरकार को चाहिए कि वह भ्रूण-परीक्षण कराने वाले दंपतियों और डॉक्टरों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करे।
आपसे प्रार्थना है कि आप इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देकर सरकार और युवाओं का ध्यान इस ओर आकर्षित करें, ताकि इस प्रवृत्ति पर अंकुश लग सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
प्रश्न 38.
अधिकाधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से कुछ स्वार्थी लोग वस्तुओं की आवश्यक जमाखोरी करके कृत्रिम अभाव पैदा करते हैं और बाज़ार में संकट खड़ा करते हैं। इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए समाचार-पत्र के संपादक को पत्र।
उत्तर :
ए-21, हज़रतगंज,
लखनऊ (उ० प्र०)।
दिनांक : 27 मार्च, 20xx
संपादक
स्वतंत्र भारत विधानसभा मार्ग
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
विषय – जमाखोरी की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के संबंध में।
मान्यवर,
मैं आपके प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से जमाखोरी करने वालों के विरुद्ध सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ।
वर्तमान में बढ़ती महँगाई ने आम आदमी को सर्वाधिक प्रभावित किया है। इस महँगाई के मूल में कुछ लोगों की स्वार्थी प्रवृत्ति है, जो जीवनोपयोगी वस्तुओं का संग्रह कर लेते हैं। इससे बाज़ार में जब इन वस्तुओं की कमी हो जाती है, तब ऐसे लोभी जमाखोर इन वस्तुओं को बाज़ार में ऊँचे दामों पर बेचते हैं, जिसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव गरीब तथा मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ता है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में व्यापारियों और दुकानदारों के गोदाम गेहूँ, चावल, दाल, चीनी, घी, तेल, मसाले जैसी खाद्य वस्तुओं से भरे पड़े हैं, फिर भी बाज़ार में इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं और आम आदमी को दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे व्यापारियों और दुकानदारों के गोदामों पर छापे की कार्यवाही करके इन दैनिकोपयोगी वस्तुओं को उचित मूल्य पर बिक्री के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। आपसे प्रार्थना है कि आप इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देने की कृपा करें, ताकि जमाखोरी की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाकर बढ़ती महँगाई पर काबू पाया जा सके।
सधन्यवाद।
भवदीय
क० ख०ग०
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न –
प्रश्न 1.
नीचे कुछ स्थितियाँ दी गई हैं। इनमें आप पत्राचार के किस रूप का प्रयोग करेंगे? लिखिए –
(क) किसी सरकारी पत्र की कार्रवाई के रूप में फ़ाइल शुरू करके विषय का निपटान करना।
(ख) विचाराधीन मामलों को निपटाने के लिए लिखित सुझाव देना।
(ग) जब सरकार को जन-सामान्य तक कोई सूचना पहुँचानी हो।
(घ) किसी विभाग को कोई सूचना अपने विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों को देनी हो।
(ङ) विभाग द्वारा श्रीमती रूपाली को अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञान का डिप्लोमा करने संबंधी अनुमति प्रदान करना।
ब) मंत्रालय द्वारा श्रीमती सुलेखा को शिक्षा – शिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने संबंधी सूचना देना।
(छ) किसी कार्य का अनुपालन न होने की स्थिति में उसके बारे में पुनः स्मरण कराना।
(ज) अपने समकक्ष अधिकारी से किसी संदर्भ में परामर्श लेना।
उत्तर :
(क) सरकारी पत्र
(घ) कार्यालयी ज्ञापन
(छ) अनुस्मारक
(ख) टिप्पण
(ङ) कार्यालय आदेश
(ज) अर्ध-सरकारी पत्र
(ग) प्रेस विज्ञप्ति
(च) सूचना परिपत्र
प्रश्न 2.
आप राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय में हिंदी के शिक्षक हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम० फिल० करना चाहते हैं। विभाग से एम० फिल० करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए पत्र लिखिए। उत्तर अनुमति प्राप्त करने संबंधी पत्र
उत्तर :
प्रधानाचार्य महोदय
राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय
शालीमार बाग, नई दिल्ली।
विषय : एम० फिल० करने के लिए अनुमति के संबंध में।
महाशय,
मैं इस विद्यालय में हिंदी शिक्षक के पद पर पिछले पाँच वर्ष से कार्यरत हूँ। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम०ए० और बी० एड० करके शिक्षण करने लगा था। अब मैं अपनी शैक्षणिक योग्यता में वृद्धि करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम० फिल० करना चाहता हूँ, जिससे भविष्य में अनुसंधान करके अपनी कार्य दक्षता बढ़ा सकूँ। यह पाठ्यक्रम सांध्यकालीन होने से विद्यालय के शिक्षण कार्य में कोई बाधा नहीं आएगी। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मुझे एम० फिल० करने की अनुमति देकर कृतार्थ करें। इसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद।
भवदीय
(हस्ताक्षर)
क०ख०ग०
हिंदी शिक्षक (पी०जी०टी०)
20 सितंबर, 20xx
प्रश्न 3.
विद्यालय में हुए पुरस्कार वितरण समारोह का कार्यवृत्त तैयार कीजिए।
उत्तर :
राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय
पीतमपुरा, नई दिल्ली
पुरस्कार वितरण समारोह का कार्यवृत्त
आज दिनांक 17 जनवरी, 20xx को राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय, पीतमपुरा के विद्यालय परिसर में उपशिक्षा निदेशक की उपस्थित में पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ, जिसमें निम्नलिखित सदस्य उपस्थित थे
- श्री अजय कुमार कटियार – उपशिक्षा निदेशक ‘उत्तर-पश्चिम’ (दिल्ली सरकार)
- श्री उदयवीर सिंह – प्रधानाचार्य
- श्री अमरकांत त्रिपाठी – उपप्रधानाचार्य
- श्री शैलेश पुरोहित – स्टाफ़ सचिव
- श्री रोशन सिंह – व्यायाम शिक्षक
- श्रीमती सुमन मौर्य – पी०जी०टी० हिंदी
- अन्य अध्यापकगण, अभिभावक एवं विद्यार्थी
पुरस्कार वितरण शुरू होने से पूर्व स्टाफ़ सचिव ने सभी सदस्यों का स्वागत किया और 15 नवंबर, 20xx की बैठक का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया।
इसके बाद हिंदी शिक्षिका ने शैक्षणिक एवं खेल संबंधी विशेष उपलब्धियाँ अर्जित करने वाले विद्यार्थियों का नाम पुकारकर क्रमशः मंच पर बुलाया।
विद्यार्थियों को बारी-बारी से उपशिक्षा निदेशक के हाथों पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने अध्यापक / अध्यापिकाओं के प्रयासों को सराहनीय बताते हुए विद्यार्थियों को निरंतर उन्नति की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी। अंत में प्रधानाचार्य जी ने धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया। जलपान के पश्चात इस समारोह की समाप्ति हुई।
हस्ताक्षर : ……….
(उदयवीर सिंह)
प्रधानाचार्य
हस्ताक्षर : ………
(शैलेश पुरोहित)
स्टाफ़ सचिव
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पत्र को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
भारतीय रिज़र्व बैंक
नई दिल्ली
कार्यपालक निदेशक
आर०बी०आई०/2006/136
फ़ा०सं० : 118/11/37-01/2005-06
6 अप्रैल, 20xx
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
सभी सार्वजनिक और निजी बैंक
नई दिल्ली।
विषय : सिक्के की स्वीकृति और वितरण संबंधी।
महोदय/ महोदया,
आप अपनी शाखाओं को तत्काल आदेश दें कि वे जनता के किसी भी सदस्य से बिना किसी प्रतिबंध के सभी मूल्यवर्गों के सिक्के स्वीकार करें। यदि कोई उपभोक्ता सिक्कों की माँग करता है, तो उसको सभी मूल्यवर्गों के सिक्के भी उपलब्ध करवाने होंगे।
हालाँकि 5, 10 और 20 पैसे मूल्यवर्गों के छोटे सिक्के बनाना बंद कर दिया गया है, जबकि पहले जारी सिक्के, जो अब भी प्रचलन में हैं, वैध मुद्रा बने रहेंगे।
कृपया इसकी पावती भेजें तथा अपनी कार्यवाही से अवगत करवाएँ।
भवदीया
(डॉ० रश्मि सिन्हा)
कार्यपालक निदेशक
1. (क) पंजाब नेशनल बैंक द्वारा इसकी पावती रिज़र्व बैंक को भेजिए।
(ख) इस पत्र की विषय-वस्तु के आधार पर रिज़र्व बैंक द्वारा प्रेस विज्ञप्ति तैयार कीजिए।
(ग) रिज़र्व बैंक को अभी भी उपभोक्ताओं द्वारा शिकायतें मिल रही हैं। अतः रिज़र्व बैंक के निदेशक को दूसरे बैंकों को अनुस्मारक भेजना है, अतः इस अनुस्मारक को तैयार करने में उनकी मदद कीजिए।
(घ) पंजाब नेशनल बैंक ने अपनी सभी शाखाओं को कार्यालय आदेश भेजा। उपर्युक्त पत्र के आधार पर आप कार्यालय आदेश तैयार कीजिए।
उत्तर :
1. (क)
पंजाब नेशनल बैंक
मुख्य शाखा, संसदमार्ग, नई दिल्ली
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
पंजाब नेशनल बैंक /2006/150
पत्र सं. 185/10/20 (1)/2005-06
10 अप्रैल, 20xx
कार्यपालक निदेशक
भारतीय रिज़र्व बैंक
नई दिल्ली।
विषय : सिक्कों की स्वीकृति और वितरण संबंधी आदेश की पावती के संबंध में।
महोदय,
आपके द्वारा प्रेषित पत्र क्रमांक 118/11/37-01/2005-06 दिनांक 06 अप्रैल, 20xx हमारे कार्यालय में 09 अप्रैल 20xx को मिल गया है। इस सूचना के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद !
भवदीय
(संयोग सैनी)
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
पंजाब नेशनल बैंक
मुख्य शाखा, नई दिल्ली।
1. (ख)
प्रेस विज्ञप्ति
भारतीय रिज़र्व बैंक
नई दिल्ली
सिक्कों की स्वीकृति और वितरण संबंधी सूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सभी बैंकों को यह निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि बैंक किसी भी ग्राहक से बिना किसी प्रतिबंध एवं इनकार के सभी मूल्यवर्ग के सिक्कों को स्वीकार करें तथा ग्राहकों द्वारा माँगे जाने पर सभी मूल्यवर्ग के सिक्के उपलब्ध कराएँ। बैंक में पहले से मौजूद सभी सिक्के वैध माने जाएँगे।
1. (ग)
भारतीय रिज़र्व बैंक
नई दिल्ली
महाप्रबंधक
फ़ा० संख्या : न०दि० 150/11/37-01/2005-06
20 अप्रैल, 20xx
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
सभी सार्वजनिक एवं निजी बैंक
नई दिल्ली।
विषय : सिक्कों की स्वीकृति और वितरण संबंधी निर्देश के संबंध में।
महोदय,
कृपया उपर्युक्त विषय पर इस कार्यालय द्वारा भेजे गए पत्र संख्या 118/11/37-01/2005-06 दिनांक 6 अप्रैल, 20xx का स्मरण करें। अभी तक सिक्कों के संबंध में उपभोक्ताओं की शिकायतें मिल रही हैं। निवेदन यह है कि सिक्कों की स्वीकृति और वितरण संबंधी कार्यालय के निर्देशों पर विचार करके शीघ्र प्रभाव से स्वीकृति जारी की जाए।
भवदीय
(सी० रंगराजन)
महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक
नई दिल्ली
1. (घ)
पंजाब नेशनल बैंक
मुख्य शाखा, संसद मार्ग, नई दिल्ली
फ़ा०सं॰ 185/9/5/2006-07
10 जुलाई, 20xx
सभी संबंधित शाखाएँ
विषय : सिक्कों की स्वीकृति और वितरण संबंधी आदेश।
महोदय / महोदया,
पंजाब नेशनल बैंक की सभी संबंधित शाखाओं को आदेश दिया जाता है कि वे अपनी-अपनी शाखाओं में सिक्कों की स्वीकृति एवं वितरण का पालन सुनिश्चित करें। वे उपभोक्ताओं / ग्राहकों से सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करें तथा उनकी माँग पर सिक्के उन्हें भी उपलब्ध कराएँ। जिन सिक्कों की ढलाई बंद हो चुकी है, बैंक द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, पर पहले चलन में होने के कारण उन्हें स्वीकारा अवश्य जाएगा। वे मुद्राएँ वैध हैं। कृपया सभी शाखाओं में यह आदेश तुरंत लागू किया जाए।
भवदीय
(संयोग सैनी)
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
पंजाब नेशनल बैंक
नई दिल्ली
2. (क) पंजाब नेशनल बैंक की भीकाजी कामा प्लेस और सफ़दरजंग एंक्लेव की शाखाओं से अभी भी रिज़र्व बैंक को शिकायतें मिल रहीं हैं कि इन शाखाओं में सिक्कों को स्वीकार नहीं किया जाता, इसलिए कार्यपालक निदेशक को पंजाब नेशनल बैंक के अध्यक्ष को एक अर्ध-सरकारी पत्र लिखना है, जिसे आप तैयार कीजिए।
(ख) पंजाब नेशनल बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक को जब यह पत्र मिलता है, तब वह अपने अधिकारी से इसका ज़वाब माँगता है। इस विषय-वस्तु को ध्यान में रखते हुए सहायक और अधिकारी का टिप्पण लिखिए। (संकेत : सहायक बैंक की शाखा में पिछले छह महीनों का ब्योरा देगा कि कितने सिक्के उन्होंने स्वीकार किए और कितने सिक्के जारी किए। अधिकारी अपने टिप्पण में इसे निराधार बताएगा।)
उत्तर :
2. (क)
भारतीय रिज़र्व बैंक
नई दिल्ली
फ़ा०सं० : 87/3/2007-08/15
13 जुलाई, 20xx
राजकुमार शर्मा
कार्यपालक निदेशक
प्रिय श्री संयोग,
कृपया 20 अप्रैल, 20xx को भेजे गए पत्र का स्मरण करें, जो आपको अपनी सभी शाखाओं में सिक्कों की स्वीकृति एवं वितरण के संबंध में भेजा गया था।
उक्त पत्र का स्मरण कराते हुए कहना पड़ रहा है कि आपकी भीकाजी कामा और सफ़दरजंग एन्क्लेव की शाखाओं के कुछ उपभोक्ताओं की लिखित शिकायतें मिल रही हैं कि उक्त शाखाओं में बैंक कर्मचारियों द्वारा इन सिक्कों को नहीं स्वीकारा जा रहा है।
इस संबंध में मैं पुनः अनुरोध करता हूँ कि उक्त शाखाओं को कड़ा निर्देश दें, ताकि नियमों की अवहेलना न हो।
आपका
हस्ताक्षर : ………
(राजकुमार शर्मा)
श्री संयोग सैनी
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेश
पंजाब नेशनल बैंक
नई दिल्ली।
2. (ख)
टिप्पण
भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशक द्वारा भेजे गए पत्र क्रमांक 118/11/37-01/2005-06, जिसमें सिक्कों की स्वीकृति और वितरण संबंधी निर्देशों के पालन का आग्रह किया गया था, के संबंध में टिप्पण यह है कि हमारी मुख्य शाखा ने अपनी सभी शाखाओं में सिक्कों को स्वीकारने एवं प्रदान करने संबंधी आदेश देने का पालन किया है। इसका प्रमाण यह है कि गत छह महीनों में हमारी शाखा ने सभी मूल्यवर्गों के दो लाख सिक्के स्वीकारने के अलावा एक लाख सिक्कों का वितरण ग्राहकों को किया है। ऐसे में सिक्कों को न स्वीकारने के कारण ग्राहकों को हुई परेशानी का आरोप निराधार है।
हस्ताक्षर : ………..
विचारार्थ प्रस्तुत
(अरविंद कुमार)
मुख्य अधिकारी
सहायक
(अ) लघूत्तरीय प्रश्न –
अन्य हल प्रश्न
प्रश्न 1.
औपचारिक पत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
सरकारी पत्र औपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं। ये पत्र प्राय: एक कार्यालय, विभाग अथवा मंत्रालय से दूसरे कार्यालय, विभाग अथवा मंत्रालय को लिखे जाते हैं।
प्रश्न 2.
टिप्पण किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी भी विचाराधीन पत्र अथवा प्रकरण को निपटाने के लिए उस पर जो राय, मंतव्य, आदेश अथवा निर्देश दिया जाता है, उसे टिप्पण कहते हैं।
प्रश्न 3.
आनुषंगिक टिप्पण किसे कहते हैं?
उत्तर :
सहायक, आरंभिक या मुख्य टिप्पण को जब संबंधित अधिकारी के पास भेजता है, तो वह अधिकारी टिप्पण पढ़ने के बाद उसके नीचे अपना मंतव्य लिखता है। उसी मंतव्य को आनुषंगिक टिप्पण कहते हैं।
प्रश्न 4.
अनुस्मारक या स्मरण पत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब किसी पत्र, ज्ञापन इत्यादि का उत्तर समय पर प्राप्त नहीं होता है, तो याद दिलाने के लिए लिखे जाने वाले पत्र को अनुस्मारक या स्मरण पत्र कहते हैं।
प्रश्न 5.
अर्ध-सरकारी पत्र किस परिस्थिति में लिखा जाता है? यह औपचारिक पत्र से कैसे अलग होता है?
उत्तर :
अर्ध-सरकारी पत्र उस परिस्थिति में लिखे जाते हैं जब लिखने वाला अधिकारी संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत स्तर पर जानता रहता है। इसमें औपचारिक पत्र के विपरीत अनौपचारिकता का पुट होता है तथा इसमें एक मैत्रीभाव होता है।
प्रश्न 6.
कार्यसूची से आप क्या समझते हैं? इसका उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
किसी संस्था या संगठन की औपचारिक बैठक की कार्यसूची उस बैठक में चर्चा हेतु निर्धारित विषयों की जानकारी देती है। इससे बैठक के अनुशासित संचालन में सहायता मिलती है तथा किसी प्रकार के भटकाव या विषयांतर होने की संभावना निरस्त हो जाती है। अतः निर्धारित विषयों से संबंधित स्वतः स्पष्ट टिप्पणियाँ अपने संलग्नकों के साथ सदस्यों को कार्यसूची के साथ अग्रिम रूप से भेजी जानी चाहिए, ताकि प्रत्येक सदस्य होने वाली बैठक के बिंदुओं पर पूरी तैयारी के साथ आ सके।
प्रश्न 7.
प्रेस विज्ञप्ति की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
कोई संस्था या संगठन किसी विषय या किसी बैठक में जो निर्णय लेता है, उसे प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ही
सर्वसामान्य तक पहुँचाया जाता है।
प्रश्न 8.
परिपत्र कब जारी किया जाता है?
उत्तर :
किसी बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को कार्यान्वित करने के लिए परिपत्र जारी किया जाता है।
(ब) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
सरकारी पत्राचार हेतु कौन-कौन सी बातें ध्यान रखनी चाहिए?
उत्तर :
सरकारी पत्राचार हेतु निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए-
- सरकारी पत्र औपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं।
- प्राय: ये पत्र एक कार्यालय, विभाग या मंत्रालय से दूसरे कार्यालय, विभाग या मंत्रालय को लिखे जाते हैं।
- पत्र के शीर्ष पर कार्यालय, विभाग या मंत्रालय का नाम व पता लिखा जाता है।
- पत्र के बाईं तरफ़ फ़ाइल संख्या लिखी जाती है, जिससे सह स्पष्ट हो सके कि पत्र किस विभाग द्वारा किस विषय के तहत कब लिखा गया है।
- जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसका नाम पता आदि बाईं तरफ़ लिखा जाता है।
- ‘सेवा में’ का प्रयोग धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसका प्रयोग न ही करें, तो अच्छा है।
- ‘विषय’ शीर्षक के अंतर्गत संक्षेप में यह लिखा जाता है कि पत्र किस प्रयोजन के लिए या किस संदर्भ में लिखा गया है।
- विषय के बाद बाईं तरफ़ ‘महोदय’ संबोधन लिखा जाता है।
- पत्र की भाषा सरल एवं सहज होनी चाहिए। क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
- अनेक बार सटीक अर्थ प्रेषित करने के लिए प्रशासनिक शब्दावली का प्रयोग करना ही उचित होता है।
- इस पत्र के बाईं ओर प्रेषक का पता और तारीख दी जाती है।
- पत्र के अंत में ‘ भवदीय’ शब्द का प्रयोग अधोलेख के रूप में होता है।
- भवदीय के नीचे पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में पत्र लिखने वाले का नाम होता है। नाम के नीचे पदनाम लिखा जाता है।
प्रश्न 2.
टिप्पण का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
किसी विचाराधीन पत्र या प्रकरण को निपटाने के लिए उस पर जो राय, मंतव्य, आदेश अथवा निर्देश दिया जाता है, उसे टिप्पण कहते हैं। वस्तुतः टिप्पण लिखने की प्रक्रिया को हम नोटिंग कहते हैं। इसका उद्देश्य तथ्यों को स्पष्ट तथा तर्कसंगत रूप से प्रस्तुत करना है, ताकि किसी निर्णय तक पहुँचना आसान हो जाए। टिप्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – सहायक स्तर पर टिप्पण तथा अधिकारी स्तर पर टिप्पण। हालाँकि किसी कार्यालय में टिप्पण का कार्य अधिकतर सहायक स्तर पर ही संपन्न होता है। इसे आरंभिक टिप्पण या मुख्य टिप्पण कहते हैं। इसमें सहायक विचाराधीन मामलों का संक्षिप्त ब्योरा देते हुए उसका विवेचन करता है।
प्रश्न 3.
अर्ध-सरकारी पत्र का परिचय देते हुए उसको लिखते समय ध्यान देने योग्य बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
औपचारिक पत्र के विपरीत अर्ध-सरकारी पत्र में अनौपचारिकता की झलक होती है। साथ-साथ इसमें मैत्री भाव की प्रमुखता होती है। इसे वही अधिकारी लिखता है, जो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत स्तर पर जानता हो। इसे लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
- प्रारूप में बाईं ओर शीर्ष पर प्रेषक का नाम होता है। इसके नीचे उसका पदनाम होता है।
- अर्ध – सरकारी पत्र के लिए अमूमन कार्यालय के ‘लेटर हेड’ का प्रयोग होता है, अगर उपलब्ध हो।
- पत्र के प्रारंभ में संबोधन के रूप में महोदय या प्रिय महोदय का प्रयोग नहीं होता। ऐसे पत्र में आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला संबोधन ‘प्रिय श्री … ‘या’ प्रियवर श्री… हो सकता है।
- पत्र के अंत में अधोलेख के रूप में दाहिनी ओर ‘भवदीय’ के स्थान पर ‘आपका’ का प्रयोग किया जाता है।