These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 9 राम और सुग्रीव are prepared by our highly skilled subject experts.
Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 9 Question Answers Summary राम और सुग्रीव
Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 9
पाठाधारित प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाली कहाँ का राजा था?
उत्तर:
बाली किष्किंधा का राजा था।
प्रश्न 2.
सुग्रीव कौन था?
उत्तर:
सुग्रीव किष्किंधा के वानर राज बाली का छोटा भाई था।
प्रश्न 3.
राम और सुग्रीव की मित्रता किसने कराई?
उत्तर:
राम और सुग्रीव की मित्रता हनुमान ने कराई।
प्रश्न 4.
ऋष्यमूक पर्वत पर कौन रहते थे?
उत्तर:
ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव रहते थे। वहाँ वे निर्वासन का समय बिता रहे थे।
प्रश्न 5.
हनुमान कौन थे?
उत्तर:
हनुमान सुग्रीव के मित्र थे।
प्रश्न 6.
सुग्रीव ने हनुमान को कहाँ भेजा?
उत्तर:
सुग्रीव ने हनुमान को राम-लक्ष्मण के बारे में जानने के लिए भेजा।
प्रश्न 7.
राम ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन कैसे किया?
उत्तर:
सुग्रीव को अपनी शक्ति का विश्वास कराने के लिए शाल के सातों वृक्षों को एक ही बाण से काट कर गिरा दिया। इस शक्ति प्रदर्शन पर सुग्रीव ने हाथ जोड़ लिए।
प्रश्न 8.
राम पहली बार बाली पर बाण क्यों नहीं चला पाए? उनकी दुविधा क्या थी?
उत्तर:
राम पहली बार बाली पर बाण नहीं चला सके क्योंकि बाली और सुग्रीव देखने में एक जैसे लगते थे। राम बाली को पहचान नहीं सके, वे दुविधा में पड़ गए। इसलिए वे पहली बार बाण नहीं चला सके।
प्रश्न 9.
जामवंत, हनुमान के बारे में क्या जानते थे?
उत्तर:
जामवंत, हनुमान के बारे में जानते थे कि हनुमान पवन पुत्र हैं, उनकी शक्ति अपार है।
प्रश्न 10.
राम ने हनुमान को दक्षिण दिशा की ओर भेजते समय क्या वस्तु दी और उनसे क्या कहा?
उत्तर:
राम ने हनुमान को दक्षिण दिशा की ओर भेजते समय अपनी अंगूठी दी। उन्होंने कहा जब सीता से भेंट हो, तो उन्हें अंगूठी दिखाना। वह समझ जाएँगी कि तुम मेरे दूत हो।
प्रश्न 11.
जटायु के भाई का क्या नाम था?
उत्तर:
जटायु के भाई का नाम संपाती था।
प्रश्न 12.
किष्किंधा की राजगद्दी किसे मिली और युवराज किसे बनाया गया?
उत्तर:
किष्किंधा की राजगद्दी सुग्रीव को दी गई और बाली के पुत्र अंगद को युवराज बनाया गया।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर क्यों रह रहे थे?
उत्तर:
सुग्रीव किष्किंधा के वानरराज बाली के छोटे भाई थे। पिता की मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई बाली राजा बने थे। शुरुआत में दोनों भइयों के बीच काफ़ी प्रेम था लेकिन बाद में किसी बात को लेकर मतभेद इतना बढ़ गया कि बाली ने सुग्रीव को जान से मार डालना चाहा और उसकी पत्नी पर भी अपना अधिकार कर लिया। अपनी जान बचाने के लिए सुग्रीव को ऋष्यमूक पर्वत पर जाना पड़ा।
प्रश्न 2.
सुग्रीव ने हनुमान को कहाँ और किसलिए भेजा?
उत्तर:
सग्रीव को हनुमान पर भरोसा था। अतः सग्रीव ने हनुमान को उन दोनों युवकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजा जो उसकी ओर चले आ रहे थे। सुग्रीव ने उन्हें बाली के गुप्तचर समझा।
प्रश्न 3.
राम-लक्ष्मण से ऋष्यमूक आने का प्रयोजन जानकर हनुमान मुसकराने क्यों लगे?
उत्तर:
राम-लक्ष्मण से उनके ऋष्यमूक आने का उद्देश्य जानने के बाद हनुमान मुसकराने लगे। वह समझ गए थे कि राम और सुग्रीव दोनों की स्थिति एक जैसी है। दोनों को एक-दूसरे की मदद चाहिए। इससे वे मित्र हो सकते हैं। राम अयोध्या से निकाले गए हैं और सुग्रीव किष्किंधा से। राम की पत्नी को रावण उठा ले गया है और सुग्रीव की पत्नी उसके भाई ने छीन ली है। दोनों के पिता नहीं है।
प्रश्न 4.
राम सुग्रीव से क्यों क्षुब्ध हो गए?
उत्तर:
राम की सहायता से किष्किंधा का राजा बनने के बाद सुग्रीव अपने राग-रंग में वचन भूल गए। उधर राम सुग्रीव और वानरी सेना की प्रतीक्षा किष्किंधा में कर रहे थे। सुग्रीव ने राम को वचन दिया था कि लंकारोहण तथा सीता की खोज में वह उनकी सहायता करेंगे। वर्षा ऋतु बीत जाने के बाद भी उन्होंने अपने वचन को नहीं निभाया। इसलिए राम क्षुब्ध हो गए।
प्रश्न 5.
लंकारोहण से पहले राम ने क्या किया?
उत्तर:
लंकारोहण से पहले राम ने वानरी सेना को चार टोलियों में बाँटा। इसके अलावा राम चाहते थे कि वानरों की सेना भेजने से पहले होशियार और चतुर दूत को लंका भेजा जाए। उनमें अंगद दक्षिण जाने वाले अग्रिम दल के नेता बने। इसी दल में हनुमान, नल और नील भी थे। उन्होंने हनुमान को बुलाकर अपनी अंगूठी दी और कहा कि “सीता से भेंट होने पर उन्हें यह दिखाना। वह समझ जाएँगी कि तुम्हें मैंने भेजा है।”
प्रश्न 6.
बाली का वध किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
किष्किंधा पहुँचकर सुग्रीव ने बाली को चुनौती दी। उस समय बाली अंत:पुर में रानी तारा के पास था। पत्नी के समझाने के बावजूद वह पैर पटकता बाहर आया और हाथ को हवा में लहराया। वह घूसे से सुग्रीव को मारना चाहता था। पर तभी राम का बाण उसकी छाती में लगा और वह लड़खड़ाकर गिर पड़ा। उसके मरते ही राम, लक्ष्मण और हनुमान पेड़ की ओट से बाहर निकल आए।
प्रश्न 7.
सीता की खोज में वानरी सेना उधेड़बुन में क्यों पड़ गई?
उत्तर:
लंकारोहण से पहले राम ने वानरी सेना को चार टोलियों में विभक्त किया। दक्षिण की ओर जाने वाली टोली किष्किंधा से चली। विशाल समुद्र को देखकर वहाँ सभी हिम्मत हार गए। तभी वहाँ उन्हें जटायु का भाई संपाती मिला। उसने उन्हें बताया कि रावण सीता को लंका ले गया है। समुद्र को पार करना उन सब के लिए असंभव था और वे सीता की खोज का काम पूरा किए बिना किष्किंधा वापस नहीं जाना चाहते थे। इस कारण वानरी सेना उधेड़बुन में पड़ गई।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दक्षिण दिशा में जाने वाले वानरी दल की यात्रा का वर्णन करें।
उत्तर:
दक्षिण दिशा में जाने वाली वानरी सेना की अगुवाई अंगद और हनुमान कर रहे थे। मार्ग में चलते-चलते वे एक ऐसे स्थान पर पहुँचे, जिसके आगे, विशाल समुद्र शुरू होता था। समुद्र को देखकर सभी की हिम्मत जवाब दे रही थी। उसी समय वहाँ पहाड़ी के पीछे से एक विशाल गिद्ध आया। वह जटायु का भाई संपाती था। उसने बताया कि सीता लंका में है। वहाँ तक पहुँचने के लिए समुद्र पार करना ही होगा। सीता की सूचना पाकर प्रसन्न वानर-दल विशाल समुद्र को देखकर फिर उदास हो गया। लक्ष्य सामने था लेकिन कठिन था। सभी अंत में विचार करने लगे कि समुद्र कैसे पार किया जाए। तभी उनकी नज़र हनुमान पर पड़ी। जामवंत जानते थे कि हनुमान यह काम कर सकते हैं। उनकी शक्ति आपार है। बस उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि वह यह काम कर सकते हैं। जामवंत ने हनुमान से कहा कि यह कार्य उन्हें ही करना होगा। सभी उनकी ओर आशाभरी दृष्टि से देखने लगे।
प्रश्न 2.
सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहने को क्यों मज़बूर थे? राम ने उनकी किस प्रकार मदद की?
उत्तर:
सुग्रीव बाली के छोटे भाई थे। बाली किष्किंधा के राजा थे। पिता की मृत्यु के बाद बड़े पुत्र होने के नाते वह किष्किंधा का राजा बना था लेकिन बाद में बड़े भाई बाली ने उसे राज्य से निकाल दिया था। उसकी पत्नी छीन ली तथा उसकी हत्या करने का प्रयास कर रहा था। सुग्रीव अपने सहयोगी मित्रों के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे। राम ने सुग्रीव की सहायता का वचन देकर उसे बाली से युद्ध के लिए ललकारने को कहा। योजना बनाकर सभी किष्किंधा पहुँचे। बाली और सुग्रीव में भीषण मल्ल युद्ध हुआ। दोनों भाइयों का चेहरा एक जैसा होने के कारण राम बाली को पहचानने में असमर्थ रहे। इसके फलस्वरूप राम के द्वारा कोई मदद न मिलने के कारण सुग्रीव जान बचाकर भागे। वह राम पर क्रोधित हुए। राम ने उन्हें अपनी परेशानी से अवगत कराया। फिर दुबारा सुग्रीव को बाली से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा इस बार बाली की मृत्यु निश्चित है। दोनों भाइयों का युद्ध आरंभ हुआ और राम ने पेड़ की ओट से बाली पर तीर चलाया। वह लड़खड़ा कर गिर पड़ा। आनन-फानन में राज्याभिषेक की तैयारियाँ की गईं और सुग्रीव को राजगद्दी मिली।
प्रश्न 3.
राम-सुग्रीव भेंट का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हनुमान राम-लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाकर सुग्रीव के पास ले गए। दोनों ने एक-दूसरे को मित्रता का वचन दिया। राम ने सीता-हरण की बात सुग्रीव को बताई। सुग्रीव को कुछ बात याद आई। उन्होंने बताया कि रावण का रथ इसी पर्वत के ऊपर से होकर गया था। सीता स्वयं को रावण के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने गहनों की एक पोटली को राम के सामने रखते हुए कहा क्या ये गहने सीता के हैं ? राम-लक्ष्मण ने उन्हें पहचान लिया। इसके बाद सुग्रीव ने अपनी व्यथा-कथा सुनाई कि मेरे बड़े भाई बाली ने मुझे राज्य से निकाल दिया है तथा मेरी पत्नी को भी छीन लिया है। राम ने उसे सहायता का अश्वासन दिया। इस तरह यह मुलाकात उनकी मित्रता में बदल गई।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1.
आपने अपने आसपास के बड़ों से रामायण की कहानी सुनी होगी। रामलीला भी देखी होगी। क्या आपको अपनी पुस्तक रामकथा की कहानी और बड़ों से सुनी रामायण की कहानी में कोई अंतर नज़र आया? यदि हाँ तो उसके बारे में कक्षा में बताओ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अभ्यास प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सुग्रीव कहाँ के रहने वाले थे?
2. दो युवकों को ऋष्यमूक पर्वत की ओर आता देख सुग्रीव क्यों घबरा गए?
3. सुग्रीव ने हनुमान को कहाँ भेजा?
4. सुग्रीव को राम की शक्ति पर भरोसा क्यों नहीं था?
5. जामवंत हनुमान के बारे में क्या जानते थे?
6. जटायु के चरित्र से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है?
7. कुटिया से लौटते हुए राम क्या सोच रहे थे?
8. पंचवटी में ऐसी कौन-सी घटना घटी कि लक्ष्मण को अपने अग्रज राम को सांत्वना देना एवं धैर्य बँधाना पड़ा?
9. टूटे हुए रथ और टूटी पुष्पमाला को देखकर राम-लक्ष्मण ने क्या अनुमान लगाया?
10. राम को जटायु किस हाल में मिला? उसने उन्हें क्या बताया?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. कुटिया में सीता को न पाकर राम की क्या दशा हुई?
2. राम ने सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?
3. बाली बध की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
4. दक्षिण दिशा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भेंट का वर्णन करें।
5. राम और शबरी की भेंट का वर्णन करें।
6. दक्षिण दिशा की ओर राजकुमारों की यात्रा तथा कबंध राक्षस से उनकी भेंट का वर्णन करें।
Bal Ram Katha Class 6 Chapter 9 Summary
सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। वह किष्किंधा के वानरराज के छोटे पुत्र थे। पिता के नहीं रहने पर उसका बड़ा भाई बाली वहाँ का राजा बना। पहले दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम था। बाद में उन दोनों भाइयों में मतभेद हो गया। मनमुटाव इतना बढ़ गया कि बाली सुग्रीव के नाम का दुश्मन बन गया। उसे जान से मार देना चाहता था। बाली के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर चला गया। राम और लक्ष्मण कबंध और शबरी के कहने पर ऋष्यमूक पर्वत पर पहुँचे। वहाँ सुग्रीव से मिले। सुग्रीव वहाँ निर्वासन में अपना जीवन बिता रहे थे। रास्ते में हनुमान से भेंट हुई। हनुमान उन दोनों भाइयों से बोले कि मैं सुग्रीव का सेवक हूँ। लक्ष्मण ने अपना परिचय देकर वन में आने का कारण बताया तथा कबंध और शबरी की सलाह का उल्लेख भी किया। हनुमान के चेहरे पर हल्की-सी मुसकान आ गई। वे सोचने लगे कि कोई उससे सहायता माँगने आया है, जिसे स्वयं मदद चाहिए।
हनुमान समझ गए कि राम और सुग्रीव की स्थिति एक जैसी है। दोनों मित्र हो सकते हैं। राम अयोध्या से निर्वासित हैं तथा सुग्रीव किष्किंधा से। एक की पत्नी रावण उठा ले गया है तथा दूसरे की पत्नी को भाई ने छीन लिया है। दोनों के पिता नहीं हैं। तब हनुमान ने राम और लक्ष्मण को कंधे पर बिठाकर तत्काल ऋष्यमूक के शिखर पर पहुंचा दिया। उन्होंने दोनों को सुग्रीव से मिला दिया। दोनों पक्षों ने अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता का वचन दिया। राम-सीता-हरण की बात सुग्रीव को बताई। सुग्रीव को कुछ बात याद आई। उन्होंने बताया कि रावण का रथ इसी पर्वत के ऊपर से होकर गया था। सीता स्वयं को रावण के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। वानरों को देखकर उन्होंने कुछ आभूषण नीचे फेंक दिए थे। उन्होंने गहनों की एक पोटली को राम के सामने रखते हुए कहा कि क्या ये गहने सीता के हैं ?
राम ने आभूषण तुरंत पहचान लिए। गहने देखकर वे शोक में डूब गए। सुग्रीव ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा-सीता आपको अवश्य मिल जाएँगी। मैं हर प्रकार से आपकी सहायता करूँगा। रावण का सर्वनाश निश्चित है।
राम के बाद सुग्रीव ने अपनी व्यथा-कथा सुनाई। बाली ने मुझे राज्य से निकाल दिया। उसने मेरे राज्य और स्त्री को छीन लिया है। वह मुझे जान से मारने का प्रयास कर रहा है। उसने राम से सहायता माँगी। राम बोले, “मित्र चिंता मत करो। तुम्हें राज्य भी मिलेगा और पत्नी भी।” राम काफ़ी सुकुमार थे। उन्हें देखकर सुग्रीव को भरोसा नहीं हुआ। बाली महाबलशाली है उसे हराना आसान नहीं है। बाली शाल के सात वृक्षों को एक साथ झकझोर सकता है। राम सुग्रीव की बात को समझ गए। राम ने शाल के सात विशाल वृक्षों को एक ही बाण से काटकर गिरा दिया। इस शक्ति प्रदर्शन को देखकर सुग्रीव ने राम के सामने हाथ जोड़ लिए। राम ने सुग्रीव से बाली को ललकारने के लिए कहा। योजना बनाकर सब किष्किंधा पहुँच गए। सुग्रीव ने बाली को ललकारा। बाली के क्रोध की सीमा न थी। भीषण मल्ल युद्ध हुआ। राम पेड़ के पीछे खड़े थे। उन्होंने तीर नहीं चलाया। सुग्रीव किसी तरह वहाँ से जान बचाकर ऋष्यमूक पर्वत आ गया। सुग्रीव राम से काफ़ी कुपित था। उसे लगता था कि राम ने उसके साथ धोखा किया है। सुग्रीव का कहना था कि राम ने समय पर बाण नहीं चलाया। राम की परेशानी थी कि दोनों भाई एक जैसे ही दिखते थे। बाली और सुग्रीव दोनों भाइयों का चेहरा मिलता-जुलता था। उनमें अंतर करना कठिन था, अत: उन्होंने तीर नहीं चलाया। राम-लक्ष्मण के समझाने बुझाने पर वह पुनः युद्ध के लिए किष्किंधा गया। बाली रानी तारा के पास था। उसने बाली को रोकने का प्रयास किया, पर बाली गुस्से से पागल हो गया था। वह सुग्रीव की छाती में घुसा मारने वाला ही था कि राम के एक ही बाण ने उसे धाराशायी कर दिया। बाली के गिरते ही राम, लक्ष्मण और हनुमान पेड़ों की ओट से बाहर निकल आए।
आनन-फानन में सुग्रीव के राज्याभिषेक की तैयारी कर दी गई। सुग्रीव को राजगद्दी मिली। राम की सलाह पर बाली के पुत्र अंगद को युवराज का पद दिया गया। राम किष्किंधा से लौट आए लेकिन सुग्रीव चाहते थे कि राम कुछ दिन वहीं रहें पर राम ने मना कर दिया। राम-सुग्रीव की वानर-सेना की प्रतीक्षा कर रहे थे। पर सुग्रीव राग-रंग में उलझकर अपना वचन भूल गए। हनुमान को सुग्रीव का वचन याद था। उन्होंने सुग्रीव को याद दिलाया। राम सुग्रीव के व्यवहार से क्षुब्ध थे। लक्ष्मण सुग्रीव को समझाने के लिए किष्किंधा गए। उन्होंने वहाँ पहुँचकर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई। डोरी खींचकर छोड़ी तो उनकी टंकार से सुग्रीव काँप गया। उसे राम को दिया गया वचन याद आ गया। तारा की सलाह पर सुग्रीव ने राम के पास जाकर क्षमा याचना की। राम ने उसे गले लगा लिया। पीछेपीछे वानर सेना आ पहुँची। लक्ष्मण के पीछे चल पड़े। हनुमान के साथ लाखों वानर थे। जामवंत के पीछे भालुओं की सेना भी थी। इसके बाद सीता खोज की योजना बनी। वानरों को चार टोलियों में बाँटा गया। राम और सुग्रीव की जय-जयकार करते हुए वानर अपनी निर्धारित दिशाओं की ओर चल पड़े। दक्षिण जाने वाले दल को राम ने रोक लिया। उन्होंने हनुमान को पास बुलाकर अपनी अंगूठी उन्हें दे दी। इस पर राम का चिह्न था। उन्होंने कहा-“जब सीता से भेंट हो तो यह अंगूठी उन्हें दे देना। वे इसे पहचान जाएँगी। समझ जाएँगी कि तुम्हें मैंने भेजा है। तुम मेरे दूत हो।”
इसके बाद अंगद और हनुमान दक्षिण की ओर चल पड़े। रास्ते में विशाल समुद्र था जिसे पार करना कठिन था। तभी रास्ते में जटायु का भाई संपाती मिला और बताया कि सीता को रावण ले गया है। सीता तक पहुँचने के लिए सागर पार करना होगा। सीता तक पहुँचने का यही रास्ता है। सीता की सूचना मिलने से वानर दल को भरोसा हो गया कि सीता इसी मार्ग से दक्षिण की ओर गई हैं। सीता तक पहुँचने का यही रास्ता है। पर समुद्र को पार करना संभव नहीं था। वानर अब असमंजस में थे। इसी बीच जामवंत की दृष्टि हनुमान पर पड़ी। जामवंत जानते थे कि हनुमान पवन पुत्र हैं। वे यह काम कर सकते हैं, पर उन्हें इसका अनुमान नहीं। सीता तक पहुँचने के लिए सागर पार करना होगा।
इस दल में सबसे बुद्धिमान जामवंत थे किंतु इस कठिन कार्य का उनके पास भी उत्तर नहीं था। जामवंत ने हनुमान से कहा कि यह कार्य आप ही कर सकते हैं।
शब्दार्थ:
पृष्ठ संख्या 54
पड़ाव – ठहरने का स्थान। शीघ्रता – जल्दी। निर्वासन – देश निकाला। ज्येष्ठ – बड़ा। चौकस – सावधान। निरंतर – लगातार। गुप्तचर – जासूस। तत्काल – तुरंत। सुरक्षित – बिना खतरे के। भरोसा – विश्वास। सहमत होना – एक मत होना।
पृष्ठ संख्या 55
भटकना – इधर-उधर घूमना। साक्षी – गवाह। तुरंत – तत्काल। आभूषण – जेवर। संकट – मुसीबत।
पृष्ठ संख्या 57
सांत्वना – भरोसा। सर्वनाश – पूर्ण विनाश। व्यथा – कथा भरी कहानी। सुकुमार – सुंदर, कोमल। प्रदर्शन – दिखावा। ललकार – चुनौती हो। मल्ल युद्ध – दो व्यक्तियों की लड़ाई। भारी पड़ना – अधिक बलशाली होना। कुपित – क्रुद्ध। मृत्यु – मौत।
पृष्ठ संख्या 58
दुविधा – असमंजस। चूक – गलती। साहस – हिम्मत।
पृष्ठ संख्या 59
क्षुब्ध – व्याकुल। विनाश – अंत। चिह्न – निशान।
पृष्ठ संख्या 60
अथाह – बहुत गहरा। साहस जवाब देना – हिम्मत हारना। विकराल, विकट – दुर्गम, भयानक। अपार – बहुत अधिक।