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NCERT Class 7th Hindi Chapter 5 नहीं होना बीमार Question Answer
नहीं होना बीमार Class 7 Question Answer
कक्षा 7 हिंदी पाठ 5 प्रश्न उत्तर – Class 7 Hindi नहीं होना बीमार Question Answer
पाठ से प्रश्न – अभ्यास
(पृष्ठ 62–69)
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा ( * ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?
- उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।
- उसका साबूदाने की खीर खाने का मन था।
- उसने गृहकार्य नहीं किया था।
- उसे बुखार हो गया था।
उत्तर :
उसने गृहकार्य नहीं किया था।
(2) कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया । ” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि-
- घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है।
- बीमारी का बहाना बनाने से साबूदाने की खीर नहीं मिलती।
- झूठ बोलने से झूठ के खुलने का डर हमेशा बना रहता है।
- इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।
उत्तर :
घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है। इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।
(3) “लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?
- उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।
- उसे अपनी बीमारी की कोई चिंता नहीं रह गई थी।
- वह बिस्तर पर आराम करने का आनंद ले रहा था।
- बीमारी के कारण उसकी पीठ में दर्द हो रहा था।
उत्तर :
उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।
(4) ” क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!” बच्चे के मन में यह बात आई क्योंकि-
- बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है।
- बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।
- बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।
- बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है।
उत्तर :
बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शब्द | अर्थ |
1. साबूदाना | 1. किसी विशिष्ट कार्य के लिए घेरकर बनाया हुआ स्थान । |
2. वार्ड | 2. एक प्रकार का जाड़े का ओढ़ना जिसका कपड़ा दोहरा होता है और जिसमें रुई भरी होती है। |
3. नर्स | 3. शरीर का तापमान (जैसे बुखार) नापने का एक छोटा यंत्र । |
4. रजाई | 4. कई तरह की जड़ी-बूटियों और औषधियों को उबालकर उनके रस से बना पेय होता है। इसे सर्दी-जुकाम, खाँसी – बुखार और पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक माना जाता है। |
5. थर्मामीटर | 5. रेशमी, ऊनी, मलमल जैसे नाजुक कपड़ों को पानी, साबुन और डिटर्जेंट के बिना मशीनों से साफ करने वाला व्यक्ति । |
6. कढ़ा | 6. उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित 17वीं सदी में निर्मित एक विश्व-प्रसिद्ध स्मारक जो सफेद संगमरमर से बना है। |
7. ड्राइक्लीनर | 7. एक दाल जिसे तुअर भी कहते हैं। |
8. ताजमहल | 8. सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा, सागूदाना, यह पहले आटे के रूप में होता है और फिर कूटकर दानों के रूप में सुखा लिया जाता है। |
9. अरहर | 9. वह व्यक्ति जो रोगियों, घायलों या वृद्धों आदि की देखभाल करे। |
उत्तर :
शब्द | अर्थ |
1. साबूदाना | 8. सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा, सागूदाना, यह पहले आटे के रूप में होता है और फिर कूटकर दानों के रूप में सुखा लिया जाता है। |
2. वार्ड | 1. किसी विशिष्ट कार्य के लिए घेरकर बनाया हुआ स्थान । |
3. नर्स | 9. वह व्यक्ति जो रोगियों, घायलों या वृद्धों आदि की देखभाल करे। |
4. रजाई | 2. एक प्रकार का जाड़े का ओढ़ना जिसका कपड़ा दोहरा होता है और जिसमें रुई भरी होती है। |
5. थर्मामीटर | 3. शरीर का तापमान (जैसे बुखार) नापने का एक छोटा यंत्र । |
6. कढ़ा | 4. कई तरह की जड़ी-बूटियों और औषधियों को उबालकर उनके रस से बना पेय होता है। इसे सर्दी-जुकाम, खाँसी – बुखार और पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक माना जाता है। |
7. ड्राइक्लीनर | 5. रेशमी, ऊनी, मलमल जैसे नाजुक कपड़ों को पानी, साबुन और डिटर्जेंट के बिना मशीनों से साफ करने वाला व्यक्ति । |
8. ताजमहल | 6. उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित 17वीं सदी में निर्मित एक विश्व-प्रसिद्ध स्मारक जो सफेद संगमरमर से बना है। |
9. अरहर | 7. एक दाल जिसे तुअर भी कहते हैं। |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-
(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं। ”
उत्तर :
जब बच्चा सुधाकर काका से अपनी नानीजी के साथ अस्पताल में मिलने गया तो उनका ठाठ-बाट देखकर उसे भी बीमार होने का मन करने लगा। काका साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे थे। नानीजी भी काका के लिए साबूदाने की खीर बनाकर ले गई थीं और काका को अपने हाथ से खिला रही थीं। बच्चे का मन भी ललचाने लगा और उसने सोचा कि मैं भी बीमार पड़ जाता हूँ और आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा।
(ख) “देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता । कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं ! भूखे रहो !! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस । चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”
उत्तर :
जब बच्चे ने बीमार होने का नाटक किया तो कोई भी आदमी उसे खाने के लिए नहीं पूछा। बच्चे के मन में तरह-तरह की बातें घर कर रही थीं। वह सोच रहा था कि मुझसे कोई खाने के लिए पूछता तो वह साबूदाने की खीर ही माँगता । बाकी कुछ नहीं । प्रस्तुत पंक्तियों में बच्चे की नाराजगी साफ साफ झलक रही है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) अस्पताल में बच्चे को कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों ?
उत्तर :
अस्पताल में बच्चे को लाइन से लगे हुए पलंग, उन पलंगों पर एक जैसी सफेद चादर और लाल कंबल, सफेद दीवारे, ऊँची छत, खिड़कियों पर हरे परदे और फर्श एकदम चमकता हुआ, आदि चीजें अच्छी लगीं।
(ख) कहानी के अंत में बच्चे को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। क्या आपको लगता है कि उसका निर्णय सही था? क्यों?
उत्तर :
हाँ, उसका निर्णय बिलकुल सही था। उसे बीमार होने का बहाना न बनाकर स्कूल जाना चाहिए था। क्योंकि बीमार होने पर कड़वी दवाइयों के सिवा कुछ भी नहीं मिलता। उसे भ्रम था कि बीमार होने पर अच्छी-अच्छी चीजें खाने को मिलती हैं लेकिन हुआ इसका विपरीत । अतः कभी भी बीमार होने का बहाना नहीं करना चाहिए।
(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?
(संकेत – मन में उत्पन्न होने वाले विकार या विचार को भाव कहते हैं, उदाहरण के लिए – क्रोध, दुख, भय, करुणा, प्रेम आदि।)
उत्तर :
जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा तो उसके मन में अनेक तरह के भाव आ रहे थे। वह सोच रहा था कि अस्पताल में बड़े ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटा रहूँगा। सभी लोग अच्छी-अच्छी चीजें खाने के लिए देंगे। नानीजी साबूदाना की खीर बनाकर लाएँगी और अपने हाथों से खिलाएँगी। मुझे स्कूल का होमवर्क भी नहीं करना पड़ेगा ।
(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा था कि ” ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो।” आपको क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होंगे ?
(संकेत : आप अपने अनुभवों के आधार पर इस प्रश्न पर विचार कर सकते हैं कि कहानी वाले बच्चे की कल्पना वास्तविकता से कितनी अलग है |)
उत्तर :
कहानी वाले बच्चे की सोच वास्तविकता से बिलकुल अलग है। एक ओर तो बीमार व्यक्ति को कड़वी-कड़वी दवाइयाँ खाने को मिलती है। बेड पर लेटे-लेटे पीठ दर्द करने लगती है। पास में बीमार व्यक्तियों को देखकर जी घबराने लगता है।
दूसरी ओर, बीमार व्यक्ति को खाने के लिए साबूदाने की खीर, फल आदि खाने को मिलती है। सभी लोग उसके प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हैं और जल्द ही ठीक होने की कामना करते हैं।
(ङ) नानीजी और नानाजी ने बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है ?
उत्तर :
उन्होंने बिलकुल गलत किया। क्योंकि अगर वास्तव में बच्चा बीमार होता तो खाने को कुछ न मिलने से वह बहुत कमजोर हो जाता और बीमारी ठीक होने में काफी समय लगता ।
अनुमान और कल्पना से
(क) कहानी के अंत में बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच – सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे क्या होता?
(संकेत – उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते ?)
उत्तर :
बच्चा यदि नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच-सच बता देता तो हो सकता था कि थोड़ी-बहुत डाँट पड़ती। लेकिन बच्चे को समझाते कि कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। ऐसा करने से एक दिन व्यक्ति स्वयं बड़ी मुसीबत में पड़ सकता है। मगर बच्चा सच-सच बता देता तो उसे भूखे नहीं रहना पड़ता और न चाहते हुए भी कड़वी दवाई नहीं खानी पड़ती।
(ख) कहानी में बच्चे की नानीजी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा सारी बात आपको स्वयं बता दे । अब आप क्या करेंगे?
(संकेत – इस सवाल में आपको नानीजी की जगह लेकर सोचना है और एक मनोरंजक योजना बनानी है जिससे बच्चा आपको स्वयं सारी बातें बात दे। )
उत्तर :
यदि मैं बच्चे की नानीजी के स्थान पर होता तो उससे सच उगलवाने के लिए बड़े प्यार से बातें करता । अच्छी-अच्छी चीजें खाने का प्रलोभन देता तो हो सकता था कि बच्चा स्वयं सब कुछ सच – सच बता देता ।
(ग) कहानी में बच्चे के स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब आप ऊबने से बचने के लिए क्या – क्या करेंगे?
उत्तर :
यदि बच्चे के स्थान पर मैं होता तो अकेलापन दूर करने के लिए मैं पढ़ाई करता । उसके कुछ देर बात टी.वी. देखता और दोस्तों को घर बुलाकर कोई खेल खेलता । साथ ही मकान की खिड़की से बाहर झाँककर आने-जाने वालों को देखा करता।
(घ) कहानी के अंत में बच्चे को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल जाता तो उसका दिन कैसा होता? अगले दिन जब वह स्कूल गया होगा तो उसने क्या-क्या किया होगा?
उत्तर :
यदि वह स्कूल जाता तो उसका दिन बहुत अच्छा जाता पढ़ाई के साथ-साथ सहपाठियों के साथ बातें भी करता। उनके साथ खेलता – कूदता ।
अगले दिन जब वह स्कूल गया होगा तो शिक्षक के कक्षा में आने से पहले होमवर्क कर लिया होगा ताकि शिक्षक की सजा से बचा जा सके। साथ ही सहपाठियों को अपनी बीमार पड़ने का झूठा नाटक के बारे में सब कुछ बता दिया होगा। यह भी कहा होगा कि तुम लोग कभी भी बीमारी का झूठा नाटक नहीं करना, नहीं तो मेरी जैसी दशा हुई थी, वही दशा तुम लोगों की भी होगी।
(ङ) कहानी में नानाजी और नानीजी ने बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर आप नानीजी या नानाजी की जगह होते तो क्या – क्या करते?
उत्तर :
अगर मैं नानाजी या नानीजी के जगह पर होता तो सबसे पहले बीमार बच्चे को चिकित्सक के पास ले जाता। बीमारी का पता होने पर ही दवाई आदि देता । खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था करता । चिकित्सक को दिखाए बिना ऐसा कुछ भी नहीं करता जिससे बच्चे को परेशानी का सामना करना पड़े।
कहानी की रचना
अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर – मक्खी…। सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन । बाकी एकदम शांति ।
इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में ऐसा लग रहा है मानो हमारी आँखों के सामने अस्पताल का चित्र – सा बन गया हो। लेखन में इसे ‘चित्रात्मक भाषा’ कहते हैं। अनेक लेखक अपनी रचना को रोचक और सरस बनाने के लिए उपयुक्त स्थानों पर अनेक वस्तुओं, कार्यों, स्थानों आदि का विस्तार से वर्णन करते हैं।
लेखक ने इस कहानी को सरस और रोचक बनाने के लिए और भी अनेक तरीकों का उपयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहानी में ‘बच्चे द्वारा कल्पना करने’ का भी प्रयोग किया है ( जब बच्चा अकेलें लेटे-लेटे घर और बाहर के लोगों के बारे में सोच रहा है)। इस कहानी में ऐसी कई विशेषताएँ छिपी हैं।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस पाठ की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए । अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
(ख) कहानी में से निम्नलिखित के लिए उदाहरण खोजकर लिखिए-
उत्तर :
विशेष बिंद | कहानी में से उदाहरण |
बच्चे द्वारा पिछली बातों को याद किया जाना | चंदूभाई ड्राइक्लीनर क्या कर रहे हैं, तेजराम की दुकान पर कितने ग्राहक बैठे हैं? महेश घी सेंटर ने मलाई का भगोना आँच पर चढ़ाया या नहीं आदि। |
हास्य यानी हँसी-मजाक का उपयोग किया जाना | मुन्नू आम चूस रहा था। पूरी गुठली मुँह में ठूसे । भुक्कड़ कहीं का। |
बच्चे द्वारा सोचने के तरीके में बदलाव आना | स्कूल से छुट्टी मारने के लिए बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाना। |
कहानी में किसी का किसी बात से अनजान होना | बच्चे को यह पता नहीं था कि बीमारी का झूठा बहाना बनाने पर उसे सारा दिन भूखा रहना होगा। वह इस बात से अनजान था । |
बच्चे द्वारा स्वयं से बातें किया जाना | अब नानीजी से जाकर कहूँ कि भूख लग रही है तो वह क्या करेंगी। ज्यादा से ज्यादा यही कि दूध पी ले या नानाजी से पूछने जाएगी। नानाजी कहेंगे कि तबियत |
समस्या और समाधान
ढीली हो तो सबसे अच्छा उपाय है भूखे रहना। इससे सारे विकार निकल जाते । इससे तो स्कूल चला जाता। सजा मिलती तो मिल जाती। कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर अमरूद खाता । आदि-आदि | बातें सोच रहा था।
कहानी को एक बार पुनः पढ़कर पता लगाइए-
(क) बच्चे के सामने क्या समस्या थी? उसने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?
उत्तर :
बच्चे ने स्कूल से छुट्टी मारने के लिए बीमारी का बहाना बनाया । इसका परिणाम यह हुआ कि उसे सारा दिन भूखे रहना पड़ा। अब उसके सामने यह समस्या थी कि वह अपनी बीमारी के बहाने के बारे में कैसे बताए और किसे बताए ! चाहकर भी वह बताने में असमर्थ था। अंत में उसने फैसला लिया कि वह कभी भी बीमारी का बहाना नहीं बनाएगा।
(ख) नानीजी – नानाजी के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?
उत्तर :
नानीजी – नानाजी के सामने यह समस्या थी कि वे बीमार बच्चे को खाना कैसे दें। उनका मानना था कि भूखे रहने से उसके सारे विकार निकल जाएँगे। इसलिए उन्होंने बच्चे को खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया क्योंकि उनका मानना था कि ऐसा करने से वह जल्दी ठीक हो जाएगा।
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-
उत्तर :
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-
(क) कहानी में सर्दी के मौसम की घटनाएँ बताई गई हैं।
उत्तर :
मैं रजाई में पड़ा पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगा रहा था।
(ख) बच्चे को बहाना बनाने के परिणाम का आभास हो गया।
उत्तर :
इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।
(ग) बच्चे को खाना-पीना बहुत प्रिय है ।
उत्तर :
आँख जरा लगती थी तो खाने की चीजें दिखाई देती। गरमागरम खस्ता कचौड़ी ……….. मावे की बर्फी ….. बेसन की चिक्की …… गोलगप्पे और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर |
(घ) बच्चे को स्कूल जाना अच्छा लगता है।
उत्तर :
इससे तो स्कूल चला जाता तो ठीक रहता । कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक – मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर ।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि इस कहानी का यह नाम उपयुक्त है या नहीं। अपने उत्तर के कारण भी बताइए ।
उत्तर :
हमने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ बिलकुल उपयुक्त है। क्योंकि जब बच्चा भूख से परेशान हो जाता है तो यह निर्णय लेता है कि वह छुट्टी लेने के लिए कभी भी बीमारी का बहाना नहीं बनाएगा।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए।
उत्तर :
यदि हमें इस कहानी को कोई अन्य नाम देना होता तो मैं “झूठ बोलने का परिणाम” देता । कारण कि बच्चा यदि स्कूल से छुट्टी लेने के लिए बीमारी का बहाना नहीं बनाता तो उसे सारा दिन भूखा नहीं रहना पड़ता। साथ ही कड़वी दवाई भी नहीं पीनी पड़ती। मजे से अपने दोस्तों के साथ रिसेस में जाकर अमरूद खाता ।
अभिनय
कहानी में से चुनकर कुछ संवाद नीचे दिए गए हैं। आपको इन्हें अभिनय के साथ बोलकर दिखाना है। प्रत्येक समूह से बारी-बारी से छात्र / छात्राएँ कक्षा में सामने आएँगे और एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे –
1. ” बुखार आ गया । ” मैंने कराहते हुए कहा ।
2. ” आपको पता नहीं चल रहा । थर्मामीटर लगाकर देखिए।” मैंने कहा।
3. ” मेरे सिर में दर्द हो रहा है। पेट भी दुख रहा है और मुझे बुखार भी है। ”
4. नानाजी आए। बोले, ” अब कैसा है सिरदर्द ?”
5. फिर नानाजी बोले, “ आज इसे कुछ खाने को मत देना। आराम करने दो। शाम को देखेंगे। ”
उत्तर :
छात्र/छात्राएँ स्वयं करेंगे।
चेहरों पर मुस्कान, मुँह में पानी
(क) इस कहानी में अनेक रोचक घटनाएँ हैं जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इस कहानी में किन बातों को पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी? उन्हें रेखांकित कीजिए ।
उत्तर :
1. न चाहते हुए भी कड़वी दवाई पीना और काढ़े जैसी चाय पीना।
2. अक्लमन्द ! और बनो बीमार ।
3. पूरी गुठली मुँह में ठूसे। जैसे आम कभी देखा न हों।
4. भुक्कड़ कहीं का। पूरा हाथ भी सान रहा है।
(ख) इस कहानी में किन वाक्यों को पढ़कर आपके मुँह में पानी आ गया था? उन्हें रेखांकित कीजिए ।
(इन्हें रेखांकित करने के लिए आप किसी अन्य रंग का उपयोग कर सकते हैं।)
उत्तर :
गरमागरम खस्ता कचौड़ी… मावे की बर्फी…. बेसन की चिक्की… गोलगप्पे ।
लेखन के अनोखे तरीके
मैं बिना आवाज किए दरवाजे तक गया और ऐसे झाँककर देखने लगा जिससे किसी को पता न चले कि मैं बिस्तर से उठ गया हूँ ।
इस बात को कहानी में इस प्रकार विशेष रूप से लिखा गया है-
“ दबे पाँव दरवाजे तक गया और चुपके से झाँककर देखा।”
इस कहानी में अनेक स्थानों पर वाक्यों को विशेष ढंग से लिखा गया है। साधारण बातों को कुछ अलग तरह से लिखने से लेखन की सुंदरता बढ़ सकती है।
नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं। कहानी में ढूँढ़िए कि इन बातों को कैसे लिखा गया है-
1. ऐसा लगा मानो हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।
2. खिड़कियाँ बहुत बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे।
3. वहाँ केवल लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं।
4. फुसफुसाने की आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी।
5. बीमार लोगों के बहुत मजे होते हैं।
6. मैं झूठमूठ बीमार पड़ जाता हूँ।
उत्तर :
1. हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए।
2. बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे।
3. सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन ।
4. बाकी एकदम शांति ।
5. क्या ठाठ हैं बीमारों के भी ।
6. चलो बीमार पड़ जाते हैं।
विराम चिह्न
“ देखें !” नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे ।
इस बीच नानीजी भी आ गईं। ” क्या हुआ ?”, नानीजी पूछा।
पिछले पृष्ठ पर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए । इन वाक्यों में आपको कुछ शब्दों से पहले या बाद में कुछ चिह्न दिखाई दे रहे हैं। इन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्न को कहानी में ढूँढ़िए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया जाता है। आपने जो पता किया, उसे नीचे लिखिए-
उत्तर :
आवश्यकता हो तो इस प्रश्न का उत्तर पता करने के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
विराम चिह्न | कहाँ प्रयोग किया जाता है |
पूर्ण विराम | अस्पताल जाने का यह मेरा पहला दिन था। |
अल्प विराम | सफेद दीवारें, ऊँची छत, खिड़कियों पर हरे परदे । |
प्रश्नवाचक चिह्न | नर्स से पूछा कि खिला दूँ क्या ? |
विस्मयादिबोधक चिह्न | काश ! सुधाकर काका की जगह मैं होता! मैं कब बीमार पहुँगा ! |
उद्धरण चिह्न | ” मेरे सिर में दर्द हो रहा है। पेट भी दुख रहा है और मुझे बुखार भी है। “ |
कैसी होगी गली
“मुझे बड़ी तेज इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ”
आपने कहानी में बच्चे के घर के साथ वाली गली के बारे में बहुत सी बातें पढ़ी हैं। उन बातों और अपनी कल्पना के आधार पर उस गली का एक चित्र बनाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
पाठ से आगे प्रश्न – अभ्यास
(पृष्ठ 69-72)
आपकी बात
(क) बच्चे ने अस्पताल के वातावरण का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है। इसी प्रकार आप अपनी कक्षा का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मेरी कक्षा में बैठने के डेस्क रखे हैं। छत में पंखा लगा है। ऊँची-ऊँची दीवारें हैं। बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ हैं। उन खिड़कियों में काँच लगे हैं और नीले रंग का परदा भी लगा है। कक्षा की दीवारों पर महापुरुषों के चित्र बने हैं।
(ख) कहानी में बच्चे को घर में अकेले दिन भर लेटे रहना पड़ा था। क्या आप कभी कहीं अकेले रहे हैं? उस समय आपको कैसा लग रहा था? आपने क्या – क्या किया था ?
उत्तर :
हाँ, मुझे भी एक बार घर पर अकेले रहने का मौका मिला था। मैं बहुत बोर हो गया था। चोरी के भय से मैं घर से बाहर भी नहीं जा रहा था। कभी बैठे-बैठे टी.वी. देखने लगता था। टी.वी. देखकर जब मैं बोरियत महसूस करता तो किताबें पढ़ने लगता था। दोस्तों की बहुत याद आती रहती थी। उनके साथ खेलना, बातें करना, हँसी-मजाक आदि बातें याद आती रहती थीं।
(ग) कहानी में आम खाने वाले मुन्नू को देखकर बच्चे को ईर्ष्या हुई थी। क्या आपको कभी किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई है? आपने तब क्या किया था ताकि यह भावना दूर हो जाए?
उत्तर :
हाँ, मुझे भी एक बच्चे को आइसक्रीम खाते देखकर ईर्ष्या हुई थी। उसे भी मुझे गोलगप्पे खाते देखकर ईर्ष्या हुई थी। तब मैंने उसे गोलगप्पे खिलाया और उसने मुझे आइसक्रीम खिलाया। हम दोनों की ईर्ष्या खत्म हो गई।
(घ) कहानी में नानाजी – नानीजी बच्चे का पूरा ध्यान रखने का प्रयास करते हैं। आपके घर और विद्यालय में आपका ध्यान कौन-कौन रखते हैं? कैसे?
उत्तर :
हमारे घर में मेरे माता-पिता, दादा-दादी हमारा पूरा-पूरा ध्यान रखते हैं। वे हमारी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखते हैं। खाने-पीने से लेकर बीमार होने तक का ध्यान रखते हैं। अगर जुकाम भी हो गया तो जल्दी से दवा लाकर खिला देते हैं।
विद्यालय में हमारे शिक्षक/शिक्षिका बच्चों का पूरा ध्यान रखते हैं। वे बच्चों को अच्छे ढंग से पढ़ाते हैं और व्यायाम आदि करवाते हैं।
(ङ) आप अपने परिजनों और मित्रों का ध्यान कैसे रखते हैं? क्या – क्या करते हैं या क्या-क्या नहीं करते हैं ताकि उन्हें कम-से-कम परेशानी हो ?
उत्तर :
हम अपने परिजनों और मित्रों का बहुत ध्यान रखते हैं। हम उनसे अच्छा व्यवहार रखते हैं। जब भी कोई परिजन या मित्र हमारे घर पर आते हैं तो उनको आदर-सत्कार के साथ बिठाते हैं। उनके लिए नास्ता और खाने की व्यवस्था करते हैं और उनसे सभ्यतापूर्ण बातें करते हैं।
हम वैसा कोई भी व्यवहार नहीं करते हैं जिससे उनको परेशानी महसूस हो। हम उनके सामने शोरगुल नहीं करते हैं और न अपने भाई-बहनों के साथ लड़ाई-झगड़ा ही करते हैं। टी.वी. की आवाज भी मंद रखते हैं ताकि उनको परेशानी न हो।
बहाने
(क) कहानी में बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताइए। उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव कर रहे थे ?
उत्तर :
एक दिन मुझे शादी की पार्टी में जाना था। स्कूल से छुट्टी मिलने की संभावना कम थी। क्योंकि वार्षिक परीक्षा नजदीक थी। उस समय सभी शिक्षक अपने-अपने विषय की अतिरिक्त कक्षा ले रहे थे। तब मैंने बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी ले ली थी। तब उस समय मेरे मन में एक बात आ रही थी कि मैं किसी भी तरह शादी की पार्टी में चला जाऊँ। वहाँ जाकर चाऊमीन, टिक्की -बर्गर, गोलगप्पे, आइसक्रीम आदि खाऊँ ।
(ख) आमतौर पर बनाए जाने वाले बहानों की एक सूची बनाइए ।
उत्तर :
(i) सिर दर्द,
(ii) पेट दर्द,
(iii) बुखार,
(iv) चोट लगना अथवा
(v) शादी में जाना।
(ग) बहाने क्यों बनाने पड़ते हैं? बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर :
जब मनोवांछित चीजें प्राप्त नहीं होती हैं तब बहाने बनाने पड़ते हैं। बहाना न बनाना पड़े, इसके लिए हमें बच्चों की हर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होगा ताकि उनको कभी बहाना न बनाना पड़े। खाने-पीने से लेकर पहनने-ओढ़ने तक तथा पढ़ाई-लिखाई से लेकर मनोरंजन आदि का पूरा-पूरा ध्यान रखना होगा।
अनुमान
“मैं रजाई में पड़ा पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”
कहानी में बच्चे ने अनेक प्रकार के अनुमान लगाए हैं। क्या आपने कभी किसी अनदेखे व्यक्ति / वस्तु / पशु-पक्षी / स्थान आदि के विषय में अनुमान लगाए हैं? किसके बारे में? क्या ? कब ? विस्तार से बताइए |
(संकेत – जैसे पेड़ से आने वाली आवाज सुनकर किसी प्राणी का अनुमान लगाना; कहीं दूर रहने वाले किसी संबंधी/रिश्तेदार के विषय में सुनकर उसके संबंध में अनुमान लगाना।)
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।
घर का सामान
“ बहुत ढूँढ़ा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं । शायद कोई माँगकर ले गया था। ”
कहानी में बच्चे के घर पर थर्मामीटर ( तापमापी) खोजने पर वह मिल नहीं पाता। आमतौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जिसे खोजने पर भी वह नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाइए-
उत्तर :
जो खोजने पर भी नहीं मिलती हैं | जो कोई माँग कर ले जाते हैं | जो आप किसी से माँगकर लाते हैं |
बाइक / कार की चाभी | बाइक | कलम |
कलम | पाइप | कॉपी |
घड़ी | कुदाल | किताब |
नेलकटर | नेलकटर | पाइप |
खान-पान और आप
(क) कहानी में सुधाकर काका को बीमार होने पर साबूदाने की खीर दी गई थी। आपके घर में किसी के बीमार होने पर उसे क्या-क्या खिलाया जाता है?
उत्तर :
हमारे घर में बीमार होने पर दलिया, मूँग की दाल की खिचड़ी, बिस्कुट आदि खिलाए जाते हैं।
(ख) कहानी में बच्चे को बहुत-सी चीजें खाने का मन है। आपका क्या-क्या खाने का बहुत मन करता है?
उत्तर :
मुझे अधिकतर गोलगप्पे, पाँव-भाजी, टिक्की, आइसक्रीम, चीली-पोटैटो तथा चाऊमीन खाने का मन करता है।
(ग) कहानी में बच्चा सोचता है कि साबूदाने की खीर सिर्फ बीमारी या उपवास में क्यों मिलती है। आपके घर में ऐसा क्या क्या है, जो केवल विशेष अवसरों या त्योहारों पर ही बनता है ?
उत्तर :
मेरे घर में विशेष त्योहारों पर खीर-पूड़ी, पुआ, दही-भल्ले, पकौड़े तथा पुलाव और सब्जी आदि बनते हैं।
(घ) कहानी में बच्चा सोचता है कि अगर वह स्कूल जाता तो उसे ठेले पर नमक मिर्च वाले अमरूद खाने को मिलते। आप अपने विद्यालय में क्या-क्या खाते-पीते हैं? विद्यालय में आपका रुचिकर भोजन क्या है ?
उत्तर :
हम विद्यालय में आलू टिक्की, चीली- पोटैटो और गोलगप्पे खाते हैं। विद्यालय में मेरा रुचिकर भोजन गोलगप्पे है |
(ङ) इस कहानी में भोजन से जुड़ी बच्चे की कई रोचक बातें बताई गई हैं। आपके बचपन की भोजन से जुड़ी कोई विशेष याद क्या है, जिसे आप अब भी याद करते हैं?
उत्तर :
हाँ, बचपन में मुझे आइसक्रीम खाना बहुत पसंद था।
(च) कहानी में बच्चा भोजन की सुगंध से रजाई फेंककर रसोई में झाँकने लगा। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि घर में किसी विशेष खाने की सुगंध से आप भी रसोई में जाकर तुरंत देखना चाहते हैं कि क्या पक रहा है? आपको किस-किस खाने की सुगंध सबसे अधिक पसंद है?
उत्तर :
हमें खीर-पूड़ी, हलवा, पुआ, बेसन के पकौड़े, पुलाव, शाही पनीर और रसमलाई आदि की सुगंध सबसे अधिक पसंद है।
आज की पहेली
कहानी में आपने खाने-पीने की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें बूझिए और उत्तर लिखिए-
उत्तर :
पहेली | उत्तर |
1. रोटी जैसा होता है ये, पर आलू से भरा-भरा घी-तेल साथी हैं इसके, दही – चटनी से हरा-भरा | आलू के पराठे |
2. दाल-चावल का मेल है यह तो, भारत भर में तुम इसे पाओ, दक्षिण में ये खूब है बनता, चटनी – सांभर संग-संग खाओ, गोल- तिकोना इसका आकार, गरम-गरम तुम इसे बनाओ, कौन-सा व्यंजन होता है यह, बोलो बोलो नाम बताओ । | इडली |
3. नाश्ते का यह बड़ा है खास, महाराष्ट्र में इसका वास, मिर्च-मसाले से भरपूर, संग बटाटा भी मशहूर, चटपटी चटनी लगी किसे ? बूझो नाम तो खाएँ इसे ! | बड़ा पाव |
4. बेसन से बने चौकोर या गोल, गुजरात में बड़ा है बोल | खाने में नर्म, पानी भरे, धनिया मिर्ची संग सजे । | ढोकला |
5. गोल-गोल पानी से भरके, चटनी सोंठ संग इसे खाओ उत्तर – दक्षिण पूरब-पश्चिम, गली-मुहल्लों में भी पाओ। खट्टी-मीठी, तीखी हाय, खाना तो इसे हर कोई चाहे ! | गोलगप्पे |
6. हरे साग संग मुझको पाओ, मक्खन के संग मुझको खाओ। आटा मेरा हल्का पीला, स्वाद मेरा है बड़ा रंगीला । | मक्का |
7. आग में पकती हूँ, स्वाद, सोंधा-सा साथ में खाओ चूरमा, बन जाए फिर बात, गरम दाल से मुझको प्यार, राजस्थान का मैं उपहार। | दाल बाटी चूरमा |
8. गोल-गोल और श्वेत रंग का रस से भरा हुआ हूँ खूब। मीठी दुनिया का महाराजा चाशनी मीठी डूब-डूब। | रसगुल्ला |