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Class 6th SST Chapter 6 Question Answer in Hindi Medium
Social Science Class 6 Chapter 6 Question Answer in Hindi
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान पाठ 6 के प्रश्न उत्तर in Hindi भारतीय सभ्यता का प्रारंभ
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (पृष्ठ 85)
प्रश्न 1.
सभ्यता क्या है?
उत्तर:
मानव समाज के विकसित और उन्नत स्तर को सभ्यता कहते हैं। एक सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं के अंतर्गत समाज को सुचारु रूप से चलाने हेतु प्रशासन और सरकार की व्यवस्था होती है। गाँव अथवा शहरी विकास के लिए भिन्न-भिन्न प्रणालियाँ और प्रबंधन निश्चित किए जाते हैं। सामाजिक उन्नति के लिए अर्थव्यवस्था, कृषि और सक्रिय व्यापार के संचालन हेतु आवश्यक नियम और तकनीक का प्रयोग होता है। कला, साहित्य, सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाज़ों की स्थापना की जाती है। लेखन प्रणाली व लेखन संकेतों के माध्यम से रिकॉर्ड व संचार गतिविधियों का प्रयोग होता है।
प्रश्न 2.
भारतीय उपमहाद्वीप की आरंभिक सभ्यता कौन-सी थी?
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप की आरंभिक सभ्यता इसके उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में पनपी ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ है। इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। यह दुनिया की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।
प्रश्न 3.
उसकी मुख्य उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-
- शहरीकरण और उन्नत नगर योजना। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में सड़कें और शहर सुव्यवस्थित ले आउट (खंडों) में विभाजित थे। ईंटों से बनी सभी इमारतों की गुणवत्ता समान थीं।
- जल प्रबंधन और जल निकासी प्रणाली अत्यंत विकसित थी ।
- भवन निर्माण कला और तकनीक उच्च स्तर की मिलती है। नगरों के चारों ओर मोटी दीवारें और किलेबंदी थी।
- जल आपूर्ति और भंडारण की संरचनाएँ उत्कृष्ट प्रणाली और तकनीक को दर्शाती हैं।
- सिंधु सभ्यता में कृषि उन्नत स्तर की थी। कृषि उपज, दलहन और कपास की खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले कई कृषि उपकरण पुरातात्विक खोजों में प्राप्त हुए हैं।
- हड़प्पा काल में भारत के भीतर और अन्य सभ्यताओं के साथ सक्रिय व्यापार और वाणिज्य किया जाता था। विभिन्न वस्तुओं और आभूषणों का निर्यात किया जाता था ।
- धातुकर्म तकनीकें विकसित थीं । काँस्य, ताँबे, सोने और टिन की कलाकारी में हड़प्पावासी कुशल थे। स्टीऐटाइट नामक मुलायम पत्थर से बनी हज़ारों मोहरें खुदाइयों में मिली हैं। इन मोहरों पर लेखन प्रणाली और जानवरों के चित्र बने होते थे । इन मोहरों का इस्तेमाल व्यापारिक गतिविधियों में होता था ।
- सिंधु घाटी सभ्यता में प्राप्त मुहरें और मूर्तियाँ दर्शाती हैं कि वे यूनिकॉर्न बैल और बाघ की पूजा करते थे । त्रिमुखी देवता, पशुपति भगवान शिव की पूजा, मातृ देवी और प्रकृति पूजा प्रमुख थीं।
आओं ढूँढे – (पृष्ठ 87)
प्रश्न 1.
सभ्यता की विशेषताओं के आधार पर, क्या आप व्यवसाय और रोजगार की सूची बना सकते हैं?
उत्तर:
सभ्यता की विशेषताओं के आधार पर व्यवसाय और रोजगार की सूची निम्नलिखित हैं-
कृषि और विविध शिल्प कला
- कृषक
- धातुकर्मी
- बुनकर
- सुरक्षाकर्मी
- चरवाहा / पशुपालक
- रंगरेज
- सोनार
- उपकरण व औजार निर्माता
- लोहार
- मछुआरे
व्यापार व वाणिज्य
- व्यापारी/सौदागर
- दुकानदार
- साहूकार / मुंशी
- कुम्हार
- फुटकर विक्रेता
- नाविक
- मत्स्य उत्पादन
- पुजारी
- गोदाम/भंडारणकर्मी/ भंडार रक्षक
- लेखापाल
- परिवहन अधिकारी व कर्मी
- नाव / जहाज़ निर्माण
- कपड़ा व्यापार
- बैल / घोड़ा गाड़ी संचालन
इंजीनियरिंग और निर्माण कार्य
- बढ़ई
- मिस्त्री
- खनिज और खान कार्य
- मरम्मत की दुकानें
- ईंट-भट्ठा काम
- सड़कों का निर्माण
- लोहारगिरि
- भवन निर्माण
- कृषि व खनन औजारों और उपकरणों का रख-रखाव
- सफाई कार्य
- भवन परियोजना व निर्माण
- सिविल इंजीनियरी
कला रोज़गार
- चूड़ी निर्माण
- मोती बनाना / छेदना
- कपड़ा बुनाई और छपाई
- मूर्ति निर्माण
- सुनारगिरी
- मिट्टी व अन्य धातुओं से बर्तन बनाने का रोजगार
- चित्रकार
- मुहरों का निर्माण और लिपि कला
धार्मिक और प्रशासन संबंधी कार्य व भूमिकाएँ
- पुजारी
- ज्योतिषी
- स्वास्थ्य अधिकारी
- नगर मुखिया
- व्यापार मुखिया
- कृषि मुखिया
- नगर निर्माण व जल प्रबंधन मुखिया
- कर संग्रहकर्त्ता
- सुरक्षा अधिकारी
- नियम और कानून अधिकारी
- सभा / परिषद मुखिया
हड़प्पा सभ्यता और संस्कृति के विविध व्यवसाय व रोज़गार इसकी विकास प्रक्रिया, विशेषताएँ उन्नत रूप को दर्शाते हैं।
प्रश्न 2.
( पृष्ठ 89 ) सिंधु-सरस्वती सभ्यता के कुछ प्रमुख नगरों को मानचित्र ( चित्र 6.3 पाठ्यपुस्तक) में दर्शाया गया है। तालिका में दिए गए आधुनिक राज्यों अथवा प्रदेशों के साथ मिलान कर सकते हैं?
उत्तर:
हड़प्पा के नगर | आधुनिक राज्य / प्रदेश |
धौलावीरा | गुजरात |
हड़प्पा | पंजाब |
कालीबंगा | राजस्थान |
मोहनजो-दड़ो | सिंध |
राखीगढ़ी | हरियाणा |
आइए विचार करें – ( पृष्ठ 91)
प्रश्न 3.
( पृष्ठ 89 ), चित्र 6.3 ( पाठ्यपुस्तक ) को ध्यानपूर्वक देखें, तो पाएँगे कि घाटी शब्द का अब इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि अब हम जानते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु क्षेत्र से बहुत आगे तक फैली हुई थी। इस बात पर विचार करें-
उत्तर:
विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु-सरस्वती सभ्यता दक्षिण एशिया के उत्तर – पश्चिमी क्षेत्रों में काँस्य युग में विकसित हुई ।लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक यह सभ्यता चली। व्यापक स्तर तक फैली सिंधु-सरस्वती सभ्यता 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक उन्नत चरम पर थी। प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में वर्णित ‘सरस्वती नदी’, जिसे आज भारत में घग्गर और पाकिस्तान में हाकरा नदी के तट पर खोजे हुई और आज इस सभ्यता के अनेक पुरास्थल मिले हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब ( आधुनिक समय में भारत और पाकिस्तान में विभाजित) के विशाल मैदानों को सिंधु नदी ने उपजाऊ बनाया। इन मैदानों की पूर्व दिशा में हिमालय की तलहटी से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के कुछ क्षेत्रों से सरस्वती नदी प्रवाहित होती थी । आरंभ में मोहनजो-दड़ो और हड़प्पा की खुदाई में कई पुरास्थल मिले और इस सभ्यता को आरंभ में सिंधु घाटी की सभ्यता कहा गया। बाद में, भारत के गुजरात ( धौलावीरा, लोथल आदि), हरियाणा (राखीगढ़ी, फरमान, भिर्राना, बनावली ), राजस्थान ( कालीबंगा ) बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब और घग्गर – सभ्यता की अनेक ज्ञात नगर व पुरास्थल हैं। सरस्वती नदी के किनारे इस सभ्यता के पुरास्थलों की खोज इसकी शक्ति की हाकरा के नाम से जाना जाता है, के किनारे इस ओर संकेत करती है। इसलिए पुरातत्ववेत्ताओं ने सिंधु सभ्यता, सिंधु-सरस्वती सभ्यता नाम से संदर्भित किया।
आइए पता लगाएँ— (पृष्ठ 99)
प्रश्न 4.
( पृष्ठ 99, चित्र 6.13 – 1, 2, 3 ) हड़प्पा की तीन मुहरों पर लेखन संकेतों को देखते हुए आपके मन में क्या विचार आता है? आप इनकी क्या व्याख्या देना चाहेंगे?
उत्तर:
पुरातत्वविदों ने हड़प्पा बस्तियों और नगरों की खुदाई में हज़ारों की संख्या में मुहरें खोजी हैं। हड़प्पा की मुहरें मुलायम पत्थर स्टीऐटाइट ( सेलखड़ी) से बनाई गईं। इन मुहरों पर जानवरों के चित्र प्रतीक रूप में अंकित हैं। लेखन प्रणाली यानि लिपि के चिह्न भी मिलते हैं। मुहरों के लिपि चिह्नों और पशुओं के चित्रों के अर्थ को अभी समझा जाना बाकी है। चित्रों में एक श्रृंगी पशु वाली मुहर है। वर्तमान में एकसिंगा पशु यूनिकॉर्न है। हड़प्पा संस्कृति में इस पशु को पूजनीय माना जाता रहा होगा। इस मुहर को व्यापारिक गतिविधियों के लिए प्रयोग किया जाता होगा। जैसे आधुनिक समय में हमें ‘विशेष कार्ड या पास’ मिलते हैं, ऐसे ही शायद एक श्रृंगी मुहर व्यापार अथवा नगरों से संबंधित महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों या नियमों से जुड़ी होंगी। बैल और बाघ की चित्र वाली मुहरें शायद धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग की जाती होंगी। मुहरों पर बने जानवरों के चित्र व लिखित चिह्न कृषि व प्राकृतिक महत्त्व को भी दर्शाते होंगे।
एन.सी.ई.आर.टी. प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएँ (पृष्ठ 103-104)
प्रश्न 1.
इस अध्याय में अध्ययन की गई सभ्यता के अनेक नाम क्यों हैं? इनके महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
पुरातत्ववेत्ताओं ने इस सभ्यता को कई नाम दिए हैं, जैसे- हड़प्पा सभ्यता, सिंधु सभ्यता या सिंधु-सरस्वती सभ्यता । यह सभ्यता सिंधु नदी व उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में खोजी गई थी। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो (जो अब पाकिस्तान में है) इस सभ्यता के खोजे जाने वाले पहले दो नगर हैं। भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में खोज और खुदाई बाद में हुई और ये खोजें आज भी जारी हैं। इसलिए इन नामों के साथ यह सभी बिंदुओं से जुड़ती हैं।
प्रश्न 2.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता की उपलब्धियों का सार देते हुए संक्षिप्त रिपोर्ट ( 150 से 200 शब्द ) लिखिए।
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। सिंधु-सरस्वती के किनारे बस्तियाँ विकसित हुई। समय के साथ गाँव, नगरों में परिवर्तित हो गए और व्यापारिक – वाणिज्य उन्नति के कारण नगर, महानगरों में बदलते गए।
1. नगर योजना – सुनियोजित योजना के साथ हड़प्पा सभ्यता के नगरों का निर्माण हुआ। चौड़ी सड़कें थीं और किलेबंदी की जाती थीं। शासक वर्ग ऊपरी नगर (दुर्ग) में निवास करते थे और सामान्य वर्ग के लिए निचला नगर था। बड़े और छोटे घरों के निर्माण की गुणवत्ता एक समान थी। भवनों के निर्माण में ईंटों का प्रयोग होता था ।
2. मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार प्रसिद्ध उपलब्धि है। हड़प्पा के अन्नगार, मालगोदाम उल्लेखनीय हैं।
3. इस सभ्यता की जल निकास प्रणाली और जल प्रबंधन व वितरण उच्च स्तर का था। मोहनजोदड़ो में मिले कई कुएँ और धौलावीरा (गुजरात) में 73 मीटर लंबा जलाशय उत्कृष्ट जल योजना को दर्शाता है।
4. व्यापार और शिल्पकला – हड़प्पा सभ्यता के लोग कुशल व्यापारी और उन्नत स्तर के शिल्पकार थे। मेसोपोटामिया सहित अन्य संस्कृतियों के साथ सक्रिय व्यापार संपर्क था । समुद्री व्यापार का व्यापक स्तर था। बर्तन, आभूषण, कपास व धातुओं से बनी वस्तुओं की काफी माँग थी। गुजरात के लोथल शहर में खोजा गया विशाल बेसिन व्यापारिक प्रगति को दर्शाता है। हड़प्पा सभ्यता की कला उच्च सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है। प्रभावशाली वास्तुकला व विभिन्न कलाकृतियाँ आध्यात्म, धार्मिक और सामाजिक संरचना के विकसित स्तर को उजागर करती हैं।
प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आपको हड़प्पा से कालीबंगा तक यात्रा करनी है। आपके पास विभिन्न विकल्प क्या हैं? क्या आप प्रत्येक विकल्प में लगने वाले समय का अनुमान लगा सकते हैं?
उत्तर:
प्राचीन काल में हड़प्पा से कालीबंगा राजस्थान ) तक यात्रा करने के लिए मुख्य रूप से स्थल मार्ग का उपयोग किया जाता था । यात्रा में जल मार्ग का उपयोग भी रहा था। सिंधु व सहायक नदियों पर जलीय मार्ग अधिक सुविधाजनक हो सकता है। स्थलीय मार्ग में घोड़ा गाड़ी, बैलगाड़ी या पैदल यात्रा शामिल की जा सकती हैं। वातावरण, यात्रा की गति व स्थिति के आधार पर गंतव्य स्थान तक पहुँचने के समय और दिनों का अनुमान लगाया जा सकता है।
प्रश्न 4.
कल्पना कीजिए कि यदि हड़प्पा के किसी पुरुष या महिला को हम आज के भारत के सामान्य रसोईघर में ले आते हैं, तो उन्हें सबसे बड़े चार या पाँच आश्चर्य क्या लगेंगे?
उत्तर:
हड़प्पा संस्कृति के किसी पुरुष या महिला को आधुनिक भारत के रसोईघर में कई आश्चर्यजनक वस्तुएँ, उपकरण और नई बनावट देखने को मिलेंगी।
हड़प्पा संस्कृति में रसोईघर में प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग और सादगीपूर्ण खानपान का वातावरण रहा होगा। आज के रसोईघर में बिजली से चलने वाले उपकरणों का प्रयोग अधिक है। रसोई के डिजाइन, चमकीले बर्तन और सजावटी अलमारी हड़प्पावासी को आश्चर्य में डाल देगी। फ्लोरिंग, टाइल वर्क, ले आउट फूड प्रोसेसर, फ्रिज, माइक्रोवेव, ओ-टी-जी जैसे सहायक उपकरण देखकर हड़प्पावासी हैरान हो सकते हैं। खान-पान में तरह-तरह के पैकेज पदार्थ, डिब्बा बंद दूध, दही, पनीर, मसालों की अधिकता एक विशेष आश्चर्य होगा।
प्रश्न 5.
इस अध्याय के सभी चित्रों पर दृष्टि डालते हुए उन आभूषणों / हाव-भावों / वस्तुओं की सूची बनाइए, जो अभी भी 21वीं शताब्दी में परिचित प्रतीत होती हैं।
उत्तर:
अध्याय के सभी चित्रों पर दृष्टि डालते हुए ऐसे कई आभूषण, हाव-भाव व वस्तुएँ दिखी, जो 21वीं सदी में भी परिचित हैं-
- विभिन्न आभूषण – पत्थरों, धातुओं और मोतियों से बनी चूड़ियाँ, कान और गले के गहने तथा दर्पण और कंघे ।
- भार तौलने के पत्थर और छैनी
- खेल – बोर्ड और मिट्टी की सीटी
- धार्मिक महत्त्व को दर्शाती मूर्तियाँ
- नमस्ते की मुद्रा में बैठी टेराकोटा की मूर्ति / काँस्य और टेराकोटा से बनी सज्जात्मक मूर्तियाँ |
- आज भी प्यासे कौए की कहानी स्कूलों में और बड़े-बुजुर्गों द्वारा बच्चों को पढ़ाई जाती है। कहानी से मिली सीख से बच्चे मूल्यपरक व्यवहार की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
- पशुओं को दर्शाती मुहरों के चित्र प्रकृति के महत्त्व से परिचित कराती हैं।
प्रश्न 6.
धौलावीरा के जलाशयों की प्रणाली क्या सोच प्रतिबिंबित करती है?
उत्तर:
धौलावीरा, सिंधु-सरस्वती सभ्यता का अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुरास्थल है, जो आज हमें इस प्राचीन सभ्यता की विशेषताओं को प्रतिबिंबित करती है। जलाशयों की प्रणाली समृद्ध सभ्यता से परिचित कराती है –
- विशाल जलाशय प्रमाणित करते हैं कि इस सभ्यता के वासी जल प्रबंधन और जल वितरण प्रणाली में कुशल थे।
- धौलावीरा में जो आज गुजरात में कच्छ के रन में आता है, 73 मीटर लंबा विशाल जलाशय मिला है। पत्थरों और चट्टानों को काटकर उस युग में जलाशयों का निर्माण हुआ था।
- इन जलाशयों को जल संचयन और वितरण के लिए भूमिगत नालियों से जोड़ा गया था।
- विकसित जल व्यवस्था के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के पालन का पता चलता है।
- जलाशयों के निर्माण में बड़ी संख्या में श्रमिकों के योगदान, जलाशयों की साफ-सफाई व रख-रखाव उन्नत और सुनियोजित नगर प्रशासन की विशेषताओं को दर्शाता है। धौलावीरा के अवशेष समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्था से हमें अवगत कराते हैं।
प्रश्न 7.
मोहनजोदड़ो में ईंटों से निर्मित 700 कुओं की गणना की गई है। ऐसा लगता है कि उनका नियमित रूप से रख-रखाव किया जाता रहा और अनेक शताब्दियों तक उनका उपयोग किया जाता रहा। निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मोहनजोदड़ो में 700 कुओं की गणना इस सभ्यता की विकसित नगर योजना और जल प्रबंधन तकनीक का संकेत देती है। नगर शासक और प्रशासन ने सभी नागरिकों की आवश्यकताओं के साथ-साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्राथमिकता दी। सुनियोजित तरीके से इन संरचनाओं का निर्माण और इस्तेमाल किया गया। यह आज की पीढ़ी के लिए भी एक सीख प्रदान करती है। जल ही जीवन है – जल बचाओं के महत्त्व को इस सभ्यता में समझा गया और क्रियान्वित किया गया।
प्रश्न 8.
सामान्यतः यह कहा जाता है कि हड़प्पावासियों में नागरिकता का उच्च भाव था। इस कथन के महत्त्व पर चर्चा कीजिए। क्या आप इससे सहमत हैं? वर्तमान भारत के महानगरों के नागरिकों के साथ इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
हम इस बात से सहमत हैं कि हड़प्पावासियों में नागरिकता का उच्च भाव था।
• शहर योजना- शहर योजना सुव्यवस्थित थी । बड़े भवनों का उपयोग सामाजिक उद्देश्यों को पूरा करने हेतु होता था। महास्नानागार और गोदामों का रख-रखाव व उपयोग सुनियोजित तथा सुचारु रूप से होता था । सड़कों और दुर्ग निर्माण उच्च स्तर की नागरिक जिम्मेदारी संगठन का भाव दर्शाती हैं।
• निर्माण की गुणवत्ता – हड़प्पा सभ्यता में छोटे और बड़े घरों के निर्माण समान गुणवत्ता देखने को मिलती है।
• स्वास्थ्य और स्वच्छता का ध्यान व्यापक स्तर पर रखा जाता था। अपशिष्ट जल निकास, जलाशयों की सफाई और स्नानगारों को साफ पानी से समय-समय पर भरने की प्रक्रिया से प्रशासन अधिकारियों और नागरिकों में सामाजिक जिम्मेदारी के भाव का पता चलता है।
• वर्तमान भारत के शहरों के नागरिकों से तुलना करें तो हम देखते हैं कि आज भी जल प्रबंधन, वितरण, स्वच्छ पेयजल और अपशिष्ट जल निकासी चुनौतीपूर्ण कार्य हैं। बढ़ते प्रदूषण और जनसंख्या ने जल आपूर्ति को प्रभावित किया है। शहरी नागरिकों को भी अधिक जागरूक व सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को सक्रिय रूप से अपनाना चाहिए। समाज से जुड़ी संरचनाओं, नियमों व रख-रखाव के प्रति नागरिक भावना लोग अपनाएँ और समृद्ध राष्ट्र के लिए अपना योगदान दें।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किस सभ्यता को दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में गिना जाता है?
उत्तर:
सिंधु, हड़प्पा या सिंधु-सरस्वती सभ्यता दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है।
प्रश्न 2.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता की उपलब्धियाँ क्या हैं?
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता में जल प्रबंधन, सुनियोजित नगर निर्माण, शिल्पकला, कृषि और सक्रिय व्यापार उन्नत था।
प्रश्न 3.
इतिहासकार बी.बी. लाल जी ने भारत की प्राचीन सभ्यता पर क्या विचार प्रस्तुत किए हैं?
उत्तर:
इतिहासकार बी. बी. लाल जी के अनुसार, भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता – सिंधु-सरस्वती सभ्यता कई मायनों में अनूठी थी। सामाजिक परिदृश्य में संतुलित समुदाय और आपसी सामंजस्य दिखाई देता है।
प्रश्न 4.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता के निवासियों को ‘हड़प्पाई या हड़प्पावासी क्यों कहते हैं?
उत्तर:
1920-21 में इस सभ्यता का पहला उत्खनित नगर ‘हड़प्पा’ (आज के पाकिस्तान का पंजाब ) है इसलिए यहाँ के निवासियों को हड़प्पाई या हड़प्पावासी कहते हैं।
प्रश्न 5.
कुछ सहस्त्राब्दियों पूर्व सरस्वती नदी का प्रवाह किस क्षेत्र में था?
उत्तर:
सहस्राब्दियों पूर्व सरस्वती, हिमालय की तलहटी से हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और गुजरात के क्षेत्रों से प्रवाहित होती थीं।
प्रश्न 6.
क्या किसी नदी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद और अन्य संस्कृत ग्रंथों में मिलता है?
उत्तर:
हाँ, सरस्वती नदी का उल्लेख ऋग्वेद और संस्कृत ग्रंथों में मिलता है।
प्रश्न 7.
हड़प्पा सभ्यता में सबसे पहले कौन-से दो नगर खोजे गए?
उत्तर:
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इस सभ्यता के पहले दो नगर हैं, जो सबसे पहले खोजे गए।
प्रश्न 8.
किलेबंदी के लिए किस नगर में पत्थर का व्यापक उपयोग किया गया है?
उत्तर:
धौलावीरा (वर्तमान गुजरात) में किलेबंदी और भवनों की नींव में पत्थरों का प्रयोग व्यापक रूप से हुआ।
प्रश्न 9.
हड़प्पा संस्कृति की सड़क निर्माण की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता के नगर सुनियोजित व्यवस्था दर्शाते हैं। नगरों में सड़कें चौड़ी होती थीं, जो चारों दिशाओं की ओर उन्मुख होती थीं।
प्रश्न 10.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता का कौन-सा प्रमुख पुरातात्विक स्थल विश्व धरोहर स्थल है ?
उत्तर:
2021 में धौलावीरा ( गुजरात में ) को युनेस्कों ने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया है।
प्रश्न 11.
हड़प्पा सभ्यता का बंदरगाह कौन-सा है ?
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता का बंदरगाह शहर ‘लोथल ‘ ( गुजरात में ) है। लोथल सिंधु या हड़प्पा सभ्यता का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
प्रश्न 12.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता की लिपि के बारे में क्या विचार हैं?
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती लिपि को सिंधु लिपि या हड़प्पा लिपि कहा जाता है। इस लिपि के प्रतीकों के अर्थ को अभी पढ़ा व समझा जाना बाकी है।
प्रश्न 13.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता में कृषि किस प्रकार की थी?
उत्तर:
सिंधु मैदानों की भूमि काफी उपजाऊ थी। हड़प्पाई दालें और दलहन उगाते थे। इस सभ्यता में बड़े अन्न भंडारों के अवशेष मिले हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
धौलावीरा शहर अन्य हड़प्पा शहरों से किस प्रकार भिन्न था ?
उत्तर:
धौलावीरा हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख पुरातात्विक स्थल है। हड़प्पा शहर दो भागों में विभाजित था किंतु धौलावीरा तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित था । हर भाग के चारों ओर दीवारें व भवनों की नीव पत्थरों की थीं। मध्य नगर के आवासीय स्थान की सड़कें लंबवत थी । धौलावीरा हड़प्पा शहर के खंडहरों और अवशेषों से भरपूर है।
प्रश्न 2.
हड़प्पा मुहरें और मूर्तियाँ हड़प्पाई लोगों की धार्मिक प्रथाओं पर क्या प्रकाश डालती हैं?
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता में काँस्य, पत्थर और टेराकोटा मूर्तियों एवं मुहरों का निर्माण हुआ। सिंधु सभ्यता भागों से ‘मातृदेवी’ की कई टेराकोटा मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। छोटी मूर्ति जिसे ‘पुरोहित राजा’ कहा जाता है, प्राप्त हुई। मुलायम पत्थर स्टीऐटाइट से बनी मुहरें मिली, जिन पर पशुओं के चित्र व लेखन संकेत अंकित हैं। स्वास्तिक दर्शाती हुई मुहर, पशुओं से घिरे त्रिमुखी देवता को दर्शाती मुहरें खोजों में मिली हैं। ये हड़प्पा सभ्यता की शिल्प व तकनीक के साथ-साथ उनकी धार्मिक प्रथाओं पर भी प्रकाश डालती हैं।