सीखो NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 1 Question Answer
सीखो Class 3 Question Answer
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
आपको इस चित्र में क्या-क्या दिखाई दे रहा है?
उत्तर-
सूर्योदय का दृश्य है। चिड़ियाँ आकाश में उड़ रही हैं। फलों से लदे दो पेड़ हैं। एक नदी बह रही है। छात्र इस चित्र में और क्या-क्या देख रहे हैं, उस पर बातचीत करें।
प्रश्न 2.
इनमें से कौन-कौन सी वस्तुएँ आप प्रतिदिन देखते हैं?
उत्तर-
सूर्य, वृक्ष, चिड़ियाँ आदि छात्र अपने अनुभव के आधार पर बताएँ।
प्रश्न 3.
उगते हुए सूरज को देखकर आपके मन में किस प्रकार के भाव आते हैं?
उत्तर-
उगते हुए सूरज को देखकर आपके मन में जो भाव आते हैं, उन्हें बताएँ; जैसे- उगता हुआ सूरज हमें कार्य करने की प्रेरणा देता है। यह हमें स्फूर्ति एवं ताज़गी देता है आदि।
प्रश्न 4.
रंग-बिरंगे फूलों को देखकर आपको कैसा लगता है?
उत्तर-
रंग-बिरंगे फूलों को देखकर तरो-ताज़गी का अहसास होता है। इन्हें देखकर मन में आने वाले भाव छात्र स्वयं बताएँ; जैसे- रंग-बिरंगे फूलों को देखकर मन प्रसन्न होता है, इनके रंग अच्छे लगते हैं आदि।
कविता की बात
प्रश्न 1.
किससे क्या सीखें, मिलान कीजिए-
उत्तर-
प्रश्न 2.
कविता में किससे सीखने की बात आपको सबसे अच्छी लगी?
उसका चित्र बनाइए और नाम लिखिए-
उत्तर-
छात्रों को सूरज, फूल, भँवरा, पेड़ की डाली आदि जिसकी सीख सबसे अच्छी लगी, उसका चित्र बनाकर नाम लिखें। उससे मिली सीख भी लिखिए।
प्रश्न 3.
पढ़िए और बताइए कि यह भाव कविता की किस पंक्ति में आया है-
(क) पेड़ों की झुकी डालियों से हमें यह सीखना है कि हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए।
कविता की पंक्ति-
______________________________________
उत्तर-
पेड़ों की झुकी डालियों से हमें यह सीखना है कि हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए।
कविता की पंक्ति-
तरु की झुकी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना।
(ख) हवा के झोंकों से हमें सीखना है कि हम हमेशा कुछ-न-कुछ काम करते रहें।
कविता की पंक्ति-
______________________________________
उत्तर-
हवा के झोंकों से हमें सीखना है कि हम हमेशा कुछ-न-कुछ काम करते रहें।
कविता की पंक्ति-
सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना।
(ग) नदी-नहर से हमें सीखना है कि जीवन आगे बढ़ने का नाम है और हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।
कविता की पंक्ति-
______________________________________
उत्तर-
नदी-नहर से हमें सीखना है कि जीवन आगे बढ़ने का नाम है और हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।
कविता की पंक्ति-
जलधारा से सीखो आगे जीवन-पथ में बढ़ना।
कविता से आगे
प्रश्न 1.
सूरज से ‘जगना और जगाना’ सीखने की बात कही गई है। हम सूरज से और क्या-क्या सीख सकते हैं? कोई दो बातें लिखिए-
उत्तर-
(क) सूरज से हम नियत समय पर कार्य करने की सीख ले सकते हैं।
(ख) सूरज से हम अंधियारे को दूर करने की सीख ले सकते हैं।
प्रश्न 2.
लता और पेड़ों से एक-दूसरे के साथ प्रेम और सद्भाव की बात सीखने के लिए कहा गया है। इनसे हम और क्या-क्या सीख सकते हैं? कोई दो बातें लिखिए-
उत्तर-
(क) लता और पेड़ों से दूसरों के लिए समर्पण भाव की सीख ली जा सकती है।
(ख) लता एवं पेड़ हमें परोपकार की सीख देते हैं।
प्रश्न 3.
हम सभी में कोई न कोई विशेषता अवश्य होती है। आप अपने सहपाठी की कौन-सी बात सीखना चाहते हैं?
उत्तर-
छात्र स्वयं सोचकर बताएँ कि अपने सहपाठी की कौन-सी अच्छी बात वे सीखना चाहते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
ऊपर दी गई सूची को ध्यान से पढ़िए। इनमें से कोई दो शब्द लेकर वाक्य बनाइए।
उत्तर-
(क) शब्द – पृथ्वी
वाक्य – पृथ्वी पर कई जीव-जंतु रहते हैं।
(ख) शब्द – पथ
वाक्य – कर्तव्य पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए।
निर्देश – छात्र अपने हिसाब से कोई दो शब्द लेकर वाक्य बनाएँ।
प्रश्न 2.
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना। रेखांकित शब्दों के समान कुछ और शब्द बनाइए-
उत्तर-
प्रश्न 3.
‘स’ और ‘प’ वर्ण से प्रारंभ होने वाले शब्दों को कविता से खोजकर लिखिए-
उत्तर-
प्रश्न 4.
तालिका ‘अ’ तथा ‘ब’ में दिए गए शब्दों का उच्चारण कीजिए और इनमें अंतर पहचानिए-
उत्तर-
छात्र उच्चारण द्वारा ‘ड़’ और ‘ढ़’ का अंतर पहचानें।
बूझो तो जानें
प्रश्न 1.
एक फूल, एक फल है भाई।
दोनों मिलकर बने मिठाई।
उत्तर-
गुलाबजामुन
प्रश्न 2.
बिना बाल की पूँछ लिए वह भाग रहा है,
सब सोते, वह रात-रात भर जाग रहा है।
काट-काटकर कागज़, कपड़े खुश होता है,
और धरातल के नीचे घर में सोता है।
उत्तर-
चूहा
आइए मिलकर गाएँ
- आइए, पाठ में पढ़ी गई कविता को हम सब मिलकर गाएँ।
- छात्र कविता को मिल-जुलकर उचित आरोह अवरोह के साथ गाएँ।
Class 3 Hindi Chapter 1 सीखो काव्यांशों की व्याख्या
1. फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना।
सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना।
दूध तथा पानी से सीखो, मिलना और मिलाना।
सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना।
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना।
शब्दार्थ- तरु – पेड़, नित – रोज़, शीश – सिर।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वीणा-1 में संकलित कविता सीखो से ली गई हैं। इसके कवि हैं- श्रीनाथ सिंह। यहाँ कवि ने प्रकृति के विभिन्न उपादानों से सीख लेने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या- कवि कहते हैं कि जिस प्रकार फूल खिलकर अपनी सुगंध से सबके मन को प्रसन्नता से भर देते हैं, उसी प्रकार हमें फूलों से हँसने- मुसकराने की सीख लेकर चारों ओर खुशियाँ बिखेरनी चाहिए । भौंरों से अपनी धुन में मग्न रहकर गुनगुनाने की सीख लेनी चाहिए। जिस प्रकार पेड़ों की डालियाँ फल-फूलों से लदकर झुक जाती हैं, उसी प्रकार हमें भी अपने गुणों का अहंकार नहीं करना चाहिए बल्कि सबसे विनम्र व्यवहार करना चाहिए। जैसे मंद हवा के झोंके सबको भले लगते हैं वैसे ही अपने मन में सबके प्रति कोमल भाव रखना हम हवा के झोंकों से सीखें। दूध और पानी जिस प्रकार मिलकर एकरूप हो जाते हैं, उसी तरह हम भी आपस में मिल-जुलकर रहना सीखें। जिस प्रकार सूरज स्वयं पहले जगकर फिर अपनी किरणें फैलाकर दूसरों को जगाता है, उसी तरह सूरज की किरणों से सीख लेकर पहले हम स्वयं सत्य के मार्ग पर चलना सीखें फिर दूसरों को भी चलने के लिए प्रेरित करें। लता और पेड़ जिस प्रकार आपस में एक-दूसरे को प्रेम से गले लगाकर एक साथ आगे बढ़ते हैं। उनसे सीख लेकर हम भी परस्पर सहयोग करते हुए आगे बढ़ें।
2. दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना।
पृथ्वी से सीखो प्राणी की, सच्ची सेवा करना।
जलधारा से सीखो आगे, जीवन-पथ में बढ़ना।
और धुएँ से सीखो हरदम, ऊँचे ही पर चढ़ना।
शब्दार्थ- जलधारा – बहता पानी, पथ – रास्ता, हरदम – हमेशा।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वीणा-1 में संकलित कविता सीखो से ली गई हैं। इसके कवि हैं- श्रीनाथ सिंह। यहाँ कवि ने प्रकृति के विभिन्न उपादानों से सीख लेने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या- कवि कहते हैं कि जिस प्रकार दीपक जलाने से अँधेरा मिट जाता है, उससे सीख लेकर हम भी ज्ञान का प्रकाश फैलाकर अज्ञानता का अंधकार मिटा दें। पृथ्वी सरदी गरमी, वर्षा सहकर भी अपनी फसलों, फल, फूलों, अनाजों द्वारा मनुष्यों का पोषण करती है, उससे सीख लेकर हम भी कठिनाइयों की परवाह न करते हुए मानवता के सच्चे सेवक बनें। अनेक रोड़े-पत्थर मार्ग में होते हुए भी जलधारा हमेशा आगे ही बढ़ती है। हम भी लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में बाधाएँ ने पर भी सदा आगे बढ़ने की सीख जल की धारा से लें। जैसे धुआँ हमेशा ऊपर ही उठता है वैसे ही हम भी ऐसे कार्य करें कि सदा सफलता की ऊँचाइयों को छुएँ।
Class 3 Hindi Chapter 1 सीखो पाठ का सारांश
श्रीनाथ सिंह द्वारा लिखी गई इस कविता में बताया गया है कि प्रकृति के विभिन्न उपादान हमें कुछ-न-कुछ सिखाते हैं। इनसे सीख लेकर हम गुणवान बनेंगे तथा जीवन में उन्नति करेंगे।