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NCERT Class 12 Geography Chapter 2 Solutions in Hindi विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि
पृष्ठ संख्या – 8
प्रश्न 1.
लोग कुछ निश्चित प्रदेशों में क्यों रहना चाहते हैं और अन्य प्रदेशों में क्यों नहीं?
उत्तर:
विश्व में धरातल के कुछ प्रदेशों की जलवायु तथा रहने की अन्य परिस्थितियाँ दूसरे प्रदेशों की में ‘तुलना अधिक उपयुक्त होती हैं। अतः जिन प्रदेशों में मानवीय निवास के लिए उपयुक्त भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक मिलते हैं, वहाँ लोग रहना पसन्द करते हैं। इसके विपरीत जिन प्रदेशों में इन कारकों की प्रतिकूलता मिलती है, वहाँ पर लोग रहना पसन्द नहीं करते।
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प्रश्न 2.
फिर भी नगरीय जीवन अत्यन्त कष्टदायक नगरीय जीवन के कुछ कष्टदायक हो सकता है पक्षों को सोचिये।
उत्तर:
यद्यपि नगरों में उत्तम नगरीय सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, फिर भी नगरीय जीवन अत्यन्त कष्टदायक हो सकता है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
- वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं जल प्रदूषण की. समस्या।
- स्थलीय परिवहन मार्गों पर भीड़-भाड़ एवं ट्रैफिक जाम की समस्या।
- रहन-सहन एवं खाने-पीने पर होने वाला अधिक व्यय।
- शीतकाल में धूम्र कोहरे की समस्या।
- गन्दी बस्तियों की समस्या आदि।
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प्रश्न 3.
क्या आप सोच सकते हैं कि लोग किन कारणों से प्रवास करते हैं?
उत्तर:
सामान्यतया लोग बेहतर आर्थिक और सामाजिक जीवन के लिए प्रवास करते हैं। प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों के दो समूह हैं, यथा –
अपकर्षक कारक- यह स्वैच्छिक प्रवास है। इसके अन्तर्गत लोग नगरों की सुविधाओं, आजीविका के बड़े साधनों से प्रेरित होकर प्रवास करते हैं। प्रतिकर्षक कारक-यह प्रवास विपरीत परिस्थितियों में विवश होकर किया जाता है। इस स्थिति में उद्गम स्थान पर गरीबी, भुखमरी अथवा बेरोजगारी के होने की दशा में विवशता के कारण प्रवास किया जाता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-
(i) निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि सर्वाधिक है?
(अ) अफ्रीका
(ब) एशिया
(स) दक्षिण अमेरिका
(द) उत्तर अमेरिका।
उत्तर:
(अ) अफ्रीका
(ii) निम्नलिखित में से कौनसा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
(अ) अटाकामा
(स) दक्षिण-पूर्वी एशिया
(द) ध्रुवीय प्रदेश ।
(ब) भूमध्यरेखीय प्रदेश
उत्तर:
(स) दक्षिण-पूर्वी एशिया
(iii) निम्नलिखित में से कौनसा एक प्रतिकर्ष कारक नहीं है ?
(अ) जलाभाव
(ब) बेरोजगारी
(स) चिकित्सा / शैक्षणिक सुविधाएँ
(द) महामारियाँ।
उत्तर:
(स) चिकित्सा / शैक्षणिक सुविधाएँ
(iv) निम्नलिखित में से कौनसा एक तथ्य सही नहीं है ?
(अ) विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुणा से अधिक बढ़ी है।
(ब) विश्व जनसंख्या में प्रतिवर्ष 8 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं।
(स) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।
(द) जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में जनसंख्या वृद्धि उच्च होती है।
उत्तर:
(स) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले तीन भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) जल की उपलब्धता- जल जीवन का महत्त्वपूर्ण कारक होने के कारण नदी घाटियाँ विश्व के सबसे सघन क्षेत्र हैं।
(2) भू-आकृति – पर्वतीय तथा पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में समतल और मंद ढालों पर अधिक जनसंख्या पाई जाती है।
(3) जलवायु सुविधाजनक जलवायु वाले क्षेत्र जिनमें अधिक मौसमी परिवर्तन नहीं होते, अधिक लोगों को आकर्षित करते हैं।
(ii) विश्व में उच्च जनसंख्या घनत्व वाले अनेक क्षेत्र हैं। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
विश्व में जनसंख्या के वितरण को मुख्यतः भौगोलिक, आर्थिक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक कारक प्रभावित करते हैं। अतः जिन क्षेत्रों में इन कारकों की अनुकूलता होती है, वहाँ जनसंख्या का सघन बसाव पाया जाता है।
(iii) जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक कौनसे हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक जन्म-दर, मृत्यु-दर और प्रवास हैं।
प्रश्न 3.
अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) जन्म दर और मृत्यु-दर
उत्तर:
एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या पर जीवित जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या जन्म दर कहलाती है। जबकि एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या पर मरने वाले व्यक्तियों की संख्या मृत्यु दर कहलाती है।
(ii) प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक।
उत्तर:
प्रतिकर्ष कारक –
- प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों में वे सभी कारक सम्मिलित होते हैं, जो किसी व्यक्ति को अपना मूल स्थान छोड़ने के लिए बाध्य करते हैं या प्रोत्साहित करते हैं।
- बेरोजगारी, रहन – सहन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएँ, महामारियाँ तथा सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन प्रवास के प्रतिकर्ष कारक होते हैं।
अपकर्ष कारक –
- अपकर्ष कारकों में वे कारक सम्मिलित होते हैं, जो किसी व्यक्ति को उद्गम स्थान की तुलना में गंतव्य स्थान पर बसने के लिए अधिक आकर्षित करते हैं।
- काम के बेहतर अवसर और रहन-सहन की अच्छी दशाएँ, शान्ति व स्थायित्व, जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा तथा अनुकूल जलवायु प्रवास के महत्त्वपूर्ण अपकर्ष कारक होते हैं ।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) विश्व में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विश्व में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक –
1. भौगोलिक कारक – विश्व में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैं-
(i) जल की उपलब्धता – जल जीवन का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कारक है। अतः लोग उन क्षेत्रों में बसने को प्राथमिकता देते हैं जहाँ जल आसानीपूर्वक उपलब्ध हो जाता है।
(ii) भू-आकृति – लोग समतल मैदानों और मंद ढालों पर बसने को वरीयता देते हैं क्योंकि ऐसे क्षेत्र फसलों के उत्पादन, सड़क निर्माण और उद्योगों के लिए अनुकूल होते हैँ।
(iii) जलवायु – मृदुल जलवायु दशाएँ रखने वाले क्षेत्र, जिनमें अधिक मौसमी परिवर्तन नहीं होते हैं, सघन रूप से बसे मिलते हैं।
(iv) मृदाएँ- हूँ- उपजाऊ मृदाएँ कृषि तथा इनसे सम्बन्धित क्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इसी कारण नदी घाटियों की जलोढ़ मिट्टी के क्षेत्रों एवं डेल्टाई भागों तथा उपजाऊ काली मिट्टी के क्षेत्रों में सघन जनसंख्या का जमाव पाया जाता है जबकि कम उपजाऊ मिट्टी रखने वाले क्षेत्रों में विरल जनसंख्या पाई जाती है।
2. आर्थिक कारक – जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारक निम्नलिखित हैं-
(i) खनिज – खनिज निक्षेपों से युक्त क्षेत्र उद्योगों की स्थापना को आकर्षित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक हैं। ऐसे क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या पाई जाती है।
(ii) नगरीकरण – नगर रोजगार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाएँ तथा परिवहन और संचार के बेहतर साधन प्रस्तुत करते हैं। अत: ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास होता है तथा नगरों का आकार बढ़ जाता है।
(iii) औद्योगीकरण – औद्योगिक पेटियाँ रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाती हैं तथा बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करती हैं। इनमें केवल कारखानों के श्रमिक ही नहीं होते हैं, अपितु परिवहन परिचालक, दुकानदार, बैंककर्मी, डॉक्टर, अध्यापक तथा अन्य सेवाएँ उपलब्ध करवाने वाले भी होते हैं। यथा – जापान का कोबे ओसाका प्रदेश अनेक उद्योगों की स्थापना होने के कारण सघन बसा हुआ है।
3. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक – विश्व में कुछ स्थान धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्त्व के कारण अधिक संख्या में लोगों को आकर्षित करते हैं। ठीक इसी प्रकार लोग उन क्षेत्रों को छोड़कर चले जाते हैं जहाँ सामाजिक और राजनीतिक अशान्ति का वातावरण होता है। अनेक बार सरकारें लोगों को विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बसने अथवा भीड़- भाड़ वाले स्थानों से चले जाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
4. ऐतिहासिक कारक – अनेक बार ऐतिहासिक महत्त्व के स्थल भी जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। गंगा के मैदान, सिन्धु के मैदान तथा चीन में प्राचीन सभ्यता के अनेक केन्द्रों में जनसंख्या अधिक पाई जाती है। नील नदी घाटी में जनसंख्या का अधिक घनत्व ऐतिहासिक कारणों से ही है।
(ii) जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धान्तजनांकिकीय संक्रमण सिद्धान्त का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जाता है। इस सिद्धान्त के द्वारा ज्ञात होता है कि जैसे ही समाज ग्रामीण, खेतिहर और अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय, औद्योगिक और साक्षर बनता है तो किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म और उच्च मृत्यु से निम्न जन्म व निम्न मृत्यु में परिवर्तित होती है। ये परिवर्तन अवस्थाओं में होते हैं जिनको सामूहिक रूप से जनांकिकीय चक्र के रूप में जाना जाता है।
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धान्त की अवस्थाएँ – जनांकिकीय संक्रमण सिद्धान्त की तीन अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं-
1. प्रथम अवस्था – जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में उच्च प्रजननशीलता और उच्च मर्त्यता अर्थात् उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु-दर होती है; क्योंकि लोग महामारियों और भोजन की अनिश्चित आपूर्ति से होने वाली मृत्युओं की क्षतिपूर्ति अधिक पुनरुत्पादन से करते हैं। जनसंख्या वृद्धि धीमी होती है तथा अधिकांश व्यक्ति कृषि में कार्यशील रहते हैं। जहाँ बड़े परिवारों को परिसम्पत्ति माना जाता है। जीवन प्रत्याशा निम्न होती है, अधिकांश जनसंख्या अशिक्षित होती है तथा उनका प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होता है। 200 वर्ष पूर्व विश्व के सभी देश इसी अवस्था में थे।
2. द्वितीय अवस्था – द्वितीय अवस्था में प्रारम्भ में. प्रजननशीलता अर्थात् जन्म दर ऊँची बनी रहती है; किन्तु समय के साथ यह घटती जाती है। यह अवस्था घटी हुई मृत्यु दर के साथ आती है। स्वास्थ्य सम्बन्धी दशाओं व स्वच्छता में सुधार के कारण मृत्यु दर में कमी आती है। इस अन्तर के कारण जनसंख्या में होने वाला शुद्ध योग उच्च होता है।
3. अन्तिम अवस्था – अन्तिम अवस्था में जन्म-दर और मृत्यु दर दोनों ही घट जाती हैं। जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती है या मंद गति से बढ़ती है। जनसंख्या नगरीय और शिक्षित हो जाती है तथा उसके पास तकनीकी ज्ञान की उपलब्धता होती है। इस प्रकार की जनसंख्या विचारपूर्वक परिवार के आकार को नियन्त्रित करती है। अतः इन अवस्थाओं से स्पष्ट होता है कि मनुष्य जाति अत्यधिक नम्य है और अपनी प्रजननशीलता को समायोजित करने की योग्यता रखती है। वर्तमान समय में विभिन्न देश जनांकिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्थाओं में हैं।