Well-organized Class 12 Geography Notes in Hindi and Class 12 Geography Chapter 10 Notes in Hindi मानव बस्ती can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 12 Chapter 10 Notes in Hindi मानव बस्ती
एक स्थान जो कि साधारणतया स्थायी रूप से बसा हुआ उसे मानव बस्ती कहते हैं। मकानों का स्वरूप बदला जा सकता है, उनके कार्य बदले जा सकते हैं किन्तु बस्तियाँ समय एवं स्थान के साथ लगातार बसती रहेंगी।
→ बस्तियों का वर्गीकरण:
बस्तियों में भेद नगरीय व ग्रामीण आधार पर होता है। यद्यपि जनसंख्या इसका एक मापदण्ड हो सकती है लेकिन यह सर्वव्यापी मापदण्ड नहीं है। भारत व चीन में अनेक गाँव यूरोप व अमेरिका के शहरों से बड़े हैं।
→ उपनगरीकरण:
यह एक नवीन प्रवृत्ति है जिसमें मनुष्य शहर के घने बसे क्षेत्रों से हटकर रहन-सहन की अच्छी गुणवत्ता की खोज में शहर के बाहर स्वच्छ एवं खुले क्षेत्रों में जा रहे हैं।
बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप –
- संहत बस्ती – इस प्रकार की बस्तियाँ वे होती हैं जिनमें मकान एक-दूसरे के समीप बनाए जाते हैं।
- प्रकीर्ण बस्ती इस बस्तियों में मकान दूर-दूर होते हैं तथा प्राय: खेतों के द्वारा एक-दूसरे से अलग होते हैं।
→ ग्रामीण बस्ती – ग्रामीण बस्ती अधिक निकटता से अथवा प्रत्यक्ष रूप से भूमि से निकट सम्बन्ध रखती हैं। यहाँ के निवासी अधिकतर प्राथमिक गतिविधियों में लगे होते हैं।
→ ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले कारक:
- जल आपूर्ति – साधारणतया ग्रामीण बस्तियाँ जल स्रोतों या जल-राशियों जैसे नदियाँ, झीलों एवं झरनों इत्यादि के समीप स्थित होती हैं जहाँ जल आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
- भूमि – मनुष्य बसने के लिए उस जगह का चुनाव करता है जहाँ की भूमि कृषि कार्य के लिए उपयुक्त व उपजाऊ हो। यूरोप में दलदली क्षेत्र एवं निचले क्षेत्र में बस्तियाँ नहीं बसाई जाती हैं।
- उच्च भूमि के क्षेत्र – मानव ने अपने अधिवास हेतु ऊँचे क्षेत्रों को इसलिए चुना कि वहाँ पर बाढ़ के समय होने वाली क्षति से बचा जा सके एवं मानव व जीवन सुरक्षित रह सके।
- गृह निर्माण सामग्री – मानव बस्तियों के विकसित होने में गृह निर्माण सामग्री की उपलब्धता भी एक बड़ा कारक होती है। जहाँ आसानी से लकड़ी, पत्थर आदि प्राप्त हो जाते हैं मनुष्य वहीं अपनी बस्तियाँ बसाता है।
- सुरक्षा – राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध या पड़ौसी समूहों के उपद्रवी होने की स्थिति में गाँवों को सुरक्षात्मक पहाड़ियों एवं द्वीपों पर बसाया जाता था।
→ नियोजित बस्तियाँ:
ग्रामवासियों द्वारा स्वतः जिन बस्तियों की स्थिति का चयन नहीं किया जाता, सरकार अधिगृहीत की गई ऐसी भूमि पर निवासियों को सभी प्रकार की सुविधाएँ यथा आवास, पानी तथा अवसंरचना आदि उपलब्ध करवा कर बस्तियों को विकसित करती है।
→ ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप :
ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण अनेक मापदण्डों के आधार पर किया जा सकता है, यथा –
- विन्यास के आधार पर मैदानी ग्राम पठारी ग्राम तथा तटीय ग्राम आदि।
- कार्य के आधार पर – कृषि ग्राम, मछुआरों के ग्राम पशुपालक ग्राम आदि।
- बस्तियों की आकृति के आधार पर इसमें अनेक प्रकार की ज्यामितिक आकृतियाँ हो सकती हैं, यथा- रेखीय आयाताकार, वृत्ताकार आदि।
आकृति के आधार पर बस्तियों के निम्नलिखित प्रतिरूप होते हैं –
- रैखिक प्रतिरूप
- आयताकार प्रतिरूप
- वृत्ताकार प्रतिरूप
- तारे के आकार का प्रतिरूप
- टी- आकार, वाई आकार व क्रास आकार प्रतिरूप
- दोहरे ग्राम।
→ ग्रामीण बस्तियों की समस्याएँ:
विकासशील देशों की ग्रामीण बस्तियों में जल की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। यहाँ के निवासी जलजनित बीमारियों यथा- हैजा, पीलिया आदि से ग्रस्त रहते हैं। शौचघर व कूड़ा-कचरा निस्तारण की सुविधाएँ नगण्य हैं। कच्ची सड़क एवं आधुनिक संचार के साधनों की कमी भी यहाँ की प्रमुख समस्या है।
→ नगरीय बस्तियाँ:
तीव्र नगरीय विकास एक नूतन परिघटना है। कुछ समय पूर्व तक बहुत ही कम बस्तियाँ कुछ हजार से अधिक निवासियों वाली थीं। वर्तमान समय में 54 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में निवास करती है।
→ नगरीय बस्तियों का वर्गीकरण:
नगरीय बस्तियों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है –
- जनसंख्या का आकार
- प्रशासन
- नगरीय क्षेत्रों के कार्य
- व्यापारिक एवं व्यावसायिक नगर
- व्यावसायिक संरचना
- स्थिति
- प्रशासनिक नगर
- सांस्कृतिक नगर।
आकृति के आधार पर नगरों का वर्गीकरण- एक नगरीय बस्ती रेखीय वर्गाकार, तारे के आकार की या अर्द्धचन्द्राकार हो सकती है।
→ नगरीय बस्तियों के प्रकार:
नगरीय बस्ती अपने आकार, उपलब्ध सुविधाओं एवं उनके द्वारा सम्पन्न किए जाने वाले कार्यों के आधार पर निम्नलिखित नामों से जानी जाती है-
- नगर
- मिलियन सिटी।
- शहर
- विश्वनगरी
- सन्नगर
→ मेगासिटी का वितरण:
एक मेगासिटी शब्दावली उन नगरों के लिए प्रयुक्त की जाती है जिनकी जनसंख्या मुख्य नगर व उपनगरों को मिलाकर एक करोड़ से अधिक होती है। विकासशील देशों में मानव बस्तियों की समस्याएँ विकासशील देशों में मानव बस्तियों की प्रमुख समस्याओं में अवहनीय जनसंख्या का केन्द्रीकरण, छोटे व तंग आवास एवं गलियाँ, पीने योग्य जल की कमी, बिजली, गन्दे पानी की निकासी, स्वास्थ्य व शिक्षा आदि सुविधाओं की कमी होती है।
→ नगरीय बस्तियों की समस्याएँ:
विकासशील देशों के आधुनिक शहरों में आवासों की कमी, लम्बवत विस्तार (बहुमंजिला मकान ) तथा गंदी बस्तियों की वृद्धि प्रमुख समस्याएँ हैं।
→ आर्थिक समस्याएँ:
विश्व के विकासशील देशों में ग्रामीण व छोटे नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के घटते अवसरों के कारण जनसंख्या का शहरों की तरफ पलायन हो रहा है। यह विशाल प्रवासी जनसंख्या नगरीय क्षेत्रों, अकुशल एवं अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि कर देती है।
→ सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ:
विकासशील देशों में शहर विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से ग्रसित हैं उपलब्ध स्वास्थ्य एवं शिक्षा सम्बन्धी सुविधाएँ गरीब नगरवासियों की पहुँच से बाहर रहती हैं।
→ पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ:
विकासशील देशों के अनेक शहरों में पीने योग्य पानी की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति तथा घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना अति कठिन होता है। घरेलू एवं औद्योगिक कार्यों के लिए परम्परागत ईंधन के व्यापक उपयोग के कारण वायु प्रदूषित हो जाती है। घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्ट को सामान्य मल व्यवस्था में डाल दिया जाता है। अतः नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय आवश्यकताओं को सन्तुलित करके उनके अनुपूरक योगदान तथा सम्पर्कों का पूरा- पूरा लाभ उठाना चाहिए।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- नगरीकरण- छोटे ग्रामीण अथवा कृषि समुदायों अथवा गाँवों से बड़े शहरों में सरकार, व्यापार, परिवहन और विनिर्माण जैसे विभिन्न क्रिया-कलापों में रोजगार पाने के लिए लोगों का सामान्य गमनागमन यह कस्बों और नगरों में कुल जनसंख्या के बढ़ते हुए अनुपात के सान्द्रण को भी इंगित करता है।
- महानगर – एक बहुत विशाल नगर अथवा देश के किसी जिले में जनसंख्या का संकुलन जो कि प्रशासन, वाणिज्य अथाव उद्योगों जैसी किसी क्रिया का स्थान अथवा मुख्य केन्द्र होता है। यह सामान्यतः एक विशाल पश्च प्रदेश होता है।
- बस्तियाँ मानव अधिवास जिसमें एक से अधिक मकान हों।
- स्थल – किसी नगर अथवा भवन बस्ती द्वारा अधिकृत वास्तविक भूमि क्षेत्र।
- संहत बस्तियाँ ऐसी बस्तियाँ, जिनमें मकान एक-दूसरे के समीप स्थापित होते हैं।
- प्रकीर्ण बस्तियाँ – ऐसी बस्ती, जिसमें मकान एक-दूसरे से दूर स्थापित होते हैं।
- मलिन बस्ती – एक घना बसा नगरीय आवास क्षेत्र जिसमें अस्वच्छ घर होते हैं।
- अनधिकृत बस्ती – एक नगरीय क्षेत्र का आवासीय भाग जिसमें अत्यन्त निर्धन लोग किसी खाली जमीन पर घर बनाकर बस जाते हैं।
- औद्योगिक नगर – वह नगर जिनका विकास उद्योगों की स्थापना के कारण होता है।
- प्रतिरक्षा नगर- वह नगर जो कि सैनिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं।
- व्यापारिक नगर – वह नगर जो कि पहले व्यापार के केन्द्र थे और आज भी उनका व्यापारिक महत्त्व है।
- तारक बस्तियाँ – वे बस्तियाँ जिनका प्रतिरूप तारे के समान दिखलाई देता है।