Understanding the question and answering patterns through Class 12 Geography Question Answer in Hindi Chapter 1 मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र will prepare you exam-ready.
Class 12 Geography Chapter 1 in Hindi Question Answer मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
रुको और जाओ निश्चयवाद की संकल्पना के प्रतिपादक विद्वान का नाम है –
(अ) रैटजेल
(स) हंटिंगटन
(ब) ब्लॉश
(द) ग्रिफिथ टेलर।
उत्तर:
(द) ग्रिफिथ टेलर।
प्रश्न 2.
उत्तर उपनिवेश युग में निम्न से जिस उपागम का मानव भूगोल में प्रयोग किया गया, वह है –
(अ) क्षेत्रीय विभेदन
(ब) स्थानिक संगठन
(स) प्रादेशिक विश्लेषण
(द) मानवतावादी विचारधारा का उदय।
उत्तर:
(स) प्रादेशिक विश्लेषण
प्रश्न 3.
निम्न में से कौनसे विषय को ज्ञान की जननी के नाम से जाना जाता है –
(अ) भूगोल
(स) राजनीतिशास्त्र
(ब) समाजशास्त्र
(द) अर्थशास्त्र।
उत्तर:
(अ) भूगोल
प्रश्न 4.
निम्न में से वह कौनसी विचारधारा है जिसमें निर्धनता के कारण, बन्धन और सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए मार्क्स के सिद्धान्त का उपयोग किया –
(अ) कल्याणपरक विचारधारा
(ब) मानवतावादी विचारधारा
(स) आमूलवादी विचारधारा
(द) व्यवहारवादी विचारधारा।
उत्तर:
(स) आमूलवादी विचारधारा
प्रश्न 5.
मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं के उदय की समयावधि है-
(अ) 1990 का दशक
(ब) उत्तर उपनिवेश युग
(स) 1970 का दशक
(द) अन्तर – युद्ध अवधि के बीच 1930 का दशक।
उत्तर:
(स) 1970 का दशक
प्रश्न 6.
निम्न में से जिस भूगोलवेत्ता की परिभाषा में सम्बन्धों की गत्यात्मकता मुख्य शब्द है, वह है –
(अ) रैटजेल
(ब) बिडाल – डी-ला- ब्लॉश
(स) सेम्पुल
(द) हंटिंगटन।
उत्तर:
(स) सेम्पुल
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व के सुदूर प्रदेश में रह रहे अपने रिश्तेदार से तत्काल सम्पर्क हेतु साधन सुझाइये ।
उत्तर:
मोबाइल ( सेलफोन) साइबर स्पेश, इन्टरनेट, टेलीफोन आदि से तत्काल सम्पर्क हो सकता है।
प्रश्न 2.
सामाजिक भूगोल के कोई दो उप-क्षेत्रों के नाम लिखिये ।
उत्तर:
सामाजिक भूगोल के दो उपक्षेत्र –
- व्यवहारवादी भूगोल
- सामाजिक कल्याण का भूगोल।
प्रश्न 3.
” मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” मानव भूगोल को इस प्रकार परिभाषित करने वाला भूगोलवेत्ता कौन है ?
उत्तर:
एलन सी. सेंपल।
प्रश्न 4.
एलन सी. सेंपल के अनुसार मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एलन सी. सेंपल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है । ”
प्रश्न 5.
पर्यावरणीय निश्चयवाद और सम्भववाद के बीच मध्य मार्ग को कौनसी संकल्पना परिलक्षित करती है ? इस संकल्पना का प्रतिपादन किसने किया था ?
उत्तर:
नवनिश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद संकल्पना । इसका प्रतिपादन ग्रिफिथ टेलर ने किया था।
प्रश्न 6.
राजनीतिक भूगोल के दो उपक्षेत्र कौनसे हैं ?
उत्तर:
राजनीतिक भूगोल के दो उपक्षेत्र निर्वाचन भूगोल एवं सैन्य भूगोल हैं।
प्रश्न 7.
भूगोल किन दो शब्दों के सुमेल से बना है?
उत्तर:
भूगोल यूनानी भाषा के दो शब्दों जिओ (Geo) तथा ग्राफे (Graphe) से बना है।
प्रश्न 8.
पृथ्वी के दो प्रमुख घटक बताइए।
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण पृथ्वी के दो प्रमुख घटक हैं।
प्रश्न 9.
मनुष्य भौतिक पर्यावरण से किस प्रकार क्रिया करता है?
उत्तर:
मनुष्य अपनी प्रौद्योगिकी की सहायता से अपने भौतिक पर्यावरण से अन्योन्य क्रिया करता है।
प्रश्न 10.
किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर का सूचक क्या होती है?
उत्तर?:
प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर का सूचक होती है।
प्रश्न 11.
सांस्कृतिक भू-दृश्यों की रचना किस प्रकार होती है?
उत्तर:
मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भू-दृश्यों की रचना करती हैं।
प्रश्न 12.
रैटजेल के द्वारा दी गई मानव भूगोल की परिभाषा में किस पर जोर दिया गया है?
उत्तर:
रैटजेल द्वारा प्रस्तुत मानव भूगोल की परिभाषा में संश्लेषण पर अधिक जोर दिया गया है।
प्रश्न 13.
ग्रिफिथ टेलर ने मानव व पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों को किस विचारधारा द्वारा समझाया है ?
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर ने मानव व पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों को नव निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद की विचारधारा द्वारा समझाया है।
प्रश्न 14.
नव – निश्चयवाद क्या है?
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर की इस विचारधारा के अनुसार, “प्राकृतिक नियमों का अनुपालन कर मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है।”
प्रश्न 15.
मानव भूगोल में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
मानव भूगोल में वातावरण तथा मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 16.
भौतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्वों के नाम बताइये ।
उत्तर:
भू-आकृति, मृदाएँ, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति, विविध प्राणिजात तथा वनस्पतिजात आदि भौतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्व हैं।
प्रश्न 17.
सांस्कृतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्वों के नाम बताइये ।
उत्तर:
गृह, गाँव, नगर, रेल व सड़कों का जाल, उद्योग, खेत, बन्दरगाह आदि सांस्कृतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्व हैं।
प्रश्न 18.
उपनिवेश युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया ?
उत्तर:
आरम्भिक उपनिवेश युग में अन्वेषण और विवरण तथा उत्तर उपनिवेश युग में प्रादेशिक विश्लेषण उपागम का प्रयोग किया गया।
प्रश्न 19.
1970 के दशक में कौन-कौनसी विचारधाराओं का उदय हुआ?
उत्तर:
1970 के दशक में मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय हुआ।
प्रश्न 20.
1930 से 1960 के दशकों में मानव भूगोल में कौन-कौनसे उपागम प्रयोग में लाए गए ?
उत्तर:
1930 से 1960 के दशकों में मानव भूगोल में क्षेत्रीय विभेदन तथा स्थानिक संगठन उपागमों का प्रयोग किया गया।
प्रश्न 21.
मानव एवं वातावरण के मध्य कटुता कब उत्पन्न हुई?
उत्तर:
मानव एवं वातावरण के मध्य कटुता औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् उत्पन्न हुई।
प्रश्न 22.
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में पहला पक्ष कौनसा होता है?
उत्तर:
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में पहला पक्ष जनसंख्या एवं उससे सम्बन्धित विभिन्न पहलू हैं ।
प्रश्न 23.
अनुकूलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब मानव वातावरण के अनुसार स्वयं अपने आपको परिवर्तित करके क्रियाशील होता है, तो वह स्थिति अनुकूलन कहलाती है।
प्रश्न 22.
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में पहला पंक्ष कौनसा होता है?
उत्तर:
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में पहला पक्ष जनसंख्या एवं उससे सम्बन्धित विभिन्न पहलू हैं 1
प्रश्न 23.
अनुकूलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब मानव वातावरण के अनुसार स्वयं अपने आपको परिवर्तित करके क्रियाशील होता है, तो वह स्थिति अनुकूलन कहलाती है।
प्रश्न 24.
मानव भूगोल की कल्याणपरक अथवा मानवतावादी विचारधारा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस विचारधारा का सम्बन्ध मुख्यतः लोगों के सामाजिक कल्याण के विभिन्न पक्षों से है। इनमें आवासन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे पक्ष भी शामिल हैं।
प्रश्न 25.
मानव भूगोल की आमूलवादी विचारधारा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आमूलवादी विचारधारा में निर्धनता के कारण बन्धन और सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए मार्क्स के सिद्धान्त का उपयोग किया गया।
प्रश्न 26.
विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा चली गई मुक्त चाल से हुए प्रमुख दुष्प्रभावों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
- हरित गृह प्रभाव
- ओजोन परत अवक्षय
- भूमंडलीय तापन
- पीछे हटती हिमनदियाँ
- निम्नीकृत भूमियाँ।
प्रश्न 27.
आर्थिक भूगोल के कोई दो उपक्षेत्रों के नाम लिखिए
उत्तर:
आर्थिक भूगोल के दो उपक्षेत्र –
- संसाधन भूगोल
- कृषि भूगोल।
प्रश्न 28.
प्रकृति और मानव के बीच वैध द्वैधता नहीं है। कैसे?
उत्तर:
क्योंकि प्रकृति और मानव अविभाज्य तत्त्व हैं और इन्हें समग्रता में ही देखा जाना चाहिए।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आर्थिक भूगोल के उपक्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक भूगोल के उपक्षेत्र हैं –
- संसाधन भूगोल
- कृषि भूगोल
- उद्योग भूगोल
- पर्यटन भूगोल।
- विपणन भूगोल
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल
प्रश्न 2.
कुमारी एलन सैम्पल द्वारा मानव भूगोल की दी गई परिभाषा के तीन मूल बिन्दु कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
कुमारी एलन सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
इसके तीन मूल बिन्दु निम्नलिखित हैं, यथा –
- सैम्पल ने अपनी परिभाषा में पृथ्वी को अस्थिर अर्थात् परिवर्तनशील अवस्था में माना है।
- सैम्पल ने मानव को क्रियाशील माना है। मानव का वर्तमान रूप उसके आदिम रूप से सर्वथा भिन्न है, जिसका कारण उसकी क्रियाशीलता ही है।
- सैम्पल के अनुसार पृथ्वी तथा मानव के बीच सम्बन्ध परिवर्तनशील हैं।
प्रश्न 3.
मानव भूगोल में सम्भववाद उपागम की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
सम्भववाद उपागम की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –
- मानव अपने वातावरण में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकता है। वह प्रकृति को संशोधित ही नहीं वरन् परिवर्तित भी करता है।
- प्रकृति पर विजय प्राप्त करना सम्भव है।
- प्रकृति अवसर प्रदान करती है तथा मानव इनका उपयोग करता है।
- धीरे-धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है तथा प्रकृति पर मानव प्रयासों की छाप पड़ने लगती है।
प्रश्न 4.
मानव भूगोल के छः प्रमुख उपागम बताइये।
उत्तर:
मानव भूगोल के छ: प्रमुख उपागम निम्नलिखित हैं-
- अन्वेषण और विवरण
- प्रादेशिक विश्लेषण
- क्षेत्रीय विभेदन
- स्थानिक संगठन
- मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय
- उत्तर आधुनिकवाद ।
प्रश्न 5.
मानव का प्राकृतीकरण का संक्षेप में चार बिन्दुओं में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- अनेक आदिम समाज आर्थिक दृष्टि से, प्रकृति से प्रत्यक्ष सम्बन्ध बनाये हुए हैं।
- आदिम लोग यह अनुभव करते थे कि प्रकृति एक शक्तिशाली बल, पूज्य, सत्कार योग्य है तथा इसे संरक्षित रखा जाये।
- सतत् पोषण हेतु मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों तथा मूल आवश्यकताओं के लिए प्रकृति पर निर्भर है।
- समाज के लिए भौतिक पर्यावरण माता प्रकृति ! का रूप धारण करता है।
प्रश्न 6.
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल में अन्तर्र बताइए ।
उत्तर:
भौतिक भूगोल में वस्तुतः भौतिक पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है, जबकि मानव भूगोल में भौतिक/ प्राकृतिक एवं मानवीय जगत के बीच सम्बन्ध, मानवीय परिघटनाओं का स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारण एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 7.
प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए प्रकृति का ज्ञान महत्त्वपूर्ण है। कोई तीन उदाहरणों द्वारा ‘स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया। यह नियम उदाहरणों से स्पष्ट है-
- घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारी सहायता की।
- डी.एन.ए. और आनुवांशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
- अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 8.
सामाजिक भूगोल की प्रमुख उप-शाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
सामाजिक भूगोल की प्रमुख उप – शाखाएँ या उपक्षेत्र निम्नांकित प्रकार से हैं –
- व्यवहारवादी भूगोल
- सामाजिक कल्याण का भूगोल
- सांस्कृतिक भूगोल
- ऐतिहासिक भूगोल
- अवकाश का भूगोल
- लिंग भूगोल
- चिकित्सा भूगोल।
प्रश्न 9.
1970 के दशक में मानव भूगोल में आए परिवर्तन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1970 के दशक में मात्रात्मक क्रान्ति से उत्पन्न असंतुष्टि और अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते मानव भूगोल में तीन नई विचारधाराओं मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का जन्म हुआ। इन विचारधाराओं के अभ्युदय से मानव भूगोल सामाजिक- राजनीतिक यथार्थ के प्रति अधिक प्रासंगिक बन गया।
प्रश्न 10.
“प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। प्रौद्योगिक विकास से सांस्कृतिक विकास होता है। प्रौद्योगिकी मनुष्य पर पर्यावरण की बंदिशों को कम रहती है। आरम्भिक अवस्थाओं में जब प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यन्त निम्न था तो मानव के सामाजिक – सांस्कृतिक विकास की अवस्था भी आदिम थी। वर्तमान में सक्षम प्रौद्योगिकी के कारण समाज के सांस्कृतिक विकास का स्तर उच्च है। मानवीय क्रियाओं की छाप सर्वत्र देखी जा सकती है।
प्रश्न 11.
मानव भूगोल की प्रकृति बताइये।
उत्तर:
मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानवजनित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्य क्रिया के द्वारा करता है। भू-आकृति, मुद्राएँ, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति, विविध प्राणिजात तथा वनस्पति – जात आदि भौतिक वातावरण के तत्त्व हैं। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहत् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक भू-दृश्यों (पर्यावरण) का निर्माण करता है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ, भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्व सांस्कृतिक भू-दृश्य के ही अंग हैं। वस्तुतः मानवीय क्रियाकलापों को भौतिक पर्यावरण के साथ-साथ मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भू-दृश्य या सांस्कृतिक पर्यावरण भी प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 12.
पर्यावरणीय निश्चयवाद से क्या अभिप्राय है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव – पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों के सन्दर्भ में जर्मन भूगोलवेत्ताओं द्वारा यह विचारधारा प्रस्तुत की गई थी। इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य की सम्पूर्ण क्रियाओं पर पर्यावरण के विभिन्न कारकों का प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक वातावरण से अन्योन्य क्रिया की आरम्भिक दशाओं में मानव इससे अत्यधिक प्रभावित हुआ था। उन्होंने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आपको ढाल लिया। क्योंकि उस समय प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यन्त निम्न था और मानव के सामाजिक विकास की अवस्था भी आदिम थी।
आदिम मानव समाज और प्रकृति की प्रबल शक्तियों के बीच इस प्रकार की अन्योन्य क्रिया को ही ‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ कहा गया। इस विचारधारा के समर्थक विद्वान यह मानते हैं कि प्रौद्योगिकी विकास की इस अवस्था में प्राकृतिक मानव प्रकृति के आदेशों को मानता ही नहीं था वरन् उसकी प्रचंडता से डरता भी था तथा प्रकृति की पूजा करता था। ऐसे समाजों के लिए प्रकृति को माता के रूप में देखा जाता था।
प्रश्न 13.
सम्भववाद से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर”:
समय के साथ लोग अपने पर्यावरण और प्राकृतिक बलों को समझने लगते हैं। अपने सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ मानव बेहतर और अधिक सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास करते हैं। वे अभाव की अवस्था से स्वतन्त्रता की अवस्था की ओर अग्रसर होते हैं। पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा वे सम्भावनाओं को जन्म देते हैं। मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भूदृश्य की रचना करती हैं।
मानवीय क्रियाओं की छाप उच्च भूमियों पर स्वास्थ्य’ विश्रामालय, विशाल नगरीय प्रसार, खेत, फलोद्यान, मैदानों व तरंगित पहाड़ियों में चरागाहों तटों पर बन्दरगाह, महासागरीय तल पर समुद्री मार्ग तथा अन्तरिक्ष में उपग्रह आदि के रूप में स्पष्ट रूप से सर्वत्र दिखलाई देती है। फ्रांसीसी विद्वानों ने इसे ‘सम्भववाद’ के नाम से सम्बोधित किया है। अतः सम्भववाद विचारधारा के अनुसार, प्रकृति मानव को अनेक संभावनाएँ प्रदान करती है तथा मानव इन संभावनाओं का स्वामी होने के नाते इनके उपयोग का निर्णयकर्ता होता है तथा धीरे-धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है।
प्रश्न 14.
नव निश्चयवाद की विचारधारा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर नामक भूगोलवेत्ता ने पर्यावरणीय निश्चयवाद तथा सम्भववाद के बीच के मार्ग को चुनते हुए एक नवीन संकल्पना प्रस्तुत की जिसे उन्होंने ‘नव- निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद’ कहा। उनके मतानुसार न तो प्रकृति का मानव पर पूर्ण नियन्त्रण है और न ही मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है। साथ ही प्रकृति कुछ निश्चित सीमाएँ भी निर्धारित करती है।
मानव को प्रकृति का सहयोग प्राप्त करने के लिए उसके द्वारा निर्धारित सीमाओं को नहीं तोड़ना चाहिए। इसी कारण मनुष्य को किसी प्रदेश के विकास की योजना प्रकृति के साथ सामंजस्य या समन्वय करते हुए बनानी चाहिए। अतः नव निश्चयवाद की विचारधारा यह बताती है कि ” न तो प्रकृति पर विजय प्राप्त करने की आवश्यकता है और न ही प्रकृति की दासता स्वीकार करने की, अपितु प्राकृतिक नियमों का अनुपालन करके प्रकृति के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।”
प्रश्न 15.
वर्तमान में मानव व पर्यावरण के सम्बन्धों को मधुर बनाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के अन्तर्गत भौतिक तथा मानवीय वातावरण के आपसी सम्बन्धों से उत्पन्न क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाता है। इन सम्बन्धों में समय के अनुसार परिवर्तन होता रहता है। शुरू में वातावरण एवं मनुष्य के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे। औद्योगिक क्रान्ति के उपरान्त इन सम्बन्धों के मध्य कटुता बढ़ती गई । जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होने के कारण संसाधनों का अधिक मात्रा में उपयोग किया जाने लगा। इसके परिणामस्वरूप अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। अतः वर्तमान समय में मानव व पर्यावरण के सम्बन्धों को मधुर बनाया जाना अति आवश्यक है।
प्रश्न 16.
नियतिवाद और सम्भववाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नियतिवाद और सम्भववाद में अन्तर –
नियतिवाद | सम्भववाद |
1. नियतिवाद विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक क्रिया-कलाप को पर्यावरण से नियन्त्रित माना जाता है । | सम्भववाद विचारधारा के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का इच्छानुसार अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकता है। |
2. नियतिवादी सामान्य रूप से मानव को एक निष्क्रिय कारक समझते हैं, जो कि पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है। | सम्भववाद प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है तथा उसे सक्रिय शक्ति के रूप में देखता है। |
3. नियतिवाद की विचारधारा के अनुसार मनुष्य प्रकृति का दास है। | सम्भववाद की विचारधारा के अनुसार यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है, अस्वीकृत कर दिया गया। |
प्रश्न 17.
मानव भूगोल में 1970 के दशक में शामिल किये गये तीनों उपागमों के नाम बताइये। प्रत्येक उपागम के लक्षण बताइये।
उत्तर:
मात्रात्मक क्रान्ति से उत्पन्न असन्तुष्टि और अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते मानव भूगोल में 1970 के दशक में तीन नवीन विचारधाराओं का जन्म हुआ। ये तीन उपागम निम्नलिखित हैं-
- कल्याणपरक अथवा मानवतावादी विचारधारा – मानव भूगोल की कल्याणपरक अथवा मानवतावादी विचारधारा का सम्बन्ध मुख्य रूप से लोगों के सामाजिक कल्याण के विभिन्न पक्षों से था। इनमें आवासन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे पक्ष शामिल थे।
- आमूलवादी विचारधारा – आमूलवादी विचारधारा में निर्धनता के कारण, बन्धन और सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए मार्क्स के सिद्धान्त का उपयोग किया गया। समकालीन सामाजिक समस्याओं का सम्बन्ध पूँजीवाद के विकास से था।
- व्यवहारवादी विचारधारा – व्यवहारवादी विचारधारा ने प्रत्यक्ष अनुभव के साथ-साथ मानव जातीयता, प्रजाति, धर्म इत्यादि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के दिक्काल बोध पर अधिक जोर दिया।
प्रश्न 18.
मानव पर्यावरण में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
प्राचीनकाल से ही विभिन्न ग्रन्थों में मानव पर्यावरण सम्बन्धों का उल्लेख पाया जाता है। ग्रिफिथ टेलर ने मानव व पर्यावरण के सम्बन्धों को नवीन विचारधारा के द्वारा समझाया है। वास्तव में न तो पर्यावरण का मानव पर पूर्ण नियन्त्रण है और न ही मानव पर्यावरण पर विजय प्राप्त कर सकता है। मानव तथा पर्यावरण दोनों में घनिष्ठ क्रियात्मक सम्बन्ध पाया जाता है। मानव के विकास व उन्नति में पर्यावरण सहायक होता है।
साथ ही पर्यावरण कुछ निश्चित सीमाएँ भी निर्धारित करता है। मानव को पर्यावरण का सहयोग प्राप्त करने के लिए इसके द्वारा निर्धारित सीमाओं को तोड़ना नहीं चाहिए। इसी कारण मानव को किसी प्रदेश के विकास की योजना वातावरण के साथ सामंजस्य या समन्वय करते हुए बनानी चाहिए। न तो वातावरण पर विजय प्राप्त करना, न ही वातावरण की दासता स्वीकार करना, अपितु वातावरण के साथ सहयोग करना मानव एवं पर्यावरण के सम्बन्ध का मूलमन्त्र है।
प्रश्न 19.
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के मुख्य पक्ष कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर:
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के मुख्य पक्ष मानव भूगोल के अन्तर्गत भौतिक वातावरण तथा मानव समुदायों के आपसी कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत मानव जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक भू-दृश्यों, मान्यताओं व रीति-रिवाजों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के प्रमुख पक्ष निम्नलिखित हैं-
- प्रदेश की जनसंख्या
- प्रदेश में विद्यमान प्राकृतिक संसाधन
- मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य
- मानव- वातावरण के मध्य समायोजन
- विभिन्न प्रदेशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक सम्बन्ध
- समयानुसार विकास की दशा का अध्ययन।
प्रश्न 20.
भौतिक पर्यावरण तथा मानव दोनों ने एक दूसरे को प्रभावित किया है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण तथा मानव दोनों में परस्पर अन्योन्य क्रिया पाई जाती है। दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। मानव ने भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त मंच पर अपने कार्य-कलापों के द्वारा अनेक नये तत्त्वों की रचना की है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ तथा भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किए गए हैं। भौतिक पर्यावरण मानव द्वारा वृहत् स्तर पर परिवर्तित किया गया है, साथ ही मानव जीवन को भी इसने प्रभावित किया है।
प्रश्न 21.
संभववाद एवं पर्यावरणीय निश्चयवाद की तुलना कीजिए।
उत्तर:
संभववाद विचारधारा के अनुसार, प्रकृति मानव को अनेक सम्भावनाएँ प्रदान करती है तथा मानव इन संभावनाओं का स्वामी होने के नाते इनके उपयोग का निर्माणकर्ता होता है। वस्तुतः संभववाद विचारधारा के समर्थक मानव की चयन की स्वतंत्रता को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं न कि प्रकृति और उसके प्रभाव को। इसके विपरीत पर्यावरणीय निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार, सामाजिक विकास की आदिम अवस्था में मनुष्य के द्वारा किए जाने वाले समस्त कार्य प्रकृति के आदेशों के अनुसार ही सम्पन्न होते थे। मानव प्रकृति के आदेशों को मानता ही नहीं था वरन् उसकी प्रचण्डता से डरता भी था तथा प्रकृति की पूजा करता था।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रकृति के मानवीकरण की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रकृति का मानवीकरण – समय के साथ मनुष्य अपने पर्यावरण और प्राकृतिक बलों को समझने लगता है। अपने सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ मानव बेहतर और अधिक सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास करता है। वे अभाव की अवस्था से स्वतन्त्रता की अवस्था की तरफ अग्रसर होते हैं। आधुनिक मानव इसी सक्षम प्रौद्योगिकी के बल पर पर्यावरण से विभिन्न संसाधनों को प्राप्त कर अनेक संभावनाओं या अवसरों को जन्म देता है। इन संभावनाओं का स्वामी होने के कारण मानव इनका विभिन्न तरीकों से उपयोग करता है।
भू-पटल के अधिकांश भागों पर सांस्कृतिक भू-दृश्यों का निर्माण कर अपनी छाप छोड़ता चला जाता है। इस प्रकार प्रकृति पर मानवीय प्रयासों की छाप पड़ते जाने से धीरे-धीरे ‘प्रकृति का मानवीकरण’ हो जाता है। प्रकृति के मानवीकरण का उदाहरण-ट्राण्डहाईम शहर में सर्दियों का अर्थ प्रचण्ड पवनें तथा भारी हिमपात होता है। यहाँ महीनों तक आकाश में अन्धेरा रहता है। यहाँ रहने वाली कैरी प्रातः 8 बजे अँधेरे में कार से अपने काम पर जाती है। सर्दियों के लिए उसके पास विशेष टायर हैं और वह अपनी शक्तिशाली कार की लाइटें जलाकर रखती है।
उसका कार्यालय 23 डिग्री सेल्शियस तापमान पर कृत्रिम तरीके से गर्म रहता है। विश्वविद्यालय का परिसर जिसमें वह काम करती है काँच के विशाल गुम्बद के नीचे बना हुआ है। यह गुम्बद सर्दियों में बर्फ को बाहर रखता है और गर्मियों में धूप को अन्दर आने देता है। तापमान को सावधानीपूर्वक नियन्त्रित किया जाता है और वहाँ पर्याप्त प्रकाश होता है। यद्यपि इस प्रकार के मौसम में नई सब्जियाँ और पौधे नहीं उगते हैं। कैरी अपने डेस्क पर आर्किड रखती है और उष्णकटिबन्धीय फलों, यथा – केला और कीवी का आनन्द लेती है।
इनको नियमित रूप से वायुयान द्वारा उष्ण क्षेत्रों से मँगवाया जाता है। माउस की एक क्लिक के साथ कैरी नई दिल्ली में अपने सहकर्मियों से कम्प्यूटर नेटवर्क से जुड़ जाती है। वह प्रायः लन्दन के लिए सुबह की उड़ान लेती है और शाम को अपना मनपसन्द टेलीविजन सीरियल देखने के लिए सही समय पर वापिस घर पहुँच जाती है। यद्यपि कैरी 58 वर्षीय है फिर भी वह विश्व के अन्य भागों के अनेक 30 वर्षीय लोगों से अधिक स्वस्थ और युवा दिखती है। यह प्रकृति के मानवीकरण का अति उत्तम उदाहरण है।
प्रश्न 2.
मानव भूगोल की परिभाषा देते हुए इसकी प्रकृति व विषय-क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषाएँ- प्रमुख विद्वानों के अनुसार मानव भूगोल को निम्नानुसार परिभाषित किया गया है –
(1) रैटजेल के मतानुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”
(2) एलन सी. सेम्पल के मतानुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
(3) पॉल विडाल – डी ला ब्लॉश के मतानुसार, “हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना मानव भूगोल है।”
मानव भूगोल की प्रकृति – मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानवजनित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्य क्रिया के द्वारा करता है। भौतिक पर्यावरण के प्रमुख तत्त्वों में भू- आकृति, मृदाएँ, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति तथा विविध प्राणिजात तथा वनस्पतिजात आदि आते हैं। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहत् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक भू-दृश्यों (पर्यावरण) का निर्माण करता है।
गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्व सांस्कृतिक भू-दृश्य के ही अंग हैं। वस्तुतः मानवीय क्रियाकलापों को भौतिक पर्यावरण तथा भौतिक पर्यावरण को मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भू-दृश्य या सांस्कृतिक पर्यावरण भी प्रभावित करते हैं।
मानव भूगोल का विषय क्षेत्र – मानव भूगोल में भौतिक पर्यावरण तथा मानव समुदायों के आपसी कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत मानव जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक भू-दृश्यों, मान्यताओं व रीति-रिवाजों का अध्ययन किया जाता है। मानव के समस्त क्रियाकलापों का प्रादेशिक अध्ययन मानव भूगोल के अध्ययन का मूल विषय क्षेत्र होता है।
प्रमुख पहलू – मानव भूगोल के अध्ययन में मुख्य रूप से निम्नलिखित छ: पहलू होते हैं –
- प्रदेश की जनसंख्या।
- प्रदेश में विद्यमान प्राकृतिक संसाधन।
- मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भू-दृश्य।
- मानव वातावरण के मध्य समायोजन।
- विभिन्न प्रदेशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक सम्बन्ध।
- समय के अनुसार विकास की दशा का अध्ययन।
प्रश्न 3.
ग्रिफिथ टेलर द्वारा प्रतिपादित नव- निश्चयवाद की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
नव – निश्चयवाद की संकल्पना- भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने एक नवीन संकल्पना की है, जो कि दो विचारधाराओं यथा पर्यावरणीय निश्चयवाद और सम्भववाद के बीच मध्यम मार्ग को परिलक्षित करती है। टेलर ने इसे नव- निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद के नाम से सम्बोधित किया है। नगरों व शहरों के निवासी जानते हैं कि चौराहों पर यातायात को बत्तियों के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। लाल बत्ती का अर्थ है रुको, पीली बत्ती लाल और हरी बत्तियों के बीच रुक कर तैयार रहने का अन्तराल प्रदान करती है तथा हरी बत्ती का अर्थ है।
जाओ। इसी उदाहरण को दृष्टिगत रखते हुए नव – निश्चयवाद की विचारधारा यह दर्शाती है कि “न तो यहाँ मानव को प्रकृति का दास बने रहने की आवश्यकता है (पर्यावरण निश्चयवाद) और न ही यहाँ पूर्ण मानवीय स्वतंत्रता (सम्भववाद) की दशा है।” अतः इस विचारधारा के अनुसार, “प्राकृतिक नियमों की अनुपालना करके मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है।” यदि मानव प्राकृतिक नियमों का अनुपालन न करते हुए अपने भौतिक पर्यावरण का दोहन करता है, तो लाल संकेतों के प्रत्युत्तर के रूप में मानव विनाश की ओर बढ़ता जायेगा ।
वस्तुतः मानव को अपने क्रियाकलापों को उन सीमाओं तक सीमित रखने की आवश्यकता है, जहाँ तक पर्यावरण को किसी तरह की कोई हानि न पहुँचे। मानव द्वारा पर्यावरण को अनदेखा कर किए जा रहे अंधाधुंध विकास के परिणामस्वरूप हरित गृह प्रभाव, ओजोन परत अवक्षय, पीछे हटते हिमनद तथा निम्नीकृत भूमियाँ जैसी गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं, जो स्वयं मानव के अस्तित्व को चुनौती दे रही हैं। अतः नव निश्चयवाद की विचारधारा मानव तथा प्रकृति के मध्य एक संतुलन स्थापित करने की बात करती है।
प्रश्न 4.
मानव भूगोल के विकास की अवस्थाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल का विकास – पर्यावरण से अनुकूलन व समायोजन की प्रक्रिया तथा इसका रूपान्तरण पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न पारिस्थितिकीय रूप से पारिस्थितिकीय निकेत में मानव के उदय के साथ शुरू हुआ है। मानव भूगोल के विषयों में एक दीर्घकालिक सांतत्य पाया जाता है, यद्यपि समय के साथ इसे सुस्पष्ट करने वाले उपागमों में परिवर्तन आया है। उपागमों में यह गत्यात्मकता मानव भूगोल की परिवर्तनशील प्रकृति को स्पष्ट करती हैं।
मानव भूगोल के विकास की क्रमिक अवस्थाएँ और उपागम उपनिवेश काल से आधुनिक काल तक मानव भूगोल के क्रमिक विकास की अवस्थाएँ निम्न प्रकार से हैं –
(1) आरम्भिक उपनिवेश काल (15वीं से 17वीं शताब्दी तक) इस समयावधि में साम्राज्यी और व्यापारिक रुचियों ने नवीन क्षेत्रों में खोजों व अन्वेषणों को प्रोत्साहित किया। क्षेत्र का विश्व ज्ञान कोषीय विवरण भूगोलवेत्ताओं द्वारा वर्णन का महत्त्वपूर्ण पक्ष बना।
(2) उत्तर – उपनिवेश काल (18वीं व 19वीं शताब्दी) उत्तर उपनिवेश युग में प्रादेशिक विश्लेषण उपागम का विकास हुआ। इसमें प्रदेश के सभी पक्षों के विस्तृत वर्णन किए गये। यह माना गया कि सभी प्रदेश पूर्ण अर्थात् पृथ्वी के भाग हैं। अतः इन भागों की सम्पूर्ण जानकारी पृथ्वी पूर्ण रूप से समझने में सहायता प्रदान करेगी।
(3) अन्तर – युद्ध अवधि के बीच 1930 का दशक – अन्तर- युद्ध अवधि के बीच 1930 के दशक में क्षेत्रीय विभेदन उपागम का विकास हुआ। इस उपागम में एक प्रदेश अन्य प्रदेशों से किस प्रकार और क्यों भिन्न है यह समझने के लिए तथा किसी प्रदेश की विलक्षणता की पहचान करने पर विशेष जोर दिया जाता था।
(4) 1950 के दशक के अन्त से 1960 के दशक के अन्त तक – इस समयावधि के दौरान मानव भूगोल में स्थानिक संगठन उपागम का विकास हुआ। इस उपागम में कम्प्यूटर और परिष्कृत सांख्यिकीय विधियों के प्रयोग विशिष्ट तकनीक का प्रयोग किया गया। मानचित्र और मानवीय परिघटनाओं के विश्लेषण में प्रायः भौतिकी के नियमों का अनुप्रयोग किया जाता था। इस प्रावस्था में विभिन्न मानवीय क्रियाओं के मानचित्र योग्य प्रतिरूपों की पहचान करना इसका मुख्य उद्देश्य था।
(4) 1950 के दशक के अन्त से 1960 के दशक के अन्त तक – इस समयावधि के दौरान मानव भूगोल में स्थानिक संगठन उपागम का विकास हुआ। इस उपागम में कम्प्यूटर और परिष्कृत सांख्यिकीय विधियों के प्रयोग विशिष्ट तकनीक का प्रयोग किया गया। मानचित्र और मानवीय परिघटनाओं के विश्लेषण में प्रायः भौतिकी के नियमों का अनुप्रयोग किया जाता था। इस प्रावस्था में विभिन्न मानवीय क्रियाओं के मानचित्र योग्य प्रतिरूपों की पहचान करना इसका मुख्य उद्देश्य था ।
(5) 1970 का दशक – इस समयावधि के दौरान मानव भूगोल में मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय हुआ। मात्रात्मक क्रान्ति से उत्पन्न असन्तुष्टि और अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते मानव भूगोल में 1970 के दशक में उपरोक्त तीनों विचारधाराओं का जन्म हुआ। इन विचारधाराओं के अभ्युदय से मानव भूगोल सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ के प्रति अधिक प्रासंगिक बन गया।
(6) 1990 का दशक – इस समयावधि के दौरान भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद उपागम का विकास हुआ। इस समयावधि में वृहद् सामान्यीकरण तथा मानवीय दशाओं की व्याख्या करने वाले वैश्विक सिद्धान्तों की प्रयोज्यता पर प्रश्न उठने लगे। इसमें अपने आप में प्रत्येक स्थानीय सन्दर्भ की समझ के महत्त्व पर जोर दिया गया।