Well-organized Geography Class 12 Notes in Hindi and Class 12 Geography Chapter 1 Notes in Hindi जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 12 Chapter 1 Notes in Hindi जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन
किसी भी देश के लिए उसके नागरिक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह देश के विकास में भागीदार होने | के साथ-साथ अनेक सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। ग्लोब पर उत्तर-पूर्वी गोलार्द्ध में अवस्थित भारत, विश्व के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत रखता है, जबकि विश्व की कुल जनसंख्या के 17.5 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या यहाँ निवास करती है।
→ जनसंख्या का वितरण:
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 102.8 करोड़ थी, जो 2011 में बढ़कर 121.02 करोड़ हो गई है, जो चीन के पश्चात् विश्व में सर्वाधिक है। देश में अनेक भौतिक (जैसे- धरातलीय संरचना, जल की उपलब्धता आदि), सामाजिक, आर्थिक व ऐतिहासिक कारकों के कारण जनसंख्या का असमान स्थानिक वितरण पाया जाता है। जिस कारण उत्तर भारत के मैदान, डेल्टा व तटवर्ती क्षेत्रों में दक्षिणी और मध्य भारतीय राज्यों के आन्तरिक जिलों, हिमालयी क्षेत्र एवं पश्चिमी क्षेत्र की अपेक्षा जनसंख्या का बहुत अधिक संकेन्द्रण देखने को मिलता है ।
→ जनसंख्या घनत्व:
जनसंख्या घनत्व से तात्पर्य किसी क्षेत्र में एक वर्ग किलोमीटर में निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या से है। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत का औसत जनसंख्या घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था, जो 2011 की जनगणना के अनुसार 382 हो गया है। देश में जनसंख्या घनत्व में स्थानिक भिन्नता मिलती है। पश्चिमी बंगाल, बिहार, केरल तथा उत्तरप्रदेश भारत में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं, जबकि भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों में निम्न जनसंख्या घनत्व मिलता है।
→ जनसंख्या वृद्धि:
दो समय बिन्दुओं के मध्य किसी क्षेत्र विशेष में निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या में होने वाला परिवर्तन जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जनसंख्या वृद्धि मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
- प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि, जो अशोधित जन्म व मृत्यु दरों में प्राकृतिक रूप से आने वाले अन्तर के कारण होती है।
- अभिप्रेरित या अनुमानित जनसंख्या वृद्धि, जो किसी स्थान विशेष में लोगों के आन्तरिक या बाह्य प्रवास के कारण होती है।
भारत में जनसंख्या की दोनों दशकीय और वार्षिक वृद्धि दर बहुत ऊँची है।
→ जनसंख्या वृद्धि में क्षेत्रीय भिन्नताएँ:
देश के विभिन्न राज्यों में जनसंख्या वृद्धि में भिन्नताएँ पाई जाती हैं। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पुदुच्चेरी और गोवा जैसे राज्यों में निम्न वृद्धि दर पाई जाती है जबकि गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, सिक्किम, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में अधिक जनसंख्या वृद्धि दर पाई जाती है।
→ जनसंख्या संघटन:
स्थान विशेष के अनुसार जनसंख्या का संघटन आर्थिक और सामाजिक विशेषताओं का एक महत्त्वपूर्ण सूचक होता है।
भारतीय जनसंख्या के संघटन को निम्न घटकों के आधार पर आसानी से समझा जा सकता है –
1. ग्रामीण-नगरीय संघटन देश की कुल जनसंख्या का लगभग 68.8 प्रतिशत भाग गाँवों में निवास करता है, फिर भी सम्पूर्ण देश में ग्रामीण जनसंख्या का असमान वितरण पाया जाता है। बिहार और सिक्किम जैसे राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का बहुत अधिक प्रतिशत पाया जाता है, जबकि दिल्ली, चण्डीगढ़ व पुदुच्चेरी जैसे क्षेत्रों में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण-नगरीय जनसंख्या के सान्द्रण को मुख्यतः सामाजिक, आर्थिक दशा, नगरीय क्षेत्रों का विकास तथा ग्रामीण-नगरीय प्रवास की दर प्रभावित करते हैं।
2. भाषायी संघटन-भारत एक भाषायी विविधता वाला देश है। भारतीय संविधान में वर्तमान में 22 भाषाएँ अनुसूचित हैं, जिनमें सर्वाधिक प्रतिशत हिन्दी बोलने वालों का है, जबकि न्यूनतम प्रतिशत संस्कृत, बोडो तथा मणिपुरी बोलने वाले लोगों का है। प्रमुख भारतीय भाषा को बोलने वाले मूलतः चार भाषा परिवारों आर्य ( 73%), द्रविड़ (20%), आस्ट्रिक (निषाद) (138%) और चीनी-तिब्बती (किरात) (0.85% ) से सम्बन्धित है।
3. धार्मिक संघटन-धर्म व्यक्ति के राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है, क्योंकि यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के लगभग सभी पक्षों में आभासी रूप में विद्यमान होता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में प्रमुख धार्मिक समुदाय मुख्यतः हिन्दू (79.8%), मुस्लिम (14.2%) और ईसाई (2.3%) हैं।
4. श्रमजीवी जनसंख्या का संघटन आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारतीय जनसंख्या के तीन वर्ग हैं – मुख्य श्रमिक, सीमान्त श्रमिक और अश्रमिक, जबकि व्यावसायिक स्तर पर श्रमजीवी जनसंख्या को चार वर्गों में रखा जाता है कृषक, कृषि मजदूर, घरेलू औद्योगिक श्रमिक और अन्य श्रमिक।
→ भौगोलिक शब्दावली:
- कायिक घनत्व – किसी क्षेत्र की सम्पूर्ण जनसंख्या तथा निवल कृषिगत भूमि का अनुपात। कृषीय घनत्व – किसी क्षेत्र की कुल कृषि जनसंख्या तथा शुद्ध कृषित क्षेत्र का अनुपात।
- कृषि जनसंख्या – इसमें कृषक, कृषि मजदूर तथा उनके परिवार के सदस्य सम्मिलित होते हैं।
- प्रवास – मानव का वह क्रियाकलाप, जिसके द्वारा वह अपने निवास स्थान से कहीं अन्यत्र स्थान पर एक निश्चित लम्बी अवधि के लिए कुछ विशेष उद्देश्यों के साथ बस जाता है।
- श्रमजीवी जनसंख्या – किसी न किसी कार्य में संलग्न व्यक्तियों की संख्या।