Students can find the 11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers Chapter 15 जाग तुझको दूर जाना, सब आँखों के आँसू उजले to practice the questions mentioned in the exercise section of the book.
NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 15 जाग तुझको दूर जाना, सब आँखों के आँसू उजले
Class 11 Hindi Chapter 15 Question Answer Antra जाग तुझको दूर जाना, सब आँखों के आँसू उजले
जाग तुझको दूर जाना –
प्रश्न 1.
‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है ?
उत्तर :
कवयित्री मानव को बताती है कि लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अनेक कठिन परिस्थितियाँ सामने आएँगी। कहीं हिमगिरि के हृदय में कंपन हो रहा है, तो कहीं प्रलय आ रहा है। चारों तरफ़ घोर अंधकार छाया हुआ है। इन कठिन परिस्थितियों में मानव को उत्साह के साथ निरतर आगे बढ़ना चाहिए।
प्रश्न 2.
‘मोम के बंधन’ और ‘तितलियों के पर’ का प्रयोग कवयित्री ने किस संदर्भ में किया है और क्यों?
उत्तर :
‘मोम के बंधन’ और ‘तितलियों के पर’ के माध्यम से कवयित्री देशवासियों से कहती है कि ये मोम के सुंदर बंधन तुम्हें कहीं बाँध न लें? अर्थात तुम्हें घर-परिवार तथा निकट संबंधियों के कोमल बंधनों में नहीं बँधना चाहिए। रंग-बिरंगी तितलियाँ यानी सुंदर युवतियाँ तुम्हारे मार्ग में बाधा डालने का प्रयास करेंगी। यदि तुम्हें कुछ करना है, तो इनसे तुम्हें बचना पड़ेगा।
प्रश्न 3.
कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संवेश दे रही है?
उत्तर :
कवयित्री कहती है कि मनुष्य पारिवारिक बंधन के कारण आगे नहीं बढ़ पाता। प्रेमिका के भुजापाश का बंधन, सांसारिक आकर्षण आदि उसे आलसी बनाते हैं। ये आकर्षण मनुष्य में शिथिलता पैदा करते हैं। वह लक्ष्य के प्रति उदासीन हो जाता है। वह मनुष्य को इन मोहपूर्ण बंधनों से मुक्त होने का संदेश दे रही है। बंधन से मुक्त होने पर ही मनुष्य जागरण का संदेश दे पाएगा।
प्रश्न 4.
कविता में ‘अमरता-सुत’ का संबोधन किसके लिए और क्यों आया है?
उत्तर :
कवयित्री ने जीवन-पथ पर संघर्ष करने वाले व्यक्ति को ‘अमरता-सुत’ कहा है, क्योंकि वह अमर है। ऐसी जीवात्मा कभी नष्ट नहीं होती। कवयित्री ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि मनुष्य मृत्यु से डरता है। इस कारण बह जीवन-संघर्ष से भागता है तथा आलस्य का शिकार हो जाता है। वह मृत्यु से बचने के चक्कर में विनाश, जड़ता तथा मृत्यु को गले लगा लेता है, जिससे उसकी अमरता नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 5.
‘जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना लिखिए।
उत्तर :
‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री देशवासियों को स्वाधीनता के संघर्ष में भाग लेने के लिए उत्साहित कर रही है। मनुष्य पारिवारिक व सांसारिक बंधनों के कारण संघर्ष-पथ पर चलने से झिझकता है। कठिन परिस्थितियाँ उसे आगे बढ़ने से रोकती हैं। मनुष्य मृत्यु से भी डरता है। कवयित्री उसे इन सब बाधाओं को पार करके आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। वह मनुष्य को ‘अमरता-सुत’ कहती है। वह संघर्ष-पथ पर मिली हार को जीत के सदृश मानती है। इस पथ पर मिलने वाली सफलता असंभव नहीं है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
(क) विश्व का क्रंदन ………….. अपने लिए कारा बनाना!
(ख) कह न ठंडी साँस …………. सजेगा आज पानी;
(ग) है तुझे अंगार-शब्या …………. कलियाँ बिछाना!
उत्तर :
(क) काव्य-सौदर्य संबंधी भाग देखिए।
(ख) काव्य-सौदर्य संबंधी भाग देखिए।
(ग) काव्य-सौंदर्य संबंधी भाग देखिए।
प्रश्न 7.
कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को इंगित किया है। वह चाहती है कि मनुष्य अपने अंदर साहस, दृढ़ प्रतिज्ञा, मृत्यु से न डरना, आलस्य छोड़ना, दुर्बलताओं पर नियंत्रण आदि गुणों का विकास करें। इन गुणों के आधार पर ही वह संघर्ष के पथ पर चल सकता है। इनके संबल से वह अपने संघर्ष के पथ से विचलित नहीं होगा और अपने लक्ष्य को निःसंदेह प्राप्त करेगा।
सब आँखों के आँसू उजले –
प्रश्न 8.
महादेवी वर्मा ने ‘आँसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग किस संदर्भ में किया है और क्यों?
उत्तर :
महादेवी वर्मा ने ‘आँसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग पवित्रता की भावना दर्शाने के लिए किया है। वह कहती है कि हर व्यक्ति की कल्पनाएँ आधारहीन नहीं होतीं। उनमें एक सत्य पलता है।
प्रश्न 9.
सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवयित्री ने किन यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है?
उत्तर :
सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवयित्री ने निम्नलिखित यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है :
1. दीपक की भॉति जलकर प्रकाश फैलाने को।
2. फूल की तरह खिलकर खुशबू फैलाने को।
3. जीवन-सत्य की झलक दिखाने एवं उद्घाटित करने को।
4. कठोरता में भी करुणा का भाव बनाए रखने को।
प्रश्न 10.
‘नीलम मरकत के संपुट दो, जिनमें बनता जीवन-मोती’ पंक्ति में ‘नीलम मरकत’ और ‘जीवन-मोती’ के अर्थ को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस पंक्ति में ‘नीलम मरकत’ का अर्थ है-नीलम और पन्ना। इसी तरह जन्म-मरण के बीच जीवन-रूपी मोती पलता है। इसमें जीवन के रूप-रंग बनते रहते हैं। ऐसे जीवन में इन रत्नों की चमक आलोकित होती रहती है।
प्रश्न 11.
प्रकृति किस प्रकार मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होती है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रकृति अपने अंगों-उपांगों द्वारा ऐसे कार्य करती है, जिससे समूची मानव-जाति को प्रेरणा मिलती है। मनुष्य अपना आलस्य छोड़कर संघर्ष के पथ पर बढ़ने के लिए प्रेरित हो जाता है। इनमें फूलों का मकरंद, दीपक की लौ, झरनों का चंचल होकर बहना, प्रकृति का करुणा जल, नभ के तारे, विद्युत मेघ, अंकुरण आदि सभी उपादान ऐसे हैं, जो मनुष्य को संघर्ष करके लक्ष्य तक पहुँचने की प्रेरणा देते हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए :
(क) आलोक लुटाता वह ………….. कब फूल जला?
(ख) नभ तारक-सा …………. हीरक पिघला?
उत्तर :
(क) व्याख्या भाग देखिए।
(ख) व्याख्या भाग देखिए।
प्रश्न 13.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
संसृति के प्रति पग में मेरी
एकांकी प्राण चला!
उत्तर :
भाव-सौंदर्य-संसार में हर पग पर प्रगति है। मनुष्य को नया अंकन चुन लेना चाहिए। इस संसार में हर व्यक्ति अकेला ही चलता है।
शिल्य-सौंदर्य –
- ‘प्रति पग’ में अनुप्रास अलंकार है।
- ‘प्राण’ मानवीय क्रियाएँ करते हुए दिखाने से मानवीकरण अलंकार है।
- तत्सम शब्दयुक्त मिश्रित शब्दावली है।
- छायावादी प्रभाव स्पष्ट है।
- व्यांश छंदमुक्त रचना है।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
स्वाधीनता आंदोलन के कुछ जागरण गीतों का एक संकलन तैयार कीजिए।
उत्तर :
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारतीस्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती –
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।’ असंख्य कीर्ति-रशिमयाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी सपूत मातृभूमि के-रूको न शूर साहसी अराति सैन्य सिधु में-सुवाड़वाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो-बढ़े चलो, बढ़े चलो।
– जागो फिर एक बार!
प्यारे जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें अरुण पंख तरुण किरण
खड़ी खोलती है द्वार
जागो फिर एक बार!
उगे अरुणाचल में रवि
आई भारती-रति कवि-कंठ में,
क्षण-क्षण में परिवर्तित
होते रहे प्रकृति-पट
गया दिन, आई रात,
गई रात, खुला दिन,
ऐसे ही संसार के बीते दिन, पक्ष, मास,
वर्ष कितने ही हज़ार-
जागो फिर एक बार!
प्रश्न 2.
महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं को पढ़िए और महादेवी वर्मा की पुस्तक ‘पथ के साथी’ से सुभद्रा कुमारी चौहान का संस्मरण पढ़िए तथा उनके मैत्री-संबंधों पर निबंध लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 15 जाग तुझको दूर जाना, सब आँखों के आँसू उजले
कथ्य पर आधारित प्रश्नोत्तर –
प्रश्न 1.
कवयित्री ने किन उदाहरणों के द्वारा ‘नाश-पथ’ का रूपांकन किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
कवयित्री ने नाश-पथ का रूपांकन निम्नलिखित उदाहरणों से किया है :
- अचल हिमगिरि के हृदय के काँपने।
- मौन आकाश में प्रलयंकारी आँसुओं का बहना।
- प्रकाश पीकर घोर अंधकार का छा जाना।
- बिजली की गड़गड़ाहट।
- भयंकरता में पूर्व कठोरता व नाशवान तूफ़ान का आ जाना।
प्रश्न 2.
‘अमरता-सुत’ किसे कहा गया है? कवयित्री को क्यों लगा कि वह मृत्यु को गले लगाना चाहता है?
उत्तर :
‘अमरता-सुत’ जीवन-पथ पर चलने वाले व्यक्ति को कहा गया है। कवयित्री को लगा कि आज वह निराश, अकर्मण्य व उदासीन हो गया है। वह मोह-माया में खो गया है। वह जीवन-सुधा को छोड़कर मदिरा में डूब गया है। वह जीवन-संघर्ष से भयभीत होकर निद्रा व आलस्य का शिकार हो गया है. इसलिए वह मृत्यु को अपने हदय में बसा लेना चाहता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) तू न अपनी छाँह को अपने लिए कारा बनाना!
(ख) आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी।
(ग) है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना!
उत्तर :
(क) कवयित्री कहती है कि हे पथिक, संघर्ष मार्ग में थककर बैठ मत जाना, क्योंकि व्यक्ति की अपनी परछाईं ही उसे विश्राम करने को बाध्य करती है। यह छाया उसके लिए कारागार के समान बन जाती है। इससे उसकी प्रगति रुक जाती है।
(ख) कवयित्री कहना चाहती है कि संघर्ष-पथ पर आगे बढ़ने के लिए मन में आग अर्थात उत्साह होना बहुत ज़रूरी है। जब उसके मन में भरपूर उत्साह होगा, तभी उसकी आँखों में आत्म-सम्मान की चमक आएगी।
(ग) इस पंक्ति का तात्पर्य यह है कि क्रांतिकारी को अपने संघर्ष के पथ में अनेक कष्टों के मध्य में कोमल भावनाओं का बलिदान करना है। उसे अंगारों की सेज पर कोमल कलियाँ बिछाती हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
(क) वज्र का उर एक छोटे अश्रु-कण में धो गलाया, दे किसे जीवन सुधा दो घूँट मदिरा माँग लाया?
(ख) कह न ठंडी साँस में अब भूल वह जलती कहानी, आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी;
उत्तर :
(क) भाव-सौंदर्य-कवयित्री जीवन-पथ के राही को स्मरण कराती है कि उसका हदय वज्र के समान कठोर था, फिर किसी करुणामयी याद के कारण उसने उसे आँसुओं से गला दिया। अपने जीवन की अमरता, सुख, शांति और आनंद को किसी को देकर किसी से दो घूँट शराब माँग लाया।
शिल्प-सौंदर्य –
- ‘जीवन-सुधा’ में रूपक अलंकार है।
- ‘दो घूँट मदिरा’ का अर्थ है-क्षणिक सुखानुभूति प्रदान करने वाले घटिया भौतिक पदार्थ।
- प्रश्नात्मक शैली है।
- तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है।
- छायावादी शैली है। लय व प्रवाह है।
(ख) भाव-सौंदर्य-व्यक्ति को अपनी असफलताओं की कहानी निराशा के भाव से नहीं दोहराना चाहिए। इससे मन में निराशा आती है। इसके विपरीत, हृदय में उत्साह-रूपी आग होनी चाहिए, तभी आँखों में आत्म-सम्मान की चमक सजती है।
शिल्प-सौंदर्य –
- ‘उर में आग का होना’ में लक्षणा शब्द-शक्ति है। इसका अर्थ है-हृदय में उत्साह का होना।
- ‘पानी’ शब्द में श्लेष अलंकार है। ‘पानी’ आत्म-सम्मान और अश्रुजल दोनों अर्थों की व्यंजना कर रहा है।
- तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है।
- छायावादी शैली है।
- भाषा प्रवाहमयी है।
प्रश्न 5.
‘जाग, तुझको दूर जाना’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘जाग, तुझको दूर जाना’ कविता का मूल भाव है-बाधाओं की परवाह किए बिना संघर्ष के पथ पर निरंतर बढ़ते जाना। यह कविता स्वाधीनता आंदोलन में देशवासियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। यह उन्हें मार्ग की बाधाओं, आकर्षण आदि के विषय में बताती है। इससे ज्ञात होता है कि हुदय में उत्साह होने पर ही सम्मान मिलेगा। संघर्ष के पथ पर चलने वाले राही को आकर्षण व असफलताओं को छोड़कर निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।
प्रश्न 6.
कवयित्री असफलताओं की कहानी दोहराने से क्यों मना करती है?
उत्तर
असफलता की कहानी दोहराने से मन में निराशा का भाव जाग्रत होता है। निराशा से व्यक्ति कार्य नहीं करता, इसीलिए कवयित्री असफलताओं की कहानी दोहराने से मना करती है, ताकि मन में संघर्ष करने का भाव बना रहे।
प्रश्न 7.
संघर्षों और असफलताओं की कहानी ठंडी साँस में कहना क्या व्यंजित करता है?
उत्तर :
संघर्षों और असफलताओं की कहानी ठंडी साँस में कहना यह व्यंजित करता है कि पथिक असफल हो गया है तथा अपनी नाकामयाबी से निराश है।
प्रश्न 8.
‘प्रेम में हार भी जीत की निशानी बन जाती है’-इस भाव को किस उदाहरण द्वारा पुष्ट किया गया है?
उत्तर :
प्रेम में हार भी जीत की निशानी बन जाती है। इस भाव को दीपक तथा पतंगे के उदाहरण से पुष्ट किया गया है। पतंगा दीपक की लौ पर अपने प्राण न्यौछावर कर देता है तथा अपने प्रेम को अमर बनाता है।
प्रश्न 9.
मार्ग की बाधाओं को कवयित्री ने किन-किन प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर :
मार्ग की बाधाओं को कवयित्री ने मोम के बंधन, तितलियों के रंगीले पर, भौरों की मधुर गुनगुन, ओस से भीगे फूलों के दल, अपनी परछाईं आदि प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया है।
प्रश्न 10.
कविता के ‘प्रत्येक छंद के अंत में ‘चिहून अपने छोड़ आना, अपने लिए कारा बनाना, मृत्यु को उर में बसाना, मृदुल कलियाँ बिछाना’ का संदेश देकर मनुष्य के किन गुणों को विस्तार देने की बात कही गई है?
उत्तर :
कविता में मनुष्य के निम्नलिखित गुणों को विस्तार देने की बात कही गई है :
- मनुष्य को अपने बलिदान एवं अच्छे कार्यों के चिह्न छोड़ने चाहिए।
- मनुष्य को बंधनों में न बँधकर लक्ष्य की प्राप्ति की ओर चलना चाहिए।
- मनुष्य को मृत्यु के भय से नहीं घबराना चाहिए।
- मनुष्य को भावनाओं में न बहकर लक्ष्य पाने में लगे रहना चाहिए।
प्रश्न 11.
‘सब आँखों के आँसू उजले कविता सपनों को सत्य में ढालने का संदेश है’-इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर :
यह कविता सपनों को सत्य में ढालने का संदेश देती है। मैं इस कथन से पूर्णतया सहमत हूँ। मानव-प्रगति के लिए सपने देखता है। वह इन सपनों को यथार्थ रूप में लाने के लिए प्रयास करता है। मानव का जितना विकास हुआ है, वह सब उसके स्वप्नों का खेल है। इन्हीं कल्पनाओं को साकार करने के लिए वह योजनाएँ बनाता है। प्रकृति में भी हर क्षण नया घटित होता रहता है।
प्रश्न 12.
‘सपने-सपने में सत्य ढला’ पंक्ति के आधार पर कविता की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस पंक्ति में कवयित्री कहना चाहती है कि प्रकृति में जो कुछ हो रहा है, वह सत्य है। मनुष्य भी सपने देखता है और उन सपनों को साकार करने की बात कहता है। प्रकृति में परिवर्तन होता है। पर्वत से झरने बहते हैं। वे पृथ्वी को जल प्रदान करते हैं। आकाश में तारे टूटते हैं और नई रचना होती है। नीलम और पन्ने के बीच जीवन-रूपी मोती विकास करता है। आकाश में जो बिजली बनती है, वह धूल में अंकुर बनकर निकलती है। कवयित्री मनुष्य को प्रेरणा देती है कि प्रकृति के हर पग में सपने हैं। इन्हें चुना जा सकता है।