Well-organized Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 8 Notes in Hindi वायुमंडल का संघटन तथा संरचना can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 8 Notes in Hindi वायुमंडल का संघटन तथा संरचना
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है जो कि पृथ्वी को सभी तरफ से ढके हुए है। इसमें मनुष्यों एवं जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसें, यथा- ऑक्सीजन तथा पौधों के जीवन के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस पायी जाती है। वायु पृथ्वी के द्रव्यमान का अभिन्न भाग है तथा इसके कुल द्रव्यमान का 99 प्रतिशत भाग पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊँचाई तक स्थित है।
→ वायुमण्डल का संघटन :
वायुमण्डल गैसों, जलवाष्प व धूल-कणों से निर्मित है। गैसें वायुमण्डल के निचले भाग में पायी जाती हैं। 120 किलोमीटर की ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस व जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर की ऊँचाई तक ही पाए जाते हैं।
→ गैस:
कार्बन डाइऑक्साइड गैस मौसम विज्ञान की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण गैस है क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है। ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए महत्त्वपूर्ण रूप से उत्तरदायी है। जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड गैस के आयतन में वृद्धि हो रही है। इसने हवा के तापमान में भी वृद्धि कर दी है। ओजोन गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके उनको पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से रोकती है।
→ जल-वाष्प-जल:
वाष्प वायुमण्डल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है जो कि ऊँचाई के साथ घटती रहती है। गर्म एवं आर्द्र उष्ण कटिबन्ध में इसकी मात्रा 4 प्रतिशत होती है जबकि रेगिस्तानी क्षेत्रों में यह हवा के आयतन का प्रतिशत से भी कम होती है। जल वाष्प पृथ्वी को न तो अधिक गर्म, न ही अधिक ठण्डा होने देती है।
→ धूलिकण :
वायुमण्डल में धूलिकण प्रायः निचले भाग में मौजूद होते हैं। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों, यथा- समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं।
→ वायुमण्डल की संरचना :
वायुमण्डल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों का बना होता है। तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमण्डल को पाँच विभिन्न संस्तरों में विभाजित किया गया है। यथा-
- क्षोभ – मण्डल :
वायुमण्डल का यह सबसे नीचे का संस्तर है। इसकी ऊँचाई सतह से लगभग 13 किलोमीटर है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर तापमान 1° सेल्शियस घटता जाता है। क्षोभ – सीमा – क्षोभ – मण्डल और समताप मण्डल को अलग करने वाले भाग को क्षोभ-सीमा कहते हैं। यहाँ पर तापमान स्थिर होता है। - समताप मण्डल – क्षोभ :
सीमा के ऊपर 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक समताप मण्डल पाया जाता है। इसमें ओजोन परत पायी जाती है जो कि पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्त्वों से बचाती है। - मध्य मण्डल :
समताप मण्डल के ठीक ऊपर 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक मध्य मण्डल फैला हुआ होता है। इस संस्तर में भी ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में कमी होने लगती है। मध्य सीमा मध्य मण्डल की ऊपरी परत को मध्य- य-सीमा कहते हैं। - आयन मण्डल अथवा बाह्यमंडल :
मध्य मण्डल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के बीच आयन मण्डल स्थित होता है, पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगें इस संस्तर के द्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं - बहिर्मण्डल:
वायुमण्डल का सबसे ऊपरी संस्तर बहिर्मण्डल कहलाता है। इस संस्तर में मौजूद सभी घटक विरल हैं जो कि धीरे-धीरे बाहरी अन्तरिक्ष में मिल जाते हैं।
→ मौसम और जलवायु के तत्त्व : ताप, दाब, हवा, आर्द्रता, बादल और वर्षण वायुमण्डल के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं जो कि पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं।
→ भौगोलिक शब्दावली
- जल वाष्प : वायुमण्डल में उपस्थित परिवर्तनीय गैस जो कि ऊँचाई के साथ घटती जाती है।
- क्षोभ सीमा : क्षोभ मण्डल और समताप मण्डल को अलग करने वाला भाग।
- मध्य सीमा : मध्य मण्डल की ऊपरी परत।