Well-organized Class 11 Geography Notes in Hindi and Class 11 Geography Chapter 2 Notes in Hindi पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास can aid in exam preparation and quick revision.
Geography Class 11 Chapter 2 Notes in Hindi पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास
→ पृथ्वी की उत्पत्ति :
पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में प्रारम्भिक एवं लोकप्रिय मत जर्मन दार्शनिक इमैनुअल काण्ट का है जिसका लाप्लेस ने सन् 1796 में संशोधन ‘नीहारिका परिकल्पना’ के रूप में किया। इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ। सन् 1904 में चेम्बरलेन और मोल्टन ने पृथ्वी की उत्पत्ति ब्रह्माण्ड में एक अन्य भ्रमणशील तारे के सूर्य के नजदीक से गुजरने के फलस्वरूप मानी। सर जेम्स जीन्स और सर हैरोल्ड जैफरी ने इस मत का समर्थन किया। सन् 1943 2 में ऑटो श्मिड व कार्ल वाइजास्कर ने नीहारिका परिकल्पना में संशोधन कर अपना मत प्रस्तुत किया।
→ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति :
आधुनिक समय में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सर्वमान्य सिद्धान्त बिग बैंग सिद्धान्त है। सन् 1920 में एडविन हब्बल ने बताया कि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है तथा समय व्यतीत होने के साथ
आकाशगंगाएँ एक-दूसरे से दूर हो रही हैं।
→ ब्रह्माण्ड का विस्तार : बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार तीन अवस्थाओं में हुआ है। यथा-
- ब्रह्माण्ड की रचना जिन पदार्थों से हुई वे सभी शुरू में एकाकी परमाणु के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे।
- बिग बैंग की प्रक्रिया में एकाकी परमाणु में भीषण विस्फोट होने से ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ जो कि आज तक जारी है।
- बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान तापमान 4500″ केल्विन तक कम हो गया।
→ तारों का निर्माण
एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हजार से 1 लाख 50 हजार प्रकाश वर्ष के बीच हो सकता है। आकाशगंगा का निर्माण हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होता है। निहारिका में गैस के झुण्ड बढ़ते-बढ़ते गैसीय पिण्ड बने जिनसे 5 से 6 अरब वर्ष पूर्व तारों का निर्माण हुआ।
→ ग्रहों का निर्माण :
ग्रहों के विकास की तीन अवस्थाएँ मानी जाती हैं। यथा-
- तारे नीहारिका के अंदर गैस के गुथित झुंड हैं। इन झुंडों में गुरुत्वाकर्षण बल से गैसीय बादल में क्रोड का निर्माण हुआ और इस गैसीय क्रोड के चारों तरफ गैस व धूल कणों की घूमती हुई तश्तरी विकसित हुई।
- गैसीय बादल के संघनन के फलस्वरूप छोटे गोले संसंजन प्रक्रिया के द्वारा ग्रहाणुओं में विकसित हुए।
- अनेक छोटे ग्रहाणुओं के सहवर्धित होने से बड़े पिण्ड ग्रहों के रूप में बने ।
→ सौर मण्डल:
सौर मण्डल में आठ ग्रह हैं। नीहारिका को सौर मण्डल का जनक माना जाता है। आठ ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह कहलाते हैं। इन्हें पार्थिव ग्रह भी कहते हैं। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह कहलाते हैं। बाहरी ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन ग्रह कहलाते हैं।
→ चन्द्रमा :
चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है। सन् 1838 में सर जार्ज डार्विन ने बताया कि शुरू पृथ्वी व चन्द्रमा तीव्र गति से घूमते हुए एक ही पिण्ड थे। इस पिण्ड की आकृति में परिवर्तन हुआ तथा अन्त में टूटने के कारण चन्द्रमा का निर्माण हुआ। चन्द्रमा की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्ष पूर्व हुई मानी जाती है।
→ पृथ्वी का उद्भव :
शुरू में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी जिसका वायुमण्डल विरल था जो कि हाइड्रोजन व हीलियम गैसों से बना था। पृथ्वी की संरचना परतदार है।
→ स्थल मण्डल का विकास:
ग्रहाणु तथा अन्य खगोलीय पिण्ड अधिकतर एकसमान ही घने और हल्के पदार्थों के मिश्रण से बने हैं। ग्रहाणुओं के एकत्रित होने से ग्रहों का निर्माण हुआ। तापमान की अधिकता के कारण ही हल्के और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ अलग हो गये तथा भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गये। हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक् होने की प्रक्रिया विभेदन की प्रक्रिया कहलाती है। चन्द्रमा की उत्पत्ति के दौरान पृथ्वी का तापमान पुनः बढ़ गया तथा विभेदन की प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में अलग हो गया।
→ वायुमण्डल व जल मण्डल का विकास :
पृथ्वी के वायुमण्डल की वर्तमान संरचना में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन गैसों का प्रमुख योगदान है। प्रारम्भिक वायुमण्डल में हाइड्रोजन व हीलियम गैसों की अधिकता थी। यह सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। यह वायुमण्डल के विकास की प्रथम अवस्था थी। पृथ्वी के ठण्डा होने और विभेदन के दौरान पृथ्वी के आन्तरिक भाग से अनेक गैसें व जलवाष्प बाहर निकले जिससे वायुमण्डल की उत्पत्ति हुई। आरम्भ में पृथ्वी पर ऑक्सीजन बहुत कम थी तथा पृथ्वी के आन्तरिक भाग से उत्सर्जन की प्रक्रिया के द्वारा गैसें धरती पर आईं। लगातार ज्वालामुखी विस्फोट होने से वायुमण्डल में जलवाष्प व गैस बढ़ने लगी। पृथ्वी के ठण्डा होने के साथ-साथ जलवाष्प के संघनित होने से वर्षा होने लगी फलस्वरूप वर्षा का जल गर्तों में एकत्रित होने से महासागरों का निर्माण हुआ।
→ जीवन की उत्पत्ति :
पृथ्वी की उत्पत्ति का अन्तिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से सम्बन्धित है। पृथ्वी का प्रारम्भिक वायुमण्डल जीवन के विकास के लिए अनुकूल नहीं था। हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्षों पहले शुरू हुआ।
→ भौगोलिक शब्दावली
- सौर परिवार सूर्य तथा उसके ग्रह व उपग्रह आदि।
- प्रकाश वर्ष दूरी का मात्रक अर्थात् एक वर्ष में प्रकाश के द्वारा तय की जाने वाली दूरी।
- शैल-ठोस रूप में विद्यमान खनिजों का मिश्रण।
- विभेदन-हल्के व भारी घनत्व के पदार्थों के अलग होने की प्रक्रिया।
- गैस उत्सर्जन-पृथ्वी के आन्तरिक भाग से धरातल पर गैसों के आने की प्रक्रिया।
- संसंजन-अणुओं में पारस्परिक आकर्षण की प्रक्रिया।